ई लर्निंग क्या है? | ई लर्निंग के प्रकार, इतिहास, फॉर्मेट व फायदे | E Learning kya hai

E Learning kya hai: जब से पूरी दुनिया में कोरोना नामक महामारी फैली है, तब से ही बहुत कुछ बदल चुका है। एक तरह से इसने हमारे जीवन के हर पहलू व स्तर को प्रभावित किया है। लोग कैसे काम करते हैं, पढ़ते हैं, बात करते हैं, उनकी दैनिक दिनचर्या कैसी है, इत्यादि हर कुछ कोरोना के बाद बहुत हद्द तक बदल चुका है। इसी में एक बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिला है शिक्षा के क्षेत्र में।

पहले के समय में बच्चों को उनके माता पिता मोबाइल नहीं दिया करते थे और पढ़ने को कहते थे लेकिन आज के समय में पढ़ाई ही ऑनलाइन हो चली (E Learning in Hindi) है और उसके लिए मोबाइल आवश्यक होता है। ऐसे में वही माता पिता ही अब अपने बच्चों को मोबाइल या कंप्यूटर देने को विवश हो गए हैं। शिक्षा के इस स्तर या माध्यम को हम सभी ई लर्निंग के नाम से जानते हैं। आपने भी इस शब्द का नाम सुन रखा होगा।

तो यह ई लर्निंग क्या होती है, इसमें क्या कुछ होता (E Learning kya hai in Hindi) है, इसके प्रकार कौन कौन से होते हैं, ई लर्निंग के फायदे और नुकसान क्या कुछ हैं, इत्यादि के बारे में इस लेख में गहन चर्चा की जाएगी और आपको इसके बारे में विस्तृत रूप में बताया जाएगा। तो आइये जाने ई लर्निंग के बारे में शुरू से लेकर अंत तक हरेक जानकारी विस्तार से।

ई लर्निंग क्या है? (E Learning kya hai)

ई लर्निंग क्या होती है या फिर यह किस तरह से शिक्षा से संबंधित होती है, आइये इसके बारे में जान लेते हैं। दरअसल हम शिक्षा ग्रहण करने या पढ़ाई करने के लिए स्कूल या कॉलेज में जाते हैं या फिर ट्यूशन क्लासेज लेते हैं। इसके लिए शिक्षकों को नियुक्त किया जाता है जो क्लास में बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं। वहीं यदि हम घर पर भी पढ़ते हैं तो उसके लिए किताबें, कापियां इत्यादि खरीद कर लाते हैं और उन पुस्तकों से पढ़ते हैं।

ई लर्निंग क्या है

ई लर्निंग में ऐसा कुछ नही होता (E Learning ka arth) है। ई लर्निंग में आपको केवल अपने मोबाइल या कंप्यूटर को खोलकर वहां चल रही वीडियो के माध्यम से पढ़ना होता है। अब यह वीडियो लाइव भी हो सकती है जहाँ कोई शिक्षक कहीं और से बच्चों को पढ़ा रहा होता है तो वहीं यह रिकॉर्डेड वीडियो भी हो सकती है जहाँ उस शिक्षक की ई लर्निंग की वीडियो को रिकॉर्ड कर बार बार देखा जा सकता है। इतना ही नहीं, इसमें यह आवश्यक नहीं है कि सामने कोई शिक्षक ही पढाये, बल्कि यह ऑडियो, या लिखित रूप में भी हो सकती है।

एक तरह से यदि आप ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं और किसी भी विषय के बारे में जानकरी प्राप्त कर रहे हैं तो उसे ई लर्निंग का ही रूप माना जाता है। यह कॉलेज या स्कूल की क्लासेज भी हो सकती है तो वहीं सोशल मीडिया पर ज्ञानवर्धन वीडियोज को देखकर लिया जाने वाला ज्ञान भी हो सकता है। ऐसे में ऑनलाइन या डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक रूप से शिक्षा को ग्रहण करने को ही हम ई लर्निंग कह सकते हैं।

