केबल किसे कहते हैं? | केबल कितने प्रकार की होती हैं? | Cable kise kahate hain

|| केबल किसे कहते हैं? | Cable kise kahate hain | Cable and types of cable in Hindi | केबल कितने प्रकार की होती हैं? | Cable ki sanrachna in Hindi | Cable ke prakar | तार और केबल में क्या अंतर है? ||

Cable kise kahate hain :- हमारे आसपास तारों का जाल बना हुआ होता है और बिना इसके कोई भी काम किया जाना संभव नहीं होता है। अब चाहे मोबाइल को चार्ज करना हो या फिर मोबाइल में किसी डाटा का ट्रांसफर करना हो या किसी को फोन करना हो या कुछ और काम करना हो। हर किसी में इसी तार का ही इस्तेमाल होता है। इसी तार को ही अंग्रेजी भाषा में केबल कहा जाता है जो आज के समय में बहुत प्रचलन में (Cable and types of cable in Hindi) है।

तो यह केबल क्या होती है, इसके क्या कुछ प्रकार होते हैं, यह किस काम में आती है और किस किस तरह से इसका इस्तेमाल पक्का किया जाता है, इसके बारे में जानकारी ली जानी जरुरी हो जाती है। आज के इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ इसी के बारे में ही बातचीत करने वाले हैं ताकि आपकी केबल के बारे में सभी तरह की शंकाएं दूर हो सके। आइये जाने केबल क्या होती है और इसके कौन कौन से प्रकार होते (Cable in Hindi) हैं।

केबल किसे कहते हैं? (Cable kise kahate hain)

सबसे पहले बात करते हैं केबल के बारे में और जानने का प्रयास करते हैं कि आखिरकार यह केबल किसे कहा जाता है। तो यह केबल कुछ और नहीं बल्कि दो या दो से अधिक बिजली की तारों को आपस में जोड़कर बनायी गयी एक तार होती है जिसे अंग्रेजी भाषा में केबल कह दिया जाता (Cable ki paribhasha) है। अब यदि आप अपने घर में डिश लगवाते हैं या इंटरनेट चालू करवाते हैं तो उसके लिए डिश वाल या इंटरनेट वाला आपके घर की तारों को उनकी तारों से जोड़ देता है या यूँ कहें कि नयी तारों को बिछाकर जाता (Cable kya hai) है।

Cable kise kahate hain

तो इन्हीं सब तारों को ही केबल कहा जाता है जिसका इस्तेमाल आप अपने दैनिक जीवन में कर रहे होते हैं। एक तरह से हम चारों ओर से इन्हीं केबल से ही घिरे हुए होते हैं जो हमारे जीवन को सरल बनाने का काम कर रही होती (Cable ka meaning) है। इसमें कई तरह की केबल आती है और उनका इस्तेमाल भी अलग अलग रूप में ही किया जाता रहता है। सीधे शब्दों में कहा जाए तो कोई भी ऐसी तार जहाँ पर बिजली का प्रवाह हो रहा है और वह दो या दो से अधिक हो और उन्हें आपस में जोड़ा गया हो या गूंथा गया हो तो ही उसे केबल कहा जाता (Cable meaning in hindi) है।

वैसे तो केबल में कई तरह के प्रकार होते हैं और कई तरह की प्रक्रिया के तहत इसकी सरंचना को फाइनल रूप दिया जाता है। एक तरह से यह उसके उद्देश्य व लक्ष्य को प्रदर्शित करने का काम करती है और इसके बाद ही वह केबल तैयार की जाती है। ऐसे में आज हम आपके साथ केबल की सरंचना से लेकर उसके प्रकारों के बारे में हरेक बात सांझा (Cable ka matlab kya hota hai) करेंगे।

केबल की सरंचना (Cable ki sanrachna in Hindi)

अब जो भी केबल होती है उसमें उसकी सरंचना उसके प्रकार के हिसाब से भिन्न होती है। यह तो हमने आपको ऊपर ही बता दिया है कि हर तरह की केबल को उसके इस्तेमाल करने के उद्देश्य के तहत अलग अलग रूप में डिजाईन किया हुआ होता है और उसी तरह से ही इसका इस्तेमाल किया जाता (Cable kaise banti hai) है।

ऐसे में केबल की सरंचना किस तरह से होगी और उसमें किस किस तरह की चीज़ें लगायी जाएगी, यह उसी केबल के प्रकार पर ही निर्भर करता है। फिर भी हम आपके सामने केबल की सरंचना के मुख्य भागों के बारे में जानकारी रख देते हैं।

