एक कहावत है-पैसा पैसे को खींचता है। यदि कोई व्यक्ति किसी मार्केट में निवेश करता है तो उसका सीधा सा अर्थ लाभ से होता है। वह कमाई करने के लिए अपने पैसे को बाजार में लगाता है। इस क्रम में कई लोग कंपनियों के शेयर खरीद लेते हैं। ऐसे में लाभ होने पर कंपनी से उन्हें डिविडेंड प्राप्त होता है।
इस पोस्ट में हम आपको डिविडेंड जैसे दुरूह समझे जाने वाले विषय पर जानकारी देंगे। उम्मीद है कि इस जानकारी से मार्केट के बारे में कुछ भी न जानने वाले लोग भी डिविडेंड को भली भांति समझेंगे।
डिविडेंड क्या होता है? (What is dividend)
डिविडेंड को हिंदी में लाभांश पुकारा जाता है। यह दो शब्दों से मिलकर बना है एक ‘लाभ’ एवं एक ‘अंश’। अर्थात यह किसी भी कंपनी के लाभ में भागीदारों का अंश होता है। यह अंश कंपनी लाभ कमाने पर अपने शेयरधारकों को प्रदान करती है।
डिविडेंड कितने प्रकार के होते हैं? (Types of Dividend )
कंपनी डिविडेंड को कंपनी के बोर्ड आफ डायरेक्टर्स की हरी झंडी के पश्चात भुगतान के लिए जारी करती है। डिविडेंड सामान्य तौर पर छह प्रकार के होते हैं-
1. कैश डिविडेंड (cash dividend)
सर्वप्रथम हम आपको कैश डिविडेंड के बारे में जानकारी देंगे। इसको हिंदी में नगद लाभांश भी पुकारा जाता है। आप नाम से ही समझ गए होंगे कि इस प्रकार के डिविडेंड का नकद भुगतान किया जाता है।
यह कई बार सीधे कंपनी से शेयर धारक के बैंक एकाउंट में भेजा जाता है तो कई बार चेक के माध्यम से भुगतान भी किया जाता है। इन दिनों ई-पेमेंट भी प्रचलित है।
2. स्टाक डिविडेंड (stock dividend)
इसको हिंदी में स्कंध लाभांश भी कहते हैं। डिविडेंड को कैश डिविडेंड से बेहतर माना जाता है। सामान्य शेयरों में निवेश करने वाले लोग स्टाक डिविडेंड भुगतान का आप्शन चुन सकते हैं।
कंपनी शेयरधारकों को उनकी इच्छा के मुताबिक स्टाक डिविडेंड को नकदी में बदलने का आप्शन देती है।
3. एसेट डिविडेंड (asset dividend)
इसको हिंदी में संपत्ति लाभांश भी पुकारा जाता है। शेयरधारकों को कंपनी की ओर से डिविडेंड के बतौर संपत्ति, चल अचल संपत्ति अथवा गैर मौद्रिक भुगतान भी किया जा सकता है।
इसे ही एसेट डिविडेंड के नाम से पुकारा जाता है। कई शेयर धारक इस रूप से लाभांश भुगतान पसंद करते हैं।
4. स्क्रिप डिविडेंड (scrip dividend)
स्क्रिप डिविडेंड जारी करने की नौबत तब आती है जब कंपनी के पास लाभांश जारी करने के लिए पर्याप्त धनराशि नहीं होती।
दरअसल, यह स्क्रिप एक प्रकार का वादा है, जिसमें किसी शेयर धारक को भविष्य में किसी तिथि को भुगतान करने की गारंटी प्रदान की जाती है।
5. लिक्विडेटिंग डिविडेंड (liquidating dividend)
यदि कोई कंपनी बिजनेस बंद कर रही होती है तो वह अपने शेयर होल्डर्स को इस डिविडेंड के रूप में भुगतान करती है। यह उस कंपनी द्वारा शेयर होल्डर को अंतिम लाभांश का भुगतान होता है। यह शेयर की संख्या के आधार पर किया जाता है।
6. स्पेशल डिविडेंड (special dividend)
इसे विशेष लाभांश के नाम से भी जाना जाता है। कोई कंपनी अपनी डिविडेंड पाॅलिसी से अलग किसी डिविडेंड का भुगतान करती है तो यह स्पेशल डिविडेंड कहलाता है।
