कंपनी सैलरी ना दे तो क्या करें? | Company salary na de to kya kare

|| कंपनी सैलरी ना दे तो क्या करें? | Company salary na de to kya kare | Agar company salary na de to kya kare | लेबर कोर्ट में मुकदमा कैसे किया जाता है? | अगर मेरा वेतन समय पर नहीं मिलता है तो मैं क्या कर सकता हूं? ||

Company salary na de to kya kare :- हम सभी स्कूल से लेकर कॉलेज तक पढ़ाई करते हैं और फिर उसके बलबूते कंपनी में नौकरी करते हैं। भारत में बेरोजगार तो बहुत हैं लेकिन जिनकी नौकरी लग जाती है, उन्हें भी कई तरह की समस्याओं से दो चार होना पड़ता है। अब इसमें एक समस्या तो यह आती है कि आप जिस कंपनी में काम कर रहे होते हैं, वह आपको कई तरीके से प्रताड़ित कर रही होती है जिसमें सबसे बड़ी प्रताड़ना आपकी सैलरी को रोक देना या उसमें किसी तरह की कटौती करना होता (Agar company salary na de to kya kare) है।

अब यदि आपकी कंपनी भी आपको समय पर सैलरी नहीं दे रही है या उसमें कटौती कर रही है या आपको सैलरी देने से ही मना कर दिया है तो उस समय आपको ना तो किसी तरह की चिंता करने की जरुरत है और ना ही घबराने की जरुरत है। वह इसलिए क्योंकि इसके लिए भारत सरकार ने कई तरह के कानून बना रखे हैं जिनका पालन किया जाना हर उस कंपनी के लिए जरुरी है जो भारत में काम कर रही है। हालाँकि यदि आप विदेश की किसी कंपनी के अंतर्गत भारत बैठे काम कर रहे हैं तो उसके लिए नियम अलग हो जाते (Employer salary na de to kya kare) हैं।

ऐसे में हम आपके साथ भारत देश में काम कर रही कंपनियों को लेकर बात कर रहे हैं और उसके अंतर्गत काम कर रहे करोड़ों कर्मचारियों के लिए भी। यदि किसी भी कारणवश आपकी कंपनी सैलरी देने को मना कर देती है तो उस स्थिति में क्या नियम लागू होते हैं और आप उनके तहत क्या कुछ कार्यवाही कर सकते हैं, आज हम उसी के बारे में ही बात (Company salary nahi de rahi hai to kya karna chahiye) करेंगे।

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कंपनी सैलरी ना दे तो क्या करें? (Company salary na de to kya kare)

बहुत बार यह देखने में आता है कि कंपनी अपने अधीन काम कर रहे कर्मचारियों का तरह तरह के तरीकों के माध्यम से शोषण करने का प्रयास करती है। इसी में एक तरीका है कर्मचारी की सैलरी को रोक देना या उसके वेतन में किसी तरह की कटौती कर देना। इसके लिए कंपनी तरह तरह के कारण बता देती है या कर्मचारी को ज्यादा काम करने के बदले में पैसा नहीं देती है या उसे किसी अन्य तरह से प्रताड़ित करती (What to do if company does not pay salary on time in Hindi) है।

यदि आपके साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है और कंपनी के द्वारा आपको तरह तरह के तरीकों के माध्यम से प्रताड़ित किया जा रहा है या आपको कम सैलरी दी जा रही है या आपकी सैलरी में से किसी तरह की कटौती की जा रही है या ऐसा ही कुछ किया जा रहा है तो आपको भारत सरकार के श्रम मंत्रालय के अंतर्गत बनाए गए कानूनों के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए।

कहने का अर्थ यह हुआ कि भारत सरकार ने तरह तरह की धाराएँ व नियम बनाये हुए हैं जो भारत देश की या विदेश की कोई कंपनी भारत में रहकर काम कर रही है तो उनके कर्मचारी पर लागू होते हैं। ऐसे में आज हम आपके सामने ऐसे ही सभी तरह के कानून और उनके अंतर्गत किस तरह की बातें या प्रावधान लिखे गए हैं, उनके बारे में स्पष्ट शब्दों में जानकारी देने वाले हैं।

The Minimum wages Act, 1948 (The minimum wages act 1948 in Hindi)

