चुनाव आचार संहिता क्या है? | चुनाव आचार संहिता कब लगती हैं | Chunav aachar sanhita kya hai

Chunav aachar sanhita kya hai :– हमारे देश में रह रहकर कोई ना कोई चुनाव होता रहता है और इसे निष्पक्ष रूप से करवाने का उत्तरदायित्व चुनाव आयोग का होता है। ऐसे में जब भी कहीं पर चुनाव करवाया जाता है फिर चाहे वह देश का चुनाव हो या राज्य का या परिषद इत्यादि का, उस क्षेत्र में चुनाव आचार संहिता लग जाती है। आपके यहाँ भी जब चुनाव होते हैं तो वहां आपने सुना होगा कि अब से आपके यहाँ चुनाव आचार संहिता लग गयी (Code of conduct in Hindi) है।

यह चुनाव आचार संहिता केवल बातों बातों में ही नहीं होती है बल्कि इसके तहत हर किसी पर कुछ ना कुछ पाबंदियां लगा दी जाती है जिसका पालन करना हर किसी के लिए जरूरी होता है। इसके अंतर्गत केवल राजनीतिक पार्टियाँ ही नहीं, बल्कि चुनाव लड़ रहे सभी प्रत्याशी, अन्य दल, कार्यकर्ता, आम नागरिक, शासन, प्रशासन इत्यादि आते हैं। एक तरह से जिस भी क्षेत्र में चुनाव है, वहां इस चुनाव आचार संहिता को लगाया जाता है और उस क्षेत्र में रह रहे लोगों पर और वहां पर चुनाव आचार संहिता लागू की जाती (Chunav aachar sanhita kya hai in Hindi) है।

तो यह चुनाव आचार संहिता क्या है और इसे कब और क्यों लागू किया जाता है। इसी के साथ ही चुनाव आचार संहिता के तहत किन किन चीज़ों को करने की मनाही होती है या किस पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है, इसके बारे में बताने के लिए ही यह लेख लिखा गया है। आइये जाने इसके बारे (Chunav aachar sanhita in Hindi) में।

चुनाव आचार संहिता क्या है? (Chunav aachar sanhita kya hai)

सबसे पहले हम बात कर लेते हैं कि आखिरकार यह चुनाव आचार संहिता क्या होती है और इससे हमारा क्या तात्पर्य है। हमारे देश में समय समय पर कहीं ना कहीं चुनाव होता रहता है तो कभी कभार उपचुनाव भी होता है जो अलग अलग परिस्थितियों के कारण करवाने की आवश्यकता पड़ती है। इन्हीं चुनावों में हम लोग अपना मत देकर अपने पार्षदों, विधायकों सहित सांसदों को चुनने का काम करते हैं। इन्हीं में से हम अपने सभापति, मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री को देखते हैं जो हमारे शहर, राज्य व देश को चलाने का कार्य करते (What is code of conduct in Hindi) हैं।

Chunav aachar sanhita kya hai

इस देश में कई तरह की राजनीतिक पार्टियाँ हैं जो अलग अलग चुनावों में अपना दमखम दिखाती हैं। इसमें से कुछ राष्ट्रीय पार्टियाँ हैं तो कुछ क्षेत्रीय और एक सीमित क्षेत्र वाली पार्टियाँ हैं। वहीं बहुत से प्रत्याशी किसी पार्टी से ना जुड़े होकर निर्दलीय भी चुनाव लड़ते हैं। अब कहीं पर चुनाव करवाना होता है तो वह काम चुनाव आयोग का होता है। एक तरह से उस समय के लिए चुनाव आयोग ही उस क्षेत्र का सर्वेसर्वा बन जाता है जो निष्पक्ष रूप से चुनाव करवाने का कार्य करता (Chunav aachar sanhita kise kahate hain) है।

उस क्षेत्र का संपूर्ण शासन प्रशासन चुनाव आयोग के अधीन आ जाता है और उसे चुनाव योग के बताये गए दिशा निर्देशों का ही कठोरता के साथ पालन करना होता है। ऐसे में चुनाव आयोग ने निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिए कई तरह के नियम बनाये हुए हैं जिन्हें हम चुनाव आचार संहिता के नाम से जानते हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि उस समय देश के संविधान व नियमों के साथ साथ चुनाव आयोग के नियम उस क्षेत्र विशेष में लागू कर दिए जाते हैं जिनका अनुपालन किया जाना बहुत ही आवश्यक होता (Code of conduct kya hai) है।

