दशहरा कब और क्यों मनाया जाता है? दशहरे की शुभकामनाएं कैसे दें? दशहरा के संदेश

दशहरे की धमक देश भर में सुनाई पड़ने लगी है। चारों और रावण के पुतले सजने लगे हैं। विजयादशमी यानी दशहरे के दिन इन सभी को अग्नि के हवाले कर दिया जाएगा। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस मौके पर लोग एक दूसरे को शुभकामना संदेश भेज कर उनके लिए अच्छाई की कामना करते हैं। हमारे गैजेट्स कितने भी नए और आधुनिक क्यों ना हो गए हों, लेकिन संदेशों का आदान प्रदान इनके जरिए आज भी बदस्तूर जारी है। दशहरा कब और क्यों मनाया जाता है? दशहरे की शुभकामनाएं कैसे दें? किस प्रकार के संदेश इन दिनों ट्रेंड में हैं? इस संबंध में आज हम आपको इस पोस्ट में विस्तार जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-

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दशहरा कब और क्यों मनाया जाता है? (When and why Dussehra is celebrated?)

इससे पूर्व कि हम आगे बढ़ें आपको बता दें कि दशहरा कब और क्यों मनाया जाता है? दोस्तों, आपको बता दें कि अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर दशहरा का पर्व मनाया जाता है। कहा जाता है कि इसी तिथि पर भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था और मां सीता को श्रीलंका से लेकर अयोध्या के लिए चले थे। आपको बता दें दोस्तों कि यह पर्व असत्य पर सत्य की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार अधर्म पर धर्म की जीत को भी दर्शाता है। इसे विजयादशमी का पर्व कहकर भी पुकारा जाता है।

दशहरा कब और क्यों मनाया जाता है दशहरे की शुभकामनाएं कैसे दें दशहरा के संदेश

इस वर्ष दशहरा पर्व कब मनाया जा रहा है? (When dussehra is celebrated this year?)

मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि इस वर्ष दशमी तिथि 5 अक्टूबर 2022 को पड़ रही है। ऐसे में इसी दिन देश भर में रावण के पुतलों का दहन किया जाएगा।। देश भर में इस उत्सव को स्थानीय परंपराओं के अनुसार धूम धाम से मनाया जाता है। लोग एक दूसरे के साथ दशहरा पर्व की खुशियां बांटते हैं।
इस दिन लोग एक दूसरे को किस प्रकार की शुभकामनाएं प्रेषित करते हैं? (What type of messages people send each other on this day?)

दोस्तों, आपको बता दें कि दशहरे के शुभ अवसर पर लोग अपने मित्रों, रिश्तेदारों एवं परिवार के सदस्यों को शुभकामना संदेश भेजते हैं। उनके जीवन से बुराई के खात्मे एवं अच्छाई के प्रसार की कामना करते हैं।

