|| ई-वे बिल क्या है? | E way bill kya hai | E way bill ke niyam in Hindi | ई-वे बिल कब जरूरी नहीं है? | When e way bill is not Required in Hindi | ई-वे बिल की वैधता का समय | ई-वे बिल कैंसल कैसे करें? | E way bill cancel kaise kare ||
E way bill kya hai :- जीएसटी को देश में लागू किए जाने के बाद से समान की पूरे भारत में कहीं भी आसानी से और तेजी से आवाजाही के लिए जांच नाके हटा दिए गए। ऐसे में सरकार के द्वारा बिना जांच नाकों के यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसी प्रकार का गैरकानूनी समान टैक्स अधिकारियों की पीठ पीछे से ना जाए, ई-वे बिल सिस्टम को लाया गया। जिसमे ईवे बिल एक डिजिटल तरीके से बनाया गया, ले जाए जाने वाले माल की जानकारी (E way bill ke niyam in Hindi) का कागज है।
इस प्रणाली के अंदर, माल के आवागमन के शुरू होने से पहले, उस माल को भेजने वाला उससे संबंधित सभी जानकारी जीएसटी विभाग को बता कर चलेगा। ये जानकारी देने के लिए वो ई-वे बिल का इस्तेमाल करेगा और एक्नोलेजमेंट नंबर प्राप्त करेगा। यही नंबर उसके द्वारा माल को ले जाने वाले वाहन के साथ पहचान के रूप में ले जाया जाना चाहिए। ई-वे बिल (E way bill kya hota hai) में दी गई जानकारी कॉमन पोर्टल से जीएसटी के पोर्टल पर भी अपने आप जमा कर दी जाएगी। इस प्रकार माल की आवजाही तेज और आसान होगी।
ई-वे बिल क्या है? (E way bill kya hai)
जीएसटी के सिस्टम में ई-वे बिल एक रसीद या दस्तावेज की तरह हैं, जिसमे माल को भेजने के समय पर माल से संबंधित सभी जानकारी जैसे कि भेजने वाले का नाम, प्राप्त करने वाले का नाम, कंसाइनमेंट के शुरू होने की और डेस्टिनेशन की जगह का नाम और साथ ही ले जाए जाने वाले रास्ते के बारे में भी जानकारी दी जाती है। इसे माल को भेजने वाले के द्वारा, प्राप्त करने वाले के द्वारा या ट्रांसपोर्टर के द्वारा कंप्यूटर पर बनाया जाता है। इसे ऑनलाइन कॉमन पोर्टल पर, एप से, एसएमएस के माध्यम से बनाया जा सकता है।
मुख्य रूप से ई-वे बिल को तब बनाया जाता है, जब माल को एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाया जाए और माल की कीमत 50,000 से अधिक हो। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जीएसटी ऐसा टैक्स है जो उस राज्य सरकार को मिलता है जहां समान या सेवा का इस्तेमाल होता है, इसलिए ये पता होना जरूरी है कि समान किस राज्य में ले जाया जा रहा है। इसके अलावा भी बहुत सी स्थितियों में ई-वे बिल (What is e way bill in GST) बनाया जाता है, जिसकी बात हम आगे करेंगे।
ई-वे बिल कब बनता है? (E way bill kab banta hai)
जब किसी कंसाइनमेंट में 50,000 से अधिक कीमत के माल की आवाजाही की जाती है तो उस व्यक्ति के द्वारा ई-वे बिल बनाया जाना जरूरी है। सामान्य तौर पर तो माल की आवाजाही माल भेजने वाले के द्वारा ही की जाती है, इसलिए उसके द्वारा ही ई-वे बिल बनाया जाना चाहिए। परंतु कुछ ग्राहक अपने आप भी ट्रांसपोर्टर की व्यवस्था कर लेता है, ऐसी स्थिति में ग्राहक के द्वारा भी ई-वे बिल बनाया जा सकता है। यहां तक कि माल को ले जाने वाले वाहन का ट्रांसपोर्टर भी ई-वे बिल (When e-way bill is mandatory in Hindi) बना सकता है।
