|| चंद्र ग्रहण क्या है? | Lunar eclipse in Hindi | चंद्र ग्रहण के प्रकार | Chandra grahan ke bare mein jankari | Lunar eclipse ke samay kya dhyan rakhna chahiye | Chandra grahan types in Hindi | Chandra grahan kya hota hai | Chandra grahan kya hai ||
Lunar eclipse in Hindi, हर वर्ष में कोई ना कोई ग्रहण लगता ही है फिर चाहे वह सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण लेकिन हर ग्रहण की स्थिति व विशेषताएं अलग अलग होती है। कहने का अर्थ यह हुआ कि इसमें सूर्य ग्रहण के समय बनने वाली स्थिति अलग होती है जबकि चंद्र ग्रहण के समय बनने वाली स्थिति अलग होती (Chandra grahan in Hindi) है। इसी चंद्र ग्रहण को हम अंग्रेजी भाषा में लूनर एक्लिप्स भी कह देते हैं। आपने भी कई बार समाचार इत्यादि में इस शब्द का इस्तेमाल होते हुए देखा होगा।
तो अब यह चंद्र ग्रहण क्या होता है और इसे कैसे समझा जाए, इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए तो आपको यह लेख ही पढ़ना होगा। इस लेख में आपको चंद्र ग्रहण के बारे में और उसकी स्थिति के बारे में स्पष्ट रूप से समझाया (Chandra grahan ke bare mein jankari) जाएगा। इसे पढ़ कर आपको यह भलीभांति आईडिया हो जाएगा कि आखिरकार यह चंद्र ग्रहण किस स्थिति में लगता है या फिर इसका क्या कुछ प्रभाव देखने को मिलता है।
चंद्र ग्रहण क्या है? (Lunar eclipse in Hindi)
अब यह चंद्र ग्रहण क्या होता है और यह कैसे लगता है या फिर यह किसे कहते हैं, यह सब जानने की बारी है। तो जैसा कि आप समझ पा रहे हैं कि चंद्र ग्रहण उस स्थिति को कहते हैं जब हमारी पृथ्वी पर चंद्रमा दिखना बंद हो जाता है या उसका प्रभाव ख़त्म हो जाता है तो उसे ही चंद्र ग्रहण कहा जाता (Chandra grahan kya hai) है। यहं हम यह कहना चाह रहे हैं कि जब भी इस पृथ्वी पर कोई ग्रहण लगता है तो वह चीज़ कुछ देर के लिए हमसे छुप जाती है और हम उसे देख नहीं पाते हैं।
तो चंद्र ग्रहण की स्थिति में भी यही होता है। इसमें चंद्रमा जो होता है जो पृथ्वी के चारों और चक्कर लगा रहा होता है तो वह ना केवल उसके चारों ओर घूमता है बल्कि वह उसके ऊपर नीचे भी घूमता है। अब ऊपर नीचे घूमते हुए और साथ ही चारों और घूमते हुए वह पृथ्वी के कभी कभार एक दम पीछे छुप जाता (Lunar eclipse kya hai) है। उदाहरण के रूप में आप या हम जब छोटे होते थे तब पापा की डांट से बचने के लिए मम्मी के पीछे छुप जाते थे और दिखते नहीं थे, ठीक उसी तरह यह चंद्रमा पृथ्वी के पीछे छुप जाता है।
अब जब यह चंद्रमा घूमता हुआ एकदम पृथ्वी के पीछे आ जाता है या उसके थोड़ा ऊपर या नीचे होता है तो उस पर पृथ्वी की छाया पड़ती है और इस कारण उस छाया में आने पर सूर्य का प्रकाश उस पर पहुँच नहीं पाता है और वह पृथ्वी पर रह रहे मनुष्यों को दिखना बंद हो जाता (Chandra grahan kya hota hai) है। अब उसमे कितनी देर लगती है यह तो पूर्ण रूप से चंद्रमा के घूमने और उसके पृथ्वी के पीछे आने पर ही निर्भर करता है और उसके बाद वह कितनी देर तक वहां रहता है वह भी उसी पर ही निर्भर करता है, आइए इसे विस्तार से समझते हैं।