ई लर्निंग का मतलब क्या है? (E Learning ka arth)

आपने ऊपर ई लर्निंग की परिभाषा के बारे में तो जानकारी ले ली है लेकिन इस ई लर्निंग का मतलब क्या होता है। साथ ही इस ई लर्निंग में ई अक्षर का क्या अर्थ है!! तो यह ई अक्षर एक शब्द की शोर्ट फॉर्म है जिसकी फुल फॉर्म इलेक्ट्रॉनिक होती है। इलेक्ट्रॉनिक मतलब ऑनलाइन या इलेक्ट्रिकल डिवाइस जो कि हमारे मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप या अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होते हैं। वहीं लर्निंग का अर्थ पढ़ने से होता है।

इस तरह से ई लर्निंग का मतलब हुआ इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से शिक्षा को ग्रहण किया जाना। अब वह इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस कुछ भी हो सकती है। आज के समय में तो शिक्षा ग्रहण करने के लिए अलग से भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस आने लगी है जैसे कि छोटे बच्चों के लिए ई बुक्स आने लगी है जिसमें वे बटन को दबाते हैं तो उस पर आवाज आती है। ऐसे ही कई उदाहरण आपको बाजार में या ऑनलाइन शॉपिंग की दुनिया में देखने को मिल जाएंगे।

ई लर्निंग का इतिहास क्या है? (E Learning history in Hindi)

अब आप पहले ई लर्निंग का इतिहास जान लेंगे तो ज्यादा सही रहेगा। तो इस दुनिया में जब से इंटरनेट और कंप्यूटर की शुरुआत होने लगी थी और आम लोगों तक यह पहुँच बनाने लगे थे, तब से ही ई लर्निंग की भी शुरुआत होने लगी थी। यह 21वीं शताब्दी की शुरुआत थी जब दुनिया में कंप्यूटर जैसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और इंटरनेट पैर पसार रहे थे और पूरी दुनिया का ही रंग ढंग बदल रहा था।

उस समय से पहले तक सभी बच्चे ऑफलाइन मोड में अर्थात पुस्तकों और शिक्षकों से भौतिक रूप में ही शिक्षा प्राप्त करने का काम करते थे। किन्तु वर्ष 1999 में जब से टीवी के साथ साथ सीडी डीवीडी इत्यादि बाजार में आये और इंटरनेट भी प्रगति करने लगा तो उसी के साथ ही ई लर्निंग की वीडियोज व चीज़े भी बाजार में प्रसारित होने लगी। देखते ही देखते इनकी संख्या बढ़ती चली गयी जो आज के समय में बहुतायत में है।

ई लर्निंग के प्रकार (E Learning ke prakar)

अब हम आपके सामने ई लर्निंग के प्रकारों के बारे में बात करने वाले हैं। तो यह प्रकार कई तरह के हो सकते हैं और इनमें समय के साथ बढ़ोत्तरी होती जा रही है लेकिन ई लर्निंग के जो दो मुख्य प्रकार हैं, पहले हम उन्हें आपके सामने रखने जा रहे (E Learning types in Hindi) हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि दुनिया में मुख्य तौर पर दो प्रकार की ई लर्निंग करवायी जाती है, जो कि इस प्रकार है:

Synchronous E Learning

इसमें पहले नंबर पर आती है Synchronous ई लर्निंग जो आज के समय में लगभग हर स्कूल और कॉलेज के द्वारा प्रमुख तौर पर करवायी जाती है। वैसे इसका चलन कोरोना के बाद बहुत ज्यादा बढ़ गया है और लगभग हर कोई इसका उपयोग करता है। अब यदि आप आज के समय में स्कूल या कॉलेज में पढ़ रहे किसी भी छात्र से इस Synchronous ई लर्निंग के बारे में पूछेंगे तो वह आपको बता देगा।

