उत्तराखंड राज्य का गठन आज से करीब 20 साल पहले सन् 2000 में हुआ था। यह राज्य बहुत कुर्बानी के बाद हासिल हुआ था। शुरू में इसका नाम उत्तरांचल था, जिसे गठन के कुछ साल बाद बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया।उत्तराखंड में इस वक्त भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। पार्टी को तीन साल पहले यानी 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल हुआ था। जिसके बाद संगठन ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े त्रिवेंद्र सिंह रावत को राज्य का आठवां मुख्यमंत्री घोषित किया।
डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक जैसे चेहरों की मौजूदगी के बावजूद पार्टी ने उन पर दांव लगाया। इसके पीछे आरएसएस के प्रति उनकी निष्ठा को तवज्जो दी गई, ऐसा माना जाता है। दोस्तों, त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 12 मार्च, 2017 को पदभार ग्रहण किया था। आज इस post में हम आपको उनके व्यक्तिगत, राजनीतिक सफर की जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-
त्रिवेंद्र सिंह रावत का जीवन परिचय – Biography Of Trivendra Singh Rawat In Hindi
सबसे पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के जन्म से शुरुआत करते हैं। मित्रों, इस वक्त 59 साल के हैं। उनका जन्म 20 दिसंबर, 1960 को पौड़ी जिले की कोटद्वार तहसील स्थित खैरासैंण गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम प्रताप सिंह रावत और मां का नाम बोच्चा देवी है। नौ भाई-बहनों में वह सबसे छोटे थे। सबसे छोटा होने के नाते जैसा कि हर घर में होता है, उन्हें सभी परिजनों का भरपूर प्यार मिला। उनका विवाह सुनीता रावत से हुआ, जो देहरादून स्थित एक सरकारी इंटर कॉलेज में शिक्षिका हैं। उनकी दो पुत्रियां हैं, जिनमें से बड़ी का नाम कृति है। वह भी अपने पिता की तरह सामाजिक जीवन में रुचि के साथ हिस्सा लेती हैं।
परिवार में रही सेना में जाने की पंरपरा –
गढ़वाल के अधिकांश परिवारों की तरह ही त्रिवेंद्र सिंह रावत के परिवार में भी सेना में जाने की गौरवशाली परंपरा रही है। आपको बता दें कि उनके पिता प्रताप सिंह रावत बीईजी यानी बंगाल इंजीनियरिंग ग्रुप, रुड़की में तैनात थे। इसके अलावा उनके परिवार के कई लोग सेना में तैनात रहे। लेकिन त्रिवेंद्र सिंह रावत ने परिवार से अलग हटकर अपने लिए एक नई राह चुनी, जिस पर सफलतापूर्वक चलने में वह कामयाब भी रहे।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की शिक्षा कहां से हुई –
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कक्षा दस की परीक्षा पौड़ी जिले में सतपुली इंटर कॉलेज से हासिल की। वहीं, 12वीं की परीक्षा उन्होंने एकेश्वर इंटर कॉलेज से प्राप्त की। लैंसडौन के जयहरीखाल डिग्री कॉलेज से उन्होंने स्नातक की उपाधि प्राप्त की। मुख्यमंत्री को लिखने-पढने का शौक है, शायद यही वजह रही कि उन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय (अब केंद्रीय विश्वविद्यालय) से संबद बिड़ला कैंपस श्रीनगर से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर की डिग्री ली। इससे पहले उन्होंने अपने गांव खैरासैण के ही एक कच्चे स्कूल में पढ़ाई कर अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। गांव में शिक्षा संसाधनों के अभाव के बावजूद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उच्च शिक्षा में रुचि दिखाई।
त्रिवेंद्र सिंह रावत का राजनीतिक सफर कैसा रहा –
आइए दोस्तों, अब आपको बताते हैं कि त्रिवेंद्र सिंह रावत का राजनीतिक सफर कैसा रहा। अभी तक की उनकी डगर में बहुत उखाड़, पछ़ाड़ नहीं रहे हैं। उनकी शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस से हुई। मित्रों, आइए जानते हैं कि मुख्यमंत्री पद तक पहुंचने तक उन्होंने किन किन मील के पत्थरों को पार किया।
1979 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से सफर शुरू किया –
