|| कंपनी को रजिस्टर कैसे करे? | Register Company in India in Hindi | Company registration process in Hindi | कंपनी क्या काम करती है? | Company me kya hota hai | प्राइवेट लिमिटेड कंपनी कैसे रजिस्टर करें? ||
Register Company in India in Hindi :- भारत देश में लाखों छोटी बड़ी कंपनियां काम कर रही है। अब चाहे उस कंपनी को कोई एक व्यक्ति चला रहा हो या कई व्यक्ति, कंपनी कंपनी ही होती है। उसके तहत यदि काम किया जा रहा (Company ko register kaise kare) है तो उसका रजिस्ट्रेशन करवाया जाना जरुरी हो जाता है। तो यदि आप भारत देश में रहते हैं और आप किसी कंपनी को शुरू करने जा रहे हैं या कोई नया काम शुरू करने जा रहे हैं तो उसके (Company registration process in Hindi) लिए उस कंपनी को रजिस्टर करवाया जाना जरुरी होता है।
अब यदि आपको कंपनी को रजिस्टर कैसे करें या फिर उसकी प्रक्रिया क्या है, इसके बारे में नहीं पता है तो इस लेख में आपको वही जानकारी ही मिलने वाली है। दिए गए लेख को पढ़ कर आपको यह भलीभांति आईडिया हो जाएगा कि किस प्रक्रिया के तहत आप अपनी (Company registration process in India in Hindi) कंपनी को पंजीकृत करवाने का काम कर सकते हैं। आइए जाने कैसे आप भारत देश के अंदर अपनी कंपनी को रजिस्टर करवा सकते हैं।
कंपनी क्या होती है? (Company kya hoti hai)
कंपनी को रजिस्टर करवाने से पहले यह जानना जरुरी हो जाता है कि कोई कंपनी होती क्या है। वह इसलिए क्योंकि बहुत से लोग कंपनी को उद्योग या बिज़नेस से भी संबंधित मान लेते हैं जबकि दोनों में अंतर होता है। बिज़नेस में आपको GST नंबर जैसे डाक्यूमेंट्स को लेने की जरुरत होती है जबकि कंपनी को रजिस्टर करवाने के लिए DIN नंबर लेना होता (Company kya hai) है। तो दोनों के बीच में बहुत बड़ा अंतर देखने को मिलता है।
तो कंपनी वह होती है जिसके तहत आप किसी उत्पाद या सेवा को देने के लिए लोगों की सहायता लेते हैं। अब यदि आप लोगों की सहायता लिए बिना ही खुद से वह काम करना चाहे तो उसे भी कंपनी ही कहा जाएगा लेकिन उस स्थिति में वह एकल स्वामित्व वाली कंपनी मानी जाएगी। इन कंपनियों के द्वारा ग्राहकों को किसी उत्पाद को बेचे जाने का काम (Company kya hoti hai) किया जाता है या फिर सेवा को दिया जाता है या फिर केवल विद्यापन का काम किया जाता है। आइए इसे बेहतर तरीके से जानते हैं।
कंपनी क्या काम करती है? (Company me kya hota hai)
अब भारत देश में कई तरह की कंपनी काम करती है और उन सभी के काम अलग अलग होते हैं। मुख्य तौर पर इन्हें तीन तरह की श्रेणी में बांटा गया होता है जो इनके काम करने के आधार को बताती है। तो आइए जाने इनमे किस किस तरह की कंपनी किस किस तरह का काम करती है।
उत्पाद आधारित कंपनी (Product based company)
इस तरह की कंपनी में किसी प्रोडक्ट का निर्माण कार्य किया जा रहा होता है और वह उसको बेच कर लाभ कमाती है। अब आप अपने दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाली चीज़ों से लेकर कभी कभार इस्तेमाल में आने वाली चीज़ों का उदाहरण ले लीजिए। उनमे से प्रत्येक चीज़ को किसी ना किसी कंपनी के द्वारा बनाया जा रहा होगा फिर चाहे वह आपका मोबाइल हो गया या फिर आपका स्वेटर। तो यह सब कंपनियां उत्पाद आधारित कंपनियों के अंतर्गत ही आती है।
