ब्याज कैसे निकालें? | ब्याज की गणना करने का फॉर्मूला | Byaj kaise nikale

|| ब्याज कैसे निकालें? | Byaj kaise nikale | Byaj nikalne ka sutra | 10000 का 3 परसेंट का ब्याज 1 महीने का कितना होगा? | ब्याज क्या होता है? | ब्याज की गणना करने का फॉर्मूला | वार्षिक व मासिक ब्याज दर में अंतर ||

Byaj kaise nikale :- क्या आप भी अपने किसी काम के लिए लोन लेने जा रहे हैं या लोन चल रहा है। अब हम लोन तरह तरह के कामों के लिए लेते हैं, जैसे कि कभी कार लोन ले लिया तो कभी होम लोन तो कभी जरूरत पड़ने पर अन्य चीज़ों के लिए लोन। इसी के साथ ही हम हर महीने या वार्षिक तौर पर लोन की राशि का ब्याज सहित किश्तों में भुगतान करते रहते हैं। जब लोन खत्म हो जाता है तो हम राहत की सांस लेते हैं लेकिन उससे पहले या फिर बाद में एक और लोन की शुरुआत हो चुकी होती (Byaj nikalne ka sutra) है।

अब लोन तो हम ले लेते हैं लेकिन बहुत से लोग इस बात को लेकर झंझट की स्थिति में रहते हैं कि उनके द्वारा जो लोन लिया जा रहा है, उस पर उन्हें कितना ब्याज देना होगा। आखिरकार यही बात तो सबसे ज्यादा मायने रखती है क्योंकि आपने उस समय जिस भी संस्था या बैंक या व्यक्ति से लोन की राशि एक बारी में ली है, अब आपको उस राशि को ब्याज सहित उस व्यक्ति या बैंक को एक एक करके चुकानी होगी। ऐसे में जिस भी राशि को जो लोन की मूल राशि से अधिक चुकानी होगी, वही तो ब्याज कहलाता (Byaj nikalne ka formula) है।

अब लोन पर लगने वाला यह ब्याज किस तरह से कैलकुलेट किया जाता है या ब्याज की गणना कैसे की जाती है, इसके बारे में जानना बहुत ही ज्यादा जरुरी हो जाता है। तो आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको ब्याज कैसे निकालें या ब्याज की गणना किस तरह से की जाती है, उसके बारे में ही जानकारी देने वाले हैं। आइये जाने ब्याज निकालने के ऊपर पूरी (Byaj dar nikalne ka formula) जानकारी।

ब्याज कैसे निकालें? (Byaj kaise nikale)

जब भी किसी व्यक्ति के द्वारा ऋण या लोन लिया जाता है, फिर चाहे वह किसी भी तरह का लोन क्यों ना हो, उस पर उसे एक निश्चित अनुपात के तहत ब्याज देना होता है। अब जो भी संस्था या बैंक लोन देने का काम करता है, उसके द्वारा जो भी धन उपार्जित किया जाता है, वह इस लोन की राशि पर मिलने वाला ब्याज ही तो होता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि जो भी व्यक्ति लोन देने का काम कर रहा है, वह इस पर मिलने वाले ब्याज से ही तो पैसा कमा रहा होता (Byaj percentage kaise nikale) है।

Byaj kaise nikale

वहीं जो व्यक्ति लोन ले रहा है, उसे उस समय तो अपनी जरुरत के अनुसार पैसा एक बारी में प्राप्त हो जाता है किन्तु अब उसे ब्याज सहित उस राशि को सामने वाले को एक एक करके अर्थात धीरे धीरे चुकाना होता है। यह ब्याज वह इसलिए चुकाता है क्योंकि शुरुआत में लोन के रूप में मिली राशि से वह उस चीज़ का अधिकारी बन जाता है जो उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं होती (Interest kaise nikale) है।

अब यह ब्याज क्या होता है या फिर इस ब्याज का लोन से क्या कुछ संबंध होता है, इसके बारे में जानना जरुरी हो जाता है। इसे जानकर ही तो आप लोन की राशि पर ब्याज की गणना कर पाएंगे। तो आइये जाने वह ब्याज क्या होता है और क्यों लिया जाता (Interest rate kaise nikale) है।

ब्याज क्या होता है? (Byaj kya hota hai)

