|| भारत में कितने प्रकार के चुनाव होते हैं? | Bharat me kitne prakar ke chunav hote hai | Rajya sabha me kitne sadasya hote hai | Vidhan sabha me kitni seat hai | Vidhan parishad ke chunav | Nagar nigam chunav kya hota hai ||
Bharat me kitne prakar ke chunav hote hai :- हमारे भारत देश में समय समय पर कोई ना कोई चुनाव होते ही रहते हैं जिनमे सांसदों व विधायक के चुनाव प्रमुख होते हैं। अब एक ही राज्य में कभी कोई चुनाव आ जाता है तो कभी कोई (Types of election in India in Hindi) चुनाव। आपके राज्य में चुनाव नहीं भी है तो किसी अन्य राज्य में कोई ना कोई चुनाव आ जाता है और हर चुनाव के द्वारा कुछ जनप्रतिनिधियों को जनता का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना जाता है।
ऐसे में यदि आप भारतीय चुनावी व्यवस्था के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं और यह देखना चाहते हैं कि कितने तरह के चुनाव भारत में होते हैं तो आज हम उसी के बारे में ही चर्चा करने वाले (Bharat me kitne prakar ke chunav hote hai) हैं। आज के इस लेख को पढ़ कर आपको यह ज्ञात हो जायेगा कि भारत में कितने तरह के चुनाव होते हैं और उनमे किन किन चुनावो में प्रजा की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है, आइये जाने।
भारत देश राज्यों व केंद्र का मिला हुआ एक संघीय ढांचा है जिसमें प्रत्येक जिले या ब्लॉक या राज्य के अनुसार एक चुनावी प्रक्रिया संपन्न करवायी जाती (Types of election system in Hindi) है। इसमें देशव्यापी स्तर पर दो चुनाव संपन्न करवाए जाते हैं जिनमें एक में प्रजा की प्रत्यक्ष भागीदारी होती है तो दूसरे में अप्रत्यक्ष रूप से। वहीं राज्य स्तर पर भी दो तरह के चुनाव संपन्न करवाए जाते हैं जिनमें एक में जनता की प्रत्यक्ष व दूसरे में अप्रत्यक्ष भागीदारी होती है। किन्तु दूसरी तरह का चुनाव हर राज्य में नही होता है।
वहीं तीसरी तरह के चुनाव हरेक राज्य में स्थानीय स्तर पर होते हैं जिन्हें चार अलग अलग भागों में विभाजित किया गया होता है। इसमें प्रत्येक क्षेत्र को उसके आकार और जनसँख्या के घनत्व के अनुसार बांटा गया होता है और उसी को देखते हुए ही चुनावी प्रक्रिया को संपन्न करवाया जाता है। अब हम एक एक करके क्रमानुसार इन सभी चुनावो के बारे में जानेंगे।
लोकसभा
देशव्यापी स्तर पर जो चुनाव सबसे बड़े व महत्वपूर्ण होते हैं वह होते हैं लोकसभा के चुनाव। एक तरह से कहा जाए तो इन्हीं चुनावों के माध्यम से ही देश की दशा व दिशा तय होती है। तो देश की लोकसभा में देश के हरेक राज्य व क्षेत्र से चुने गए सांसदों को बिठाया जाता (Loksabha me kitne sadasya hote hai) है। वर्तमान समय में देश में कुल 543 लोकसभा सांसदों की संख्या या सीट है जिनके अधिकार क्षेत्र भिन्न भिन्न होते हैं।
कहने का अर्थ यह हुआ कि पूरे देश को 543 भागों में बांटा गया है और उन भागों से एक एक सांसद उस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है। लोकसभा के चुनाव हर पांच वर्ष में आयोजित करवाए जाते हैं जो पिछली बार वर्ष 2019 में हुए (Lok sabha me kitni site hoti hai) थे। उस समय भारत की राजनीतिक पार्टी भाजपा को सबसे अधिक सांसद मिले थे या यूँ कहें कि उसके सबसे ज्यादा सांसद चुने गए थे। तो इस तरह से उनकी पार्टी की ही भारत में सरकार चल रही है और वही शीर्ष सत्ता पर बैठी है।