चंद्र ग्रहण कैसे लगता है? (Chandra grahan kaise lagta hai)
तो अब जानने की बारी है कि आखिरकार यह चंद्र ग्रहण लगता कैसे है या इसके पीछे क्या कुछ कारण होते हैं। तो इसका कोई कारण नहीं है और ना ही यह किसी चीज़ की वजह से लगता है बल्कि यह तो एक भौगोलिक घटना होती है जिसे रोका नहीं जा सकता है। यदि इसे रोक लिया गया तो समझ जाइये कि प्रलय आनी निश्चित (Lunar eclipse kaise hota hai) है। कहने का अर्थ यह हुआ कि यदि किसी कारणवश चंद्र ग्रहण नहीं लगता है या बंद हो जाता है तो इसका मतलब हुआ कि हमने चंद्रमा को हमेशा के लिए खो दिया है।
अब यह कैसे लगता है, इसके बारे में बात की जाए तो इसको आप इससे जाने कि अंतरिक्ष में हर चीज़ घुमती रहती है और किसी ना किसी चीज़ का चक्कर लगाती ही रहती है। कहने का मतलब यह हुआ कि कोई भी चीज़ एक जगह टिक कर नहीं बैठ सकती है और उसे किसी ना किसी के चारों ओर चक्कर लगाना ही (Chandra grahan kaise hota hai) है। अब चंद्रमा पृथ्वी के चक्कर लगाता है तो पृथ्वी सूर्य के और सूर्य किसी ओर के चक्कर लगा रहा है।
अब सभी एक दूसरे का चक्कर लगा रहे हैं तो इसी चक्कर चक्कर में ऐसी स्थिति आ जाती है कि चंद्रमा पृथ्वी के पीछे छुप जाता है। इस समय ऐसी स्थिति बनती है कि सबसे पहले सूर्य होते हैं, उसके बाद पृथ्वी माता आती है और उसके बाद चंदा मामा आते हैं। अब ऐसी स्थिति बन जाती है तो चंदा मामा तो पृथ्वी माता के पीछे छुप गए और इस कारण वह हमें दिख ही नहीं पाते हैं। बस इसी कारण चंद्र ग्रहण लग जाता है।
चंद्र ग्रहण क्यों लगता है? (Chandra grahan kyu lagta hai)
अब यह चंद्र ग्रहण लगता क्यों है या इसके पीछे का क्या कुछ कारण होता है, यह भी तो जानना जरुरी हो जाता है। तो इसका मुख्य कारण होता है ब्रह्मांड में हर चीज़ का गतिमान होना और यह जरुरी होता है। यदि कोई चीज़ रुक जाती है तो उसके किसी अन्य चीज़ से टकराने, अकेले पड़ जाने या नष्ट हो जाने का खतरा बना रहता (Lunar eclipse kyu lagta hai) है। इसलिए हर चीज़ को लगातार किसी ना किसी बड़ी चीज़ के आगे पीछे घूमते रहना जरुरी होता है और यही उसका कर्तव्य होता है।
अब वह चीज़ चाहे सूर्य हो या पृथ्वी या मंगल ग्रह या चंद्रमा या कुछ और। यदि इसमें से किसी ने भी घूमना बंद कर दिया तो समझ जाइये कि उसका अंत समय निकट आ गया है। अब सभी घूम ही रहे हैं तो अवश्य ही ऐसी स्थिति बन जाती है जब सूर्य, पृथ्वी तथा चंद्रमा एक ही सीध में आ जाते हैं और उसके कारण चंद्र ग्रहण देखने को मिलता है। बस इसी कारण ही हम चंद्र ग्रहण को देख पाते हैं और यही इसके लगने के पीछे का मुख्य कारण माना जाता है।
चंद्र ग्रहण के प्रकार (Chandra grahan types in Hindi)
