चुनावी बांड क्या होता है? यह किस काम आता है? चुनावी बांड की बिक्री कौन कर सकता है? (What is election bond? What is it’s use? Who can sell election bond?)
यह तो हम, आप सभी जानते हैं कि प्रत्येक राजनीतिक पार्टी चंदे से चलती है। देश के बड़े बड़े उद्योगपति राजनीतिक पार्टियों को चुनाव लड़ने के लिए चंदा देते हैं। यह अलग बात है कि इस चंदे का इतना दबाव होता है कि सत्ता में आने पर संबंधित पार्टी को चंदा देने वाले के पक्ष में कई फैसले लेने पड़ते हैं। केंद्र सरकार पहले ही राजनीतिक दलों को चंदा दिए जाने के तरीके में बदलाव करते हुए चुनावी बांड (election bond) का प्रावधान कर चुकी है। इन दिनों इलेक्शन बांड की बिक्री होने से इलेक्शन बांड फिर चर्चा में है।
दोस्तों, क्या आप जानते हैं कि चुनावी बांड क्या होता है? (What is election bond?) यह किस काम आता है? (What is it’s use?) इसकी बिक्री कौन कर सकता है? (Who can sell election bonds?) यह कब तक वैध रहता है? (Till when it is valid?) आदि आदि। यदि नहीं तो आज हम आपको इन्हीं सभी सवालों के जवाब देंगे। चुनावी बांड पर आपको विस्तार से जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-
दोस्तों, सबसे पहले बात कर लेते हैं चुनावी बांड की। चुनावी बांड क्या होता है? (What is election bond?) आपको जानकारी दे दें कि चुनावी बांड एक वचन पत्र की तरह होता है। इसे नकद चंदे (cash donation) का विकल्प भी कहा जा सकता है। इसे राजनीतिक दलों (political parties) को दान किया जा सकता है।
इसकी बिक्री के लिए देश में केवल भारतीय स्टेट बैंक (state bank of india) यानी एसबीआई (SBI) को अधिकृत (authorise) किया गया है। इसे कोई भी भारतीय नागरिक, नागरिकों का समूह अथवा किसी कंपनी के द्वारा खरीदा जा सकता है। ये नागरिक, कंपनियां अथवा कारपोरेट इन बांड्स को अपनी मनपसंद किसी भी राजनीतिक पार्टी को दान कर सकते हैं। मूल रूप से बांड बैंक नोट (bank note) के समान होते हैं।
ये मांग पर (on demand) वाहक को देय (payable to bearer) होते हैं। साथ ही ये ब्याज मुक्त (interest free) भी होते हैं। इन बांड्स को चेक (cheque) अथवा डिजिटल ट्रांजेक्शन (digital transaction) के जरिए खरीदा जा सकता है। चुनावी बांड (election bond) के तहत यह व्यवस्था की गई कि किसी पार्टी को दान दिए सारे दान को जनता सामने दान देने वाले के ब्योरे को सामने लाए बगैर बैलेंस शीट (balance sheet) में शामिल किया जाए।
मित्रों, यह तो आप जानते ही हैं कि राजनीतिक चंदे (political donation) को लेकर अक्सर राजनीतिक पार्टियां सवालों के घेरे में रहती हैं। इसमें पारदर्शिता (transperancy) का घोर अभाव रहता है। आपको जानकारी दे दें कि राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाए जाने की बात कहते हुए चुनावी बांड को केंद्र सरकार ने आज से करीब पांच वर्ष पूर्व यानी सन् 2017 में वित्तीय बिल (finance bill) के साथ पेश किया था।
इसके पश्चात 29 जनवरी, 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) नीत एनडीए सरकार (NDA government) ने चुनावी बांड योजना- 2018 को अधिसूचित किया।
मित्रों, अब आप सोच रहे होंगे कि इलेक्शन बांड लाए जाने से पूर्व क्या व्यवस्था थी? तो आपको बता दें कि उस समय नकद चंदा दिया जा सकता था। लेकिन राजनीतिक दलों के लिए यह अनिवार्य था, कि वे अपने उन सभी दानदाताओं के ब्योरे का खुलासा करें, जिन्होंने उन्हें 20 हजार रूपए से अधिक दान दिया है। चुनावी बांड को सामान्य नागरिक के जानने का अधिकार भी कई लोग कहकर पुकारते हें।
इलेक्शन बांड लाने का उद्देश्य क्या था? (What was the objective to present election bond?)
