Diwali nibandh in Hindi :- दीपावली का त्यौहार हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्यौहार हैं और इसकी प्रतीक्षा हर भारतवासी बड़ी ही उमंग के साथ करता हैं। जहाँ व्यापारियों की दीपावली के आसपास आमदनी बढ़ जाती हैं तो नौकरी करने वालों को इस दिन बोनस मिलने की (Diwali par nibandh) संभावना होती हैं। गृहिणियों को इस दिन नए नए पकवान बनाने होते हैं तो छात्रों को कई दिनों की छुट्टियाँ मिलती हैं। यही कारण हैं कि दिवाली का मौसम हर किसी के लिए बहुत ही सुहावना मौसम होता हैं।
ऐसे में इस समय सबसे बड़ी दुविधा जो आती हैं वह आती हैं स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों पर। उनके शिक्षकों के द्वारा उनसे दिवाली पर निबंध लिखने को कहा (Deepawali par nibandh) जाता हैं। अब सुनकर हर छात्र चिंता में पड़ जाता हैं कि वह दिवाली पर क्या ही निबंध लिखे और उसमे क्या क्या चीज़े लिखे। तो यदि आप भी स्कूल में पढ़ रहे हैं और आपके अध्यापक ने आपको दिवाली पर निबंध लिखने को बोला हैं तो हम आपकी इसमें सहायता करने वाले हैं।
हम आपसे यह कहना चाह रहे हैं कि इस लेख के माध्यम से आपको दिवाली पर निबंध लिखने के ऊपर सब जानकारी मिलेगी। आप हमारे द्वारा लिखे (Diwali par nibandh in Hindi) गए कंटेंट को ही अपने दिवाली के निबंध में सम्मिलित कर सकते हैं। इससे आपके अध्यापक भी प्रसन्न हो जाएंगे और आपका काम भी बन जाएगा। तो आइए पढ़ते हैं दिवाली के दिन के ऊपर लिखे जाने वाले निबंध के बारे में विस्तार से।
दीपावली पर निबंध हिंदी में (Diwali nibandh in Hindi)
इसकी शुरुआत हम एक एक चीज़ के साथ करेंगे ताकि आपके द्वारा लिखे जाने वाले निबंध में किसी चीज़ की कमी ना रहने पाए। साथ ही जब यह निबंध आप अपने शिक्षक को दे तो वह आपको बेस्ट छात्र के सामान से सम्मानित करे। तो इसके लिए आपको हमारे द्वारा (Deepawali par nibandh Hindi mein) लिखे गए इस निबंध को ध्यान से पढ़ना चाहिए। हालाँकि आप इसमें से अपनी पसंद का कुछ जोड़ भी सकते हैं और कुछ ना पसंद आये तो उसे हटा भी सकते हैं। यह पूर्ण रूप से आप पर निर्भर करेगा कि आप किस पंक्ति को लेना चाहते हैं और किसे नही। तो चलिए पढ़ते हैं।
प्रस्तावना
दीपावली का पर्व हिंदू धर्म के प्रमुख त्यौहार हैं जो हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता हैं। इस दिन हम सभी के आराध्य प्रभु श्री राम का चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात पुनः अयोध्या आगमन हुआ था। वह अमावस्या की रात थी, इस कारण अयोध्या की प्रजा ने हर घर को दीयों की रोशनी से जगमग कर दिया था। उस दिन का उल्लास कुछ ऐसा था कि वह आज तक वैसा ही हैं। इस बात को हजारों हज़ार वर्ष बीत चुके हैं लेकिन वह उल्लास समाप्त होने का नाम नही ले रहा हैं।
