चेयरमैन कौन होता है? | चेयरमैन कैसे बनते है? | योग्यता, वेतन व चुनाव प्रक्रिया

|| चेयरमैन कौन होता है? | Sabhapati kise kahate hain | Chairman kaun hota hai | चेयरमैन या जनरल डायरेक्टर कौन होता है? | चेयरमैन का कार्यकाल कितने वर्ष का होता है? | चेयरमैन के क्या कार्य होते हैं? | चेयरमैन कैसे चुना जाता है? ||

Chairman kaun hota hai :- दोस्तों आपने कई बार किसी कंपनी के बारे में पढ़ते हुए या फिर चुनावी प्रक्रिया में एक शब्द को बार बार सुना होगा और वह होता है चेयरमैन। यह शब्द सुन कर शायद आप उलझन की स्थिति में पड़ जाते होंगे और सोचते होंगे कि आखिरकार यह चेयरमैन होता क्या है, यह किस तरह का पद होता है और इसके क्या कुछ कार्य होते हैं। हर कंपनी में एक चेयरमैन होता है तो वहीं हर शहर में स्थानीय निकाय के चुनाव होते हैं और जहाँ जहाँ नगर पालिका के चुनाव होते हैं, वहां वहां एक चेयरमैन की नियुक्ति की जाती (Sabhapati kise kahate hain) है।

कहने का अर्थ यह हुआ कि चेयरमैन शब्द के दो अर्थ निकलते हैं या फिर इसे चुनावी प्रक्रिया में अलग पद माना जाता है जबकि कंपनी में अलग पद माना जाता है। ऐसे में आज के इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ दोनों तरह के चेयरमैन की ही परिभाषा रखने जा रहे हैं और साथ ही उनके बारे में अन्य रोचक जानकारियां भी साँझा करेंगे। वैसे तो यह लेख मुख्य तौर पर चुनावी प्रक्रिया से बनने वाले अर्थात राजनेता वाले चेयरमैन को समर्पित है लेकिन आपको इसी के साथ ही कंपनी वाले चेयरमैन शब्द की भी पूरी जानकारी जानने को मिलेगी। आइये जाने चेयरमैन शब्द के बारे में और यह होता कौन है, इसके बारे (Chairman kaun hota hai in Hindi) में।

चेयरमैन कौन होता है? योग्यता, वेतन व चुनाव प्रक्रिया

दोस्तों, यह तो हमने आपको ऊपर ही बता दिया है कि चेयरमैन शब्द के एक नहीं बल्कि दो अर्थ होते हैं या फिर यूँ कहें कि इसके दो पद बनाये जाते हैं। पहला पद सरकारी पद होता है या फिर उसे हम राजनेता या जनप्रतिनिधि भी कह सकते हैं जबकि दूसरा किसी कंपनी में सबसे प्रमुख या मालिक का पद होता है। अब वह कंपनी सरकारी, अर्ध सरकारी या निजी कोई भी हो सकती (What is chairman in Hindi) है। एक तरह से वहां के मालिक या मुख्य व्यक्ति को चेयरमैन की भूमिका में रखा जाता है।

चेयरमैन कौन होता है चेयरमैन कैसे बनते है योग्यता, वेतन व चुनाव प्रक्रिया

इसके लिए आपको यह लेख पूरे ध्यान से और अंत तक पढ़ना होगा क्योंकि आज के इस लेख में हम आपके साथ चेयरमैन शब्द की दोनों तरह की व्याख्या करेंगे और उनके अधिकार व कर्तव्यों के बारे में बात करेंगे। इसी के साथ ही चुनावी प्रक्रिया के माध्यम से किस तरह से चेयरमैन का चुनाव किया जाता है, उसके बारे में भी आपको विस्तार से समझाया (Chairman kon hota hai) जाएगा। आइये जाने चेयरमैन कौन होता है और उसके क्या कुछ कार्य होते हैं।

चेयरमैन कौन होता है? (Chairman kaun hota hai)

चेयरमैन को हम दो सन्दर्भ में ले सकते हैं। पहला होता है जनप्रतिनिधि वाला चेयरमैन जो किसी भी नगर जहाँ की जनसँख्या एक लाख से 10 लाख के बीच में है और वहां नगर पालिका परिषद का चुनाव करवाया जा रहा है तो उसके अध्यक्ष को चेयरमैन कहा जाता है। इसका एक दूसरा नाम सभापति भी है जो हम चेयरमैन का हिंदी नाम कह सकते हैं। वहीं दूसरा अर्थ किसी भी कंपनी का मालिक या प्रमुख व्यक्ति चेयरमैन कहलाता है, आइये एक एक करके दोनों के बारे में जान लेते हैं।

