साइक्लोन क्या होता है? | साइक्लोन के प्रकार व कैसे और कहाँ बनते है? | Cyclone in Hindi

|| साइक्लोन क्या होता है? | Cyclone in Hindi | साइक्लोन के प्रकार व कैसे और कहाँ बनते है? | Cyclone kya hai Hindi me | Cyclone kya hota hain | Cyclone ke bare mein jankari | साइक्लोन कितना शक्तिशाली होता है? | Cyclone strong in Hindi ||

Cyclone in Hindi, दुनिया कई तरह की प्रकृतिक आपदाओं का सामना करती है। कभी उसमे भूकंप आता है तो कभी सुनामी आ जाती है तो कभी आकाशीय बिजली का सामना करना पड़ता है। अब इसी में एक आपदा है चक्रवात की जिसे अंग्रेजी में साइक्लोन के नाम से जाना जाता (Cyclone kya hai) है। यह बहुत समय से दुनिया पर कहर बन कर टूट रहा है क्योंकि जब भी साइक्लोन आता है तो यह अपने साथ सब कुछ तहस नहस करके चला जाता है।

दरअसल साइक्लोन एक ऐसा तूफान होता है जिसमे हवा एक गोलाकार रूप में घूमते हुए आगे बढ़ती है और उसके मार्ग में जो कुछ भी आता है उसे पूरी तरह से बर्बाद कर देती है। दक्षिण भारत के कई जिले जैसे की चेन्नई इस साइक्लोन की समस्या से हर वर्ष जूझती भी (Cyclone kya hai Hindi me) है। हर वर्ष नवंबर से दिसंबर महीने के बीच में चेन्नई में एक ना एक साइक्लोन तो आता ही है और उससे बहुत ज्यादा नुकसान होता है।

ऐसे में यह साइक्लोन क्या होता है और इससे हमारा क्या तात्पर्य है, इसके बारे में समझने के लिए आपको यह लेख पूरा पढ़ना होगा। इसे अच्छे से पढ़ कर ही आप यह अनुमान लगा पाएंगे कि यह साइक्लोन कितना भयानक होता है और इससे आम नागरिकों पर कितना बुरा असर होता (Cyclone kya hota hain) है। आइए जाने साइक्लोन के बारे में शुरू से लेकर अंत तक संपूर्ण जानकारी।

साइक्लोन क्या होता है? (Cyclone in Hindi)

तो हम इस लेख के माध्यम से आपको साइक्लोन के बारे में बताने वाले हैं और यह होता क्या है, इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं। तो सबसे पहले तो आप यह समझिये कि यह कोई सामाजिक आपदा नहीं होती है और ना ही इसमें कोई पानी या जमीन की आपदा आती (Cyclone ke bare mein jankari) है। कहने का अर्थ यह हुआ कि आपदाएं कई चीजों से आ सकती है और वे चीजें इसी प्रकृति में मौजूद होती है।

साइक्लोन क्या होता है साइक्लोन के प्रकार व कैसे और कहाँ बनते है Cyclone in Hindi

अब हमारा शरीर या पूरी प्रकृति केवल पांच चीज़ों से बनी हुई है जिसे हम मनुष्य शरीर के या प्रकृति के पांच तत्व कह सकते हैं। तो जो भी आपदा आएगी, वह इन पांच चीज़ों से ही आती (Cyclone kya hota hai) है। आइए इसे एक एक करके समझते हैं ताकि आपको प्राकृतिक आपदाओं के बारे में बेहतर तरीके से समझे में आ सके।