तो ई लर्निंग के इस प्रकार में होता यह है कि इसमें छात्रों की ऑनलाइन क्लास ली जाती है। कहने का अर्थ यह हुआ कि यदि किसी कारणवश स्कूल या कॉलेज को बंद करना पड़ता है तो उसके लिए क्लास को ऑनलाइन लिया जाता है। इसमें हर क्लास के बच्चों को एक लिंक दिया जाता है जिससे सभी जुड़ते हैं। फिर उस विषय के अध्यापक उस लिंक पर आते हैं और बच्चों को पढ़ाना शुरू करते हैं।

जिस प्रकार एक शिक्षक स्कूल की क्लास में बच्चों को आमने सामने पढ़ाता है, ठीक उसी तरह इस Synchronous ई लर्निंग के माध्यम से वही शिक्षक कंप्यूटर की स्क्रीन पर आमने सामने बैठकर बच्चों को पढ़ाने का काम करता है। यह सब लाइव होता है और कोई भी छात्र अपने आप को unmute कर शिक्षक से प्रश्न पूछ सकता है या अपनी शंका का समाधान पा सकता है।

Asynchronous E Learning

Synchronous ई लर्निंग का बिल्कुल उल्टा होता है Asynchronous ई लर्निंग जो रिकॉर्डेड माध्यम से होता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि इसमें भी उसी तरह से ही पढ़ाया जाता है लेकिन इसके लिए वह वीडियो लाइव ना होकर पहले से ही रिकॉर्ड की हुई होती है। अब मान लीजिये कि एक शिक्षक को एक ही लेक्चर तीन अलग अलग कक्षाओं को पढ़ाना है या फिर उसे यही विषय बार बार अलग अलग बैच को समझाना है, तो इसके लिए वह उस विषय पर बार बार बोलने की बजाये अपने एक लेक्चर की वीडियो रिकॉर्डिंग करवा लेता है।

वीडियो को रिकॉर्ड करने के बाद उस वीडियो को स्कूल या कॉलेज की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाता है। इसके बाद उस स्कूल या कॉलेज के छात्रों को एक यूनिक यूजर नाम और पासवर्ड दिया जाता है। छात्रों को दिए गए लिंक पर क्लिक कर यूजर नाम व पासवर्ड के माध्यम से लॉग इन करना होता है, ठीक उसी तरह जैसे हम तरह तरह की सोशल मीडिया पर लॉग इन करते हैं।

लॉग इन करने के बाद उस छात्र को संबंधित विषय पर रिकॉर्ड किये गए सभी लेक्चर की वीडियो मिल जाती है। अब वह अपने समय अनुसार उन वीडियोज को कभी भी देख सकता है, उसे वह बार बार या वापस रिपीट करके भी देख सकता है। वहीं उसके जो भी प्रश्न है, वह निर्धारित समय पर उस शिक्षक से संपर्क कर पूछ सकता है। इस तरह के Synchronous ई लर्निंग का चलन ज्यादातर ऑनलाइन पढ़ाने वाली वेबसाइट और ऐप में अपनाया जा रहा है।

ई लर्निंग और किस तरह से होती है?

अब तक आपने ई लर्निंग के प्रकारों में दो मुख्य प्रकार जान लिए हैं जिसमें एक होता है लाइव और दूसरा होता है रिकॉर्डेड। ऐसे में आप यह मत समझिये कि ई लर्निंग बस इसी तरह से ही होती है बल्कि इन प्रकारों में भी कई उप प्रकार होते हैं जो ई लर्निंग में काम आते हैं। या आप यह भी कह सकते हैं कि ई लर्निंग कहाँ कहाँ से और किस किस रूप में हो सकती है। तो आइये जाने इसी के बारे में ही।