सभापति कौन होता है? (Sabhapati kaun hota hai)

सबसे पहले बात करते हैं जनप्रतिनिधि वाले चेयरमैन की। तो भारत में कई तरह के चुनाव होते हैं जिनमे लोकसभा से लेकर विधान सभा व स्थानीय निकाय के चुनाव प्रमुख है। अब यह स्थानीय निकाय के चुनाव तीन तरह से होते हैं जिनमे एक नगर को उनकी जनसँख्या के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है और चुनाव संपन्न करवाए जाते हैं। इनमे बड़े शहरों में नगर निगम, मध्यम दर्जे के शहरों में नगर पालिका या नगर परिषद तथा छोटे शहरों में नगर पंचायत के चुनाव होते हैं।

ऐसे में जिस भी मध्यम दर्जे के शहर में नगर पालिका परिषद के चुनाव होते हैं, वहां पर उस शहर को वार्ड में बाँट कर पार्षदों को चुना जाता है। फिर उन सभी चुने गए पार्षदों में से एक व्यक्ति को प्रधान पार्षद बनाया जाता है जो उस नगर पालिका का अध्यक्ष कहलाता है। अब उसी अध्यक्ष को ही हिंदी में सभापति तथा अंग्रेजी भाषा में चेयरमैन के नाम से संबोधित किया जाता है। इस तरह से नगर पालिका या नगर परिषद या नगर पालिका परिषद के मुख्य पार्षद या प्रधान पार्षद या अध्यक्ष को ही वहां का चेयरमैन या सभापति कहा जाता है।

चेयरमैन या जनरल डायरेक्टर कौन होता है?

भारत देश सहित पूरी दुनिया में लाखों छोटी से लेकर बड़ी कंपनियां है। उन हरेक कंपनी को किसी ना किसी व्यक्ति ने शुरू किया होता है या उनमे कई लोगों ने अपना अलग अलग निवेश किया हुआ होता है। अब कोई कंपनी बड़ी बन जाती है तो वहां एक नहीं बल्कि कई लोगों ने अपना अपना पैसा निवेश किया हुआ होता है और उन्हें उसी के अनुसार ही कंपनी में प्रतिनिधित्व दिया जाता है। इसके लिए कंपनी में डायरेक्टर के पद बनाये जाते हैं जिनमे कई तरह के डायरेक्टर होते हैं।

अब जब भी कंपनी की डायरेक्टर मीटिंग होती है तो उसमे सभी तरह के डायरेक्टर बैठते हैं। इन सभी डायरेक्टर में सर्वोच्च डायरेक्टर या उन सभी का प्रधान डायरेक्टर वह व्यक्ति होता है जिसने वह कंपनी शुरू की हुई होती है या जिसकी उस कंपनी में सर्वाधिक हिस्सेदारी होती है। एक तरह से वही उस कंपनी का मालिक व चेहरा होता है और उसी का निर्णय ही अंतिम होता है। तो उसी व्यक्ति को ही उस कंपनी का चेयरमैन या मालिक या जनरल डायरेक्टर कह कर संबोधित किया जाता है।

चेयरमैन की योग्यता क्या होती है? (Chairman eligibility in Hindi)

अब यदि आप नगर पालिका के चेयरमैन की योग्यता के बारे में जानना चाह रहे हैं तो इसके लिए भारतीय संविधान के अनुसार कुछ बातों को ध्यान में रख कर इसके लिए दिशा निर्देश जारी किये गए हैं। हालाँकि इस तरह का चुनाव व पद राज्य चुनाव का ही हिस्सा होता है और उसके अंतर्गत आता है तो इसमें राज्य सरकार का भी बहुत बड़ा योगदान होता है और वह इसके लिए नियम बना सकती है।

तो मुख्य तौर पर यदि किसी व्यक्ति को नगर पालिका का चेयरमैन या सभापति बनना है तो उसके लिए उसकी न्यूनतम आयु 21 वर्ष होनी चाहिए और उसी के साथ ही वह वहां का या उस नगर का स्थानीय निवासी होना भी आवश्यक है। इसी के साथ ही उसे भारतीय न्यायालय के द्वारा कारावास का दंड नहीं मिला हुआ होना चाहिए। इन सभी के अलावा यदि वह पार्षद चुना जाता है तभी वह चेयरमैन बन सकता है अन्यथा उसे फिर से पांच वर्षों की प्रतीक्षा करनी पड़ेगी।