  • इसमें पहला तत्व होता है पानी और हम अच्छी तरह से जानते हैं कि विश्व में हर जगह यही तत्व सबसे ज्यादा तबाही मचाता है। पूरी दुनिया में भी तो जमीन की तुलना में कितना अधिक पानी है। इस दुनिया का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा पानी है और वह ही तबाही का मुख्य कारण है। पानी से ही हम बाढ़, सुनामी इत्यादि जैसी तबाही के मंजर देखते हैं।
  • दूसरा तत्व होता है आग। अब इस आग के द्वारा भी कितनी तरह की प्राकृतिक आपदाएं सामने आती है। हर वर्ष लाखों घटनाएँ होती है जिसमे कई तरह के जंगल में आग लग जाती है और वह किसी भी सरकार की नियंत्रण सीमा से बाहर हो जाती है। इस आग वाली प्राकृतिक आपदा की चपेट में जो भी आता है वह पूरी तरह ख़ाक में मिल जाता है।
  • अब इसमें तीसरा नंबर आता है हवा का जो की एक अन्य तत्व है। तो जो यह हम चक्रवात या साइक्लोन के बारे में पढ़ रहे हैं वह इसी हवा के कारण ही आता है। इसमें हवा इतनी अधिक तेज चलती है या वह इस रूप में चलती है की अपने मार्ग में आने वाली सब चीज़ों को तहस नहस कर जाती है।
  • अब इसी में अगला तत्व है जमीन अर्थात भूमि का। अब यह भूमि भी कितनी ही तबाहियां लेकर आती है जिसमे भूकंप प्रमुख है। तो हम जगह जगह भूकंप आने या जमीन में दरारे पड़ जाने या भुसख्लन की समस्या को देखते हैं।
  • इसमें आखिरी तत्व होता है आकाश का। यह तो किसी को बताने की जरुरत ही नहीं है कि आकाश से कितनी ही आफत बरसती है फिर चाहे वह आकाशीय बिजली के रूप में हो या तेज बारिश या वहां से कुछ गिर जाना या ऐसा ही कुछ।

तो इस तरह से आपने जाना कि किस तरह से यह सभी तत्व अपने रूप में तबाही लेकर आते हैं। तो इसमें साइक्लोन का जुड़ाव जिससे है वह होता है हवा क्योंकि हवा ही अपने भीषण रूप में साइक्लोन बन कर हम सभी के सामने आती है। इसमें हवा एक गोलाकार रूप में आगे बढ़ते हुए सब कुछ अपने साथ लेकर चली जाती है।

साइक्लोन कैसे बनता है? (Cyclone kaise banta hai)

अब आपका अगला प्रश्न होगा की यह साइक्लोन बनता कैसे है या इसके बनने का क्या कारण होता है। तो साइक्लोन के बनने के बारे में भी हम इसी लेख के माध्यम से आपको समझाने वाले (Cyclone kaise hota hai) हैं। दरअसल यह किसी क्षेत्र में हवा के असंतुलन के कारण होता है। ऐसा मुख्यतया कम दबाव वाले क्षेत्रों में ज्यादा पाया जाता है क्योंकि उसमे हवा को फैलने का स्थान ही नहीं मिल पाता है और वह गोल गोल घूम कर विशालकाय रूप ले लेती है और अधिक दबाव वाले क्षेत्र कि और तेजी के साथ आगे बढ़ती है।

इस साइक्लोन के अंदर कम दबाव वाला क्षेत्र होता है जो हवा को जोर जोर से घूमने में कार्य करता है तो वही बाहरी आवरण अधिक दबाव वाला क्षेत्र होता (Cyclone kaise aata hai) है। तभी हम देखते हैं कि जब भी कहीं साइक्लोन आता है तो उसका बाहरी आवरण किसी भी चीज़ को तोड़ देता है और उसे कम दबाव वाले क्षेत्र अर्थात साइक्लोन के अंदर भेज देता है। अब अंदर जाने पर वह चीज़ कम दबाव में आ जाती है किंतु हवा के वेग से गोल गोल घूमने लगती है।

तो यदि किसी क्षेत्र में हवा का दबाव कम हो रहा है तो वहां पर साइक्लोन या चक्रवात के बनने की संभावना बहुत अधिक हो जाती है। इसमें हवा पहले एक साथ इकट्ठी होती जाती है और फिर उसे अधिक दबाव नहीं मिलता है तो वह आपस में ही घूमने लग जाती है। फिर वह आपस में घूम कर इतना अधिक दबाव पैदा कर लेती है कि वह गोल गोल रूप में घूमने लग जाती है। अब वह गोलाकार रूप में घूमते हुए अधिक दबाव वाले क्षेत्र की ओर तेजी के साथ आगे बढ़ती है।

साइक्लोन कहां बनते हैं? (Cyclone keha bante hain)

