सेस क्या होता है? | इनकम टैक्स नहीं होने पर सेस लगता है या नहीं? | Cess kya hota hai

|| सेस क्या होता है? | Cess kya hota hai | What is cess and how it is calculated in Hindi | Cess tax kya hai | हेल्थ एंड एजुकेशन सेस क्या है? | इनकम टैक्स नहीं होने पर सेस लगता है या नहीं? | शिक्षा उपकर का प्रतिशत कितना है? | सेस का मतलब क्या होता है? ||

Cess kya hota hai :- हम हर वित्तीय वर्ष के अंत में भारत सरकार के आयकर नियमों के तहत अपना इनकम टैक्स अर्थात आय कर चुकाते हैं। अब उसका निर्धारण हमारे द्वारा एक वर्ष में की गयी कमाई पर निर्भर करता है और यह हर वर्ष बदलता रहता है। हर वित्त वर्ष में सांसद के पटल पर वित्त मंत्री जी के द्वारा देश का बजट पेश किया जाता है। इसके अंतर्गत आय कर में यदि किसी तरह का बदलाव किया गया है तो उसके बारे में सूचना दी जाती (What is cess and how it is calculated in Hindi) है।

ऐसे में वर्तमान टैक्स स्लैब के अनुसार हमें 7 लाख की आय पर कोई आयकर नहीं देना होता है जबकि उसके ऊपर की जाने वाली आय पर टैक्स स्लैब के अनुसार अलग अलग टैक्स देना होता है। अब कभी आपने गौर किया है कि जब आप अपना आय कर चुका रहे होते हैं तो उसमें अंत में वह टैक्स बढ़ जाता है। अब यदि आप इसे ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि इसमें आय कर के साथ साथ उस पर एक अन्य टैक्स जिसे हम सेस के नाम से जानते हैं, उसे लगाया जाता (About cess in Hindi) है।

अब बहुत से लोग सोच रहे होंगे कि आखिरकार यह सेस क्या होता है और यह क्यों लगाया जाता है। साथ ही यह सेस कितना लगता है और किस किस पर लगता है। ऐसे में आज के इस लेख में हम आपके साथ इसी सेस के बारे में बात करने जा रहे हैं जिसे हम हेल्थ एंड एजुकेशन सेस के नाम से भी जानते हैं। तो आइये जाने यह हेल्थ एंड एजुकेशन सेस क्या होता है और कैसे काम करता है।

सेस क्या होता है? (Cess kya hota hai)

अब इनकम टैक्स या आय कर या केवल कर क्या होता है, यह तो सभी को ही पता होगा। हम एक वित्तीय वर्ष के दौरान जो भी कमाई कर रहे हैं और जिन भी स्रोतों के माध्यम से कमाई कर रहे हैं, फिर चाहे वह नौकरी में हो या व्यापार में फ्रीलांस या अन्य किसी माध्यम से, उन सभी का योग करके कुल कमाई पर टैक्स स्लैब के अनुसार इनकम टैक्स भारत सरकार हमसे लेती है। इसी में ही भारत सरकार हमसे एक और कर अर्थात सेस लेती (Cess tax kya hai) है।

Cess kya hota hai

तो यह सेस एक कर या टैक्स होता है जो किसी उद्देश्य के तहत लिया जाता है। उदाहरण के तौर पर यदि भारत सरकार को किसी क्षेत्र में विकास करना है या उसकी वर्तमान स्थिति को सुधारना है और इसके लिए उन्हें अधिक पैसों की आवश्यकता है तो उसके लिए देश के सभी आय कर चुकाने वाले लोगों से सेस लिया जाता है। यह एक तरह से आय कर का ही अंग होता है लेकिन यह अलग से लगता है और इसकी राशि भी अलग से ही उपयोग में लायी जाती (Cess kya hai) है।

तो इस तरह से सेस इनकम टैक्स या कर का ही एक भाग होता है लेकिन यह अलग निहित उद्देश्यों के तहत लिया जाने वाला कर होता है। इसे हम उपकर भी कह सकते हैं। तो जो कर आय कर के साथ अलग से लिया जाए, उसे ही हम सेस के नाम से जानते हैं। यह स्थायी नहीं होते हैं और इन्हें किसी भी समय कम किया जा सकता है, बढ़ाया जा सकता है या समाप्त किया जा सकता है या कोई नया सेस जोड़ा जा सकता (What is cess in Hindi) है।

