|| नेट सैलरी व ग्रॉस सैलरी में क्या अंतर है? | Net salary and gross salary difference in Hindi | नेट सैलरी की गणना कैसे की जाती है? | ग्रॉस सैलरी का क्या मतलब होता है? | Gross vs net salary in Hindi | Gross salary and net salary formula in Hindi ||
Net salary and gross salary difference in Hindi :- आज के समय में लाखों नहीं बल्कि करोड़ो लोग किसी ना किसी कंपनी की नौकरी कर रहे होते है। अब इससे अंतर नहीं पड़ता है कि वह व्यक्ति सरकारी नौकरी कर रहा है या निजी नौकरी। जो भी व्यक्ति कहीं पर नौकरी कर रहा होता है, उसे एक निश्चित राशि हर महीने के अंत में मिल जाती है जिसे वह सैलरी या वेतन के नाम से जानता है। उसी वेतन के दम पर ही उसका और उसके परिवार का गुजर बसर चलता (Gross vs net salary in Hindi) है।
अब आपको आपकी कंपनी सैलरी देने के साथ साथ एक सैलरी स्लिप भी भेजती है, जिस पर आपकी सैलरी से जुड़ी हर जानकारी दी गयी होती है। इस पर आपको कई तरह के शब्द देखने को मिलते हैं जैसे कि बेसिक सैलरी, अन्य भत्ते, टैक्स, ग्रॉस सैलरी और नेट सैलरी इत्यादि। आप जब भी अपनी सैलरी स्लिप को देखते होंगे तो बहुत बार आपको समझ में नहीं आता होगा कि आखिरकार ग्रॉस सैलरी या नेट सैलरी क्या होती है और इनमे क्या कुछ अंतर होता (Difference between gross and net salary in Hindi) है।
तो आज का हमारा यह लेख सैलरी स्ट्रक्चर को समझाने के उद्देश्य से ही लिखा गया है। इस लेख को पढ़कर आपको बेसिक सैलरी सहित ग्रॉस सैलरी व नेट सैलरी के बारे में समूची जानकारी जानने को मिलेगी। इसी के साथ ही आपको ग्रॉस सैलरी व नेट सैलरी में क्या अंतर होता है, इसकी जानकारी भी पढ़ने को मिलेगी। इसके बाद आप अपनी सैलरी स्लिप को अच्छे से समझ पाएंगे और आपके मन की सभी शंकाएं दूर हो (CTC meaning in Hindi) जाएगी।
नेट सैलरी व ग्रॉस सैलरी में क्या अंतर है? (Net salary and gross salary difference in Hindi)
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कंपनी के द्वारा जो CTC आपको दिया जाता है, वह अलग होता है और आप कभी भी यह नहीं देख पाएंगे कि उसी CTC के दम पर ही आपकी सैलरी को 12 भागों में विभाजित करके दिया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर आपके एक वर्ष का CTC 6 लाख रुपये है। ऐसे में उन 6 लाख रुपयों को वर्ष के बारह महीनो में विभाजित किया जाए तो एक महीने की सैलरी 50 हज़ार बनेगी। किन्तु क्या आपको महीने के 50 हज़ार ही मिलते हैं? ऐसा नहीं होता (What is net salary and gross salary with example in Hindi) है।
ठीक उसी तरह यदि आप अपनी कंपनी के द्वारा आपको दिए जा रहे CTC को 12 भागों में विभाजित करेंगे तो जो राशि निकल कर आ रही होती है, उससे कम ही राशि आपको मिलती है लेकिन ऐसा क्यों। इसी चीज़ का अंतर ही ग्रॉस सैलरी व नेट सैलरी के अंतर को प्रदर्शित करना है। कहने का अर्थ यह हुआ कि आपको कितनी सैलरी या वेतन मिल रहा है और उसमे कब क्या कुछ कट रहा है या क्या कुछ जुड़ रहा है, इसी को परिभाषित करने के लिए ही बेसिक सैलरी, ग्रॉस सैलरी व नेट सैलरी की टर्म बनायी गयी (What is basic salary and gross salary in Hindi) है।
