बेसल मानदंड क्या है? | बेसल मानदंड के प्रकार | Basel norms in Hindi

|| बेसल मानदंड क्या है? | Basel norms in Hindi | बेसल मानदंड के प्रकार | Basel norms types in Hindi | Basel norms 1 in Hindi | Basel 3 kya hai | कितने बेसल मानदंड हैं? ||

Basel norms in Hindi :- जिस प्रकार भारत देश में सैकड़ों तरह के बैंकों की हजारों लाखों शाखाएं काम कर रही है, ठीक उसी तरह विश्व के हरेक देश में वहां के सरकारी व निजी क्षेत्र के बैंक काम कर रहे हैं। अब उस देश की सरकार व केंद्रीय बैंक ही अपने यहाँ काम करने वाले सभी बैंकों को नियंत्रित और प्रबंधित करने का कार्य करते हैं। किन्तु तब क्या हो जब एक के बाद एक बैंक दिवालिया होने लगे या उन सभी के बीच में आपसी संबंध ही ना रहे या सभी अपनी अपनी नीतियाँ बनाने (Basel 3 norms in Hindi) लगें।

कहने का अर्थ यह हुआ कि सभी देश की नीतियाँ अलग अलग होती है और वह देश उन्हीं नीतियों के आधार पर ही चलता है। ऐसे में उस देश के बैंक को भी उन नीतियों का पालन करना होता है लेकिन कई बार देश की वह नीतियाँ ख़राब या बेकार हो सकती है। ऐसे में ख़राब नीतियों की वजह से उस देश के बैंक भी दिवालिया हो सकते हैं और नुकसान में जा सकते हैं जिस कारण पूरे देश की ही आर्थिक स्थिति खराब होने की दिशा में चली जाती (Basel norms explained in Hindi) है।

तो इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेसल मानदंड बनाये गए हैं जो बैंकों को लेकर अंतर्राष्ट्रीय नियम है। एक तरह से यह बैंक की सुरक्षा की गारंटी देने के साथ साथ उसको सुचारू रूप से चलाये रखने का भी कार्य करते हैं। तो आज के इस लेख में हम आपके साथ इन सभी तरह के बेसल मानदंड के बारे में ही बात करने जा रहे हैं। तो आइये जाने यह बेसल मानदंड क्या होते हैं और किस तरह से कार्य करते (Basel norms meaning in Hindi) हैं।

बेसल मानदंड क्या है? (Basel norms in Hindi)

आज का यह लेख बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर लिखा गया है क्योंकि यह देश सहित विदेशों की बैंकिंग प्रणाली से डायरेक्ट जुड़ा हुआ होता है। एक तरह से देखा जाए तो यह एक ऐसे नोर्म्स या मानदंड होते हैं जिनका पालन किया जाना लगभग हर बैंक फिर चाहे वह सरकारी हो या निजी, के लिए जरुरी होता है। हालाँकि यह अनिवार्य नहीं है लेकिन यदि बैंक के द्वारा इसका पालन नहीं किया जाता है तो उस पर कई तरह की पाबंदियां लगायी जा सकती है और वह अपनी साख को खो सकता (What is basel norms in Hindi) है।

Basel norms in Hindi

इन बेसल मानदंड को एक तरह से बैंकों के अंतर्राष्ट्रीय नियम भी कहा जा सकता है जो सभी देशों के बैंकों पर एक समान रूप से लागू होते हैं। इसे बेसल समिति के द्वारा बनाया गया था जिसकी स्थापना आज से लगभग 50 वर्ष पहले सन 1974 में की गयी थी। इस समय इसमें 10 देश थे जो आज बढ़कर लगभग सभी देशों तक फैल चुके हैं लेकिन इसकी पालना लगभग हर देश में की जाती है। इसे हम बेसल समझौता कहकर भी संबोधित कर सकते हैं क्योंकि यह विभिन्न देशों के बीच किया गया एक करार (Basel norms kya hai) था।

आज के समय में यदि देखा जाए तो बेसिल समिति में कुल 45 सदस्य हैं जो 28 देशों की न्यायिक प्रणाली से जुड़े हुए हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि इस बेसल समिति में अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग से संबंधित जो भी नियम बनाये गए हैं, जिनका पालन देश व्यापी स्तर पर भी होता है, उसको बनाने का कार्य यही 45 सदस्य देखते हैं और विचार विमर्श करते हैं। इसी के आधार पर ही बेसल मानदंड में किसी तरह का परिवर्तन करना है या स्थिति के अनुसार उसमें कुछ भी अपडेट करना है तो वह किया जाता (What is basel iii norms in India in Hindi) है।

