CBI Kya hai? CBI और CID में क्या अंतर है? CBI Officer Kaise Bane

दोस्तो, फिल्मों में अक्सर सीबीआई अफसर की कार्यप्रणाली को देखकर युवाओं में सीबीआई अफसर बनने की उत्कंठा जाग जाती है। वह बड़े से बड़े मामलों को अपनी बुद्धिमता के बल पर चुटकियों में हल करने का सपना संजोने लगते हैं। मित्रों, लेकिन क्या आप जानते हैं कि CBI है क्या? यह करती क्या है? इसकी कार्यप्रणाली क्या है? CID और CBI में अंतर क्या है? अगर आपका जवाब नहीं में है तो भी चिंता की कोई बात नहीं। आज हम इस पोस्ट के माध्यम से आपको CBI के बारे में बिंदुवार बताएंगे। आइए, सबसे पहले जान लेते हैं कि CBI क्या है –

CBI क्या है? CBI Full Form In Hindi –

दोस्तों, CBI की फुल फॉर्म है- central bureau of investigation. जैसा कि नाम से ही साफ है-यह केंद्र की जांच एजेंसी है। इसका कार्य क्षेत्र पूरा देश है।

CBI Kya hai? CBI और CID में क्या अंतर है? CBI Officer Kaise Bane

CBI क्या करती है?

CBI देश-विदेश के स्तर पर अपराध, भ्रष्टाचार, राष्ट्रहित से जुड़े मसलों की जांच करती है। मसलन दंगे, हत्या, भ्रष्टाचार आदि। केंद्र सरकार राज्य सरकार की सहमति से ही किसी राज्य सरकार से जुड़े मामलों की भी जांच करती है। दोस्तों, आपको यह भी बता दें कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट राज्य सरकार की सहमति के बिना देश के किसी भी राज्य में आपराधिक मामले की जांच के लिए सीबीआई को आदेश दे सकते हैं।

CBI की स्थापना कब हुई?

CBI की स्थापना हमारे देश भारत की आजादी से करीब छह वर्ष पूर्व 1941 में हुई थी। इसका मुख्यालय दिल्ली में है। दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम, 1946 ने सीबीआई को जांच की शक्ति दीं। भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए गठित कमेटी संथानम समिति की सिफारिश के आधार पर 1963 में पहले इसे गृह मंत्रालय के अंतर्गत किया गया था। लेकिन इसके बाद इसे कार्मिक मंत्रालय के अधीन स्थानांतरित कर दिया गया। दोस्तों, आपको लगे हाथ यह भी बता दें कि सीबीआई में अफसर बनने के लिए भी वही कुछ चीजें जरूरी हैं, जो कि सीआईडी अफसर बनने के लिए जरूरी होती हैं। जैसे कि आपके कम्युनिकेशन स्किल्स बहुत मजबूत हों।

इसके अलावा आपकी विश्लेषण यानी analysis की क्षमता के साथ ही आपकी decision taking यानी निर्णय लेने की क्षमता भी बहुत बेहतर हो। आप किसी भी emergency की परिस्थितियों में बेहतर निर्णय ले सकें, इसकी ability आपके अंदर होनी चाहिए। इसके अलावा अगर शैक्षिक योग्यता की बात करें तो आपको अच्छे अंकों के साथ ग्रेजुएट भी होना चाहिए। और साथ-साथ उन शारीरिक मापदंडों पर भी खरा उतरना चाहिए, जो कि सीबीआई ने अपने यहां अफसर की भर्ती के लिए नियत किए हुए हैं।

एक बात और अगर आप CBI में भर्ती हो जाते हैं तो फिर आपको देश में कहीं भी, किसी भी हालात में काम करने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। इसके बाद किसी तरह का कोई if , but नहीं होना चाहिए। इसके अलावा काम के कोई घंटे भी निर्धारित नहीं होते। इसलिए आपको उसके बारे में भी किसी भी तरह का कोई शिकवा या शिकायत नहीं होना चाहिए। काम को ही सब कुछ मानकर चलना होगा। पुराने केसों का अध्ययन भी आपको बहुत मददगार साबित हो सकता है।

सीबीआई और सीआईडी में क्या अंतर है?

सीआईडी और सीबीआई में लोग अक्सर कन्फ्यूज रहते हैं। दोस्तों, आपने देखा होगा कि स्थानीय राजनीति में भी बहुत सारे ऐसे लोग होते हैं, जो किसी हत्या या अन्य किसी भी प्रकरण में अक्सर सत्तासीन सरकार से सीआईडी और सीबीआई जांच होने की मांग दोहराते रहते हैं। लेकिन उन्हें यह भी पता नहीं होता है कि सीबीआई और सीआईडी में आखिर अंतर है क्या है। दोस्तों, क्या आप जानते हैं कि इन दोनों में क्या अंतर है? अगर नहीं भी जानते हैं तो जान लीजिए, दोनों में निम्नलिखित अंतर हैं –

