चंद्रयान-3 मिशन क्या है? इस मिशन का क्या उद्देश्य है? चंद्रयान-3 बनाने में कितनी लागत आई है? चंद्रयान-3 लॉन्चिंग

|| चंद्रयान-3 मिशन क्या है? | इस मिशन का क्या उद्देश्य है? |चंद्रयान-3 बनाने में कितनी लागत आयी है? | चंद्रयान-3 लॉन्चिंग | what is chandrayaan-3 mission? | What is the objective of this mission? | What is Chandrayaan-3’s manufacturing cost? | chandrayaan-3 launching | chandrayaan-3 mission In Hindi ||

चांद हमेशा से कवियों, साहित्यकारों की कल्पनाओं के केंद्र में रहा है। वे अपनी महबूबा के चेहरे की तुलना चांद से करते रहे। किसी ने सोचा भी नहीं था कि इंसान एक रोज चांद पर पहुंचने में कामयाब हो जाएगा। लेकिन ऐसा हुआ और इसके बाद से चांद को लेकर तमाम वैज्ञानिक अध्ययनों के दौर शुरू हो गए। इस दिशा में हमारा देश भारत भी पीछे नहीं।

आज की तारीख में वह चंद्रयान-3 मिशन के जरिए दुनिया के टॉप 4 देश में शामिल होने की तैयारी में है। चंद्रयान-3 मिशन क्या है? इस मिशन का क्या उद्देश्य है? चंद्रयान-3 बनाने में कितनी लागत आई है? एवं इसकी लॉन्चिंग से जुड़े आपके दिमाग में उठने वाले सभी सवालों के जवाब आज हम आपको इस पोस्ट से देने की कोशिश करेंगे। आइए, शुरू करते हैं-

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चंद्रयान-3 मिशन क्या है? (What is chandrayaan-3 mission?)

दोस्तों, आपको बता दें कि चंद्रयान-3 मिशन (chandrayaan-3 mission) आज से करीब चार वर्ष पूर्व यानी सन् 2019 में भेजे गए चंद्रयान-2 मिशन का फॉलोअप मिशन (follow up mission) है‌। इसमें लैंडर (lander) की सॉफ्ट लैंडिंग (soft landing) के साथ ही रोवर (rover) को सतह पर चलाकर देखा जाएगा।

चंद्रयान-3 मिशन क्या है

दोस्तों, आपको बता दें कि लैंडर को चांद की सतह पर उतारना सबसे कठिन कार्य होता है। यह तो आपको ज्ञात ही होगा कि 2019 में चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर (Vikram lander) की हार्ड लैंडिंग (Hard landing) की वजह से ही वह मिशन spoil हो गया था।

चंद्रयान-3 मिशन का क्या उद्देश्य है? (What is the objective of chandrayaan-3 mission?)

दोस्तों, यदि बात चंद्रयान-3 मिशन के उद्देश्यों की करें तो इसका पहला उद्देश्य चंद्रयान-2 के अधूरे रह गए कार्यों को पूरा करना है। इसका पहला उद्देश्य लैंडर को चांद की सतह (layer of moon) पर सॉफ्ट लैंडिंग (soft landing) कराना है। चंद्रयान-3 वहां की थर्मल कंडक्टिविटी (thermal conductivity) आदि के साथ ही चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पर्यावरण का विश्लेषण (analysis) करेगा। उसके द्वारा भेजी जाने वाली जानकारी भविष्य के चंद्र मिशनों (moon missions) के लिए भी अहम होगी।

इस बार चंद्रयान-3 में क्या बदलाव किया गया है? (What changes have been made in chandrayan -3?)

मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि इस बार परिस्थितियों व आवश्यकता के अनुसार चंद्रयान-3 में कुछ बदलाव (changes) किए गए हैं। इसके लैंडर के थ्रस्टर्स (thursters) में बदलाव किया गया है‌। इसके अतिरिक्त इसमें अधिक संवेदनशील सेंसर (more sensitive censors) लगाए गए हैं।

चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग कब है? (When the chandrayan will be launched?)

साथियों, आपको बता दें कि चांद पर जाने के लिए चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) की लॉन्चिंग 14 जुलाई, 2024 को होगी। यह शुक्रवार की दोपहर 2:35 बजे चांद की ओर उड़ान भरेगा। श्रीहरिकोटा (sriharikota) स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर (Satish Dhawan space centre) के लॉन्च पैड (launch pad) 2 से यह लॉन्चिंग होगी।

दोस्तों, आपको बता दें कि चंद्रयान करीब 50 दिन की यात्रा के पश्चात चंद्रमा (moon) के दक्षिणी ध्रुव (south pole) के पास लैंड करेगा। 24 अगस्त तक इसके चंद की सतह तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। दोस्तों यहां पर आपको यह भी बता दे कि यदि चंद्रयान-3 दक्षिण ध्रुव पर लैंड कर लेता है तो ऐसा करने वाला वह पहला देश होगा।

चंद्रयान की लॉन्चिंग के लिए कौन से एलवीएम का इस्तेमाल किया जाएगा? (Which LVM will be used to launch chandrayan?)