  • कन्डक्टर (Conductor): यह केबल का मुख्य भाग होता है जिसमें विद्युत ऊर्जा या सिग्नल पास होता है। कन्डक्टर आमतौर पर मेटल तार (स्थानिक विद्युत केबल के लिए) या ऑप्टिकल फाइबर (ऑप्टिकल फाइबर केबल के लिए) का बना होता है।
  • इंसुलेटर (Insulator): इस परत का काम होता है कन्डक्टर को बाहरी प्रकृतियों से बचाना और इसे सुरक्षित रूप से रखना। यह परत आमतौर पर प्लास्टिक, रबड़, या विशेष इंसुलेटिंग मैटेरियल से बनी होती है।
  • शील्डिंग (Shielding): कुछ केबल्स में एक शील्डिंग परत होती है जो कन्डक्टर को इलेक्ट्रॉमैग्नेटिक इंटरफ़ेरेंस (EMI) और रेडियो फ़्रीकवेंसी इंटरफ़ेरेंस (RFI) से सुरक्षित रखने में मदद करती है।
  • जैकेट (Jacket): यह परत केबल को हवा, पानी से बचाने और मैकेनिकल डैमेज से सुरक्षित रखने के लिए होती है। यह आमतौर पर प्लास्टिक, PVC, या रबड़ से बना होता है।
  • कनेक्टर (Connector): यह केबल को अन्य उपकरणों या सिस्टमों से जोड़ने के लिए होता है और सिग्नल या ऊर्जा को पास करने में मदद करता है।

केबल के प्रकार (Cable ke prakar)

अब केबल तो कई तरह की हो सकती है जो उनके कार्यों को दिखाती है। सीधे शब्दों में कहा जाए तो आज के समय में केबल के प्रकारों के बारे में बात करना कुछ उसी तरह है जैसे कि मोबाइल के प्रकारों के बारे में बात करना। वह इसलिए क्योंकि इनके प्रकार उनके उद्देश्य, बनावट, सरंचना, बिजली का प्रवाह इत्यादि के कारण परिवर्तित हो जाते (Types of cable in Hindi) हैं।

अब हम केबल को बिजली के प्रवाह के अनुसार भी बाँट सकते हैं तो वहीं वह किस काम में उपयोग में आ रही है, उस पर भी बाँट सकते हैं और वह किस तरह से बनी हुई है या उसकी सरंचना किस तरह की है, उस आधार पर भी बाँट सकते हैं। हालाँकि सामान्य तौर पर केबल को उसकी उद्देश्य पूर्ति के अनुसार बांटा जाता है जैसे कि हम भी बोलते हैं कि यह डिश वाली केबल है या मोबाइल की कान वाली या है इंटरनेट वाली केबल है (Cable types in Hindi) इत्यादि।

तो हम भी उसी आधार पर ही केबल के प्रकारों को बांटकर आपके सामने रखने जा रहे हैं ताकि आपको इसके बारे में सही से आईडिया हो सके। आइये जाने केबल के सभी तरह के प्रकारों के बारे में।

विद्युत केबल (Electrical Cable)

इस तरह की केबल का इस्तेमाल किया जाना सबसे आम होता है क्योंकि इसी की सहायता से ही बिजली को एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाने का काम किया जाता है। अब हमारे घर में जो भी पंखे, कूलर, टीवी इत्यादि चलते हैं या मोबाइल, कंप्यूटर इत्यादि चार्ज होते हैं तो वह सब इन्हीं बिजली की तारों से या विद्युत केबल से ही तो चार्ज हो रहे होते हैं।

ऐसे में केबल के प्रकारों में जिस भी केबल का नाम सबसे पहले लिया जाता है, उसमें इन्हीं विद्युत केबल का नाम ही प्रमुखता के साथ आता है क्योंकि इनके बिना अन्य किसी केबल का कोई औचित्य नहीं रह जाता है। यह हम सभी के लिए बहुत ही आवश्यक केबल का प्रकार है जिसका हमारे दैनिक जीवन में इस्तेमाल होता है।

नेटवर्क केबल (Network Cable)

नेटवर्क केबल इन्टरनेट या कंप्यूटर नेटवर्क कनेक्टिविटी के लिए इस्तेमाल होती है, जैसे कि ईथरनेट केबल। अब हम अपने मोबाइल में भी इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं तो वहीं अपने घर पर वाई फाई की सुविधा लगाकर रखते हैं। तो इसके लिए जिन केबल का उपयोग किया जाता है उन्हें ही नेटवर्क केबल कहा जाता है। यह नेटवर्क केबल केवल इंटरनेट की सुविधा ही नहीं देती है बल्कि इसके जरिये हम एक दूसरे से बात करने में भी सक्षम होते हैं।

