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विज्ञान के क्षेत्र में हमने बेशक बहुत तरक्की कर ली हो, लेकिन अभी भी प्राकृतिक आपदाओं के बारे में सही सही कोई भी पूर्वानुमान लगाना हमारे लिए संभव नहीं हो पाया है। भूकंप भी एक ऐसी ही आपदा है। दुनिया भर में हर साल कई भूकंप आते हैं और बड़ी तबाही करके जाते हैं। क्या आप जानते हैं कि भूकंप क्यों आता है? यदि नहीं तो आज हम आपको इसी विषय पर विस्तार से जानकारी देंगे। आपको बस यह करना है कि इस पोस्ट को शुरू से अंत तक पढ़ते जाना है। आइए, शुरू करते हैं-
भूकंप क्या होता है? (What is earth quake?)
दोस्तों, भूकंप क्यों आता है? यह जानने से पूर्व यह समझ लेते हैं कि भूकंप क्या है? ‘भू’ का अर्थ है धरती एवं ‘कंप’ का अर्थ है कंपन अथवा कांपना। साफ है कि जब धरती में कंपन होता है तो वह भूकंप (earth quake) कहलाता है। बहुत लोग इसे धरती डोलना अथवा भूचाल के नाम से भी पुकारते हैं।
भूकंप क्यों आता है? (Why does Earth quake occurs?)
दोस्तों, आपको ऊपर से बेशक हमारी धरती शांत दिखाई दे, लेकिन हकीकत यह है कि इसके भीतर हमेशा उथल-पुथल मची रहती है। भू-विज्ञान कहता है कि हमारी धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है-
- (1) इनर कोर
- (2) आउटर कोर
- (3) मैनटल
- (4) क्रस्ट कोर
दोस्तों, क्रस्ट एवं ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर पुकारा जाता है। यह दरअसल, 50 किलोमीटर की कई वर्गों में बंटी हुई एक मोटी परत होती है। इन्हें टेक्टोनिक प्लेट्स कहा जाता है। भू-विशेषज्ञों के अनुसार हमारी पूरी धरती 12 टैक्टोनिक प्लेटों (tactonic plates) पर स्थित है। धरती के नीचे मौजूद ये प्लेटें बेहद धीमी रफ्तार से घूमती रहती हैं। भूवैज्ञानिक अध्ययनों (geographical studies) के अनुसार ये प्लेटें अपने स्थान से प्रतिवर्ष 4-5 मिमी खिसक जाती हैं।
इस दौरान कोई प्लेट किसी के नीचे से खिसकती है, तो कोई दूर हो जाती है। ऐसे में जब प्लेटें आपस में टकराती हैं तो इनसे जबरदस्त ऊर्जा निकलती है। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। दबाव अधिक बनने से प्लेट्स टूटने लग जाती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती है, जिससे भूकंप आता है।
भूकंप की तीव्रता कैसे मापी जाती है? (How the intensity of earth quake is measured?)
मित्रों, आपको जानकारी दे दें भूंकप की तीव्रता की माप का पैमाना रिक्टर स्केल होता है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल (rector magnitude test scale) भी पुकारा जाता है। भूकंप की माप इसके केंद्र यानी एपीसेंटर (epicenter) से की जाती है। यह तो हम आपको बता ही चुके हैं कि भूकंप के दौरान धरती के भीतर से बड़े पैमाने पर ऊर्जा निकलती है, भूकंप की तीव्रता की माप इसी ऊर्जा की माप से होती है, जिससे भूकंप की भयावहता का अंदाजा होता है। आपको बता दें कि रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है, जो कि इस प्रकार से है-
रिक्टर स्केल पर तीव्रता | प्रभाव |
0 से 1.9 | इसका पता सिर्फ सीस्मोग्राफ (seismograph) से चलता है। |
2 से 2.9 | इसमें हल्का कंपन होता है। |
3 से 3.9 | इसमें किसी ट्रक के नजदीक से गुजरने जैसा अहसास होता है। |
4 से 4.9 | इस तीव्रता पर खिड़कियां टूट सकती हैं। दीवारों पर टंगी फ्रेम गिर सकती हैं आदि। |
5 से 5.9 | इस तीव्रता पर फर्नीचर हिल सकता है। चीजें गिर सकती हैं। |
6 से 6.9 | इमारतों की नींव दरक सकती है। ऊपरी मंजिलों को नुकसान पहुंच सकता है। |
7 से 7.9 | बड़ी इमारतें गिर जाती हैं। जमीन के अंदर पाइप तक फट सकते हैं। |
8 से 8.9 | इमारतों सहित कई बड़े बांध, पुल भी गिर सकते हैं। सुनामी आ सकती है। |
9 एवं उससे अधिक | इस तीव्रता पर पूरी तरह तबाही आ जाती है। |
दुनिया में प्रतिवर्ष कितने भूकंप आते हैं? (How many earth quakes occur in the world every year?)