  • इसमें सबसे पहले तो लाइव ई लर्निंग ही आ जाती है जिसे आपने ऊपर Synchronous ई लर्निंग के रूप में पढ़ा। तो यह जरुरी नहीं है कि लाइव ई लर्निंग में आपके सामने कोई शिक्षक ही हो, बल्कि इसे पॉवर पॉइंट या प्रेजेंटेशन के रूप में भी किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर किसी कंपनी में किसी एक कर्मचारी के द्वारा प्रेजेंटेशन दिया जाना।
  • इसी तरह रिकॉर्डेड वाली ई लर्निंग में भी यह जरुरी नहीं है कि उसमें किसी व्यक्ति या शिक्षक की ही वीडियो रिकॉर्डिंग की जाए। इसकी बजाये किसी ग्राफ़िक्स वाली वीडियो को बनाकर या कार्टून बनाकर या ऐसा ही कुछ करके भी पढ़ाया जा सकता है।
  • हम इंटरनेट पर जो भी लेख पढ़ते हैं जैसे कि आप हमारे द्वारा लिखा गया यह लेख पढ़ रहे हैं तो इससे आपको ई लर्निंग के बारे में ही जानने को मिल रहा है। इस तरह से यह भी तो शिक्षा ग्रहण करने के ही समान हुआ। तो यह भी ई लर्निंग का ही एक प्रकार कहा जा सकता है।
  • आप सोशल मीडिया पर जो कुछ भी पढ़ते हैं या देखते हैं, यदि आपको उनसे कुछ ज्ञान या शिक्षा मिल रही है तो वह भी ई लर्निंग का ही एक रूप कहा जाता है। यहाँ हम सोशल मीडिया पर मनोरंजन करने वाला कंटेंट नहीं कह रहे हैं बल्कि ऐसा कंटेंट जिससे आपको कुछ नया सीखने को मिले।
  • ऑनलाइन कई तरह की ऐप व वेबसाइट होती है जो ई लर्निंग करवाती है। यह ऐप या वेबसाइट अलग अलग विषयों से संबंधित हो सकती है जैसे कि माइंड को शार्प करना या कुछ खाना बनाना सीखना या कोई अन्य गतिविधि सीखना इत्यादि। उदाहरण के तौर पर किसी वाद्य यंत्र को ऑनलाइन बजाना सीखना भी तो ई लर्निंग में ही आता है।

इस तरह से आप ऑनलाइन जो कुछ भी सीख रहे हैं, वह सब ई लर्निंग का ही रूप होता है। अब इसमें से कुछ के लिए आपको पैसे चुकाने पड़ सकते हैं तो कुछ आपके लिए निशुल्क हो सकता है। प्रीमियम कंटेंट के लिए आपको अवश्य ही शुल्क चुकाना होगा जबकि जो प्रीमियम नहीं है या जिसमें आपको अलग अलग विज्ञापन दिखाई दे, उसके लिए किसी तरह का शुल्क चुकाने की आवश्यकता नहीं होगी।

ई लर्निंग के फॉर्मेट (E Learning format in Hindi)

अभी तक आपने ई लर्निंग के तरह तरह के प्रकारों के बारे में जानकारी ली है किन्तु अब हम आपके सामने ई लर्निंग किस किस रूप में हो सकती है अर्थात उसके क्या कुछ फॉर्मेट हो सकते हैं, उसके बारे में चर्चा करने वाले हैं। इसे पढ़कर आपकी ई लर्निंग के बारे में बहुत कुछ शंकाएं दूर हो जाएगी। तो आइये जाने ई लर्निंग के तरह तरह के फॉर्मेट के बारे में।

वीडियो

ई लर्निंग का सबसे बड़ा फॉर्मेट होता है वीडियोज। जो चीज़ व्यक्ति किसी वीडियो को देखकर सीख सकता है, वह ई लर्निंग के किसी अन्य फॉर्मेट में नहीं सीख सकता है। अब यह वीडियो वाली ई लर्निंग भी एक तरह की नहीं बल्कि कई तरह की हो सकती है। उदाहरण के तौर पर इसमें सामने कोई व्यक्ति जानकारी दे रहा हो सकता है या ग्राफ़िक्स की सहायता से एनिमेटेड वीडियो बनायी गयी हो सकती है या अलग अलग चित्रों या छोटी छोटी वीडियोज को जोड़कर एक वीडियो बनायी गयी हो सकती है इत्यादि।

