Cloud computing in Hindi: दुनिया में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल तेजी के साथ बढ़ता जा रहा है। जब से हम सभी ने इंटरनेट का इस्तेमाल करना शुरू किया है तब से ही यह पूरी दुनिया ही एक डिब्बे में सिमट कर रह गयी है। इंटरनेट से पहले जो कंप्यूटर हुआ करता था, वह उसी कमरे तक ही सीमित होता था लेकिन जब से उस कंप्यूटर में इंटरनेट का प्रवेश हुआ है, तब से मानो पूरी दुनिया की जानकारी और डाटा उसमें सेव हो गया (What is cloud computing in Hindi) है।
अब आपको डाटा तो पता ही होगा। यह डाटा आपका और दुनिया का वह हरेक व्यक्ति जो इंटरनेट का उपयोग कर रहा है, उसका होता है। इसमें उसका निजी डाटा, जैसे कि लिखित जानकारी, फोटोज, वीडियोज इत्यादि सब होता है। अब इस डाटा को आप अपने सिस्टम में ही एक्सेस कर पाएं और कहीं नहीं तो यह दुविधा का पर्याय बन जाता है। तो इसी समस्या को दूर करने के लिए ही क्लाउड कंप्यूटिंग की सर्विस चालू की गयी है। आज के समय में लगभग हर कंपनी और व्यक्ति क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल कर रहा (Cloud computing kya hai) है।
ऐसे में आज आपका क्लाउड कंप्यूटिंग के बारे में पूरी जानकारी लेना जरुरी हो जाता है। इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ क्लाउड कंप्यूटिंग के बारे में शुरू से लेकर अंत तक संपूर्ण जानकारी सांझा करने वाले हैं। यहाँ हम आपको क्लाउड कंप्यूटिंग क्या है, यह कैसे की जाती है, इसमें करियर किस तरह से बनाया जा सकता है, इत्यादि सभी प्रश्नों के उत्तर देने वाले हैं। आइये क्लाउड कंप्यूटिंग के बारे में विस्तार से जान लेते (Cloud computing ke bare mein bataiye) हैं।
क्लाउड कंप्यूटिंग क्या है? (Cloud computing in Hindi)
सबसे पहले तो हम क्लाउड कंप्यूटिंग क्या होती है या इससे हमारा क्या तात्पर्य है, इसके बारे में बात कर लेते हैं। तो जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि जिस कंप्यूटर का आप इस्तेमाल करते हैं, वह केवल एक डिब्बा मात्र है लेकिन यदि उसमें इंटरनेट का प्रवेश हो जाता है जिसका अर्थ हुआ उसके अंदर दुनियाभर की कई तरह की जानकारी या यूँ कहें कि लगभग पूरी जानकारी समाहित हो गयी है। अब एक डिब्बे में इतनी सब जानकारी कैसे आ रही है या आप उसका एक्सेस कैसे कर पा रहे (Cloud computing kya hota hai) हैं?
तो इसका सीधा सा उत्तर है क्लाउड कंप्यूटिंग के माध्यम से। अभी तक आपको लगता होगा कि यह केवल इंटरनेट के कारण है जिस कारण आपको अपने सिस्टम में दुनियाभर की सभी वीडियोज और फोटोज देखने को मिल रही है लेकिन इंटरनेट तो एक माध्यम है। इंटरनेट पर ऐसी किस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है जिस कारण आप वह चीज़ अपने कंप्यूटर में देख पा रहे हैं, जो आपके सिस्टम में सेव ही नहीं है। तो यह क्लाउड कंप्यूटिंग के माध्यम से ही सम्भव हो पा रहा (Cloud computing kya hai in Hindi) है।
यहाँ हम यह कहना चाह रहे हैं कि क्लाउड कंप्यूटिंग इंटरनेट की हार्डडिस्क या पेन ड्राइव होती है या फिर इसे आप इंटरनेट की मेमोरी भी कह सकते हैं। अब जिस प्रकार आपके कंप्यूटर की मेमोरी होती है या मोबाइल में स्पेस होता है और आप उसमें तरह तरह की चीज़ों को सेव करके रखते हैं। ठीक उसी तरह इंटरनेट की मेमोरी या स्पेस यही क्लाउड कंप्यूटिंग ही होती है। इसमें दुनियाभर के लोगों की फोटोज, वीडियोज और अन्य डाटा को सेव करके रखा जाता है जिसका एक्सेस संबंधित व्यक्ति या क्लाउड कंप्यूटिंग के प्रकार के अनुसार कुछ व्यक्ति कर सकते (Cloud computing kya hota hai Hindi mein) हैं।