मित्रों, ऐसा माना जाता है कि दुनिया भर में प्रतिवर्ष लाखों भूकंप के झटके आते हैं। इनमें से बहुत सारे भूकंप रिक्टर स्केल (rector scale) पर एक से भी कम मैग्नीट्यूड (magnitude) के होते हैं, जो दर्ज नहीं हो पाते। दुनिया में करीब 20 हजार से अधिक भूकंप प्रतिवर्ष रिकार्ड (record) किए जाते हैं। कई बार तो भूकंप की तीव्रता (intensity) इतनी अधिक होती है कि उसमें जान माल की बड़े पैमाने पर हानि होती है।
भूकंप आने पर क्या किया जाना चाहिए? (What should be done in case of earth quake?)
यह तो आप जानते ही हैं कि भूकंप के चलते कई बार जान माल की भारी तबाही होती है। इसका पूर्वानुमान अभी तक संभव नहीं। ऐसे में हम आपको कुछ सावधानियां बताते हैं, जिन्हें आपको भूकंप की स्थिति में रखना चाहिए।
- भूकंप के झटके आने पर तुरंत घर से बाहर खुले में निकल जाएं।
- यदि बाहर न निकल सकें तो घर में ही तुरंत फर्श पर बैठ जाएं।
- घर में किसी मजबूत टेबल अथवा फर्नीचर के नीचे बैठकर हाथ से सिर और चेहरे को ढक लें।
- यदि भूकंप रात में आया है और आप बिस्तर पर लेटे हैं तो तकियों से सिर ढक लें।
भूकंप के केंद्र से क्या आशय है? (What does it mean by epicenter?)
दोस्तों, हमने आपको बताया कि भूकंप की माप इसके केंद्र से की जाती है, तो यह भी जान लेते हैं कि भूकंप के केंद्र यानी एपिसेंटर (epicenter) से क्या आशय है? मित्रों, भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है।
आपको बता दें ऊ इस स्थान पर भूकंप का कंपन सर्वाधिक होता है। कंपन की आवृत्ति यानी फ्रीक्वेंसी (frequency) जैसे जैसे दूर होती जाती हैं, इसका असर भी कम होता जाता है। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की ओर है अथवा दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर की ओर है तो इससे कम क्षेत्र प्रभावित होगा।
भूकंप के खतरे के नजरिए से भारत को कितने जोन में बांटा गया है? (India has been divided in how many zones in view of hazards of earth quake?)
मित्रों, हमारे देश में कई राज्य ऐसे हैं, जो अपनी भूगर्भीय संरचना के चलते भूकंप के प्रति अधिक संवेदनशील हैं, लिहाजा खतरे की जद में भी अधिक हैं। इसे देखते हुए भारत को भूकंप के खतरे के लिहाज से चार जोन में बांटा गया है। ये जोन इस प्रकार से हैं-
जोन (zone) 2– इसमें दक्षिण भारतीय क्षेत्र (south indian areas) आते हैं, जो सबसे कम खतरे वाले हैं।
जोन (zone) 3- इसमें मध्य भारत, उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा के कुछ हिस्से के साथ ही केरल, गोवा, लक्षद्वीप समूह, गुजरात और पंजाब के कुछ इलाके, पश्चिम बंगाल का कुछ इलाका, पश्चिमी राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं बिहार का कुछ हिस्सा, झारखंड का उत्तरी हिस्सा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु एवं कर्नाटक का कुछ इलाका आता है।
जोन (zone) 4- इसमें दिल्ली समेत उत्तर भारत का तराई क्षेत्र शामिल है। दिल्ली, एनसीआर की करीब 70 प्रतिशत इमारतों को भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील माना गया है। यहां 7 की तीव्रता का भूकंप विनाशकारी साबित होगा।
जोन (zone) 5- इस जोन को भूकंप के लिहाज से सर्वाधिक खतरनाक माना जाता है। इस जोन में हिमालय एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र अधिकांशतः शामिल है। जैसे- जम्मू-कश्मीर का कुछ हिस्सा, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कई हिस्से, हरियाणा के कुछ हिस्से, पंजाब के कुछ इलाके, दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश के उत्तरी हिस्से, बिहार और पश्चिम बंगाल का छोटा हिस्सा, गुजरात, पश्चिमी तट के पास महाराष्ट्र का कुछ इलाका, पश्चिमी राजस्थान का छोटा सा हिस्सा।
भारत में अभी तक कौन से बड़े भूकंप आए हैं? (Which massive earth quakes have occurred in india till date?)
साथियों, आप निश्चित रूप से अब यह भी जानना चाहते होंगे कि भारत में अब तक अधिक तीव्रता के कौन से भूकंप आए हैं? तो आज हम आपको हाल के सालों में आए कुल पांच बड़े भूकंपों के बाबत जानकारी देंगे, जिनका तिथिवार ब्योरा इस प्रकार से है-
- 20 अक्टूबर 1991 : तत्कालीन उत्तर प्रदेश (वर्तमान उत्तराखंड) के उत्तरकाशी में 6.6 की तीव्रता का भूकंप आया, जिसमें 768 लोगों की मौत हुई।
- 30 सितम्बर 1993 : महाराष्ट्र के लातूर में 6.3 की तीव्रता का भूकंप आया, जिसमें 7601 लोगों की मौत हुई।
- 2 मई 1997 : इस रोज मध्य प्रदेश के जबलपुर में रिक्टर पैमाने पर 8.2 की तीव्रता वाला भूकंप आया, जिसमें 41 लोगों की जान गई।
- 26 जनवरी, 2001 : गुजरात के भुज में आए 7.7 तीव्रता के इस भूकंप में एक हजार से अधिक लोगों की मौत हुई।
- 20 सितंबर 2011 : सिक्किम में 6.8 तीव्रता का भूकंप आया, जिसमें 68 लोगों की जान गई।
दुनिया के बड़े पांच भूकंप कौन से हैं? (Which are the world’s 5 massive earth quakes?)