सेवा आधारित कंपनी (Service based company)
ऐसी बहुत सी कंपनियां है जो किसी उत्पाद को ना बेच कर बल्कि किसी स्पेशल सेवा या सर्विस को देकर उसके जरिये पैसा कमाती है। अब इसमें सभी बैंक, insurance, ट्रेवल एजेंसी, शिक्षण संस्थान, योग सेंटर इत्यादि सब आ जाते हैं। तो ऐसी जगह जहाँ से आप किसी तरह की सेवा को हासिल कर रहे हैं और बदले में उन्हें पैसे दे रहे हैं तो उसे आप सर्विस आधारित कंपनी कह सकते हैं।
उत्पाद व सेवा आधारित कंपनी (Product and service based company)
वर्तमान समय में ऐसी कंपनियों का चलन भी तेजी के साथ बढ़ रहा है जो उत्पाद को बनाने का काम भी करती है और साथ में ग्राहकों को कोई स्पेशल सर्विस भी देती है। उदाहरण के तौर पर आप रिलायंस कंपनी का ही उदाहरण ले लीजिए। उसके द्वारा उत्पाद के रूप में रिलायंस का फोन दिया जाता है तो सेवा के रूप में जिओ सिम का नेटवर्क। तो ऐसी ही बहुत सी कंपनियां हो गयी जो उत्पाद व सेवा दोनों ही क्षेत्र में काम कर रही है।
कंपनी के प्रकार (Types of company registration in india in Hindi)
कंपनी क्या क्या सेवा देती है, उसको जान लेने के बाद अब बारी आती है कंपनी के प्रकार को जानने की। वह इसलिए क्योंकि कंपनी को रजिस्टर करवाना है तो उसके लिए उसके प्रकार के बारे में भी जानकारी ले ली जाए तो यह बेहतर रहता (How to register a startup company in india in Hindi) है। कंपनी को रजिस्टर करवाते समय उसके लिए क्या प्रक्रिया रहेगी और आपको किन किन चीज़ों का पालन करते हुए उसे रजिस्टर करवाना होगा, यह बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है। तो आइये जाने कंपनी कितनी तरह की हो सकती है।
एकल स्वामित्व वाली कंपनी (Sole proprietorship company)
इस तरह की कंपनी कंपनियों के प्रकार में पहले नंबर पर आती है। इसमें वह कंपनी एक ही व्यक्ति के नाम पर होती है और साथ ही उसे चला भी एक ही जना रहा होता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि उस कंपनी का सर्वेसर्वा एक ही व्यक्ति होता है। हालाँकि वह अपनी कंपनी में काम करने के लिए फ्रीलान्स लोगों को रख सकता है लेकिन परमानेंट नहीं।
सांझेदार वाली कंपनी (Partnership company)
अब यदि आप किसी कंपनी को सांझेदारी अर्थात पार्टनरशिप में शुरू करने का सोच रहे हैं तो उसमे यह कंपनी अस्तित्व में आ जाती है। इस तरह की कंपनी में उसके मालिक एक से अधिक व्यक्ति होते हैं। हालाँकि उस कंपनी में किसका कितना शेयर है यह मायने रखता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि उस कंपनी को 3 लोग चला रहे हैं जिसमे दो का हिस्सा 30-30 प्रतिशत है जबकि एक का हिस्सा 40 प्रतिशत तो उसी की ही उस कंपनी में ज्यादा चलेगी।
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी (Private limited company)
आप ज्यादातर जो कंपनियां देखते हैं या जिनका नाम सुनते हैं उनमे प्राइवेट लिमिटेड कंपनी होगी या पब्लिक लिमिटेड कंपनी। वह इसलिए क्योंकि यदि कोई काम कंपनी का रूप ले रहा है तो अवश्य ही उसमे काम करने के लिए ज्यादा लोगों की जरुरत पड़ेगी और उन्हें उस कंपनी में नौकरी पर भी रखना होगा। ऐसे में कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने के लिए कंपनी को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में कन्वर्ट किया जाता है।
