ब्लैंक पेपर प्रोटेस्ट क्या है? यह कहां हो रहा है? इसे कौन और क्यों कर रहा है? इसकी शुरुआत कहां से हुई?

ब्लैंक पेपर प्रोटेस्ट क्या है? यह कहां हो रहा है? इसे कौन और क्यों कर रहा है? इसकी शुरुआत कहां से हुई? ( What is blank paper protest? Where it is continuing? Who is doing this and why? Where did it begin? )

आपने मौन जुलूस, भूख हड़ताल, क्रमिक अनशन, काला फीता लगाकर विरोध प्रदर्शन वगैरह तो खूब देखे होंगे, लेकिन क्या आपने कभी ब्लैंक पेपर प्रोटेस्ट (blank paper protest) देखा है? जी हां, ब्लैंक पेपर यानी कोरा कागज विरोध प्रदर्शन। आप भी सोच रहे होंगे कि हर रोज आपको आर्टिकल्स के जरिए नई नई योजनाओं, नए नए टॉपिक्स के बारे में जानकारी देते-देते आज हम आपसे ब्लैंक पेपर की बात क्यों करने लगे?

वो इसलिए क्योंकि इन दिनों दुनिया भर में लोग ब्लैंक पेपर प्रोटेस्ट के बारे में लोग चर्चा कर रहे हैं। इसे नई क्रांति का प्रतीक बता रहे हैं। हम चाहते हैं कि आप भी इस महत्वपूर्ण टर्म से अनभिज्ञ न रहें। ब्लैंक पेपर प्रोटेस्ट क्या है? यह कहां हो रहा है? इसे कौन और क्यों कर रहा है? इसकी शुरुआत कहां से हुई? आज आपके ऐसे ही तमाम सवालों का जवाब आज हम आपको इस पोस्ट में देंगे। आइए, शुरू कते हैं-

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ब्लैंक पेपर प्रोटेस्ट क्या है? (What is Blank paper protest?)

दोस्तों, हम सभी जानते हैं कि ब्लैंक का अर्थ कोरा यानी खाली एवं पेपर का अर्थ कागज होता है। यानी यह एक खाली कागज होता है। इस पर कुछ भी लिखा नहीं होता। जब कोई ब्लैंक पेपर हाथ में लेकर विरोध प्रदर्शन करता है तो उसे ब्लैंक पेपर प्रोटेस्ट कहा जाता है।

ब्लैंक पेपर विरोध का प्रतीक क्यों बना? (Why blank paper became the symbol of protest?)

अब आप कहेंगे कि जब विरोध प्रदर्शन के कई तरीके हैं तो आखिर यह ब्लैंक पेपर क्यों? विरोध के लिए इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी? प्रदर्शनकारियों के अपने हाथों में विरोध के लिए ए4 ब्लैंक शीट लेकर चलने का क्या तात्पर्य है? तो दोस्तों, आपको बता दें कि एक ब्लैंक पेपर वर्तमान में विरोध का प्रतीक एवं तरीका बनकर उभरा है। ऐसा तब किया जाता है, जब आपकी बोलने की आजादी पर, नारे आदि लगाने पर प्रतिबंध होता है। इसके माध्यम से प्रदर्शनकारी बगैर किसी कानून के उल्लंघन के अपना विरोध जताते हैं, ताकि वे प्रशासनिक, कानूनी कार्रवाई से बच सकें।

ब्लैंक पेपर प्रोटेस्ट कहां व क्यों हो रहा है? (Where and why the black paper protest is going on?)

मित्रों, आपको बता दें कि ब्लैंक पेपर प्रोटेस्ट (blank paper protest) इस समय चीन (China) में हो रहे हैं। चीन अपनी दमनकारी नीतियों की वजह से जाना जाता है। यह तो आप जानते ही हैं कि कोरोना (corona) को लेकर चीन पहले से ही दुनिया भर के शासकों के शक के दायरे में है। हालत यह है कि अभी भी चीन ने कुछ शहरों में सख्त कोविड पाबंदियां (strict COVID restrictions) लागू की हुई हैं।