लोकसभा का भवन भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है और वहीं पर सभी लोकसभा सांसदों की मीटिंग होती है या यूँ कहें कि सांसद चलती (Explain lok sabha in Hindi) है। उन सभी लोकसभा सांसदों के द्वारा बहुमत के आधार पर मंत्री बनाये जाते हैं जिनके ऊपर अपने मंत्रालय का प्रभार होता है। इसमें से कुछ प्रमुख मंत्रालयों के नाम, गृह, शिक्षा, विदेश, रक्षा, वित्त, रेलवे, सड़क परिवहन, बाल विकास, उद्योग इत्यादि हैं। अब इन सभी मंत्रियों व लोकसभा सांसदों के द्वारा अपना एक प्रधान मंत्री चुना जाता है जो देश का प्रधान मंत्री कहलाता है। वर्तमान समय में देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी हैं।
राज्यसभा
अब जिस तरह से लोकसभा के चुनाव संपन्न करवाए जाते हैं और उनमें देश की प्रजा की प्रत्यक्ष भागीदारी सुनिश्चित की जाती है अर्थात देश के नागरिकों को अपने क्षेत्र का सांसद चुनने का अधिकार होता है जो देश की संसद में बैठता है तो वहीं राज्य सभा के चुनाव इससे भिन्न होते (Rajya sabha seats in Hindi) हैं। यह हरेक पांच वर्ष की बजाये छह वर्ष में आयोजित करवाए जाते हैं और यह सभी सांसदों के एक बारी में नहीं अपितु सांसदों के कार्यकाल के अनुसार होते हैं।
कहने का अर्थ यह हुआ कि राज्य सभा के चुनाव सभी के एक बारी में छह वर्ष मे नहीं होते हैं। इसके लिए जिस भी व्यक्ति को राज्यसभा का सांसद चुना गया है, फिर वह अगले छह वर्ष तक वहां का सांसद बना रहता है। जब उसका छह वर्ष का कार्यकाल संपन्न हो जाता है तो वहां पुनः चुनाव करवाए जाते हैं और उसकी बजाये किसी अन्य व्यक्ति को सांसद चुना जाता (Rajya sabha me kitni seat hai) है। इस तरह से यह चुनाव पूरी संसद के आधार पर एक साथ नहीं बल्कि एक व्यक्ति के कार्यकाल के अनुसार संपन्न करवाए जाते हैं।
राज्य सभा में कुल 250 सांसद बैठते हैं और यह देश की ऊपरी सदन कही जाती है। इनका चुनाव देश की प्रजा के द्वारा नहीं अपितु राज्य अनुसार वहां के विधायक करते हैं। हरेक राज्य के क्षेत्रफल व जनसँख्या घनत्व के अनुसार 15 से 30 विधायक मिलकर एक राज्य सभा सांसद का चुनाव करते हैं जो राज्य सभा का सदस्य कहलाता (Rajya sabha me kitne sadasya hote hai) है। इस तरह से यह जनता के द्वारा ही चुने गए विधायों के द्वारा चुने गये सांसद होते हैं जिनमे प्रजा की अप्रत्यक्ष रूप से भागीदारी होती है।
विधानसभा
अब आपने देशव्यापी स्तर पर होने वाले दोनों प्रमुख चुनावो के बारे में जानकारी ले ली है तो अब बारी आती है राज्य स्तर पर होने वाले चुनावो की प्रक्रिया के बारे में जानने की। जिस प्रकार देश का प्रधानमंत्री होता है ठीक उसी तरह हरेक राज्य का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक व्यक्ति चाहिए होता है जिसे वहां का मुख्यमंत्री कहा जाता (Vidhan sabha chunav in Hindi) है। भारत देश में 28 पूर्ण राज्य व 9 केंद्र शासित प्रदेश है। अब सभी पूर्ण राज्यों में तो वहां की विधान सभा होती है लेकिन केंद्र शासित प्रदेशों में से केवल 3 में ही विधानसभा है जो दिल्ली, पोंडिचेरी व जम्मू कश्मीर है।
इसके लिए हरेक राज्य में एक विधान सभा होती है और वह उस राज्य की राजधानी में स्थित होती है। वहां पर उस राज्य के जिले व नगर के अनुसार एक एक विधायक चुना जाता है। अब इन विधायकों की संख्या कितनी होती यह तो उस राज्य के क्षेत्रफल व जनसँख्या घनत्व के आधार पर ही तय किया जाता (Vidhan sabha me kitni seat hai) है। उदाहरण के तौर पर राजस्थान राज्य में विधान सभा सदस्यों की संख्या 200 है तो वहीं उत्तर प्रदेश में 400 से भी अधिक है।