क्लाउड कंप्यूटिंग का मतलब क्या है? (Cloud computing definition in Hindi)
ऊपर आपने क्लाउड कंप्यूटिंग की परिभाषा के बारे में जानकारी ले ली है लेकिन क्लाउड कंप्यूटिंग का अर्थ क्या होता है या फिर क्लाउड कंप्यूटिंग के नाम का क्या मतलब है। ऐसे में क्लाउड कंप्यूटिंग में क्लाउड का अर्थ बादल या मेघ से होता है जबकि कंप्यूटिंग का अर्थ गणना करना या डाटा को प्रोसेस करने से होता है। अब इसमें बादल इसलिए जोड़ा गया है क्योंकि बादल सभी पर समान रूप से बरसते हैं। यह किसी भी व्यक्ति विशेष पर अपनी कृपा नहीं बरसाते हैं और एक क्षेत्र विशेष या सभी जगह वर्षा करते (Cloud computing meaning in Hindi) हैं।
इस तरह से जो इंटरनेट पर उपलब्ध डाटा होता है, वह इंटरनेट के इन्हीं बादलों में सेव हो जाता है। अब यह बदल कहीं भी जा सकते हैं और किसी पर भी बरस सकते हैं। इसी तरह इसमें कंप्यूटिंग शब्द जिसका अर्थ गणना करने से होता है, वह इस सीमित डाटा को प्रोसेस करने, उसे सेव करने और उसका एक्सेस करने से संबंधित होता है। क्लाउड कंप्यूटिंग में तो करोड़ों लोगों का डाटा सेव होता है, ऐसे में उसे प्रोसेस करना ही इसका मुख्य कार्य होता है।
क्लाउड कंप्यूटिंग के प्रकार (Cloud computing ke prakar)
अब हम आपके सामने क्लाउड कंप्यूटिंग के तरह तरह के प्रकारों के बारे में बात करने जा रहे हैं। हमने आपको ऊपर ही बताया कि क्लाउड कंप्यूटिंग के अंतर्गत डाटा को सेव किया जा सकता है लेकिन इसको एक्सेस करने के आधार पर इसे चार प्रकार के भागों में विभाजित किया गया (Cloud computing types in Hindi) है। कहने का अर्थ यह हुआ कि क्लाउड कंप्यूटिंग में जो भी डाटा सेव है, उसमें से आप किस किस डाटा का उपयोग कर सकते हैं या उसका एक्सेस प्राप्त कर सकते हैं, उसी के अनुसार ही इसके प्रकार बनाये गए हैं। आइये जाने क्लाउड कंप्यूटिंग के विभिन्न प्रकारों के बारे में।
पब्लिक क्लाउड
क्लाउड कंप्यूटिंग में सबसे पहला प्रकार जो आता है, वह है पब्लिक क्लाउड का। इस क्लाउड कंप्यूटिंग में जो डाटा सेव किया जाता है वह आम जनता के लिए होता है। उन्हें अपने हिसाब से अपना स्पेस बनाना होता है और उस स्पेस में वे किसी भी डाटा को एक सीमित मात्रा तक सेव कर सकते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण गूगल के द्वारा दी जाने वाली क्लाउड कंप्यूटिंग की सर्विस को कहा जा सकता (Cloud computing ke types in Hindi) है।
आपमें से बहुत लोगों ने अभी तक गूगल की क्लाउड कंप्यूटिंग सर्विस का इस्तेमाल किया ही होगा। इसके लिए आपको अपनी ईमेल आईडी से उसमें लॉग इन करना होता है और फिर आप अपनी निजी फोटोज या वीडियोज को उसमें सेव कर लेते हैं। इसके माध्यम से आप अपनी फोटोज और वीडियोज को कहीं से भी एक्सेस कर पाते हैं और यह उसकी सुरक्षा को भी बढ़ा देता है।
प्राइवेट क्लाउड
जिस प्रकार गूगल पब्लिक रूप में क्लाउड कंप्यूटिंग की सर्विस प्रदान करता है, उसी तरह अलग अलग क्षेत्रों में काम कर रही तरह तरह की कंपनियां क्लाउड कंप्यूटिंग के लिए प्राइवेट क्लाउड का इस्तेमाल करती है। मान लीजिये कि एक आईटी कंपनी है और उसके अंतर्गत एक हज़ार कर्मचारी काम करते हैं। ऐसे में कंपनी सभी कर्मचारियों के सिस्टम में सभी डाटा तो सेव नहीं कर सकती है। तो इसके लिए वह प्राइवेट क्लाउड कंप्यूटिंग सर्विस का इस्तेमाल करती है।