वैसे तो 50,000 के मूल्य से कम कीमत के माल को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए ई-वे बिल बनाने की जरूरत नहीं है, किंतु कोई व्यक्ति अगर चाहे तो ऐसे में भी ई-वे बिल बना सकता हैं। इसके साथ ही ये भी बता दें कि माल को चाहे एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाया जाए, या एक ही राज्य में एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जाए, 50,000 से ऊपर कीमत होने पर ई-वे बिल बनाना आवश्यक है। हालांकि कुछ स्थितियों में सरकार के द्वार इसे नहीं बनाने की छूट भी (E way bill kab banaya jata hai) दी गई है।
माल की कीमत 50,000 से ऊपर है या नहीं ये जानने के लिए माल की कीमत जीएसटी की धारा 15 के अनुसार निकाली जाती है। जिसमें माल से संबंधित किसी प्रकार के इनवॉइस या चालान में दी गई कीमत देखी जाती है। इनवॉइस में अगर टैक्स वाले माल के साथ जीएसटी से छूट वाले माल भी दाखिल हैं, तो उन्हें हटा दिया जाता है। परंतु इस 50,000 कीमत में केंद्र और राज्य जीएसटी या आईजीएसटी भी शामिल होता है।
इसके साथ ही निम्न स्थितियों में अगर माल की कीमत 50,000 से कम है, तो भी ई-वे बिल बनाना आवश्यक है:
- जब एक प्रिंसिपल के द्वारा एक राज्य से माल दूसरे राज्य में स्थित किसी जॉब वर्कर को उस माल पर काम करने के लिए भेजा जाता है।
- जब ऐसे व्यक्ति के द्वारा जिसको जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराने से छूट मिली है, हाथ से बने माल (Handicraft goods) को एक राज्य से दूसरे राज्य लेके जाया जाता है।
ई-वे बिल में दी जाने वाली जानकारी (Information to be furnished in e way bill in Hindi)
ई-वे बिल को बनाने के लिए EWB-1 फॉर्म का इस्तेमाल किया जाता है। इस फॉर्म के 2 भाग होते हैं।
- Part A – इस भाग में माल को भेजने वाले और प्राप्त करने वाले की जानकारी, माल भेजने और प्राप्त करने का स्थान (PIN कोड के साथ), दस्तावेज संख्या और तारीख (इनवॉइस, बिल, चलान या बिल और एंट्री), माल की कीमत, एचएसएन कोड और माल को भेजने की वजह के बारे में बताया जाता है।
- Part B – इस भाग में ट्रांसपोर्टर की जानकारी डाली जाती है। इसके अंतर्गत ट्रांसपोर्टर के द्वारा दिए गए दस्तावेज का नंबर आता है। जो कि माल प्राप्ति की रसीद, रेलवे की रसीद, हवाई जहाज की बिल संख्या या बिल ऑफ़ लेडिंग हो सकती है।
पार्ट ए की जानकारी माल भेजने वाले के द्वारा ही दी जाती है, परंतु इसे माल के ट्रांसपोर्टर के द्वारा भी दिया जा सकता है। साथ ही इसे इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स ऑपरेटर के द्वारा भी दिया जा सकता है, जिसके माध्यम से माल की बिक्री की गई है। पार्ट बी की जानकारी ट्रांसपोर्टर के द्वारा दी जाती है, परंतु इसे पार्ट ए भरने वाले व्यक्ति के द्वारा भी भरा जा सकता है।
