मूल वेतन क्या होता है? | मूल वेतन कुल वेतन का कितना हिस्सा होता है? | Basic salary in Hindi

|| मूल वेतन क्या होता है? | Basic salary in Hindi | What is basic pay in Hindi | मूल वेतन का अर्थ | Mul vetan ka matlab | मूल वेतन कुल वेतन का कितना हिस्सा होता है? | मूल वेतन कुल वेतन को कैसे प्रभावित करता है? | बेसिक की गणना कैसे की जाती है? ||

Basic salary in Hindi :- जब हम किसी कंपनी में नौकरी के लिए आवेदन करते हैं या फिर सरकारी परीक्षा की तैयारी कर रहे होते हैं तो हम हमेशा यही देखते हैं कि हमें एक महीने का कितना वेतन मिलेगा या फिर हमारा वार्षिक वेतन कितना होगा। प्राइवेट कंपनियों में इसे मुख्य तौर पर CTC के रूप में लिखा जाता है अर्थात उनके यहाँ काम करने वाले एक कर्मचारी को एक वर्ष का कुल कितना वेतन दिया जाता (What is basic pay in Hindi) है।

अब क्या कभी आपने गौर किया है कि आपको मिलने वाला यह वेतन क्या आपका मूल वेतन होता है? कहने का अर्थ यह हुआ कि जो आप काम कर रहे हैं उसके बदले में वह कंपनी आपको मूल वेतन के रूप में यह दे रही है? यदि आप ऐसा सोच रहे हैं तो आप गलत हैं। वह इसलिए क्योंकि ज्यादातर कंपनियों या यूँ कहें कि लगभग सभी कंपनियों के द्वारा जो वेतन मासिक या वार्षिक तौर पर दिया जाता है वह आपका कुल वेतन या नेट सैलरी होती (Basic salary meaning in Hindi) है।

इसमें से जो आपका मूल वेतन होता है वह बहुत कम होता है। ऐसे में यह मूल वेतन क्या होता है और इसे किस तरह से आँका जाता है, इसके बारे में बात करने के लिए ही तो हम यह लेख लिख रहे हैं। ऐसे में आपको यह लेख पूरा पढ़ना चाहिए ताकि आपको अपने मूल वेतन के बारे में पूरी जानकरी हो (Basic salary kya hai in Hindi) जाए।

मूल वेतन क्या होता है? (Basic salary in Hindi)

यहाँ हम मूल वेतन का अर्थ और परिभाषा के बारे में समझने के लिए आये हैं। दरअसल आज के समय में लगभग हर कंपनी बहुत ही ज्यादा आधुनिक और स्मार्ट हो गयी है। भारत सरकार और रज्य सरकार तो अपने अधीन कर्मचारियों और अधिकारियों को उनका मूल वेतन अलग से देती है और फिर उसमें उनके अन्य दैनिक या मासिक भत्ते जोड़कर वह अलग देती है। किन्तु प्राइवेट कंपनियों के द्वारा यह सभी तरह के भत्ते कर्मचारी की सैलरी में ही जोड़ दिए जाते (Basic salary kya hoti hai) हैं। 

Basic salary in Hindi

हालाँकि यह कोई गलत काम नहीं है और हर कंपनी यही करती है, फिर चाहे वह छोटी कंपनी हो या बड़ी लेकिन किसी किसी कर्मचारी को यह लगता है कि उन्हें उनके काम के बदले में यह वेतन मिल रहा है जो कि गलत है। जितना वेतन आप अपनी कंपनी से काम के बदले में ले रहे हैं, असलियत में तो वह उसका आधा भी नहीं होता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि यदि आप अपनी कंपनी से एक लाख रुपये मासिक सैलरी ले रहे हैं तो उसमें से आपके काम करने का वेतन 50 हज़ार से भी कम का (Basic income kya hai) होगा।

ऐसे में मूल वेतन का हिस्सा बहुत कम होता है जबकि बाकि का हिस्सा आपको आपकी कंपनी गुजरा भत्ते करने और रहने के किराये के रूप में देती है। कहने का अर्थ यह हुआ कि आपके मासिक वेतन में आपकी कंपनी के द्वारा आपको रहने का किराया, स्पेशल allowance सहित कई अन्य तरह के भत्ते शामिल करके दिए जाते हैं। इसमें महंगाई भत्ता तथा अन्य कई तरह के खर्चे शामिल हो सकते हैं और इन सभी को ही आपके मूल वेतन में मिलाकर सैलरी तैयार की जाती (What is basic salary in Hindi) है।

इसके बारे में बेहतर तरीके से समझने के लिए आप अपनी कंपनी से हर महीने की सैलरी स्लिप माँग सकते हैं। वैसे तो हर कंपनी अपने कर्मचारियों को महीने के अंत में या नए महीने की शुरुआत में पिछले महीने की सैलरी स्लिप भेजती है लेकिन यदि आपकी नहीं भेजती है तो यह आपका अधिकार है कि आप उनसे सैलरी स्लिप की माँग कर सकते हैं। तो इसी सैलरी स्लिप में ही इस तरह के सभी भत्ते और मूल वेतन लिखा हुआ होता है जिससे आपको पता चल जाएगा कि आपका मूल वेतन कितना (Basic salary kya hai) है।