इस दिन हर हिंदू धर्म के अनुनायी अपने लिए नए वस्त्र, चीज़े, घर का सामान खरीदता हैं। जिनके घर के मुहूर्त होने हैं वे भी इसी दिन करते हैं और जिन्हें कोई नया वाहन खरीदना हैं तो उसकी खरीदारी भी इसी दिन ही की जाती हैं। दीपावली का त्यौहार केवल एक दिन का पर्व ना होकर बल्कि पांच दिन का पर्व होता हैं। इसके साथ धनतेरस, छोटी दिवाली, रूप चतुर्दशी, गोवर्धन पूजा व भाई दूजा का पर्व मनाया जाता हैं। ऐसे में इसका महत्व अत्यधिक बढ़ जाता हैं।
दिवाली कब मनाई जाती है
जिस दिन भगवान श्री राम का अयोध्या आगमन हुआ था, उस दिन को दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है। यह दिन कार्तिक मास की अमावस्या का दिन था। उस दिन हर जगह घोर अँधेरा छाया हुआ था लेकिन तब से लेकर आज तक किसी भी अमावस्या की रात तो क्या, अन्य कोई रात भी ऐसी नही रही, जिस दिन ऐसा उजाला रहा हो। दिवाली की रात तो एक ऐसी रात होती हैं जिस दिन पूरा भारतवर्ष जगमगा उठता हैं।
कहने का अर्थ यह हुआ कि इस दिन हर घर को पूरी तरह से सजा दिया जाता हैं और जैसे ही अँधेरा छाने लगता हैं, उसी दिन करोड़ो करोड़ दिए प्रज्ज्वलित किये जाते हैं और उन्हें अपने घर के अंदर, बाहर, गलितयों, चौराहों इत्यादि हर जगह सजा दिया जाता हैं। इन करोड़ो दीयों की रोशनी से पूरा भारत जगमगा उठता हैं। ऐसे में कार्तिक मास की वह अमावस्या की रात भी रोशनी से नहा जाती हैं।
दिवाली का इतिहास
अब जब हम दिवाली की बात कर रहे हैं तो उसका इतिहास जानना भी आवश्यक हो जाता हैं। इसका इतिहास जानकर ही तो हमें इसकी महत्ता समझ में आएगी। तो इसकी कथा बहुत ही पुरानी हैं जो त्रेता युग के समयकाल की हैं। उस समय भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में इस पृथ्वी लोक पर अवतार लिया था जिसका मुख्य लक्ष्य दुष्ट और पापी रावण का अंत करना था। ऐसे में जब श्री राम का अयोध्या के राजा के रूप में अभिषेक होने वाला था तब उनकी सौतेली माँ कैकयी के द्वारा ऐसा प्रपंच रचा गया कि महाराज दशरथ को उन्हें चौदह वर्ष का वनवास सुनाना पड़ा।
अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए प्रभु श्री राम चौदह वर्ष के वनवास पर निकल पड़े। उनके साथ उनकी पत्नी माता सीता और छोटे भाई लक्ष्मण भी वन में गये। इन चौदह वर्षों के अंतराल में उन्होंने बहुत कुछ देखा और सहा। इस दौरान माता सीता का पापी रावण के द्वारा हरण किया गया तो श्री राम ने उस दुष्ट का सेना सहित वध कर दिया। इस तरह उन्होंने अपने लक्ष्य को पूरा किया और धरती से पाप का अंत कर दिया।
अंत में जब चौदह वर्ष का समय समाप्त होने को आया तब उन्हें पुनः अयोध्या लौटना था और अयोध्या का राजकाज संभालना था। इसके लिए उन्होंने विभीषण के पुष्पक विमान से अयोध्या की उड़ान भरी और जिस दिन वे अयोध्या पहुंचे वह दिन कार्तिक मास की अमावस्या का ही दिन था। अपने आराध्य श्री राम के पुनः अयोध्या आगमन की खुशी में सभी ने अयोध्या नगरी को कुछ इस तरह से सजा दिया था कि इसकी कल्पना भी नही की जा सकती हैं। बस तभी से लेकर आज तक हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या की रात्रि को दिवाली का पर्व बड़े ही धूमधाम के साथ आयोजित किया जा रहा हैं।