सेस का क्या मतलब है? (Cess meaning in Hindi)

अब आपको साथ के साथ सेस का मतलब या हिंदी में अर्थ भी जान लेना चाहिए। तो जिस प्रकार अन्य टैक्स को हम हिंदी में कर के नाम से जानते हैं तो उसी तरह सेस को हिंदी में उपकर के नाम से जाना जाता है। चूँकि यह कर का ही एक भाग होता है और इसे छोटा कर भी कह दिया जाता है, जिस कारण इसे उपकर के नाम से जाना जाता है।

ऐसे में यदि भारत सरकार आपसे सेस ले रही है तो एक तरह से वह आपसे कर के साथ साथ उपकर भी ले रही होती है। इस उपकर को अंत में कुल कर के साथ ही जोड़ दिया जाता है जिसका भुगतान आपको करना होता है। कर का ही छोटा भाग होने के कारण इस सेस को उपकर के नाम से जाना जाता है।

हेल्थ एंड एजुकेशन सेस क्या है? (Health and education cess kya hai in Hindi)

अब भारत देश में वर्तमान समय में जो सेस लिया जा रहा है, उसका पूरा नाम हेल्थ एंड एजुकेशन सेस है। इसे हम हिंदी में स्वास्थ्य व शिक्षा उपकर भी कह सकते हैं। अब आप इसके नाम से ही समझ गए होंगे कि भारत सरकार यह सेस क्यों लेती होगी या इसके पीछे क्या उद्देश्य निहित होंगे। तो भारत सरकार व राज्य सरकार हमारी आय से जो आय कर लेती है, उसे वह देश में विकास करने तथा योजनाओं के निर्माण कार्य इत्यादि में उपयोग में लाती है किन्तु सेस का उद्देश्य केवल और केवल उसी क्षेत्र में होता है, जिसके तहत इसे लिया जा रहा (Health and education cess meaning in Hindi) है।

ऐसे में हेल्थ एंड एजुकेशन सेस का अर्थ है भारत में स्वास्थ्य व शिक्षा से जुड़े ढांचे को सही करना, उन्हें उन्नत बनाना और उनमे विकास करना। इसके तहत भारत देश में जो भी सरकारी या अन्य अस्पताल हैं, स्वास्थ्य संबंधी जो भी योजनाएं चलायी जा रही है, सरकारी विद्यालय व उच्च शिक्षा के पूरे साधन उपलब्ध करना, सभी का स्वास्थ्य बीमा करवाना और शिक्षा तक सभी की पहुँच बनाना होता है। इसी उद्देश्य के तहत ही हेल्थ एंड एजुकेशन सेस लिया जाता है।

तो कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि हेल्थ एंड एजुकेशन सेस को भारत देश में स्वास्थ्य व शिक्षा से जुड़े क्षेत्रों में आधुनिक स्थिति के अनुसार सुधार लाने और उन्हें उन्नत बनाने के उद्देश्य से लिया जाता है। पहले के समय में केवल शिक्षा उपकर या एजुकेशन सेस ही लिया जाता था लेकिन समय की माँग को देखते हुए इसे हेल्थ एंड एजुकेशन सेस कर दिया गया और इसमें एक प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर दी गयी।

भारत में हेल्थ एंड एजुकेशन सेस कितना लगता है? (Health and education cess rate in Hindi)

अब यदि आप भारत देश में सेस की दर या हेल्थ एंड एजुकेशन सेस की दर को जानना चाहते हैं तो वह 4 प्रतिशत की दर से लिया जाता है। वर्ष 2018 तक भारत देश में केवल शिक्षा उपकर अर्थात एजुकेशन सेस ही लिया जाता था जिसकी दर 3 प्रतिशत होती थी। वहीं उस समय के वित्त मंत्री दिवंगत व स्वर्गीय श्री अरुण जेटली जी के द्वारा इसका नाम बदल कर हेल्थ एंड एजुकेशन सेस कर दिया गया और साथ ही इस सेस में बढ़ोत्तरी कर 3 प्रतिशत की बजाये 4 प्रतिशत कर दिया गया था।

