|| करेंसी स्वैप क्या है? | Currency swap kya hai | Currency swap example in Hindi | करेंसी स्वैप क्यों की जाती है? | Currency swap explain in Hindi | करेंसी स्वैप किनके बीच होता है? ||
Currency swap kya hai :- हर देश की अपनी एक करेंसी अर्थात् मुद्रा होती है। उस देश में उस मुद्रा को किसी ना किसी नाम से जाना जाता है जो कि उस देश की मुद्रा की पहचान होती है। जैसे कि भारत देश की मुद्रा का नाम रुपए हैं तो रूस की रूबल और अमेरिका की डॉलर। अब आपका प्रश्न यह होगा की हर देश की मुद्रा का अलग अलग नाम क्यों है। तो इसका सबसे (Currency swap meaning in Hindi) प्रमुख कारण होता है उस मुद्रा का मूल्य।
कहने का अर्थ यह हुआ कि किसी भी देश की मुद्रा की कीमत एक जैसी नही होती है और इसी से उस देश की महत्ता को आँका जा सकता है। जैसे कि (Currency swap in Hindi) वर्तमान समय में अमेरिका का एक डॉलर भारत के 80 रुपए के बराबर है तो अरब के कुछ देशों की एक मुद्रा की कीमत अमेरिका के 4 से 5 डॉलर के बराबर है। तो किसी देश की मुद्रा सामनेवाले से ऊपर होती है तो किसी की कम।
तो अब इसी में एक शब्द आता है करेंसी स्वैप का जिसे आपको जानना चाहिए। विदेशी मुद्रा भंडार या विदेश नीति में इस शब्द का इस्तेमाल प्रमुखता के साथ (Currency swap in India in Hindi) किया जाता है। वह इसलिए क्योंकि व्यापार बढ़ने, अपने संबंध बेहतर करने, अमेरिका जैसे दुष्ट देश पर अपनी निर्भरता घटाने इत्यादि कई कारणों की वजह से करेंसी स्वैप का इस्तेमाल किया जाता है। तो आज के इस लेख में हम आपके साथ करेंसी स्वैप के बारे में ही चर्चा करने वाले हैं।
करेंसी स्वैप क्या है? (Currency swap kya hai)
करेंसी स्वैप क्या है और इससे विदेश नीति का क्या लेना देना होता है। अब जब एक देश का दूसरे देश की मुद्रा से कोई लेना देना नहीं होता है और ना ही वह उस देश में चलती है तो फिर ऐसे में करेंसी स्वैप का अर्थ ही क्या रह जाता है। तो आज के इस लेख में हम आपके साथ इन सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करने वाले हैं ताकि आप करेंसी स्वैप का अर्थ अच्छे से समझ सके।
तो करेंसी स्वैप का मतलब होता है अपनी मुद्रा का आदान प्रदान। अब चूँकि यह मुद्रा का आदान प्रदान एक ही देश में तो किया नहीं जाता है और ना ही इसे करने का कोई औचित्य होता है। हालाँकि एक ही देश में मुद्रा के आदान प्रदान को पैसे खुल्ले करवाना कह सकते हैं जैसे हम किसी को 500 रुपए का नोट देते हैं और उसे इन रुपयों को खुल्ले करने को कहते हैं। तो वह हमें कई 100 के या 50 के नोट दे देता है जो कुल मिलाकर 500 के ही होते हैं किंतु इसे करेंसी स्वैप नहीं कहा जा सकता है। यह बस नोट की अदला बदली हो गयी।