इसी के साथ ही यदि कोई व्यक्ति किसी कंपनी का चेयरमैन बनना चाहता है तो उसके लिए कोई निर्धारित पैमाना नहीं होता है और यह व्यक्ति की कुशलता तथा काम पर निर्भर करता है। इसके लिए पहले उसे किसी आईडिया के बलबूते कोई कंपनी खड़ी करनी होगी और उसके बाद उसे उस कंपनी को बड़ा बनाना होगा। फिर इस तरह से वह उस कंपनी का मालिक या चेयरमैन ही कहलाता है जो उस कंपनी का प्रतिनिधित्व करता है।

चेयरमैन का कार्यकाल कितने वर्ष का होता है? (Chairman ka karyakal kitna hota hai)

अब यदि हम चुनावी प्रक्रिया वाले चेयरमैन की बात करें तो भारतीय संविधान के अनुसार किसी भी स्थानीय निकाय के द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों तथा पद पर आसीन किये गए व्यक्तियों का कुल कार्यकाल पांच वर्षों का ही होता है। इस तरह से यदि कोई व्यक्ति किसी नगर पालिका का चेयरमैन चुना गया है तो वह अगले पांच वर्षों तक वहां का चेयरमैन बना रहेगा। हालाँकि इस बीच यदि उसे राज्य सरकार द्वारा पद से हटा दिया जाता है या उसे न्यायिक प्रक्रिया के तहत कारावास का दंड मिलता है या फिर किसी अन्य कारण से उसे समय से पहले पद से निष्कासित किया जा सकता है।

वहीं यदि कोई व्यक्ति किसी कंपनी का चेयरमैन होता है तो वह अपनी इच्छा से आजीवन उस पद पर बने रह सकता है। इसी के साथ ही वह अपनी इच्छा से किसी अपने व्यक्ति को या किसी को भी उस पद पर नियुक्त कर सकता है। हालाँकि यदि वह कंपनी बहुत बड़ी बन गयी है और उस कंपनी में बाकि लोगों ने भी निवेश किया हुआ है और उनके भी उस कंपनी में डायरेक्टर हैं तो उनका भी इस निर्णय में योगदान होता है। वहीं यदि बाकि सभी डायरेक्टर मिल कर चेयरमैन को हटाने का निर्णय लेते हैं और उनकी हिस्सेदारी आधी से ज्यादा है तो वे चेयरमैन को हटाकर किसी नए व्यक्ति को भी उस पद के लिए नियुक्त कर सकते हैं।

चेयरमैन कैसे चुना जाता है? (Chairman ka chunav kaise hota hai)

अब बात आती है कि किस तरह से चेयरमैन को चुना जाता है या उसकी क्या कुछ प्रक्रिया होती है। इसे भी हम दो भागो में विभाजित करके पढ़ेंगे ताकि आपको ज्यादा अच्छे से समझ में आ सके। सबसे पहले बात करते हैं नगर पालिका के सभापति या चेयरमैन की और उसकी चुनावी प्रक्रिया (Chairman kaise bante hai) की।

तो जो नगर पालिका का चेयरमैन होता है या जानता का जनप्रतिनिधि होता है उसकी चुनावी प्रक्रिया को भारतीय संविधान में बहुत ही अच्छे से बताया गया है। इसके लिए हर पांच वर्ष के बाद एक राज्य के सभी स्थानीय निकायों में नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायत के चुनाव संपन्न करवाए जाते हैं। इसके बाद नगर पालिका के जो भी चुने हुए पार्षद होते हैं उनमे से ही कुछ लोग चेयरमैन के पद के लिए चुनाव लड़ते हैं। फिर एक निर्धारित दिन पर उन व्यक्तियों के बीच में से किसी एक व्यक्ति को चेयरमैन चुनने के लिए सभी पार्षद वोट डालते हैं। जिस भी व्यक्ति को सर्वाधिक वोट मिलते हैं वह वहां का चेयरमैन या सभापति चुन लिया जाता (Chairman kaise banta hai) है।

इसी तरह से किसी कंपनी में भी चेयरमैन को नियुक्त किया जाता है। हालाँकि यह कोई चुनावी प्रक्रिया नहीं होती है और जो कंपनी का मालिक होता है वह ही उस कंपनी का चेयरमैन कहलाता है। अब यह उस व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह ही उस कंपनी का चेयरमैन बने रहना चाहता है या फिर वह अपनी जगह किसी अन्य व्यक्ति को उस कंपनी का चेयरमैन बनाना चाहता है। हालाँकि सामान्य तौर पर मालिक ही अपनी कंपनी का चेयरमैन बने रहना पसंद करता है।

चेयरमैन के क्या कार्य होते हैं? (Chairman ke karya)