पार्ट ए को भरने के बाद पार्ट ए स्लिप जारी होती है, जिसमे अस्थाई नंबर होता है। इस पर्ची को ट्रांसपोर्टर के साथ साझा किया जा सकता है, जो पार्ट बी की जानकारी भर सकता है, या कंसाइनर ही इस पर्ची के आगे पार्ट बी की जानकारी भर सकता है। पार्ट बी की जानकारी भरने के बाद ही ई-वे बिल पूरा होता है। इसलिए ट्रांसपोर्टर की जानकारी आवाजाही शुरू होने से पहले ही देनी होती है।
ई-वे बिल की रजिस्ट्रेशन प्रोसेस क्या है? (E way bill registration process in Hindi)
किसी भी व्यक्ति को ई-वे बिल बनाने के लिए कॉमन पोर्टल पर रजिस्टर होना जरूरी है। ई-वे बिल बनाना, अपडेट करना, कैंसल करना और वैधता बढ़ाना, इसी रजिस्ट्रेशन के माध्यम से किए जा सकते हैं। जो व्यक्ति जीएसटी के पोर्टल पर रजिस्टर है, वह अपने जीएसटीइन के इस्तेमाल से कॉमन पोर्टल पर रजिस्टर कर सकता है। अपने GSTIN को डालने पर उसके जीएसटी पोर्टल पर भरी हुई सभी जानकारी अपने आप सामने आ जायेगी। इसके बाद कॉमन पोर्टल पर यूजर आईडी बना कर वो अपने आपको रजिस्टर (E way bill registration kaise kare) कर सकता है।
वह व्यक्ति जो जीएसटी में रजिस्टर नहीं है, अपने बिजनेस की जानकारी को देकर कॉमन पोर्टल पर रजिस्टर कर सकता है। इसके लिए ट्रांसपोर्टर को www.ewaybillgst.gov.in पर जाकर वहां 9 स्टेप्स में मांगी जाने वाली जानकारी देनी होती है। इसके बाद अनरेजिस्टर व्यक्ति को 15 अक्षर का ट्रांसपोर्टर आईडी मिल जाता है, जिसे TRANS ID कहते हैं। यह उसके द्वारा भरे गए राज्य के नाम, पैन नंबर और चेक सम संख्या पर आधारित होता है। इसी आईडी के माध्यम से वो अपना ई-वे बिल बना सकता है और साथ ही अन्य व्यक्तियों को अपनी यह आईडी दे सकता है जो ई-वे बिल में उसकी जानकारी के लिए इसे इस्तेमाल कर सकते हैं।
वो ट्रांसपोर्टर जो एक से अधिक राज्य में जीएसटी के अंतर्गत रजिस्टर है, अपने सभी राज्यों के जीएसटी रजिस्ट्रेशन (E way bill registration for unregistered dealer) के लिए कॉमन ट्रांसपोर्टर रजिस्ट्रेशन ले सकता है। ऐसा करने पर उसे यूनिक कॉमन एनरोलमेंट नंबर मिलेगा, जिसका इस्तेमाल वो अपने देश भर में बनने वाले ई-वे बिल के पार्ट बी को भरने के लिए कर सकता है। ऐसा केवल एक पैन के माध्यम से रजिस्टर ट्रांसपोर्टर ही कर सकता है।
ई-वे बिल कब जरूरी नहीं है? (When e way bill is not Required in Hindi)
बहुत सी स्थितियां ऐसी है जिसमें ई-वे बिल बनाने की जरूरत नहीं है। ऐसा नागरिकों की सुविधा और सुरक्षा के लिए किया गया है।
- जब ले जाया जाने वाला माल घरेलू और गैर घरेलू छूट प्राप्त ग्राहकों के लिए एलपीजी, पीडीएस में बेचा मिट्टी का तेल, डाक का सामान, आभूषण, सुनार और चांदी बनाने वाले का सामान और वस्तुएं, मुद्रा, उपयोग किए हुए घरेलू सामान, कोरल काम किया हुआ और बिना काम किया हुआ, कीमती पत्थ या कीमती धातुएं हों
- जहां माल को ले जाने वाला वाहन मोटर से नहीं चलता
- जहां समान को बंदरगाह आदि से गोदाम तक ले जाया जाता है
- किसी राज्य सरकार के द्वारा बनाए गए रूल्स के हिसाब से
- जहां भेजा जाने वाला माल जीएसटी में सप्लाई नहीं माना जाता