कहने का अर्थ यह हुआ कि पहले घरों में जो टेलीफ़ोन हुआ करता था और उसके माध्यम से हम अपने परिचितों से बात किया करते थे, तो उसके लिए इसी नेटवर्क केबल का ही उपयोग किया जाता था। इसी के माध्यम से ही हम एक दूसरे से संपर्क करने में सक्षम हो पाते थे। इसी कारण इन्हें नेटवर्क केबल नाम दिया गया है।

ऑप्टिकल फाइबर केबल (Optical Fiber Cable)

अब जब इंटरनेट का इस्तेमाल इतनी तेजी के साथ बढ़ चुका है तो उसके लिए डाटा को एक जगह से दूसरी जगह तेजी के साथ भेजा जाना भी बहुत जरुरी हो जाता है। बिना इसके तो कोई भी काम नहीं हो पायेगा या उसमें बहुत देर हो जाएगी। वैसे भी समय के साथ साथ इंटरनेट की स्पीड बढ़ती ही जा रही है तो उसके लिए डाटा को भेजना भी जरुरी होता है और वो भी तेज गति के साथ।

ऐसे में इस तरह की ऑप्टिकल फाइबर केबल बेहद तेज डाटा ट्रांसमिशन के लिए उपयोग में लाई जाती है। इसी कारण घरों में वाई फाई की सुविधा देने के लिए और तेज इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध करवाने के लिए ऑप्टिकल फाइबर का इस्तेमाल केबल के रूप में किया जाता है।

कोएक्शल केबल (Coaxial Cable)

इस तरह की केबल का इस्तेमाल केबल टीवी, सैटेलाइट टीवी और केबल इंटरनेट के लिए होता है। पहले हम सभी के घरों में केबल वाला टीवी ही लगा हुआ होता था और आज भी बहुत के घरों में इसी केबल टीवी का ही इस्तेमाल किया जाता है। इसके माध्यम से केबल वाला भैया हमारे घर में एक तार भेजता है और उससे टीवी का कनेक्शन सेटअप हो जाता है।

इसी के साथ ही इंटरनेट और आकाशीय सिग्नल के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है जो बहुत ही आम है। हालाँकि केबल टीवी में तो इसका इस्तेमाल बंद सा हो चला है और इंटरनेट के लिए भी ऑप्टिकल फाइबर वाली केबल का ही इस्तेमाल किया जा रहा है।

ऑडियो/वीडियो केबल (Audio/Video Cable)

ये केबल्स ऑडियो और वीडियो सिग्नल को वीडियो स्क्रीन्स, लाउडस्पीकर्स और अन्य उपकरणों से जोड़ने के लिए उपयोग की जाती है, जैसे कि HDMI केबल और RCA केबल। अब हम किसी मंच पर जाते हैं तो वहां हमें माइक दिया जाता है जिसकी सहायता से हमारी आवाज दूर बैठे दर्शक तक पहुँच पाती है। इसी के साथ ही लाउडस्पीकर या अन्य तरह के स्पीकर का इस्तेमाल भी आज के समय में बहुत आम हो चला है।

तो ऑडियो या वीडियो को एन्हांस करने या उसे दूर तक पहुँचाने के लिए जिन जिन चीज़ों का इस्तेमाल किया जाता है, उसी में ही यह केबल भी होती है। इसी केबल की सहायता से ही वह ऑडियो दूर तक और सही रूप में पहुँच पाती है।

स्टीरिंग केबल (Steering Cable)

ये वाहनों, जैसे कि नौकाओं और ट्रैक्टर्स के स्टीरिंग सिस्टम के लिए इस्तेमाल होती है। अब हम किसी भी तरह के ऐसे वाहन को चलाते हैं जिनमें गियर होते हैं तो उसके लिए स्टीरिंग दिया गया होता है जिसको हैंडल करना होता है। इसी स्टीरिंग की सहायता से ही हम गियर को बदलने में और उसे एक सही दिशा देने में कामयाब होते हैं।

तो इस तरह की केबल को ही स्टीरिंग केबल कहा जाता है जो वाहनों में प्रमुखता के साथ उपयोग में लायी जाती है। इसी के माध्यम से ही उस वाहन को एक निश्चित गति में और एक दिशा में चलने के संदेश प्राप्त होते हैं और वह काम कर पाता है।

डिस्प्ले केबल (Display Cable)

इस तरह की केबल डिस्प्ले मॉनिटर्स और कंप्यूटर्स के डिस्प्ले को कंप्यूटर से जोड़ने के लिए उपयोग में लाई जाती है, जैसे कि VGA केबल और DVI केबल। अब हम जब कंप्यूटर का इस्तेमाल कर रहे होते हैं तो उसमें मॉनिटर अलग होता है और डिस्प्ले अलग होता है। इन दोनों के बीच में कनेक्शन को बनाने के लिए आप एक मोटी तार का इस्तेमाल करते होंगे और उसे ही डिस्प्ले केबल कहा जाता है।

