Bill and Invoice Difference in Hindi | इनवाॅइस क्या है? बिल एवं इनवाॅइस में क्या अंतर है?

|| इनवाॅइस क्या है, बिल एवं इनवाॅइस में क्या अंतर है? (What is invoice? What is the difference between bill and invoice? इनवॉइस का मतलब क्या है? इनवॉइस कितने प्रकार के होते हैं? बिल और इनवॉइस में क्या अंतर है? इनवॉइस नंबर क्या होता है? ||

जब भी आप मार्केट में खरीदारी करते हैं तो दुकानदार आपको बिल थमा देता है, जो आपके और उसके बीच सामान के लेन-देन का रिकार्ड माना जाता है। इसी प्रकार जब भी कोई सामान आप आनलाइन मंगाते हैं तो उसकी इनवाॅइस भी प्रोडक्ट पैकिंग पर लगी होती है। यह भी मंगाई वस्तु की खरीद-बेच को लेकर आपके एवं आनलाइन विक्रेता के बीच लेन-देन का रिकार्ड होता है।

क्या बिल (bill) एवं इनवाॅइस (invoice) एक ही हैं? यदि अलग अलग हैं तो इन दोनों में क्या अंतर है? बहुत से लोगों को इसका नहीं पता होता। ज्यादातर लोग इन्हें एक ही मानकर चलते हैं।

लेकिन आपको बता दें कि इन दोनों में एक महीन अंतर होता है। इस पोस्ट में आज हम इसी पर प्रकाश डालेंगे। आपको बताएंगे कि इनवाॅइस क्या है? (What is invoice?) बिल एवं इनवाॅइस में क्या अंतर होता है? (What is the difference between bill and invoice?) आइए, शुरू करते हैं-

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बिल क्या है? (What is a bill)

दोस्तों, इनवाॅइस के बारे में बात करने से पूर्व बिल के बारे में जानना आवश्यक होगा। बिल क्या है? (What is a bill) आपको बता दें कि यह विक्रेता (seller) एवं खरीदार/ग्राहक (customer) के बीच हुए लेन-देन (transaction) का लिखित रिकार्ड (record) होता है।

इसमें लेन-देन की तारीख (date of transaction), बिल संख्या (bill number), वस्तु का ब्योरा (details of product), दुकान का नाम (name of the shop), ग्राहक का नाम (customer’s name) और मोबाइल नंबर (mobile number) लिखा जाता है। जैसे-मान लीजिए आपने एक सीलिंग फेन खरीदा है तो विक्रेता आपको इस बिल काटकर देगा।

इसमें बिल संख्या, दुकान का नाम, ग्राहक का नाम एवं मोबाइल नंबर, सीलिंग फैन के माडल आदि का ब्योरा रहेगा। साथ ही आपके द्वारा चुकाई गई राशि (paid amount) का भी जिक्र होगा।

इनवाॅइस क्या है, बिल एवं इनवाॅइस में क्या अंतर है? (What is an invoice? What is the difference between a bill and an invoice?)

किसी भी वस्तु की खरीद का बिल लेने के क्या क्या लाभ हैं? (What are the benefits of taking the bill of the purchase?)

मित्रों, हम आपमें से बहुत से लोग बिल लेने के नाम पर मुंह बिचका लेते हैं। उन्हें लगता है कि इसका कोई लाभ नही। दूसरे जीएसटी (GST) बचाने के चक्कर में भी दुकानदार पक्का बिल बनाने से बचता है।

लेकिन आपको बता दें दोस्तों कि बिल लेने के कितने फायदे हैं और इसे लेना कितना महत्वपूर्ण साबित हो सकता हैं। बिल लेने के विभिन्न लाभ इस प्रकार से हैं-

  • बिल इस बात का प्रमाण है कि संबंधित वस्तु की खरीद-बेच हुई है।
  • वस्तु पसंद न आने पर उसे बिल दिखाकर रिटर्न किया जा सकता है।
  • वस्तु के लिए चुकाई गई राशि को लेकर बाद में कोई विवाद पैदा नहीं होता।
  • इस बिल को किसी विवाद की स्थिति में उपभोक्ता अदालत में पेश किया जा सकता है।
  • विभिन्न आपराधिक मामलों में केस खोलने/सुलझाने में बिल अहम सुराग होते हैं।

इनवाॅइस क्या है? (What is an invoice?)

