|| रिटर्न आन इन्वेस्टमेंट क्या है? सीएजीआर कैसे कैलकुलेट किया जाता है?, निवेश कितने प्रकार के होते हैं?, (What is return on investment? How CAGR is calculated?), निवेश का क्या उद्देश्य होता है? ||
अच्छे रिटर्न के लिए अधिकांशतः लोग प्रापर्टी में निवेश करते हैं। जैसे वे प्लाट खरीद लेते हैं। मकान खरीद लेते हैं। उनकी मंशा होती है कि वे भविष्य में प्लाट बेचकर उससे लाभ कमाएं। अथवा मकान किराए पर देकर उससे कमाई करें। बहुत से लोग अपने मेहनत से कमाए गए पैसे को शेयर बाजार में इन्वेस्ट करते हैं। वे शेयर अथवा स्टाक खरीद लेते हैं, ताकि भविष्य में उन्हें इसकी बिक्री से मुनाफा हो सके।
इस निवेश पर उन्हें जो लाभ होता है, उसे रिटर्न आन (इन्वेस्टमेंट return on investment) पुकारा जाता है। निवेशक अक्सर अपने लाभ के अनुपात पर नजर रखने के लिए रिटर्न आन इन्वेस्टमेंट को कैलकुलेट करते हैं। इस पोस्ट में हम आपको इसी टर्म रिटर्न आन इन्वेस्टमेंट (return on investment) की जानकारी देंगे।
साथ ही आपको बताएंगे कि सीएजीआर (CAGR) क्या होता है एवं उसे कैसे कैलकुलेट (calculate) करते हैं। उम्मीद है कि यह पोस्ट आपको पसंद आएगी।
निवेश क्या होता है? (what is investment)
रिटर्न आन इन्वेस्टमेंट (return on investment) के बारे में जानने से पहले इन्वेस्टमेंट (investment) यानी निवेश को समझ लेते हैं। सामान्य शब्दों में कहें तो जब हम कोई संपत्ति (property) लाभ (profit) कमाने के उद्देश्य से खरीदते हैं तो वह निवेश कहलाता है। जैसे-कोई घर खरीदना एवं उसे बेचकर लाभ कमाना या फिर किराए पर देकर कमाई करना।
इसके अतिरिक्त बैंक (bank) में एफडी (FD) कराकर उससे ब्याज (interest) की कमाई करना अथवा अधिक लाभ की आस में शेयर (share) आदि खरीदना। आपको बता दें कि अधिकांशतः निवेश से हमें तुरंत लाभ नहीं मिलता। इसके लिए इंतजार करना पडता है।
निवेश का क्या उद्देश्य होता है?
अब आते हैं निवेश के उद्देश्य पर। सीधी सी बात तो यही है कि निवेश लाभ कमाने के लिए किया जाता है। लेकिन इसका उद्देश्य समय के साथ साथ अपनी बचत का मूल्य बढ़ाना भी होता है।
आपको जानकारी दे दें कि जुआ खेलकर अथवा कसीनो में जाकर पैसा कमाना निवेश नहीं कहलाता। निवेश के साथ लीगल (legal) होने की शर्त भी जुड़ी है।
निवेश कितने प्रकार के होते हैं? (investment is of how many types)
अब आते हैं निवेश के प्रकार पर। यदि अवधि की बात करें तो निवेश तीन प्रकार के होते हैं-
1. अल्पकालीन निवेश (short term investment) – इसमें कम वक्त के लिए एफडी, सोना-चांदी, शेयर मार्केट आदि का निवेश शामिल किया जाता है।
2. मध्यकालीन निवेश (mid term investment)- यह निवेश एक साल से लेकर से पांच साल तक के लिए किया जाता है। इसमें म्युचुअल फंड, स्टाॅक, बांड, सोना, प्रापर्टी, शेयर मार्केट, एफडी आदि में निवेश शामिल किया जाता है।
3. दीर्घकालीन निवेश (long term investment)- यह निवेश समान्यतः पांच वर्ष से अधिक के वक्त के लिए किया जाता है। जैसे स्टाॅक, म्युचुअल फंड, गोल्ड, प्रापर्टी, एफडी, पीपीएफ आदि में निवेश को इस श्रेणी में रखा जा सकता है।