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  • आप अपने प्रियजनों को किन संदेशों के साथ ‘दशहरा मुबारक’ कह सकते हैं? (How you can say ‘happy dussehra’ to your near and dear ones?)
  • दोस्तों, यदि आप अपने मित्रों, परिजनो को दशहरा के संदेश भेजना चाहते हैं तो हम आपको बताएंगे कि आप कौन कौन से संदेश भेज सकते हैं। ये इस प्रकार से हैं-
  • 1…
  • अधर्म पर धर्म की जीत
  • असत्य पर सत्य की जीत
  • बुराई पर अच्छाई की जीत
  • पाप पर पुण्य की जीत
  • अत्याचार पर सदाचार की जीत
  • क्रोध पर दया व क्षमा की जीत अज्ञान पर ज्ञान की जीत हो।
  • (आपको दशहरे की असंख्य शुभकामनाएं)
  • 2…
  • दहन केवल रावण के पुतले का नहीं चाहिए
  • अपने भीतर बसी बुराइयों का भी करना होगा
  • अपने हृदय में करके राम का स्मरण
  • हम सभी को धर्म के मार्ग पर चलना होगा।
  • (आपको दशहरा मुबारक हो)
  • 3….
  • हृदय में धारण करके प्रभु श्री राम को भंत
  • अपने भीतर के रावण का करना होगा अंत।।
  • (आपको दशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं)
  • 4…
  • अधर्म पर धर्म की विजय
  • अन्याय पर न्याय की विजय
  • बुरे पर अच्छे की जीत का विचार
  • यही है दशहरे का त्योहार।
  • (आपको दशहरे की असंख्य शुभकामनाएं)
  • 5…
  • खुशियों का त्योहार,
  • स्नेह की बौछार
  • मिठाईयों की बहार
  • मिले खुशियां अपार।
  • (आपको दशहरे की बहुत शुभकामनाएं)
  • 6…
  • बुराइयों का नाश हो
  • सब का विकास हो
  • रावण की भांति हर बुराई जले
  • उम्मीद एवं अमन के फूल खिलें।
  • (आपको दशहरे की असीमित शुभकामनाएं)
  • 7…
  • जैसे श्री राम ने जीत ली थी लंका,
  • वैसे ही आपका बजे सारी दुनिया में डंका।
  • (आप सभी को दशहरा बहुत बहुत शुभ हो)
  • 8…
  • प्रभु श्री राम का नाम
  • करेगा आपके सारे काम
  • रावण के संहार की तरह ही
  • आपके सभी दुखों का होगा काम तमाम।
  • (दशहरे की आपको परिवार सहित बहुत बहुत शुभकामनाएं)

हमारे देश में किस जगह का दशहरा सबसे अधिक प्रसिद्ध है? (Which place’s Dusshera is famous in our country?

हमारे देश भारत में सबसे अधिक प्रसिद्ध कुल्लू का दशहरा है। इस दशहरे की खासियत यह है कि जब पूरे देश में दशहरा खत्‍म हो जाता है तब यहां शुरू होता है। इसके साथ ही देश के बाकी हिस्‍सों की तरह यहां दशहरा पर्व पय रावण, मेघनाथ एवं कुंभकर्ण के पुतलों का दहन नहीं किया जाता। शायद पता होगा कि कुल्लू हिमाचल प्रदेश में स्थित है। इस दशहरे को देखने के लिए देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर से दर्शक इकट्ठा होते हैं। करीब दस दिन पहले से ही यहां दशहरा की तैयारी शुरू हो जाती है। पुरुष और महिलाएं सभी नए नए और सुंदर वस्त्र धारण करते हैं।

इसके पश्चात, जिसके पास जो भी वाद्य होता है, जैसे- बिगुल, तुरही, ढोल, नगाड़े, बांसुरी आदि, वे उसे लेकर निकल पड़ते हैं। स्थानीय लोग अपने ग्रामीण देवता का धूम धाम से जुलूस निकालते हैं और उनका पूजन करते हैं। आपको बता दें दोस्तों कि देवताओं की मूर्तियों को आकर्षक पालकियों में खूबसूरत ढंग से सजाया जाता है।

इसके साथ ही वे अपने मुख्य देवता रघुनाथ जी की भी पूजा करते हैं। इस जुलूस में शामिल लोग स्थानीय नटी नृत्य करते हैं। कुल्लू नगर परिक्रमा कर वे देवता रघुनाथ की आराधना कर दशहरे के उत्सव का प्रारंभ करते हैं। रघुनाथ जी की रथयात्रा निकाली जाती है। दशमी के दिन इस उत्सव की शोभा देखने लायक होती है। दोस्तों, आपको बता दें कि यह उत्‍सव हिमाचल के लोगों की संस्‍कृति और धार्मिक आस्‍था का प्रतीक है। यह पूरे सात दिन तक चलता है।

\क्या भारत में कोई ऐसी जगह है? जहां दशहरा नहीं मनाया जाता? (Is any place there in india, Where dussehra is not celebrated?

