|| बट्टा खाता क्या है? | Batta Khata kya hai | Batta Khata ka matlab kya hai | एक आदमी कितने अकाउंट खुला सकता है? | Batta Khata Hota hai | बट्टा खाता में पैसे डालने के कारण | बैंक का बट्टा खाता क्या होता है? ||
Batta Khata kya hai :- आपने विजय माल्या, नीरव मोदी और ऐसे ही कई उद्योगपतियों के नाम सुने होंगे जो देश के बैंकों को अरबो करोड़ो रुपयों का चुना लगा कर विदेश भाग गए। अब बैंकों को उनसे पैसों की वसूली करने के लिए बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही है। लेकिन यह हम सभी जानते हैं कि उनसे पैसा वसूलना या वापस प्राप्त करना ना के बराबर ही है। तो ऐसे (Batta Khata kya hota hai) केवल वही उद्योगपति ही नहीं है जो देश के बैंकों को चुना लगाने का प्रयास करते हैं बल्कि आपको ऐसे कई छोटे बड़े लोग मिल जाएंगे जो बैंकों को चुना लगा देते हैं।
तो ऐसे में एक शब्द प्रचलन में आता है और वह होता है बट्टा खाता। देश की संसद में कई बार इसको लेकर हंगामा होते हुए भी देखा गया है क्योंकि इससे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से देश (Batta Khata ka matlab kya hai) को ही नुकसान हो रहा होता है। तो यदि आप भी इस बट्टा खाता के बारे में जानना चाहते हैं तो आज के इस (What is Batta Khata in Hindi) लेख में आपको वही जानने को मिलेगा। आज हम आपके साथ बट्टा खाता क्या होता है और इसको कैसे परिभाषित किया जा सकता है, इसके बारे में ही चर्चा करने वाले हैं।
बट्टा खाता क्या है? (Batta Khata kya hai)
यहाँ हम यह जानने आये हैं कि यह बट्टा खाता होता क्या है और इससे हमारा क्या तात्पर्य है। तो यह पूर्ण रूप से बैंक के द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली भाषा होती है जिसके तहत उनके द्वारा बैंक की व्यवस्था को फिर से सुचारू रूप से चलाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि बैंक को हर वित्तीय वर्ष में ऐसे लोगों से जूझना पड़ता है जो उनसे लिया हुआ कर्ज उन्हें वापस नहीं लौटाते हैं। अब ऐसे में बैंक एक सीमा तक उसकी प्रतीक्षा करती है या उनसे पैसे वापस लेने का प्रयास करती है लेकिन जब वह नहीं होता है तो उसे बट्टा खाता में डाल दिया जाता है।
अब किसी के लिए कर्ज को सीधे ही बट्टा खाता में डाल दिया जाए तो ऐसा नहीं होता है। दरअसल इसकी एक लंबी प्रक्रिया होती है और उसके बाद ही किसी कर्ज की राशि को बट्टा खाता में डालने की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाती है। तो उसके लिए आपको पहले बट्टा खाते के बारे में समझना होगा क्योंकि बट्टा खाते के बारे में जानने के लिए पहले यह जानना जरुरी है कि आखिरकार यह बट्टा खाता क्या होता है।
NPA क्या है? (NPA kya hai)
NPA की फुल फॉर्म नॉन परफोर्मिंग एसेट (Non Performing Asset) होती है। यह बैंकों के कामकाज में इस्तेमाल होने वाला प्रमुख शब्द होता है। इससे पहले आपको यह जानना होगा कि एक बैंक के द्वारा कमाई कैसे की जाती है? अब बैंक में आप या हम अपना खाता खुलवाते हैं तो बैंक उसके तहत कई तरह की सुविधा हमें देता है लेकिन उसे हमसे (NPA full form in Hindi) क्या ही कमाई होगी? वह तो हमें पैसा रखने के बदले में ब्याज देता है।
तो बैंकों के द्वारा आपके या हमारे द्वारा जो पैसा अपने खाते में जमा करवाया जाता है, वह पैसे बैंक अन्य व्यक्तियों को लोन पर देता है और उन पर लगने वाले ब्याज (NPA ka kya matlab hai) से पैसा कमाता है। भारतीय रिज़र्व बैंक के दिशा निर्देशों के अनुसार बैंक अपनी कुल राशि में से 77.5 प्रतिशत की राशि को कर्ज पर दे सकता है, उससे ज्यादा नहीं। तो बैंक से कर्ज आप भी लेते होंगे, गरीब वर्ग के लोग भी और बड़े बड़े उद्योगपति भी। बैंक सभी की अच्छे से जांच पड़ताल करने के बाद उस व्यक्ति, संस्था, कंपनी, व्यापार इत्यादि को लोन की राशि जारी कर देता है।