साइक्लोन बनने की प्रक्रिया तो आपने जान ली लेकिन यह साइक्लोन बनते कहां है, इसके बारे में भी तो जानना चाहिए। तो साइक्लोन ज्यादातर ऐसी जगह पर बनते हैं जहाँ पर या तो समुंद्र हो या फिर अत्यधिक गर्मी पड़ती हो। ऐसा इसलिए क्योंकि समुंद्र के पास वाले क्षेत्र में हवा में नमी ज्यादा हो जाती है जिस कारण वह हवा पर कम दबाव डालती है और उसे सोख लेती है। अब हवा सूख रही है या कम दबाव में आ रही है तो निश्चित तौर पर वह एक जगह एकत्रित होकर साइक्लोन का रूप ले लेगी और फिर वह अत्यधिक दबाव वाले क्षेत्र की ओर बढ़ेगी।

अब इसी तरह जो गर्म इलाके होते हैं जैसे कि राजस्थान या उसके आसपास का क्षेत्र तो वहां भी आपने कई बार मिट्टी का चक्रवात या हवा का ही चक्रवात आते हुए देखा होगा या सुना होगा। इसे अक्सर वहां के लोग धूल का भवंडर कह देते हैं किंतु यह साइक्लोन का ही रूप होता है। यह आवश्यक नही कि यह अत्यधिक शक्तिशाली ही हो। इसके कई रूप हो सकते हैं।

तो राजस्थान जैसे गर्म इलाकों में होता यह है कि वहां गर्मी अधिक बढ़ जाने से हवा अत्यधिक गर्म होकर पतली हो जाती है। अब यह पतली हवा कम दबाव वाला क्षेत्र बना देती है। ऐसा इसलिए क्योंकि ठंडी हवा भारी होती है जबकि गर्म हवा हलकी होती है। ऐसे में यह गर्म हवाएं आपस में मिल कर चक्रवात का रूप ले लेती है और ठन्डे इलाके या अधिक दबाव वाले क्षेत्र की ओर बढ़ने लग जाती है। इसी कारण यह चक्रवात की समस्या ज्यादातर गर्म या समुद्री इलाको में ही देखने को मिलती है।

साइक्लोन कितना शक्तिशाली होता है? (Cyclone strong in Hindi)

यह पूर्ण रूप से साइक्लोन के प्रकार और वह कहां बना है, इस पर निर्भर करता है। हमारे देश में हर तरह के साइक्लोन देखने को मिलते हैं। इन्हें इनकी भीषणता के हिसाब से तीन श्रेणियों में बांटा जाता है। कहने का मतलब यह हुआ कि किस तरह का साइक्लोन आ रहा है और वह कितनी बड़ी तबाही मचा सकता है, यह साइक्लोन के प्रकार पर निर्भर करता है। यह कम शक्तिशाली भी हो सकता है और अधिक शक्तिशाली भी।

तो इसे बेहतर तरीके से समझने के लिए हमें साइक्लोन के प्रकारों को अच्छे से समझना होगा। तो अब हम आगे आपके साथ साइक्लोन के विभिन्न प्रकारों और उनका क्या वर्गीकरण होता है और क्यों उन्हें अलग अलग बांटा गया है, इसके बारे में ही चर्चा करने वाले हैं। तो आइए जाने चक्रवात के विभिन्न प्रकारों के बारे में विस्तार से।

साइक्लोन के प्रकार (Cyclone types in India in Hindi)

जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि कोई भी साइक्लोन अपनी शक्ति के आधार पर ही वर्गीकृत किया जाता है। तो अब हम उसी के आधार पर ही आपके सामने चक्रवात के विभिन्न प्रकारों को सामने रखेंगे। इसे पढ़ कर आप यह जान पाएंगे कि साइक्लोन कितनी तक तबाही मचा सकता है और वह यदि पूर्ण रूप से शक्तिशाली हुआ तो क्या कुछ कर सकता है। तो आइए जाने साइक्लोन के तीनो प्रकारों के बारे में विस्तार से।

