रुपया क्यों गिर रहा है? रुपए में गिरावट का क्या अर्थ है? रुपए में गिरावट का क्या प्रभाव पड़ता है?

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हमारे देश की मुद्रा रुपया एक बार फिर डालर के आगे धराशाई है। अक्टूबर के माह में कई बार यह 82 के रिकार्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। आपके मन में भी आता होगा कि आखिर यह रुपया क्यों गिर रहा है? रुपए में गिरावट का क्या अर्थ है? रुपए में गिरावट का क्या प्रभाव पड़ता है? यदि आपको इन सब सवालों के जवाब चाहिए तो आप बिल्कुल सही जगह पर हैं। आज हम आपको इस पोस्ट के जरिए रुपए के गिरने से जुड़े सभी पहलुओं पर जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-

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रुपया क्या है? (What is rupee?)

दोस्तों, इससे पूर्व कि हम रुपए के गिरने से संबंधित अन्य पहलुओं पर बात करें, आइए, सबसे पहले यह जान लेते हैं कि रुपया क्या है? (what is rupee?) मित्रों, आपको बता दें कि रुपया यानी अंग्रेजी का रुपी (rupee), भारतीय मुद्रा (indian currency) का प्रचलित नाम है। मित्रों, यह तो आप जानते ही होंगे कि प्रत्येक देश की मुद्रा अलग अलग होती है, लेकिन ऐसे कई देश हैं, जिनकी मुद्रा भी रुपया ही हैं। ये देश हैं-

नेपाल (Nepal), इंडोनेशिया (Indonesia), पाकिस्तान (pakistan), मालदीव (Maldives), श्रीलंका (srilanka) एवं मॉरीशस (Mauritius) आदि। मित्रों, यदि बात इतिहास की करें तो अफगानिस्तान (Afghanistan), तिब्बत (Tibet) आदि की पूर्व मुद्रा (ex currency) भी रुपया ही होती थी। इतिहास से जुड़े बहुत से ऐसे साक्ष्य हैं, जो इस संबंध में प्रमाण पेश करते हैं।

रुपया क्यों गिर रहा है? रुपए में गिरावट का क्या अर्थ है? रुपए में गिरावट का क्या प्रभाव पड़ता है?

रुपए में गिरावट का क्या मतलब होता है? (What is the meaning of fall in rupee?)

इन दिनों हर किसी की जुबान पर रुपए में गिरावट की बात है। रुपया डालर (dollar) के मुकाबले 82.29 रुपए के रिकॉर्ड निचले स्तर तक दर्ज किया जा चुका है। अब आप यह जरूर सोच रहे होंगे कि रुपए में यदि गिरावट आ रही है तो इसका क्या मतलब है?

मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि जब रुपए की कीमत (value of rupee) डालर (dollar) की तुलना में कम हो जाती है तो इसे रुपए में गिरावट (fall in rupee) की संज्ञा दी जाती है। इसका मतलब यह होता है कि अब आपको एक डालर के मुकाबले अधिक रुपए चुकाने होंगे।

रुपया क्यों गिर रहा है? (Why rupee is falling?)

दोस्तों, अब जान लेते हैं कि रुपया क्यों गिर रहा है? यह तो आप जानते हैं कि देश के साथ ही अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों का भी असर किसी देश की मुद्रा पर पड़ता है। हाल ही में महंगाई पर काबू पाने की अपनी कोशिशों में अमेरिकी सेंट्रल बैंक (America Central Bank) यूएस फेडरल रिजर्व (us federal reserve) ने लगातार तीसरी बार ब्याज दरों (interest rates) में बढ़ोतरी की। यह बढ़ोतरी 0.75% की थी। ब्याज दरें बढ़ाकर 3-3.2 फीसदी कर दी गई। यूएस फेड ने आने वाली बैठक में भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी के संकेत दिए हैं।