इसके माध्यम से उस कंपनी के सभी कर्मचारियों को एक यूजर नाम और पासवर्ड दिया जाता है। इस पर लॉग इन करके वे अपनी कंपनी के प्राइवेट क्लाउड का एक्सेस कर पाते हैं और जानकारी को देख, सेव या डाउनलोड कर सकते हैं। अब इसका एक सीमित कंपनी के कर्मचारियों तक एक्सेस होने के कारण ही इसे प्राइवेट क्लाउड नाम दिया गया है।
हाइब्रिड क्लाउड
हाइब्रिड का अर्थ होता है पब्लिक और प्राइवेट क्लाउड का मिलाजुला रूप। आज के समय में जहाँ तरह तरह की कंपनियां आपसी सहयोग से आगे बढ़ रही हैं और उन्नति कर रही हैं तो उनके बीच भी तरह तरह के डाटा के आदान प्रदान का काम किया जाता है। तो इसके लिए वे सभी हाइब्रिड क्लाउड कंप्यूटिंग का सहारा लेती हैं क्योंकि इसमें कुछ हिस्सा प्राइवेट तो कुछ हिस्सा पब्लिक का होता है।
कहने का अर्थ यह हुआ कि हाइब्रिड क्लाउड कंप्यूटिंग के जरिये एक कंपनी के पास यह अधिकार होता है कि वह किस हिस्से को प्राइवेट रखना चाहती है तो किस हिस्से को पब्लिक क्लाउड में ट्रांसफर करवाना चाहती है। दोनों के मिले हुए रूप होने के कारण ही इस कंप्यूटिंग को हाइब्रिड क्लाउड का नाम दिया गया है।
क्लाउड कंप्यूटिंग का उपयोग (Cloud computing ke upyog)
अब हम बात करते हैं क्लाउड कंप्यूटिंग के उपयोग के बारे में। वैसे अभी तक का लेख पढ़कर आपको यह समझने में तो सहायता मिली होगी कि क्लाउड कंप्यूटिंग होती क्या है या फिर इसका किस तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। फिर भी अब हम आपके सामने क्लाउड कंप्यूटिंग का उपयोग किस किस तरह से किया जा सकता है या किया जाता है, उसके बारे में बताने जा रहे (Cloud computing uses in Hindi) हैं।
क्लाउड कंप्यूटिंग का उपयोग मुख्य तौर पर डाटा को सेव करने, डाउनलोड करने या उसका एक्सेस पाने के लिए किया जाता है। आइये तीनो ही माध्यम से क्लाउड कंप्यूटिंग का उपयोग समझ लेते हैं।
डाटा को सेव करना
इसमें सबसे पहले डाटा को सेव करने का काम किया जाता है। अब यदि कोई डाटा सेव ही नहीं होगा तो फिर उसका एक्सेस ही क्या करना या फिर किस डाटा को डाउनलोड किया जाना। ऐसे में किसी व्यक्ति विशेष, समूह या कंपनी के द्वारा क्लाउड कंप्यूटिंग के जरिये किसी फाइल में डाटा को सेव करने का काम किया जाता है। यह सेव डाटा ही क्लाउड कंप्यूटिंग का आधार माना जाता है जिसका एक्सेस बाकि लोग करते हैं।
डाटा डाउनलोड करना
अब इस सेव किये गए डाटा को डाउनलोड करना या इस पर अन्य चीजें करना क्लाउड कंप्यूटिंग का ही एक अंग या उपयोग कहा जा सकता है। मान लीजिये कि आपने क्लाउड कंप्यूटिंग में अपनी कुछ फाइल्स सेव की है और अब आप किसी दूसरी जगह पर हैं। वहां पर आपको उन फाइल्स को डाउनलोड कर उनका प्रिंट निकलवाना है तो आप को बस क्लाउड कंप्यूटिंग में लॉग इन करके उन फाइल्स को डाउनलोड करना होगा।
डाटा का एक्सेस करना
क्लाउड कंप्यूटिंग का मुख्य उपयोग वहां उपलब्ध डाटा तक एक्सेस पाना होता है। ऊपर हमने आपको बताया कि कम्पनी के द्वारा अपने कर्मचारियों को प्राइवेट क्लाउड का एक्सेस करने के लिए यूजर नाम और पासवर्ड दिया जाता है। अब इसके मध्यम से वे उस डाटा का एक्सेस कर पाते हैं और काम कर पाते हैं। ऐसे में क्लाउड कंप्यूटिंग में जो डाटा सेव हो रहा है, उसका उसी समय एक्सेस कर पाना भी इसी क्लाउड कंप्यूटिंग का ही उपयोग माना जाता है।
क्लाउड कंप्यूटिंग के फायदे (Cloud computing ke fayde)
