एईपीएस क्या होता है? फुल फॉर्म, सर्विसेज, बेनिफिट्स और ट्रांजैक्शन लिमिट

आधार कार्ड न केवल यूनिक आईडी के जरिए आपकी आपकी पहचान का प्रमाण है, बल्कि जिन लोगों का आधार कार्ड (aadhar card) उनके बैंक एकाउंट (bank account) से लिंक है, वे इसके जरिए कई प्रकार की सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं।

इनमें पेमेंट सिस्टम (payment system) यानी भुगतान सुविधा भी शामिल है। इन दिनों आप एईपीएस (AEPS) नाम बहुत सुन रहे होंगे। क्या आप जानते हैं कि यह एईपीएस क्या है? (What is AEPS?) यदि नहीं तो भी चिंता न करें। आज इस पोस्ट में हम एईपीएस के बारे में विस्तार से आपको सब कुछ बताने की कोशिश करेंगे। आइए, शुरू करते हैं-

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एईपीएस क्या है? (What is AEPS?)

दोस्तों, सबसे पहले एईपीएस (AEPS) की फुल फार्म जान लेते हैं। इसकी फुल फार्म (full form) है- आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (aadhar enabled payment system)। यानी मूल रूप से यह एक आधार आधारित भुगतान प्रणाली/सेवा (aadhar based payment system/service) है।

इसके जरिए बैंक ग्राहक अपने आधार कार्ड नंबर के जरिए संबंधित आधार सक्रिय बैंक खाते की एक्सेस ले सकते हैं और सामान्य बैंकिंग लेन-देन (banking transactions) कर सकते हैं। उन्हें इसके लिए किसी पिन अथवा पासवर्ड (PIN/password) की आवश्यकता नहीं।

यानी उनके आधार से जुड़े ट्रांजेक्शन कार्ड एवं पिनरहित (card and painless) होंगे। इसकी सहायता से एंड्रायड मोबाइल फोन यूजर (android mobile phone user) अपने आधार कार्ड नंबर (aadhar card number) एवं फिंगर प्रिंट (finger print) के जरिए डिजिटल ट्रांजेक्शन (digital transaction) कर सकेंगे। आपको बता दें कि यह प्रणाली बैंकिंग कारेस्पोंडेंट (banking correspondent) की मदद से पीओएस/माइक्रो एटीएम (POS/micro ATM) पर बैंक से बैंक लेन देन की इजाजत देती है।

एईपीएस क्या होता है? फुल फॉर्म, सर्विसेज, बेनिफिट्स और ट्रांजैक्शन लिमिट

एईपीएस को किसने विकसित किया है? (Who developed AEPS?)

अब सवाल उठता है कि एईपीएस को किसने विकसित किया है? (Who developed AEPS?) आपको बता दें दोस्तों कि इस एईपीएस यानी आधार आधारित भुगतान प्रणाली (payment system) को एनपीसीआई (NPCI) यानी नेशनल पेमेंट कारपोरेशन ऑफ इंडिया (national payment corporation of India) ने विकसित किया है।

इसके लिए उसने भारतीय रिजर्व बैंक (reserve Bank of India) यानी (RBI) एवं सदस्य बैंकों (members bank) की सलाह भी ली है। कुल मिलाकर एक ऐसा सिस्टम विकसित करने की कोशिश की गई है, जो सुरक्षित हो और ग्रामीण क्षेत्रों (rural areas) के लोगों के उपयोग योग्य भी। इस कसौटी पर एईपीएस (AEPS) पूरी तरह से खरा उतरता है।

एईपीएस के क्या उद्देश्य हैं? (What are the objects of AEPS?)

दोस्तों, अब आते हैं एईपीएस के उद्देश्य पर। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसका उद्देश्य बैंकिंग से वंचित क्षेत्रों के लोगों तक बैंकिंग सेवाएं (banking services) मुहैया कराना है। यह तो आप जानते ही हैं कि देश में अभी भी ऐसे बहुत से ऐसे इलाके हैं, जहां कोई बैंक अथवा उसकी शाखा (branch) नहीं है।

ऐसी जगहों तक बैंकिंग सेवाएं पहुंचाने के लिए बैंकों ने बैकिंग कारेस्पांडेंट्स की मदद ली है। अब उनके जरिए एईपीएस (AEPS) से लेन-देन (transaction) बहुत आसान हो गया है। उन्हें पैसे निकालने (cash withdrawal), जमा कराने (deposit) के लिए न तो बैंक जाने की आवश्यकता है और न ही डेबिट कार्ड अथवा पासबुक (debit card/passbook) साथ रखने की जरूरत। यहां तक कि बैंक खाते (bank account) तक का नंबर याद रखने की उसे आवश्यकता नहीं है।

एईपीएस किस प्रकार की सुविधा देता है? (What type of facilities AEPS give?)