इस आक्रामक तरीके से ब्‍याज दरों में बढ़ोतरी से दुनियाभर की मुद्रा यानी करेंसी (currency) कमजोरी होंगी, यह तय था।
पहले यह लग रहा था कि रिजर्व बैंक आफ इंडिया (RBI) रुपए को 80 के आसपास स्थिर (stable) करने की कोशिश करेगा, लेकिन, अब ऐसा नहीं लगता।

जिस तरह के वैश्विक यानी ग्‍लोबल (global) हालात हैं, जैसे- रूस, यूक्रेन युद्ध आदि, उन्हें देखते हुए केवल एक लेवल तक ही करेंसी को मैनेज किया जा सकता है। इसके बाद इसे मैनेज करने के लिए आपको अपने फॉरेक्‍स रिजर्व देने पड़ते हैं। सरकार अभी इससे बच रही है। ऐसे में रुपया गिर रहा है।

भारतीय मुद्रा रुपए की तुलना डालर से क्यों होती है? (Why indian currency rupee is compared to dollar?)

भारतीय मुद्रा रुपए की तुलना डालर से ही क्यों होती है? यदि आप इस सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो आपको बता दें कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि, अमेरिकी डालर (american dollar) को वर्ल्ड करेंसी (world currency) यानी वैश्विक मुद्रा का दर्जा हासिल है। अधिकांश देशों को अपने आयात के बिल (import bills) डालर में ही चुकाने होते हैं।

दूसरी बात यह है कि अंतरराष्ट्रीय बैंकों (international banks) में डालर की विदेशी मुद्राओं (foreign currencies) की तुलना में हिस्सेदारी 64 प्रतिशत से भी अधिक है। इसके अलावा 85 प्रतिशत से भी अधिक अंतरराष्ट्रीय व्यापार (international trade), जिसमें कच्चा तेल (crude oil) भी शामिल है, अमेरिकी डालर में ही किया जाता है। इसके अतिरिक्त इंटरनेशनल लेवल (international level) पर करीब 40 फीसदी लोन डालर में मंजूर हैं।

रुपए का अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर होने/गिरने का क्या अर्थ है? (What does it mean by Indian rupee falling against dollar? )

मित्रों, अब हम आपको जानकारी देंगे कि रुपए के अमेरिकी डालर के मुकाबले कमजोर होने का क्या अर्थ है? मान लीजिए कि हम अमेरिका के साथ कुछ कारोबार कर रहे हैं। डालर का भाव 80 रुपए है। हमारे पास 80 हजार रुपए हैं और अमेरिका के पास 1 हजार डालर। इसका अर्थ है कि दोनों के पास बराबर रकम है। ऐसे में यदि हमें अमेरिका से कोई चीज मंगानी है, तो हमें अधिक खर्च करना होगा।

यह आप भी जानते होंगे कि हमारे यहां से आयात (import) अधिक होता है और निर्यात (export) कम। ऐसी स्थिति में भारतीय रिजर्व बैंक (Indian reserve Bank) यानी आरबीआई (RBI) अपने भंडार (reserve) एवं विदेश से डालर खरीदकर बाजार में इसकी आपूर्ति (supply) सुनिश्चित करता है।

रुपए की कीमत पर किन किन चीजों का प्रभाव पड़ता है? (What makes impact on the value of rupee?)

दोस्तों, सबसे पहले यह साफ कर दें कि रुपए की कीमत कभी भी किसी एक चीज पर निर्भर नहीं रहती। रुपया कभी आर्थिक हालात (economic condition) के साथ ही देश के राजनीतिक हालात (political condition) से भी प्रभावित होता है। रुपए की कीमत इसकी मांग एवं पूर्ति (demand and supply) के साथ ही आयात एवं निर्यात (import and export) से भी प्रभावित होती है। वैश्विक अनिश्चितता के चलते विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (foreign portfolio investors) स्टाक एवं बांड मार्केट (stock and bond market) से पैसा निकालने लग जाते हैं।

यह तो आप जानते ही हैं कि प्रत्येक देश के पास उस विदेशी मुद्रा (foreign currency) का भंडार होता है, जिसमें वह लेन-देन (transaction) करता है। इस विदेशी मुद्रा का भंडार घटने एवं बढ़ने से ही उस देश की मुद्रा की गति तय होती है। अब विदेशी मुद्रा का भंडार कम होगा और इसकी मांग अधिक होगी तो निश्चित रूप से उसकी कीमत बढ़ेगी।

रुपए में गिरावट का देशवासियों पर क्या असर हो रहा है? (What is the impact of fall in rupee on countrymen?)