पब्लिक लिमिटेड कंपनी (Public limited company)
पब्लिक लिमिटेड कंपनियों में वह कंपनी आती है जो अपनी कुछ हिस्सेदारी को शेयर के रूप में बेच देने का निर्णय लेती है ताकि वह उसके जरिये पैसों का संचालन कर सके। तो उस कंपनी का जितना मूल्य है, उसके आधार पर कुछ हिस्सा शेयर में बेचने का निर्णय लिया जाता है। यह हिस्सा उस कंपनी का 10 प्रतिशत भी हो सकता है तो 40 प्रतिशत भी।
कंपनी को रजिस्टर कैसे करे? (Register Company in India in Hindi)
अभी तक आपने कंपनी के बारे में सभी मूलभूत बाते जान ली है तो अब बारी आती है उसे रजिस्टर किये जाने की। तो यह पंजीकरण प्रक्रिया कई कारकों पर निर्भर करती है जिसमे एक प्रमुख कारक कंपनी का प्रकार है। कहने का अर्थ यह हुआ कि यदि कोई कंपनी एकल स्वामित्व वाली है तो उसकी प्रक्रिया थोड़ी भिन्न होगी जबकि प्राइवेट वाली की अलग। हालाँकि इनकी (Company ka registration kaise kare) प्रक्रिया में थोड़ा बहुत ही अंतर देखने को मिलता है जिसमे कुछ डाक्यूमेंट्स को ही कम ज्यादा देना होता है।
साथ ही यह भी जान ले कि किसी भी कंपनी को रजिस्टर करने का काम पूर्ण रूप से वाणिज्य मंत्रालय का होता है। तो यदि आपको अपनी कंपनी को रजिस्टर करवाना (Company ka registration kaise karaye) है तो उसके लिए आपको भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय जिसे हम कॉमर्स मिनिस्ट्री भी कहते हैं, उससे संपर्क करना होगा। आइए इसकी प्रक्रिया को जान लेते हैं।
कंपनी का नाम रजिस्टर करे (Company name registration process in Hindi)
कंपनी को रजिस्टर करवाने की पहली प्रक्रिया में आपको उसके नाम का रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। इसके लिए आपको अपने यहाँ के किसी ऐसे वकील से संपर्क करना होगा जो इसका काम करता हो। उसको नोटेरी भी कहा जा सकता है। कंपनी का नाम भी आप अपने काम के अनुसार ही रखेंगे तो बेहतर रहेगा क्योंकि आगे चल कर यही आपकी कंपनी की मुख्य पहचान बनेगा। इसलिए सबसे पहले तो पूरी तरह सोच समझ कर ही आपको अपनी कंपनी का नाम रखना होगा।
अब जब आप कंपनी का नाम निर्धारित कर लें तो यह जरुरी नहीं कि वह नाम रजिस्टर हो जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि क्या पता उस नाम से किसी और ने पहले से ही कंपनी को ले रखा हो। तो आप जिस भी वकील से संपर्क करेंगे उसके द्वारा पहले यही चेक किया जाएगा कि क्या वह नाम पहले से ही किसी अन्य व्यक्ति के नाम पंजीकृत है भी या नहीं। यदि नही है तो फिर निर्धारित प्रक्रिया के तहत कुछ दिनों में वह नाम आपके नाम से पंजीकृत हो जाएगा। इसमें आपके 5 से 10 हज़ार रुपए लगेंगे।
अपने डाक्यूमेंट्स जमा करवाए
यह काम हो जाने के बाद आपको अपनी कंपनी के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को पूरी करने के लिए अपने सभी तरह के डाक्यूमेंट्स की व्यवस्था करनी होती है। तो इन डाक्यूमेंट्स में आपके तो डाक्यूमेंट्स लगेंगे ही लगेंगे बल्कि आपकी कंपनी से संबंधित बाकी सभी तरह के डाक्यूमेंट्स का इसमें इस्तेमाल होगा। ऐसे में आपको यह देखना होगा कि आप अपनी कंपनी को किस क्षेत्र में और किस प्रकार में खोलने जा रहे हैं, उसी के आधार पर ही इसमें इस्तेमाल होने वाले डाक्यूमेंट्स बदल जाएंगे।