यदि जोखिम (risk) के आधार पर देखें तो निवेश दो प्रकार के होते हैं-
1. सुरक्षित निवेश (secure investment)- ये वह निवेश है, जिसमें आपकी लगाई गई पूंजी (capital) के साथ ही लाभ अर्थात रिटर्न मिलने का भी पूरा भरोसा होता है। जैसे-गोल्ड, एफडी, पीपीएफ, रियल एस्टेट एवं नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट आदि।
2. असुरक्षित निवेश (insecure investment)- ये वे निवेश हैं, जिनमें कोई भी निवेशक अपने रिस्क पर निवेश करता है। इसमें रिटर्न की कोई गारंटी नहीं होती। जैसे-शेयर मार्केट, स्टाक, बांड, म्युचुअल फंड आदि।
रिटर्न आन इन्वेस्टमेंट क्या है? (what is return on investment)
हमने आपको बताया है कि इन्वेस्टमेंट का अर्थ है निवेश एवं रिटर्न का अर्थ है वापसी यानी लाभ। ऐसे में रिटर्न आन इन्वेस्टमेंट का सीधे सीधे अर्थ है निवेश पर लाभ। रिटर्न आन इन्वेस्टमेंट (return on investment) से हमें यह पता चलता है कि जो पैसा हमने निवेश किया है उस पर हमें किस अनुपात में लाभ हो रहा है।
इसे ऐसे भी समझ सकते हैं- मान लीजिए कि कोई बैंक एफडी पर 5 प्रतिशत ब्याज देता है। इसका अर्थ यह है कि बैंक में फिक्स्ड डिपाजिट में इन्वेस्टमेंट से मिलने वाला रिटर्न आन इन्वेस्टमेंट 7% है। पूरे साल में किसी निवेश से होने वाले लाभ के प्रतिशत को रिटर्न आन इन्वेस्टमेंट पुकारा जाता है।
रिटर्न आन इन्वेस्टमेंट से जुड़े मुख्य बिंदु (main features of return on investment)
- रिटर्न आन इन्वेस्टमेंट (return on investment) अर्थात आरओआई (ROI) निवेश की परफार्मेंस (performance) का मापक (measurement) है।
- ROI का इस्तेमाल कर आप स्टाक, रियल एस्टेट अथवा ट्रेडिंग में फायदा उठा सकते हैं।
- ROI का कैलकुलेशन (calculation) निवेश के अंतिम मूल्य (ending value) से निवेश के प्रारंभिक मूल्य (primary value) को घटाकर की जाती है। इसके बाद इसे निवेश की लागत (cost of investment) से विभाजित कर 100 से गुना कर किया जाता है।
- रिटर्न आन इन्वेस्टमेंट का सामान्य फार्मूला यह है-ROI=Net profit/Cost of investment×100
- positive ROI का अर्थ है कि नेट रिटर्न (net return) पाजिटिव है, क्योंकि कुल रिटर्न किसी भी रिलेटेड काॅस्ट से अधिक है। एक नेगेटिव आरओआई (negative ROI) नेट रिटर्न के नेगेटिव होने का संकेत देता है। यह बताता है कि कुल लागत रिटर्न से अधिक है।
रिटर्न आन इन्वेस्टमेंट कैसे कैलकुलेट किया जा सकता है? (how return on investment is calculated?)
रिटर्न आन इन्वेस्टमेंट को कैलकुलेट करने के सामान्य रूप से दो तरीके हैं। पहला तरीका है एब्योल्यूट रिटर्न absolute (return) एवं दूसरा है सीएजीआर (CAGR) अर्थात कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (compound annual growth rate) इसे हिंदी में संयुक्त वार्षिक वृद्धि दर भी पुकारा जाता है। अब इन्हें विस्तार से जान लेते हैं-
1. एब्साॅल्यूट रिटर्न क्या है? इसे कैसे कैलकुलेट करते हैं? (what is absolute return? How it is calculated?)