मित्रों, अब आते हैं इनवाॅइस (invoice) पर। आपको जानकारी दे दें कि इनवाॅइस को हिंदी में बीजक भी पुकारा जाता है। यह भी मूल रूप से किसी भी सेवा प्रदाता (service provider) की ओर से उत्पाद/सेवा (product/service) खरीदने वाले व्यक्ति को भेजा गया बिल है। इसे खरीद-बेच के समझौते का लिखित सत्यापन (written verification) भी कहा जा सकता है।

लेकिन इसमें बिल से अधिक जानकारी लिखी होती है। जैसे- इसमें उपभोक्ता का नाम (customer’s name), उसकी कस्टमर आईडी (customer id), सामान का रिकार्ड/ब्योरा (record/details of the product), कस्टमर का पता (customer’s address), भुगतान का तरीका (method of payment), भुगतान के लिए नियत तारीख (fixed date of payment) आदि का उल्लेख होता है। यह सारी जानकारी भी बिल भुगतान के लिए इस्तेमाल की जाती है।

इनवाइस के क्या क्या लाभ हैं? (What are the benefits of invoice?)

साथियों, अब हम आपको बताएंगे कि इनवाइस के क्या क्या लाभ हैं-

  • समय पर भुगतान (timely payment) सुनिश्चित करना इनवाइस का प्रमुख लाभ है। इसका इस्तेमाल करके ग्राहक ट्रैक (track) कर सकते हैं कि कौन से पेमेंट उन्हें पहले करने होंगे, ताकि उन पर पेनल्टी (penalty) न लगे।
  • यदि बिल को लेकर कोई विवाद (dispute) खड़ा होता है तो इनवाइस का ब्योरा ऐसे विवाद के खिलाफ रिकार्ड प्रूफ (record proof) का काम करता है।
  • इनवाइस इस बात की परिचायक भी है कि कंपनी हाई लेवल क्वालिटी एवं प्रोफेशनलिज्म का पालन करती है।
  • कानूनी मामलों (legal matters) में किसी विशेष लेन-देन का इनवाॅइस बहुत काम का साबित होता है। इस पर कस्टमर के हस्ताक्षर भी नतीजे में अहम भूमिका निभाते हैं।
  • जीएसटी एवं इन्कम टैक्स (GST and income tax) के मामलों में इनवाॅइस पेपर ट्रेल (paper trail) का एक अनिवार्य हिस्सा है। इसके माध्यम से यह वेरिफाई (verify) किया जा सकता है कि पेमेंट (payment) से जुड़े टैक्सेज (taxes) में कोई विसंगति नहीं है।
  • इनवाॅइस का डिजाइन (design), लोगो (logo) आदि उत्पादक/विक्रेता (producer/seller) की एक ब्रांड इमेज (brand image) बनाने में कामयाब होता हे।
  • उत्पाद, सेवा, भुगतान (product, service, payment) आदि के संबंध में ग्राहक को पूरी जानकारी रहती है।

बिल एवं इनवाॅइस में क्या अंतर होता है? (What is the difference between bill and invoice?)

दोस्तों, अब आते हैं बिल एवं इनवाॅइस में अंतर के मुद्दे पर। आपको बता दें कि अधिकांश लोग इन दोनों को एक ही समझते हैं, लेकिन इन पर दी गई जानकारी के आधार पर इन दोनों को अलग अलग किया जा सकता है। बिल एवं इनवाॅइस में मूल अंतर इस प्रकार से है-

  • जब भी कोई सामान खरीदा जाता है तो उसके रिकार्ड को बिल कहा जाता है। लेकिन उत्पाद/सर्विस की खरीद अथवा उत्पाद/ सर्विस की शिपिंग (service) के बाद भेजा गया रिकार्ड इनवाॅइस कहलाता है।
  • अधिकांशतः आफलाइन खरीदारी (offline purchasing) पर बिल (bill) दिया जाता है, जबकि आनलाइन खरीदारी (online purchasing) पर इनवाॅइस (invoice) जारी किया जाता है।
  • बिल में सामान्य रूप से ग्राहक के नाम, मोबाइल नंबर, सामान खरीदे जाने की तिथि, चुकाए गई राशि एवं सामान का ब्योरा होता है, जबकि इनवाॅइस में ग्राहक का नाम, पता, कस्टमर आईडी, एकाउंट नंबर आदि का भी उल्लेख होता है।
  • बिल आम तौर पर सामान की खरीद पर भुगतान के सुबूत के तौर पर दिया जाता है, वहीं इनवाॅइस को अधिकांशतः पेमेंट प्राप्त करने के लिए ग्राहक को भेजा जाता है।

विक्रेता पक्का बिल देने में आनाकानी क्यों करते हैं? (Why seller’s are not ready to give proper bill?)