करेंसी स्वैप का मतलब होता है दो तरह की अलग अलग करेंसी को आपस में बदला जाना। उदाहरण के तौर पर भारत के रुपयों को जापान के येन से बदला जाना या फिर रूस के रूबल को कुवैत के दीनार से बदला जाना इत्यादि। तो जिस स्थिति में दो देशों की सरकार, कंपनी, संस्था या व्यक्ति विशेष आपस में अपनी मुद्रा या करेंसी का आदान प्रदान करे तो उसे करेंसी स्वैप के नाम से जाना जाता है।
करेंसी स्वैप का हिंदी में मतलब (Currency swap ka Hindi)
करेंसी स्वैप अंग्रजी भाषा का शब्द है और बहुत से लोग इस शब्द का शाब्दिक अर्थ अभी तक नहीं समझ पाए होंगे। तो अब हम आपको करेंसी स्वैप का अर्थ हिंदी में विस्तार से समझाएंगे। तो वैसे तो करेंसी स्वैप को हिंदी में मुद्रा विनिमय कहा जाता है लेकिन यदि हम इसे आसान हिंदी भाषा में समझना चाहे तो इसे पैसों की अदला बदली कहा जा सकता है। इसमें करेंसी को मुद्रा या भारत में रुपयों से कह सकते हैं। हालाँकि वैश्विक स्तर पर इसे रूपया नहीं कहा जा सकता है क्योंकि रुपए भारत की मुद्रा का नाम है। तो इसे करेंसी या मुद्रा ही कहा जाता है या फिर इसे सामान्य भाषा में पैसा या धन कहा जा सकता है।
वहीं स्वैप का अर्थ होता है विनिमय अर्थात अदला बदली। अब जैसे हम किसी को कोई वस्तु देकर उससे उसके बदले में कोई और वस्तु ले लेते हैं तो उसे वस्तु की अदला बदली करना कहते हैं। तो ठीक उसी तरह जब एक देश अपनी मुद्रा के मूल्य के समान दूसरे देश से मुद्रा की अदला बदली करता है तो इसे करेंसी स्वैप करना या मुद्रा विनिमय करना कहा जाता है।
मुद्रा विनिमय क्या होती है उदाहरण सहित (Currency swap example in Hindi)
बहुत से लोगों को अभी भी करेंसी स्वैप या मुद्रा विनिमय के बारे में अच्छे से पता नहीं चला होगा। तो ऐसे में हम इसे उदाहरण सहित आपको समझा देते हैं ताकि आपको यह जल्द से जल्द समझ में आ सके। तो मुद्रा विनिमय एक ऐसी स्थिति होती है जिसमे एक व्यक्ति या संस्था या सरकार के द्वारा किसी दूसरे देश की मुद्रा से अपने दोनों मूल्य के समान का आदान प्रदान किया जाता है। आइए इसे एक उदाहरण से समझ लेते हैं ताकि आपके लिए मुद्रा विनिमय को समझना सरल हो जाए।
मान लीजिए एक देश भारत है और दूसरा देश रूस है। अब भारत देश की मुद्रा को रूपया के नाम से जाना जाता है जबकि रूस की मुद्रा को रूबल के नाम से जो कि सच्चाई भी है। अब वैसे तो विदेशी मुद्रा भंडार में जब दोनों देशों के बीच व्यापार होता है तो (Examples of Currency swap in Hindi) उसका भुगतान अमेरिकी डॉलर में किया जाता है और इसे ही विश्व की करेंसी का दर्जा प्राप्त है। कहने का अर्थ यह हुआ कि यदि दो देश आपस में व्यापार कर रहे हैं या किसी भी अन्य कारण से पैसों का लेनदेन कर रहे हैं तो वे एक दूसरे को भुगतान अमेरिकी डॉलर के सहारे ही करेंगे।