साथियों, अब हम आपको जानकारी देंगे कि एईपीएस (AEPS) के जरिए आप किन किन सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं। ये इस प्रकार से हैं-

  • कैश विद्ड्राल (cash withdrawal)
  • बैलेंस इंक्वायरी (balance enquiry)
  • कैश डिपाजिट (cash deposit)
  • आधार टू आधार फंड ट्रांसफर (aadhar to aadhar fund transfer)
  • फेयर प्राइस शाप से शापिंग (shopping from fair price shop)

एईपीएस पर लेन देन के लिए आपको किन चीजों की क्या आवश्यकता है? (What things you need for transaction on AEPS?)

एईपीएस (AEPS) यानी आधार आधारित भुगतान प्रणाली/सेवा का लाभ उठाने के लिए आपके पास कुछ चीजें होनी आवश्यक हैं, जो कि इस प्रकार से हैं-

  • ग्राहक की आधार कार्ड संख्या। (Customer’s aadhar card number)
  • माइक्रो एटीएम/पीओएस मशीन बायोमीट्रिक डिवाइस के साथ। (Biometric atm/pos machine with biometric device)
  • ग्राहक के फिंगर प्रिंट अथवा आंख की पुतली की फोटो (finger print or iris scan of customer)।
  • बैंक का नाम अथवा आईआईएन यानी इश्यूअर आइडेंटिफिकेशन नंबर। (Bank’s name or IIN) यानी issuer identification number।
  • बैंकिंग कारेस्पोंडेंट। (Banking correspondent)

एईपीएस पर लेन देन कैसे होगा? (How transaction will happen on AEPS?)

दोस्तों,अब हम आपको एईपीएस पर लेन देन संबंधी प्रक्रिया की जानकारी देंगे, जो कि इस प्रकार से है-

  • अपने नजदीकी माइक्रो एटीएम अथवा बैंक मित्र बैंकिंग कारेस्पोंडेंट के पास जाएं।
  • उसके पास उपलब्ध मशीन में अपनी आधार कार्ड संख्या दर्ज कीजिए। अथवा बैंक मित्र को अपना आधार कार्ड दीजिए, वह खुद इसे दर्ज कर देगा।
  • अब आपको ट्रांजेक्शन यानी लेन देने का आप्शन चुनना होगा, जैसे-
  1. बैलेंस इंक्वायरी
  2. कैश डिपाजिट
  3. कैश विद्ड्राल
  4. फंड ट्रांसफर
  • मिनी स्टेटमेंट में से किसी एक को चुनना होगा।
  • अब अपने बैंक का चुनाव करें अथवा बैंक मित्र से करवा लें।
  • ट्रांजेक्शन का अमाउंट यानी राशि दर्ज कीजिए।
  • इसके बाद फिंगर प्रिंट के लिए स्कैनर (scanner) पर अपनी उंगली रखें या आइरिस की पहचान के लिए फोटो खिंचा लें।
  • आईडी कन्फर्म (id confirm) होने के बाद आपका ट्रांजेक्शन पूरा हो जाएगा।
  • ट्रांजेक्शन की पर्ची (transaction slip) निकालें।
  • इस प्रकार आपकी ट्रांजेक्शन की प्रक्रिया (transaction process) पूरी हो जाएगी।

क्या एईपीएस का कोई मोबाइल एप भी है? (Is there any mobile app of AEPS?)

इन दिनों मोबाइल एप्स का जमाना है। केवल एक एप अपने मोबाइल पर डाउनलोड करके लोग आसानी से तमाम सुविधाओं का लाभ उठाते हैं। आपको बता दें दोस्तों कि एईपीएस का भी एक मोबाइल एप एईपीएस इंडिया (AEPS India) है। जिस पर रजिस्ट्रेशन कर आधार कार्ड नंबर के जरिए भुगतान किए जा सकते हैं।

इस एप को एंड्रॉयड यूजर्स (android users) गूगल प्ले स्टोर (Google Play Store) से डाउनलोड (download) कर सकते हैं। आपको बता दें दि इस एप को 2019 में रिलीज किया गया था एवं 2020 में इसे अपडेट (update) किया गया है।

यह एप 44.18 एमबी का है। इसके अभी तक 10 हजार से अधिक डाउनलोड हो चुके हैं। इसे 3.8 स्टार रेटिंग (star rating) मिली है। यह एप एंड्रायड 5.0 से अधिक वर्जन (version) की डिवाइस पर डाउनलोड किया जा सकता है। इस एप को इस्तेमाल करने वाले यूजर्स के रिव्यू (review) भी बेहतर हैं.