निम्न श्रेणी के साइक्लोन

यह साइक्लोन के प्रकारों में सबसे निम्न स्तर का साइक्लोन माना जाता है जो लगभग राजस्थान में उठते ही रहते है। इस तरह का साइक्लोन तब बनता है जब हवा कम दबाव वाली तो होती है लेकिन उसके कुछ ही दूरी पर अधिक दबाव भी होता है। तो ऐसे में उसे अपना भयंकर रूप बनाकर कुछ दूरी ही तय करनी होती है। इसी के साथ साथ यह इतना नुकसान पहुँचाने में सक्षम नहीं होता है।

तो यदि कहीं निम्न स्तर का साइक्लोन आया हुआ है तो वहां लोग इसका आसानी से सामना कर सकते हैं। इस स्थिति में हवा का वेग 30 से 100 किलोमीटर प्रति घंटा हो सकता है। इतनी हवा का दबाव वही होता है जब हम अपनी गाडी को चलते हुए देख सकते हैं। कहने का अर्थ यह हुआ की जब आप 100 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से अपनी गाडी चला रहे होते हैं तो जो हवा का दबाव आपको लगता है वही इस साइक्लोन का दबाव होता है।

मध्यम श्रेणी का साइक्लोन

यह साइक्लोन मध्यम श्रेणी का अवश्य है लेकिन इसकी चपेट में आने वाली चीज़ों में बर्बादी के लक्षण अवश्य देखे जा सकते हैं। ऐसा इसीलिए क्योंकि इसमें हवा को अधिक दबाव वाले क्षेत्र में पहुँचने के लिए लंबी दूरी तय करनी होती है तो वह बहुत ही तेज गति से आगे बढ़ती है। इसमें हवा की गति 100 किलोमीटर प्रति घंटे से ऊपर पहुँच जाती है।

अब यदि हम मध्यम स्तर वाले चक्रवात की अधिकतम गति की बात करें तो वह 200 किलोमीटर प्रति घंटा मानी जाएगी। इतनी हवा की चपेट में यदि कोई चीज़ आती है तो वह इसी के साथ ही उड़ जाती है। हालाँकि अत्यधिक भारी चीज़ को इसमें उड़ाना संभव नहीं हो पाता है। जैसे कि घर, दुकान, भवन इत्यादि।

उच्च श्रेणी का साइक्लोन

इस तरह का चक्रवात मुख्य तौर पर समुद्र के रास्ते से होता हुआ आता है। यह साइक्लोन बनता भी समुंद्र में ही है और वहां से तेजी से बढ़ता हुआ यह जमीन पर आ जाता है। इसमें हवा की गति भी अत्यधिक तेज होती है और आसमान से बारिश भी हो सकती है। यदि हम उच्च स्तर के चक्रवात की हवा की गति का आंकलन करे तो वह 200 किलोमीटर प्रति घंटे से लेकर लगभग 300 से 400 किलोमीटर प्रति घंटे तक हो सकती है।

अब आप इसी से ही यह अनुमान लगा लीजिए कि यह चक्रवात कितनी बड़ी तबाही लेकर आ सकता है। आम तौर पर इस तरह के चक्रवात में पेड़ उखड़ जाते हैं, भवन गिर जाते हैं, मकान क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और जान माल की भी बड़ी बर्बसी देखने को मिलती है। चेन्नई लगभग हर साल इसी तरह के साइक्लोन का साक्षी बनता है किंतु वहां के लोगो की विशेषता यह है कि वे बहुत ही जल्दी इस तरह की बर्बादी से भी रिकवर कर लेते हैं।

साइक्लोन आने पर क्या होता है? (Cyclone aane par kya hota hai)

साथ के साथ आपको यह भी जान लेना चाहिए कि यदि आपके क्षेत्र में या कहीं पर चक्रवात आता है तो उससे क्या कुछ देखने को मिलता है या फिर उसका क्या प्रभाव होता (Cyclone se kya hota hai) है। इसके बारे में सही से जानने के बाद आपको यह अनुमान लग पाएगा कि एक साइक्लोन अपने साथ क्या कुछ बर्बादी लेकर आता है। तो जब भी कहीं साइक्लोन आता है तो वहां कितनी बर्बादी हुई है यह पूर्ण रूप से साइक्लोन के प्रकार पर निर्भर करता है। इससे हुई बर्बादी के बारे में आपने अक्सर ही समाचार चैनल के माध्यम से सुना ही होगा।

