बैसाखी क्या है? | बैसाखी का त्यौहार कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है? | Baisakhi kya hai in Hindi

|| बैसाखी क्या है? | Baisakhi kya hai in Hindi | Baisakhi ka tyohar | Baisakhi kyu manaya jata hai, बैसाखी का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?, बैसाखी कब मनाई जाती है?, बैसाखी का क्या महत्व है?, Baisakhi kab hai ||

Baisakhi in Hindi :- भारत देश त्योहारों का देश है और यहाँ हर धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं। इसमें सभी धर्मों के अलग अलग त्यौहार होते हैं। कुछ कुछ त्यौहार तो राज्य स्तर पर या एक जाति को मानने वाले लोग भी मनाते हैं। यह भारत देश की विविधता को (Baisakhi ka tyohar) दिखाते हैं। इसी में एक त्यौहार है बैसाखी का जिसे उत्तर भारत और खासतौर पर पंजाब राज्य में प्रमुखता के साथ मनाया जाता है। वह इसलिए क्योंकि इसका सिख धर्म से खास संबंध है और यह उनके अंतिम गुरु गोबिंद सिंह जी से भी जुड़ा हुआ पर्व माना जाता है।

आखिर बैसाखी के दिन क्या हुआ था जो इसका महत्व देखते ही देखते बढ़ता चला गया। साथ ही इसके पीछे क्या मान्यता है और क्यों इसे इतनी धूमधाम के साथ मनाया जाता (Baisakhi festival in Hindi) है। इसी के साथ बैसाखी पर्व का किसानों से क्या संबंध है जो किसान इस दिन बहुत खुशी से इसे आयोजित करते हैं। तो आज के इस लेख में हम आपके सामने एक एक करके इन सभी बातों से पर्दा उठाने वाले हैं। आइए जाने बैसाखी पर्व के बारे में सब जानकारी विस्तार से।

बैसाखी क्या है? (Baisakhi in Hindi)

यह तो आप जानते ही होंगे कि बैसाखी को पंजाबियों और सिखों में मुख्य तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है और यह त्यौहार भी उन्ही से ही संबंधित होता है। किंतु इसका संबंध सिख धर्म से कैसे हुआ और इसके पीछे क्या कथा जुड़ी हुई है, इसके बारे में हम इस लेख के माध्यम से जानने की कोशिश करेंगे। तो बैसाखी एक ऐसा पर्व होता है जिस दिन सिख धर्म के अंतिम गुरु ने खालसा पंथ की स्थापना की थी और उसके तहत सिख धर्म के संरक्षण का कार्य सौंपा गया था।

बैसाखी क्या है बैसाखी का त्यौहार कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है Baisakhi kya hai in Hindi

इसी दिन सूर्य मेष राशि में भी प्रवेश करता है तो इस दिन को किसान के द्वारा भी बनाया जाता है। वह इसलिए क्योंकि इस दिन रबि की फसल भी पक कर तैयार हो चुकी होती है। तो उस रबि की फसल की कटाई की खुशी में किसान आनंद से झूम उठते हैं और यह बैसाखी का त्यौहार सेलिब्रेट करते हैं। तो इस दिन का धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व दोनों हैं।

किसानों के साथ साथ यह त्यौहार सिखों के द्वारा भी बहुत आनंद के साथ मनाया जाता है। इस दिन पंजाब में बहुत चहल पहल देखने को मिल जाती है ओर सब जगह खुशी का ही माहौल होता है। सभी गुरुद्वारों को सजा दिया जाता है और वहां पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है और गुरु ग्रंथ साहिब के आगे मत्था टेका जाता है। आइए इसके बारे में अन्य जानकारी ले लें ताकि आपको बैसाखी के बारे में पूरी जानकारी हो जाए।

बैसाखी से जुड़ा इतिहास (Baisakhi history in Hindi)

सिख धर्म की मान्यता है की इस दिन उनके अंतिम गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। अब सिखों के लिए खालसा पंथ कितना मायने रखता है यह तो आप जानते ही होंगे। यह उनके धर्म का प्रमुख अंग होता है और वे इसी का ही पालन करते हैं। अब आपका प्रश्न होगा की आखिरकार ऐसा क्या हो गया था जो गुरु गोबिंद सिंह को खालसा पंथ की स्थापना करने की जरुरत पड़ गयी थी तो इसके पीछे का कारण भी बहुत रोचक है।

