|| सेस क्या होता है? | Cess in Hindi | Cess meaning in Hindi | Cess on income tax in Hindi | भारत में वर्तमान सेस | Current cess in India in Hindi | स्वास्थ्य और शिक्षा पर सेस क्या है? | Cess kya hota hai | Health and education cess in Hindi ||
Cess in Hindi :- सेस एक अंग्रेजी भाषा का शब्द है, जिसको हिंदी में उपकर कहते है। सामान्य तौर पर सेस किसी भी कर या भुगतान पर लगने वाला अतिरिक्त कर होता है। जिस प्रकार से किसी व्यक्ति या व्यवसाय के द्वारा कमाई गई आय पर आयकर लगता है, किसी व्यापारी के द्वारा उत्पाद या सेवा प्रदान करवाए जाने पर उत्पाद और सेवा कर लगता है, ठीक उसी प्रकार किसी व्यक्ति विशेष या आय और (Cess meaning in Hindi) भुगतान विशेष पर लगने वाले अतिरिक्त कर को सेस कहते हैं।
सेस एक ऐसा कर है जिसको लगाने के पीछे एक उद्देश्य होता है। उस उद्देश्य की पूर्ति के लिए पैसे जुटाने के लिए ही सरकार के द्वारा सेस लगाया जाता है। जिसे इंडस्ट्री के हिसाब से या पूरी अर्थव्यवस्था पर लगाया जा सकता है। सेस को पूरी तरह से समझने के लिए इसे हमें अलग अलग भागों में समझना होगा। आइए अब हम इस लेख (Cess on income tax in Hindi) के माध्यम से सेस के बारे में जानकारी लेते हैं।
सेस से संबंधित सभी जानकारियों के बारे में जानने के लिए हमें, इसके अभिप्राय को समझाने वाले सभी महत्वपूर्ण शब्दों की जानकारी होना भी अति आवश्यक है। इसलिए उपकर को जानने से पूर्व हम इन शब्दों के बारे में जान लेते हैं।
कुल बिक्री (Turnover) – वैसे तो कर से संबंधित विभिन्न अधिनियमों में कुल बिक्री की परिभाषा अलग-अलग होती है। फिर भी सभी अधिनियमों में कुल बिक्री का मूल अर्थ होता है, किसी व्यवसाय या व्यवसायी के द्वारा एक वित्तीय वर्ष में अपने द्वारा उत्पादित या खरीदे हुए उत्पादों तथा सेवाओं को बेचने से मिलने वाली कुल राशि। इसके अलावा जरूरत के हिसाब से भिन्न अधिनियमों में मूल अर्थ में ही हल्के बदलाव करते हुए कुल बिक्री को परिभाषित किया हुआ है।
वित्तीय वर्ष (Financial year) – जिस प्रकार 1 जनवरी से शुरू हो कर 31 दिसंबर पर खत्म होने वाले वर्ष को कैलेंडर ईयर कहते हैं, ठीक उसी प्रकार 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च पर खत्म होने वाले 12 महीनों को वित्तीय वर्ष कहा जाता है।
व्यक्ति (Person) – वित्तीय संबंधित किसी भी तरह की अधिनियम की लागू होने की शर्त होती है कि वो एक निर्धारित व्यक्ति विशेष या भुगतान अथवा आय विशेष पर लागू होता है। इस उद्देश्य के लिए हर अधिनियम में व्यक्ति को परिभाषित किया जाता है। जिसमें मूल रूप से साधारण व्यक्ति, साझेदारी फर्म, कंपनी या संगठन, सरकारी विभाग, सोसायटी इत्यादि शामिल होते हैं।
आय (Income) – उपरोक्त परिभाषित व्यक्तियों के द्वारा एक वित्तीय वर्ष में अर्जित कुल बिक्री में से जब उनके खर्चों को घटा दिया जाता है तो उसे उस व्यक्ति के द्वारा दिए गए वित्तीय वर्ष में कमाई गई आय कहते हैं। साधारण तौर पर हर व्यक्ति को इस आय पर कर देना होता है।
कर (Tax) – कर सरकार द्वारा अधिनियम के माध्यम से करदाताओं पर लगाया जाने वाला अनिवार्य भुगतान होता है। कर एक कानूनी और जबरन वसूली की तरह होता है। कर को लगाने के पीछे का मूल उद्देश्य सरकार के द्वारा समाज हित के लिए किए जाने वाले खर्चों की आपूर्ति है। सरकार अलग अलग समय पर विभिन्न प्रकार के कर आय और भुगतानों पर लगाती है। कर दो प्रकार का हो सकता है, प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर।