हम इसे समझने के लिए एक उदाहरण का सहारा लेंगे। उदाहरण के तौर पर लोन लेने वाले को एक कार खरीदनी थी और वह कार 6 लाख रुपये की थी। उस व्यक्ति के पास केवल 1 लाख थे और ऐसे में वह उस समय उस कार का उपभोग नहीं कर सकता था। अब या तो उसे पहले 6 लाख उपार्जित करने होते और इसके लिए उसे एक लम्बे समय तक कड़ी मेहनत करनी होती या फिर वह उन पैसों को ब्याज सहित लोन पर ले सकता था। ऐसे में दूसरा व्यक्ति जो लोन देने का काम कर रहा है, वह उस व्यक्ति को लोन देने के नियम व शर्तों सहित 5 लाख की राशि दे देता (Byaj ka matlab kya hota hai) है।

अब इस लोन में मिली पांच लाख की राशि में आप अपने एक लाख की राशि को मिला देते हैं। अब आप उस कार कंपनी को 6 लाख रुपयों का भुगतान कर उस कार को खरीद लेते हैं और इस तरह से समय से पहले ही उस कार के मालिक बन जाते हैं। अब आपको नीति के अनुसार उस व्यक्ति को उसके 5 लाख रुपये तो वापस करने ही हैं लेकिन उसके कारण आप एक समय पूर्व ही कार का उपभोग कर पाने में सक्षम हुए हैं, और इसके लिए आपको कुछ अधिक मूल्यों का भी भुगतान करना (Byaj kise kahte hai) होगा।

अब यह अधिक मूल्य ही ब्याज कहलाता है। ऐसे में 5 लाख रुपये को चुकाने के बाद आप उससे अधिक जितने भी रुपयों का भुगतान उस सामने वाले व्यक्ति को करेंगे, वह पूर्ण रूप से ब्याज की राशि ही होगी। अब यह राशि कितनी होगी, यह लोन लेते समय सामने वाला व्यक्ति और आप ही निर्धारित करेंगे। यह पूर्ण रूप से आपके द्वारा ली गयी लोन की राशि, उसे चुकाने की अवधि और ब्याज दर पर निर्भर करता है। आइये इसके बारे में भी जान लेते (Interest kya hota hai) हैं।

ब्याज की गणना करने का फॉर्मूला (Byaj ka formula kya hota hai)

अब आपने यह तो जाना लिया है कि यह ब्याज क्या होता है लेकिन इस ब्याज की गणना करने के लिए एक फॉर्मूला बनाया गया है जिसका जानना आपके लिए जरुरी हो जाता है। तो हमने आपको ऊपर ही बताया कि आप लोन के रूप में जो भी राशि ले रहे हैं, उस राशि को चुकाने की अवधि और उस पर लगने वाले ब्याज दर की प्रतिशत से ही आपके ब्याज की राशि की गणना की जाती (Byaj nikalne ka formula) है। ऐसे में ब्याज की गणना करने का फिर्मुला इस प्रकार है:

ब्याज = मूलधन * ब्याज दर * समय अवधि

अब इस फॉर्मूला को हम अंग्रेजी में लिखना चाहें तो उसे हम इस तरह से लिख सकते हैं:

इंटरेस्ट = प्रिंसिपल अमाउंट * इंटरेस्ट रेट * टाइम पीरियड

Interest = Principal Amount * Interest Rate * Time Period

यह जरुरी नहीं है कि इस फॉर्मूला को पूरा ही लिखा जाए अर्थात सभी शब्दों के पूरे नाम लिखे जाएं। ऐसे में इस फॉर्मूला को छोटे रूप में लिखने के लिए आप इसे ऐसे बना सकते हैं:

I = P*R*T या PRT

यहाँ पर आई (I) का अर्थ हुआ इंटरेस्ट अर्थात ब्याज, पी (P) का अर्थ हुआ प्रिंसिपल अमाउंट अर्थात मूल धन, आर (R) का अर्थ हुआ इंटरेस्ट रेट या ब्याज दर व टी (T) का अर्थ हुआ टाइम पीरियड अर्थात समय (Interest rate calculator in Hindi) अवधि। तो ब्याज की गणना करने के लिए इसी फॉर्मूला को ही अपनाया जाता है। ऐसे में हम आपको बताएंगे कि इन तीनो के द्वारा ब्याज की गणना कैसे की जाती है और इसका क्या कुछ महत्व होता है।

ब्याज कैलकुलेट करने के फैक्टर (Interest rate calculate factor in Hindi)