रुपए की गिरती कीमत का देशवासियों पर क्या असर हो रहा है? यह आज के परिदृश्य में एक बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है। आपको बता दें दोस्तों कि रुपए के गिरने से देशवासी महंगाई की मार झेल रही हैं। जैसे कि इसकी वजह से देश के बाहर से आने वाला सामान क्रूड आयल, इलेक्ट्रानिक सामान, उर्वरक आदि महंगा पड़ रहा है। इसके अतिरिक्त विदेश शिक्षा, विदेश यात्रा, विदेश में कार्यक्रम आदि सभी कुछ महंगा हो गया है।

आरबीआई महंगाई से लोहा लेने के लिए अपनी मानिटरी पालिसी (monetary policy) की समीक्षा कर ब्याज दरें बढ़ा चुका है। लोगों के लोन की ईएमआई (emi of loan) महंगी हो चुकी है। विभिन्न वस्तुओं की थोक एवं फुटकर (whole sale and retail) कीमतें लगातार उछाल भर रही हैं। आलम यह है कि आज देश में लोगों को दूध, दही, आटा जैसी आवश्यक वस्तुओं के साथ ही पैक्ड परांठों तक पर टैक्स चुकाना पड़ रहा है। रुपए का गिरता स्तर हरेक के लिए चिंता की बात है।

क्या रुपए में गिरावट से किसी वर्ग को लाभ भी होगा? (Is there any class who will get benefit from fall in rupee?)

मित्रों, रुपए में गिरावट से क्या हमेशा नुकसान होता है? क्या इससे किसी वर्ग को कोई लाभ भी होगा? यदि हम इस सवाल का जवाब ढूंढें तो हम पाएंगे कि डालर के मुकाबले रुपए के गिरने से कई पक्षों को लाभ भी होता है। जैसे- भारत से विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात करने वाले लोगों को इससे लाभ होगा। यह तो आप भी जानते होंगे

दोस्तों कि भारत से बहुत सी चीज़ें विदेशों को निर्यात (export) की जाती हैं, जैसे-चाय, कॉफी, कलपुर्जे, चावल, मसाले, सी प्रॉडक्ट, मीट आदि। रुपए में गिरावट से इन लोगों को निश्चित रूप से लाभ होगा। लेकिन हकीकत यह है कि भारत देश का निर्यात (export) उसके आयात (import) की अपेक्षा काफी कम है।

हमारा व्यापार घाटा (trade deficit) घटने के स्थान पर और बढा है। एक रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष (financial year) 2024-2024 में हमारे देश भारत का करेंट एकाउंट डेफिसिट (current account deficit) बढ़ने की आशंका है। इस आशंका ने हमारे देश के अर्थशास्त्रियों एवं वित्त विशेषज्ञों को चिंता में डाला हुआ है।

हमारे देश में वित्तीय जागरुकता की क्या स्थिति है? (What is the condition of financial awareness?)