प्रत्यक्ष कर (Direct tax) – प्रत्यक्ष कर का अर्थ आयकर अधिनियम, 1961 में दिया गया है। सरल भाषा में प्रत्यक्ष कर वो कर होता है जिसका भुगतान करने वाला और सहन करने वाला व्यक्ति समान होता हैं। अन्य शब्दों में जिस व्यक्ति के द्वारा ये कर दिया जाता है, उसका भार भी उसी व्यक्ति पर पढ़ता है। भारत में आयकर और संपदा कर प्रत्यक्ष कर के रूप हैं। वर्तमान में केवल आयकर ही लागू है। संपदा कर को सरकार के द्वारा खत्म कर दिया गया है।
अप्रत्यक्ष कर (Indirect tax) – जिस प्रकार से प्रत्यक्ष कर को परिभाषित किया गया है, उसी प्रकार से अप्रत्यक्ष कर ठीक इसका उल्टा होता है। सरल भाषा में अप्रत्यक्ष कर वो कर होता है, जिसका भुगतान किसी और व्यक्ति के द्वारा किया जाता है और उसको सहन करने वाला व्यक्ति कोई और होता है। अन्य शब्दों में अप्रत्यक्ष कर का भार उसके भुगतान करने वाले व्यक्ति पर ना पढ़ते हुए अंतिम उपभोगता पर पड़ता है।
जैसा की हमने उपकर को समझाने के लिए आवश्यक सभी शब्दों को जान लिया है। इसलिए अब हम उपकर का हिंदी में अर्थ समझते हैं।
उपकर (Cess) – सरकार के द्वारा संसद में पास हुए अधिनियमों के माध्यम से निर्धारित व्यक्ति विशेष या भुगतान और आय विशेष पर सामान्य कर के अलावा लगने वाला अतिरिक्त कर या सामान्य कर नहीं लगने पर भी लगने वाला अतिरिक्त कर, उपकर के नाम से जाना जाता है। इस प्रकार हम जान सकते हैं कि उपकर को लागू करने का अधिकार केवल सरकार के पास है। इसके साथ ही उपकर आय, भुगतान, व्यक्ति या संपदा किसी पर भी लगाया जा सकता है। इसके साथ ही पता चलता है कि उपकर (Cess meaning in Hindi) लगाने के लिए ये अनिवार्य नहीं है कि दिए गए आय, भुगतान अथवा व्यक्ति पर किसी प्रकार का कर लगा हो। अन्य शब्दों में उपकर तब भी लगाया जा सकता है, जब दिए गए उपरोक्त पर कर लागू ना हो।
सेस क्या होता है? (Cess in Hindi)
अभी तक हमने उपकर से संबंधित महत्वपूर्ण शब्दों के बारे में जाना तथा उपकर के सामान्य अर्थ को जाना है। अब उपकर के बारे में इसकी विशेषताओं के (Cess kya hota hai) आधार पर विस्तार में जानकारी ले लेते हैं। उपकर से जुड़ी विशेषताएं निम्न है:
- उपकर कर के ऊपर सरकार के द्वारा लगाया जाने वाला अतिरिक्त कर है। इसे मुख्य कर के अभाव में भी लगाया जा सकता है।
- उपकर मुख्य रूप से आय पर लगने वाले कर पर लगाया जाता है। किंतु इसे सीधे आय पर या भुगतान और व्यक्ति विशेष पर भी लगाया जा सकता है।
- उपकर केवल निर्धारित उद्देश्य के लिए ही लगाया जाता है और वसूल या इकठ्ठा किया जाता है।
- उपकर को लगाने के लिए तय किए गए उद्देश्य के अलावा उपकर को कहीं और इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
- उपकर को लगाने के लिए तय किए हुए उद्देश्य के पूरा होने पर उपकर को हटा दिया जाता है।
- सेस या उपकर को लागू तभी किया जा सकता है, जब इसे सरकार के द्वारा संसद में पास किया गया हो।
- उपकर को संकलन करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है। केंद्र सरकार इसे अन्य राज्य सरकारों के साथ साझा नहीं करती।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 270 के मुताबिक उपकर को केंद्र सरकार के द्वारा राज्य सरकारों के साथ साझा किए जाने वाले राशि से अलग रखा जाता है।