ऑडियो

ऑडियो ई लर्निंग भी आज के समय में बहुत चलन में है लेकिन यह तभी कामगार होती है जब आपको बोर्ड पर किसी कैलकुलेशन को या ऐसी ही किसी चीज़ को नहीं समझना हो। उदाहरण के तौर पर यदि आपको बोलने के तौर तरीकों के बारे में सीखना है तो इसे तो आप ऑडियो क्लिप के माध्यम से भी तो सीख सकते हैं।

टेक्स्ट

टेक्स्ट ई लर्निंग का सबसे बड़ा उदाहरण तो आप हमारे द्वारा लिखे गए इस लेख को ही ले लीजिये। टेक्स्ट का अर्थ हुआ लिखित रूप में। अब यह आप ऑनलाइन किसी भी रूप में देखते हैं, वह टेक्स्ट या लिखित ई लर्निंग के फॉर्मेट में ही आ जाती है। फिर चाहे आप उसे गूगल से ढूंढकर पढ़ें या सोशल मीडिया पर या अन्य किसी जगह से।

इमेज

सोशल मीडिया पर आज के समय में चित्रों अर्थात फोटोज अर्थात इमेजेज का बहुत चलन चल रहा है। आप 2 मिनट के लिए अपनी फेसबुक प्रोफाइल को स्क्रॉल करेंगे तो आपको 20 इमेजेज दिख जाएगी। अब आपको इन इमेज पर लिखे गए टेक्स्ट या इस पर बने ग्राफ़िक्स से कोई जानकारी मिल रही है तो उसे ई लर्निंग का इमेज फॉर्मेट कहा जाता है।

स्लाइड्स

स्लाइड्स भी कुछ हद्द तक इमेज का ही रूप होती है लेकिन इसमें इमेज, शोर्ट वीडियो और GIFs का मिलाजुला रूप हो सकता है। इसे हम पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन भी कह सकते हैं जो ई लर्निंग के काम आती है। ज्यादातर ऑफिस या बड़ी मीटिंग में ई लर्निंग के फॉर्मेट के लिए इसी का ही उपयोग किया जाता है और उसे दिखाने वाला व्यक्ति बोलकर बाकियों को समझाने का प्रयास करता है। यहाँ तक कि ई लर्निंग के इस फॉर्मेट का उपयोग तो स्कूल और कॉलेज में भी बहुत होने लगा है।

ग्राफ्स

ग्राफ्स वाली ई लर्निंग का उपयोग तो हम बहुत पहले से ही करते आ रहे हैं। मान लीजिये कि आप शेयर बाजार में पैसा निवेश करते हैं और आपको किसी नए शेयर में पैसा लगाना है तो आप उसके पिछले कई महीनो या वर्षों का ग्राफ निकाल कर देखेंगे। उस ग्राफ की सहायता से आपको यह जानने में मदद मिलेगी कि फलाना कंपनी का शेयर कब कब बढ़ा था और कब नीचे गिरा था।

ई लर्निंग के फायदे (E Learning ke fayde)

अब हम ई लर्निंग से मिलने वाले फायदों के बारे में बात कर लेते हैं। ई लर्निंग के अपने अनेक फायदे तो हैं ही लेकिन उतने ही नुकसान भी (E Learning ke labh) हैं। पहले हम ई लर्निंग के क्या कुछ फायदे हो सकते हैं, उस पर चर्चा कर लेते हैं।