मित्रों, हमने रुपए के गिरने के संबंध में आपसे महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। लेकिन यदि बात लोगों की वित्तीय जागरूकता (financial awareness) की करें तो उनमें अभी इस तरह की जागरूकता की बहुत कमी है। यद्यपि ऐसी बहुत सी संस्थाएं हैं जो वित्तीय जागरुकता को लेकर अभियान चला रही है। वे स्कूली छात्र छात्राओं को अपने से जोड़ रही हैं।

इसके अलावा विभिन्न शहरों में जाकर कार्यशालाओं (workshops) आदि का आयोजन कर रही हैं। लेकिन फिर भी अभी इससे इतना फर्क नहीं आया है कि लोगों में पूरी तरह से वित्तीय जागरुकता आ सके। अब कई तरह के स्टार्ट अप (start-up) भी क्षेत्र में उतर गए हैं। उनका मकसद यही है कि लोग अपने पैसे के बारे में जानें। अपने पैसे को ढंग से उपयोग करें। क्योंकि, जिस तरह से रुपया गिर रहा है और महंगाई बढ़ रही है उन्हें अपने खर्चों को नए सिरे से देखने और अपने लिए ठीक से बजट बनाने की बेहद जरूरत है।

अभी जिन लोगों के पास पैसा है, उनमें से ढेरों लोग ऐसे हैं, जो यह भी नहीं जानते कि वह उसका निवेश किस तरह से करें कि उन्हें अधिक से अधिक रिटर्न उससे मिल सके। उनकी सोच केवल प्रॉपर्टी में निवेश (investment in property) तक शामिल है या बहुत सारे लोग तुरंत रिटर्न (return) की उम्मीद में शेयर बाजार (share market) में पैसा लगा देते हैं। लेकिन पर्याप्त जानकारी के अभाव में उनका पैसा डूब जाता है। इसलिए वित्तीय जागरूकता प्रत्येक इंसान में होनी बेहद आवश्यक है।

रुपया क्या होता है?

रुपया भारत समेत कुछ अन्य देशों जैसे पाकिस्तान, इंडोनेशिया, नेपाल, सेशेल्स आदि की मुद्रा का प्रचलित नाम है।

रुपए की तुलना डालर से ही क्यों की जाती है?

डालर को वैश्विक मुद्रा का दर्जा हासिल है इसलिए रुपए की तुलना डालर से की जाती है।

रुपया गिरने का क्या अर्थ है?

रुपया गिरने का अर्थ डालर के मुकाबले रुपए की कीमत में आई कमी है।

रुपया गिरने का क्या नुकसान है?

इससे हमें विदेश से आयात के लिए अधिक मुद्रा का भुगतान करना पड़ता है।

हाल ही में रुपए ने कितनी गिरावट दर्ज की है?

हाल ही में रुपया डालर के मुकाबले 82.29 के रिकार्ड निचले स्तर पर जा पहुंचा था।

रुपए में गिरावट के लिए कौन से कारण जिम्मेदार हैं?

इसके लिए आर्थिक एवं राजनीतिक दोनों ही प्रकार के हालात जिम्मेदार हैं।

क्या रुपए में गिरावट हमेशा नुकसानदायक होती है?

जी नहीं, यह सबके लिए नुकसानदायक नहीं होती। इससे निर्यातकों को लाभ होता है।

भारत में निर्यात की क्या स्थिति है?

भारत से चावल, मसाले, कलपुर्जे, चाय-कॉफी, सी प्रोडक्ट, मीट आदि का निर्यात अन्य देशों में होता है।

भारत में आयात निर्यात की क्या स्थिति है?

भारत के आयात के मुकाबले उसका निर्यात काफी कम है।

रुपए में गिरावट को रोकने के लिए आरबीआई किस प्रकार के कदम उठाता है?

रुपए में गिरावट को रोकने के लिए आरबीआई मानिटरी पालिसी की समीक्षा करके ब्याज दर बढ़ाने जैसे कदम उठाता है।

आरबीआई के ब्याज दरें बढ़ाने से आम देशवासियों पर क्या असर पड़ता है?

इससे उनके लोन की ईएमआई महंगी हो जाती है।

दोस्तों, हमने इस पोस्ट (post) में आपको रुपया क्यों गिर रहा है? इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की। उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए बहुत उपयोगी साबित होगी। यदि आप आगे भी इसी प्रकार की जानकारीपरक पोस्ट हमसे चाहते हैं तो उसके लिए हमें नीचे दिए गए कमेंट बाक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके बता सकते हैं। ।।धन्यवाद।।

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प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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