- केंद्र सरकार के द्वारा इक्कठे किए हुए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कर को केंद्र सरकार के द्वारा किसी भी उद्देश्य की पूर्ति के लिए लगाया जा सकता है, किंतु उपकर को केंद्र सरकार केवल प्रजा के हित में और तय उद्देश्यों पर ही लगा सकती है। उदाहरण के तौर पर कृषि कल्याण सेस केवल कृषि संबंधी उद्देश्यों के लिए ही उपयोग किए जा सकते हैं।
भारत में वर्तमान सेस (Current cess in India in Hindi)
स्वतंत्रता के बाद से अब तक और स्वतंत्रता से कुछ समय पहले तक अलग अलग समय पर विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सरकार के द्वारा कुल 42 उपकर लागू किए गए हैं। तय उद्देश्यों की पूर्ति के साथ ही उनसे जुड़े उपकर खत्म होते गए है। इसका उल्लेख विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी के द्वारा 2018 में पंद्रहवीं आयोग में प्रस्तुत एक रिपोर्ट में किया (When cess introduced in India in Hindi) गया था। इसके अनुसार भारत में प्रथम सेस 1942 में मैचेस पर लगाया गया था। उस समय उपकर केवल निर्धारित उद्योग पर ही लगाया जाता था।
किंतु उसके कुछ साल बाद इसे समाज के हित के लिए, उदाहरणतः कर्मचारियों के हित में भी लगाया जाने लगा। इस प्रकार भारत में उपकर का विकास हुआ, जिसके साथ ही समाज हित को गति मिली। 2017 में भारत में उत्पाद और सेवा कर अधिनियम, 2017 के आ जाने से लगभग सभी उपकर उसमे शामिल हो गए हैं। इसके पश्चात भारत में केवल 7 उपकर (Cess tax in India in Hindi) ही चालू रहे। हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सिथारमन जी के द्वारा आयात की गई दवाइयों पर 5 प्रतिशित शिक्षा उपकर भी लगाया गया है।
भारत में वर्तमान में चालू रहने वाले उपकर निम्न है:
- स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर
- निर्यात पर उपकर
- कच्चे पेट्रोलियम तेल पर उपकर
- निर्माण श्रमिक कल्याण उपकर
- रोड एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर सेस
- तम्बाकू और तम्बाकू उत्पादों पर राष्ट्रीय आपदा आकस्मिकता उपकर
- आयातित दवाइयों पर शिक्षा उपकर
- GST कमपेंसेशन सेस
भारत में सेस के प्रकार (Types of cess In Hindi)
जैसा कि हमने जाना भारत में अब तक कुल 42 सेस लागू किए गए हैं, जिनमे से वर्तमान में 7 तरह के सेस ही चालू है। कुल 42 सेस में से मुख्य सेस की सूची कुछ इस तरह है:
- एजुकेशन सेस ऑन टैक्सेबल सर्विसेस (शिक्षा उपकर)
- सेकेंडरी एंड हाइयर एजुकेशन सेस ऑन टैक्सेबल सर्विसेस (माध्यमिक और उच्च शिक्षा सेस)
- एजुकेशन सेस ऑन एक्साइजएबल गुड्स
- सेकेंडरी एंड हाइयर एजुकेशन सेस ऑन एक्साइजएबल गुड्स
- मीका माइंस लेबर वेलफेयर सेस (मीका माइंस कर्मचारियों के लिए सेस)
- साल्ट सेस (नमक पर उपकर)
- मर्चेंट शिपिंग सेस
- टोबैको सेस (टोबैको पर लगने वाला उपकर)
- साइन – वर्कर्स वेलफेयर सेस (कर्मचारियों के हित के लिए सेस)
- सेस ऑन सीमेंट (सीमेंट पर उपकर)
- सेस ऑन स्ट्राबोर्ड (स्ट्राबोर्ड पर उपकर)
- सेस ऑन रबर (रबर पर उपकर)
- रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेस (अनुसंधान और विकास के लिए सेस)
- सेस ऑन ऑटोमोबाइल (गाड़ियों पर उपकर)
- सेस ऑन टी (चाय पर उपकर)