ऐसे में यदि आपको ग्रॉस सैलरी व नेट सैलरी के बीच के अंतर को समझना है तो उससे पहले आपको बेसिक सैलरी क्या होती है और उसमे क्या कुछ जोड़ा जाता है या काटा जाता है जिस कारण ग्रॉस सैलरी व नेट सैलरी को निर्धारित किया जाता है, यह समझ में आएगा। आइये एक एक करके इन तीनो टर्म के बारे में ही जानकारी ले लेते हैं ताकि आपके मन की सभी शंकाओं पर पूर्ण विराम लगाया जा (Gross salary and net salary formula in Hindi) सके।
बेसिक सैलरी क्या होती है? (What is basic salary in Hindi)
सैलरी स्ट्रक्चर में जो चीज़ सबसे पहले लिखी होती है वह होती है बेसिक सैलरी जो दिखने में बहुत कम लगती है। एक तरह से कहा जाए तो यह आपके वार्षिक CTC का केवल 40 से 50 प्रतिशत तक का ही भाग होती है। उदाहरण के तौर पर यदि आपको वार्षिक तौर पर कंपनी 6 लाख का CTC देती है तो उसमे से आपकी बेसिक सैलरी का हिस्सा केवल 2 से 3 लाख रुपये के बीच में ही होगा। इस तरह से आपको महीने के मिलने वाले 50 हज़ार में से केवल 20 से 30 हज़ार ही आपकी बेसिक सैलरी होती है।
अब यह बेसिक सैलरी वह होती है जो आपकी कंपनी आपको काम करने के बदले में निश्चित राशि के तौर पर दे रही है। यह केवल और केवल आपके द्वारा किये जाने वाले काम की कमाई होती है और इसमें अन्य किसी भी चीज़ या गुजारा भत्ता को जोड़ा नहीं गया होता है। एक तरह से यह आपकी CTC का आधा हिस्सा ही होती है जो बेसिक सैलरी का रूप लेती (Basic salary kya hoti hai) है।
अब किसी कंपनी में यह CTC का 40 प्रतिशत होती है तो किसी में 45 प्रतिशत तो किसी में 50 प्रतिशत। यह हर कंपनी के द्वारा अन्य चीज़ों में दिए जा रहे गुजारे भत्ते पर निर्भर करती है कि आपकी बेसिक सैलरी CTC का कितना प्रतिशत होगी। इसके बारे में अच्छे से समझ तभी आएगा जब आप अपनी ग्रॉस सैलरी के बारे में पढ़ेंगे। तो आगे हम आपको ग्रॉस सैलरी के बारे में ही समझाने वाले हैं ताकि आपको अपनी बेसिक सैलरी के बारे में अच्छे से आईडिया हो जाए।
ग्रॉस सैलरी क्या होती है? (What is gross salary in Hindi)
अब जब आपने बेसिक सैलरी को समझ लिया है तो अब बारी आती है ग्रॉस सैलरी की। तो ग्रॉस सैलरी वह होती है जो सीधे तौर पर आपकी CTC को बारह भागों में विभाजित करके बनायी जाती है। ऊपर हमने आपको वार्षिक CTC के लिए जो 6 लाख रुपये का उदाहरण दिया था और उसके तहत हर महीने की आपकी सैलरी 50 हज़ार रुपये बन रही थी, बस वही ग्रॉस सैलरी होती है। कहने का अर्थ यह हुआ कि कोई भी व्यक्ति अपनी कुल CTC को बारह भागों में विभाजित करके जो राशि देखता है, वही उसकी ग्रॉस सैलरी होती (Gross salary meaning in Hindi) है।
अब यह ग्रॉस सैलरी बेसिक सैलरी से इसलिए अलग हो जाती है क्योंकि बेसिक सैलरी आपके द्वारा किये जा रहे काम का सीधा भुगतान होता है जबकि ग्रॉस सैलरी तरह तरह की चीज़ों के लिए गुजारा भत्ता जोड़कर बनायी गयी होती है। तो बेसिक सैलरी के अलावा एक कंपनी आपको तरह तरह के गुजारा भत्ता प्रदान करती है जैसे कि घर का किराया, महंगाई भत्ता, अन्य भत्ते इत्यादि। तो इन सभी को जब बेसिक सैलरी में जोड़ दिया जाता है तो उसे ही ग्रॉस सैलरी का नाम दिया जाता है।
ग्रॉस सैलरी = बेसिक सैलरी + महंगाई भत्ता + घर का किराया + अन्य भत्ते