एईपीएस के इस्तेमाल के लाभ क्या क्या हैं? (What are the benefits of using AEPS?)

अब हम आपको यह बताएंगे कि यदि एक ग्राहक एईपीएस का इस्तेमाल करता है तो उसे कौन कौन से लाभ होंगे। ये इस प्रकार से हैं-

  • आधार कार्ड नंबर एवं फिंगर प्रिंट के इस्तेमाल की वजह से यह एक सुरक्षित पेमेंट प्लेटफार्म (secured payment platform) है। किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी (fraud) की संभावना न्यून है।
  • ट्रांजेक्शन के लिए पिन अथवा पासवर्ड (pin or password) की कोई आवश्यकता नहीं।
  • वर्तमान में एईपीएस (AEPS) के जरिए ट्रांजेक्शन (transaction) पर किसी प्रकार की कोई फीस (fee) नहीं है।
  • जैसा कि आप जानते हैं कि यह प्रणाली आधार कार्ड नंबर पर केंद्रित है। ऐसे में आपको बैंक खाता संख्या (bank account number) याद करने की कोई आवश्यकता नहीं।
  • यदि आपके पास बायोमीट्रिक पहचान (biometric identification) का उपकरण है तो आप घर बैठे लेन देन (transaction) कर सकते हैं।
  • शॉपिंग अथवा ट्रांजेक्शन के लिए ग्राहक को अपने साथ डेबिट अथवा क्रेडिट कार्ड रखने की कोई आवश्यकता नहीं है।

इस सिस्टम का इस्तेमाल कौन कर सकता है? (Who can use this system?)

मित्रों, अब आपके मन में यह सवाल अवश्य आ रहा होगा कि इस सिस्टम का इस्तेमाल कौन कर सकता है? जैसा कि हमने बताया कि इस सिस्टम से भुगतान आधार कार्ड नंबर के माध्यम से होता है। ऐसे में व्यक्ति के पास आधार कार्ड नंबर होना एवं उसका बैंक से लिंक होना बेहद आवश्यक है।

आपको जानकारी दे दें कि देश में ऐसे 36 करोड़ बैंक खाताधारक (bank account holders) हैं, जिन्होंने अपने आधार कार्ड यानी अपनी यूनिक आईडी (unique Id) को बैंक एकाउंट से लिंक किया है। ये तमाम लोग इस भुगतान सेवा (payment system) का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह तो हम आपको बता ही चुके हैं कि बैंक एकाउंट से आधार को लिंक करने के पश्चात एईपीएस से फंड ट्रांसफर, बैलेंस इंक्वायरी, कैश डिपाजिट, कैश निकालने जैसे काम आसानी से हो सकते हैं।

एईपीएस कैसे काम करता है? (How AEPS works?)

आपको बता दें दोस्तों कि एईपीएस में फिंगर प्रिंट रीडर (finger print reader) का इस्तेमाल होता है। इसकी कीमत करीब 2000 से लेकर 4000 रुपए तक होती है। इसके लिए एक साफ्टवेयर (software) की भी आवश्यकता होती है।

इसका इस्तेमाल मर्चेंट्स पेमेंट लेने के लिए कर सकते हैं। पेमेंट लेने के लिए दुकानदार के पास एक स्मार्ट फोन होना आवश्यक है। वहीं, ग्राहक महज अपने आधार कार्ड नंबर एवं बायोमीट्रिक पहचान आइरिस स्कैन, फिंगर प्रिंट के जरिए भुगतान कर सकते हैं।

बैंकिंग कारेस्पोंडेंट क्या होता है? (Who is a banking correspondent?)

हमने अभी आपको बताया कि आपको एईपीएस सिस्टम में बैंकिंग कारेस्पोंडेंट की मदद लेने की आवश्यकता होती है। आइए अब जान लेते हैं कि यह बैंकिंग कारेस्पोंडेंट क्या होता है? (Who is a banking correspondent?) दोस्तों, यह तो आप जानते ही हैं कि किसी जगह बैंक शाखा खोलने से पहले बैंक फायदे-नुकसान का पूरा गुणा-भाग करते हैं।

गांवों में कई बार शाखा खोलना उनके लिए फायदे का सौदा नहीं होता। क्योंकि गांवों की जनसंख्या कम होती है और शाखा पर लागत अधिक आती है। इसे देखते हुआ आज से करीब 16 साल पूर्व आरबीआई (RBI) ने बैंकों को दूर दराज के क्षेत्र तक बैकिंग एवं वित्तीय सेवाएं पहुंचाने के लिए बिचौलियों के रूप में सर्विस प्रोवाइडर्स का इस्तेमाल करने की सुविधा दी। इन्हें बिजनेस फेसिलिटेटर (business facilitator) अथवा बैकिंग कारेस्पोंडेंट (banking correspondent) पुकारा जाता है।