  • 1-CID प्रदेश पुलिस बल का जांच एवं खुफिया विभाग होता है। वहीं, CBI केंद्र की एजेंसी है।
  • 2-CID की स्थापना ब्रिटिश काल में 1902 में हुई। पुलिस कर्मियों को इसमें शामिल किए जाने से पहले विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। CBI की स्थापना 1941 में हुई। इसे जांच की शक्ति 1946 में मिलीं।
  • 3-इनका जांच क्षेत्र अलग अलग है। CID प्रदेश के अंतर घटित होने वाली घटनाओं मसलन घोटाले, अपहरण, हत्या आदि की जांच करती है। वहीं, CBI का कार्य क्षेत्र पूरा देश होता है। वह पूरे देश में होने वाली विभिन्न घटनाओं की जांच का काम करती है।
  • 4-CID राज्य सरकार के आदेश पर काम करती है। उसे संबंधित राज्य की हाईकोर्ट भी आदेशित करती है। वहीं, CBI को आदेश देने का अधिकार केंद्र सरकार, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के पास होता है।
  • 5-अगर किसी व्यक्ति को CID में शामिल होना है तो उसे राज्य सरकार की ओर से आयोजित की जाने वाली पुलिस परीक्षा पास करने के बाद अपराध विज्ञान की परीक्षा पास करनी होती है, जबकि CBI में शामिल होने के लिए एसएससी बोर्ड की ओर से आयोजित परीक्षा को पास करना होगा।

सीबीआई को क्यों कहा गया तोता-

सीआईडी और सीबीआई को फिल्मों में बहुत निष्पक्ष जांच एजेंसियां दिखाया गया है। निष्पक्षता ही वह आधार था, जिस पर लोग किसी भी बड़े मामले की जांच सीबीआई को सौंप दिए जाने की गुहार लगाते थे। लेकिन पिछले कुछ समय में असल में केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई की छवि बहुत खराब हुई है। उसे केंद्र सरकार के तोते की संज्ञा दी गई। जिस तरह तोता बताई गई बात को ही दोहराता है, उसी तरह सीबीआई पर भी केंद्र सरकार का तोता होने का आरोप लगा।

विपक्ष के दल अक्सर सत्तासीन सरकार पर सीबीआई का दुरुपयोग किए जाने का आरोप लगाते रहे हैं। कई राज्यों में यह देखने को भी मिला, जैसे उत्तर प्रदेश। जहां केंद्र में भाजपा सरकार की हरी झंडी के बाद सीबीआई ने पूर्ववर्ती सरकारों सपा और बसपा के वक्त के कई मामलों की फाइल खोल दी। आरोप यही है कि सरकार सीबीआई का राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करती है। भाजपा ही नहीं, अन्य तमाम सरकारों का सच भी यही है।

हाल ही में छाया रहा सीबीआई अफसरों के बीच विवाद-

सीबीआई हाल ही में दो शीर्ष अफसरों डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के आपसी विवाद की वजह से सुर्खियों में रहा। आइए, आपको बताएं कि यह पूरा विवाद क्या था-

मित्रों, इस पूरे मामले में चार किरदार चर्चा में थे। सीबीआई के डायरेक्टर आलोक वर्मा, स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना, सीबीआई डीएसपी देवेंद्र कुमार और मीट एक्सपोर्टर मोइन कुरैशी। मोइन कुरैशी पर कथित तौर पर हवाला के जरिये बड़ी रकम के लेन-देन का आरोप है। जांच सीबीआई ही कर रही है। पूर्व सीबीआई डायरेक्टर रंजीत सिन्हा का नाम भी इसी मामले में सामने आया था। कहा जाता है कि मोइन ने अपने खिलाफ जांच प्रभावित करानेघ् की कोशिश की। हैदराबाद के कारोबारी सतीश बाबू सना के जरिये रिश्वत की पेशकश की गई।

डीएसपी पर सना का फर्जी बयान तैयार करने का आरोप है। राकेश अस्थाना का आरोप है कि आलोक वर्मा को सना ने कथित तौर पर दो करोड़ दिए ताकि वह मोइन कुरैशी केस में बच जाए। 1984 बैच के गुजरात कैडर के आईपीएस अफसर राकेश अस्थाना मीट कारोबारी कुरैशी से जुड़े मामले की जांच कर रहे थे। सतीश बाबू सना जांच के घेरे में आया। एजेंसी 50 लाख के लेन देन के मामले में उसके खिलाफ जांच कर रही थी। सना ने सीबीआई चीफ को भेजे शिकायती पत्र में कहा कि अस्थाना ने इस मामले में क्लीनचिट देने के लिए 5 करोड़ मांगे थे।

