Diwali kab hai 2024, भारत सहित दुनियाभर में दीपावली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम के साथ आयोजित किया जाता हैं। इस दिन हर भारतीय परिवार में एक अलग ही उमंग देखने को मिलती हैं। हिंदू धर्म में दीपावली का त्यौहार सबसे बड़ा और मुख्य त्यौहार (Diwali kyu manaya jata hai) माना जाता हैं। यह त्यौहार उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक और पूर्व से लेकर पश्चिम भारत तक उसी जोश और उल्लास के साथ मनाया जाता हैं। साथ ही दुनिया के अलग अलग देशों में रहने वाले हिंदू परिवार भी दीपावली का त्यौहार बहुत ही जोश के साथ मनाते हैं।
इस बार की दीपावली अर्थात वर्ष 2024 की दीपावली तो और भी ज्यादा खास रहने वाली हैं। वह इसलिए क्योंकि इस बार की दीपावली एक दिन की नही बल्कि दो दिनों की रहने वाली हैं। ऐसे में सभी और इसका जोश पहले से ही देखने को मिल रहा हैं। ऐसे में आज (Diwali kyu banate hain) हम आपको वर्ष 2024 में दीपावली किस दिन पड़ रही हैं, उसके बारे में विस्तार से बताने वाले हैं।
इसी के साथ आपके मन में यह जानने की इच्छा भी हो रही होगी कि आखिरकार दीपावली का त्यौहार क्यों मनाया जाता हैं और इस दिन क्या हुआ (Diwali kaise banate hain) था जो हर किसी के मन में इतना जोश रहता हैं। इसी कारण आज हम आपके साथ दीपावली मनाने का कारण भी साँझा करेंगे। अंत में हम आपको बताएँगे कि दीपावली का त्यौहार किस प्रकार मनाया जाता हैं। तो आइए एक एक करके इन सभी बातों के बारे में विस्तार से चर्चा कर लेते हैं ताकि कोई भी जानकारी अधूरी ना रह जाए।
दीपावली कब है | 2024 दीपावली कैसे मनाई जाती हैं? दीपावली कथा
सबसे पहले हम दीपावली के बारे में कुछ मूलभूत बाते जान लेते हैं। उसके बाद हम इसकी तिथि के बारे में जानेंगे। तो दीपावली हिंदू धर्म के सबसे मुख्य त्यौहार इसलिए कहें क्योंकि इस दिन हमारे आराध्य और भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्री राम अपने चौदह वर्ष के कठिन वनवास के पश्चात पुनः अयोध्या लौटे थे। जिस दिन वे अयोध्या लौटे थे उस दिन कार्तिक मास की अमावस्या की रात थी और चारों ओर अंधकार का वातवरण था। ऐसे में अयोध्या के लोगों ने पूरी अयोध्या को दीयों की रोशनी से जगमग कर दिया था।
यही कारण हैं कि तब से लेकर आज तक हर भारतवासी श्रीराम के पुनः अयोध्या आगमन की खुशी में दीपावली का पर्व उसी उल्लास व जोश के साथ मनाता आया हैं। यह हर बार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन आती हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह दिन अक्टूबर या नवंबर माह के बीच में पड़ता हैं। इस दिन हर भारतवासी अपने लिए नए वस्त्र खरीदता हैं, एक दूसरे को बधाई देता हैं और आतिशबाजी करता हैं। हर किसी के मन में दीपावली को लेकर जो जोश रहता हैं, उसकी तुलना शायद ही किसी अन्य पर्व से की जा सकती हो।
दीपावली कब है 2024 (Diwali kab hai 2024)