तो इस तरह से यदि आप अपना आय कर भर रहे हैं तो आपको उसके तहत 4 प्रतिशत का अलग से हेल्थ एंड एजुकेशन सेस के रूप में चुकाना होगा। यह आपकी इनकम पर नहीं बल्कि आपके इनकम टैक्स पर लगने वाला उपकर होता है। इसके बारे में हम आपको नीचे विस्तार से समझायेंगे ताकि आपके मन में किसी तरह की शंका ना रहने पाए।

सेस किस पर लगता है?

बहुत से लोगों के मन में यह शंका रहती है कि क्या यह हेल्थ एंड एजुकेशन सेस उनकी कुल आय पर लगता है। यदि आप ऐसा सोच कर डर रहे हैं तो आपको डरने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह आपकी कुल आय पर नहीं बल्कि आपके आय कर पर कैलकुलेट किया जाने वाला टैक्स होता है। उदाहरण के तौर पर यदि आपकी वार्षिक आय 10 लाख है तो आपको उस वर्ष 20 प्रतिशत का आय कर चुकाना होगा। हालाँकि हम इसमें अन्य कटौती इत्यादि नहीं देख रहे हैं और सीधा 10 लाख की आय पर इनकम टैक्स को कैलकुलेट कर रहे हैं।

तो 10 लाख की आय पर इनकम टैक्स 20 प्रतिशत की दर से 2 लाख का बनता है। अब यदि आप सोच रहे हैं कि आपकी 10 लाख की आय पर 4 प्रतिशत की दर से हेल्थ एंड एजुकेशन सेस 40 हज़ार लिया जाएगा तो आप गलत हैं। वह इसलिए क्योंकि यह 4 प्रतिशत का सेस आकी 10 लाख की आय पर नहीं बल्कि आपके 2 लाख के टैक्स पर कैलकुलेट किया जाएगा। इस तरह से 2 लाख का 4 प्रतिशत सेस 8 हज़ार बनता है। तो उस वर्ष में आपको 2 लाख का आय कर और 8 हज़ार का सेस मिलाकर कुल 2 लाख 8 हज़ार रुपयों का भुगतान करना होगा।

क्या सेस सभी आय वर्ग पर समान है?

अब आपका अगला प्रश्न यह होगा कि क्या इस हेल्थ एंड एजुकेशन सेस की दर हर आय पर वर्ग पर एक समान रूप से लागू होती है। तो इसका उत्तर है हां। जिस प्रकार अलग अलग आय वर्ग वालों के लिए इनकम टैक्स की दर को अलग अलग रखा गया है, जो कि 5 प्रतिशत से लेकर 30 प्रतिशत तक का हो जाता है, वैसा इस सेस के साथ नहीं है। यह हर आय वर्ग वाले लोगों के लिए समान रूप से 4 प्रतिशत का ही लगता है।

ऐसे में यदि व्यक्ति का टैक्स चाहे 10 हज़ार बने या फिर 5 लाख, उससे हेल्थ एंड एजुकेशन सेस के रूप में उसके कुल आय कर का 4 प्रतिशत हिस्सा ही लिया जाएगा। तो इस हिसाब से 10 हज़ार के आय कर पर हेल्थ एंड एजुकेशन सेस की दर 400 रुपये होगी तो वहीं 5 लाख के आय कर पर हेल्थ एंड एजुकेशन सेस की दर 20 हज़ार होगी। हालाँकि जिन लोगों की वार्षिक आय 50 लाख से अधिक है, उनसे सेस के साथ साथ सरचार्ज भी लिया जाता है।

इनकम टैक्स नहीं होने पर सेस लगता है या नहीं?