अब हम आपको क्लाउड कंप्यूटिंग से क्या कुछ फायदे हो सकते हैं या यह क्यों इतनी तेजी के साथ आगे बढ़ रही है, उसके बारे में बताने वाले हैं। दरअसल क्लाउड कंप्यूटिंग के एक नहीं बल्कि कई तरह के फायदे देखने को मिलते हैं। अब यह आज के समय में कितनी जरुरी है, उसका अंदाजा आप इसी बात से ही लगा सकते हैं कि वर्तमान समय में लगभग हर कंपनी के द्वारा इस क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल किया जा रहा (Cloud computing benefits in Hindi) है। फिर भी हम इसके कुछ प्रमुख फायदों को आपके सामने रख देते हैं।
- क्लाउड कंप्यूटिंग का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आप अपने डाटा को आसानी से अपने सिस्टम के अलावा ऑनलाइन सेव कर सकते हैं। ऑनलाइन सेव करने का अर्थ यह नहीं हुआ कि इसको हर कोई एक्सेस कर सकता है बल्कि आप ही इसे एक्सेस कर (Cloud computing ke labh) पाएंगे।
- इसके लिए आपकी ईमेल आईडी से एक्सेस किया जाएगा। ऐसे में आप कहीं पर भी हो अर्थात दुनिया के किसी भी कोने में हो और आपको अपने द्वारा क्लाउड कंप्यूटिंग में सेव की गयी फाइल का एक्सेस करना है या उन्हें डाउनलोड करना है तो बस आपको इंटरनेट के माध्यम से उसमें लॉग इन करना होगा।
- इसी के साथ ही आप इन फाइल्स या ड्राइव का एक्सेस किसी अन्य व्यक्ति को भी दे सकते हैं और इस पर भी कई तरह की अनुमतियाँ दी जा सकती है। उदाहरण के तौर पर आप उन्हें केवल देखने या फिर उस पर कमेंट करने या उसे एडिट करने इत्यादि कई अनुमति दे सकते हैं।
- कंपनियों को तो इसका बहुत ज्यादा लाभ देखने को मिलता है क्योंकि वे अपने हजारों कर्मचारियों को इसी क्लाउड कंप्यूटिंग के माध्यम से ही एक दूसरे के साथ कनेक्ट करती है। इससे उन्हें रियल टाइम मोनिटरिंग करने में भी सहायता मिलती है।
- अब एक ऑफिस में बैठा कर्मचारी जो काम कर रहा है, वह तुरंत उसे क्लाउड कंप्यूटिंग में अपलोड कर देता है और दूसरे कर्मचारी उस पर आगे का काम कर पाने में सक्षम होते हैं।
- इसी के साथ ही कंपनियों के द्वारा क्लाउड कंप्यूटिंग में स्नातक का कोर्स किये हुए लोगों को काम पर रखा जाता है। फिर वे इस पर तरह तरह के फंक्शन को ऐड करके इसे ओर भी सुगम और काम करने योग्य बना देते हैं।
- केवल कंपनियों को ही नहीं बल्कि सभी तरह के बिज़नेस को भी इसका बहुत लाभ देखने को मिल रहा है क्योंकि वे अपने प्रोडक्ट्स या सेवाओं की फोटोज, वीडियोज को इसके माध्यम से शेयर कर पाते हैं या डाटा को प्रोसेस कर जल्दी काम कर पाते हैं।
ऐसे में देखा जाए तो क्लाउड कंप्यूटिंग आज के लिए वरदान सिद्ध हुई है। इसके माध्यम से बहुत से ऐसे काम जो पहले दुर्गम या कठिन लगते थे, उन्हें बहुत ही आसानी के साथ किया जा रहा है। हर तरह की कंपनी में क्लाउड कंप्यूटिंग का काम तेजी के साथ बढ़ रहा है और इसी कारण जिन लोगों को यह अच्छे से करनी आती है, उन्हें भी धड़ल्ले से काम पर रखा जा रहा है और मुहं माँगा पैसा दिया जा रहा है।
क्लाउड कंप्यूटिंग कोर्स करने के लिए योग्यता (Cloud computing course eligibility in Hindi)
अब यदि आप क्लाउड कंप्यूटिंग का कोर्स करना चाहते हैं या इसमें अपना करियर बनाने को इच्छुक हैं तो आपके अंदर कुछ योग्यताओं का होना आवश्यक है। सबसे पहले तो आपकी कोडिंग में अच्छी रुचि होनी आवश्यक है। यह पूर्ण रूप से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग का ही काम होता है। इसलिए आपको कोडिंग में रुचि होनी चाहिए और इस पर अच्छी पकड़ भी होनी चाहिए।
