धारा 11 पशु क्रूरता अधिनियम: पशुओं को प्रताड़ना से बचाने के लिए कानूनी नियम | पशुओं के कानूनी अधिकार

हमारे समाज में बहुत से लोग रहते हैं, जो अपने हिसाब से जीवन यापन करते हैं। समाज में मनुष्यों के अलावा जानवर और पक्षी भी देखे जाते हैं। प्रकृति को संतुलित करने के लिए जानवर और पक्षियों का भी खास योगदान रहता है। प्रकृति में चल रहे पारिस्थितिक तंत्र में हम एक दूसरे के ऊपर निर्भर रहते हैं और यह पशु भी इस कड़ी में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

घरेलू पशु मनुष्य के लिए हमेशा ईमानदारी बनाए रखते हैं। आपके घर में यदि गाय, कुत्ता, बकरी, भैंस, बैल आदि सभी है, तो आप देखेंगे कि वे हमेशा हमारा साथ देते हैं। हमारे कानून में भी पशुओं के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं, जिसके बलबूते ही हम इन पशुओं की रक्षा कर सकते हैं। ज्यादातर देखा जाता है कि लोगों द्वारा पशुओं को परेशान किया जाता है जबकि पशु हमारा कुछ बिगाड़ते भी नहीं। हमारी तरह पशुओं को भी हमसे प्यार की कामना रहती हैं अतः एक अच्छे नागरिक होने के नाते भी हमारा कर्तव्य है कि उनकी देखभाल की जाए।

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भारत में पशुओं के कानूनी अधिकार – Animal Rights in India

भारतीय संविधान के अनुच्छे 51(A) के मुताबिक हर जीवित प्राणी के प्रति सहानुभूति रखना भारत के हर नागरिक का मूल कर्तव्य है। पशुओं के लिए भी कुछ आवश्यक नियम दिए गए हैं –

1) पशुओं पर पशुता ना करें –

कभी किसी भी पशु को परेशान नहीं करना चाहिए। भारतीय दंड संहिता 428 और 429 के मुताबिक किसी पशुओं को जबरदस्ती मारना, अपंग करना या बेवजह दंड देने पर कानून के खिलाफ होगा। इसे अपराध के रूप में जाना जाएगा।

2) पशु को आवारा बनाना

यदि किसी पशु को जानबूझकर आवारा छोड़ दिया जाए, तो इसके खिलाफ भी सजा हो सकती है। प्रिवेंशन ऑफ क्रुएलिटी आंन एनिमल एक्ट 1960 के मुताबिक ऐसा करने पर 3 महीने की सजा हो सकती है।

3) बंदर पालना

कई बार बंदर को कैद करके उनसे नुमाइश करवाई जाती है, यह भी कानूनन अपराध माना जाता है। किसी भी पशु को बांधकर रखना भी सही नहीं माना गया है इसके खिलाफ भी सजा हो सकती है।

4) एंटी बर्थ कंट्रोल 2001

यह नियम आवारा कुत्तों के लिए है। उन्हें किसी भी अवस्था में मारना गैर कानूनी होगा। स्थानीय प्रशासन पशु कल्याण संस्था के सहयोग से आवारा कुत्तों का बर्थ कंट्रोल ऑपरेशन किया जा सकता है लेकिन उन्हें किसी भी प्रकार से नुकसान पहुंचाना बिल्कुल सही नहीं है।

5) पशुओं की उचित देखभाल

पशुओं को किसी भी चीज की कमी होना सही नहीं पाया गया है। पशुओं को हमेशा पर्याप्त भोजन, पानी, घर देना उचित होगा। किसी भी पशु को परेशान करना या उसको बांधे रखना दंडनीय अपराध है।

6) पशुओं को लड़ाना

बहुत सी जगह ऐसा देखा जाता है कि पशुओं को आपस में लड़ाया जाता है और मजे लिए जाते हैं। सिर्फ अपने मजे के लिए पशुओं को लड़ाना सही नहीं है।

7) एनिमल टेस्टिंग

कई बार देखा गया है कि बहुत सारे प्रोडक्ट या कॉस्मेटिक का इस्तेमाल पशुओं पर किया जाता है। ऐसे प्रोडक्ट का इस्तेमाल करना प्रतिबंधित किया गया है। ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स 1945 पर लागू होता है।