अब जब हम बैंक से लोन ले लेते हैं तो हमें हर महीने उसकी एक निश्चित किश्त का भुगतान करना होता है। इसे हम मासिक किश्त के नाम से जानते हैं जो हर महीने के अंत में या शुरुआत में कट जाती है या फिर कटवानी पड़ती है। तो अब यदि किसी व्यक्ति, संस्था, कंपनी या उद्योग के द्वारा बैंक से लिए गए कर्जे की किश्त को 90 दिनों तक लगातार नहीं भरा जाए या फिर तीन किश्ते लगातार ना चुकाई जाए तो बैंक उस कर्ज को NPA खाते में डाल देता है।
अब NPA खाते का मतलब होता है बैंक के द्वारा दिया गया ऐसा कर्जा जो काम नहीं कर रहा है या जहाँ से पैसा नहीं आ पा रहा है। इस सूची में डालने के बाद बैंक के अधिकारी उस कर्जे को वापस पाने की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं और उसके तहत कई तरह की कार्यवाही की जाती है किंतु बहुत बार यह देखने को मिलता है कि जब कर्जे की रकम बहुत ज्यादा होती है या सामने वाला व्यक्ति प्रभावशाली होता है तो बैंक को उस कर्ज को वसूलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में NPA खाते को भी तीन भागों में विभाजित किया जाता है।
NPA के प्रकार (NPA types in Hindi)
अब आपने यह तो जान लिया की NPA क्या होता है और क्यों कोई बैंक किसी कर्ज की राशि को NPA में डाल देता है किंतु अब आपको उसके (NPA ke prakar) तीनो प्रकारों के बारे में भी जान लेना चाहिए जिससे आपको NPA के बारे में जानने को मिलेगा। तो आइए जाने NPA के तीनो प्रकारों के बारे में।
सब स्टैण्डर्ड एसेट (Sub Standard Asset)
किसी व्यक्ति या उद्योग के द्वारा बैंक की लगातार तीन किश्ते नहीं चुकाने पर उसका खाता NPA घोषित कर दिया जाता है। अब यदि NPA घोषित होने के बाद भी उस व्यक्ति का खाता लगातार 12 महीनो तक NPA में ही बना रहता है अर्थात उस व्यक्ति के द्वारा अपने कर्ज की लगातार 15 किश्ते नहीं चुकाई जाती है तो इस स्थिति में उस NPA को सब स्टैण्डर्ड एसेट में डाल दिया जाता है।
डाउटफुल एसेट (Doubtful Asset)
अब बैंक के द्वारा जिस NPA को सब स्टैण्डर्ड एसेट का दर्जा दिया गया था, वह सब स्टैण्डर्ड एसेट बनने के बाद भी 12 महीने तक निष्क्रिय बना रहे या उसके द्वारा किसी तरह की किश्त का भुगतान ना किया जाए तो फिर उसे डाउटफुल एसेट में डाल दिया जाता है। इस तरह उस व्यक्ति के द्वारा 27 किश्तों का या 27 महीनो तक लगातार अपनी कर्ज की राशि का भुगतान नहीं किया है।
लोस एसेट (Loss Asset or Account)
लोस एसेट या लोस अकाउंट में उन खातो को डाला जाता है जिनसे बैंक को किसी तरह की उम्मीद ही नहीं बचती है। अब यदि किसी खाते को डाउटफुल एसेट में डाल दिया गया है और फिर भी उससे पैसों की भरपाई नहीं हो रही है या फिर उसके बदले में बहुत ही कम राशि का भुगतान हुआ है या वापस मिली है तो बैंक उस खाते को लोस खाते में डाल देता है।
बट्टा खाता क्या होता है? (Batta Khata kya hota hai)
अब जब आपने NPA और उसके प्रकारों के बारे में विस्तार से जान लिया है तो अब बात करते है बट्टा खाता के बारे में। बट्टा खाता के बारे में अच्छे से समझने के लिए आपका NPA के तीनो प्रकारों के बारे में समझना आवश्यक था क्योंकि बट्टा खाता बनने की प्रक्रिया इन्हीं से होकर गुजरती है। किसी खाते या एसेट को लोस एसेट बनाए जाने के बाद ही बैंक उसे बट्टा खाता में डालने का निर्णय लेता है।
तो यदि बैंक के द्वारा दिए गए कर्ज को एक लंबा समय हो चुका है और वहां से कर्ज की राशि का भुगतान नहीं हो पा रहा है और उस बात को 4 वर्ष से अधिक का समय हो गया है तो ऐसी स्थिति में वह खाता अपने आप ही लोस एसेट तो बन जाता है लेकिन उसके बाद क्या? उसके बाद क्या बैंक हमेशा ही उस खाते पर नज़र बनाए रखेगा और अपनी बेइज्जती करवाता रहेगा?