- जहां भेजा जाने वाला माल पीने वाली शराब या जीएसटी के दायरे से बहार के 5 पेट्रोल उत्पाद है
- रक्षा मंत्रालय को या इनके द्वारा भेजा जाने वाला माल
- जहां रेल के द्वारा भेजे जाने वाला माल सरकारी विभाग को भेजा जा रहा है
- धर्मकांटे से बिजनेस प्लेस तक और बिजनेस प्लेस से धर्मकांटे तक ले जाए जाने वाला माल
- एलपीजी के खाली सिलेंडर जब सप्लाई के अलावा भेजे जा रहे हों
- अन्य दी गई स्थितियां
ई-वे बिल की वैधता का समय (E way bill validity period in Hindi)
ई-वे बिल की समय सीमा इस बात पर निर्भर करती है कि माल के द्वारा कितनी दूरी तय की जानी है। जैसा कि हमने ई-वे बिल में दी जाने वाली जानकारी में जाना था कि इसमें भेजे जाने वाले और प्राप्त करने वाले दोनों स्थानों के PIN कोड देने होते हैं, इन्हीं कोड के इस्तेमाल से ही ई-वे बिल पोर्टल के द्वारा माल की दूरी तय की जाती है और साथ ही ई-वे बिल की वैलिडिटी भी तय की जाती है।
अगर माल को 100 किलोमीटर तक ले जाया जाता है, तो ई-वे बिल की वैधता 1 दिन की होती है। इसके बाद हर 100 किलोमीटर के लिए 1 दिन की वैधता होती है। उदाहरण के तौर पर 1500 किलोमीटर के लिए हर 100 किलोमीटर के हिसाब से एक दिन और कुल 15 दिन की वैधता होती है। अगर माल को ले जाने वाला वाहन ओवर डायमेंशनल कार्गो है या माल को ले जाने के लिए कहीं एक बार भी पानी के जहाज का इस्तेमाल होता है, तो 100 किलोमीटर की जगह हर 20 किलोमीटर के लिए 1 दिन की वैधता होती है।
ई-वे बिल की वैधता को उसमे पार्ट बी की जानकारी पहली बार जब डाली जाती है, वहां से गिना जाता (E way bill validity time in Hindi) है। उसके बाद होने वाले बदलाव को ध्यान में नहीं लिया जाता है। इसके बाद हर दिन मध्यरात्रि तक गिना जाता है। उदाहरण के तौर पर अगर पार्ट बी की जानकारी 20 नवंबर के सुबह 4 बजे दी गई, तो 21-22 नवंबर की मध्यरात्रि को एक दिन पूरा होता है। इसी तरह अगर 20 नवंबर की रात के 11 बजे भी ई-वे बिल बनता है तो भी समान तरह से ही 21-22 की मध्यरात्रि को एक दिन होगा।
ई-वे बिल वैलिडिटी को कैसे बढ़ाएं? (How to Extend e way bill validity in Hindi)
ई-वे बिल की वैलिडिटी खत्म होने के बाद ट्रांसपोर्टर को माल को आगे नहीं बढ़ाना चाहिए। ऐसा करने पर उस पर और माल को भेजने वाले पर दंड भी लगाया जा सकता है। ऐसे में अगर किसी कारण से ई-वे बिल की समय सीमा में माल को नहीं पहुंचाया जा सकता तो उसे ई-वे बिल की वैलिडिटी को बढ़ाना होगा या नया ई-वे बिल तैयार किया जाना चाहिए। ई-वे बिल की वैधता समाप्त होने के 8 घंटे के भीतर बढ़ाई जा सकती है।
कमिश्नर के द्वारा भी नोटिफिकेशन के माध्यम से कुछ पदार्थों के लिए ई-वे बिल की वैधता को बढ़ाया जा सकता है। साथ ही अगर किसी आपदा के कारण, कानून और व्यवस्था के मुद्दो के चलते, वाहन की दुर्घटना या परिवहन में होने वाली देरी के चलते अगर समय पर समान नहीं पहुंचाया जा सकता, तो ट्रांसपोर्टर के द्वारा ई-वे बिल की वैधता को बढ़ाया जा सकता है। ऐसा करने के लिए ट्रांसपोर्टर को ई-वे बिल पोर्टल पर पार्ट बी में वैधता (E way bill extend kaise kare) को बढ़ाने की वजह बतानी होगी।