इस चुनाव आचार संहिता को आदर्श चुनाव आचार संहिता के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे में इसके तहत किन किन चीज़ों पर पाबंदी लगती है और इसे क्यों ही लागू किया जाता है और यदि उनका अनुपालन ना किया जाए तो क्या कुछ होता है, वह सब हम आपको अब (Code of conduct kya hota hai) बताएँगे।

चुनाव आचार संहिता में किन-किन चीज़ों पर पाबंदी लगती है? (Code of conduct rules in Hindi)

आपने यह तो जान लिया है कि चुनाव आचार संहिता क्या होती है लेकिन इसे देश का चुनाव आयोग किन चीज़ों पर लागू करता है, यह जानना भी तो जरूरी है। बहुत से लोगों को यह पता नहीं होता है कि चुनाव आचार संहिता लगने के बाद किन किन चीज़ों पर पाबंदी लग जाती है अर्थात उन्हें करने पर उन पर कानूनन कार्यवाही होने की संभावना बनी रहती (Chunav aachar sanhita ke niyam) है।

ऐसे में चुनाव आयोग के द्वारा चुनाव आचार संहिता के तहत कुछ दिशा निर्देश बनाये गए हैं, जिनका पालन किया जाना आवश्यक होता है। यह नियम क्या हैं और इनके तहत अन्य कौन कौन से नियम जुड़े हुए हैं, आइये उनके बारे में मुख्य रूप से जानकारी ले लेते हैं।

जहाँ पर चुनाव हो रहा है, वहां की सरकार के द्वारा किसी भी नयी योजना का निर्माण या उसमें बदलाव नहीं किया जा सकता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि सरकार तो अभी भी है लेकिन वह किसी नयी योजना को बनाने, किसी पूर्व की योजना को समाप्त करने या उसमें किसी तरह का बदलाव करने का अधिकार खो देती है।

सभी राजनीतिक दलों और चुनावी प्रत्याशियों के द्वारा अपने क्षेत्र या चुनाव आचार संहिता लगे क्षेत्रों में आम नागरिकों या अन्य किसी को उपहार नहीं दिए जा सकते हैं या उन्हें किसी तरह का पैसा या प्रलोभन नहीं दिया जा सकता है।

सरकार या विपक्ष भी किसी तरह की चुनावी रेवड़ियाँ नहीं बाँट सकती है और ना ही किसी को प्रोत्साहित कर सकती है। हालाँकि वह चुनाव के बाद क्या कुछ नया करेगी या बांटेगी, इसके बारे में आम नागरिकों को सूचित कर सकती है।

प्रत्याशियों या उनके कार्यकर्ताओं के द्वारा आम नागरिकों को किसी भी तरह से डराया या धमकाया नहीं जा सकता है और ना ही उनके परिवार के सदस्यों को किसी अन्य तरीके से प्रताड़ित किया जा सकता है।

चुनाव आयोग के द्वारा एक निश्चित पद के लिए जो भी अधिकतम खर्चे की सीमा तय की गयी है, सभी प्रत्याशियों को उसके अंतर्गत रहकर ही खर्चा करना होता है। उससे अधिक खर्चा किये जाने पर चुनाव आयोग उन पर कार्यवाही करता है।

सरकार के द्वारा अपने पिछले कार्यकाल में शुरू की गयी सभी सरकारी योजनाओं, कार्यक्रमों इत्यादि का प्रचार नहीं किया जा सकता है और ना ही शहर में इससे संबंधित अपने होअर्डिंग, बैनर या पोस्टर लगवाए जा सकते हैं।

सोशल मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी अपनी योजनाओं से संबंधित प्रचार करने की मनाही होती है। हालाँकि वह आगामी योजनाओं को शुरू करने या उन्हें जारी रखने के बारे में बता सकती है लेकिन अपनी पिछली योजनाओं और उनकी उपलब्धियों के बारे में नहीं बात कर सकती है।

चुनावी सभा करते समय या मतदाताओं के बीच में भाषण देते समय अपने शब्दों का संभल कर चुनाव करना होता है, लोगों को भड़काया नहीं जा सकता है, दूसरे प्रत्याशी पर हमला करते समय मर्यादा का ध्यान रखना होता है, धर्म जाति के नाम पर मत नहीं मांगे जा सकते हैं और ना ही लोगों को आपस में बांटने का काम किया जा सकता है इत्यादि।

अपने सामने खड़े प्रत्याशियों का भी उचित सम्मान करना होता है और उनके घर, कार्यालय के बाहर शक्ति प्रदर्शन करने की मनाही होती है। ना ही उन्हें किसी तरह से परेशान किया जा सकता है।