कंपनी अधिक लाभ कमाती है तो वह इस स्थिति में स्पेशल डिविडेंड का अपने शेयर धारकों को भुगतान करती है। सामान्य डिविडेंड से अपेक्षाकृत यह लाभांश अधिक होता है।
डिविडेंड का भुगतान कैसे किया जाता है (how dividend is paid)
कंपनी लाभ कमाने की स्थिति में उसे अपने शेयर धारकों में वितरित करने की घोषणा करती है। डिविडेंड प्रति शेयर के मूल्य के आधार पर निर्धारित किया जाता है। इसकी घोषणा के पश्चात कंपनी एक नियत तिथि को लाभांश का भुगतान करती है। इस तिथि को देय तिथि पुकारा जाता है।
निवेश करते समय डिविडेंड भुगतान का आप्शन चुना जा सकता है? (option of dividend payment is choose during investment)
किसी भी कंपनी के स्टाक में निवेश करते वक्त आप डिविडेंड के भुगतान का आप्शन चुन सकते हैं। सामान्य शेयर धारकों को दिया जाने वाला लाभांश विभिन्न कंपनियों के अनुसार भिन्न होता है। यदि आप सामान्य स्टाक में निवेश करते हैं तो ऐसी स्थिति में शेयरों की कीमत बढ़ने पर कंपनी लाभांश का तौर पर एक बड़ी राशि का भुगतान करती है।
इसी प्रकार preferred stock में भुगतान एक पूर्व निर्धारित डिविडेंड का होता है। इस स्थिति में यह सामान्य स्टाक अथवा कंपनी बांड की तुलना में अधिक होता है।
यदि स्टाक की कीमतों में गिरावट आती है, नुकसान होता है तो डिविडेंड उस नुकसान को कम करने के साथ ही अस्थिता एवं पोर्टफोलियो रिस्क को कम करने में सहायक होता है।
लाभांश नीति अर्थात डिविडेंड पाॅलिसी क्या होती है? (What is dividend policy)
आम तौर पर लाभांश की दर के निर्धारण एवं वितरण के लिए जिन सिद्धांतों, नियमों एवं योजनाओं का पालन किया जाता है, उन्हें लाभांश नीति के नाम से पुकारा जाता है। इसे सामान्य शब्दों में इस तरह समझा जा सकता है कि जब कंपनी अपने शेयरधारकों के लिए कंपनी के लाभ से लाभांश की घोशणा करती है तो बोर्ड आफ डायरेक्टर्स कंपनी की लाभांश नीति के अनुसार ही लाभांश का वितरण करते हैं।
विस्तार से देखें तो यह एक बेहद व्यापक शब्द है। खास बात यह है कि लाभांश नीति केवल इक्विटी शेयर कैपिटल से संबंधित होती हैं। प्रीफर्ड डिविडेंड पूर्व निर्धारित होता है, उसे यह नीति प्रभावित नहीं करती।
डिविडेंड पाॅलिसी के क्या उद्देश्य हैं? (What is the purpose of dividend policy)
कंपनियां शेयर होल्डर्स को डिविडेंड वितरित करते हुए एक पाॅलिसी फाॅलो करती हैं। आखिर इस पाॅलिसी के पालन का उद्देश्य क्या होता है। दरअसल, एक अच्छी लाभांश नीति शेयर होल्डर्स के पैसे को बढ़ाने के साथ ही कंपनी के लक्ष्यों को पूरा करने में भी सहायक होती है।
अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि क्या प्रत्येक कंपनी के लिए एक डिविडेंड पाॅलिसी बनाना संभव है? तो इसका एक साफ जवाब है-नहीं, ऐसा संभव नहीं है। प्रत्येक कंपनी अपने उत्पाद, उत्पादन, बिक्री, लाभ, वित्तीय नीति आदि को ध्यान में रखते हुए डिविडेंड पाॅलिसी बनाती हैं।
डिविडेंड पाॅलिसी कितने प्रकार की होती है?