अब आपको यह नहीं पता होगा कि चंद्र ग्रहण के प्रकार कौन कौन से हैं तो समझ जाइये कि आपको अधूरी जानकारी ही है। यहाँ हम यह कहना चाह रहे हैं कि यदि आपको किसी चीज़ के बारे में बेहतर तरीके से जानना है तो उसके बारे में शुरू से लेकर अंत तक पूरी जानकारी होना जरुरी होता (Lunar eclipse types in Hindi) है। तो चंद्र ग्रहण के बारे में जानने के साथ साथ उसके प्रकारों के बारे में भी पता लगा लिया जाए तो यह आपके लिए ही बढ़िया रहता है।
तो यह चंद्र ग्रहण अपनी स्थिति के अनुसार अलग अलग तरह का होता है जिसे मुख्य तौर पर तीन भागों में बांटा जाता है। कहने का मतलब यह हुआ कि आप जो चंद्र ग्रहण देखते हैं या जो चंद्र ग्रहण पृथ्वी पर लगता है उसे हम तीन तरह से अलग अलग रूप में देख सकते हैं और इसी कारण उन तीनों को ही अलग अलग नाम दिया गया है। यह पृथ्वी के पीछे किस तरह से स्थित है या घूम रहा है, उसी पर ही निर्भर करता है।
पूर्ण चंद्र ग्रहण (Puran chandra grahan)
अब इस तरह का चंद्र ग्रहण सबसे ज्यादा घातक होता है और इस समय सबसे ज्यादा ध्यान रखे जाने की जरुरत होती है क्योंकि इसमें चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी के पीछे छुप जाता है। इस स्थिति में चंद्रमा तक सूर्य का प्रकाश पहुँच ही नहीं पाता है और वह अंधकार में चला जाता है। यह एक ऐसा समय होता है जब वातावरण में नकारात्मकता बहुत अधिक बढ़ जाती है और देवताओं का प्रभाव कम हो जाता है।
इस समय राक्षसी शक्तियां बहुत प्रबल होती है और उनके कारण मनुष्य जाति को बहुत नुकसान उठाना पड़ता है। जब पूर्ण चंद्र ग्रहण लगता है उसमे चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसके केंद्र में होता है और उसके ऊपर सूर्य का प्रकाश पहुँच ही नहीं पाता है। इस स्थिति में वह पूरा लाल रंग का दिखाई देता है जो बहुत ही भयानक मंजर होता है।
अर्ध चंद्र ग्रहण (Ardha chandra grahan)
इस स्थिति में जो चंद्र ग्रहण लगता है वह पूर्ण चंद्र ग्रहण जितना भयानक तो नहीं होता है लेकिन इसे उसका आधा भयानक कह दिया जाए तो कोई गलत बात नहीं होगी। कहने का मतलब यह हुआ कि इसमें चंद्रमा पृथ्वी के पीछे कुछ इस स्थिति में होता है कि उसका आधा हिस्सा तो अंधकार में चला जाता है और आधा हिस्सा सूर्य की रोशनी में थोड़ा बहुत आ जाता है।
अब यदि आप इसे समझ कर झंझट या उलझन भरी स्थिति में पहुँच गए हैं तो हम इसे एक उदाहरण से समझा देते हैं। अब मान लीजिए आप किसी ऐसी जगह पर खड़े हैं जहाँ पर सूर्य की रोशनी भी है और एक ओर छाया भी पड़ रही है। अब यदि आप दोनों जगहों पर अपना एक एक पैर रख कर खड़े हो जाते हैं तो आपके आधे शरीर पर सूरज की रोशनी पड़ रही होगी जबकि बाकि का आधा शरीर छाया में होगा। बस वही स्थिति अर्ध चंद्र ग्रहण के समय में होती है।
पेनुम्ब्रल चंद्र ग्रहण
इस तरह का चंद्र ग्रहण बहुत ही अजीब और अलग तरह का चंद्र ग्रहण होता है क्योंकि इसमें सूर्य की रोशनी चंद्रमा पर पड़ भी रही होती और नहीं भी। अब आप कहेंगे कि यह कैसा मजाक है और ऐसा कैसे हो सकता है तो घबराये नहीं क्योंकि हम इसे सरल शब्दों में समझा देते हैं। इसे हम एक उदाहरण से समझेंगे तो ज्यादा बेहतर रहेगा क्योंकि यह आपको अच्छे से समझाने में मदद करेगा।