अब जब भी आपको किसी कंपनी के द्वारा काम पर रखा जाता है या आपको CTC ऑफर किया जाता है तो वह कंपनी आपको केवल बेसिक सैलरी ही नहीं देती है, बल्कि उसके साथ साथ वह आपको अन्य भत्ते भी प्रदान करती है जिसे एक तरह से सैलरी में ही जोड़कर ग्रॉस सैलरी का रूप दिया जाता है। उदाहरण के तौर पर आपकी बेसिक सैलरी 25 हज़ार है और इसमें आपको घर के किराये के रूप में 10 हज़ार, महंगाई भत्ते के रूप में 5 हज़ार और अन्य भत्तों के रूप में 10 हज़ार दिए जाते हैं तो इन सभी को मिलाकर आपकी ग्रॉस सैलरी 50 हज़ार बन जाती (Gross salary kya hoti hai) है। इसी के आधार पर ही आपकी CTC 6 लाख तय हो जाती है।
नेट सैलरी क्या होती है? (Net salary meaning in Hindi)
अब आपने यह देखा होगा कि आपकी जो भी CTC होती है, उसे बाहर भागों में विभाजित करने पर जो ग्रॉस सैलरी बनती है, उतनी ही सैलरी आपको अपने खाते में मिले या सैलरी के रूप में प्राप्त हो, ऐसा होता नहीं है। वह हमेशा ही ग्रॉस सैलरी से कुछ कम होती है और इसका कारण है आपकी नेट सैलरी का कैलकुलेट किया जाना। इसका गणित भी हम आपको अभी समझाने वाले हैं क्योंकि जहाँ एक ओर बेसिक सैलरी में कुछ ना कुछ भत्तों को जोड़कर आपकी ग्रॉस सैलरी बनायी जाती है तो वहीं ग्रॉस सैलरी में से कुछ टैक्स व अन्य चीज़ों की कटौती को करके आपकी नेट सैलरी को कैलकुलेट किया जाता (Net salary kya hoti hai) है।
अब आप चाहे कहीं भी काम करें लेकिन उसमें कई तरह के टैक्स व अन्य चीज़ों की कटौती को अंजाम दिया जाता है। यह आय कर अर्थात इनकम टैक्स भी होता है, पीएफ अर्थात प्रोविडेंट फण्ड सहित किसी भी प्रकार के टैक्स अन्य टैक्स होते हैं। एक तरह से आपकी सैलरी पर या आपकी आय पर जो भी टैक्स भारत सरकार, राज्य सरकार तथा उस कंपनी के द्वारा काटा जा रहा है, उन सभी को काट कर ही जो सैलरी निकलती है, उसे ही नेट सैलरी का नाम दिया जाता है।
नेट सैलरी = ग्रॉस सैलरी – आय कर – प्रोविडेंट फंड – अन्य सभी तरह के कर
अब ऊपर हमने आपकी बेसिक सैलरी में सभी तरह के गुजारा भत्तों को जोड़कर जो ग्रॉस सैलरी को निकाला है, उसमे से नेट सैलरी को कैलकुलेट करने की भी जानकारी दे देते हैं। मान लीजिये कि भारत सरकार हर महीने आपकी सैलरी में से 500 रुपये आय कर ले रही है तो वहीं कंपनी के द्वारा प्रोविडेंट फंड के तौर पर 1500 रुपयों की कटौती की जा रही है। इस तरह से अन्य टैक्स एक हज़ार रुपये का लगाया जा रहा (What is net salary in Hindi) है। तो इस तरह से इन सभी टैक्स को जोड़ दिया जाए तो उसका योग 3 हज़ार हो जाता है और उसे ग्रॉस सैलरी जो कि 50 हज़ार है, उसमे से काटा जाए तो इसकी गणना 47 हज़ार बैठती है जो आपकी नेट सैलरी कहलायी जाएगी।
ग्रॉस सैलरी व नेट सैलरी में अंतर (Gross salary and net salary in Hindi)
अब जब आप बेसिक सैलरी, ग्रॉस सैलरी व नेट सैलरी के बारे में इतनी सब जानकारी ले चुके हैं तो अब बारी है ग्रॉस सैलरी व नेट सैलरी के बीच के अंतर को सही से समझे जाने की। तो हम एक एक करके इन के बीच के अंतर को आपके सामने रखने जा रहे हैं जिससे आपको दोनों को बेहतर तरीके से समझने में सहायता मिलेगी। आइये जाने नेट सैलरी व ग्रॉस सैलरी के बीच क्या कुछ अंतर देखने को मिलता (Gross salary and net salary difference in Hindi) है।