जिस दिन चुनाव होना है, उससे दो दिन पहले की शाम से अर्थात 36 घंटे पहले सभी तरह के राजनीतिक कार्यकर्मों पर रोक लगा दी जाती है। कहने का अर्थ यह हुआ कि यदि 23 अगस्त को सुबह मतदान है तो 21 अगस्त को शाम 5 बजे के बाद सभी तरह की राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगा दी जाएगी।

इसके अंतर्गत 21 अगस्त को शाम 5 बजे के बाद चुनावी प्रत्याशियों के द्वारा आम सभा, भाषण, रैली इत्यादि का आयोजन नहीं किया जा सकता है। हालाँकि वे घर घर जाकर मत माँग सकते हैं और इसके लिए किसी तरह की मनाही नहीं है।

इन सभी के अलावा भी कई तरह के नियम चुनाव आयोग के द्वारा बनाये गए हैं जो आपको सही तरह से चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जाकर ही पता चल सकते हैं। वह इसलिए क्योंकि समय के साथ साथ बहुत चीज़ों में बदलाव होता रहता है और उसी के अनुसार ही चुनाव आयोग भी अपने बनाये दिशा निर्देशों में परिवर्तन करता रहता है। तो सभी लोगों को उन निर्देशों या नियमों का पालन करना जरुरी होता है।

चुनाव आचार संहिता कब लगती है? (Code of conduct kab lagta hai)

अब आपको यह भी जान लेना चाहिए कि आखिरकार चुनाव आयोग के द्वारा चुनाव आचार संहिता को कब लगाया जाता है या इसकी समय सीमा कब तक की होती है। तो जैसे ही चुनाव आयोग किसी राज्य में चुनावों की घोषणा कर देता है और उसके लिए एक निर्धारित तिथि की घोषणा कर देता है तो उसी दिन से ही उस राज्य में चुनाव आचार संहिता लग जाती (Chunav aachar sanhita kab lagti hai) है।

कहने का अर्थ यह हुआ कि इसके लिए चुनाव आयोग पहले एक मीटिंग बुलाता है। उस मीटिंग में यह चर्चा की जाती है कि जहाँ चुनाव होना है, उसकी तिथि क्या होगी, किन किन क्षेत्रों में कब कब चुनाव होगा, प्रत्याशी घोषित करने, नामांकन भरने और उसे वापस लेने की क्या तिथि होगी, चुनाव परिणाम की क्या तिथि होगी, इत्यादि के बारे में बताया जाता है। जिस भी दिन यह बता दिया जाता है, उसी दिन से ही उस क्षेत्र में चुनाव आचार संहिता लागू हो जाती (Chunav aachar sanhita kitne din pahle lagti hai) है।

चुनाव आचार संहिता कब समाप्त होती है? (Chunav aachar sanhita kab tak Tak rahti hai)

अब चुनावों की घोषणा होते ही उसी दिन से ही चुनाव आचार संहिता लग जाती है। ऐसे में आपका यह भी प्रश्न होगा कि आखिरकार यह चुनाव आचार संहिता कब तक लागू रहती है अर्थात इसकी समाप्ति की क्या तिथि होती है। बहुत से लोग यह सोच रहे होंगे कि यह चुनाव संपन्न होते ही समाप्त हो जाती है लेकिन ऐसा नहीं है। दरअसल यह पूर्ण रूप से चुनाव आयोग पर निर्भर करता है कि वह चुनाव आचार संहिता को कब तक लागू रखना चाहता है।

हालाँकि इसकी भी एक समय सीमा होती है। चुनाव आयोग को नयी सरकार के गठन से पहले पहले तक चुनाव आचार संहिता को समाप्त करना होता है। ऐसे में वह चुनाव समाप्त होने वाले दिन ही इसे समाप्त कर सकता है तो वहीं चुनाव परिणाम वाले दिन या उसके कुछ ही दिनों में इसे समाप्त कर सकता है। यह चुनाव आयोग के विवेकाधिकार पर निर्भर करता है कि वह उस क्षेत्र से कब चुनाव आचार संहिता को हटाने जा रहा है।

चुनाव आचार संहिता क्यों लगायी जाती है? (Chunav aachar sanhita kyu lagti hai)