तो अब यहाँ दोनों ही देश चाहते हैं कि वे अमेरिका के डॉलर में भुगतान ना करके एक दूसरे की मुद्रा के रूप में भुगतान करे। तो मान लीजिए भारत के एक रुपए की कीमत रूस के 2 रूबल के बराबर है। इसका मतलब यह हुआ कि रूस का एक रूबल भारत के 0.50 रुपए अर्थात 50 पैसों के बराबर हो गया। इसे आप इस बात से समझिये कि किसी चीज़ की कीमत 10 रुपए हैं तो आप 100 रुपए में वह 10 पीस खरीद सकते हैं। इसी तरह भारत का एक रूपया रूस के 2 रूबल के बराबर है तो आप 10 रुपए में रूस के 20 रूबल खरीद सकते हैं।
तो अब रूस को भारत को तेल बेचना है। रूस उसे भारत को 60 रूबल प्रति लीटर के रूप में बेचना चाहता है। अब रूस के लिए तो उसकी मुद्रा में यह 60 रूबल है लेकिन भारत के लिए उसका असली में दाम 30 रुपए ही होगा क्योंकि भारत का एक रूपए रूस के 2 रूबल के बराबर है। तो इस तरह से भारत उससे वह एक लीटर पेट्रोल खरीद लेगा और बदले में उसे 30 रुपए का भुगतान कर देगा। इसी तरह यदि भारत रूस को कोई चीज़ बेचता है तो वह उससे रूबल के रूप में मुद्रा लेगा।
करेंसी स्वैप क्यों की जाती है? (Currency swap explain in Hindi)
अब आपको यह भी जानना होगा कि आखिरकार यह करेंसी स्वैप क्यों की जाती है और इसके पीछे का क्या उद्देश्य होता है। तो इसके पीछे का उद्देश्य बिल्कुल ही स्पष्ट व साफ है और वह यह है कि अमेरिका जैसे कुटील देश पर अपनी निर्भरता को ख़त्म करना। अब हाल का ही उदाहरण ले लीजिए, जब रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया तब अमेरिका ने रूस पर कई तरह के प्रतिबन्ध लगा दिए। इसी के साथ उसने रूस पर आर्थिक चोट करने और विदेशी व्यापार रोकने के लिए रुस पर डॉलर का इस्तेमाल करने का प्रतिबन्ध भी लगा दिया।
अब भारत देश का रूस के साथ व्यापक स्तर पर व्यापार होता था और डॉलर के रूप में आदान प्रदान रुकने से इसमें बाधा आने लगी। इस पर भारत सरकार व रूस की सरकार के बीच में करेंसी स्वैप करवाए जाने का निर्णय हुआ। इसके तहत भारत रूस से कुछ सामान खरीदेगा तो उसका भुगतान रुपए में करेगा तो वही रूस भारत से कुछ खरीदेगा तो उसका भुगतान रूबल में करेगा। इससे दोनों देश के बीच में निकटता बढ़ी, अमेरिका पर निर्भरता ख़त्म हुई और दोनों देशों की अर्थव्यवस्था भी पहले की तुलना में अधिक सक्षम हुई।
तो इसी कारण दो देशों के बेच में करेंसी स्वैप का समझौता किया जाता है। इसी के साथ यह जरुरी नही कि यह केवल व्यापार करने के लिए ही किया जाए बल्कि इसे कई अन्य कारणों के कारण भी किया जाता है। अब जैसे कि किसी देश को दूसरे देश को ऋण देना हो या विकास कार्य करवाने हो या उसका ऋण चुकाना हो या अन्य कोई कारण। तो ऐसी स्थिति में भी करेंसी स्वैप का सहारा लिया जाता है।
करेंसी स्वैप किनके बीच होता है?