  • आज के समय में ई लर्निंग के जरिये शिक्षा ग्रहण करना बहुत ही प्रभावी माध्यम बन गया है। इसके जरिये व्यक्ति घर बैठे ही दुनियाभर की जानकारी को बस एक क्लिक में ही प्राप्त कर सकता है।
  • पहले के समय में जानकारी का बहुत अभाव हुआ करता था या उसके लिए किसी शिक्षित व्यक्ति का पता लगाना पड़ता था लेकिन आज के समय में आपका मोबाइल ही आपके सभी प्रश्नों का उत्तर है।
  • ई लर्निंग से पैसों की भी बहुत ज्यादा बचत हो जाती है। अब यदि आप किसी विषय के बारे में क्लास लेना चाहते हैं तो उसके लिए किसी इंस्टीट्यूट में जाकर पंजीकरण करवाना और वहां की फीस भरना इत्यादि शामिल होता है जबकि ई लर्निंग में बहुत ही कम पैसों में पढ़ाई हो जाती है।
  • ई लर्निंग के माध्यम से अच्छे शिक्षकों की पहुँच ज्यादा छात्रों तक बढ़ गयी है। अब पहले जब ई लर्निंग नहीं थी तब एक अच्छा शिक्षक पूरे दिन में सीमित क्लासेज ही ले सकता था और उसमें सीमित संख्या में ही छात्र पढ़ाई कर सकते थे जबकि आज के समय में वही शिक्षक अपने लेक्चर की वीडियो रिकॉर्डिंग कर किसी को भी पढ़ा सकता है।
  • इसमें हम सभी एक दूसरे के अनुभव से भी बहुत कुछ सीख सकते हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि कोई किसी विषय में अच्छा होता है तो कोई किसी में। ऐसे में हम एक दूसरे के अनुभव और ज्ञान से बहुत कुछ सीख सकते हैं।

इस तरह से ई लर्निंग के अपने बहुत फायदे देखने को मिल जाते हैं। आज के समय में यह हर स्कूल, कॉलेज और अन्य कंपनियों के लिए बहुत ही लाभदायक बनता जा रहा है। यही कारण है कि सभी के सभी ई लर्निंग को ही महत्व दे रहे हैं और हर घर में यह पहुँच चुका है।

ई लर्निंग के नुकसान (E Learning ke nuksan)

जब कोई चीज़ अपने साथ कई तरह के फायदे लेकर आती है तो उसी के साथ ही उतने ही दुष्परिणाम भी साथ में आते हैं। कुछ ऐसा ही इस ई लर्निंग के साथ भी है जिसके नुकसान भी उतने ही हैं, जितने कि इसके फायदे हैं। आइये अब हम ई लर्निंग से होने वाले नुकसानों का भी आंकलन कर लेते हैं।

  • आज के समय में छोटे छोटे बच्चों को भी ई लर्निंग के जरिये पढ़ाया जा रहा है और उसके लिए आधुनिकता और डिजिटल का उदाहरण दिया जा रहा है जबकि इसका प्रभाव बुरा ही होता है। अब छोटी सी उम्र में ही बच्चों को मोबाइल दे दिया जाता है तो आप उसे ई लर्निंग के साथ साथ और भी बहुत कुछ दे रहे हैं।
  • एक बच्चा मोबाइल में केवल पढ़ता ही नहीं है बल्कि उसे उस मोबाइल के जरिये उन सभी चीज़ों का एक्सेस मिल जाता है जो उसे उस उम्र में कदापि नहीं मिलना चाहिए।
  • वहीं बच्चे को धीरे धीरे करके मोबाइल की लत लगती चली जाती है और फिर वह आपसे ज्यादा समय तक मोबाइल देने की जिद्द करने लग जाता है। बच्चे की जिद्द के आगे अन्तंतः माता पिता को झुकना ही पड़ता है।
  • जो शिक्षा क्लास में बैठकर शिक्षक के सामने ग्रहण की जाती है, वह घर बैठकर ई लर्निंग के माध्यम से ऑनलाइन नहीं प्राप्त की जा सकती है। एक शिक्षक अपने सामने बैठे बच्चों को केवल पढ़ाता ही नहीं है बल्कि वह उन्हें अनुशासन भी सीखाता है जो ई लर्निंग में नहीं होता है।
  • ई लर्निंग ने बच्चों को अपने अपने घरों में कैद करके रख दिया है और इस कारण उनका बाकि बच्चों से संवाद ना के बराबर ही होता है या होता है तो वह ऑनलाइन ही होता है। जब बच्चे आपस में मिलते हैं तो उनका विकास ज्यादा और तेज गति के साथ होता है।
  • ई लर्निंग के कारण बच्चा अपनी शारीरिक गतिविधियाँ भी कम कर देता है जिस कारण उसका शरीर बेढंग होता चला जाता है। यह उसके शारीरिक व मानसिक विकास में बहुत बड़ी बाधा बनकर सामने आता है।
  • बच्चों के लिए ही नहीं बल्कि बड़ों के लिए भी ई लर्निंग घातक परिणाम लेकर आता है। इससे व्यक्ति धीरे धीरे समाज के साथ कटता चला जाता है और ऑनलाइन दुनिया को ही अपनी असली दुनिया मान लेता है।

