महिला सशक्तिकरण की जरुरत क्यों है? | महिला सशक्तिकरण पर निबंध | Essay on women empowerment in Hindi

|| महिला सशक्तिकरण पर निबंध | Essay on women empowerment in Hindi | Women empowerment essay in Hindi | महिला सशक्तिकरण क्या है संक्षिप्त नोट लिखें? | महिला सशक्तिकरण की परिभाषा | Mahila sashaktikaran dushprabhav | महिला सशक्तिकरण के लिए शिक्षा की भूमिका क्या है? ||

Essay on women empowerment in Hindi :- आज ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जहाँ महिलाओं ने अपनी भागीदारी सुनिश्चित ना की हो। महिलाएं पहले की तुलना में अब हर क्षेत्र में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने लगी हैं फिर चाहे वह विज्ञान हो या कला, खेल हो या मनोरंजन। हर क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी महिला सशक्तिकरण का ही एक रूप है। हाल ही में भारत सरकार ने संसद में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए नारी शक्ति वंदन अधिनियम के जरिये उन्हें 33 प्रतिशत का आरक्षण दिया है जो एक साहसिक, अभूतपूर्व व ऐतिहासिक कदम (Women empowerment essay in Hindi) है।

ऐसे में पूरे देश में ही महिला सशक्तिकरण की बात हो रही है। साथ ही पिछले कुछ वर्षों में तो इसको लेकर बहुत प्रयास भी हुए हैं। तो यह महिला सशक्तिकरण है क्या चीज़, इसके बारे में जानकारी ली जानी बहुत जरुरी है। बहुत से लोग इसे गलत प्रारूप में ले लेते हैं। जहाँ एक ओर पुरुष इसे स्त्रियों की फूहड़ता और अश्लीलता से जोड़कर देखते हैं तो वहीं महिलाएं इसका इस्तेमाल गलत कामों के लिए करती (Mahila sashaktikaran par nibandh) हैं।

ऐसे में आज हम आपके सामने महिला सशक्तिकरण के ऊपर निबंध लिखने जा रहे हैं और इसके बारे में गहन चर्चा करने जा रहे हैं। आज का यह लेख संपूर्ण रूप से महिला सशक्तिकरण के विषय पर ही प्रकाश डालता है। तो आइये जाने महिला सशक्तिकरण है क्या और किस तरह से यह समाज व देश को प्रभावित कर सकता (Nari sashaktikaran par nibandh) है।

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महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Essay on women empowerment in Hindi)

आज का यह लेख महिला सशक्तिकरण के निबंध के ऊपर लिखा गया है। तो सबसे पहले हम बात करते हैं महिला सशक्तिकरण है क्या चीज़ और इससे हमारा क्या आशय है। तो आज के समय में हम फिल्मों या नाटकों में आने वाली महिलाओं को देखकर या फिर फिल्म एक्ट्रेस के द्वारा दिखाए जा रहे नंगेपन या अश्लीलता को ही महिला सशक्तिकरण से जोड़कर देख लेते हैं। वास्तविकता में यह महिला सशक्तिकरण नहीं बल्कि केवल और केवल इसके नाम पर लोगों को और खासतौर पर महिलाओं को ही भ्रमित करने का प्रयास है। इसे हम महिला सशक्तिकरण के रूप में फैलाया जा रहा दुष्प्रचार भी कह सकते (Mahila sashaktikaran essay in Hindi) हैं।

Essay on women empowerment in Hindi

इसके प्रभाव में आकर ही एक स्कूल या कॉलेज जाने वाली छात्रा छोटे कपड़े पहन कर अपने आप को महिला सशक्तिकरण का उदाहरण पेश करने से नहीं चूकती है या किसी कमजोर पुरुष को सरेआम लताड़ना अपनी बड़ाई समझती है। ऐसे में असल मायनो में महिला सशक्तिकरण है क्या और उसका क्या आशय होता है, तो आज के इस लेख में हम आपके साथ इसी विषय पर ही गहराई से चर्चा करने वाले (What is the importance of women’s empowerment in India in Hindi) हैं। इसी के साथ ही आपको यह भी बताया जाएगा कि महिला सशक्तिकरण की क्यों आवश्यकता है और इसके क्या दुष्परिणाम देखने को मिल रहे हैं।

प्रस्तावना

हमारे देश में नारी को पूजनीय माना गया है। विश्व में कई धर्म है लेकिन हरेक धर्म में केवल पुरुष को ही ईश्वर का दर्जा दिया गया है जबकि सनातन धर्म में ईश्वर के रूप में पुरुष के साथ साथ देवी को भी स्थान दिया गया है। देवी को तो ईश्वर की जननी भी कहा गया है जिस कारण वह उनके लिए माता के रूप में पूजनीय हो जाती है। ऐसे में सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति में नारी या महिला को अत्यधिक पूजनीय व वंदनीय माना गया (Mahila sashaktikaran kya hai) है।