आपको बता दें कि अभी कुछ समय पूर्व चीन के शक शिनजियांग की राजधानी उरूमकी में एक 21 मंजिला इमारत में आग लग गई थी। इसमें 10 लोग जिंदा जल गए थे। इनके साथ ही 21 लोग गंभीर रूप से घायल थे। आग लगने के बाद भी लोगों को बाहर नहीं निकाला जा रहा था। ऐसे में गुस्साए लोगों का आरोप था कि करीब सौ दिन से ऐसा ही किया जा रहा है। लोगों की जान जाने के बाद कोविड नियमों की वजह से राहत बचाव कार्य में देरी की बात सामने आई, जिस पर शहर के हजारों छात्र सड़कों पर उतर आए। उन्होंने लाकडाउन (lockdown) के सख्त विरोध में ब्लैंक पेपर प्रोटेस्ट (blank paper protest) किया था।

धीरे धीरे यह प्रोटेस्ट करने वाले लोगों की संख्या बढ़ती गई और प्रदर्शन की आग बीजिंग, शंघाई, वुहान, चेेंगदू, शियान समेत कुल आठ शहरों तक तक पहुंच गया। बीजिंग और शंघाई के हजारों छात्रों ने इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। युवा प्रदर्शनकारी उनकी आवाज को दबाए जाने के विरोध में अपनी बात कहने के लिए ‘कुछ न कहने’ के तरीके को आजमा रहे हैं। इसीलिए ब्लैंक पेपर लेकर प्रदर्शन यानी प्रोटेस्ट कर रहे हैं। सेंसरशिप अथवा गिरफ्तारी से बचने के लिए वे ऐसा कर रहे हैं। नियमों में ढील दिए जाने की मांग के बीच चीन के विभिन्न शहरों से लोगों का पलायन भी शुरू हो चुका है।

पहली बार ब्लैंक पेपर प्रोटेस्ट कहां हुआ? (Where first ever blank paper protest held?)

ब्लैंक पेपर प्रोटेस्ट क्या है? यह कहां हो रहा है? इसे कौन और क्यों कर रहा है? इसकी शुरुआत कहां से हुई?

साथियों, आपको जानकारी दे दें कि हांगकांग (hongkong) में आज से दो वर्ष पूर्व यानी सन् 2020 में एक प्रदर्शन हुआ था। वहां के स्थानीय लोगों ने उस समय बेहद कठोर माने जा रहे नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (New National Security Act) के खिलाफ कोरे कागज के टुकड़े लहराए थे। दरअसल, वहां की सरकार ने तीन वर्ष पूर्व सन् 2019 में विरोध प्रदर्शन से जुड़े नारों पर प्रतिबंध लगा दिया था। जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने वहां बैन किए गए नारों के उच्चारण से बचने के लिए संकेत के बतौर सफेद कोरा कागज लहराना शुरू कर दिया था, ताकि वे बैन के उल्लंघनों से बच सकें और उन्हें गिरफ़्तार न किया जा सके।

ब्लैंक पेपर प्रोटेस्ट दुनिया भर में चर्चा में क्यों रहा? (Why blank paper protest was in news in the world?)

अब आपको यह बताते हैं कि चीन में हुआ ब्लैंक पेपर प्रोटेस्ट दुनिया भर में चर्चा का विषय क्यों बना रहा? मित्रों, यह हाल के कई वर्षों में चीन की सत्ता पर काबिज कम्युनिस्ट पार्टी (communist party) के विरोध में सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन माना जा रहा है। इस समय वहां शी जिनपिंग सत्ता पर काबिज हैं। इस बात से आप भी अंजान नहीं होंगे कि चीन में आवाज उठाने पर पाबंदी है। कई प्रकार की बंदिशों के बीच वहां के लोग जीवन यापन कर रहे हैं। इससे पूर्व आंदोलनों को कुचलने में भी चीन का काला इतिहास (black history) रहा है। यह आज से करीब 33 वर्ष पूर्व यानी सन् 1989 की बात है।

चीन के थ्येनआनमन चौक पर सैकड़ों छात्रों का नरसंहार कौन भूल सकता है? यह कांड चीन के इतिहास में एक काला पन्ना बनकर दर्ज हो गया। बरसों इसकी छाया चीन पर बनी रही। वह नरसंहार चीन की दमनकारी नीतियों का परिणाम था। आज की तारीख में इसीलिए जब बड़े पैमाने पर सत्ता के खिलाफ ब्लैंक पेपर प्रोटेस्ट हुआ तो लोगों को वह इतिहास याद आ गया।

दोस्तों, आपको बता दें कि लोग स्वयं तो इस समय चीन में ब्लैंक पेपर प्रोटेस्ट तो कर ही रहे हैं, वे सोशल मीडिया (social media) एवं पर्सनल चैट (personal chat) भी भी एक दूसरे को व्हाइट पेपर (white paper) साथ रखने की नसीहत दे रहे हैं। इसे अपने साथ ले जाने को कह रहे हैं।

चीन की जीरो कोविड पॉलिसी क्या है, जिसके विरोध में ब्लैंक पेपर लहराया था रहा है? (What is China’s zero COVID policy, against which the black paper protest is continuing?)