पहले बात एब्साल्यूट रिटर्न की कर लेते हैं। इसमें समय को महत्व नहीं दिया जाता है। केवल साधारण लाभ (general interest) की भांति कैलकुलेट किया जाता है। लाभ को प्रतिशत के रूप में शो किया जाता है। इसका फार्मूला है-
ending period value/primary period value×1/100
2. सीएजीआर क्या है? इसे कैसे कैलकुलेट करते हैं (what is CAGR? How it is calculated?)-
सीएजीआर (CAGR) बताता है कि कोई निवेश प्रत्येक वर्ष कंपाउंडिंग तरीके से कितने प्रतिशत बढ़ रहा है। इसमें औसत लाभ की बढ़ोत्तरी को प्रतिशत के रूप में निकाला जाता है। इसका फार्मूला है-
ending period value/primary or starting period value^1/n-1
(यहां n का अर्थ number of years से है।)
यदि आपने अलग-अलग संपत्ति (different properties) में निवेश किया है तो उसमें लाभ की गणना (calculation) करने के लिए सीएजीआर का इस्तेमाल ही करें। इससे आपको मिलने वाले लाभ की गणना बेहतर तरीके से होगी।
पहले प्रापर्टी में निवेश का क्रेज था, अब शेयर बाजार में भी
बेशक पहले लोग प्रापर्टी में निवेश को ही प्राथमिकता देते थे, लेकिन वर्तमान समय में लोग बड़े रिटर्न के लिए शेयर मार्केट (share market), सिप (SIP) आदि में निवेश को भी बड़ी संख्या में प्राथमिकता दे रहे हैं, जबकि प्रापर्टी आदि के मुकाबले यह निवेश सुरक्षित नहीं है। लेकिन लोग अच्छी कमाई की आस में रिस्क लेने से भी नहीं चूक रहे हैं।
वे घर बैठे आनलाइन डीमैट एकाउंट खोलकर शेयरों की खरीद बेच में बेहतर पैसा कमा रहे हैं। बहुत से लोग अधिक रिटर्न के लिए चिटफंड कंपनियों में भी पैसा जमा कर देते हैं, लेकिन बहुत बार ऐसा होता है कि यहां से अच्छी कमाई मिलने के स्थान पर वे अपनी निवेश की गई पूंजी तक गंवा देते हैं।
बचत एवं निवेश में अंतर समझें (differentiate between saving and investment)
बहुत से लोग बचत (savings) एवं निवेश (investment) को एक ही समझते हैं, जबकि ऐसा नहीं होता। हम आपको इन दोनों terms में अंतर स्पष्ट करते हैं। बचत का अर्थ होता है नकदी रखना (maintaining cash) अथवा खाते में पैसा जमा करके अलग रखना। बचत सामायतः छोटे वित्तीय लक्ष्यों (small financial goals) को पूरा करने के लिए की जाती है।
इसमें कम अथवा शून्य जोखिम (less or zero risk) होता है। इससे कोई रिटर्न अथवा मुनाफा नहीं कमाया जाता सकता। जबकि वहीं, निवेश एक लंबे समय के लिए की जाने वाली गतिविधि है। निवेश के साथ कुछ जोखिम भी होते हैं, हालांकि लांग टर्म के लिए किए गए निवेश पर इनका असर कम होता है। निवेश के नतीजे उसके प्रकार पर भी निर्भर करते हैं। जैसे-
कुछ निवेश लाॅक इन पीरियड (lock in period) के साथ आते हैं, जबकि कुछ निवेश को बेहद आसानी से पे आफ (pay off) किया जा सकता है। कोई भी अपनी पसंद एवं आवश्यकता अनुसार अपने निवेश का प्रकार एवं प्लान चुनता है।
कोई व्यक्ति पैसा क्यों निवेश करता है? (why a person invest his money?)