भारत सरकार के बनाए गए इस अधिनियम के अंतर्गत कर्मचारियों को उनकी मिलने वाली सैलरी के संबंध में अधिकार दिए गए हैं। जब भी आप किसी कंपनी में नियुक्त होते हैं तो उस कंपनी के द्वारा आपको एक ऑफर लेटर दिया जाता है। उस ऑफर लेटर में आपके काम करने के घंटे, दिन, आपके काम करने की स्थिति, वेतन इत्यादि हरेक चीज़ के बारे में जानकारी दी गयी होती है। साथ ही वह कंपनी आपको सैलरी कब और किस तरह से देगी, इसके बारे में भी बताया गया होता (Company salary na de to kya karna chahiye) है।

Company salary na de to kya kare

अब यदि आपकी कंपनी आपको सैलरी नहीं देती है या इसमें किसी तरह की कटौती करती है तो आप मिनिमम वेजेज एक्ट 1948 के तहत अपनी कंपनी को लीगल नोटिस भेज सकते हैं या उसके विरुद्ध भारतीय न्यायालय में शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। इसी के साथ ही भारत सरकार ने इसमें कुछ अन्य प्रावधान भी जोड़े हुए हैं जिसके तहत आप अपनी कंपनी की शिकायत श्रम मंत्रालय को कर सकते हैं।

इन प्रावधानों के तहत यदि आपकी कंपनी आपसे ओवरटाइम या आपके काम करने के घंटों से ज्यादा घंटों के लिए काम करवा रही है और उसके लिए अतिरिक्त वेतन नहीं दे रही है तो उसके लिए भी आप इसी अधिनियम के तहत अपनी कंपनी की शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। इन सभी के अलावा कुछ स्पेशल तरह के अलाउंस नहीं देने पर भी आप शिकायत दर्ज करवा सकते हैं जैसे कि ऊंचाई पर या गुफा में काम करवाना, हिल स्टेशन पर काम करवाना या ज्यादा सर्दियों में काम करवाना इत्यादि।

The Payment of wages Act, 1936 (The payment of wages act 1936 in Hindi)

यदि आपकी कंपनी आपको वेतन नहीं दे रही है या इसमें किसी तरह की आनाकानी कर रही है या वेतन देने को सीधा मना ही कर देती है या कई महीनो से वेतन को अटकाए हुए है तो उसके लिए जो मुख्य कानून या अधिनियम बनाया गया है तो वह यही है। इसे हम पेमेंट ऑफ वेजेज एक्ट 1936 के नाम से जानते हैं जो हर कंपनी को उसके अधीन काम कर रहे कर्मचारी को पूरा वेतन देने को बाध्य करता है। ऐसे में आप इस धारा के तहत अपनी कंपनी को कानूनी नोटिस भेज सकते (Company wale salary na de to kya kare) हैं।

इतना ही नहीं, यदि आपकी कंपनी बिना किसी कारण के आपका वेतन कम कर देती है या उसमें किसी तरह की कटौती करके देती है तो भी आप इसी धारा के अंतर्गत उन्हें नोटिस भेज सकते हैं। इन सभी के अलावा यदि आपकी कंपनी आपको डिस्प्लेसमेंट अलाउंस देने से मना करती है तो भी आप इसी धारा के अंतर्गत उनकी शिकायत श्रम मंत्रालय में करवा सकते हैं।

The Equal remuneration Act, 1976 (The equal remuneration act 1976 in Hindi)

भारतीय संविधान में हर किसी को समान अधिकार देने का प्रावधान रखा गया है और उसकी रक्षा करने के लिए समय समय पर कई तरह के प्रावधान बनाये गए हैं। पहले के समय में अधिकतर पुरुष ही नौकरी पर जाया करते थे लेकिन बाद में स्थितियां बदलती चली गयी। अब महिलाएं भी नौकरी करने लगी है और इसी के साथ ही ट्रांसजेंडर समाज जिन्हें हम किन्नर भी बुलाते हैं, उन्हें भी नौकरियां दी जाने (Company salary nahi de to kya kare) लगी।

ऐसे में बहुत जगह या बहुत सी कंपनियों में यह देखने को मिला कि वह महिलाओं या ट्रांसजेंडर को पुरुष कर्मचारी की तुलना में कम वेतन देती है और यह नैतिक रूप से गलत है। इसी को ध्यान में रखते हुए वर्ष 1976 में समानता के अधिकार के तहत एक अधिनियम बनाया गया जिसे इक्वल remuneration एक्ट 1976 कहा गया। इसके तहत यदि कोई कंपनी एक ही पद पर काम कर रहे दो कर्मचारियों को भिन्न वेतन देती है तो उनकी शिकायत दर्ज करवायी जा सकती है।