तो जब भी कहीं चक्रवात आता है तो उससे जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है, और सब मैनेज की हुई चीजें बिखर जाती है। आइए जाने ऐसे ही कुछ प्रभाव चक्रवात के आने पर देखे जाते हैं:

  • लोगों के मकान क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और उन्हें आर्थिक रूप से बहुत नुकसान देखने को मिलता है।
  • कई भवनों की तो छत तक गिर जाती है या उनकी एक ओर की दीवार गिर जाती है या वे पूरे ही गिर जाते हैं।
  • छत पर जो कुछ भी कपड़े सोख रहे थे या जो भी सामान रखा था, वह उड़ कर कहीं और चला जाता है।
  • घर के खिड़की दरवाजे यदि काँच के है तो वे टूट जाते हैं और अन्य चीज़ से बने दरवाजों और खिड़कियों को भी नुकसान हो सकता है।
  • यदि साइक्लोन के साथ साथ कोई भारी चीज़ भी उड़ कर आ रही है तो इससे जान माल की भारी क्षति हो सकती और इससे किसी की जान तक जा सकती है।
  • पेड़ गिर जाते हैं, बगीचे बर्बाद हो जाते हैं और पौधों का तो नामोनिशान ही नहीं दिखता है।
  • स्ट्रीट लाइट को भी बहुत नुकसान देखने को मिलता है और वे टूट फूट जाती है।
  • शहर की बिजली भी चली जाती है क्योंकि इससे बिजली के खम्बो को भी अत्यधिक नुकसान देखने को मिलता है।
  • मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट कनेक्शन में भी कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और वह कुछ समय के लिए बाधित भी रह सकती है।
  • जीव जंतुओं और पशु पक्षियों को भी बहुत ज्यादा नुकसान झेलना पड़ता है। इनमे से बहुत या तो मर जाते हैं या घायल हो जाते हैं।

तो इस तरह से चक्रवात से आने वाला दुष्परिणाम बहुत ही घातक हो सकता है और यह किसी भी क्षेत्र या परिवार को हमेशा के लिए दर्द देकर जा सकता है। इसके लिए यदि आप पहले से ही सतर्कता बरत लेंगे तो बहुत सही रहेगा।

साइक्लोन से बचाव के उपाय (Cyclone se bachne ke upay)

अब यदि आपके क्षेत्र में साइक्लोन आने की चेतावनी जारी हुई है या वह आम तौर पर आता ही रहता है तो आपको पहले से ही सभी तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए। यदि आप पहले से ही सतर्क रहेंगे तो इससे आपको और आपके परिवार को कम से कम नुकसान झेलना पड़ेगा। तो यहाँ हम आपको कुछ ऐसे उपाय बतायेंगे जो आप साइक्लोन के आने से पहले या बाद में कर सकते हैं ताकि आपका होने वाला नुकसान बहुत कम हो जाए।