आपको यह जानकारी भी दे दें दोस्तों कि बैंकों ने गांवों की महिलाओं को बैकिंग एवं वित्तीय सेवाओं (banking and financial services) से जोड़ने के लिए बैकिंग कारेस्पोंडेंट सखी (banking correspondent sakhi) भी का भी प्रावधान किया है। वह ग्रामीणों के बैंक से वित्तीय लेन देन एवं उनकी अन्य समस्याओं का समाधान करती है। इसके लिए आवश्यक है कि महिला उसी गांव की हो, जहां उसे कार्य करना है। इस प्रकार ग्रामीण महिलाओं को रोजगार देने एवं महिलाओं की बचत को बैंक तक लाने का दोहरा लाभ बैकिंग कारेस्पोंडेंट सखी के माध्यम से प्राप्त हो रहा है।

एईपीएस की राह में क्या दुश्वारियां हैं? (What are the difficulties in the way of AEPS?)

एईपीएस (AEPS) बेशक सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, लेकिन इसकी राह में कई दुश्वारियां भी हैं। जैसे-यदि किसी क्षेत्र में नेटवर्क (network) की समस्या है तो वहां इसके चलने में दिक्कत आएगी। स्पीड स्लो (speed slow) होने की वजह से इस सेवा का लाभ ग्राहक नहीं ले सकेंगे। तीसरे यदि संबंधित क्षेत्र के ग्राहकों अथवा बीसी (BC) को एईपीएस की पूरी जानकारी नहीं तो भी वह इसका लाभ नही ले सकेंगे।

एईपीएस की फुल फार्म क्या है?

एईपीएस की फुल फार्म आधार इनेबल्ड पेमेंट सर्विस है.

एईपीएस किस प्रकार की सेवा है?

यह मूलतः एक पेमेंट सिस्टम यानी भुगतानप्रणाली/सेवा है।

इससे भुगतान के लिए किस चीज की आवश्यकता होती है?

इससे भुगतान के लिए कस्टमर के आधार नंबर एवं बायोमीट्रिक पहचान की आवश्यकता होती है।

बायोमीट्रिक पहचान किस माध्यम से की जाती है?

बायोमीट्रिक पहचान फिंगर प्रिंट अथवा आइरिस स्कैन के माध्यम से की जाती है।

क्या एईपीएस का इस्तेमाल करने के लिए आधार कार्ड का बैंक एकाउंट से लिंक होना आवश्यक है?

जी हां, इसके पश्चात ही ग्राहक एईपीएस का इस्तेमाल कर सकता है।

भारत में कितने ग्राहकों के आधार कार्ड उनके बैंक खातों से लिंक हैं?

भारत में ऐसे 36 करोड़ लोग हैं, जिनके आधार कार्ड उनके बैंक खातों से लिंक हैं।

एईपीएस का मुख्य उद्देश्य क्या है?

एईपीएस का मुख्य उद्देश्य बैकिंग से वंचित इलाकों तक बैंकिंग एवं वित्तीय सुविधाओं का लाभ पहुंचाना है।

एईपीएस को किसने विकसित किया है?

एईपीएस को एनपीसीआई यानी नेशनल पेमेंट कारपोरेशन ऑफ इंडिया ने आरबीआई एवं सदस्य बैंकों की सलाह से विकसित किया है।

एईपीएस के जरिए क्या सुविधाएं ली जा सकती हैं?

एईपीएस के जरिए कैश डिपाजिट, कैश विद्ड्राल, बैलेंस इंक्वायरी, आधार टू आधार पेमेंट जैसी सुविधाएं ली जा सकती हैं।

एईपीएस का इस्तेमाल कब मुश्किल होगा?

यदि क्षेत्र में नेटवर्क की दिक्कत है अथवा स्पीड स्लो है तो निश्चित रूप से एईपीएस का इस्तेमाल मुश्किल होगा।

क्या एईपीएस का इस्तेमाल सुरक्षित है?

जी हां, आधार कार्ड इनेबल्ड होने एवं बायोमीट्रिक पहचान जैसे फिंगर प्रिंट आदि का इस्तेमाल होने की वजह से एईपीएस पूरी तरह से सुरक्षित है।

दोस्तों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको एईपीएस से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी मुहैया कराई। उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा है तो इसे मित्रों, परिचितों के साथ अवश्य शेयर करें। इस पोस्ट के संबंध में अपने विचारों से आप हमें नीचे दिए गए कमेंट बाक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके अवगत करा सकते हैं। ।।धन्यवाद।।

प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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