हालाँकि इस तरह की केबल का इस्तेमाल आप बहुत पहले से करते आ रहे होंगे और हर कंप्यूटर में डिस्प्ले को दिखाने के लिए इसका उपयोग होता ही है। अब चूँकि कंप्यूटर का इस्तेमाल कम हो चला है और लैपटॉप का इस्तेमाल ज्यादा हो रहा है तो डिस्प्ले केबल की माँग में भी बहुत कमी आ गयी है।

ऑटोमोटिव केबल (Automotive Cable)

ये गाड़ियों और वाहनों के इलेक्ट्रिकल सिस्टम के लिए इस्तेमाल में लाई जाती है, जैसे कि बैटरी केबल और इलेक्ट्रिकल होर्न्स। आज के समय में तरह तरह के आधुनिक वाहन आते जा रहे हैं और उसमें ज़माने के साथ साथ तरह तरह के आधुनिक फीचर व सुविधाएँ दी जा रही है जिसमें इलेक्ट्रिक सुविधाएँ जोड़ना आम बात है।

तो किसी भी वाहन में ऑटोमेटिक रूप से जो काम हो रहा है या इलेक्ट्रिक से जुड़ा कोई काम हो रहा है तो उसके लिए ऑटोमोटिव केबल का ही इस्तेमाल किया जाता है।

माइक्रोफोन केबल (Microphone Cable)

माइक्रोफोन्स केबल ऑडियो सिग्नल को ऑडियो सिस्टम से जोड़ने के लिए इस्तेमाल में लाई जाती है। हम अक्सर ऑफिस की मीटिंग में इस तरह के माइक्रोफोन का इस्तेमाल करते हुए पाए जाते हैं। अब सुन तो हमें जाता है लेकिन हमारी आवाज को दूसरी ओर सही और स्पष्ट रूप में पहुँचाने के लिए उसमें माइक्रोफोन का लगा होना जरुरी होता है।

तो इस माइक्रोफोन के सही से काम करने के लिए ही इस केबल का इस्तेमाल किया जाता है जिसे नाम ही माइक्रोफोन केबल का दिया गया है। इससे उस आवाज को स्पष्ट रूप में आगे भेजा जा सकता है ताकि सामने वाले व्यक्ति को आपकी बात सही से समझ में आ सके।

सोलर केबल (Solar Cable)

इस तरह की केबल का उपयोग सोलर पैनल और चार्ज कंट्रोलर्स के बीच ऊर्जा को पास करने के लिए होता है। यदि आज आप इसको लेकर देखेंगे तो पाएंगे की बहुत से घरों की छत पर सोलर पैनल लग चुके हैं जिनसे बिजली का निर्माण हो रहा है। इसी के साथ ही बहुत सी ऐसी चीज़े हैं जो सोलर ऊर्जा से ही चल रही है या उसका इस्तेमाल कर रही है।

ऐसे में सोलर ऊर्जा का सही से इस्तेमाल करने और उसे प्रभावी बनाने के लिए ही इस सोलर केबल का इस्तेमाल किया जाता है। इसी सहायता से सोलर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदल कर मनुष्य का कार्य सरल कर दिया जाता है।

केबल किसे कहते हैं – Related FAQs 

प्रश्न: केबल कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर: केबल के प्रकारों के बारे में जानकारी प्राप्त करनी है तो आप ऊपर हमारे द्वारा लिखा गया यह लेख पढ़ सकते हैं।

प्रश्न: तार और केबल में क्या अंतर है?

उत्तर: तारों के समूह को केबल कहा जाता है जबकि तार में एक ही कंडक्टर होता है।

प्रश्न: केबल को क्या बोलते हैं?

उत्तर: केवल को हिंदी में धातु का रस्सा बोलते हैं।

प्रश्न: केबल का काम क्या है?

उत्तर: केबल का काम बिजली के प्रवाह को विद्युत स्त्रोतों से उपकरणों में स्थानांतरित करने का होता है।

प्रश्न: केबल के अंदर कौन सी धातु होती है?

उत्तर: केबल के अंदर एल्यूमीनियम और कॉपर धातु होती है।

तो इस तरह से आपने इस लेख के माध्यम से केबल के बारे में जानकारी प्राप्त कर ली है आपने जाना कि केबल किसे कहते हैं केबल की सरंचना कैसी है और केबल के प्रकार क्या कुछ हैं इत्यादि। आशा है कि जो जानकारी लेने के लिए आप इस लेख पर आए थे वह आपको मिल गई होगी। यदि कोई शंका आपके मन में शेष है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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