चंद्रयान-3 मिशन क्या है

दोस्तों, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation) यानी इसरो (ISRO) द्वारा चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के लिए LVM-3-M4 लॉन्चर का इस्तेमाल किया जाएगा। आपको बता दें कि LVM-3 रॉकेट की चौथी उड़ान होगी। इसकी खास बात यह है कि यह भारी सैटेलाइट्स (satelite) को भी अंतरिक्ष (space) में छोड़ सकता है। इसका वजन 642 टन है, वहीं इसकी ऊंचाई की बात करें तो यह 43.5 मीटर यानी करीब 143 फीट ऊंचा है।

चंद्रयान-3 के निर्माण पर कितनी लागत आई है? (How much it costs on chandrayaan?)

दोस्तों, आपको बता दें चंद्रयान-3 के निर्माण पर 615 करोड़ यानी लगभग सवा छह अरब रुपए की लागत आई है।

आपको जानकारी दे दें कि चंद्रयान-3 में इस बार ऑर्बिटर (orbitor) नहीं भेजा जा रहा है। इस बार स्वदेशी प्रोपल्शन मॉड्यूल (indigenous propeltion module) भेजा जा रहा है। यही लैंडर और रोवर (lander and rover) को चांद की कक्षा तक लेकर जाएगा।

इसके पश्चात यह चंद्रमा के चारों ओर 100 किलोमीटर की कक्षा में चक्कर लगाता रहेगा। आपको जानकारी दे दें दोस्तों कि इसका वजन (weight) 2145.01 किलोग्राम होगा। इसमें 1696.39 किलोग्राम ईंधन होगा। इसका मतलब यह है कि मॉड्यूल (module) का असली वजन 448.62 किलोग्राम होगा।

भारत में पहली बार चंद्रयान कार्यक्रम की घोषणा कब की गई थी? (When for the first time chandrayaan program was declared?)

मित्रों, भारत में इसरो की स्थापना 15 अगस्त, 1969 में हुई। यदि भारत में चंद्रयान कार्यक्रम (chandrayaan program) की बात करें तो पहली बार इसकी औपचारिक घोषणा (official declaration) 15 अगस्त, 2003 को देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई (Atal Bihari Vajpayee) के द्वारा की गई थी। आपको जानकारी दे दें कि इसरो (ISRO) के पीएसएलवी (PSLV) c11 रॉकेट के जरिए चंद्रयान-1 (chandrayaan-1) मिशन लॉन्च किया गया था। वह 22 अक्टूबर, 2008 का दिन था।

उस वक्त चंद्रयान द्वारा 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर चंद्रमा के चारों ओर परिक्रमा करके अहम जानकारियां जुटाई गई थीं। इसके अगले ही वर्ष सन 2009 में अंतरिक्ष यान की कक्षा को 200 किलोमीटर तक बढ़ा दिया गया। सन् 2009 में 29 अगस्त के दिन अंतरिक्ष से संपर्क टूटने पर पहला मिशन समाप्त हो गया। इसके बाद दूसरे मिशन को लॉन्च करने में करीब 11 साल का लंबा समय लग गया।

22 जुलाई, 2019 को चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च किया गया। लॉन्चिंग के करीब एक माह बाद 20 अगस्त, 2019 को चंद्रयान-2 चंद्रमा की कक्षा में पहुंच गया । लेकिन इसके पश्चात चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर विक्रम लैंडर (Vikram lander) से वैज्ञानिकों का संपर्क टूट गया। प्रत्येक भारतवासी को उस मिशन के अधूरे रह जाने का दर्द साल रहा था। अब 3 वर्ष पश्चात चंद्रयान मिशन-2 के अधूरे कामों को पूरा करने के लिए चंद्रयान-3 को लांच किया जा रहा है, जिस पर पूरे भारत के लोगों की नज़रें लगी हैं।

चंद्रयान-3 मिशन की कामयाबी भारत को कहां ले जाएगी? (Where the India will go after successful launching of chandrayaan-3 mission?)

दोस्तों, आपको जानकारी दे दें कि यदि भारत (India) का चंद्रयान-3 मिशन सफल रहता है तो इसके साथ ही वह अमेरिका (America), चीन (chinna) एवं रूस (Russian) के समकक्ष (equivalent) खड़ा हो जाएगा। इन देशों के बाद वह चौथा ऐसा देश बन जाएगा, जिसने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग (soft landing) पर महारथ हासिल की हो। आपको बता दें दोस्तों कि इसरो द्वारा चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के लिए 13 जुलाई , 2024 से 25.30 घंटे की उलटी गिनती प्रारंभ हो गई थी।

वर्तमान में इसरो के प्रमुख कौन हैं? (Who is the Head of ISRO now a days?)

मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि वर्तमान में एस सोमनाथ इसरो के प्रमुख हैं। इसरो प्रमुख होने के नाते उनके पास काफी अहम जिम्मेदारी है। वे ही संगठन में होने वाली हर गतिविधि के लिए जिम्मेदार हैं। यदि इसरो प्रमुख के वेतन की बात की जाए तो 7वें वेतन आयोग (pay commission) के अनुसार उनका वेतन (salary) करीब ढाई लाख रुपए प्रतिमाह बैठता है।

इसके अतिरिक्त आवास, वाहन आदि की सुविधा भी उनको उपलब्ध कराई जाती है। यदि इसरो प्रमुख एस सोमनाथ की शिक्षा की बात की जाए तो आपको बता दें कि उन्होंने टीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, कोल्लम से मैकेनिकल इंजीनियरिंग (mechanical engineering) में बीटेक (BTech) की डिग्री हासिल की है।

इसके साथ ही उन्होंने आईआईएससी, बंगलुरु (IISC, Bangluru) से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग (Aerospace engineering) में स्नातकोत्तर की उपाधि ली। दोस्तों, शिक्षा में अव्वल होने की वजह से उन्हें गोल्ड मेडल प्राप्त हुआ। बतौर वैज्ञानिक 1985 में उनका करियर शुरू हुआ। उन्होंने पीसएलवी (PSLV) के इंटीग्रेशन के दौरान टीम लीडर (team leader) की भूमिका अदा की।

इसके अलावा लॉन्चिंग व्हीकल (Launching vehicle) के विकास (development) में भी उनका खासा योगदान रहा है। बीते वर्ष यानी कि सन् 2022 में उन्हें इसरो प्रमुख बनाया गया। उनका कार्यकाल तीन साल का है। दोस्तों, शायद आपको इस बात की जानकारी न हो कि कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट से जुड़े होने के नाते केंद्र सरकार द्वारा इसरो प्रमुख एस सोमनाथ को

अप्रैल, 2022 में वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा भी मुहैया कराई गई थी। दोस्तों, आपको बता दें कि चंद्रयान-3 मिशन में उनकी महती भूमिका रही है। वे बेहद धार्मिक व्यक्ति भी हैं। यही वजह है कि वे चंद्रयान-3 की से पूर्व मिशन की सफलता की कामना लिए ईश्वर के द्वार भी गए।

उन्होंने सुल्लूरपेटा स्थित चेंगलम्मा परमेश्वरिनी देवी के मंदिर में पूजा अर्चना की। चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के लिए प्रार्थना की। इतना ही नहीं दोस्तों, इसरो के अन्य वैज्ञानिकों द्वारा भी चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण यानी लॉन्चिंग से पूर्व तिरुमला तिरुपति बालाजी मंदिर में जाकर ईश्वर से सफलता की कामना की गई है।

चंद्रयान-3 मिशन क्या है?

यह चंद्रयान-2 मिशन का ही फॉलो अप है?

क्या चंद्रयान-2 मिशन सफल रहा था?

जी नहीं, वह मिशन खराब हो गया था।

चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग कब प्रस्तावित है?

चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग 14 जुलाई, 2024 को दोपहर 2:35 बजे प्रस्तावित है।

चंद्रयान-3 के निर्माण पर कुल कितनी लागत आई है?

चंद्रयान-3 के निर्माण पर कुल 615 करोड़ की लागत आई है।

चंद्रयान-3 चंद्रमा तक कब पहुंचेगा?

चंद्रयान-3 50 दिन की यात्रा के पश्चात चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंड करेगा।

क्या चंद्रयान में कुछ बदलाव किए गए हैं?

जी हां, परिस्थितियों को देखते हुए इस बार चंद्रयान में कुछ बदलाव किए गए हैं।

भारत में चंद्रयान कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा कब हुई? भारत में चंद्रयान कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा सन् 2003 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई द्वारा की गई।

भारत में चंद्रयान कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा सन् 2003 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई द्वारा की गई।

चंद्रयान मिशन-1 कब लॉन्च किया गया था?

इस मिशन को आज से करीब 15 वर्ष पूर्व सन् 2008 में लॉन्च किया गया था।

दोस्तों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको चंद्रयान -3 के बारे में जानकारी दी। उम्मीद है कि यह जानकारी आपकी सामान्य ज्ञान में वृद्धि करेगी। यदि इस पोस्ट के संबंध में आपका कोई सवाल अथवा सुझाव है तो उसे नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके हम तक पहुंचा सकते हैं। ।।धन्यवाद।।

प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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