- आपको जो भी CTC कंपनी के द्वारा दिया जा रहा है, उसे सीधे तौर पर बारह महीनों में विभाजित करने पर जो राशि प्राप्त होती है, उसे ही ग्रॉस सैलरी का नाम दिया जाता है जबकि प्राप्त नेट सैलरी वह होती है जो CTC को बारह भागों में विभाजित करने पर भी प्राप्त राशि से कम मिलती है।
- ग्रॉस सैलरी जो होती है वह हमेशा से ही नेट सैलरी से कुछ ना कुछ रुपये ज्यादा होती है। हालाँकि इसमें ज्यादा परिवर्तन नहीं होता है और यह अंतर सैलरी के बढ़ने के साथ साथ बढ़ता चला जाता है। वह इसलिए क्योंकि ज्यादा CTC होने पर भारत सरकार के द्वारा ज्यादा आय कर लगाया जाता है जिस कारण नेट सैलरी व ग्रॉस सैलरी के बीच ज्यादा रुपयों का अंतर आ जाता है।
- बेसिक सैलरी में जब गुजारा भत्ता जोड़ा जाता है जो आपकी कंपनी आपको देती है, उसे ग्रॉस सैलरी कहा जाता है जबकि उस गुजारा भत्तों को जोड़ने के साथ साथ उसमें से सभी तरह के टैक्स को काट लिया जाता है तो उसे नेट सैलरी का नाम दिया जाता है।
- ग्रॉस सैलरी केवल वह आय होती है जो उस मनुष्य के द्वारा अर्जित की गयी होती है लेकिन वह उसे हाथ में नहीं मिलती है अर्थात उसके खाते में नहीं आती है जबकि नेट सैलरी वह आय होती है, जो वास्तविकता में उसके बैंक खाते में आती है या जो उसे उसके हाथ में मिलती है।
- ग्रॉस सैलरी उसे कहा जाता है जो टैक्स लगने से पहले कैलकुलेट की जाती है जबकि सभी तरह के टैक्स की कटौती के बाद जो सैलरी हमारे हाथ में आती है, उसे नेट सैलरी कहा जाता है।
इस तरह से आपको नेट सैलरी व ग्रॉस सैलरी के बीच का अंतर अच्छे से समझ में आ गया होगा। अब जब कभी भी आपकी कंपनी आपको सैलरी स्लिप भेजे तो उसमें लिखे हुए बेसिक सैलरी, ग्रॉस सैलरी व नेट सैलरी वाले शब्दों को देखकर हैरान होने की बजाये उसे अच्छे से पढ़ें और देखें कि आपकी कौन सी सैलरी कितनी है और आपको कितना गुजारा भत्ता दिया जा रहा है या फिर किस किस चीज़ में आपकी टैक्स के रूप में कटौती की जा रही है।
नेट सैलरी व ग्रॉस सैलरी में क्या अंतर है – Related FAQs
प्रश्न: नेट सैलरी और ग्रॉस सैलरी क्या है?
उत्तर: नेट सैलरी और ग्रॉस सैलरी क्या है इसके बारे में संपूर्ण जानकारी आपको ऊपर के लेख में पढ़ने को मिलेगी जो आपको पढ़ना चाहिए।
प्रश्न: ग्रॉस और नेट में क्या अंतर है?
उत्तर: ग्रॉस सैलरी और नेट सैलरी के बीच के अंतर को हमने ऊपर के लेख में समझाया है जो आपको पढ़ना चाहिए।
प्रश्न: ग्रॉस सैलरी का क्या मतलब होता है?
उत्तर: ग्रॉस सैलरी वह होती है जो CTC में से बिना किसी कटौती के गिनी जाती है।
प्रश्न: नेट सैलरी की गणना कैसे की जाती है?
उत्तर: नेट सैलरी = ग्रॉस सैलरी – आय कर – प्रोविडेंट फंड – अन्य सभी तरह के कर।
प्रश्न: ग्रॉस सैलरी कैसे निकालते हैं?
उत्तर: ग्रॉस सैलरी = बेसिक सैलरी + महंगाई भत्ता + घर का किराया + अन्य भत्ते।
तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने नेट सैलरी और ग्रॉस सैलरी क्या होती है इनके बीच क्या अंतर है इसके बारे में जानकारी प्राप्त कर ली है। आशा है कि जो जानकारी लेने के लिए आप इस लेख पर आए थे वह जानकारी आपको मिल गई होगी। यदि कोई प्रश्न आपके मन में शेष है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।