दोस्तों, अब आपके मस्तिष्क में एक सवाल जरूर उठ रहा होगा कि क्या भारत में कोई ऐसा देश है? जहां दशहरा पर्व नहीं मनाया जाता? तो आपको बता दें दोस्तों कि मेरठ का श्याम नगर एक ऐसी ही जगह है, जहां पर दशहरा पर्व नहीं मनाया जाता है। इसका कारण यह है कि श्याम नगर को रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका माना जाता है। वहां यह माना जाता कि इस दिन उनके दामाद रावण का वध किया गया था। ऐसे में वहां न तो रावण का पुतला फूंका जाता है और न ही इस पर्व का आयोजन नहीं किया जाता है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा स्थित बिसरख जलालपुर में भी दशहरा नहीं मनाया जाता।

ऐसा माना जाता है कि रावण के पिता विश्रवा ऋषि इसी गांव में रहते थे। उनके नाम से ही इस जगह का नाम बिसरख पड़ा। कहा जाता है कि इसी जगह पर रावण का जन्म हुआ था, जिस वजह से इस गांव के लोग रावण को अपना बेटा मानते हैं। यही वजह है कि दशहरे के दिन इस स्थान पर रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाता, बल्कि उसके वध का मातम मनाया जाता है।

कोरोना काल के बाद इस दफा दशहरा पर्व पर सभी जगह रौनक (after corona this time every where joy and light on this dussehra occasion

कोरोना महामारी के दौरान सभी जगहों पर त्योहारों पर वह रौनक देखने को नहीं मिली, जो हुआ करती। बहुत सी जगह रामलीला तक का आनलाइन प्रसारण हुआ। इसके अतिरिक्त रावण, कुंभकर्ण एवं मेघनाद के पुतलों का दहन प्रतीकात्मक रूप से किया गया। इस बार माहौल बहुत रौनक भरा है। लोग अपने प्रियजनों एवं परिजनों के साथ दशहरा मेला एवं रावण दहन देखने जाने की तैयारी कर रहे हैं।

पुतलों पर लगातार बढ़ रही महंगाई का असर भी देखने को मिला है (there is effect of inflation also being seen on effigies)

दोस्तों, यह तो आप जानते हैं कि हमारे देश में महंगाई दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ रही है। इससे त्योहार भी अछूते नहीं रह गए हैं। दशहरे के अवसर पर दहन के लिए तैयार किए जाने वाले रावण, कुंभकरण एवं मेघनाद के पुतलों पर भी महंगाई का असर देखने को मिला है। इन पुतलों की लंबाई घट गई है। दरअसल पुतले बनाने के लिए काम आने वाले मैटीरियल की कीमतें बढ़ने से ऐसा हो रहा है।

दशहरा कब मनाया जाता है? दशहरा अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।

हमारे देश में किस जगह का दशहरा सबसे अधिक प्रसिद्ध है? हमारे देश में हिमाचल प्रदेश स्थित कुल्लू का दशहरा सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है।

क्या ऐसी भी कोई जगह है कि जहां दशहरा नहीं मनाया जाता है?

जी हां, उत्तर प्रदेश के मेरठ में श्यामनगर ऐसी जगह हैं, जहां दशहरा नहीं मनाया जाता। इसे रावण की रानी मंदोदरी का मायका माना जाता है।

दशहरे को किस चीज का प्रतीक माना जाता है?

दशहरे को असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।

बिसरख में दशहरा न मनाए जाने के पीछे क्या कारण है?

बताया जाता है कि रावण के पिता विश्रवा बिसरख में रहते थे। यहीं रावण का जन्म हुआ था। यहां के लोग रावण को बेटा मानते थे। इसलिए यहां दशहरा पर्व नहीं मनाया जाता।

कुल्लू का दशहरा कितने दिन चलता है?

कुल्लू का दशहरा पूरे सात दिन तक चलता है।

इस दौरान किस भगवान की रथयात्रा निकाली जाती है?

इस दौरान भगवान रघुनाथ जी की शोभायात्रा निकाली जाती है।

दोस्तों, हमने आपको इस पोस्ट (post) में दशहरा पर्व कब और क्यों मनाया जाता है? और दशहरे के शुभकामना संदेश कैसे दें? इस विषय पर अहम जानकारी दी। उम्मीद करते हैं कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित हुई होगी। यदि आप इसी प्रकार की जानकारी पर पोस्ट हम से चाहते हैं तो उसके लिए नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके हमें बता सकते हैं। ।।धन्यवाद।।

प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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