अब इस बेसल मानदंड में तीन तरह के नियम हैं जिन्हें हम बेसल 1, 2 व 3 के नाम से जानते हैं। आज हम आपको इन तीनों बेसल मानदंड के बारे में तो बतायेंगे ही, साथ ही इसके बारे में अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां भी सांझा करेंगे जो एक तरह से आपका ज्ञानवर्धन करने का ही कार्य करेगी। तो आइये जाने यह बेसल मानदंड क्या होते हैं और किस तरह से कार्य करते हैं।

बेसल मानदंड के प्रकार (Basel norms types in Hindi)

अब यह तो हमने आपको पहले ही बता दिया है कि बेसल मानदंड के तहत कुछ नियमों को बनाया गया है जो सभी बैंकों पर एक समान रूप से लागू होते हैं। अब वह बैंक चाहे किसी भी देश का हो और किसी भी तरह का बैंक हो, उन सभी पर यह तीनों ही बेसल मानदंड लागू होते हैं और उसे सुचारू रूप से चलाये रखने के लिए यह बहुत जरुरी भी होते हैं। ऐसे में यह नियम कौन कौन से हैं और उनमें किस तरह की शर्तें रखी गयी है जिनका पालन किया जाना हर बैंक के लिए जरुरी हो जाता है, आइये उसके बारे में भी जान लेते हैं।

बेसल मानदंड I (Basel norms 1 in Hindi)

अब इसमें सबसे पहले आते हैं बेसल मानदंड प्रथम जिन्हें हम बेसल नोर्म्स फर्स्ट भी कह सकते हैं। यह बेसल समिति के द्वारा वर्ष 1988 में बनाया गया नियम था जो बैंक के द्वारा दिए जाने वाले कर्जे या क्रेडिट पर निर्भर था। अब बैंक के द्वारा तरह तरह के लोगों को कर्जा दिया जाता है और साथ ही उन्हें क्रेडिट कार्ड की भी सुविधा दी जाती है। इस तरह से बैंक के द्वारा उन्हें समय से पहले ही पैसा दे दिया जाता है और फिर ब्याज सहित उसे पुनः प्राप्त किया जाता है।

तो हर बैंक के द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति या कंपनी को उधार में पैसा देकर एक जोखिम भरा काम ही किया जाता है। इसके माध्यम से बैंक किसी कंपनी या व्यक्ति को अपने पास के कुल मूल्य से 8 प्रतिशत की राशि नहीं दे सकता है, यही बेसल मानदंड प्रथम में लिखा गया है। कहने का अर्थ यह हुआ कि इसके माध्यम से यह पक्का किया जाता है कि बैंक अपनी संपत्ति का 8 प्रतिशत से ज्यादा का भाग किसी एक ही व्यक्ति या कंपनी या उससे संबंधित क्षेत्रों में निवेश नहीं कर सकता है।

भारत देश के द्वारा बेसल मानदंड प्रथम के बनाये गए नियमों को वर्ष 1999 में श्रीमान अटल बिहारी बाजपेयी जी के द्वारा मान्यता दी गयी थी। उसके बाद भारत में काम कर रहे सभी बैंकों पर यह नियम लागू हो गया था जो आज तक जारी है। इस नियम के माध्यम से बेसल समिति ने बैंकों के पूजी और जोखिम वाले भाग को पक्का करने और उसे संतुलित करने का काम किया था ताकि उन्हें दिवालिया होने से बचाया जा सके।

बेसल मानदंड II (Basel norms 2 in Hindi)

बेसल समिति के द्वारा वर्ष 2004 में बेसल मानदंड प्रथम के नियमों को संशोधित कर दिया गया था और उसके बाद ही बेसल मानदंड द्वितीय की आधारशिला रखी गयी थी। कहने का अर्थ यह हुआ कि बढ़ते हुए जोखिम और सरंचनाओं और वित्तीय क्षेत्र का विस्तार होता हुआ देख बेसल समिति ने वर्तमान नियमों में कई तरह के बदलाव किये थे। उसके बाद ही बेसल मानदंड द्वितीय या बेसल नोर्म्स सेकंड को बनाया गया था। इसके अनुसार तीन चीज़ों पर बल दिया गया था जो थे बाजार, ऋण और परिचालन जोखिम।