दोस्तों, आइए अब जान लेते हैं कि चीन की वह जीरो कोविड पॉलिसी क्या है, जिसके विरोध में चीन में युवा ब्लैंक पेपर प्रोटेस्ट कर रहे हैं। दोस्तों, दरअसल जीरो कोविड पालिसी (zero COVID policy) का मकसद कोरोना संक्रमित प्रत्येक व्यक्ति को अलग थलग करना है। इसी नीति के जरिए अमेरिका समेत अन्य तमाम देशों की तुलना में चीन के कोविड मामलों को कम रखने में सहायता भी मिली है। लेकिन कुछ क्षेत्रों में लोग चार माह से घर पर ही हैं। उनके ऊपर कोविड संबंधी बंदिशें बहुत सख्ती के साथ से लागू हैं। उन तक समुचित भोजन एवं चिकित्सा सुविधाएं नहीं पहुंच पा रही है। ऐसे में लोगों की बर्दाश्त करने की ताकत कम हो रही है।

शी जिनपिंग सरकार ने कुछ समय पूर्व इन नियमों में शिथिलता का वादा किया था, लेकिन उसे पूरा नहीं किया गया। उल्टे हुआ यह कि कोविड मामलों की बढ़ोत्तरी के बाद सरकारी नियंत्रण (government control) को और सख्त कर दिया गया। इसके विरोध में ब्लैंक पेपर लहराने पर लोगों का कहना है कि यह प्रदर्शन प्रशासन के सामने एक चुनौती है। क्योंकि यदि उन्हें अब गिरफ्तार किया जाता है तो माना जाएगा कि उन्हें ‘कुछ न कहने’ के लिए गिरफ्तार किया जा रहा है। यह इस बात का इशारा भी है कि वे बहुत कुछ कहना चाहते हैं, लेकिन अफसोस कि कह नहीं पा रहे हैं।

ब्लैंक पेपर क्या होता है?

इसका अर्थ कोरा कागज होता है।

ब्लैंक पेपर प्रोटेस्ट क्या होता है?

यह मौन प्रदर्शन होता है। इसमें प्रदर्शनकारी कोरा कागज हाथ में लेकर लहराते हैं।

यह ब्लैक पेपर प्रोटेस्ट कहां चल रहा है?

यह ब्लैंक पेपर प्रोटेस्ट चीन में चल रहा है।

दो वर्ष पूर्व ब्लैंक पेपर प्रोटेस्ट कहां से शुरू हुआ था?

दो वर्ष पूर्व ब्लैंक पेपर प्रोटेस्ट हांगकांग में शुरू हुआ था।

हांगकांग में प्रदर्शनकारियों के कोरे कागज लहराने की क्या वजह थी?

हांगकांग में लोगों ने नए सुरक्षा कानून के विरोध में कोरे कागज लहराए थे, क्योंकि नारों के उच्चारण पर पाबंदी थी।

चीन में कोरा कागज लेकर प्रदर्शन करने वाले प्रदर्शनकारी क्या चाहते हैं?

वे जीरो कोविड पॉलिसी एवं लॉकडाउन के सख्त नियमों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे है। वे इन नियमों में ढील चाहते हैं।

सन् 1989 में चीन में किस जगह निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोली चलवा दी गई थी?

सन् 1989 में चीन के थ्येनऑनमन चौक पर प्रदर्शन कर रहे निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोली चलवा दी गई थी।

दोस्तों, हमने आपको इस पोस्ट (post) में ब्लैंक पेपर प्रोटेस्ट (blank paper protest) के बारे में जानकारी दी। उम्मीद है कि इससे आपके जनरल नॉलेज में बढ़ोत्तरी हुई होगी। इसी आशय के मद्देनजर इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करें। अपने किसी भी सवाल अथवा सुझाव को नीचे दिए गए कमेंट बाक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके हम तक पहुंचाना न भूलें। ।।धन्यवाद।।

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प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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