IPC और CrPC में क्या अंतर है? | Difference between IPC and CrPC in Hindi

Difference between IPC and CrPC in Hindi : हाल ही में भारत सरकार ने देश में तीन नए कानून पारित किये हैं जो भारत की न्याय संहिता से जुड़े हुए हैं। हम इतने वर्षों से दंड देने के लिए जिन धाराओं के नाम सुनते थे, अब उनमें परिवर्तन किया गया है। इसे हम IPC व CrPC के नाम से जानते थे। आपने भी वर्षों वर्ष तक इसी के बारे में ही सुन रखा होगा। ऐसे में यह IPC और CrPC क्या होती है और क्या नहीं, इसके बारे में जानना ज़रूरी हो जाता (What is difference between IPC and CrPC in Hindi) है।

भारतीय न्यायिक व्यवस्था के द्वारा देश के नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए काम किया जाता है जिसके लिए विधायिका के द्वारा समय समय पर नए अधिनियम बनाये जाते हैं और पुराणों में परिवर्तन किये जाते रहते हैं। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति इन अधिनियमों का उल्लंघन करता है या अपराध करता है तो उसे IPC और CrPC के तहत दंड दिया जाता (IPC and CrPC in Hindi) है।

आज के समय में बहुत से लोग या तो IPC और CrPC को एक ही समझ लेते हैं या फिर उन्हें इसके बारे में स्पष्ट रूप से पता ही नहीं होता है। इसलिए आपका IPC और CrPC के बीच के अंतर को समझना बहुत ही आवश्यक हो जाता है। आज हम आपके समक्ष IPC और CrPC के बीच के अंतर को ही सांझा करने वाले (IPC or CrPC kya hai) हैं।

IPC और CrPC में क्या अंतर है? (Difference between IPC and CrPC in Hindi)

इस लेख में हम आपको IPC और CrPC के बारे में अलग अलग भी बताएँगे और उनकी क्या कुछ धाराएं होती है या फिर यह किस तरह से काम करती है, इसके बारे में जानकारी देंगे लेकिन पहले आपका IPC और CrPC के बीच क्या कुछ अंतर होता है, इसके बारे में समूची जानकारी ले लेना आवश्यक है। ऐसे में पहले हम इन दोनों के बीच मूल अंतर की बात करते हैं ताकि आपको दोनों के बारे में ही सही से जानकारी हो (IPC or CrPC me antar) जाए।

Difference between IPC and CrPC in Hindi

हमारे देश में कानून बनाने का काम विधायिका अर्थात जनप्रतिनिधियों का होता है। अब उस कानून को लागू करना और नागरिकों को उसको मानने के लिए बाध्य करना कार्य पालिका अर्थात प्रशासन का काम होता है। वहीं यदि कोई उस कानून का उल्लंघन करता है या अपराध करता है तो उसे दंड देने का कार्य न्याय पालिका का होता है। अब इसी न्यायपालिका के  काम करने के लिए IPC और CrPC बनायी गयी होती (IPC or CrPC in Hindi) है।

ऐसे में IPC और CrPC हैं तो दोनों दंड देने से ही संबंधित लेकिन दोनों के बीच एक बहुत ही विशिष्ट अंतर पाया जाता है जिसका जानना आपके लिए आवश्यक हो जाता है। ऐसे में आप IPC और CrPC के बीच के अंतर को नीचे दिए गए पॉइंट्स के मध्यम से समझने का प्रयास (IPC CrPC difference in Hindi) करें।

  • IPC उसे कहा जाता है जब किसी तरह का अपराध होने पर उस अपराध की व्याख्या की जाती है, उसके लिए कौन सी धारा लगायी जानी चाहिए, इसके बारे में बताया जाता है और उसके लिए क्या दंड दिया जा सकता है या क्या दंड उचित रहता है, वह अधिसूचित किया जाता है।
  • वहीं CrPC वह होती है जब उसी अपराध को सिद्ध करने के लिए किस तरह की प्रक्रिया अपनाई जा रही है और उसके लिए क्या कुछ नियम व शक्तियां दी गयी है, उसके बारे में लिखा जाता है। इस तरह से CrPC उस अपराध की प्रक्रिया के बारे में सूचित करने का काम करती है।

इस तरह से IPC और CrPC के बीच यही अंतर होता है कि IPC तो किसी अपराध की श्रेणी बताती है और उसके लिए किस धारा के तहत क्या दंड दिया जा सकता है, उसकी जानकारी देती है तो वहीं CrPC में उस अपराध की प्रक्रिया और उसकी जाँच के बारे में जानकारी दी जाती है। इस तरह से दोनों एक दूसरे से तो संबंधित हैं लेकिन फिर भी दोनों की कार्य प्रणाली में अंतर देखने को मिलता (IPC or CrPC me kya antar hai in Hindi) है।

यही कारण है कि जब भी कोई अपराध होता है तो पुलिस के द्वारा IPC की धाराओं के तहत ही केस दर्ज किया जाता है लेकिन बाद में CrPC के तहत ही उसकी प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाता है। एक तरह से IPC उस अपराध की शुरूआती और अंतिम प्रक्रिया होती है जबकि CrPC उसके बीच की पूरी प्रक्रिया को कहा जाता (IPC and CrPC difference in Hindi) है।

IPC क्या है? (IPC kya hai)

अब जब आपने IPC और CrPC के बीच के अंतर को जान लिया है तो आपके लिए IPC क्या होती है, इसके बारे में अलग से जानना भी जरुरी हो जाता है। तो IPC की फुल फॉर्म इंडियन पेनल कोड (Indian Penal Code) होती है। इसे हिंदी में भारतीय दंड संहिता कहा जाता है। इसे अंग्रेजों के शासनकाल में ही बना दिया गया था। एक तरह से इसे लगभग डेढ़ सदी पहले ही 6 अक्टूबर 1860 को अंग्रेजों की सरकार ने बना दिया था और तब से लेकर आज तक यह कई परिवर्तनों के साथ चलता आ रहा (IPC and CrPC full form in Hindi) है।