अब हमने आपको ऊपर ब्याज को कैलकुलेट करने का फॉर्मूला बताया जिसके अंदर तीन तरह की चीजें शामिल की जाती है। इन तीन चीज़ों में मूल धन, ब्याज दर व समय अवधि है। ऐसे में यह तीनो किस तरह से लगने वाले ब्याज को कैलकुलेट करती है या अपनी क्या कुछ भूमिका निभाती है, इसके बारे में जानकारी ली जानी जरुरी हो जाती है। तो आइये जाने इन तीनो के द्वारा ब्याज को कैसे प्रभावित किया जाता है।

मूल धन (Principal Amount)

इसमें सबसे पहले मूल धन को देखा जाता है क्योंकि यही आपके द्वारा लोन के रूप में ली जाने वाली राशि होती है। कहने का अर्थ यह हुआ कि अब व्यक्ति के द्वारा जितने रुपयों का लोन लिया जा रहा है, उसे उसी अनुसार ही ब्याज चुकाना होता है। जितनी बड़ी लोन की राशि होती है, उतना ही ब्याज की राशि भी बढ़ती चली जाती है।

अब किसी के द्वारा 50 हज़ार रुपयों का ही लोन लिया जाता है तो किसी के द्वारा 50 लाख रुपयों का भी लोन लिया जाता है। यह पूर्ण रूप से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति और जरूरतों के हिसाब से तय होता है। साथ ही बैंक भी लोन देने से पहले लोन की राशि के अनुसार ही नियमों व अन्य मापदंडों को रखता है ताकि लोन की राशि सही से ब्याज सहित प्राप्त की जा सके। ऐसे में बड़ा लोन लेने के लिए ज्यादा नियमों का पालन करना होता है जबकि छोटे लोन को लेने में आसानी होती है।

ब्याज दर (Interest Rate / Rate of Interest)

ब्याज की राशि को मुख्य तौर पर ब्याज दर ही प्रभावित करती है क्योंकि इसी से ही उसे कैलकुलेट किया जाता है। अब यह कितनी है और किस तरह की है, यह बहुत ही ज्यादा मायने रखती है। वह इसलिए क्योंकि लोन लेने वाले सभी व्यक्ति इसी ब्याज दर को ध्यान में रखकर ही लोन कहाँ से लेना है, यह पक्का करते हैं। उन्हें जहाँ से भी कम ब्याज दर में लोन मिल रहा है, उनके द्वारा वहीं से लोन लिया जाता है।

यह ब्याज दर 3 प्रतिशत से लेकर 25 प्रतिशत तक की होती है। हालाँकि यह इससे भी कम या ज्यादा हो सकती है और यह पूर्ण रूप से लोन देने वाले और लोन लेने वाले की स्थिति और नियमों पर निर्भर करता है। सामान्य तौर पर ब्याज दर 7 से 12 प्रतिशत के बीच में रखी जाती है। अब इसमें भी यह देखा जाता है कि यह ब्याज दर मासिक है या वार्षिक। एक तरह से यह ब्याज दर दैनिक, साप्ताहिक, मासिक, तिमाही, वार्षिक इत्यादि कुछ भी हो सकती है। सामान्य तौर पर इसे वार्षिक और उसके बाद मासिक रखा जाता है।

समय अवधि (Time Period)

आप जितने समय के लिए लोन ले रहे हैं, उसी के अनुसार ही उस पर लगने वाला ब्याज बढ़ता चला जाता है। अब यदि आप सामने वाले व्यक्ति का पैसा 2 साल में वापस करना चाहते हैं तो आपकी समय अवधि 2 वर्ष हो गयी। ऐसे में यदि 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से आपको ब्याज देना पड़ रहा है तो आपको उसके लिए कुल 20 प्रतिशत ब्याज देना होगा। वहीं यदि आपने 5 वर्ष के लिए लोन लिया है तो आपको 50 प्रतिशत अर्थात लोन की राशि का आधा और भाग अपनी ओर से देना होगा।

हालाँकि ज्यादा समय तक लोन की राशि को चुकाने का विकल्प इसलिए भी चुन लिया जाता है क्योंकि इसके माध्यम से व्यक्ति को हर महीने की EMI के तौर पर कम राशि का भुगतान करना होता है। अब यदि वह जल्दी लोन चुकाने का सोचता है तो उसे हर महीने ज्यादा पैसों को लोन की किश्त के रूप में चुकाना होता है जबकि लंबे समय में छोटी किश्त को चुकाना होता है।