यदि आप ऐसा सोच रहे हैं तो आप गलत है। यदि किसी (Batta Khata meaning in Hindi) खाते को NPA बने हुए 4 वर्ष का समय हो चुका है और वह पहले से ही लोस एसेट की श्रेणी में हैं तो बैंक के अधिकारी के द्वारा बैलेंस शीट को सही करने के लिए उस खाते को बट्टा खाते में डाल दिया जाता है। इस तरह से वह राशि या लिया गया कर्ज बट्टा खाते में चला जाता है।
क्या बट्टा खाते में डाला गया पैसा माफ हो जाता है?
यदि आप सोच रहे हैं कि बैंक के द्वारा किसी व्यक्ति या उद्योग को दिए गए पैसों को बट्टा खाते में डाल दिया जाए तो मान लीजिए उसका कर्ज माफ हो गया और अब बैंक उससे वसूली नहीं करेगा तो ऐसा नहीं है। बैंक के द्वारा उसके बाद भी उस व्यक्ति से पैसा वसूलने की प्रक्रिया जारी रखी जाती है और इसके लिए भरसक प्रयास भी किये जाते हैं। बैंकों के पास उस व्यक्ति से कर्ज की राशि वापस लेने के लिए न्यायालय, ट्रिब्यूनल इत्यादि कई चीज़ों का सहारा लिया जाता है।
फिर भी यहाँ हम एक बात स्पष्ट कर दे कि यदि किसी खाते को बट्टा खाते में डाल दिया जाता है तो वहां से पैसा मिलने की संभावना ना के ही बराबर होती है। वह इसलिए क्योंकि एक बहुत ही लंबी प्रक्रिया के बाद ही उस खाते को बट्टा खाते में डाला जाता है जिसके बारे में हमने आपको ऊपर बताया है। तो जब बैंक 4 वर्षों तक उस व्यक्ति से अपना कर्ज नहीं वसूल पाया तो फिर अब क्या ही ले लेगा।
बट्टा खाता में पैसे डालने के कारण
किसी बैंक के द्वारा दी गयी कर्ज की राशि वापस ना आने पर उसे बट्टा खाते में डालने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं? आखिरकार किसी बैंक के द्वारा इस तरह का कदम उठाया ही क्यों जाता है कि उसे उस कर्ज को बट्टा खाता में डालना पड़ जाए। तो इसके पीछे एक नहीं बल्कि कई कारण होते हैं जिनका जानना आपके लिए जरुरी हो जाता है। अब हम एक एक करके आपके सामने उन्ही कारणों को रखेंगे ताकि आप यह जान सके कि आखिरकार इसके पीछे की असली वजह क्या हो सकती है।
- जब बैंक को लगता है कि सामने वाला व्यक्ति अत्यधिक शक्तिशाली है या उसके बहुत सारे संपर्क है तो बैंकों के द्वारा उस व्यक्ति से पंगा मोल लेने की बजाए उसके द्वारा ली गयी कर्ज की राशि को बट्टा खाते में डालना ही उचित समझा जाता है।
- अब इस देश में हर 5 वर्ष में एक बार लोकसभा का चुनाव होता है और उस चुनाव के बाद देश की सता में परिवर्तन देखने को मिलता है। इसके साथ ही समय समय पर कभी किसी राज्य में तो कभी किसी राज्य में चुनाव देखने को मिलता है। तो ऐसे व्यक्ति जिनका राजनीतिक संबंध मजबूत होता है या जो सत्ता पक्ष की पार्टी में होते हैं या उन्हें फण्ड करते हैं तो उनका कर्ज भी बट्टा खाता में डाला जाना बैंक की विवशता होती है।
- जिस व्यक्ति या कंपनी के द्वारा बैंक से लोन लिया जाता है वह न्यायालय में अपने आप को दिवालिया घोषित करने में सफल हो जाता है। इस स्थिति में बैंक उस व्यक्ति से किसी भी स्थिति में कर्जा वसूल करने की शक्ति नही रखती है तो बैंक के द्वारा उस व्यक्ति का खाता बट्टा खाता बना दिया जाता है।
- बैंक को अपनी बैलेंस शीट भी क्लीन करके रखनी होती है क्योंकि कर्ज की ना आ सकने वाली राशि उसकी छवि को नुकसान पहुंचाती है और उसकी प्रक्रिया भी धीमी होती है। ऐसे स्थिति में अपनी बैलेंस शीट को मेन्टेन करने के लिए भी बैंक ना आ सकने वाली राशि को बट्टा खाते में डाल देता है।