हालांकि 24 अगस्त को अस्थाना ने सीवीसी को पत्र लिखकर डायरेक्टर आलोक वर्मा पर सना से दो करोड़ लेने का आरोप लगाया था।फरवरी, 2017 में आलोक वर्मा को सीबीआई चीफ बनाया गया। वर्मा 1984 की आईपीएस बैच के अफसर हैं। सीबीआई चीफ बनने के बाद आलोक वर्मा ने अस्थाना को स्पेशल डायरेक्टर बनाने का विरोध कर दिया। उन्होंने कहा था कि अस्थाना पर कई आरोप हैं, लिहाजा वे सीबीआई में रहने लायक नहीं। हालात इस कदर बिगड़े कि जांच एजेंसी ने अपने ही स्पेशल डायरेक्टर अस्थाना के खिलाफ एफआईआर करा दी। उनके कार्यालय की तलाशी ली गई।

सीबीआई विवाद में जब सरकार की किरकिरी हुई तो उसने दोनों अफसरों को जबरन छुट्टी पर भेज जांच के आदेश दे दिए। नागेश्वर राव को अंतरिम डायरेक्टर बना दिया गया। कुछ और अफसरों के ट्रांसफर कर दिए गए।तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि दोनों को छुट्टी भेजा गया है, ताकि निष्पक्ष जांच हो सके। जांच सेंट्रल विजिलेंस कमीशन यानी सीवीसी करेगी। दोनों पर गंभीर आरोप हैं। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद छुट्टी पर भेजने का फैसला निरस्त किया। आलोक वर्मा से कहा कि वह नीतिगत फैसले नहीं ले सकेंगे।

सुप्रीम कोर्ट भी हुई थी केंद्र सरकार पर सख्त-

सीबीआई के दो अफसरों के विवाद पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी तल्ख तेवर दिखाए थे। उसने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या वजह थी कि आलोक वर्मा को रातों रात हटा दिया गया। चीफ जस्टिस की बेंच ने केंद्र से यह सवाल किया कि फैसला लेने से पहले चयन समिति की मंजूरी क्यों नहीं लगी गई। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दोनों अफसरों पर बिल्लियों की तरह लड़ने का आरोप लगाया। कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है कि सरकार को चयन समिति से बात किए बगैर सीबीआई निदेशक की शक्तियों को तुरंत खत्म करने का फैसला लेना पड़ा।

सीबीआई के कुछ बहुत मशहूर केस –

साथियों सीबीआई के कुछ केस बहुत मशहूर रहे हैं। जैसे नोएडा का आरुषि-हेमराज हत्याकांड। इस केस में बाद में जांच अधिकारी भी बदले गए। सीबीआई की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जाते रहे। इसके अलावा इससे पहले कई राज्यों के घोटालों के मामलों में भी सीबीआई जांच कर चुकी है जिनकी रिपोर्ट अभी तक फाइलों से बाहर नहीं आ पाई है। इसमें कई बड़े नाम वाले मंत्रियों के घोटाले शामिल हैं।

CBI क्या हैं?

CBI भारत मे इन्टरपोल के राष्ट्रीय केंद्रीय व्यूरो के रूप में काम करने वाली भारत सरकार की एक एजेंसी है, जो पूरे भारत मे हो गए भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराध संबंधित मामलों की जांच करती है।

CBI का पूरा नाम क्या है?

CBI का full Form central bureau of investigation होती है जिसे हिंदी में केंद्रीय जांच ब्यूरो कहते हैं।

CBI के अध्यक्ष कौन हैं?

वर्तमान समय मे CBI के अध्यक्ष सुबोध कुमार जायसवाल जी हैं।

देश में अभी CBI की किंतनी शाखाएं मौजूद हैं?

अगर वर्तमान समय में बात करें तो पूरे भारत में सीबीआई टीम लगभग 70 से अधिक शाखाएं मौजूद है

सीबीआई अधिकारी की सैलरी कितनी होती है

अगर सीबीआई अधिकारी की सैलरी की बात करें तो सीबीआई ऑफिसर मेंCBI डायरेक्टर की सैलरी लगभग 150000 से 220000 तक प्रतिमा होती है।

तो साथियों यह थी जानकारी कि सीबीआई और सीआईडी में क्या अंतर है? उम्मीद है कि आप को बिंदुवार यह स्पष्ट हो गया होगा। इसके बावजूद अगर किसी अन्य बिंदु पर इस विषय के बारे में आप जानकारी चाहते हैं तो आप नीचे लिखे कमेंट बॉक्स के जरिए अपना सवाल हमें भेज सकते हैं। अगर आप इसके अलावा किसी अन्य विषय के बारे में भी जानकारी चाहते हैं तो भी अपनी बात हम तक पहुंचा सकते हैं। इसके लिए भी आपको नीचे लिखे कमेंट बॉक्स में कमेंट करना होगा अगर किसी अन्य सुझाव के बारे में आप अपनी बात हम तक पहुंचाना चाहते हैं तो भी आप इसी तरह हम तक पहुंच सकते हैं। हम आपके दिए गए सुझाव पर अमल करने की भी पूरी पूरी कोशिश करेंगे। ।। धन्यवाद।।

प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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