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 1979 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी आरएसएस ज्वाइन किया। 1981 में वह आरएसएस के प्रचारक बन गए। 1983 में उन्हें उत्तराखंड के श्रीनगर में आरएसएस का तहसील प्रचारक बनाया गया। 1985 में वह इसके देहरादून प्रचारक बने। इसके बाद उन्होंने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन की। उस समय उन्हें उत्तराखंड भाजपा का आयोजन सचिव बनाया गया और उन्होंने वरिष्ठ नेता लाल जी टंडन के साथ काम किया। वह उत्तराखंड राज्य प्राप्ति के लिए चलाए जा रहे आंदोलन से भी जुड़े रहे। कई बार इसके चलते उन्हें गिरफ्तार भी किया गया। उन्होंने एक समर्पित कार्यकर्ता की तरह कार्य किया।
2000 में उत्तराखंड बना तो पहली बार विधायक बने –
सन 2000 में राज्य बनने के बाद उन्हें भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया। 2002 में वह राज्य के पहले विधानसभा में डोईवाला से विधायक चुने गए। उन्होंने 2007 के चुनावों में भी अपनी सीट कायम रखी। उन्हें राज्य के कृषि मंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई। हालांकि कृषि मंत्री रहते हुए ढेंचा बीज घोटाले को लेकर वह बेहद चर्चा में रहे। इस घोटाले की जांच चली और अब यह जांच ठंडे बस्ते में है।
2010 में बने भाजपा के राष्ट्रीय सचिव –
2010 में त्रिवेंद्र सिंह रावत को भाजपा का राष्ट्रीय सचिव नियुक्त किया गया। 2014 में उन्होंने झारखंड के प्रभारी और उत्तराखंड कैडर के अध्यक्ष के रूप में भाजपा सदस्य के तौर पर काम किया। 2014 में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रमेश पोखरियाल निशंक के सीट छोड़ देने पर डोईवाला विधानसभा का उप चुनाव लड़ा।
2017 में डोईवाला से जीते और मुख्यमंत्री बने –
सन् 2017 में वह इसी सीट से चुनाव लड़े और जीते। इसके बाद भाजपा ने उन्हें उत्तराखंड का मुख्यमंत्री पद सौंप दिया। बता दें कि भाजपा को 70 में से 57 सीटें हासिल हुई थीं।
नमामि गंगे प्रोजेक्ट के सदस्य चुने गए –
केंद्र सरकार ने गंगा की सफाई के लिए नमामि गंगे नाम से प्रोजेक्ट शुरू किया। यह प्रोजेक्ट करोड़ों रुपये का था। त्रिवेंद्र सिंह रावत को इसका सदस्य भी चुना गया। यह अलग बात है कि प्रोजेक्ट शुरू किए जाने के बावजूद गंगा की हालत में कोई सुधार नहीं आया। न तो इसमें गिरने वाले नाले ही पूरी तरह टैप किए जा सके और न ही इंडस्ट्री से इसमें पहुंचने वाले कचरे से इस पर रोक लग सकी।
यह बात अलग है कि लॉकडाउन हुआ तो पूरी प्रकृति जिस तरह स्वच्छ हुई, उसी प्रकार मां गंगा का जल भी स्वच्छ हुआ। यहां तक कि इसमें रहने वाले जलीय जंतुओं को भी गंगा की स्वच्छता से लाभ मिला।
1989 में मेरठ में राष्ट्र देव अखबार के संपादक रहे –
दोस्तों, जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जर्नलिज्म यानी पत्रकारिता में डिग्री ली है। ऐसे में उस डिग्री का सही इस्तेमाल भी उन्होंने अपने जीवन में किया। वह मेरठ में राष्ट्रदेव अखबार के संपादक भी रहे। इस बात को 31 साल बीत चुके हैं, लेकिन त्रिवेंद्र का लिखने पढ़ने का शौक अभी तक कायम है। यह अलग बात है कि अब अपने मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी के निर्वहन में वह इसके लिए पहले जितना समय नहीं दे पाते हैं।
पहाड़ी व्यंजनों को बेहद पसंद करते हैं त्रिवेंद्र सिंह –
दोस्तों, आपको बता दें कि पहाड़ी व्यंजनों को त्रिवेंद्र सिंह रावत बेहद पसंद करते हैं। और आपको यह भी बता दें कि त्रिवेंद्र सिंह रावत समय समय पर अपने गांव जाते हैं। इस दौरान वह बाजरे यानी मंडुवे की रोटियां खाना नहीं भूलते। इस बात का खुलासा खुद उनके भाई वीरेंद्र कर चुके हैं। इसके अलावा झंगोरे की खीर, चासू, फाणू भी वह बड़े शौक से खाते हैं। गढ़ भोज का भी प्रचार प्रसार उनके समय में बहुत हुआ है। कई आयोजनों में गढ़वाली व्यंजन देखने को मिलते हैं।
गाय के आक्सीजन लेने और छोड़ने के बयान से चर्चा में रहे –
2017 में कुमाऊंनी पर गढ़वाली को प्राथमिकता दिए जाने संबंधी उनका ट्वीट बेहद चर्चा में रहा। जुलाई, 2019 में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि अकेली गाय ऐसी जानवर है, जो ऑक्सीजन ही लेती है और ऑक्सीजन ही छोड़ती भी है। इसकी नजदीकी से टीबी की बीमारी दूर हो सकती है। इस बयान के चलते वह नेशनल मीडिया में चर्चा में रहे।