दोस्तों, यदि चुनावी बांड लाए जाने के उद्देश्य की बात करें तो चुनावी बांड जारी करने का प्राथमिक उद्देश्य राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाना है। राजनैतिक दलों को नकद चंदे के विकल्प के तौर पर चुनावी बांड की व्यवस्था की गई थी।
चुनावी बांड में भुगतान केवल डिजिटली अथवा चेक के माध्यम से किया जा सकता है। ऐसे में सरकार का कहना था कि चुनावी बांड के जरिए चुनावों में फंडिंग (funding) के लिए काले धन (black money) के इस्तेमाल पर नजर रहेगी।
साथियों, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चुनावी बांड प्रत्येक तिमाही (quarter) की शुरूआत में महज 10 दिन के लिए खरीद को उपलब्ध होते हैं। वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा चुनावी बांड की बिक्री के लिए जनवरी, अप्रैल, जुलाई एवं अक्तूबर के पहले 10 दिन तय किए गए हैं।
आपको बता दें कि सन् 2024 में यानी कि लोकसभा चुनाव के वर्ष में सरकार 30 दिनों की अतिरिक्त अवधि (additional time period) चुनावी बांड की बिक्री के लिए तय करेगी।
मित्रों, अब आपके मन में यह सवाल अवश्य उठ रहा होगा कि चुनावी बांड की खरीद के पश्चात यह बांड कब तक वैध (valid) रहते हैं? तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चुनावी बांड जारी होने की तारीख सेे केवल 15 दिन के भीतर तक वैध रहता है।
यानी एक पखवाड़े के भीतर वाहक को चुनावी बांड के माध्यम से राशि देय होगी।
दोस्तों, एक जुलाई, 2024 को सरकार ने राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले चुनावी बांड की बिक्री को मंजूरी दी है। इस प्रकार चुनावी बांड के 21वें चरण की बिक्री 1 जुलाई, 2024 से शुरू हो गई। इससे पूर्व चुनावी बांड के 20वें बांड की बिक्री 1 अप्रैल, 2024 से 10 अप्रैल, 2024 तक की गई थी। इससे पूर्व इस वर्ष यह प्रक्रिया 1 जनवरी, 2024 से 10 जनवरी, 2024 तक चली थी।
वित्त मंत्रालय (ministry of finance) के अनुसार, एसबीआई (SBI) अपनी अधिकृत 29 शाखाओं के माध्यम से 1 जुलाई से 10 जुलाई तक चुनावी बांड की बिक्री एवं इनके लिए भुगतान (payment) करेगा। इन शाखाओं में देहरादून (dehradun), शिमला (Shimla), कोलकाता (Kolkata), मुंबई (Mumbai), लखनऊ (Lucknow), गुवाहाटी (guwahati), चेन्नई (chennai), पटना (Patna), चंडीगढ़ (Chandigarh), नई दिल्ली (New Delhi), श्रीनगर (Srinagar), गांधीनगर (Gandhi nagar), भोपाल (bhopal), रायपुर (Raipur) आदि शाखाएं प्रमुख रूप से शामिल हैं।
कितने रुपए के इलेक्शन बांड जारी किए जा सकते हैं? (Election bonds can be issued of how many rupees?)
मित्रों, यह तो हमने आपको अभी बताया है कि इलेक्शन बांड राजनैतिक पार्टियों को दन करने के लिए एक वित्तीय साधन यानी फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट (financial instrument) है। लेकिन अब आपके दिमाग में यह सवाल उठ रहा होगा कि इलेक्शन बांड कितने रुपए के जारी किए जा सकते हैं?
तो आपको बता दें कि चुनावी बांड जारी करने की कोई अधिकतम सीमा (maximum limit) नहीं रखी गई है, यद्यपि यह बांड 1000 रुपए, 10 हजार रुपए, एक लाख रुपए, 10 लाख रुपए, एक करोड़ रुपए के गुणक में जारी किए जा सकते हैं।
मित्रों, आपमें से बहुत से लोग यह अवश्य सोच रहे होंगे कि क्या चुनावी बांड प्रत्येक राजनीतिक पार्टी को देय है तो आपको स्पष्ट कर दें दोस्तों कि ऐसा कतई नहीं है। चुनावी बांड केवल उन्हीं राजनीतिक पार्टियों (political parties) को दान किए जा सकते हैं, जिनका रजिस्ट्रेशन (registration) जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29 ए के अंतर्गत हुआ है।
इसके साथ ही यह भी आवश्यक शर्त है कि उस पार्टी ने बीते आम चुनाव (general election) में न्यूनतम 1 प्रतिशत मत (vote) अवश्य प्राप्त किए हों।
यह तो आप जानते ही हैं कि इस समय भाजपा (BJP) दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है। भारत में इस वक्त भाजपा की ही अगुवाई में केंद्र में एनडीए सरकार चल रही है। आपको बता दें दोस्तों कि चुनावी बांड के जरिए भाजपा को ही सबसे अधिक राशि दान के रूप में प्राप्त हुई है।