8) बलि पर बैन

कई बार देखा गया है कि लोग किसी अच्छे काम की खुशी में पशुओं की बलि देने लगते हैं। कई बार इसे मन्नत का नाम भी दिया जाता है लेकिन यह कानूनन अपराध है। स्लॉटर हाउस रूल्स एक के मुताबिक पशुओं को बलि देना बहुत ही गैरकानूनी माना गया है।

9) चिड़ियाघर का नियम

जब भी हम चिड़िया घर जाते हैं, तो कुछ गलत हरकतें कर बैठते हैं जैसे जानवरों को चिढ़ाना, तंग करना, पत्थर मारना ऐसी हरकतों के लिए दंडनीय अपराध है। जिसके लिए 3 साल की सजा और ₹25000 का जुर्माना हो सकता है।

10) पशुओं का परिवहन

कई बार पशुओं के परिवहन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है जिससे उन्हें असहनीय पीड़ा का एहसास होता है। उन्हें एक जगह से दूसरी जगह लाने ले जाने के लिए उपयोग किया जाता है। व्हीकल एक्ट और पीसी एक्ट के तहत ऐसा करना दंडनीय अपराध है।

पशुओं से संबंधित कानून

1). जिस प्रकार समाज में मनुष्य के साथ प्यार व अपनापन से रहा जाता है, उसी प्रकार पशुओं के प्रति भी सहानुभूति रखना आवश्यक है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51a के मुताबिक किसी भी जीवित प्राणी के प्रति सहानुभूति रखना कानूनी अधिकार है। भारतीय दंड संहिता की 428- 429 के तहत पशुओं को मारना, तंग करना कानूनी अपराध माना गया है जिसके तहत 3 साल की सजा हो सकती है।

2) पशु क्रूरता निवारण अधिनियम की धारा 22(2) के मुताबिक किसी भी जंगली जानवरों को अपने मजे के लिए प्रशिक्षित करना और उनसे अपना मनोरंजन करना गैरकानूनी माना गया है फिर भी लोग अपनी हरकतों से बाज नहीं आते। ऐसे लोगों के लिए सजा का भी प्रावधान है।

पशु व्यापार में सुप्रीम कोर्ट की रोक –

बढ़ते हुए पशु व्यापार की वजह से सुप्रीम कोर्ट में रोक लगा दी गई है। पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम नियम 1960 के तहत पशुओं पर किसी भी प्रकार का अन्याय सहन नहीं होगा। इस आदेश के बाद राजनीतिक गलियारों में उथल-पुथल मची रही। इसके अनुसार अब पशुओं को बेचना आसान नहीं होगा। पशुओं को स्लॉटर हाउस में बेचने के बजाय सरकार द्वारा चिन्हित मंडी में ही बेचे जाने का प्रावधान जारी किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के इस अध्यादेश में प्रत्येक पशु को शामिल किया गया पर इसमें भैंस को शामिल किए जाने का विरोध भी हुआ है। इस अध्यादेश के मुताबिक करने वालों पर कड़ाई की जाएगी।

पशुओं की हत्या के खिलाफ कानून

पशुओं को अपने मनोरंजन के लिए इस्तेमाल करना और उनकी हत्या करना आम बात है। आए दिन पशुओं की हत्या देखी जाती है और कई बार जानबूझकर ही उनकी हत्या कर दी जाती है। रात के सफर में कई बार पशुओं की मृत्यु किसी गाड़ी के नीचे आ जाने पर होती है, जो सही नहीं है। भारतीय वन संरक्षण अधिनियम 1971 के अनुसार किसी भी पशुओं का शिकार करना, करतब देखना, निर्मम हत्या करने जैसा जघन्य अपराध के अंतर्गत आता है।

ऐसी स्थिति में व्यक्ति को 3 साल के कठोर कारावास और ₹10000 का आर्थिक दंड देने का प्रावधान है। यदि अपराध को दोहराया जाए तो 7 साल की सजा और ₹25000 आर्थिक दंड देने का प्रावधान है। संशोधित नियम के हिसाब से ऐसे अपराध के लिए जमानत तब तक नहीं मिल सकती, जब तक अदालत को बेगुनाही के सबूत ना मिल जाएं।