The Payment of gratuity Act, 1972 (The payment of gratuity act 1972 in Hindi)

हर कंपनी के द्वारा अपने अधीन काम कर रहे कर्मचारियों को एक निश्चित समय के बाद ग्रेच्युटी दी जाती है। इसके लिए समय सीमा 5 वर्ष की रखी गयी है। कहने का अर्थ यह हुआ कि यदि कोई कर्मचारी एक ही कंपनी में लगातार 5 वर्षों से अधिक समय तक काम कर लेता है तो कंपनी के द्वारा उस कर्मचारी को ग्रेच्युटी दी जाती है। इसके लिए कंपनी के द्वारा हर बार अपने कर्मचारी की सैलरी में से कुछ कटौती की जाती है लेकिन इसका बड़ा हिस्सा कंपनी खुद जमा करवाती है।

ऐसे में यदि आपकी कंपनी आपको ग्रेच्युटी देने से मना कर देती है या कम देती है या इसमें किसी तरह की देरी करती है तो आप इस अधिनियम के तहत अपनी कंपनी की शिकायत श्रम मंत्रालय को कर सकते हैं। इसके लिए कंपनी को कानूनी नोटिस भी भेजा जा सकता है और उसके बाद वह आपको ब्याज सहित ग्रेच्युटी देने को बाध्य हो जाती है।

The Maternity benefit Act, 1961 (The maternity benefit act 1961 in Hindi)

जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि जब से महिलाओं के द्वारा भी निजी क्षेत्र में नौकरी की जाने लगी है तभी से ही भारत सरकार के द्वारा उनकी हरेक समस्या व जीवन की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर कई तरह के अधिनियम बनाये गए हैं। अब जो महिला किसी कंपनी के अधीन रह कर कार्य कर रही होती है और उसी दौरान यदि वह गर्भवती हो जाती है तो भारतीय कानून के अनुसार उसे 3 से 9 महीने का मातृत्व अवकाश दिया जाता है। इस दौरान उसके वेतन में किसी तरह की कटौती नहीं की जा सकती है और ना ही उसे नौकरी से निकाला जा सकता है।

अब यदि कोई महिला गर्भवती है और वह भारतीय कानून के अनुसार मातृत्व अवकाश पर गयी है पर पीछे से उसकी कंपनी उसे नौकरी से निकाल देती है या इस दौरान उसके वेतन में कटौती करती है या उसे वेतन नहीं देती है तो वह इस अधिनियम के तहत कंपनी के विरुद्ध शिकायत दर्ज करवा सकती है।

The Industrial dispute Act, 1947 (The industrial dispute act 1947 in Hindi)

अब यदि कंपनी आपको बिना किसी कारण के नौकरी से निकाल देती है या आपको कुछ समय के लिए ससपेंड कर देती है या ऐसा ही कुछ करती है तो उसके लिए कंपनी के विरुद्ध शिकायत दर्ज करवायी जा सकती है। भारतीय कानून के अनुसार कंपनी किसी भी कर्मचारी को यूँ ही नहीं निकाल सकती है और इसके लिए उसे कारण देना होता है या जो भी उसका नोटिस पीरियड होता है, वह उसे सर्व करवाना होता है।

ऐसे में यदि आपकी कंपनी बिना किसी कारण के आपको नौकरी से निकालती है या ऐसा कुछ नोटिस देती है तो आप घबराने की बजाये भारतीय कानून की इस धारा का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके तहत आप कंपनी को कानूनी नोटिस भेज सकते हैं और उन पर कार्यवाही कर सकते हैं।

कंपनी सैलरी ना दे तो कहाँ शिकायत करें? (Company salary na de to keha complaint kare)

अब आपने सभी तरह की धाराएँ या अधिनियम तो जान लिए हैं लेकिन यदि कंपनी आपके विरुद्ध कोई कार्यवाही करती है तो आप इन धाराओं का उपयोग किस तरह से अपने हित में कर सकते हैं या कंपनी के विरुद्ध शिकायत कहाँ पर दर्ज करवा सकते हैं। तो उसके लिए भारतीय संविधान के अनुसार छह तरह के पोर्टल आपको उपलब्ध करवाए गए हैं जिनके तहत आप शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।