एक तरह से यदि हम सीधे शब्दों में कहें तो ई लर्निंग के इतने फायदे नहीं हैं जितने कि इसके नुकसान देखने को मिलते हैं। वर्तमान समय में यह हम सभी के लिए और ज्यादा धातक परिणाम लेकर आ रहा है जिसका पता हमें धीरे धीरे करके चल रहा है। ऐसे में हमें अपने बच्चों की ई लर्निंग के साथ साथ ऑफलाइन पढ़ाई पर भी ध्यान देना चाहिए।

ई लर्निंग क्या है – Related FAQs 

प्रश्न: ई लर्निंग का क्या अर्थ है?

उत्तर: ई लर्निंग का अर्थ यह होता है कि आप ऑनलाइन माध्यम से कुछ सीखने या ज्ञान लेने का काम कर रहे हैं। अब यह ज्ञान आपको चाहे ऑनलाइन लेक्चर अटेंड करके मिल रहा हो या फिर सोशल मीडिया पर।

प्रश्न: ई लर्निंग की मुख्य विशेषताएं क्या हैं? 

उत्तर: ई लर्निंग की मुख्य विशेषताओं में एक विशेषता यह है कि आपको अपने घर बैठे ही और वो भी बहुत कम पैसों में वही ज्ञान मिल रहा है जो आप कहीं जाकर और ज्यादा पैसे देकर ऑफलाइन कक्षा में प्राप्त करेंगे।

प्रश्न: ई लर्निंग क्या है और इसका महत्व क्या है?

उत्तर: ई लर्निंग में व्यक्ति अपने घर बैठकर ही ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण कर पाता है। इसका महत्व यह होता है कि व्यक्ति को कही जाकर सीखने की जरुरत नहीं होती है बल्कि वह अपने घर बैठे ही वह ज्ञान प्राप्त कर लेता है।

प्रश्न: ई लर्निंग के क्या अवसर हैं?

उत्तर: ई लर्निंग के बहुत से अवसर आज के समय में उपलब्ध है। इसमें आप किसी कंपनी या इंस्टिट्यूट से जुड़ सकते हैं और उनका कोर्स ऑनलाइन कर सकते हैं या फिर आप सोशल मीडिया जैसे कि यूट्यूब से सीख सकते हैं।

तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने जाना कि ई लर्निंग क्या है। साथ ही हमने आपको बताया कि ई लर्निंग के प्रकार क्या हैं ई लर्निंग के फायदे, नुकसान और फॉर्मेट क्या है इत्यादि। आशा है कि जो जानकारी लेने आप इस लेख पर आए थे वह आपको मिल गई होगी। फिर भी यदि कोई शंका आपके मन में शेष है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
[fluentform id="3"]

Leave a Comment