- सेस ऑन कोल (कोयले पर उपकर)
- सेस ऑन बिडिस (बीड़ी पर उपकर)
- कुछ उद्योगों के द्वारा पानी के उपयोग पर उपकर
- सेस ऑन sugar (चीनी पर उपकर)
- क्लीन एनर्जी सेस
- जुट उत्पादों पर उपकर
- स्वच्छ भारत सेस
- इन्फ्रास्ट्रक्चर सेस
- कृषि कल्याण सेस
- GST कमपेंसेशन सेस
- कंस्ट्रशन वर्कर वेलफेयर सेस
- निर्यात पर उपकर
- कच्चे तेल पर उपकर
- शिक्षा और स्वास्थ्य उपकर
- रोड एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर सेस
- आयत दवाइयों पर उपकर
जीएसटी में सेस क्या होता है? (GST me cess kya hota hai)
जून, 2017 को उत्पाद और सेवा कर के लागू होने के साथ ही केंद्र सरकार के द्वारा यह भी सुनिश्चित किया गया कि जीएसटी के लगने से राज्य सरकारों के कर से होने वाली आय की राशि में गिरावट ना आए। जीएसटी से पूर्व हर राज्य सरकार को अपने राज्य में उत्पादित उत्पादों के ऊपर सीएसटी मिलता था। परंतु जीएसटी एक इस तरह का कर है, जो कि उस राज्य सरकार को मिलता है जिस राज्य में उत्पाद या सेवा अंतिम रूप में इस्तेमाल में लाई जाती है। इस प्रकार जीएसटी के आने से राज्य सरकारों को नुकसान (Why cess in GST in Hindi) होने की आशंका थी।
इसी नुकसान की भरपाई के लिए जून, 2017 से लेकर 5 साल तक, यानी जून, 2022 तक जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर को लागू किया गया। यह उपकर मुख्य रूप से महंगी वस्तुओं और गैरजरूरी वस्तुओं पर ही लगाया जाता है। जिससे अधिकतम संख्या वाले लोगों, जो कि मध्यम वर्गीय लोग हैं, को इस उपकर के भार को सहन न करना पड़े (Compensation cess in Hindi) और सरकार के राजस्व में भी घाटा ना हो।
जीएसटी में सेस का रेट (Cess in GST rate in Hindi)
जीएसटी कंपनसेशन सेस मुख्यतः टोबैको, पान मसाला, कोयले, मोटर वाहन और एयरेटेड वॉटर पर ही लगाया जाता है। इसके पश्चात इस सूची में अन्य उत्पाद में शामिल किए गए हैं। जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर उत्पाद की कीमत के ऊपर ही लगाया जाता है, ना कि उत्पाद की कीमत में जीएसटी जोड़ कर या जीएसटी की राशि पर। जो व्यक्ति उपरोक्त तरह के उत्पादों का विक्रय करता है, उसके द्वारा अपने ग्राहक से जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर कलेक्ट किया जाता है और तय तिथियों पर सरकार के खाते में जमा करवा दिया जाता है।
इसके साथ ही बकायदा इसका लेखा भी सरकार के साथ तयशुदा समय पर भरा जाता है। अगर कोई व्यक्ति जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर लगे उत्पाद को पुनः बिक्री करता है तो वो जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर का क्रेडिट भी अपने जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर को भरने में ले सकता है। जीएसटी के अधिनियम में अलग अलग उत्पादों पर (How much cess in GST in Hindi) कटने वाले सेस का रेट दिया हुआ है। जीएसटी में अभी तक अधिकतम सेस पाइप और सिगरेट के लिए धूम्रपान मिश्रण पर 290 प्रतिशत सेस लगाया गया है।
जैसा कि हमने जाना जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों को होने वाले राजस्व के घाटे को कम करने के लिए लगाया गया है। केंद्र सरकार इस उपकर को उन राज्य सरकारों में बांट देती है, जिन राज्यों में मुख्यतः उत्पाद बनाए जाते हैं। लागू किए जाने के 5 साल बाद भी क्षतिपूर्ति को सुनिश्चित नहीं किया जा सका, इसी लिए हाल ही में सरकार ने जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर को 4 साल के लिए और बढ़ा दिया है। इसका अर्थ होता है कि अब जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर जून, 2026 तक लागू रहेगा।