जानवरों पर कॉस्मेटिक्स का भारत में प्रतिबंध

कॉस्मेटिक्स हम मनुष्यों के लिए है, ना कि जानवरों के लिए। कॉस्मेटिक के इस्तेमाल से पशुओं को नुकसान हो सकता है। 2014 से पशुओं पर कॉस्मेटिक लगाना बैन कर दिया गया था। जानवरों की त्वचा पर किसी प्रकार के रसायन के इस्तेमाल से या उन्हें कोई भी घातक दवा देना गैरकानूनी बनाता है। अपने प्रयोग के लिए कोई भी संस्थान या महाविद्यालय पशुओं को जबरदस्ती उठाकर नहीं ले जा सकते हैं यह भी कानूनन अपराध है। ऐसे अपराध को करने से बचें।

पशुओं के परिवहन संबंधी नियम

पशुओं को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में कुछ नियमों का ध्यान रखना होगा, जिससे उन्हें कम से कम नुकसान हो सके।

  • जब भी पशुओं को कहीं ले जाया जाए, तो लाल रंग के बॉक्स में भेजना होगा जिसमे पशु का नाम, रंग, पशुओं की संख्या आदि लिखी होनी चाहिए।
  •  पशुओं को कहीं भी ले जाने पर उन्हें पहली गाड़ी में ही ले जाना चाहिए। पशुओं को ज्यादा इंतजार करवाने का प्रावधान नहीं है।
  •  रेल के डिब्बे या किसी भी वाहन में स्थान कम से कम 2 वर्ग मीटर प्रति पशु होना चाहिए। ट्रक में अधिकतम 6 से 8 पशु ही ले जा सकते हैं।
  •  पशुओं को कहीं भी ले जाने पर खानपान सारी सामग्री साथ में भेजना आवश्यक है जैसे चारा, पानी आदि।
  •  पशुओं को जिस भी वाहन में ले जाया जाए, वहां पर पर्याप्त मात्रा में हवा होना चाहिए।
  • पशु चिकित्सक द्वारा इस बात का प्रमाण लेना आवश्यक है जैसे पशु को संक्रामक बीमारी ना हुई हो, उनको रोग निरोधक टीका लगा हो।

इन सभी नियमों के तहत ही पशुओं को एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है।

घर पर पशुओं की देखभाल

जब भी घर में किसी पशु को पाला जाता है, तो इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसे किसी भी तरह की परेशानी ना हो। पशु भी समाज का अभिन्न अंग है। उसे पर्याप्त मात्रा में खाना, पानी, घूमना, फिरना और प्यार देना आवश्यक है। घर में रहने वाले पशु परिवार के सदस्य की तरह ही हो जाते हैं। इसलिए हमें उनकी देखभाल तत्परता से करनी चाहिए। समय-समय पर रोगों से लड़ने के लिए टीके भी लगवाना चाहिए जिससे वह किसी भी बीमारी से ग्रसित ना होने पाए। यदि कोई मादा पशु गर्भवती हो, तो उनकी भी उचित देखभाल करें। आज के दौर में बहुत से लोग शाकाहारी होते हुए नजर आ रहे हैं जो सराहनीय और प्रशंसनीय कदम है। दूध देने वाले पशु को भी उचित आहार देना चाहिए और ज्यादा देर तक उन्हें अपने बच्चों से दूर नहीं रखना चाहिए।

इस प्रकार से पशुओं को हानि नहीं पहुंचाना चाहिए बल्कि प्यार के साथ रखना चाहिए। जब भी आप अपने घर में कोई पशु रखते हैं, तब वह स्वयं चलकर नहीं आता आप ही उसे अपने घर में लेकर आते हैं इसलिए आपकी जिम्मेदारी है कि आप हमेशा उसके साथ सही बर्ताव करें। कानून की नजर में भी पशु को प्रताड़ित करना अपराध माना गया है। कई बार लोग पशुओं को परेशान करते नजर आते हैं, ऐसे में आप ऐसे लोगों को रोक सकते हैं। पशु बोल नहीं सकते लेकिन उनके अंदर भावनाएं होती हैं। भावनाओं को समझते हुए हमें उनके साथ बुरा बर्ताव नहीं करना चाहिए। मानव हित के साथ- साथ पशु हित की बात भी सोचना सराहनीय है।

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