यदि आप सोच रहे हैं कि यह करेंसी स्वैप केवल दो देशों की सरकारों के बीच में ही किया जाता है तो आप गलत है। यह दो देशों की सरकारों के बीच में ही सीमित ना होकर दो देशों के किसी भी नागरिक, संस्था, कंपनी, उद्योग इत्यादि के बीच में भी संभव हो सकता है। हालाँकि इसका निर्णय दोनों देशों की सरकारों और संबंधों पर निर्भर करता है।
तो यदि आप किसी देश से संबंध रखते हैं और आपको दूसरे देश में किसी व्यक्ति या संस्था से करेंसी स्वैप करवानी है तो पहले यह देखना होगा कि क्या आपकी सरकार इसकी अनुमति देती है या नहीं। इसके बाद ही आप करेंसी स्वैप का निर्णय ले पाएंगे और आगे की प्रक्रिया पर बढ़ पाएंगे।
करेंसी स्वैप के फायदे (Currency swap advantages in Hindi)
करेंसी स्वैप करने के एक नही बल्कि कई सारे फायदे भी देखने को मिलते हैं। यही कारण है कि दो देशों की सरकार के बीच में करेंसी स्वैप का समझौता (Currency swap ke fayde) किया जाता है और उसके तहत कई तरह के कार्य संपन्न करवाए जाते हैं। तो आइए जाने करेंसी स्वैप करने के फायदों के बारे में विस्तार से।
- इसका सबसे बड़ा फायदा तो यही होता है की अमेरिका जैसे देश पर उसकी करेंसी संबंधित निर्भरता में कमी देखने को मिलती है। अब अमेरिका अपनी करेंसी के सहारे पूरे विश्व में अपना प्रभुत्व कायम रखना चाहता है जो अब आगे आने वाले समय में यह संभव नहीं हो पाएगा। तो अमेरिका के इसी प्रभुत्व को समाप्त करने के उद्देश्य से करेंसी स्वैप का उदाहरण प्रस्तुत किया जा रहा है।
- हालाँकि अमेरिका के डॉलर में अपनी मुद्रा को बदलना भी करेंसी स्वैप की ही श्रेणी में आता है और विश्व में अधिकतर व्यापार इसी के तहत ही किया जा रहा है। अब यदि आपको किसी दूसरे देश की यात्रा पर जाना हो तो आपको अमेरिकी डॉलर में ही उन्हें बदलवाना होता है।
- इससे दो देशों में बीच संबंधों में भी मजबूती देखने को मिलती है। जैसे कि भारत व रूस के बीच व्यापक स्तर पर करेंसी स्वैप का काम हो रहा है और इस कारण दोनों देशों के संबंधों में अत्यधिक मजबूती देखने को मिली है।
- अब यदि अमेरिकी डॉलर में करेंसी स्वैप को किया जाता है तो उस पर लगने वाला चार्ज भी अधिक होता है और साथ ही दो देशों को टैक्स का चार्ज देना पड़ता है। एक तरह से अमेरिका दो देशों के बीच में घुसकर अपना फायदा करवाता है। तो यदि दो देश आपस में ही अपनी मुद्रा का आदान प्रदान कर लेंगे तो इस अनावश्यक टैक्स से भी बचा जा सकता है।
- यह दोनों देशों की अर्थव्यवस्था, मजबूत रणनीति, आर्थिक क्षमता, व्यापार इत्यादि सभी के लिए लाभदायक सिद्ध होता है।
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प्रश्न: करेंसी स्वैप का मतलब क्या होता है?
उत्तर: करेंसी स्वैप का मतलब होता है दो देशों के द्वारा अपनी मुद्रा का आपस में अदला बदली किया जाना।
प्रश्न: मुद्रा विनिमय का अर्थ क्या है?
उत्तर: मुद्रा विनिमय का अर्थ होता है जहां दो देश अपनी मुद्रा को आपस में अदला बदली करने के लिए राजी हो जाते है।
प्रश्न: करेंसी कैसे मजबूत होती है?
उत्तर: करेंसी मजबूत करने के लिए देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना होता है और उसके बाद ही करेंसी मजबूत बन पाती है।
प्रश्न: क्या मुद्रा बदलने के लिए पैसे खर्च होते हैं?
उत्तर: हां, मुद्रा बदलने के लिए पैसे भी खर्च होते हैं जिसे टैक्स के रूप में देना होता है।
तो इस तरह से करेंसी स्वैप किया जाना कई तरह से फायदेमंद साबित हो सकता है। यही कारण है कि कई देशों की सरकारों ने इस पर ध्यान देना शुरू कर दिया है और वे इस पर जोर भी देने लगी है। आने वाले समय में यह व्यापक स्तर पर देखने को मिलेगा और अमेरिका का प्रभुत्व धीरे धीरे समाप्त हो जाएगा।