स्वास्थ्य और शिक्षा पर सेस क्या है? (Health and education cess in Hindi)
HEC आयकर पर लगने वाले अतिरिक्त कर है। किसी व्यक्ति के द्वारा एक वित्तीय वर्ष में कमाई गई आय में से सरकार के द्वारा निश्चित की हुई छूटें घटाने के बाद जो आय की राशि आती है, उस राशि पर व्यक्ति पर लागू कर की दर को गुना करने से कर की राशि आती है। इसके पश्चात अगर आय निर्धारित राशि से अधिक होती है, तो कर की राशि में सरचार्ज भी जोड़ा जाता है। इस राशि का 4 प्रतिशत अनिवार्य रूप से स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर लगता है। यह 4 प्रतिशत का उपकर हर व्यक्ति को देना होता है। सरकार के द्वारा HEC का इस्तेमाल शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में लगाया जाता है।
सेस का इस्तेमाल कैसे होता है? (Uses of cess in Hindi)
जैसा की हमने जाना उपकर किसी विशेष उद्देश्य के लिए एकत्र किया जाता है। उपकर को केंद्र सरकार के द्वारा जिस उद्देश्य के लिए एकत्र किया जाता है, उसी उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। उपकर को निर्धारित उद्देश्य के अलावा किसी और स्थान पर नहीं लगाया जा सकता। उपकर के लिए तय किए गए स्थान पर लगाने तक उपकर को केंद्र सरकार के द्वारा अलग स्थापित निधि में रखा जाता है। इसको अन्य राज्य सरकारों के साथ साझा नहीं किया जा सकता। मुख्य तौर पर उपकर को केंद्र सरकार के द्वारा समाज के हित के कार्यों के लिए ही लगाया जाता है।
उदाहरण के तौर पर लेबर वेलफेयर सेस का इस्तेमाल केवल कार्य के दौरान घायल हुए या जान गवाने वाले कर्मचारियों या उनके परिवारजनों के भले के लिए ही इस्तेमाल किया जाता है। इसी प्रकार स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर केवल शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए होने वाले खर्चों में ही लगाया जाता है, सरल भाषा में हस्पतालों और विद्यालयों के निर्माण (labour welfare cess in Hindi) और निर्देशन के लिए। जीएसटी कमपेंसेशन सेस का इस्तेमाल केंद्र सरकार के द्वारा राज्य सरकारों को उनके जीएसटी के लागू करने से होने वाले कर के नुकसान को पूरा करने के लिए किया जाता है।
सेस की पेमेंट कैसे करें? (Payment of cess in Hindi)
आज के समय में किसी भी तरीके के भुगतान को करना बड़ा ही सरल हो गया है। कर और उपकर के लिए भी समान बात कही जा सकती है। उपकर की भुगतान की प्रक्रिया बड़ी आसन होती है। जो उपकर किसी कर के अतिरिक्त लगाया जाता है या कर के साथ लगाया जाता है उसके भुगतान को करने के लिए, वही प्रकिया इस्तेमाल की जाती है जो मुख्य कर के भुगतान के लिए की जाती है। अन्य शब्दों में उपकर की राशि को मुख्य कर के साथ ही जोड़ कर जमा करवाया जाता है। जिसे इनकम टैक्स की साइट पर ऑनलाइन जमा करवाया जाता है।
इसके विपरित जो उपकर किसी मुख्य कर के अभाव में लगाया जाता है, उसके भुगतान का तरीका उसको लगाने वाले अधिनियम में दिया जाता है। समनायतः इस तरह के कर का भुगतान एक निश्चित अंतराल के पश्चात किया जाता है। इस तरह के कर के लिए निश्चित समय के दौरान की जाने वाली आय या भुगतान का निर्धारित हिस्सा सरकार के फंड में जमा करवाया जाता है और साथ ही इसका लेखा जोखा ऑनलाइन प्रस्तुत किया जाता है।