  • अपने घर या दुकान को कुछ इस तरह से डिजाईन करें कि उस पर सीधे हवा का दबाव ना पड़े। कहने का अर्थ यह हुआ कि यदि आप घर के बाहरी ओर ही सीधे दरवाजा या खिड़की बना देंगे तो जब भी साइक्लोन आएगा तो वह आसानी से इन दरवाजो और खिड़कियों को नुकसान पहुंचा सकता है।
  • अपने घर या भवन की दीवारों को आम मोटे से थोड़ा और मोटा रखें ताकि वे ज्यादा दबाव सह पाने की क्षमता रखती हो। इसी के साथ उस पर अच्छी गुणवत्ता की सीमेंट का इस्तेमाल करेंगे तो ज्यादा बेहतर रहेगा। इससे आपके घर को मजबूती मिलेगी और वह भीषण से भीषण साइक्लोन का सामना कर पाने में भी सक्षम होगा।
  • जब भी साइक्लोन आने की चेतावनी जारी हो या वह आने वाला हो तो आप घर से बाहर निकलने से बचें और सभी घरवालो को भी ऐसा ही करने को कहें। यदि आप घर में ही रहेंगे तो अवश्य ही होने वाले नुकसान से बच जाएंगे। इसीलिए साइक्लोन से पहले और उस समय किसी भी स्थिति में घर से ना निकले।
  • जब भी साइक्लोन आ रहा हो तो अपने घर के सभी खिड़की व दरवाजे अच्छे से बंद कर लें और उन पर सभी तरह के लॉक लगा लें। अब किसी दरवाजे पर तीन कुण्डियाँ है तो उसकी तीनो कुण्डियाँ बंद कर दे ताकि उसे अत्यधिक मजबूती देखने को मिले।
  • अब यदि आपके घर का दरवाजा मजबूत नही है या वह पुराना हो चुका है तो साइक्लोन आने पर उसके आगे कोई भारी सामान रख दें ताकि उसे मजबूती मिल सके। यह सामान फ्रिज, टेबल, अलमारी इत्यादि कुछ भी हो सकता है।
  • अपने घर पर जरुरी राशन और अन्य सामान की पहले ही व्यवस्था कर लें। इन समान में टोर्च, मोमबत्ती, गैस, अनाज, चावल इत्यादि सब सामान आता है ताकि समय पड़ने पर इसकी किल्लत देखने को ना मिले।
  • घर से बाहर भी निकलना पड़े तो बिजली की तारों, खंभों, पानी इत्यादि के पास जाने से बचें क्योंकि इसमें करंट हो सकता है और आप इसकी चपेट में आ सकते हैं।

ऐसी ही कुछ सावधानियों को बरत कर आप अपने आप को और अपने परिवार वालों को चक्रवात के प्रभाव से बचा सकते हैं और होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं। इसमें आपको ऊपर दी गयी बातों के अलावा राज्य सरकार या केंद्र सरकार के द्वारा जो भी दिशा निर्देश जारी किये गए हैं, उनका भी पूरा पूरा ध्यान रखना होगा।

तो इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने जाना कि साइक्लोन क्या होता है और यह किस तरह से किसी क्षेत्र को नुकसान पहुंचाता है। हालाँकि आप मानवता का परिचय अवश्य दें और साइक्लोन के चले जाने के बाद अपने क्षेत्र के प्रभावित लोगों की जितनी सहायता की जा सकती है, वह करने का प्रयास करें। चेन्नई में भीषण से भीषण साइक्लोन आने पर भी कुछ ही दिनों में स्थिति सामान्य हो जाती हैं क्योंकि वहां के लोग पूरी आत्मीयता के साथ एक दूसरे की सहायता करते हुए पाए जाते हैं।

साइक्लोन क्या है – Related FAQs

प्रश्न: चक्रवात क्या है और इसके क्या कारण है?

उत्तर: चक्रवात के बारे में और इसके कारणों के बारे में हमने इस लेख में पूरी जानकारी विस्तार से दी है जिसे पढ़कर आपको अपने सारे प्रश्नों का उत्तर मिल जाएगा।

प्रश्न: साइक्लोन का मतलब क्या होता है?

उत्तर: साइक्लोन का मतलब होता है किसी एक क्षत्र में तेज तेज हवाओं का चलना या उसका गोलाकार रूप में आगे बढ़ना।

प्रश्न: चक्रवात किसे कहते हैं कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर: चक्रवात हवा के तेज वेग को बोलते हैं और इसके तीन प्रकार होते हैं जिसे हम निम्न, मध्यम व उच्च श्रेणी का चक्रवात के नाम से जानते हैं।

प्रश्न: चक्रवात क्यों घूमता है?

उत्तर: चक्रवात इसलिए घूमता है क्योंकि इसमें अंदर कम दबाव वाला क्षेत्र होता है जबकि बाहरी आवरण अधिक दबाव वाला होता है जिस कारण वह हवा गोल गोल घूमने लग जाती है।

शेफाली बंसल
शेफाली बंसल
इनको लिखने में काफी रूचि है। इन्होने महिलाओं की सोशल मीडिया ऐप व वेबसाइट आधारित कंपनी शिरोस में कार्य किया। अभी वह स्वतंत्र रूप में लेखन कार्य कर रहीं हैं। इनके लेख कई दैनिक अख़बार और पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।
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