पहले पोर्टल के अनुसार आप भारत सरकार के श्रम मंत्रालय के अंतर्गत शिकायत दर्ज करवा सकते हैं और उसके लिए उन्होंने एक वेबसाइट लॉन्च की हुई है। दूसरे पोर्टल के अनुसार आप उमंग ऐप का इस्तेमाल कर सकते हैं तो अन्य चार पोर्टल भी कुछ इसी तरह के ही हैं। आइये एक एक करके इन सभी के बारे में जानकारी ले लेते हैं।

समाधान वेबसाइट

कुछ ही वर्ष पहले भारत सरकार के अंतर्गत काम कर रहे श्रम मंत्रालय के द्वारा एक ट्वीट किया गया था और उसमें उन्होंने जानकारी दी थी कि वे एक वेबसाइट लॉन्च कर रहे हैं जिसके तहत भारत देश में काम कर रहा कोई भी कर्मचारी अपनी कंपनी के विरुद्ध ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवा सकता है। उस वेबसाइट का लिंक https://samadhan.labour.gov.in/ है।

आपको बस इस लिंक पर क्लिक कर समाधान वाली वेबसाइट पर जाना है और आपको वह सब जानकारी मिल जाएगी जो आप जानना चाहते हैं। इसके तहत आप श्रम मंत्रालय के अंतर्गत अपनी कंपनी के विरुद्ध ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। कुछ ही समय में आपकी समस्या का समाधान हो जाएगा और कार्यवाही शुरू हो जाएगी।

उमंग ऐप

भारत सरकार ने कई तरह की समस्याओं के समाधान के लिए एक ऐप बनायी हुई है जिसे हम उमंग ऐप के नाम से जानते हैं। आज के समय में लाखों लोग इस उमंग ऐप का इस्तेमाल कर भी रहे हैं। ऐसे में यदि यह ऐप आपने अभी तक इनस्टॉल नहीं की हुई है तो आज ही अपने मोबाइल के गूगल प्ले स्टोर पर जाएं और उमंग ऐप को डाउनलोड कर इनस्टॉल कर लीजिये।

उसके बाद आप अपना मोबाइल नंबर व ईमेल आईडी डालकर खुद को पंजीकृत करवा लीजिये। उसके बाद आपको इस ऐप में कई तरह के विकल्प मिलेंगे जिसका लाभ आप उठा सकते हैं। आप इस ऐप के जरिये भी अपनी कंपनी के विरुद्ध ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। आपकी शिकायत पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी और संबंधित अधिकारी भी आपको फोन करके स्टेटस अपडेट करते रहेंगे।

लेबर कोर्ट

भारत देश के हर राज्य में लेबर कोर्ट होती है जो राज्य सरकार व भारत सरकार के द्वारा नियंत्रित की जाती है। इन कोर्ट को खोला ही इसलिए गया है ताकि कर्मचारी व मजदूरों की समस्याओं का समाधान किया जा सके। ऊपर हमने आपको जो भी धाराएँ बताई है और यदि आपको अपनी कंपनी के विरुद्ध उस धारा के तहत शिकायत दर्ज करवानी है तो आप बिना देर किये अपने शहर की लेबर कोर्ट पहुँच जाएं।

आपको कोर्ट में सभी तरह की जानकारी मिल जाएगी और आप कंपनी के विरुद्ध ऑनलाइन से लेकर ऑफलाइन तक शिकायत दर्ज करवाने को स्वतंत्र होंगे। भारत देश में करोड़ो मामले इन लेबर कोर्ट में दर्ज करवाए जा चुके हैं और लाखों मामलों का समाधान भी किया जा चुका है।

भारतीय न्यायालय

यदि आपको कहीं से भी सहायता नहीं मिल रही है या कुछ समझ नहीं आ रहा है तो आप सीधे ही अपने तहसील या शहर की जिला न्यायालय या जो भी न्यायालय है, वहां पहुँच जाएं और उन्हें सारी बात बताएं। एक तरह से भारतीय न्यायालय ही अंतिम समाधान होता है जहाँ पर लोगों की शिकायत दर्ज की जाती है और उन पर उचित कार्यवाही की जाती है।