दोस्तों, हमने आपको भारत में हालिया सालों में आए पांच बड़े भूकंपों के बारे में जानकारी दी। अब हम आपको दुनिया के ऐसे पांच भूकंपों के बारे में बताएंगे, जिन्होंने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई-
- 11 मार्च, 2011 : जापान के उत्तर पूर्वी तट पर समुद्र के नीचे 9.0 की तीव्रता का भूकंप आया। इसके बाद आई सुनामी ने करीब 18 हजार 900 लोगों को मौत की नींद सुला दिया।
- 12 जनवरी 2010 : हैती में 7.0 की तीव्रता का भूकंप आया, जिसमें करीब 3,16,000 लोगों की मौत हुई।
- 12 मई 2008 : चीन के दक्षिण पश्चिम स्थित प्रांत सिचुआन में 8.0 की तीव्रता का भूकंप आया। इसमें 87 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई।
- 8 अक्टूबर, 2005 : पाकिस्तान के उत्तरी हिस्से में 7.6 तीव्रता का भूकंप आया। इसमें 86 हजार लोगों की जान चली गई थी।
- 26 दिसंबर 2004 : इंडोनेशिया के सुमात्रा में रिक्टर पैमाने पर 9.1 की तीव्रता का भूकंप आया था। इसमें करीब 2,27,898 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा।
भूकंप से बचाव के प्रति हमारे देश के नागरिक कितने जागरूक हैं? (How aware are our countrymen in getting safe from earth quake?)
दोस्तों, अब बात करते हैं कि हमारे देश में भूकंप के खतरों के प्रति नागरिक कितने जागरूक हैं तो यह कहने में अतिशयोक्ति नहीं होगी कि हमारे यहां नागरिक भूकंप के खतरों के प्रति आगाह होते हुए भी उससे बचने के लिए सावधानी के तरीके बरतने में लापरवाही करते हैं। जैसे- जोन-5 भूकंप के नजरिए से बेहद संवेदनशील बताया जाता है और इसमें भूकंप रोधी तकनीक से मकान बनाने पर जोर रहता है। इस संबंध में संबंधित जोन में पड़ने वाले राज्यों में कानून भी पास किया गया है।
लेकिन बहुत कम लोग ही इस तकनीक से मकान बनवाते नजर आते हैं। इसी प्रकार आईआईटी, रुड़की (IIT, Roorkee) की ओर से एक अलर्ट एप (alert app) भी डिजाइन किया गया है, लेकिन ऐसे बहुत कम लोग हैं जिन्होंने इस ऐप को डाउनलोड (download) किया है। अधिकांश लोग भूकंप को लेकर ईश्वरीय मर्जी पर ही विचार केंद्रित नजर आते हैं।
जिस प्रकार से हिमालय का विदोहन हो रहा है और निर्माण कार्यों में पर्यावरण मानकों की अनदेखी की जा रही है, इससे इस बात को पर्याप्त बल मिलता है कि आने वाले वर्षों में भूकंप का खतरा इस क्षेत्र में और बढ़ सकता है। यह तो आप भी जानते होंगे कि भूकंप के बाद इसके कई आफ्टर शाक (after shock) भी आते हैं, जो इसके खतरे को और बढ़ाते हैं।
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भूकंप का क्या अर्थ है?
इसका अर्थ भूमि में कंपन अथवा धरती का डोलना होता है।
भूकंप क्यों आता है?
जमीन के नीचे टेक्टोनिक प्लेट्स के आपसी टकराव से बहुत ऊर्जा निकलती है, जो भूकंप के रूप में धरती से बाहर आती है।
भूकंप आने पर क्या करना चाहिए?
इसकी जानकारी हमने आपको ऊपर पोस्ट में दी है। आप वहां से पढ़ सकते हैं।
क्या भूकंप का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है?
जी नहीं, भूकंप का पूर्वानुमान लगाया जा सकना अभी संभव नहीं हो पाया है।
भूकंप के केंद्र से क्या आशय है?
भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है।
भूकंप के लिहाज से कौन सा जोन सर्वाधिक संवेदनशील है?
भूकंप के लिहाज से जोन-5 सर्वाधिक संवेदनशील है।
मित्रों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको बताया कि भूकंप क्या होता है उम्मीद है कि इस पोस्ट से आपको भूकंप के संबंध में सारी जानकारी मिल गई होगी यदि आपका कोई सवाल है तो उसे आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके भेज सकते हैं। ।।धन्यवाद।।
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