टैक्स और सेस में अंतर (Tax and cess difference in Hindi)
कर और उपकर दोनों ही सरकार के द्वारा लगाए जाने वाले भुगतान है, जो कि व्यक्तियों के द्वारा देना अनिवार्य होता है। दोनों में निम्न अंतर होते हैं:
- कर किसी व्यक्ति के द्वारा कमाई गई आय या किसी उत्पाद और सेवा के मूल्य में जोड़ा गया भार है जिसे सरकार के द्वारा एकत्र किया जाता है। इसके विपरित उपकर इसी कर पर लगने वाला अतिरिक्त कर है।
- कर के माध्यम से इकठ्ठी की गए राशि को सरकार के द्वारा भारत के राजकोष में डाला जाता है और वहीं से सरकार के द्वारा उन कार्यों में लगाया जाता है जो उन्हें सही लगता है। वहीं उपकर को भी समान राजकोष में ही जमा किया जाता है, परंतु इसका इस्तेमाल निर्धारित उद्देश्य के लिए ही किया जाता है।
- कर को केंद्र सरकार के द्वारा अन्य राज्य सरकारों से साझा किया जाता है, परंतु उपकर को केंद्र सरकार के द्वारा राज्य सरकारों के साथ साझा करना अनिवार्य नहीं है। वो ऐसा कर भी सकते हैं और नहीं भी।
- कर की राशि उपकर की राशि के मुकाबले मूलतः कम होती है।
कर और सरचार्ज में क्या अंतर है? (What is difference between cess and surcharge in Hindi)
कर और सरचार्ज दोनों ही सरकार के द्वारा व्यक्तियों से लिए जाने वाले इस तरह के भुगतान है, जिनकी राशि मुख्य कर की राशि पर निर्भर है। पर दोनों में अंतर है। सरचार्ज मुख्य तौर पर बड़े पैमाने पर कमाई करने वाले व्यक्तियों पर लगाया जाता है, जबकि सेस को लगने के लिए ऐसी कोई सीमा नहीं है।
सरचार्ज को लगाने का कोई मुख्य उद्देश्य नहीं होता है, इसको केवल मुख्य कर की राशि को बढ़ाने के लिए लगाया जाता है। जिसके माध्यम से अमीरी और गरीबी के अंतर को कम किया जा सके (Cess and surcharge in Hindi) और सरकार के फंड में इजाफा किया जा सके। इसके विपरित उपकर को लगाने के पीछे उद्देश्य निर्धारित होता है। सरचार्ज के लगने के लिए कर का होना अनिवार्य है, किंतु उपकर कर के अभाव में भी लगाया जा सकता है।
Cess in Hindi – Related FAQs
प्रश्न: भारत में सेस कौन लगा सकता है?
उत्तर: भारत में उपकर लागू करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है।
प्रश्न: वर्तमान में भारत में कितने सेस या उपकर है?
उत्तर: वर्तमान में भारत में उपकारों की संख्या 8 है, एक उपकर हाल ही में शामिल किया गया है।
प्रश्न: सेस कैसे कैलकुलेट किया जाता है?
उत्तर: उपकर को मुख्य कर की राशि के ऊपर प्रतिशत लगा कर निकाला जाता है।
प्रश्न: सेस का इस्तेमाल किस लिए किया जाता है?
उत्तर: जिस उद्देश्य के लिए सेस लगाया जाता है, उसका इस्तेमाल उसी काम के लिए किया जाता है।
प्रश्न: सेस और सरचार्ज में क्या अंतर है?
उत्तर: सेस के लिए निर्धारित उद्देश्य होता है पर सरचार्ज के लिए नहीं।
दोस्तों इस प्रकार हमने इस लेख (Cess meaning in Hindi) के माध्यम से, भारत में सेस, सेस के प्रकार, सेस का इस्तेमाल कैसे होता है, सेस का भुगतान किस प्रकार किया जाता है, सेस और आयकर में अंतर तथा सेस और सरचार्ज में अंतर के विषय में जानकारी प्राप्त की है। हम आशा करते हैं ये जानकारी आपके अवश्य काम आयेगी।