यह तो हम आपको बता ही चुके हैं कि निवेश का प्राथमिक उद्देश्य लाभ कमाना होता है, लेकिन इसके अतिरिक्त अन्य कई कारण हैं, जिनकी वजह से कोई भी व्यक्ति पैसा निवेश करता है, ये निम्नवत हैं-
a) इमरजेंसी के वक्त सहायता के लिए
वक्त बहुत अनिश्चित होता है। यह किसी को पता नहीं चलता कि कब इमरजेंसी से सामना हो जाए। खास तौर पर मेडिकल इमरजेंसी (medical emergency)। ऐसे वक्त में निवेश ही काम आता है।
b) भविष्य के वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए
निवेश भविष्य के वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने में सहायता करता है। जैसे-कई लोग रिटायरमेंट के समय एक निश्चित आय के लिए अथवा कार, घर आदि खरीदने के लिए निवेश करते हैं।
c) अपने पैसे को सुरक्षित रखने के लिए
बहुत से लोग बहुत खर्चीले होते हैं। उनके हाथ में पैसा नहीं टिकता। ऐसे में अपने पैसे को सुरक्षित रखने के लिए निवेश सबसे अच्छा माध्यम साबित होता है।
निवेश करते समय क्या सावधानी रखें? (things to keep in mind while making an investment)
निवेश करते समय आपको कुछ सावधानियां बरतनी होंगी, जो कि इस प्रकार से हैं-
- शेयर मार्केट जैसे किसी भी हाईरिस्क वैन्यू पर सोच समझकर पैसा लगाएं।
- निवेश से पूर्व किसी विश्वसनीय वित्तीय सलाहकार से अवश्य सलाह लें।
- निवेश पोर्टफोलियो बनाकर करें। किसी एक ही शेयर अथवा बांड में निवेश करने से बचें।
- जिस कंपनी के शेयरों में निवेश करने जा रहे हों, उसकी परफार्मेंस हिस्ट्री अवश्य जांच लें।
- अपने वित्तीय लक्ष्यों के अनुसार ही निवेश करें। इसी के अनुसार अपने निवेश की अवधि भी तय करें।
- कभी भी अपना पैसा जल्दबाजी अथवा किसी की देखा देखी में निवेश न करें।
- यदि आप रियल एस्टेट में पैसा निवेश कर रहे हों, तो जमीन के कागजात की जांच करा लें।
- सोने के दामों में उतार चढ़ाव होता रहता है। अपनी जरूरत के हिसाब से इसमें निवेश करें।
निवेश क्या होता है?
जब कोई व्यक्ति लाभ कमाने के उद्देश्य से कोई संपत्ति खरीदता है तो उसे निवेश पुकारा जाता है।
रिटर्न आन इन्वेस्टमेंट का क्या अर्थ है?
रिटर्न आन इन्वेस्टमेंट का अर्थ निवेश पर होने वाले लाभ से है।
रिटर्न आन इन्वेस्टमेंट की गणना के क्या तरीके हैं?
रिटर्न आन इन्वेस्टमेंट की गणना के दो तरीके हैं-1. एब्साॅल्यूट रिटर्न, 2. सीएजीआर।
सीएजीआर की फुल फाॅर्म क्या है?
सीएजीआर की फुल फाॅर्म कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट है।
एब्साॅल्यूट रिटर्न कैसे कैलकुलेट किया जाता है?
एब्साॅल्यूट रिटर्न साधारण लाभ की भांति कैलकुलेट किया जाता है।
यदि किसी व्यक्ति ने 5 लाख में संपत्ति खरीदकर 8 लाख में बेची है तो उसका रिटर्न आन इन्वेस्टमेंट कितना होगा?
साधारण रूप से ऐसी स्थिति में रिटर्न आन इन्वेस्टमेंट 60 प्रतिशत होगा।
हमने इस पोस्ट में आपको रिटर्न आन इन्वेस्टमेंट के बारे में बताया। आशा है कि इस पोस्ट से आपकी जानकारी में वृद्धि हुई होगी। यदि आप रिटर्न आन इन्वेस्टमेंट पर अन्य लोगों को भी जागरूक करना चाहते हैं तो इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करें। धन्यवाद।
————————