ई-वे बिल कैंसल कैसे करें? (E way bill cancel kaise kare)
ई-वे बिल बनने के बाद माल को भेजने वाले और प्राप्त करने वाले दोनों लोगों के पोर्टल पर इसे भेजा जाता है। अगर भेजने वाले ने या ट्रांसपोर्टर ने इसे बनाया हो तो प्राप्त करने वाले को और अगर प्राप्त करने वाले या ट्रांसपोर्टर ने बनाया हो तो भेजने वाले के पोर्टल पर ई-वे बिल भेजा जाता है। जिसे उसे 72 घंटे या समान की डिलीवरी के समय से पहले स्वीकार या रिजेक्ट करना होता है। अगर दोनों ही नहीं किए जाते तो मान लिया जाता है कि उसने इसे स्वीकार कर लिया है।
इसके अलावा अगर किसी स्थिति में गलत ई-वे बिल बन जाता है, तब भी उसे कैंसल किया जा सकता है। जब माल को ट्रांसपोर्ट नहीं किया जाता या ई-वे बिल की जानकारी के हिसाब से नहीं भेजा जाता तो ई-वे बिल को कैंसल किया जाता है। ई-वे बिल को बनाने के 24 घंटे के अंदर अंदर ही कैंसल किया जा सकता (E way bill cancellation time limit) है। इसके साथ ही अगर रास्ते में जीएसटी के अधिकारी के द्वारा ई-वे बिल चेक कर लिया गया है, तो इसे किसी भी हालत में कैंसल नहीं किया जा सकता।
ई-वे बिल नहीं बना तो क्या करें? (Penalty for e way bill in Hindi)
अगर माल को भेजने वाले के द्वारा ई-वे बिल बनाना याद नहीं रहता या नहीं बनाया जाता, तब ट्रांसपोर्टर को ई-वे बिल बना लेना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर और माल की आवाजाही करने पर भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है। जीएसटी में अधिकारियों को रास्ते में माल को चेक करने का अधिकार है। ई-वे बिल के बिना होने वाले माल की आवाजाही पर पैसों का दंड और अन्य पेनल्टी (E way bill not made penalty in Hindi) भी लग सकती है।
इस स्थिति में अगर जीएसटी के अधिकारी के द्वारा माल के वाहन को पकड़ लिया जाता है, तो माल के माध्यम से होने वाली टैक्स की चोरी या 10,000 जो भी अधिक होता है, उस राशि की पेनल्टी लगाई जाती है। इसके साथ ही माल और उसके ले जाने वाला वाहन भी कब्जे में लिया जा सकता है। जिसको छुड़वाने के लिए अगर माल का मालिक सामने आता है, तो माल के टैक्स की 200% पेनल्टी का भुगतान करना पड़ता है। परंतु अगर मालिक सामने नहीं आता है, तो माल की कीमत के 50% और उसपर लगने वाले टैक्स का 200%, जो भी अधिक होता है, उसका भुगतान करना पड़ता है।
E way bill kya hai – Related FAQs
प्रश्न: ई-वे बिल के लिए कॉमन पोर्टल कौनसा है?
उत्तर: ई-वे बिल के कार्यों के लिए www.ewaybillgst.gov.in पोर्टल है।
प्रश्न: ई-वे बिल कब बनाना होता है?
उत्तर: जब ले जाए जाने वाले सामान की कीमत 50,000 से अधिक होती है।
प्रश्न: ई-वे बिल कौन बनाता है?
उत्तर: इसे सप्लायर, प्राप्त करने वाला या ट्रांसपोर्टर में से कोई भी बना सकता है।
प्रश्न: ई-वे बिल कितने समय तक वैलिड रहता है?
उत्तर: ई-वे बिल की वैलिडिटी दूरी के हिसाब से होती है, जिसके पूरी जानकारी इस लेख में दी गई है।