अब यदि आप इस वर्ष अर्थात वर्ष 2024 की दीपावली कब आने वाली हैं, या फिर यह किस दिन पड़ेगी, इसके बारे में जानने को इस लेख पर आये हैं तो आज हम आपको यह पहले से ही स्पष्ट कर दे कि इस बार का दीपावली का त्यौहार दो दिन के लिए पड़ रहा हैं। ऐसा इसलिए होता हैं क्योंकि हिंदू धर्म में दिनों की तिथि और समय काल ग्रहों की चाल के अनुसार निर्धारित किया जाता हैं। उसका अंग्रेजी कैलेंडर से कोई संबंध नही होता हैं और ना ही उनके द्वारा निर्धारित किये गए 24 घंटों के समय काल से।
तो आपने यह तो जान लिया कि दीपावली का पर्व हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता हैं तो इस बार की कार्तिक मास की अमावस्या (Diwali kab aaegi) का दिन 24 अक्टूबर की संध्या से शुरू होकर 25 अक्टूबर की संध्या तक रहने वाला हैं। तो इस तरह से देखा जाए तो दीपावली का त्यौहार 24 और 25 अक्टूबर दोनों दिन ही मनाया जाएगा।
दरअसल कोई भी दिन हिंदू धर्म में उस दिन के प्रदोष काल के (Diwali kab manaya jata hai) समय से शुरू होता हैं। तो धनतेरस तो कार्तिक मास की त्रयोदशी के दिन आती हैं जो 23 अक्टूबर की शाम 6 बजे के पास समाप्त हो जाएगी। उसके बाद चतुर्दशी का दिन शुरू होगा जो 23 अक्टूबर की शाम 6 बजे से शुरू होकर अगले दिन अर्थात 24 अक्टूबर की शाम 6 बजे तक रहेगा।
उसके बाद अमावस्या के दिन का प्रदोष काल शुरू हो जाएगा। तो इस तरह से 24 अक्टूबर की शाम 6 बजे के पास दीपावली के पर्व की शुरुआत हो जाएगी जिसकी समाप्ति अगले दिन अर्थात 25 अक्टूबर की शाम 6 बजे तक रहेगी। तो इस तरह से दीपावली का त्यौहार वर्ष 2024 में 24 अक्टूबर की शाम 6 बजे से शुरू होकर अगले दिन अर्थात 25 अक्टूबर की शाम 6 बजे तक रहेगा।
तो इस इस तरह से आप दीपावली का त्यौहार कुल दो दिनों तक बना सकते हैं। हालाँकि दीपावली की जो रात्रि कही जाएगी वह 24 अक्टूबर की रात्रि ही होगी और उसी दिन अमावस्या होगी। तो दीपावली के लिए जो तिथि निर्धारित की गयी हैं वह मुख्य रूप से 24 अक्टूबर की रात्रि हो होगी, ना कि 25 अक्टूबर की रात्रि क्योंकि उस समय तक प्रदोष काल समाप्त हो चुका होगा। तो आप भी अपना दीपावली का त्यौहार 24 अक्टूबर को ही मनाएंगे तो ज्यादा उचित रहेगा।
दीपावली क्यों मनाते हैं? (Diwali kyu manaya jata hai)
अब हम बात करेंगे कि दीपावली पर्व को मनाने का क्या कारण होता हैं और उस दिन ऐसा क्या हुआ था जो हम हिंदू धर्म के अनुयायी उसे आज तक उसी उमंग के साथ मनाते आ रहे हैं। इसके लिए आपको दीपावली से जुड़ी कथा या इतिहास का जानना आवश्यक हो जाता हैं। यदि आप दीपावली का इतिहास और इसकी महत्ता को जान जाएंगे तो अवश्य ही आपको इसके मनाने के पीछे उमंग का पता चल जाएगा।
तो आप सभी भगवान विष्णु के लोकप्रिय अवतार और हम सभी के आदर्श भगवान श्री राम को तो जानते ही होंगे और सभी को उनका राम राज्य भी याद होगा। तो जब राजा दशरथ के द्वारा अयोध्या के राज सिंहासन का पद त्याग करने का निर्णय लिया गया और उनके बाद श्री राम का राज्याभिषेक करने का निर्णय घोषित हुआ तो चारों ओर हर्ष छा गया। यह बात दशरथ की दूसरी और प्रिय रानी कैकयी की दासी मंथरा को बिल्कुल सहन ही हुई और उसने एक ऐसा षड़यंत्र रचा कि उसकी चपेट में अयोध्या का पूरा राज परिवार आ गया।