दरअसल भारत देश में मुस्लिम आक्रांताओं व राजाओं के द्वारा सिख धर्म के अनुयायियों पर बहुत अत्याचार किया जा रहा था। उनके द्वारा कई सिख गुरुओं की हत्या कर दी गयी थी, उनके पुत्रों को मार दिया गया था जो लगातार होता ही जा रहा था। ऐसे में सिखों के इस दर्द को गुरु गोबिंद सिंह जी ने समझा और 13 अप्रैल को देश के सभी सिखों की एक सभा बुलाई। उस सभा में देश के ज्यादातर सभी सिख अधिकारी, नेता, प्रसिद्ध व्यक्ति सहित आम लोग आये।

उन्होंने सभी की मौजूदगी में सिख धर्म में एक नए पंथ खालसा पंथ की स्थापना करने का निर्णय लिया। इस पंथ का दायित्व था कि वे अपने साथ कुछ हथियार रखेंगे और शस्त्र विद्या लेंगे ताकि वे मुस्लिम आक्रांताओं से लड़ सके और सिख धर्म को बचा सके। यह दिन था 13 अप्रैल 1699 का और उसी दिन को खालसा पंथ की स्थापना का दिन माना जाता है। तो देशभर के सभी सिख इस दिन को बैसाखी के नाम से मनाने लगे।

बैसाखी क्यों मनाई जाती है? (Baisakhi kyu manaya jata hai)

बैसाखी का धर्म रूप से बहुत ज्यादा महत्व देखने को मिलता है। वह इसलिए क्योंकि इसका संबंध सूर्य देव जी से है। अब हर महीने सूर्य देव अपनी दिशा को चेंज करके किसी अन्य राशि में चले जाते हैं। तो जब वे अप्रैल महीने में अपनी राशि को बदलते हैं तो वह राशि मेष राशि होती है। इसलिए इसे मेष संक्राति भी बोल देते हैं। तो जब सूर्य अपनी राशि को बदल कर मेष राशि में जाते हैं तो यह धार्मिक रूप से बहुत बड़ी घटना होती है।

इस कारण चारों और लोग खुशी से झूम उठते हैं और सूर्य देव की पूजा करते हैं। उनके द्वारा सुबह सुबह जल्दी उठ कर सूर्य देव को प्रणाम किया जाता है। नहा धोकर व नए वस्त्र पहन कर सूर्य देव को जल चढ़ाया जाता है और उनकी आराधना की जाती है। इसी के साथ सूर्य देव के सामने प्रार्थना की जाती है और अपने अरिवर की मंगल कामना की जाती है।

बैसाखी का किसानों से क्या संबंध है? (Why do farmers celebrate Baisakhi)

अब आप सोचेंगे कि बैसाखी पर्व का किसानों से क्या संबंध होता है और वे इस दिन क्यों खुशी से झूम उठते हैं और आनंद से इस पर्व को मनाते हैं। तो किसानों के लिए सबसे जरुरी चीज़ क्या होती है? अब आप कहेंगे उनके लिए सबसे जरुरी चीज़ होती है उनकी फसल। तो अब देश में कब कौन सा अन्न उगेगा और उसका समय क्या होगा यह पूर्ण रूप से वहां की स्थिति पर निर्भर करता है।

तो पंजाब के किसान मुख्य रूप से रबि की फसल ही उगाते हैं और उसी पर ही उनका जीवन और आजीविका निर्भर करती है। तो इस रबि की फसल की कटाई का समय अप्रैल महीने का ही होता है। तो रबि की फसल की कटाई होने पर सभी किसान बहुत खुश होते हैं और उसी की खुशी में वे बैसाखी पर्व को मनाते हैं। तो इस तरह से बैसाखी पर्व का संबंध किसानों से भी हो जाता है जिसे सभी किसान बहुत ही आनंद के साथ मनाते हैं।

बैसाखी कब मनाई जाती है? (Baisakhi kab hai)

अब आप यह भी जानना चाहेंगे कि बैसाखी का यह पर्व हर वर्ष किस दिन को मनाया जाता है। तो यहाँ हम आपको पहले ही स्पष्ट कर दें कि इसकी दो ही तिथि होती है और यह इन दोनों में से ही किसी एक दिन को मनाया जाता है या फिर यूँ कह दें कि इन दोनों दिनों को ही बैसाखी के नाम कर दिया गया है। तो हर साल बैसाखी को 13 अप्रैल या 14 अप्रैल को ही मनाया जाता है।