कुछ समय पहले ही एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (association for democratic reforms) यानी एडीआर (ADR) संस्था ने भाजपा की ओर से भारतीय चुनाव आयोग में दी गई सालाना आडिट रिपोर्ट (annual audit report) के हवाले से यह दावा किया था। इसके अनुसार भाजपा को दान राशि का बडा हिस्सा इलेक्शन बांड के जरिए मिला, जो 2,555 करोड़ रुपए था।
कांग्रेस (congress) की बात करें तो 2019-20 में उसे इलेक्शन बांड के जरिए 318 करोड़ रूपए दान मिले। वहीं, तृणमूल कांग्रेस (trinamul congress) को करीब 100 करोड़, शरद पवार की एनसीपी (NCP) को 29 करोड़ रूपए, जबकि अरविंद केजरीवाल की आप पार्टी (AAP) को 18 लाख रुपए प्राप्त हुए। लालू प्रसाद यादव की आरजेडी (RJD) को केवल ढाई करोड़ रुपए का दान ही इलेक्शन बांड के जरिए प्राप्त हुआ।
यद्यपि सरकार राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता के नाम पर नकद चंदे के विकल्प के तौर पर चुनावी बांड की व्यवस्था लाई थी, लेकिन इनकी वजह से पारदर्शिता खत्म कर देने के आरोप सरकार पर लगे। सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने भी चुनावी बांड के माध्यम से प्राप्त धान के अतिवादी अथवा हिंसक विरोध प्रदर्शन संबंधी फंडिंग में बेजा इस्तेमाल की आशंका जताई थी और सरकार से पूछा था कि क्या राजनीतिक पार्टियों द्वारा प्राप्त इस धन के इस्तेमाल पर कोई नियंत्रण है? इसके पीछे यह कारण हैं-
- इस व्यवस्था के तहत दान देने वाले का ब्योरा नहीं रहता। न तो उसके नाम की घोषणा होती है और न ही फंड लेने वाले के नाम की।
- चुनावी बांड खरीदने का जिम्मा केवल एसबीआई पर है, जो कि सरकारी बैंंक है। ऐसे में सरकार प्रत्येक खरीद की जानकारी रखती है।
- कारपोरेट (corporate) द्वारा की गई फंडिंग पर 7.5 प्रतिशत कैप (cap) को हटाया जाना।
- एक निगम को कम से कम तीन वर्ष पूराना होने का प्रावधान (provision) समाप्त करना।
- हंता वायरस क्या है? कैसे संक्रमित करता है? हंता वायरस के लक्षण एवं बचाव के उपाय
- विशाल मेगा मार्ट फ्रेंचाइजी कैसे खोले? लागत, मुनाफा, नियम व शर्ते | (Vishal Mega Mart Franchise in Hindi)
- ड्रॉपशीपिंग का बिज़नेस कैसे शुरू करे? | लागत, मुनाफा, नियम व शर्ते | Dropshipping Business in India in Hindi
- सीएससी से लेबर कार्ड रिन्यू कैसे करें? CSC se labour card renew kaise kare
- एक भाई के अधिकार क्या-क्या हैं? What are the rights of a brother?
इलेक्शन बांड क्या होता है?
इलेक्शन बांड एक वचन पत्र की तरह होता है। इसे राजनीतिक दलों को दान दिया जा सकता है। यह नकद चंदे का विकल्प होता है।
इलेक्शन बांड कौन खरीद सकता है?
इसे कोई भी नागरिक, नागरिकों का समूह अथवा कंपनी खरीद सकती है।
इलेक्शन बांड जारी करने का क्या उद्देश्य है?
इलेक्शन बांड जारी करने का उद्देश्य राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाना है।
इलेक्शन बांड योजना कब अधिसूचित हुई?
इलेक्शन बांड योजना आज से चार वर्ष पूर्व सन् 2018 में अधिसूचित हुई।
इलेक्शन बांड की बिक्री कब होती है?
प्रत्येक तिमाही के पहले 10 दिन में इलेक्शन बांड की बिक्री होती है।
इलेक्शन बांड कितने दिन के लिए वैध होता है?
इलेक्शन बांड जारी किए जाने की तिथि से 15 दिन के भीतर तक ही वैध होता है।
इलेक्शन बांड की बिक्री के लिए कौन सा बैंक अधिकृत है?
इलेक्शन बांड की बिक्री के लिए भारतीय स्टेट बैंक अधिकृत है।
अभी तक इलेक्शन बांड की कितने चरण की बिक्री हो चुकी है?
अभी तक इलेक्शन बांड की 20 चरण की बिक्री हो चुकी है।
इलेक्शन बांड के 21वें चरण की बिक्री कब से शुरू हुई है?
इलेक्शन बांड के 21वें चरण की बिक्री 1 जुलाई, 2024 से शुरू हुई है।
जी नहीं, जिन राजनीतिक दलों का रजिस्ट्रेशन जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29 (ए) के अंतर्गत हुआ है। चुनावी बांड केवल उन्हें ही दिया जा सकता है। इसके साथ ही चंदे की यह भी आवश्यक शर्त है कि उस पार्टी ने बीते आम चुनाव में न्यूनतम 1 प्रतिशत मत अवश्य प्राप्त किए हों।
दोस्तों, हमने आपको अभी इस पोस्ट (post) के माध्यम से चुनावी बांड के बारे में जानकारी दी। यदि आप इसी प्रकार की जानकारीप्रद पोस्ट हमसे चाहते हैं तो उसके लिए हमें नीचे दिए गए कमेंट बाक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके बता सकते हैं। आपकी प्रतिक्रियाओं का हमें इंतजार है। ।।धन्यवाद।।
—————————–