उस षड़यंत्र के तहत कैकयी के पुत्र भरत को अयोध्या का महाराज घोषित कर दिया गया और श्रीराम को चौदह वर्ष का वनवास हो गया। श्रीराम के साथ वन में उनकी धर्म पत्नी माता सीता और उनके छोटे भ्राता लक्ष्मण भी साथ में गए। यह समाचार सुनकर अयोध्या की प्रजा में हाहाकार मच गया और उसके बाद शुरू हुई चौदह वर्ष की कठिन प्रतीक्षा। अयोध्या की प्रजा ने चौदह वर्ष का हर एक दिन श्री राम की वापस आने की प्रतीक्षा की।
इसी बीच श्री राम ने सब सुख सुविधाओं से दूर रह कर चौदह वर्ष वनों में विचरण किया और इस धरती को राक्षस विहीन कर दिया। उन्होंने भारत भूमि में राक्षसों का पूर्ण रूप से संहार कर दिया और ऋषि मुनियों को सुरक्षित भूमि प्रदान की। यही नही, उन्होंने राक्षसों के राजा दुष्ट रावण का भी सेना सहित वध कर दिया और उसका साम्राज्य समाप्त कर दिया। इसके बाद जब चौदह वर्ष का समयकाल समाप्त होने को आया और उसका अंतिम दिन आ गया तब उन्होंने पुनः अयोध्या लौटने का निर्णय लिया।
इसके लिए लंका के नव निर्वाचित महाराज विभीषण ने अपना पुष्पक विमान श्री राम को दिया और श्रीराम उस पर अपने सभी भाई बंधु समेत अयोध्या की ओर निकल पड़े। श्री राम ने अपने पहुँचने से पहले ही भक्त हनुमान को यह संदेश लेकर अयोध्या जाने को कहा कि वे भरत को बता दे कि श्रीराम अयोध्या लौट रहे हैं। यह समाचार सुनते ही भरत तो मानो तो पागल से ही हो गए और उन्होंने हर ओर यह घोषणा कर दी कि श्री राम अयोध्या लौट रहे हैं।
जिस दिन श्री राम को अयोध्या वापस लौटना था, वह दिन कार्तिक मास की अमावस्या की रात थी और चारों ओर अंधकार छाया हुआ था। किंतु जैसे ही यह समाचार अयोध्या की प्रजा तक पहुंचा तो सभी की प्रतीक्षा का मानो अंत सा हो गया। उसी पल से ही अयोध्या को दुल्हन की तरह सजा दिया गया। अयोध्या का राजमहल सहित हर घर स्वच्छ कर दिया गया, हर गली को साफ कर दिया गया, रास्ते से सब गंदगी हटा दी गयी, सब जगह सजावट कर दी गयी।
सभी लोगों ने अपने लिए नए वस्त्र ख़रीदे और उन्हें पहना। अंधकार को दूर करने के लिए हर घर को दीयों की रोशनी से सजा दिया गया। उस अमावस्या की काली रात में भी अयोध्या के राजमहल सहित हर घर रोशनी से नहा उठा था। श्री राम जिस रास्ते से चलकर आने वाले थे, उसे पुष्पों से सजाकर अलग रूप दिया गया। हर कोई अपने चेहरे पर खुशी लिए इधर उधर पागलों की भांति घूम रहा था और सब तैयारियां कर रहा था।
इसके बाद जैसे ही श्री राम पुष्पक विमान से अयोध्या की धरती पर उतरे तो चारों ओर हाहाकार मच गया। उनकी एक झलक पाने को अयोध्यावासी लालायित हो उठे। हर किसी के आँख में खुशी के आंसू थे और मन में हजारों तरंगे उठ रही थी। बस उस दिन की खुशी ऐसी थी कि इसने एक पर्व का रूप ले लिया। तब से लेकर आज तक हजारों हज़ार वर्ष बीत चुके हैं लेकिन आज भी दीपावली की रात्रि आने से पहले हर भारतीय घर स्वच्छ हो जाता हैं, गंदगी हट जाती हैं और हर जगह दीयों की रोशनी हो जाती हैं।
दीपावली कैसे मनाई जाती हैं? (Diwali kaise banate hain)