अब मान लीजिए आप किसी ऐसी जगह पर खड़े हैं जहाँ पर आपके ऊपर सूर्य का प्रकाश सीधे नहीं पड़ रहा है लेकिन किसी चीज़ से टकरा कर आपके ऊपर चमक रहा है। उदाहरण के तौर पर आप किसी शीशे के सामने खड़े हैं और वह शीशा सूरज की रोशनी में रखा हुआ है और उसका मुख आपकी ओर है। ऐसी स्थिति में उसकी रोशनी वहां से टकरा कर आपके ऊपर ही पड़ेगी ना तो बस वही इस पेनुरम्ब्रल चंद्र ग्रहण में देखने को मिलता है।
चंद्र ग्रहण के समय क्या सावधानियां रखें? (Chandra grahan me kya nahi karna chahiye)
अब यदि कभी चंद्र ग्रहण लग रहा है तो उस समय आपको कई तरह की सावधानियां रखे जाने की जरुरत होती है और यह बहुत जरुरी भी होती है। यदि आप बिना किसी सावधानी के ही इसे देख लेते हैं या ध्यान नहीं देते हैं तो बहुत ज्यादा नुकसान होने की संभावना बनी रहती (Lunar eclipse ke samay kya dhyan rakhna chahiye) है। इसलिए समय रहते ही इस पर ध्यान दे दिया जाए तो यह आपके लिए ही बेहतर रहता है।
वैसे तो यह चंद्र ग्रहण सूर्य ग्रहण जितना खतरनाक नहीं होता है और ना ही मनुष्य के स्वास्थ्य पर इतना अधिक प्रभाव डालता है लेकिन फिर भी इसमे भी कई चीज़ों को ध्यान में रखे जाने की जरुरत होती है। इसमें आपको किसी भी तरह का शुभ काम नहीं करना होता है और ना ही कुछ खाना होता है। ऐसा करना अच्छा नहीं माना जाता है और किसी भी तरह के ग्रहण में इन कामों को करने की मनाही होती है। ठीक इसी तरह आपको पूजा घर में या भगवान की मूर्तियों के सामने नहीं जाना चाहिए और उनसे दूर रहना चाहिए।
इसी तरह की कुछ बातों को ध्यान में रख कर और अपने घर में ही रह कर आप चंद्र ग्रहण के पड़ने वाले प्रभावों से खुद को तथा अपने परिवार के सदस्यों को बचाए रख सकते हैं अन्यथा इसका बहुत खतरनाक प्रकोप झेलना पड़ सकता है। इसलिए यदि आप समय रहते इन छोटी छोटी बातों को ध्यान में रख लेंगे तो बेहतर रहेगा।
चंद्र ग्रहण क्या है – Related FAQs
प्रश्न: चंद्र ग्रहण कैसे होता है और क्यों होता है?
उत्तर: चंद्र ग्रहण कैसे होता है और क्यों होता है, इसके बारे में हरेक जानकारी हमने आपको इसी लेख में दी है जिसे आपको पढ़ना चाहिए।
प्रश्न: चंद्र ग्रहण के दौरान क्यों नहीं खाना चाहिए?
उत्तर: चंद्र ग्रहण के दौरान इसलिए नहीं खाना चाहिए क्योंकि चारों और नकारात्मकता होती है और इस कारण खाना भी गंदा हो जाता है या दूषित हो जाता है।
प्रश्न: हम ब्लड मून कब देख सकते हैं?
उत्तर: हम ब्लड मून तभी देख सकते हैं जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे और बीच में आ जाए।
प्रश्न: चंद्र ग्रहण में सोने से क्या होता है?
उत्तर: चंद्र ग्रहण में सोने से कुछ नही होता है और आप बेफिक्र होकर सो सकते हैं।
इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने चंद्र ग्रहण के बारे में शुरू से लेकर अंत तक हरेक जानकारी विस्तृत रूप से ले ली है। अब यदि आगे से कोई आपसे चंद्र ग्रहण के बारे में पूछेगा तो आप उसे निर्भित होकर इसके बारे में बता सकते हैं।