दिवाली मनाने का तरीका
अब हम जानेंगे कि आखिरकार किस तरह से दिवाली का पावन त्यौहार मनाया जाता हैं और उस दिन हम सभी को क्या कुछ करना चाहिए। तो इस पर्व की महत्ता को देखते हुए हमें यह पर्व पूरे जोश व उमंग के साथ मनाना चाहिए। इस दिन की तैयारियां बहुत पहले से ही शुरू कर दी जाती हैं। हर किसी के मन में दिवाली के आने को लेकर बहुत उल्लास भरा हुआ होता हैं। हम सभी अपने माता पिता के साथ दिवाली की शॉपिंग शुरू कर देते हैं। हम अपने लिए नए कपड़े, खिलौने, बर्तन, कॉपी, पेन इत्यादि नया सामान खरीदते हैं।
साथ ही इस दिन के लिए तरह तरह के पकवान बनाए जाते हैं जिनका दिवाली के अवसर पर खाने का खास महत्व हैं। इन व्यंजनों में दही भल्ले, गुजिया, सवाली, मठरी, शकरपारे इत्यादि चीज़े आती हैं। इसी के साथ हम एक दूसरे के घर पर मिठाई देते हैं और उन्हें दिवाली की शुभकामनाएं भी देते हैं। यह दिवाली के पर्व को मनाने की मुख्य परंपरा होती हैं।
दिवाली के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के पश्चात घर के सभी बड़ों का आशीर्वाद ग्रहण किया जाता हैं। इसके साथ ही हम उन्हें शुभ दीपावली कहकर अभिवादन करते हैं। दिवाली की शाम को हम लक्ष्मी पूजा करते हैं। उन्हीं के साथ भगवान गणेश व माता सरस्वती की पूजा भी की जाती हैं। इसके पश्चात दीयों को घर के अंदर व बाहर सजा दिया जाता हैं और पूरा घर दीयों की रोशनी से नहा उठता हैं। घर की चौखट पर रंगोली का निर्माण भी किया जाता हैं।
फिर हम पटाखे फोड़ते हैं और बहुत मस्ती करते हैं। इन पटाखों में अनार, फिरकी, फुलझड़ी मुख्य पटाखे होते हैं। इसके अलावा भी आज के समय में कई तरह के पटाखे आते हैं जैसे कि लड़ियाँ, बम, सांप, राकेट इत्यादि। इन्हें भी हम फोड़ते हैं लेकिन हमें पटाखे फोड़ते समय बहुत सावधानी बरतनी चाहिए और किसी बड़े को साथ में रखकर ही पटाखे फोड़ने चाहिए। तो बस कुछ इसी तरह से दिवाली का त्यौहार आयोजित किया जाता हैं।
दिवाली का महत्व
दिवाली को मनाने के साथ साथ हमें उसका महत्व भी जानना चाहिए। दरअसल हर किसी पर्व का यही महत्व होता हैं कि हम अपने सामान्य जीवन की बजाए कुछ कुछ अंतराल में अपने लोगों के साथ खुशियाँ मनाये और उनका आनंद उठाए। अब यदि हम हर दिन वैसे ही जीते रहेंगे तो जीवन में बोरियत आने लगती हैं। तो इसके लिए त्यौहार जीवन में एक नयी उमंग लेकर आते हैं और आगे की दिशा को तय करते हैं।
इसी के साथ दिवाली का महत्व श्री राम के साथ होने के कारण यह हमें उनके जीवन से सीख लेने की बहुत बड़ी प्रेरणा देती हैं। श्रीराम हम सभी के लिए एक आदर्श व्यक्तित्व हैं। यदि हम उनके जीवन से प्रेरणा लेकर सब कार्य करेंगे तो अवश्य ही हमारी सभी दुविधाएं समाप्त हो जाएगी और यह पृथ्वी भी स्वर्ग की भांति प्रतीत होगी। श्रीराम के गुणों को आत्मसात करने का पर्व ही दिवाली कहा जाता हैं।