अब यदि हम चेयरमैन के द्वारा किये जाने वाले कामों के बारे में देखें तो यह आप अनुमान लगा सकते हैं कि किसी भी चैयरमैन का अपने नगर या कंपनी में क्या कुछ काम हो सकता है। इसका सीधा सा अनुमान यह है कि जो किसी नगर पालिका का चेयरमैन है उसका कार्य उस नगर को सुचारू रूप से चलाना होगा और उसका विकास करना होगा तो वहीं जो अपनी कंपनी का चेयरमैन है उसका कार्य अपनी कंपनी में प्रगति लाना, उसे आगे बढ़ाना तथा देश विदेश में अपने बिज़नेस को फैलाना होता (Chairman ka karya kya hota hai) है।

इस तरह से नगर पालिका के सभापति या चेयरमैन के कार्यों में उस नगर की स्वच्छता, स्ट्रीट लाइट, सार्वजानिक स्थलों, उद्यान, शौचालय, जल निकासी, सड़क निर्माण, पेयजल, कूड़ा निकासी, अपराध नियंत्रण, सरकरी योजनाओं पर काम करना इत्यादि शामिल है। एक तरह से उस नगर की सभी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने का जिम्मा वहां के चेयरमैन के पास ही होता है और उसे ही नित्य तौर पर यह कार्य करना होता (Chairman ka kam kya hota hai) है।

वहीं यदि हम किसी कंपनी के चेयरमैन की बात करें तो उसका मुख्य कार्य वहां की रिपोर्ट लेना, बोर्ड डायरेक्टर के साथ समय समय पर मीटिंग करना, कंपनी की नीतियाँ बनाना तथा सभी को जरुरी दिशा निर्देश देना, ग्राहकों का फीडबैक लेना और अपनी नीतियों पर समय समय पर बदलाव करते रहना तथा कंपनी को आगे बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना शामिल होता है। एक तरह से उस कंपनी को आगे बढ़ाने में वहां के चेयरमैन का ही हाथ होता है।

चेयरमैन का वेतन कितना होता है? (Chairman ka vetan kitna hota hai)

रही बात चेयरमैन के वेतन की तो कंपनी के चेयरमैन के लिए कोई निर्धारित वेतन नहीं होता है जबकि नगर पालिका के अध्यक्ष का वेतन संविधान के अनुसार फिक्स होता है। हालाँकि इसमें भी राज्य अनुसार परिवर्तन देखने को मिलता है और यह हर राज्य के लिए एक समान नहीं होता है। कहने का अर्थ यह हुआ की मध्य प्रदेश राज्य के चेयरमैन को जितना वेतन मिलता है यह जरुरी नहीं है कि केरल के चेयरमैन को भी उतना ही वेतन मिलता हो। वह उससे कम या ज्यादा हो सकता (Chairman ka vetan kitna hai) है।

फिर भी एक अनुमान के अनुसार किसी भी राज्य के चेयरमैन को न्यूनतम 70 हज़ार रुपये वेतन तो मिलता ही है और यह अधिकतम डेढ़ लाख तक का हो सकता है। वहीं यदि हम किसी कंपनी के चेयरमैन के वेतन की बात करें तो यह बात ही हास्यास्पद लगेगी क्योंकि वह तो कंपनी का मालिक होता है। वह तो कंपनी में काम कर रहे कर्मचारियों को वेतन देता है तो वह खुद क्यों वेतन लेगा। एक तरह से उस कंपनी में जितनी भी कमाई हो रही है, वह शुद्ध रूप से उसी व्यक्ति की ही कमाई कही (Chairman salary in Hindi) जाएगी।

चेयरमैन कौन होता है – Related FAQs 

प्रश्न: चेयरमैन का क्या मतलब?

उतर: चेयरमैन का मतलब है मुख्य पार्षद या अध्यक्ष।

प्रश्न: चेयरमैन की स्पेलिंग क्या है?

उतर: चेयरमैन की स्पेलिंग Chairman है।

प्रश्न: कंपनी में चेयरमैन कौन है?

उतर: कंपनी में चेयरमैन कंपनी का मालिक होता है और वह मुख्य होता है।

प्रश्न: कंपनी के मालिक को क्या कहा जाता है?

उतर: कंपनी के मालिक को चेयरमैन कहा जाता है।

तो इस तरह से इस लेख में आपने जाना कि चेयरमैन कौन होता है और वह कैसे चुना जाता है, चेयरमैन बनने के लिए क्या कुछ योग्यता चाहिए होती है और चेयरमैन के कार्य क्या होते हैं। साथ ही आपने इस लेख के माध्यम से चेयरमैन के वेतन के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर ली है।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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