इसके साथ ही प्रतिपक्ष के भी निशाने पर रहे। सोशल मीडिया पर भी उनके इस बयान को बहुत वायरल किया गया। इसके चलते वह आलोचनाओं के घेरे में रहे। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री विप्लव देव के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ऐसे दूसरे मुख्यमंत्री थे जो किसी जीव के आक्सीजन लिए जाने संबंधी बयान को लेकर चर्चाओं के घेरे में रहा हो।
फैसले बदलने के लिए अक्सर झेलते हैं आलोचना –
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री अपने फैसले बदलने के लिए भी अक्सर सभी की आलोचना झेलते हैं। लॉकडाउन के दौरान की ही बात करें तो उन्होंने 30 अप्रोल को राज्य के विभिन्न जिलों में फंसे लोगों को उनके गांव, घर तक पहुंचाने के लिए रोडवेज बसें चलाए जाने का फैसला किया। लेकिन उनके इस फैसले की कोरोना संक्रमण को देखते हुए सोशल मीडिया पर जबरदस्त किरकिरी हुई। कहा गया कि जब कोरोना अपने विकराल रूप में है तो ऐसे में बसें चलाने का निर्णय कतई भी उचित नहीं। प्रदेशवासियों पर दबाव इतना बढ़ा कि आखिरकार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को इस फैसले को वापस लेना पड़ा।
इसी के साथ कई फैसले ऐसे रहे, जिन्हें वापस लेने पर त्रिवेंद्र सभी के निशाने पर रहे। उनके ऊपर मीम्स भी खूब बनाए गए। इसी तरह का एक फैसला शराब की दुकानें खोलने का था, जिस पर बने मीम्स बहुत चलन में रहे। लोग पूछते रहे कि मां की कसम खाकर कहो कि यह फैसला वापस नहीं लोगे। ऐसे ही अपने कई फैसलों की वजह से त्रिवेंद्र सिंह रावत को अक्सर प्रदेश के नागरिकों के साथ ही विपक्षियों की भी आलोचना बेहद खुलकर झेलनी पड़ी।
सोशल मीडिया पर मौत की अफवाह फैली, कार्रवाई से चर्चा –
दोस्तों, जैसा त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ हुआ, ऐसा अमूमन बड़े फिल्म स्टारों के साथ होता है। मित्रों, अब आपके दिमाग में सवाल आ रहा होगा कि यह क्या था? तो आपको बता दें कि 2020 के इसी मई महीने के पहले सप्ताह मे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की मौत की अफवाह फैल गई। बड़ी संख्या में इस पोस्ट को साझा किया गया। आखिर मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से साफ किया गया कि ऐसा कुछ नहीं हुआ है।
इस अफवाह फैलाने वालों में सख्त कार्रवाई की बात उठी। इस मामले में सात लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया। मामला क्योंकि सीएम से जुड़ा था, ऐसे में दोषियों को तेजी से गिरफ्तार कर उन्हें जेल भेजा गया। इस कार्रवाई के बाद यह जरूर हुआ कि सीएम को लेकर लिखी गई किसी भी पोस्ट पर बेहद संवेदनशीलता से नजर रखी जाने लगी। लोगों ने भी उन्हें अपनी पोस्ट के जरिये निशाना बनाना छोड़ दिया।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री का संपर्क डिटेल्स – त्रिवेंद्र सिंह रावत का मोबाइल नंबर, WhatsApp नंबर
Chief Minister Secretariat
4 Subash Road,
Uttarakhand Secretariat, Fourth Floor New Building
Dehradun, Uttarakhand, Pin Code 248001
Phone No-0135-2650433, 2655177
Fax-2712827
त्रिवेंद्र सिंह रावत ईमेल ID tsrawatbjp@gmail.com
त्रिवेंद्र सिंह रावत Facebook Page: facebook.com/pg/tsrawatbjp
दोस्तों, यह थी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बारे में अहम जानकारी से भरी post। हम समय समय पर आपको अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों के जीवन वृत्त से भी परिचित कराएंगे। यदि आप किसी विशेष व्यक्ति के जीवनवृत्त के बारे में जानना चाहते हैं तो उसके लिए हमें नीचे दिए गए comment box पर comment करके भेज सकते हैं। हमारा पूरा प्रयास रहेगा कि हम आपको संबंधित व्यक्ति के जीवन के बारे में संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करा सकें। आपकी प्रतिक्रियाओं का हमें इंतजार रहेगा। ।।धन्यवाद।।