इसे हम फर्स्ट लॉ कमीशन भी कह सकते हैं। हालाँकि 1947 में भारत देश के स्वतंत्र होने के बाद इस IPC में कई तरह के परिवर्तन किये गए और इन्हें देश की संस्कृति के अनुसार बनाया गया था। आज भी समय समय पर इसमें कई तरह के परिवर्तन होते रहते हैं और अब तो भारत सरकार ने इसमें बहुत बड़ा बदलाव किया है जिसमें भारतीय दंड संहिता का नाम बदल कर ही भारतीय न्याय संहिता कर दिया गया (What is IPC in Hindi) है।

IPC में कुल 511 धाराएँ बनायी गयी थी जिनके कई उपभाग भी बनाये गए थे। एक तरह से कहा जाए तो भारतीय कानून में कुल 511 धाराएं थी जो तरह तरह के अपराध के लिए बनायी गयी थी। यदि कहीं पर कोई अपराध हुआ है या होने वाला है या ऐसा कुछ प्रतीत होता है तो उसके लिए इन 511 धाराओं में से ही कोई एक धारा या कई धाराएँ लगायी जाती (IPC kya hai Hindi mein) थी।

हालाँकि वर्ष 2024 में भारत सरकार ने सदियों से चले आ रहे इस भारतीय दंड संहिता का नाम बदल कर भारतीय न्याय संहिता कर दिया है। इस तरह से वर्तमान समय में IPC की अवधारणा समाप्त हो चुकी है और अब इसकी शोर्ट फॉर्म BNS हो चुकी है जिसे अंग्रेजी में Bharatiya Nyay Sanhita के नाम से लिखा जाता है। यह अंग्रेजों के बनाये कानून और उनकी पहचान को खत्म करने के लिए एक सराहनीय कदम माना (IPC full form in Hindi) जाएगा।

CrPC क्या है? (CrPC kya hai)

अब जब आपने IPC के बारे में इतना सब जान लिया है तो अब बारी आती है CrPC के बारे में जानकारी लिए जाने की। तो सबसे पहले तो CrPC की फुल फॉर्म जान लेते हैं। CrPC की फुल फॉर्म को कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (Code of Criminal Procedure) के नाम से जाना जाता है। वहीं हिंदी में CrPC को दंण्ड प्रक्रिया संहिता के नाम से जाना जाता है। इस कानून को वर्ष 1973 में बनाया गया था और उसके बाद वर्ष 1974 में यह पूरे देश में लागू कर दिया गया (CrPC full form in Hindi) था।

हालाँकि भारत सरकार ने वर्ष 2024 में IPC को बदलने के साथ साथ CrPC को भी बदल दिया है। इसी के साथ ही इसके नाम में भी परिवर्तन किया गया है जहाँ अब इसका नया नाम भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता किया गया है। अब यदि इसकी शोर्ट फॉर्म की बात की जाए तो वह BNSS होगी क्योंकि इसे अंग्रेजी में Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita के नाम से लिखा जाएगा। इस तरह से अभी की भारत सरकार भारतीयता को बढ़ावा दे रही है और अंग्रेजों की मानसिकता से बाहर निकल रही (What is CrPC in Hindi) है।

CrPC के तहत यह पक्का किया जाता है कि यदि भारत देश में IPC की 511 में किसी भी धारा के अंतर्गत कोई अपराध हुआ है या उसके लिए सूचना मिली है तो पुलिस की कार्य प्रणाली क्या होगी। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि उस अपराध के तहत पुलिस किस तरह की प्रक्रिया अपनाएगी, कैसे अपनी जांच आगे बढ़ाएगी और अपराधियों और पीड़ित के प्रति किस तरह का रवैया रखेगी (CrPC kya hai Hindi mein) इत्यादि।

इसी के साथ ही उस अपराध में जो संदिग्ध है, सबूत है या जो गवाह मिले हैं, उनका आंकलन कैसे करेगी, रिपोर्ट कैसे तैयार होगी, कोर्ट में किस तरह की प्रक्रिया का पालन किया जाएगा, इत्यादि भी इसी CrPC के तहत ही किया जाता है। तो यह उस अपराध की पूरी प्रक्रिया व जांच को परिभाषित करने का काम करती है।

IPC और CrPC में क्या अंतर है – Related FAQs

प्रश्न: सीआरपीसी में कुल कितनी धाराएं होती है?

उत्तर: सीआरपीसी में कुल 533 धाराएं होंगी।

प्रश्न: IPC भारत में कब लागू हुई?

उत्तर: आईपीसी भारत में 1860 से लागू है।

प्रश्न: सीआरपीसी के जनक कौन है?

उत्तर: सीआरपीसी के जनक थॉमस बबिंगटन मैकाले को माना जाता है।

प्रश्न: सीआरपीसी की फुल फॉर्म क्या है?

उत्तर: कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर है।

प्रश्न: आईपीसी की फुल फॉर्म क्या है?

उत्तर: आईपीसी की फुल फॉर्म इंडियन पेनल कोड है।

तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने IPC और CrPC के बीच क्या अंतर है यह जान लिया है। हमने आपको विस्तार से यह बताया कि IPC क्या है और CrPC क्या है। आशा है कि आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आई होगी। अगर ऐसा है तो नीचे कॉमेंट करके हमें अवश्य बताइएगा।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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