इसके तहत बैंक को 8 प्रतिशत का जोखिम का पालन करने को तो कहा ही गया था जो उसके लिए आवश्यक भी था किन्तु इसी के साथ ही कुछ अन्य नियम भी जोड़ दिए गए थे। इसके तहत देश में काम कर रहे सभी बैंकों को वार्षिक तौर पर अपने देश के केंद्रीय बैंक के साथ सभी तरह की जरुरी जानकारी सांझा करनी होगी। इस तरह से उस देश की सरकार और केंद्रीय बैंक की अपने यहाँ के सभी बैंकों पर नज़र बनी रहेगी और वह उसी के अनुरूप ही अपनी नीतियाँ बना पाने में सक्षम होगी।

एक और नियम के अनुसार बैंकों को अपने यहाँ पर्यवेक्षण नियुक्त करने होंगे जो समय समय पर उनके यहाँ उत्पन्न होने वाले जोखिमों और खतरों पर नज़र बनाये रख सकें। इस तरह से बैंक भविष्य में उत्पन्न हो सकने वाले खतरों पर समय पूर्व ही कार्यवाही कर पाता है और सुरक्षित रहता है। हालाँकि भारत देश में बेसल मानदंड 3 के सभी नियमों को पूर्ण रूप से लागू नहीं किया गया है और कई अन्य देश भी इसे पूर्ण रूप से लागु नहीं कर पाए हैं। 

बेसल मानदंड III (Basel 3 kya hai)

यह बेसल समिति के द्वारा बनाये गए अभी तक के लेटेस्ट और अपडेटेड नियम हैं। ऐसे में सभी देशों के लिए बेसल मानदंड 1 और 2 ज्यादा मायने नहीं रखते हैं क्योंकि लेटेस्ट कानून बेसल मानदंड 3 ही है जिसका पालन किया जाना जरुरी होता है। आपको याद होगा कि वर्ष 2008 में भारत सहित पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी आयी थी और उसमे करोड़ो लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा था। बहुत से देश और बैंक दिवालिया हो गए थे और कुछ उस कगार पर थे। ऐसे में आनन फानन में बेसल समिति ने अपनी मीटिंग बुलाई थी और 2008 में आई चुनौतियों की समीक्षा कर वर्ष 2010 में बेसल मानदंड 3 घोषित किए गए थे।

इसके तहत वर्तमान नियमों को अपडेट किया गया था क्योंकि इनमें बहुत कमियां थी जो देशों की अर्थव्यवस्था को बिगाड़ने का काम कर रही थी। ऐसे में बेसल मानदंड 3 के माध्यम से इन सभी कमियों को दूर कर सही नियम बनाये गए थे। लगभग सभी तरह के बैंकों के द्वारा इन नियमों का परिपालन किया जाता है और यह उनके लिए जरुरी भी हैं। तो यह नियम कौन कौन से हैं और इनमे क्या कुछ नए नियम बनाये गए हैं, आइये उसके बारे में जानकारी ले लेते हैं।

न्यूनतम पूँजी की जरुरत

एक बैंक के द्वारा लोगों से पैसा लेकर उसे लोगों के बीच में ही कर्ज के रूप में वितरित कर दिया जाता है। अब बैंक के द्वारा इन पर मिल रहे ब्याज से ही पैसा कमाया जाता है और लाभ अर्जित किया जाता है। इसी के साथ ही बैंक के द्वारा अलग अलग क्षेत्रों में निवेश करके भी पैसा कमाया जाता है। तो बेसल मानदंड 3 के नियमों के अनुसार बैंक अपनी कुल संपत्ति में से 12.9 प्रतिशत की संपत्ति को बचाकर रखने को बाध्य होगा।

कहने का अर्थ यह हुआ कि बैंक अपने द्वारा अर्जित की गयी पूरी की पूरी संपत्ति को ही बाजार में नहीं निवेश कर सकता है क्योंकि यह बहुत ज्यादा जोखिमभरा हो जाता है। ऐसे में वह लगभग 13 प्रतिशत तक की संपत्ति या पूँजी को अपने पास सुरक्षित रखता है ताकि किसी भी अनहोनी से बचा जा सके और लोगों को उनके पैसों की भरपाई पक्की की जा सके।