इस तरह से उस राज्य के लोग प्रत्येक पांच वर्ष में अपने अपने क्षेत्र या नगर के लिए विधायक को चुनते हैं जो वहां की विधान सभा में बैठते हैं। अब उन सभी विधायकों के द्वारा बहुतमत से एक व्यक्ति को अपना प्रधान विधायक चुना जाता है जिसे वहां का मुख्य मंत्री कहते हैं। तो इस तरह से किसी राज्य की कमान वहां के मुख्यमंत्री के पास ही होती है।
विधान परिषद
अब जिस तरह से देश में राज्य सभा होती है उसी तरह से राज्यों में विधान परिषद का अनुसरण किया गया है। हालाँकि यह आवश्यक नहीं है कि हरेक राज्य में विधान परिषद हो और यह पूर्ण रूप से वहां की राज्य सरकार पर ही निर्भर करता है कि वह विधान परिषद का गठन करना चाहती है या नहीं। अब देश में राज्य सभा देश के सभी राज्यों का प्रतिनिधित्व करती है तो ठीक उसी तरह विधान परिषद वहां के जिलों और महानगरों सहित गाँवों का प्रतिनिधित्व करती है।
अब भारत के कुछ ही राज्यों में विधान परिषद है जो कभी बना दी जाती है तो कभी भंग कर दी जाती है और इसके लिए कोई स्पष्ट नीति निर्देश नहीं बनाये गए (Vidhan parishad in Hindi) हैं। यह पूर्ण रूप से वहां की राज्य सरकार की इच्छा पर ही निर्भर करता है कि वह अपने राज्य में विधान परिषद का गठन करना चाहती है या नहीं। इसमें स्थानीय स्तर पर चुने गए नेताओं व विधायकों के द्वारा ही विधान परिषद के सदस्य चुने जाते हैं।
विधान परिषद का चुनाव भी राज्य सभा की भांति ही अप्रत्यक्ष तरह का चुनाव होता है जिसमे प्रजा की भागीदारी नही होती है। इसमें प्रजा के द्वारा जो स्थानीय नेता, महापौर, ब्लॉक प्रमुख, ग्राम प्रधान, सभापति, विधायक इत्यादि चुने गए (Vidhan parishad ke chunav) हैं, वही सब मिल कर ही विधान परिषद के सदस्यों का निर्धारण करते हैं।
स्थानीय निकाय व पंचायत
अभी तक हमने देश व राज्य के स्तर पर होने वाले चुनावो की बात तो कर ली लेकिन अब बात आती है स्थानीय स्तर पर होने वाले चुनावो (Sthaniya nikay kya hota hai) की। तो इसे भी देश के भूभाग व जनसँख्या घनत्व के अनुसार चार भागो में विभाजित किया गया है। वह इसलिए क्योंकि देश में कहीं महानगर हैं तो कहीं मध्यम दर्जे के शहर हैं तो कहीं छोटे शहर हैं। इसी के साथ ही देशभर में असंख्य गाँव भी स्थित हैं जहाँ प्रजा निवास करती है। ऐसे में हर किसी को अपना नेता चुनने का अधिकार दिया जाना चाहिए। तो आइये जाने इन सभी स्थानीय निकाय के चुनावो के बारे में।
नगर निगम या महानगर पालिका
स्थानीय निकाय के चुनावो में जो चुनाव सबसे प्रमुख होते हैं वह होते हैं नगर निगम के चुनाव। यह देश के बड़े शहरों सहित मेट्रो व उच्च जनसँख्या घनत्व वाले शहरों में आयोजित करवाए जाते हैं। भारत देश के जिस भी राज्य के जिले या नगर में जनसँख्या 10 लाख से अधिक है तो वह नगर नगर निगम में आता है और वहां उसी के ही चुनाव किये जाते (Nagar nigam chunav in Hindi) हैं।
इसके लिए उस नगर को विभिन्न वार्डों में विभाजित किया जाता है। हर वार्ड से कई राजनेता चुनाव लड़ते हैं और जिसे भी प्रजा चुनती है वह उस वार्ड का पार्षद कहलाता है। फिर सभी पार्षद मिल कर अपनी नगर निगम का एक प्रमुख चुनते हैं जिसे उस नगर निगम का महापौर या मेयर कहा जाता (Nagar nigam chunav kya hota hai) है। एक मेयर की शक्तियां तथा दायित्व वहां के विधायक से अधिक ही मानी जाती है। महापौर का कार्यकाल भी अन्य चुनावो की भांति ही पांच वर्ष का होता है।
नगर पालिका या नगर परिषद या नगर पालिका परिषद
नगर निगम के बाद आती है नगर पालिका जिसे हम पहले नगर परिषद के नाम से भी जानते थे। अब इसका नाम बदल कर नगर पालिका कर दिया गया है और कई राज्यों में इसके अलग नाम भी है जिसमें नगर परिषद व नगर पालिका परिषद प्रमुख है। जिन शहरों की जनसँख्या एक लाख से ज्यादा व 10 लाख से कम होती है, वहां पर नगर पालिका का चुनाव संपन्न करवाया जाता (Nagar palika chunav in Hindi) है।