इसके अलावा आपको सिचुएशन हैंडलिंग करनी भी आनी चाहिए क्योंकि इसमें काम ही ऐसा आता है कि वह टाइम बाउंड होता है या वह किसी भी स्थिति में हो सकता है। ऐसे में आपको सिचुएशन को अच्छे से हैंडल करना आना चाहिए। यह दो योग्यता आपके अंदर है तो आप जल्द ही क्लाउड कंप्यूटिंग का कोर्स कर पाएंगे और अच्छा करियर विकल्प चुन पाएंगे।
क्लाउड कंप्यूटिंग में करियर कैसे बनाएं? (Cloud computing me career kaise banaye)
क्लाउड कंप्यूटिंग के बारे में इतना सब जानने के बाद आपका भी मन इसमें अपना करियर बनाने का हो रहा होगा। अब यदि आपको भी क्लाउड कंप्यूटिंग में कोर्स या डिग्री करनी है और इसमें अपना सफल करियर बनाना है तो उसके लिए पहले तो आपको अपनी 11 वीं और 12 वीं की पढ़ाई नॉन मेडिकल स्ट्रीम से करनी होगी। जब आप अपनी बारहवीं कक्षा को अच्छे अंकों के साथ पास कर लेते हैं तो उसके बाद आपको किसी अच्छे कॉलेज या यूनिवर्सिटी से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करनी होगी।
सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई के साथ साथ आप अलग से क्लाउड कंप्यूटिंग के ऊपर कोर्स भी कर लेंगे तो यह आपके लिए बहुत बेहतर रहने वाला है। इंजीनियरिंग की डिग्री 4 वर्ष की होती है। इस दौरान आप क्लाउड कंप्यूटिंग का कोर्स साथ के साथ कर लें या फिर इसमें आगे चलकर स्पेशल कोर्स या डिग्री कर लें। इसके बाद आप क्लाउड कंप्यूटिंग के लिए नौकरी पर रखने वाली कंपनियों में अपना रिज्यूमे भेज सकते हैं।
यदि उनके द्वारा आपका रिज्यूमे सेलेक्ट कर लिया जाता है तो फिर आपको इंटरव्यू के लिए बुलाया जाएगा। वहां आपको अपना शत प्रतिशत देना है। यदि आप चुन लिए जाते हैं तो आपको उस कंपनी में क्लाउड कंप्यूटिंग का काम करने के लिए रख लिया जाएगा। तो इस तरह से आप अपना करियर क्लाउड कंप्यूटिंग में बना सकते हैं।
क्लाउड कंप्यूटिंग क्या है – Related FAQs
प्रश्न: क्लाउड कंप्यूटिंग से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: इंटरनेट पर ऐसी किस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है जिस कारण आप वह चीज़ अपने कंप्यूटर में देख पा रहे हैं, जो आपके सिस्टम में सेव ही नहीं है। तो यह क्लाउड कंप्यूटिंग के माध्यम से ही सम्भव हो पा रहा है।
प्रश्न: क्लाउड कंप्यूटिंग क्या है और इसके फायदे लिखिए?
उत्तर: क्लाउड कम्प्यूटिंग के बारे में विस्तार से जानने के लिए आप हमारे द्वारा लिखा गया यह लेख पढ़ सकते हो।
प्रश्न: क्लाउड कंप्यूटिंग कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर: क्लाउड कम्प्यूटिंग के तीन प्रकारों के बारे में जानकारी हमने ऊपर के लेख में विस्तार से दी है जो आप पढ़ सकते हो।
प्रश्न: क्लाउड कम्प्यूटिंग के फायदे क्या हैं?
उत्तर: क्लाउड कम्प्यूटिंग के विभिन्न फायदों के बारे में जानकारी हमने ऊपर के लेख में विस्तार से दी है जो आप पढ़ सकते हो।
तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने क्लाउड कम्प्यूटिंग के बारे में जानकारी हासिल कर ली है। आपने जाना कि क्लाउड कम्प्यूटिंग क्या है क्लाउड कम्प्यूटिंग के प्रकार क्या हैं इसके उपयोग क्या हैं और क्लाउड कम्प्यूटिंग में करियर कैसे बना सकते हैं इत्यादि। आशा है कि जो जानकारी लेने के लिए आप इस लेख पर आए थे वह आपको मिल गई होगी। फिर भी यदि कोई प्रश्न आपके मन में शेष है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।