उपलब्ध साधनों का अनुपात

इसे हम बैंक की उत्तोलन अनुपात भी कह सकते हैं जो 3 प्रतिशत की दर पर रखी गयी है। यह किसी भी बैंक के पास टियर 1 और टियर 2 शहरों में उसके साधनों या संपत्ति के बीच का अनुपात होता है जो उसे बनाये रखना होता है। बैंक अपने यहाँ निवेश तो कर लेता है लेकिन उसकी खुद की भी तो संपत्ति होती है।

ऐसे में उसे केवल निवेश के भरोसे ही नहीं बल्कि अपनी खुद की संपत्ति का भी अनुपात बनाये रखना होगा जो कि 3 प्रतिशत के आसपास की होगी। ऐसे में यदि वह इससे कम संपत्ति कर लेता है तो वह सीधे तौर पर बेसल मानदंड तृतीय के नियमों का उल्लंघन करता हुआ पाया जाता है।

तरलता की जरूरतें

अब बैंक को अपनी तरल संपत्तियों की भी व्यवस्था करनी होती है। कहने का अर्थ यह हुआ कि बैंक के द्वारा जहाँ कहीं भी कार्य किया जा रहा है और लोगों का पैसा लिया जा रहा है तो वह उस जगह या उसके आसपास अपनी तरल संपत्ति भी खरीदेगा। इस तरह के नियम ग्राहकों के पैसों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाये गए हैं।

पहले कई बार यह देखने में आया था कि बैंक भाग जाते हैं जिसे हम बैंक रन भी कह देते हैं। ऐसे में ग्राहक कुछ नहीं कर पाता है और सरकार भी देखती रह जाती है। इसके बाद ही बेसल मानदंड 3 के तहत यह नियम बनाया गया कि बैंक अपने काम करने के क्षेत्र में तरल संपत्तियां भी खरीदेगा ताकि बैंक रन जैसी स्थितियों को रोका जा सके।

इस तरह से समय समय पर बेसल समिति के द्वारा कई तरह के नियमों की रूपरेखा बनायी गयी थी। अब यह उस देश की सरकार पर निर्भर करता है कि वह इन बेसल मानदंड का पालन करती है या इसे स्थगित कर देती (Is basel 3 norms implemented in India in Hindi) है। भारत सरकार के द्वारा इसे 2019 तक ही माना गया था और उसके बाद इसे आने वाले वर्षों के लिए स्थगित कर दिया गया था। अब आगे यह देखना है कि इसमें किस तरह के सुधार लागू किये जाते हैं और उस पर सरकार के क्या निर्णय होते हैं।

बेसल मानदंड क्या है – Related FAQs 

प्रश्न: बेसल मानक क्या होते हैं?

उत्तर: इन बेसल मानदंड को एक तरह से बैंकों के अंतर्राष्ट्रीय नियम भी कहा जा सकता है जो सभी देशों के बैंकों पर एक समान रूप से लागू होते हैं।

प्रश्न: बेसल III मानदंडों का उद्देश्य क्या है?

उत्तर: बेसल III मानदंडों के उद्देश्य हमने ऊपर के लेख में विस्तार से बताए हैं जो आपको पढ़ने चाहिए।

प्रश्न: बेसल समझौता कब हुआ था?

उत्तर: बेसल समझौता सन 1988 में हुआ था।

प्रश्न: कितने बेसल मानदंड हैं?

उत्तर: बेसल मानदंड 3 हैं। 

प्रश्न: क्या बेसल 3 भारत में लागू है?

उत्तर: भारत सरकार के द्वारा इसे 2019 तक ही माना गया था और उसके बाद इसे आने वाले वर्षों के लिए स्थगित कर दिया गया था।

तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने बेसल मानदंड क्या है यह जान लिया है। साथ ही आपने बेसल मानदंड के प्रकारों के बारे में भी जानकारी हासिल कर ली है। आशा है कि जो जानकारी लेने के लिए आप इस लेख पर आए थे वह आपको मिल गई होगी। फिर भी यदि कोई प्रश्न आपके मन में बेसल मानदंड से संबंधित रह गया है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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