ऐसे में आपके शहर में जो भी कोर्ट है, आप बिना चिंता किये वहां पहुंचे, उन्हें अपनी सारी बात बताएं और कंपनी के विरुद्ध शिकायत दर्ज करवा दें। कोर्ट के द्वारा आपकी कंपनी को खुद ही कानूनी नोटिस भेजा जाएगा और वह कंपनी आपकी बात मानने को बाध्य हो जाएगी। जब कंपनी पर न्यायालय का चाबुक चलेगा तो वह अपने आप ही सही मार्ग पर आ जाएगी।

अधिवक्ता या वकील

अब यदि आपको न्यायिक व्यवस्था समझ नहीं आती है या आप वहां जाकर झंझट वाली स्थिति में पड़ जाते हैं तो आपकी सहायता के लिए अधिवक्ता होते हैं जिन्हें हम वकील या लॉयर के नाम से भी जानते हैं। यही अधिवक्ता ही आपका बेड़ा पार करवा सकते हैं क्योंकि इन्हें कानूनी दांव पेंच अच्छी तरह से पता होते हैं। वे आपका सही रूप में मार्गदर्शन कर सकते हैं, आपको कानूनी धाराएँ बता सकते हैं और आप अपनी कंपनी के विरुद्ध क्या कुछ कार्यवाही कर सकते हैं, इसके बारे में जानकारी दे सकते हैं।

हालाँकि इसके लिए यह बहुत ही ज्यादा जरुरी हो जाता है कि आपका अधिवक्ता किस तरह का है। यदि आपको अच्छा अधिवक्ता मिल गया तो सच में आपका बेड़ा पार हो जायगा और यदि कोई गलत अधिवक्ता टकरा गया तो आपकी स्थिति और भी अधिक दयनीय हो जाएगी।

कॉमन सर्विस सेंटर

बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें कंप्यूटर का सही से इस्तेमाल नहीं करना आता है और ना ही उन्हें मोबाइल ठीक से चलाना आता है। ऐसे में ऊपर हमने आपको अपनी कंपनी के विरुद्ध ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवाने के जो भी विकल्प बताये हैं, वह शायद आप अपनाना चाहते हो लेकिन उसे किस तरह से किया जाए, यह आप नहीं जानते होंगे। तो इसके लिए भारत सरकार ने देश के हर शहर और गाँव में कॉमन सर्विस सेंटर बना रखे हैं जहाँ इसी तरह का काम किया जाता है।

आपको अपने यहाँ के सबसे पास के किसी कॉमन सर्विस सेंटर में जाना है और उन्हें अपनी पूरी समस्या बतानी है। फिर वह उसी के तहत ही आपसे सभी तरह की जानकारी लेकर आपकी कंपनी या नियोक्ता के विरुद्ध ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवा देगा। इसके लिए वह आपसे कुछ रुपये अवश्य लेगा लेकिन आपका काम करके दे देगा।

कंपनी सैलरी ना दे तो क्या करें – Related FAQs 

प्रश्न: कोई सैलरी नहीं दे रहा है तो क्या करें?

उत्तर: अगर कोई आपकी सैलरी नही दे रहा है तो आप https://samadhan.labour.gov.in/ इस लिंक पर क्लिक कर उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।

प्रश्न: कंपनी पैसा ना दे तो क्या करें?

उत्तर: अगर आपकी कंपनी आपको पैसे नही दे रही है तो आप लेबर कोर्ट में कंपनी के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं।

प्रश्न: _

उत्तर: अगर आपको आपका वेतन समय पर नहीं मिलता है तो आप कंपनी के खिलाफ शिकायत उमंग ऐप के जरिए कर सकते हो।

प्रश्न: क्या कोई कंपनी मेरा वेतन रोक सकती है?

उत्तर: सामान्य तौर पर कंपनी किसी कर्मचारी का वेतन नहीं रोक सकती है।

प्रश्न: लेबर कोर्ट में मुकदमा कैसे किया जाता है?

उत्तर: लेबर कोर्ट में मुकदमा करना है तो उसकी जानकारी हमने ऊपर के लेख में दी है।

तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने जाना कि अगर आपकी कंपनी आपको सैलरी ना दे या कम दे या कोई आनाकानी करे तो आप क्या कर सकते हो उसके लिए क्या धाराएं बनाई हुई है और कंपनी के खिलाफ शिकायत आप कहां कर सकते हो। आशा है कि जो जानकारी लेने के लिए आप इस लेख पर आए थे वह आपको मिल गई होगी। फिर भी यदि कोई प्रश्न आपके मन में रह गया है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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