डिविडेंड पाॅलिसी के निर्धारण का कोई एक फार्मूला नहीं होता। कोई भी कंपनी ऐसी पाॅलिसी नहीं बना सकती, जो प्रत्येक स्थिति में लागू कर दी जाए। यह नीति कंपनी की मैनेजमेंट पाॅलिसी एवं कंपनी की परिस्थितियों पर आधारित होती है। सामान्य रूप से डिविडेंड पाॅलिसी तीन प्रकार की होती है-
1. कठोर अथवा अनुदार डिविडेंड पाॅलिसी
इसे अनुदार लाभांश नीति भी पुकारा जाता है। इसमें मैनेजमेंट कंपनी की फाइनेंशियल कंडीशन एवं बिजनेस को सबसे ऊपर रखते हैं। वे शेयर होल्डर्स की उम्मीद को सबसे निचला स्थान देते हैं। इस नीति के अंतर्गत मैनेजमेंट लाभ का अधिकतर हिस्सा व्यवसाय में ही लगाना चाहते हैं।
ऐसी स्थिति में वे शेयर होल्डर्स को कम से कम डिविडेंड देना चाहते हैं। इस नीति के अंतर्गत भुगतान का रेश्यो बहुत कम और कभी कभी तो शून्य तक होता है। एक नई एवं विकासशील कंपनी के लिए इस प्रकार की डिविडेंड पाॅलिसी बेहतर मानी जाती है।
क्योंकि उसका लक्ष्य सुधार एवं विस्तार है, जिसके लिए से पर्याप्त मात्रा में अतिरिक्त पूंजी की जरूरत होती है। इस नीति से शेयर होल्डर्स को लांग टर्म में गेन होता है।
2. लचीली अथवा उदार डिविडेंड पाॅलिसी
यह आपको नाम से ही काफी कुछ स्पष्ट हो गया होगा। इस डिविडेंड पाॅलिसी में मैनेजमेंट लाभ के अधिकांश हिस्से को शेयर होल्डर्स में बांट देते हैं। वे केवल लाभ उतना ही हिस्सा व्यवसाय में लगाते हैं, जो अत्यंत आवश्यक हो। ऐसी स्थिति में भुगतान अनुपात बेहद अच्छा होता है-जैसे 90 अथवा 95 प्रतिशत तक भी।
इस नीति में शेयर होल्डर्स के वर्तमान हितों को महत्व मिलता है। ऐसी स्थिति में हालांकि कई बार कंपनी में डेवलपमेंट एवं इंफ्रास्टक्चर रिजर्व में कमी देखने को मिलती है। कंपनी की वित्तीय स्थिति को भी कई बार नुकसान होता है।
3. स्थिर डिविडेंड पाॅलिसी
नाम से ही साफ होता है कि यह लाभांश नीति स्थिर होती है। अर्थात इसमें लंबी अवधि तक कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं किया जाता। इस नीति में कंपनी की भविष्य की जरूरतों एवं सदस्यों की वर्तमान उम्मीदों के बीच बैलेंस रखा जाता है। दोनों को समान इंपोर्टेंस दी जाती है।
अर्थात जितना लाभ शेयर होल्डर्स में वितरित किया जाता है, उतना ही लाभ व्यवसाय में भी लगाया जाता है। कंपनी को अधिक लाभ वाले वर्षों में पर्याप्त रिजर्व किया जाता है, जिसका इस्तेमाल कम लाभ वाले सालों में डिविडेंड रेट को स्थिर बनाने में किया जाता है। यह नीति कंपनी की साख एवं प्रतिष्ठा बनाए रखने में सहायता करती है। इसे मध्यमार्गी नीति भी पुकारा जाता है।
एक अच्छी डिविडेंड पाॅलिसी तैयार करते वक्त किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए-