वार्षिक व मासिक ब्याज दर में अंतर

ऊपर आपने पढ़ा कि जब भी लोन देने वाला आपकी लोन राशि पर ब्याज दर लगाता है तो वह वार्षिक या मासिक कुछ भी हो सकता है। अब यदि आप केवल ब्याज के प्रतिशत पर गौर करते हैं और वह वार्षिक है या मासिक, इस पर गौर नहीं करते हैं तो आप बहुत बड़ी भूल कर रहे हैं। अब यदि कोई आपको 12 प्रतिशत के वार्षिक ब्याज पर लोन दे रहा है और दूसरा आपको 3 प्रतिशत मासिक ब्याज दर पर तो आप यह मत सोचिये कि वह 3 प्रतिशत वाला कम है और 12 प्रतिशत वाला ज्यादा। आइये उदाहरण से समझें।

जब वार्षिक ब्याज दर की बात आती है तो उसे महीने के अनुसार मासिक में बदलने के लिए उसे 12 से विभाजित किया जाता है। ऐसे में यदि आपके द्वारा ली जाने वाली लोन की राशि पर 12 प्रतिशत का वार्षिक ब्याज दर लग रहा है तो इसका मतलब हुआ आप पर हर महीने 1 प्रतिशत का मासिक ब्याज दर लग रहा है। वहीं मासिक ब्याज दर को वार्षिक में बदला जाए तो उसे 12 से गुणा करना होता है। इस हिसाब से यदि आपको 3 प्रतिशत का मासिक ब्याज दर मिल रहा है तो वह वार्षिक में 36 प्रतिशत पहुँच जाता है।

अब इसी तरह की गणना दैनिक, साप्ताहिक या तिमाही या अन्य किसी आंकड़े में भी की जा सकती है। इसी तरह जब आप ब्याज निकालने का फॉर्मूला लगा रहे हो तो उसमें जो ब्याज दर रखी गयी है, उसी में ही समय अवधि भी रखी जानी चाहिए। कहने का अर्थ यह हुआ की ब्याज दर मासिक है तो समय भी माह में ही लिखें और ब्याज दर वार्षिक है तो समय भी उसी रूप में ही लिखें।

ब्याज निकालने के उदाहरण

अब यहाँ पर हम आपके सामने ब्याज निकालने के 2 ऐसे उदाहरण रखने जा रहे हैं जो एक दूसरे से भिन्न है और उसकी सहायता से आपको ब्याज निकालना आ जाएगा। ऐसे में आपने लोन के रूप में जितनी भी राशि जितनी भी ब्याज दर और समय अवधि पर ली हुई हो, आप घर बैठे ही उस पर कितना ब्याज लगेगा, यह कैलकुलेट कर सकते हैं। तो आइये जाने इसके बारे में।

#1. यदि आपने 1 लाख की राशि 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर पर 3 वर्ष के लिए ली है तो उस पर लगने वाले ब्याज की गणना कुछ इस तरह से होगी:

ब्याज = मूलधन * ब्याज दर * समय अवधि

यहाँ मूलधन 100000, ब्याज दर 10% वार्षिक व समय अवधि 3 वर्ष है। तो ब्याज निकालने के फॉर्मूला में इन तीनो को रखा जाए तो वह इस तरह से होगा:

ब्याज = 100000 * (10 / 100) * 3

ब्याज = 100000 * 0.1 * 3

ब्याज = 10000 * 3

ब्याज = 30000

तो इस तरह से उस व्यक्ति को 3 वर्ष की अवधि के दौरान उस व्यक्ति को 30 हज़ार रुपयों का अत्यधिक भुगतान ब्याज के तौर पर करना होगा। इस तरह से वह व्यक्ति कुल 1 लाख 30 हज़ार रुपयों का भुगतान उस व्यक्ति को करेगा।

#2. यदि आपने 1 लाख की राशि 3 प्रतिशत मासिक ब्याज दर पर 2 वर्ष के लिए ली है तो उस पर लगने वाले ब्याज की गणना कुछ इस तरह से होगी:

ब्याज = मूलधन * ब्याज दर * समय अवधि

यहाँ मूलधन 100000, ब्याज दर 3% मासिक व समय अवधि 2 वर्ष अर्थात 24 माह है। अब यहाँ हमने समय अवधि को 2 वर्ष की बजाये 24 माह में इसलिए बदल दिया है क्योंकि आप पर जो ब्याज लग रहा है, वह मासिक है, ना कि वार्षिक। तो ब्याज निकालने के फॉर्मूला में इन तीनो को रखा जाए तो वह इस तरह से होगा:

ब्याज = 100000 * 3 / 100 * 24

ब्याज = 1000 * 3 * 24

ब्याज = 1000 * 72

ब्याज = 72000

इस तरह से आपको कुल 72 हज़ार रुपयों का भुगतान ब्याज की राशि के तौर पर करना होगा। तो 2 वर्ष की अवधि के बाद आपको कुल 1 लाख 72 हज़ार रुपये सामने वाले को देने होंगे।

लोन की किश्त कैसे निकालें? (Loan ki kist kaise nikale)

अब आपने ब्याज की गणना करने का फॉर्मूला तो जान लिया है और यह भी जान लिया है कि आपको सामने वाले को कितनी राशि का भुगतान करना होता है। इस तरह से मूल धन में ब्याज की राशि को जोड़ लिया जाए तो आपको उस समय अवधि तक सामने वाले व्यक्ति को उतने रुपयों का भुगतान करना होता है। किन्तु यहाँ प्रश्न यह उठता है कि आप उसके अनुसार हर महीने चुकाई जाने वाली लोन की किश्त का भुगतान कितना करेंगे।

तो यह जो लोन की किश्त होती है, इसे मुख्य तौर पर मासिक या वार्षिक रखा जाता है। सामान्य तौर पर यह मासिक ही होती है और वह हर महीने की एक समान ही होती है। तो इसे मूल धन व ब्याज की राशि को मिलाकर कुल महीने में से भाग दे दिया जाता है।

लोन की किश्त = (मूल धन + ब्याज की राशि) / समय अवधि (महीनो में)

इस हिसाब से हम ऊपर वाले दोनों उदाहरण के लिए लोन की किश्त को निकालना सीखते हैं। तो पहले वाले उदाहरण में व्यक्ति का मूल धन एक लाख और ब्याज की राशि 30 हज़ार थी। उसे चुकाने की अवधि 3 वर्ष अर्थात 36 माह थी।

लोन की किश्त = (100000 + 30000) / 36

लोन की किश्त = 130000 / 36

लोन की किश्त = 3611

इस हिसाब से उस व्यक्ति को अगले 3 वर्षों तक हर महीने 3611 रुपयों का भुगतान सामने वाले व्यक्ति को करना होगा। दूसरे उदाहरण के अनुसार लोन की राशि एक लाख, ब्याज 72 हज़ार और अवधि 2 वर्ष अर्थात 24 माह थी।

लोन की किश्त = (100000 + 72000) / 24

लोन की किश्त = 172000 / 24

लोन की किश्त = 7177

तो इस व्यक्ति को अगले 2 वर्ष हर महीने 7177 रुपयों का भुगतान लोन की किश्त के रूप में करना होगा। तो इस तरह से आप ब्याज और उसके अनुसर लोन की किश्त का आंकलन कर सकते हैं।

ब्याज कैसे निकालें – Related FAQs 

प्रश्न: ब्याज दर निकालने का सूत्र क्या है?

उत्तर: ब्याज दर निकालने का सूत्र, ब्याज = मूलधन * ब्याज दर * समय अवधि।

प्रश्न: ब्याज की गणना कैसे करें?

उत्तर: ब्याज की गणना करने के लिए आप इस फॉर्मूला का इस्तेमाल कर सकते हो, ब्याज = मूलधन * ब्याज दर * समय अवधि।

प्रश्न: 10000 का 2% ब्याज 1 महीने का कितना हुआ?

उत्तर: 10000 का 2% ब्याज 1 महीने के हिसाब से 200 होगा।

प्रश्न: 10000 का 3 परसेंट का ब्याज 1 महीने का कितना होगा?

उत्तर: 10000 का 3 परसेंट का ब्याज 1 महीने में 300 होगा।

तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने ब्याज निकालने के बारे में जानकारी प्राप्त कर ली है। साथ ही आपने जाना कि ब्याज क्या होता है ब्याज की गणना करने का फॉर्मूला क्या है और वार्षिक ब्याज दर और मासिक ब्याज दर में क्या अंतर है इत्यादि। आशा है कि जो जानकारी लेने के लिए आप इस लेख पर आए थे वह आपको मिल गई होगी। फिर भी यदि कोई शंका आपके मन में शेष है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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