अभी तक आपने यह जान लिया हैं कि वर्ष 2024 में दीपावली का त्यौहार कब पड़ रहा हैं और इसको मनाने के पीछे का क्या कारण हैं। अब जब आप यह जानना चाह रहे हैं कि इस दिन को किस तरह से मनाया जाता हैं या इस दिन आपको क्या कुछ करना चाहिए तो अब हम आपके साथ वही साँझा करने वाले हैं। दरअसल दीपवाली केवल आतिशबाजी का ही त्यौहार नही हैं बल्कि इस दिन कई और कार्य भी किये जाते हैं।
बहुत से लोग इस दिन को केवल पटाखे फोड़ने (Diwali kaise manaye) का पर्व ही मानते हैं जबकि ऐसा नही हैं। दीपावली के दिन की तैयारियां तो बहुत पहले से ही शुरू हो जाती हैं। ऐसे में आइए जाने दीपावली का त्यौहार किस तरह से मनाया जाता हैं ताकि आप भी उसी परंपरा के अनुसार इस त्यौहार को मना सके।
- इस दिन सबसे पहले तो आपको अपने घर दुकान की अच्छे से सफाई करनी होगी। अब आप सोच रहे होंगे कि सफाई तो आप रोजाना ही करते हैं या अपने यहाँ आने वाली कामवाली बाई से सफाई करवाते ही तो हैं। किंतु दीपावली की सफाई यूँ ही नही होती हैं बल्कि उस दिन पूरे घर और दुकान की हर एक चीज़ की बारीकी से और हर चीज़ की सफाई की जाती हैं। जो चीज़े वर्षभर साफ नही की जाती हैं, उन्हें भी साफ किया जाता हैं।
- ऐसे में आपको हर एक उस चीज़ को साफ करना होगा जिसकी सफाई आप बहुत ही कम करते हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो दीपावली की सफाई कुछ इस तरह से की जाती हैं कि घर में कही भी गंदगी या धूल ना रहे और पूरा घर नए जैसा चमकता हुआ नज़र आये।
- इसके बाद आपको दीपावली के पकवान बनाने शुरू कर देने चाहिए। दीपावली के पकवान में बहुत सारी चीज़े आती हैं जैसे कि मट्ठी, सवाली, शकरपारे, दही भल्ले, हलवा इत्यादि कई तरह की चीज़े। यह चीज़े या व्यंजन राज्य व जाति के अनुसार अलग अलग हो सकते हैं लेकिन हर किसी के घर में दीपावली के पकवान बनना बहुत पहले से ही शुरू हो जाते हैं।
- दीपावली की शॉपिंग करना भी दीपावली को मनाने में ही आता हैं। इसकी शुरुआत दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस के दिन से ही शुरू हो जाती हैं। लोग अपने लिए नए कपड़े खरीदते हैं, नए बर्तन लिए जाते हैं, नयी झाड़ू ली जाती हैं और यहाँ तक कि नए आभूषण या गहने भी उसी दिन ही ख़रीदे जाते हैं। दीपावली के दिन नए वस्त्र पहनने की परंपरा हैं क्योंकि इन्हीं के साथ श्री राम का स्वागत किया जाता हैं।
- दीपावली की शॉपिंग में घर की साजो सज्जा का सामान भी प्रमुखता के साथ लिया जाता हैं। इसमें आप अपने घर को किस तरह से सजाने वाले हैं और किस जगह पर क्या कुछ लगाने वाले हैं, यह बहुत ही मायने रखता हैं। हर किसी के बीच यह होड़ लगी रहती हैं कि वह अपने घर को कितनी सुंदर और सही से सजाता हैं। इससे आपके मन में भी एक नयी उमंग देखने को मिलती हैं।
- दीपावली के लिए पटाखे खरीदना भी बिल्कुल मत भूलिए। हालाँकि आज के समय में सर्वोच्च न्यायालय और कई धर्म विरोधी सरकारों के द्वारा पटाखों पर बैन लगाया जा रहा हैं और वह भी प्रदूषण के नाम पर लेकिन उनके द्वारा पर्यावरण को हानि पहुँचाने वाले अन्य बड़े मुद्दों पर कुछ नही किया जाता हैं। तो उनके दोहरे मापदंड को दरकिनार करते हुए आप दीपावली के पटाखे ख़रीदे और बड़ी ही धूमधाम के साथ यह पर्व बनाए।