आपके लिए यह जानना जानकारीप्रद हो सकता है कि एक अच्छी डिविडेंड पाॅलिसी बनाते समय कंपनी को किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए। ये बातें निम्नवत हैं-
- डिविडेंड पाॅलिसी का लक्ष्य लघु अवधि के लिए फैसले लेना नहीं, बल्कि कंपनी एवं शेयर धारकों को लंबे समय में लाभ पहुंचाना होना चाहिए। ऐसे में लंबी अवधि को ध्यान में रखते हुए नीति तैयार की जाए।
- एक अच्छी डिविडेंड पाॅलिसी का टारगेट कंपनी के मूल्य में बढ़ोत्तरी होता है, जो शेयर होल्डर्स के पैसे पर निर्भरता है। लिहाजा, प्रस्तावित नीति पर किसी भी फैसले से पूर्व कंपनी के शेयरों पर उसके प्रभाव का मूल्यांकन अवश्य किया जाना चाहिए।
- एक अच्छी डिविडेंड पाॅलिसी वही होती है, जिससे शेयर होल्डर्स की डिविडेंड विलिंग एवं कंपनी की वित्तीय जरूरतों के मध्य समन्वय स्थापित हो। यानी उसके माध्यम से शेयर होल्डर्स को अच्छा लाभांश भी जाए एवं कंपनी भी वित्तीय रूप से मजबूत हो।
- कंपनी की लाभांश नीति में जल्द कोई बदलाव नहीं होना चाहिए। दरअसल, यदि लाभांश की दर बढ़ती है तो शेयर होल्डर्स की आकांक्षाएं भी चुनौती भरने लगी हैं, किंतु यदि अगले वर्ष लाभ कम होता है तो शेयर होल्डर्स के लिए सहना मुश्किल होता है। लिहाजा, कंपनी के भविष्य को देखते हुए माकूल नीति तैयार की जानी चाहिए। इसका उद्देश्य निवेशकों एवं शेयर होल्डर्स को लुभाना नहीं होना चाहिए।
- डिविडेंड पाॅलिसी तैयार करने के पश्चात एक बार शेयर होल्डर्स एवं अन्य निवेशकों को इसके संबंध में बताया जाना आवश्यक है। यदि किसी भी स्थिति की वजह से कंपनी की डिविडेंड पाॅलिसी में कोई परिवर्तन आता है तो शेयर होल्डर्स को इस संबंध में भी खुलकर बताना चाहिए।
एक बेहतर डिविडेंड पाॅलिसी की खास बातें
हमने आपको डिविडेंड के अर्थ, प्रकार एवं डिविडेंड पाॅलिसी के विषय में काफी कुछ बताया है। अब हम आपको बताएंगे कि एक बेहतर डिविडेंड पाॅलिसी की खास बातें क्या होती हैं। ये निम्नवत हैं-
- कंपनी के लाभांश वितरण में स्थायित्व यानी नियमितता हो। ऐसा न हो कि कंपनी किसी बहुत अच्छा डिविडेंड दे और दूसरे वर्ष कुछ भी न दे पाए।
- डिविडेंड की दरों में क्रमशः बढ़ोत्तरी होनी चाहिए। इसे शनैः शनैः बढ़ाया जाना चाहिए।
- डिविडेंड का भुगतान कैश में किया जाए। स्टाक डिविडेंड अधिक देने की स्थिति में कंपनी एक्सेस कैपिटलाइजेशन अर्थात अति पूंजीकरण में जा सकती है।
- कंपनी को शुरू में अपने शेयर होल्डर्स को कम दर पर ही डिविडेंड देना चाहिए। इससे कंपनी की फाइनेंशियल पोजीशन बेहतर होती है।
- डिविडेंड का भुगतान केवल अर्जित लाभ से ही किया जाना चाहिए। बहुत साल से लाभ हानि खाते में नुकसान की स्थिति में पहले उसे राइट आफ किया जाना चाहिए।