- बैंक के द्वारा बट्टा खाता बना दिए जाने के बाद उसे कर्ज में भी कुछ छूट मिल जाती है क्योंकि सरकार की नज़र में उसका इतना नुकसान हुआ होता है। तो कर्ज में छूट पाने के लिए भी बैंक उन खातो को बट्टा खाते में परिवर्तित कर देते हैं।
इसके अलावा भी कई तरह के कारण होते हैं जिनके कारण बैंक को अपने द्वारा दिए गए कर्ज की राशि को बट्टा खाता में डालना पड़ता है। हालाँकि यदि बैंक कर्ज देते समय थोड़ी सावधानी बरतें और आँख बंद करके कर्जा ना दे तो यह समस्या सुलझ सकती है। खासतौर पर बैंक को तब ध्यान रखना चाहिए जब वह किसी बड़े व्यक्ति को कर्ज पर बड़ी राशि देने जा रहा होता है।
पिछले 5 वर्षों में सरकारी बैंकों का बट्टा खाता
अब हम आपके सामने कुछ ऐसे आंकड़े रखने जा रहे हैं जिन्हें जानकर आप हैरान रह जाएंगे। आपको लगता होगा कि इस देश का पैसा लेकर केवल कुछ चुनिंदा लोग ही विदेश भागे हैं जबकि ऐसा नहीं है। ऐसे बहुत से लोग है जो इस देश में भी रह रहे हैं लेकिन वे अपने द्वारा लिए गए कर्ज को वापस नहीं चुका रहे हैं। ऐसे बहुत से लोगों का लिया गया कर्जा सरकारी बैंकों के द्वारा हर वर्ष बट्टा खाते में डाल दिया जाता है। तो उसी के कुछ आंकड़े इस प्रकार है:
- 2017-18 – 1.61 लाख करोड़
- 2018-19 – 2.36 लाख करोड़
- 2019-20 – 2.34 लाख करोड़
- 2020-21 – 2.02 लाख करोड़
- 2021-22 – 1.57 लाख करोड़
इस तरह से आप यह समझ सकते हैं कि हर वर्ष देश को इन बट्टे खातों से कितना नुकसान झेलना पड़ रहा है। इसके अलावा प्राइवेट बैंकों को होने वाला नुकसान अलग है किंतु सरकारी बैंक को जो भी नुकसान हो रहा है वह पूर्ण रूप से देश को होने वाला नुकसान होता है। इसलिए यदि बैंक के अधिकारी सही तरीके से काम करेंगे तो बट्टा खाता के तहत होने वाले नुकसान को बहुत हद्द तक कम किया जा सकता है।
बट्टा खाता क्या होता है – Related FAQs
प्रश्न: बैंक का बट्टा खाता क्या होता है?
उत्तर: बैंक का बट्टा खाते का मतलब होता है जिस कर्ज को वापस नहीं लिया जा सकता है और अब उसमे लोस हो चुका है।
प्रश्न: बिना पैसे वाला बैंक खाता कब तक खुला रहता है?
उत्तर: इसके लिए विभिन्न बैंकों में अलग अलग नियम निर्धारित होते हैं। किसी में यह अवधि एक वर्ष होती है तो किसी में 5 वर्ष तो किसी में इससे ज्यादा या कम भी हो सकती है।
प्रश्न: एक आदमी कितने अकाउंट खुला सकता है?
उत्तर: एक आदमी कितने भी अकाउंट खुला सकता है फिर चाहे वह एक हो या दस।
प्रश्न: एक आदमी कितने बैंक में खाता खुल सकता है?
उत्तर: एक आदमी सभी बैंक में खाता खुला सकता है।
तो इस तरह से आज के इस लेख में आपने बट्टा खाता के बारे में पूरी जानकारी ले ली है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि पिछले 5 वर्षों में ही देश के सरकारी बैंकों के द्वारा बट्टा खाता में डाली गयी राशि की अनुमानित कीमत अरबों करोड़ों रुपयों में हैं। इसी से आप यह अनुमान लगा सकते हैं कि बैंकों के द्वारा किस तरह से आँख बंद करके कर्जा दे दिया जाता है और फिर उनसे पैसा वापस ना पाने की स्थिति में उस खाते को बट्टा खाता में डाल दिया जाता है।