मूल वेतन का अर्थ (Mul vetan ka matlab)

अभी भी यदि आप मूल वेतन के अर्थ को लेकर आशंकित हैं तो हम विस्तार से आपको इसका अर्थ समझा देते हैं। तो आप जिस भी कंपनी में काम कर रहे हैं और आप सप्ताह में 6 दिन काम करते हैं या 5 दिन, आप दिन के 7 घंटे कम करते हैं या 10 घंटे। आपके काम करने के बदले में वह कंपनी आपको वेतन देती है। वह वेतन केवल और केवल आपके काम करने के आधार पर दिया जाता है।

ऐसे में कंपनी के द्वारा अपने कर्मचारियों को काम करने के घंटे और दिनों के अनुसार जो वेतन दिया जाता है, उसे ही हम मूल वेतन कहते हैं। अब आपको मूल वेतन के अलावा जो बाकि रूपया अपनी कंपनी से मिलता है, वह रूपया उसे भारत सरकार के द्वारा बनाये गये नियमों के तहत देना होता (Basic salary meaning in Hindi) है। भारत सरकार के नियमों के अनुसार सभी कंपनियां अपने अधीन काम कर रहे कर्मचारियों को मासिक आधार पर रहने का किराया, महंगाई भत्ता तथा अन्य जरुरी भत्ते दिया करेगी।

इसी कारण सभी कंपनियों के द्वारा कर्मचारियों को यह सब जोड़कर उनके वेतन में दिया जाता है। अब कंपनियां क्या करती है कि वे कर्मचारियों के इसी मूल वेतन को कम कर देती है ताकि जब उसमें अन्य भत्ते जोड़े जाएं तो उसे उतने ही रुपये देने पड़े जो वह इन भत्तों को हटाकर देना चाह रही थी। ऐसे में आपको अपना मूल वेतन जान लेना चाहिए जो कंपनी आपको आपके काम के आधार पर उतना ही रूपया देती है।

मूल वेतन को और क्या कहते हैं? (Basic salary other name in Hindi)

बहुत से लोग मूल वेतन के बारे में तो नहीं जानते होंगे लेकिन उन्होंने इसका अंग्रेजी नाम अवश्य सुन रखा होगा। तो मूल वेतन को अंग्रेजी भाषा में बेसिक सैलरी के नाम से जाना जाता है। ऐसे में आपकी कंपनी के द्वारा जो सैलरी स्लिप भेजी जाएगी तो उसमें भी मूल वेतन को बेसिक सैलरी करके लिखा होगा। अब इसमें बेसिक का अर्थ मूल से ही होता है तो वहीं सैलरी का अर्थ वेतन से होता है।

बहुत जगह बेसिक सैलरी को बेसिक वेतन भी कह दिया जाता है। ऐसे में यदि कोई आपको मूल वेतन और बेसिक सैलरी में उलझाने की कोशिश करे तो आप भ्रमित मत होइएगा क्योंकि यह दोनों एक ही बला के नाम है। तो याद कर लीजिये मूल वेतन ही बेसिक सैलरी है और बेसिक सैलरी ही मूल वेतन है।

मूल वेतन कुल वेतन का कितना हिस्सा होता है? (Basic salary percentage of net salary in Hindi)

अब आपको यह भी जान लेना चाहिए कि आखिरकार आपकी कुल सैलरी में कितना प्रतिशत का हिस्सा मूल वेतन का होता है। तो मूल वेतन क्या होता है या मूल वेतन का क्या अर्थ है, यह तो आपने जान ही लिया है लेकिन जो आपको महीने के तौर पर वेतन मिल रहा है, उसमें से मूल वेतन का हिस्सा कितने प्रतिशत का होता है। तो यदि आप कहीं पर भी या किसी के वेतन पर भी नज़र घुमाकर देखेंगे तो पाएंगे कि कंपनियों के द्वारा कुल वेतन का लगभग 40 से 50 प्रतिशत का हिस्सा मूल वेतन के तौर पर रखा जाता है।

कहने का अर्थ यह हुआ कि यदि आपका वेतन एक लाख रुपये है तो उसमें से 40 से 50 हज़ार रुपये ही आपको अपने काम करने के बदले में मूल वेतन के रूप में मिल रहे हैं। बाकि का 50 से 60 हज़ार रूपया आपकी कंपनी आपको तरह तरह के भत्तों के रूप में दे रही है। इस तरह से हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि हमारी कुल सैलरी में से बेसिक सैलरी कितनी होगी।

मूल वेतन कुल वेतन को कैसे प्रभावित करता है?