अब आपका अगला प्रश्न इस बारे में होगा कि यदि किसी वित्तीय वर्ष में आपका आय कर या इनकम टैक्स बन ही नहीं रहा है तो क्या फिर भी आपको सेस को चुकाना होगा। तो इसका उत्तर है नहीं। अब सेस आपके आय कर पर लागू होता है और उसका 4 प्रतिशत लिया जाता है लेकिन यदि आपका आय कर ही शुन्य है तो शुन्य का कितना भी प्रतिशत भी शुन्य ही होता है।

ऐसे में यदि आपकी आय इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आती है या वह कटौती करने के बाद इनकम टैक्स को चुकाने लायक नहीं बनती है तो इसका सीधा सा अर्थ यह हुआ कि उस वित्तीय वर्ष के लिए आपके ऊपर हेल्थ एंड एजुकेशन सेस भी नहीं लगेगा।

सेस कौन लेता है? 

जिस प्रकार भारत सरकार ही देश के सभी नागरिकों से आय कर लेती है, ठीक उसी तरह ही भारत सरकार ही सेस का निर्धारण करती है और वही इसे वसूल भी करती है। हालाँकि आय कर पर होने वाली कमाई का हिस्सा भारत सरकार को आधे रूप में राज्य सरकार के साथ सांझा करना होता है लेकिन सेस लगाने का लाभ यह है कि इसे राज्यों के साथ साझा नहीं करना होता है।

तो इस तरह से आप अपने आय कर के रूप में जो भी टैक्स चुका रहे होते हैं, उसका आधा हिस्सा भारत सरकार के पास जाता है तो आधा हिस्सा आपके यहाँ की राज्य सरकार की झोली में जाता है। किन्तु सेस को लेकर ऐसा नहीं है। सेस से आया पैसा पूरा का पूरा भारत सरकार का ही होता है और वही इसे अपनी इच्छा अनुसार उपयोग में लाती है।

सेस क्यों लगाया जाता है? (Why cess is applicable in Hindi)

भारत सरकार के द्वारा समय समय पर सेस को लगाने, उसकी दर को घटाने या बढ़ाने या उसे समाप्त करने का अधिकार होता है। यह स्थायी नहीं होता है और इसे कुछ समय या कुछ वर्षों के लिए जारी किया जाता है। तो अब प्रश्न यह उठता है कि आखिरकार इस हेल्थ एंड एजुकेशन सेस को लगाने की क्या आवश्यकता है। तो इसका उत्तर यह है कि यदि अपने देश में किसी क्षेत्र में काम करने के लिए अलग से पैसे की आवश्यकता है और उसमे बहुत कुछ सुधार किये जाने की जरुरत है तो उसके लिए आय कर के अलावा अलग से टैक्स को लिया जाता है।

अब देश में स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्रों को और अधिक मजबूत करने और उन्हें उन्नत करने की आवश्यकता है। हमारे देश में 100 करोड़ से भी अधिक लोग रहते हैं। ऐसे में देश की स्वास्थ्य व शिक्षा व्यवस्था में बहुत कुछ सुधार की आवश्यकता है। तो इसे और अधिक उन्नत और विकसित करने के उद्देश्य से ही यह सेस लिया जाता है। यदि किसी अन्य क्षेत्र में भी ऐसे ही विकास करने की आवश्यकता होती है तो उसके लिए भी सेस को लिया जा सकता है। जब यह जरुरत पूरी हो जाती है तो सेस को कम या समाप्त भी किया जा सकता है।

सेस क्या होता है – Related FAQs 

प्रश्न: सेस का मतलब क्या होता है?

उत्तर: सेस को हिंदी में उपकर के नाम से जाना जाता है

प्रश्न: सेस कौन लेता है?

उत्तर: भारत सरकार ही सेस का निर्धारण करती है और वही इसे वसूल भी करती है।

प्रश्न: शिक्षा उपकर का प्रतिशत कितना है?

उत्तर: हेल्थ एंड एजुकेशन सेस 4 प्रतिशत के हिसाब से लिया जाता है।

प्रश्न: एजुकेशन सेस क्या है?

उत्तर: एजुकेशन सेस को हिंदी में शिक्षा उपकर भी कहा जाता है।

तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने सेस के बारे में जानकारी हासिल कर ली है। आपने जाना कि सेस क्या है सेस किस पर लगता है सेस कौन लेता है सेस क्यों लगाया जाता है इत्यादि। आशा है कि जो जानकारी लेने के लिए आप इस लेख पर आए थे वह आपको मिल गई होगी। फिर भी यदि कोई शंका आपके मन में शेष है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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