साथियों, यह तो आप भी जानते होंगे कि जीएसटी (GST) से बचने के लिए अधिकांश विक्रेता ग्राहकों को पक्का बिल देने में आनाकानी करते हैं। क्योंकि यह लेन-देन का प्रूफ होगा और उन्हें अपने स्लैब के अनुसार इस पर इन्कम टेक्स चुकाना होगा। इससे बचने के लिए वे ग्राहकों को कच्चा बिल थमाते हैं।

उनसे भी पैसा बचाने का आग्रह करते हैं। लेकिन आपको बता दें दोस्तों कि कच्चा बिल केवल कागज के टुकड़े पर लिखा गया एक लेन-देन का वाक्य भर होता है। इसमें बिल संख्या, दुकान का नाम आदि नहीं होता।

ऐसे में यदि आप किसी मामले में फंसते हैं तो आप इसे वस्तु/सेवा के प्रूफ के तौर पर इस्तेमाल नहीं कर सकते। हमारी आपको सलाह है कि केवल चंद रूपये बचाने के लिए विक्रेता के इस कार्य में सहयोग न करें। ठोक कर उससे पक्का बिल देने को कहें।

आनलाइन शाॅपिंग बढ़ने के साथ ही इनवाॅइस की महत्ता भी बढ़ी (invoice importance has increased as there is a boom in online shopping)

मित्रों, इन दिनों आनलाइन शाॅपिंग (online shopping) की बहार है। मार्केट जाकर सामान चुनना और दुकानदारों से पैसे कम कराने के लिए झैं-झैं करना पुराने समय की बात हो चली है। अब तमाम आनलाइन शाॅपिंग साइट्स (online shopping sites) हैं, जो लोगों को विभिन्न उत्पादों की रेंज (range of products) उपलब्ध कराती हैं।

लोगों को उत्पादों को चुनने, उनकी तुलना करने एवं अपनी जेब के अनुसार उत्पाद खरीदने की पूरी सुविधा है। प्रोडक्ट पसंद न आए तो वापसी की भी सुविधा है और चेंज कराने की भी। मार्केट की तरह तुरंत भुगतान (payment) का झंझट भी नहीं। खरीदारी (purchasing) के बाद भुगतान के कई तरीके उपलब्ध हैं।

जैसे-क्रेडिट कार्ड/डेबिट कार्ड पेमेंट (credit card/debit card), नेट बैंकिंग (net banking), कैश आन डिलीवरी (cash on delivery) आदि। इस आनलाइन शाॅपिंग (online shopping) के सिलसिले में लगातार बढ़ोत्तरी से इनवाॅइस (invoice) की भी महत्ता बढ़ गई है।

इसी के आधार पर लोग अपनी खरीदी वस्तु/सेवा की डिलीवरी (delivery) को ट्रैक (track) भी कर सकते हैं। नियत भुगतान कर सकते हैं। किसी साथी को इसकी डिटेल्स फारवर्ड (details forward)कर सकते हैं। इसके साथ ही आगे के लिए रिकार्ड भी रख सकते हैं।

बिल क्या होता है?

यह क्रेता एवं विक्रेता के बीच किसी भी वस्तु की खरीद-बेच संबंधी लेन-देन का रिकार्ड होता है। यह भुगतान का प्रूफ होता है।

बिल से क्या क्या लाभ हैं?

बिल लेने से आपके पास वस्तु की खरीद का प्रमाण होता है। किसी भी विवाद की स्थिति में इसे अदालत में पेश किया जा सकता है। तीसरे सामान खराब होने पर उसे लौटाना संभव होता है।

विक्रेता इन दिनों पक्का बिल देने से क्यों पीछे हटते हैं?

जीएसटी के चक्कर में विक्रेता पक्का बिल देने से पीछे हटते हैं।

इनवाॅइस क्या होती है?

यह भी बिल की तरह क्रेता एवं विक्रेता के बीच वस्तु/सेवा की खरीद-बेच संबंधी लेन-देन का रिकार्ड एवं प्रूफ होता है। इस पर बिल से थोड़ी अधिक जानकारी होती है।दूसरे यह पेमेंट कराने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

इनवाॅइस जीएसटी एवं इन्कम टैक्स संबंधी मामलों में क्या महत्व रखता है?

इसे जीएसटी एवं इन्कम टैक्स संबंधी मामलों में पेेपर ट्रेल की तरह इस्तेमाल किया जाता है। इससे वेरिफाई किया जा सकता है कि लेन-देन में कहीं कोई विसंगति तो नहीं है।

इनवाॅइस से क्या वस्तु/सेवा की डिलीवरी को ट्रैक करना संभव है?

जी हां, इनवाॅइस के जरिए यह संभव है। आप इसकी आनलाइन ट्रैकिंग भी कर सकते हैं।

दोस्तों, हमने आपको इस पोस्ट (post) में इनवाॅइस क्या है? एवं बिल तथा इनवाॅइस में क्या अंतर है? यह स्पष्ट किया। उम्मीद है कि इस पोस्ट से आपके मन का बिल एवं इनवाॅइस को लेकर भ्रम पूरी तरह खत्म हो गया होगा। यदि आप इसी प्रकार की जानकारीपरक पोस्ट हमसे चाहते हैं तो उसके लिए नीचे दिए गए कमेंट बाक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके हमें बता सकते हैं। ।।धन्यवाद।।

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प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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