अब वहां भी नगर निगम की भांति ही नगर को कई वार्ड में विभाजित कर दिया जाता है और हर वार्ड के लोग अपने वहां लड़ रहे प्रत्याशियों में से एक व्यक्ति को वहां का पार्षद चुनते (Nagar palika chunav kaise hota hai) हैं। फिर जितने भी पार्षद चुने जाते हैं, वे अपने में से एक पार्षद को प्रधान पार्षद चुनते हैं जिसे उस नगर पालिका का सभापति या चेयरमैन कहा जाता है। उसका कार्यकाल भी अन्य की ही भांति पांच वर्ष का ही होता है।
नगर पंचायत
नगर निगम व नगर पालिका परिषद के बाद नंबर आता है नगर पंचायत का जो मुख्यतया किसी जिले की तहसील में या कस्बो में होने वाला चुनाव होता है। एक तरह से ऐसे नगरों को छोटे शहर भी कह दिया जाता है जहाँ की जनसँख्या 20 हज़ार से अधिक व एक लाख से कम होती है। पहले इसका नाम नगर पालिका था लेकिन अब बदल कर नगर पंचायत कर दिया गया (Nagar panchayat chunav kaise hota hai) है।
तो यहाँ भी उस छोटे शहर को उसके जनसँख्या घनत्व के अनुसार तरह तरह के वार्ड में विभाजित किया जाता है और जनता अपने में से किसी एक व्यक्ति को स्थानीय जनप्रतिनिधि या पार्षद चुनती है। अब सभी पार्षद मिल कर एक मुख्य पार्षद चुनते हैं जिसे उस नगर पंचायत का अध्यक्ष कहा जाता है। इस तरह से नगर पंचायत के प्रधान पार्षद को वहां का अध्यक्ष कहा जाता है जिसका कार्यकाल पांच वर्ष का ही होता है।
ग्राम पंचायत
अभी तक तो हमने बड़े से लेकर छोटे शहरों में होने वाले स्थानीय निकाय के चुनावों की बात की लेकिन भारत देश में जो असंख्य गाँव हैं, उनका क्या!! वहां भी तो चुनावी प्रक्रिया होनी जरुरी है ताकि गाँव के लोग भी अपना नेतृत्व चुन सके तो इसके लिए ही ग्राम पंचायत के चुनाव संपन्न करवाए जाते हैं। इसके लिए हर गाँव में पंचों के चुनाव होते हैं और गाँव वाले कुछ लोगों को पंचायत सदस्य के रूप में चुनते (Gram panchayat chunav kaise hota hai) हैं। फिर उन पंचों में से एक व्यक्ति को उस गाँव का सरपंच चुना जाता है।
अब कई गांवों को मिला कर एक ग्राम पंचायत बनायी जाती है और उसमें किसी एक सरपंच को प्रधान चुना जाता है। वह उन सभी गाँवों का प्रधान सरपंच होता है। इसी तरह कई तरह की ग्राम पंचायतों को मिला कर ब्लॉक बनाया जाता है। अब वहां पर सभी ग्राम प्रधानो में से या किसी एक पंचायत सदस्य में से एक व्यक्ति को ब्लॉक प्रमुख या विकासखंड प्रमुख का पद दिया जाता है। हालाँकि इसको लेकर नियम बनाने का अधिकार राज्य सरकार को होता है तो यह राज्य अनुसार भिन्न भिन्न हो सकता है।
भारत में कितने प्रकार के चुनाव होते हैं – Related FAQs
उतर: इसके बारे में हमने आपको ऊपर के लेख में बताया है जिसे आपको पढ़ना चाहिए।
प्रश्न: किस राज्य में लोकसभा में सबसे कम सीटें हैं?
उतर: अरुणाचल प्रदेश में लोकसभा की सबसे कम सीटें है जो 2 है।
प्रश्न: भारत की संसद में कितने सदन होते हैं?
उतर: भारत की संसद में दो सदन है लोकसभा और राज्यसभा।
प्रश्न: लोकसभा सीट कितनी है?
उतर: लोकसभा की सीट 543 है।
तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने भारत में कितने प्रकार के चुनाव होते हैं इस बारे में जानकारी प्राप्त कर ली है। आपने जाना कि भारत में कौन कौन से चुनाव होते हैं और भारत में कौन से चुनाव के लिए कितनी सीटें हैं। आशा है कि जो जानकारी लेने आप इस लेख पर आए थे वह आपको मिल गई होगी। यदि अभी भी आपके मन मे कोई शंका शेष रह गई है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।