- दीपावली के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर ले और सब नित्य कार्य निपटा ले। उसके बाद घर में सभी बड़ों के चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद ग्रहण करें और अपने से छोटो को आशीर्वाद दे। दीपावली के दिन की शुरुआत कुछ ऐसी ही होनी चाहिए। यही हमारे समाज की परंपरा रही हैं।
- उसके बाद आप नए वस्त्रों को धारण कर भगवान की पूजा करें। इस दिन आप अपनी माता के काम में सहायता भी करवाए क्योंकि उस दिन बहुत सारा काम होता हैं जो आपको करना चाहिए। साथ ही बाहर के काम में अपने पिता जी की सहायता करवाए।
- फिर संध्या के समय जब भी दीपावली की पूजा का समय हो तब सब पूजा सामग्री लाकर माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती, भगवान गणेश की पूजा करें। पूरी श्रद्धा भाव से तीनों की आरती व पूजा करें। दीपावली की पूजा करने के बाद ही भोजन ग्रहण किया जाता हैं। इसलिए पहले पूजा करें और उसके बाद ही भोजन ग्रहण करें।
- भोजन ग्रहण करने के बाद एक दूसरे को बधाई दे और आतिशबाजी शुरू कर दे। पटाखे बजाते समय पूरी सावधानी बरते और यदि घर में बच्चे हैं तो उनका भी पूरा ध्यान रखे। दीपावली पर महिलाओं को भी अपने कपड़ों को ध्यान से रखना चाहिए ताकि उनमे आग ना लगने पाए।
- दीपावली के लिए जो दिए जलाए गए हैं, उन्हें अपने घर के हर कोने में सजाये और दीपावली के दिन को रोशनी से भर दे। दीपावली के दिन की जाने वाली पूजा और हर जगह सजाये जाने वाले दिए ही सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। यही इस दिन की मुख्य परंपरा हैं। इसलिए किसी भी स्थिति में यह दो चीज़ बिल्कुल ना भूले।
- तो बस इसी तरह से आपके द्वारा दीपावली का त्यौहार सेलिब्रेट किया जाएगा। इस दिन को पूरे जोश के साथ मनाएंगे तो ज्यादा बेहतर रहेगा। साथ ही मन में किसी भी तरह का बैर भाव ना आने दे और सभी के साथ खुशी खुशी इस त्यौहार का आनंद ले।
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प्रश्न: दिवाली कब है 2024 में जानकारी?
उत्तर: 2024 में दिवाली का त्यौहार 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
प्रश्न: दीपावली के 5 दिन कौन से हैं?
उत्तर: दीपावली के 5 दिन धनतेरस, छोटी दिवाली, दिवाली, गोवर्धन पूजा व भाई दूज होते हैं।
प्रश्न: दिवाली को हिंदी में क्या बोलते हैं?
उत्तर: दिवाली को हिंदी में दीपोत्सव भी बोलते हैं।
प्रश्न: दिवाली में क्या बोला जाता है?
उत्तर: दिवाली में शुभ दीपावली बोला जाता है।
तो इस तरह से आज आपने जाना कि दीपावली का त्यौहार किस तरह से मनाया जाता हैं और इस दिन क्या कुछ किया जाता हैं। यह हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्यौहार हैं जिस दिन हर कोई अपने लोगों के साथ खुशियों के पल व्यतीत करता हैं। तो आप भी पीछे ना रहे और पूरी उमंग के साथ यह त्यौहार मनाये।