दिवाली का महत्व इस बात से भी पता चलता हैं कि यह हमें धन का सम्मान करने की सलाह देती हैं। धन के साथ साथ यह हमें स्वच्छता का महत्व भी समझाती हैं। अब यदि हम अपने आस पास स्वच्छता रखेंगे तभी तो स्वस्थ रह पाएंगे। और जब हमारा शरीर स्वस्थ रहेगा तभी तो हम कार्य कर पाएंगे और धन अर्जित कर पाएंगे। बस इन्हीं कुछ कारणों की वजह से दिवाली का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता हैं।
दिवाली के दिन रखी जाने वाली सावधानियां
दिवाली का त्यौहार अपने साथ बहुत सारा जोश और उमंग तो लेकर आता ही हैं लेकिन इस दिन हमें कुछ सावधानियां भी बरतनी चाहिए अन्यथा अनहोनी होने की संभावना बढ़ जाती हैं। वह इसलिए क्योंकि दिवाली के दिन हादसे होने या आग लगने की संभावना बहुत अधिक होती हैं। इस दिन मुख्यतया महिलाओं और बच्चों को संभल कर कार्य करने को कहा जाता हैं। वह इसलिए क्योंकि उनके साथ ही ज्यादातर हादसे होते हैं।
दिवाली के दिन हर महिला नए वस्त्र पहनती हैं जो भारतीय परिधान होते हैं। इसी के साथ हर जगह दीयों की रोशनी जलाई जाती हैं और आतिशबाजी हो रही होती हैं। ऐसे में कपड़ों में आग लगने की संभावना भी बढ़ जाती हैं क्योंकि उनकी लटकन, चुनरी इत्यादि लटकती रहती हैं। ऐसे में यदि वह दिए के संपर्क में आएगी तो उसमे आग लग ही जाएगी। तो आप अपने कपड़ों को संभाल कर रखेंगी तो बेहतर रहेगा।
इसी के साथ बच्चों में पटाखे फोड़ने का जोश बहुत ही ज्यादा हाई होता हैं। वे अपने दोस्तों के साथ मिलकर तो और भी ज्यादा जोश में भर जाते हैं और इसमें नए नए एक्सपेरिमेंट करने लगते हैं जो कि सर्वथा अनुचित होता हैं। ऐसे में सभी बच्चों को अपने माता पिता या किसी बड़े की नज़र में ही पटाखे फोड़ने चाहिए ताकि किसी भी तरह की अनहोनी को होने से रोका जा सके। तो बस इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए दिवाली के पर्व को आनंद के साथ व्यतीत किया जा सकता हैं।
दिवाली पर निबंध हिंदी में – Related FAQs
प्रश्न: दिवाली के बारे में क्या लिखें?
उत्तर: दिवाली के बारे में उसका इतिहास, कथा, महत्व, सावधानियां इत्यादि के बारे में लिखे।
प्रश्न: दिवाली से क्या लाभ है?
उत्तर: दिवाली हमें स्वच्छता और श्रीराम के गुणों को आत्मसात करने की प्रेरणा देती हैं। इस कारण दिवाली मनाने का बहुत लाभ मिलता हैं।
प्रश्न: दीपावली का मुख्य बिंदु क्या है?
उत्तर: दीपावली का मुख्य बिंदु अपने जानने वालों लोगों के साथ खुशियों के कुछ पल बिताना, श्रीराम के गुणों को आत्मसात करना और स्वच्छता का बनाए रखना हैं।
प्रश्न: दीपावली कब शुरू हुई?
उत्तर: जब श्रीराम अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात पुनः अयोध्या नगरी लौटे थे तब से दिवाली पर्व की शुरुआत हुई।
तो इस तरह से हम इस निबंध को विराम देना चाहेंगे। आशा हैं कि आपको अपने स्कूल में देने के लिए दिवाली के निबंध के ऊपर अच्छा कंटेंट मिल गया होगा। अब आप चिंतामुक्त होकर दिवाली पर लिखा जाने वाला निबंध आसानी से लिख सकते हैं और उसे अपने शिक्षक को दिखाकर उनकी वाहवाही बटोर सकते हैं।