चुनाव आचार संहिता के तहत जो जो नियम बनाये गए हैं, उन्हें पढ़कर आपको थोड़ा बहुत तो समझ में आ ही गया होगा कि आखिरकार किन कारणों को ध्यान में रखकर चुनाव आयोग के द्वारा इस आदर्श चुनाव आचार संहिता को लागू किया जाता है। तो दरअसल इसके पीछे तो कई कारण होते हैं लेकिन जो मूल कारण होता है, वह यही होता है कि उस क्षेत्र में निष्पक्ष रूप से चुनाव को संपन्न करवाना जाना।

चुनाव को निष्पक्ष रूप में और सभी की भागीदारी के साथ सुनिश्चित करना चुनाव आयोग का मुख्य कार्य होता है। अब यह कार्य किस तरह से संपन्न होगा, इसके लिए ही वह चुनाव आचार संहिता को बनाता है जिसका पालन किया जाना हर किसी के लिए अनिवार्य होता है। ऐसे में कोई भी प्रत्याशी साम, दाम, दंड, भेद इत्यादि के बलबूते चुनावों को प्रभावित ना कर सके और ना ही कोई अन्य हथकंडा अपना सके, उसी के लिए ही यह नियम बनाये गए हैं।

यह नियम चुनावों की घोषणा होते ही लागू कर दिए जाते हैं और उनका पालन करना वहां की सरकार सहित संपूर्ण विपक्ष व आम नागरिकों के लिए भी अनिवार्य होता है। इसी के बलबूते ही चुनाव आयोग अपनी संपूर्ण प्रक्रिया को चलाता है और निष्पक्ष चुनाव करवा कर देता है।

चुनाव आचार संहिता नहीं मानने पर क्या होता है?

अब आपका अगला प्रश्न यह होगा कि यदि कोई प्रत्याशी चुनाव आचार संहिता को नहीं मानता है या उसके किसी नियम का उल्लंघन करता है या कोई अन्य व्यक्ति उसका उल्लंघन करता है तो उस स्थिति में चुनाव आयोग के क्या अधिकार होते हैं। ऐसे में चुनाव आयोग को भारतीय संविधान ने हर तरह के अधिकार दिए हुए हैं जिनका उपयोग वह समय आने पर कर सकता है।

किसी प्रत्याशी या राजनीतिक पार्टी के द्वारा चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन किये जाने पर चुनाव आयोग उन्हें तलब करता है, उन्हें नोटिस जारी करता है और उन्हें स्पष्टीकरण देने को कहता है। यदि चुनाव आयोग उनके स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं होता है तो वह उस पर कार्यवाही कर सकता है। यह कार्यवाही किसी भी तरह की हो सकती है फिर चाहे उस प्रत्याशी का नामांकन रद्द करना हो, उसको चुनाव लड़ने से रोकना हो या अन्य कुछ।

इसी तरह किसी कार्यकर्ता या आम नागरिक के द्वारा भी चुनाव आचार संहिता के नियमों का उल्लंघन किया जाता है तो उस पर भी विधिक कार्यवाही की जाती है। उस पर चुनाव आयोग उसे न्यायालय में घसीटता है और उसे पुलिस के द्वारा हिरासत में भी लिया जा सकता है। उस पर भारतीय कानून के तहत उचित कार्यवाही की जाती है।

चुनाव आचार संहिता क्या है – Related FAQs 

प्रश्न: चुनाव से पहले आचार संहिता कब लगती है?

उत्तर: चुनाव की तारीख घोषित होते ही आचार संहिता लागू कर दी जाती है।

प्रश्न: आचार संहिता कौन लागू करता है?

उत्तर: आचार संहिता चुनाव आयोग द्वारा लागू की जाती है।

प्रश्न: आचार संहिता तोड़ने से क्या होता है?

उत्तर: आचार संहिता तोड़ने पर क्या होता है यह आप ऊपर का लेख पढ़ कर जान सकते हो।

प्रश्न: आचार संहिता का पालन नहीं करने पर क्या होता है?

उत्तर: आचार संहिता का पालन नहीं करने पर जो प्रावधान होता है उसके बारे में जानकारी आपको ऊपर के लेख में पढ़ने को मिलेगी।

तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने चुनाव आचार संहिता क्या है यह जान लिया है। साथ ही आपने जाना कि चुनाव आचार संहिता कब लगती है कब समाप्त होती है क्यों लगाई जाती है और चुनाव आचार संहिता में किन किन चीजों पर पाबंदी लगाई जाती है इत्यादि। आशा है कि जो जानकारी लेने के लिए आप इस लेख पर आए थे वह आपको मिल गई होगी। फिर भी यदि कोई सवाल आपके मन में शेष रह गया है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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