तो यदि आपको अपनी कंपनी को पंजीकृत करवाना है तो उसमे आपके जो जो डाक्यूमेंट्स मुख्य तौर पर इस्तेमाल में आएंगे वे होंगे आपके आधार कार्ड, पैन कार्ड, जमीन के दस्तावेज, नाम का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, साक्ष्य के हस्ताक्षर, पासपोर्ट साइज़ फोटो, मोबाइल नंबर, आवास प्रमाण पत्र, बैंक स्टेटमेंट, ITR की जानकारी इत्यादि। तो इन सभी डाक्यूमेंट्स को पहले से ही तैयार रख लेंगे तो बेहतर रहेगा।
पार्टनर्स का पूरा ब्यौरा दें
अब यह तो हमने आपको ऊपर ही बता दिया था कि यदि आप कंपनी को प्राइवेट के तौर पर शुरू करने जा रहे हैं तो उसकी प्रक्रिया अलग होगी तो वही सांझेदारी या पार्टनरशिप में उसकी प्रक्रिया भिन्न होगी। तो यदि आपकी कंपनी में एक से अधिक लोगों के बीच समझौता हो रहा है तो आप सभी को एक एग्रीमेंट देना होगा। इस एग्रीमेंट को स्टाम्प पेपर पर देना होता है जिसमे संबंधित कंपनी के सभी पार्टनर्स की जानकारी लिखी गयी होती है।
तो उस एग्रीमेंट में आपको यह मेंशन करना होगा कि फलाना कंपनी में किस व्यक्ति की कितनी हिस्सेदारी है और उस पर उसका कितना अधिकार होगा। कुल मिलाकर रजिस्टर करवाई जा रही कंपनी में किस व्यक्ति की कितनी भागीदारी होगी, वह इसी एग्रीमेंट के द्वारा निर्धारित होगा जिसे बाद में कोर्ट में चैलेंज नही किया जा सकता है।
कंपनी की कार्यप्रणाली बताये
आपको वाणिज्य विभाग को इसके बारे में भी सूचित करने का काम करना होगा कि आपकी कंपनी का बिज़नेस क्या है। ऊपर हमने आपको बताया था कि किसी कंपनी का काम क्या क्या होता है। उदाहरण के तौर पर उसमे उत्पाद बनाने का काम भी किया जाता है तो किसी सर्विस को देने या या दोनों ही काम किये जाते हैं। अब वह काम भी अलग अलग हो सकते हैं जैसे कि कोई कपड़े बनाने का काम कर रही है तो किसी के द्वारा कंप्यूटर बनाने का काम किया जा रहा है।
तो उनके द्वारा जो भी काम किये जा रहे हैं उसके बारे में सरकार को सूचित किया जाना जरुरी हो जाता है। इसमें केवल सूचित ही नहीं करना होगा बल्कि आप किस चीज़ का निर्माण कर रहे हैं, उसका निर्माण कैसे कर रहे हैं, यदि कोई सेवा दे रहे हैं तो उसके अंतर्गत क्या क्या आएगा इत्यादि सभी की जानकारी आपको भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय को देनी होगी।
रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट प्राप्त करें (Company registration certificate)
अब आपको यह सब जानकारी देने पर एक रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट प्राप्त होगा जिसके तहत आगे की कार्यवाही होगी। इसे मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन और आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन भी कहा जाता है। इसके तहत आपको भारत सरकार आधिकारिक तौर पर उस कंपनी का मालिक तो मान लेती है लेकिन अभी उसकी प्रक्रिया बाकि रहती है।
कहने का अर्थ यह हुआ कि यदि आप किसी कंपनी को अपने नाम पर रजिस्टर करवाना चाहते हैं तो उसके तहत उसका रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट लेना जरुरी होता है। इसके बाद ही आगे की प्रक्रिया को बढ़ाया जाता है जो कंपनी को अपने नाम पर करवाने का मुख्य चरण होता है। आपको आगे की प्रक्रिया को पूरी करवाने के लिए इसी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को दिखाना होगा।
डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर प्राप्त करें (Director Identification Number in Hindi)
डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर को शोर्ट फॉर्म में DIN नंबर भी कह देते हैं। अब आप यदि किसी भी कंपनी का नाम पढ़ेंगे तो पाएंगे कि उसका एक डायरेक्टर होता है या फिर बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स होते हैं। यदि उसमे एक से अधिक पार्टनर है तो हर किसी का एक डायरेक्टर या एक से अधिक डायरेक्टर होते हैं लेकिन जिसके सबसे अधिक शेयर होते हैं वह ही उस कंपनी का मुख्य डायरेक्टर होता है। इसका उदाहरण आप किसी गाँव के सरपंच व पंच के बीच को लेकर समझ सकते हैं।
तो जब आपकी कंपनी का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट बन जाएगा तो उसके आधार पर ही आपको डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर दिया जाएगा। यही निर्धारित करेगा कि आप उस कंपनी के मालिक है और अब आपकी कंपनी पंजीकृत हो चुकी है।
डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट प्राप्त करें (Digital Signature Certificate in Hindi)
कंपनी को रजिस्टर करवाने की अंतिम प्रक्रिया के रूप में आता है उसके लिए एक डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट को प्राप्त करना। कोई भी कंपनी यदि किसी ऑर्डर को जारी करती है या घोषणा करती है तो उस पर उस कंपनी की मुहर लगी होती है जिससे यह पहचान होती है कि यह उस कंपनी के द्वारा जारी किया गया आदेश है।
तो आपको अपनी कंपनी का DIN नंबर प्राप्त करने के बाद उसका डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट या डीएससी प्राप्त करना जरुरी होता है। इसको प्राप्त करते ही आपकी कंपनी को रजिस्टर करवाने की प्रक्रिया को पूरा मान लिया जाता है। तो इस तरह से आप अपनी कंपनी को रजिस्टर करवा सकते हैं।
कंपनी को रजिस्टर कैसे करवाएं – Related FAQs
प्रश्न: कंपनी रजिस्टर कैसे होती है?
उत्तर: कंपनी को रजिस्टर करवाने के लिए आपको एक निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना होता है जिसके बारे में हमने आपको ऊपर बता ही दिया है।
प्रश्न: प्राइवेट लिमिटेड कंपनी कैसे रजिस्टर करें?
उत्तर: प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को रजिस्टर करवाने के लिए आपको उसके लिए DIN व DSA के सर्टिफिकेट लेने होंगे और साथ ही कंपनी के नाम का रजिस्ट्रेशन करवाना होगा।
प्रश्न: प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाने में कितना खर्च आता है?
उत्तर: प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाने में एक लाख रुपए तक का खर्च आता है।
प्रश्न: कंपनी का रजिस्ट्रेशन कहाँ होता है?
उत्तर: कंपनी का रजिस्ट्रेशन भारत सरकार के अंतर्गत वाणिज्य मंत्रालय में होता है।
इस तरह से आप इस लेख के माध्यम से जान चुके हैं कि यदि आपको अपनी कंपनी को रजिस्टर करवाना हुआ तो उसके लिए आपको किस तरह की प्रक्रिया का पालन करना होगा। तो बताई गयी प्रक्रिया के तहत ही आपकी कंपनी भारतीय सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के द्वारा पंजीकृत की जाएगी।