चूँकि गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना 13 अप्रैल को की थी तो बैसाखी का पर्व 13 अप्रैल को मनाया जाता है। साथ ही सूर्य के द्वारा मेष राशि में प्रवेश करने का समय कभी 13 अप्रैल होता है तो कभी यह 14 अप्रैल हो जाता है तो इस तरह बैसाखी का पर्व मुख्य तौर पर 13 अप्रैल और फिर उसके बाद 14 अप्रैल को मनाया जाता है।

बैसाखी का सिखों में क्या महत्व है? (Baisakhi in Sikhism in Hindi)

अब आपने यह तो जान लिया कि बैसाखी के दिन ही सिखों के गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी जिस कारण इस धर्म में बैसाखी का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है जिसे वे सेलिब्रेट भी करते हैं। किंतु इस दिन को सिख एक वजह से और भी सेलिब्रेट करते हैं। अब वो वजह है सिखों का नया वर्ष। जी हां, सही सुना आपने। बैसाखी के दिन को सिख अपने लिए नया वर्ष भी मानते हैं।

हालाँकि आज के समय में इसे कोई नहीं मानता है और विश्वभर के लोगों के द्वारा एक जनवरी को ही नए वर्ष के रूप में माना जाता है और उसी दिन सेलिब्रेट भी किया जाता है। फिर भी सिख धर्म के लोगों के द्वारा बैसाखी पर्व की धार्मिक मान्यता को देखते हुए इस दिन को नए वर्ष के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है।

बैसाखी का त्यौहार कैसे मनाया जाता है? (Baisakhi kaise manaya jata hai)

इस दिन को सभी सिख बहुत ही आनंद और उल्लास के साथ मनाते हैं। बैसाखी से एक दिन पहले ही सभी गुरुद्वारों की अच्छे से सफाई की जाती है और उसे अच्छे से सजा दिया जाता है। इस दिन हर गुरूद्वारे में विशेष आयोजन किया जाता है और जगह जगह पर रैलियां भी निकाली जाती है। साथ ही सभी गुरूद्वारे की साज सज्जा भी देखने लायक होती है और यह हर किसी का मन मोह लेती है। इसका कारण यह होता है कि इस दिन हर सिख धर्म का अनुयायी गुरूद्वारे जाकर गुरु ग्रंथ साहिब के सामने मत्था टेकता है।

तो बैसाखी के दिन सभी सिख सुबह जल्दी उठ जाते हैं और नहा धोकर नए कपड़े पहनते हैं। साथ ही उनके द्वारा कुछ मिठाई, व्यंजन भी खरीदे जाते हैं या उन्हें घर पर ही बनाया जाता है। सभी एक दूसरे को बैसाखी की बधाई देते हैं और सोशल मीडिया पर भी उसके संदेश पोस्ट करते हैं। इस दिन गुरूद्वारे को पानी और दूध से भी साफ किया जाता है ताकि वह शुद्ध हो जाए। उस दिन भक्तों के लिए गुरुवाणी का स्पेशल पाठ भी आयोजित करवाया जाता है और स्पेशल प्रसाद का भी निर्माण होता है।

हर सिख इस दिन गुरूद्वारे जाता है और मत्था टेकता है। वह गुरु से अपनी और अपने परिवार की सलामती की दुआं मांगता है और सभी को बैसाखी की शुभकामना देता है। साथ ही सभी गुरूद्वारे में सुबह से लेकर शाम तक लंगर का आयोजन किया जाता है जिसमे कोई भी आकर खा सकता है। तो इस तरह से बड़ी ही धूमधाम के साथ बैसाखी का पर्व मनाया जाता है।

बैसाखी क्या है – Related FAQs

प्रश्न: पंजाबी में बैसाखी क्यों मनाई जाती है?

उत्तर: पंजाबी में बैसाखी इसलिए मनाई जाती है क्योंकि इस दिन सिखों के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी।

प्रश्न: बैसाखी का क्या महत्व है?

उत्तर: बैसाखी के दिन रबि की फसल कटकर तैयार हो जाती है जिस कारण इसका महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।

प्रश्न: बैसाखी पूजा कब है?

उत्तर: बैसाखी पूजा 13 या 14 अप्रैल को होती है।

प्रश्न: बैसाखी और वैसाखी में क्या अंतर है?

उत्तर: बैसाखी और वैसाखी में कोई अंतर नहीं है और यह एक ही है।

इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने बैसाखी पर्व के बारे में सारी जानकारी ले ली है। तो यदि अगली बार बैसाखी का पर्व आये तो आप भी जरुर गुरूद्वारे जाएं और वहां जाकर मत्था टेके और साथ ही सूर्य देव की उपासना करना भी ना भूले।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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