अब आपको यह भी जान लेना चाहिए कि जो आपका मूल वेतन है वह किस तरह से आपके बाकि के वेतन को या कुल वेतन को प्रभावित करता है। तो भारत सरकार ने यह भी नियम बनाया है कि कंपनी को अपने यहाँ काम कर रहे कर्मचारियों को उनके मूल वेतन के अनुसार ही घर का किराया, महंगाई भत्ता इत्यादि अन्य भत्ते देने होंगे। एक तरह से भारत सरकार का ही नियम है कि किसी भी कर्मचारी का जो मूल वेतन होगा वह उसके कुल वेतन का 40 से 50 प्रतिशत तक का होगा।

तो इस तरह से यदि किसी कर्मचारी का मूल वेतन 40 हज़ार है तो कंपनी उसे 10 से 20 हज़ार रुपये का भत्ता नहीं दे सकती है क्योंकि वह मूल वेतन से ज्यादा होना चाहिए। ऐसे में कंपनी को उसे 50 हज़ार के आसपास ही महंगाई भत्ता सहित अन्य भत्ते देने होंगे। ठीक उसी तरह यदि किसी कर्मचारी का मूल वेतन ही 15 हज़ार है तो कंपनी भी उसे 15 से 20 हज़ार रुपये का ही भत्ता देगी।

इस तरह से देखा जाए तो हमारा मूल वेतन ही हमारी कुल सैलरी को प्रभावित कर रहा होता है। जितना हमारा मूल वेतन होगा उससे कुछ ज्यादा ही हमें भत्तों के रूप में मिला करेंगे। तो इस तरह से हम मूल वेतन को 40 से 50 प्रतिशत का हिस्सा मान सकते हैं तो वहीं भत्तों को 50 से 60 प्रतिशत के हिस्से के रूप में देख सकते हैं। यही हमारा कुल वेतन होता है जो हमें कंपनी से मिलता है।

मूल वेतन कैसे बढ़ सकता है?

अंत में आप यह भी जान लें कि किस तरह से आप अपना मूल वेतन बढ़वा सकते हैं या कंपनी को ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। तो इसके लिए एक तरीका होता है हर वर्ष होने वाले वेतन वृद्धि का। तो ज्यादातर कंपनियों के द्वारा हर वर्ष या वित्तीय वर्ष की शुरुआत में अपने हरेक कर्मचारी के काम की समीक्षा की जाती है और फिर उसके अनुसार ही उनके वेतन में वृद्धि की जाती है। तो आप भी बढ़ चढ़ कर काम करें और अपना मूल वेतन बढ़वा लीजिये।

इसके अलावा समय समय पर कंपनियों के द्वारा अपने किसी किसी कर्मचारी का उसके काम के आधार पर प्रोमोशन किया जाता है जिसमें से एक आप भी हो सकते हैं। तो इस कारण भी आपके मूल वेतन में वृद्धि संभव है। अब कई बार यह देखने में आता है कि कंपनी में किसी समय ज्यादा काम आ जाता है और उसके लिए वह अपने अधीन काम कर रहे कर्मचारियों से उनकी वर्क शिफ्ट खत्म होने के बाद भी काम लेती है।

इस स्थिति में वह कंपनी आपको काम करने के अतिरिक्त घंटों के अनुसार या फिर छुट्टी वाले दिन काम करने के अनुसार मूल वेतन में वृद्धि करके देती है। तो आप ओवर टाइम करके या छुट्टी वाले दिन काम करके भी मूल वेतन से ज्यादा वेतन ले सकते हैं।

मूल वेतन क्या होता है – Related FAQs 

प्रश्न: बेसिक सैलरी क्या होती है?

उत्तर:बेसिक सैलरी को हिंदी में मूल वेतन कहा जाता है जिसके बारे में संपूर्ण जानकारी को हमने इस लेख के माध्यम से देने का प्रयास किया है।

प्रश्न: बेसिक पे को हिंदी में क्या कहते हैं?

उत्तर: बेसिक पे को हिंदी में मूल वेतन कहा जाता है।

प्रश्न: मूल वेतन का मतलब क्या होता है?

उत्तर: कंपनी के द्वारा अपने कर्मचारियों को काम करने के घंटे और दिनों के अनुसार जो वेतन दिया जाता है, उसे ही हम मूल वेतन कहते हैं।

प्रश्न: बेसिक की गणना कैसे की जाती है?

उत्तर: मूल वेतन = कुल वेतन – भत्ता 

प्रश्न: बेसिक और नेट सैलरी में क्या अंतर है?

उत्तर: बेसिक सैलरी और नेट सैलरी के बारे में ऊपर का लेख पढ़ कर आपको पूरी जानकारी मिल जाएगी।

तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने मूल वेतन के बारे में जानकारी हासिल कर ली है। आपने जाना कि मूल वेतन क्या होता है मूल वेतन कुल वेतन का कितना प्रतिशत हिस्सा होता है मूल वेतन कुल वेतन को कैसे प्रभावित करता है इत्यादि। आशा है कि जो जानने के लिए आप इस लेख पर आए थे वह जानकारी आपको मिल गई होगी। यदि कोई शंका आपके मन में शेष रह गई है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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