स्टाक मार्केट, शेयर, डिविडेंड आदि के विषय में जानकारी आवश्यक
हमारे देश में वित्तीय साक्षरता बेहद कम है। खास कर लोग स्टाक मार्केट, शेयर, डिविडेंड आदि के बारे में बहुत कम जानते हैं। जो लोग मार्केट में इन्वेस्ट कर रहे हैं, केवल वे ही इसकी टर्म से परिचित होते हैं। जबकि अच्छा इन्वेस्टमेंट कमाई का एक बेहतर जरिया साबित होता है।
आवश्यकता इस बात की है कि आप भी समय की गति को पहचानकर अपना वित्तीय ज्ञान बढ़ाएं, ताकि कोई भी आपको वित्तीय निरक्षर कहकर आपका उपहास न कर सके। एक सर्वे के अनुसार 35 से 45 वर्ष के लोग शेयर मार्केट, स्टाक मार्केट आदि में अधिक दिलचस्पी रखते हैं, जबकि एक औसत युवा अमूमन 25 वर्ष से पहले कमाना शुरू कर देता है।
ऐसे में उसे वित्तीय जानकारी से जरूर लैस रहना चाहिए, ताकि वह बाजार की गति को भांप सके। यह वक्त की मांग है। वरना हमारे यहां तो स्थिति यह है कि बीकाम, एमकाम करने के पश्चात भी छात्र छात्राओं को बाजार की वांछनीय जानकारी नहीं होती। शिक्षा के व्यावहारिक न होने की वजह से उनका ज्ञान केवल किताबी रह जाता है। वे अपने ज्ञान का इस्तेमाल अपने जीवन को बेहतर बनाने में नहीं कर पाते। वे केवल नौकरी के लिए पढ़ते हैं।
किंतु इन दिनों आन द जाॅब रहते हुए पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स के लिए दूसरों की अपेक्षा बेहतर नौकरी के चांस रहते हैं। ऐसे में शेयर, डिविडेंड आदि से जुड़ी जानकारी आपके टिप्स पर होनी चाहिए। जानकारी रखने वाले का सभी स्थानों पर सम्मान होता है। यह तो आपने सुना ही होगा।
डिविडेंड कब मिलता है?
डिविडेंड कंपनी को लाभ होने की स्थिति में मिलता है।
डिविडेंड का क्या अर्थ है?
डिविडेंड का अर्थ लाभांश है। कंपनी लाभ से शेयर होल्डर्स को उनके अंश का भुगतान करती हैं। इसे ही लाभांश अथवा डिविडेंड पुकारा जाता है।
शेयर मार्केट में डिविडेंड का मतलब क्या होता है?
जब आप शेयर मार्केट में किसी सामान्य स्टाक में निवेश करते हैं तो उसकी कीमत बढ़ने पर कंपनी शेयर धारकों को लाभांश का भुगतान करती है।
डिविडेंड पॉलिसी क्या है
कंपनी जिन नियमों, सिद्धांतों के आधार पर लाभांश का वितरण करती है, उसे लाभांश नीति कहा जाता है।
डिविडेंड का भुगतान कहां से किया जाता है?
डिविडेंड का भुगतान कंपनी के अर्जित लाभ से किया जाता है।
हमने आपको डिविडेंड अर्थात लाभांश के संबंध में उपयोगी जानकारी विस्तार से जानकारी प्रदान की। आशा करते हैं आप डिविडेंड को भली भांति समझ गए होंगे। इस समय लोगों में वित्तीय जागरूकता की बेहद आवश्यकता है। आप डिविडेंड क्या होता है? डिविडेंड कितने प्रकार के होते हैं? को अधिक से अधिक शेयर करें, ताकि जो लोग डिविडेंड के विषय में अधिक नहीं जानते हैं, वे भी लाभान्वित हो सकें। धन्यवाद।