किन्तु इसे कलयुग का प्रकोप ही कहें या बढ़ता अपराध, उसी का ही परिणाम है कि आज के समय में महिलाओं पर अत्याचार बहुत बढ़ गया है। अब यदि आपको लगता है कि केवल भारतीय समाज में ही महिलाओं पर अत्याचार किया जाता है तो ऐसा नहीं है। जो पश्चिमी संस्कृति हमें इतनी भाती है, वहां पर तो और ज्यादा महिला अत्याचार देखने को मिलते हैं। पश्चिम के कई देशों मुख्यतया स्पेन, फ्रांस, इटली इत्यादि में तो महिलाओं के साथ घर पर मारपीट करने का चलन बहुत ही आम है।

ऐसे में आज का यह लेख आपको महिला सशक्तिकरण के बारे में क्या कुछ किया जा सकता है और क्या कुछ किया जा रहा है इसकी जानकारी देगा। इसी के साथ ही हम आपको यह भी बताएँगे कि सही मायनो में महिला सशक्तिकरण का क्या अर्थ होता है ताकि आप किसी और के फैलाये जाल से भ्रमित ना हो।

महिला सशक्तिकरण की परिभाषा (Mahila sashaktikaran ki paribhasha)

सबसे पहले हम महिला सशक्तिकरण की परिभाषा के बारे में बात कर लेते हैं और यह जानने का प्रयास करते हैं कि आखिरकार यह महिला सशक्तिकरण है क्या चीज़। महिला सशक्तिकरण शब्द का अर्थ होता है किसी महिला का सशक्त होना अर्थात सक्षम होना। एक तरह से यदि महिला पढ़ लिखकर अपने अधिकारों को जान पाती है, अपने अधिकार के लिए आवाज उठाती है, उनके लिए लड़ती है या सरकार व समाज के सामने अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए आह्वान करती है तो उसे ही महिला सशक्तिकरण कहा जाता (Women empowerment meaning and definition in Hindi) है।

अब यह सब महिला केवल पुरुषों के भरोसे तो नहीं कर सकती है। ऐसे में महिला स्वयं इसकी बागडौर अपने हाथ में लेती है और विभिन्न क्षेत्रों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करती है। इसी के साथ ही पुरुषों पर दबाव डालती है कि उन्हें भी पुरुषों के बराबर अधिकार मिले। अब जो महिला वैज्ञानिक है, शिक्षक है, इंजीनियर है वह सभी महिला सशक्तिकरण का ही उदाहरण है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि जो महिलाएं गृहिणी हैं या बच्चों के कारण नौकरी छोड़ चुकी हैं तो वे महिला सशक्तिकरण का उदाहरण नहीं है।

जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि यदि महिला अपने अधिकारों को लेकर जागरूक है, उनका समुचित उपयोग करती है और सही उपयोग करती है तो वह महिला सशक्तिकरण का ही उदाहरण होती है।

महिला सशक्तिकरण के तीन भाग

अब हम आपके सामने तीन तरह की महिलाएं रखने जा रहे हैं जो महिला सशक्तिकरण के तीन रूप दिखाते हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि इस विश्व में तीन तरह की महिला होती है जो महिला सशक्तिकरण का उपयोग करती हैं, जो दुरुपयोग करती हैं और जो कुछ नहीं करती हैं। तो आइये इसके तीनों भागों के बारे में जान लेते हैं।

महिला सशक्तिकरण से अनभिज्ञ

इस वर्ग में वे सभी महिलाएं आती हैं जिन्हें महिला सशक्तिकरण के बारे में जानकारी नहीं है अर्थात उन्हें अपने अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं है। इसी के साथ ही वे महिलाएं भी आती हैं जिन्हें इसके बारे में जानकारी तो है लेकिन वे इसके लिए कार्य नहीं करती हैं या इसके लिए अपनी आवाज नहीं उठाती हैं। ऐसे में उन्हें दबी कुचली महिलाएं या अशिक्षित महिलाएं कहा जा सकता है। इसका मूल कारण शिक्षा व साहस का अभाव हो सकता है।

महिला सशक्तिकरण का सदुपयोग

इस वर्ग की महिलाएं महिला सशक्तिकरण का सबसे अनमोल उदाहरण होती हैं। इनमे वे सभी महिलाएं होती हैं जिन्हें अपने अधिकार भी पता है और वे उनका समुचित उपयोग भी करती हैं। इसके साथ ही महिला सशक्तिकरण की लड़ाई लड़ने वाली, दूसरों को न्याय दिलवाने वाली और अपने अधिकार की बात रखने वाली महिलाएं भी इसी श्रेणी के अंतर्गत आती हैं।

महिला सशक्तिकरण का दुरुपयोग

इस श्रेणी में वे महिलाएं आती हैं जो महिला सशक्तिकरण के नाम पर उसका दुरुपयोग करती हैं। उदाहरण के तौर पर किसी पर झूठा रेप केस लगाना, अन्य पुरुष को जालसाजी में फंसाना, कानून के नाम पर उन्हें धमकाना या आत्महत्या करने को उकसाना इत्यादि। वर्तमान समय में महिला सशक्तिकरण के नाम पर ऐसी महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है जिस कारण पुरुष अब इसका विरोध करने लगे हैं।

महिला सशक्तिकरण की जरुरत क्यों है? (Mahila sashaktikaran kyon jaruri hai)

अब हम बात करेंगे कि आखिरकार महिला सशक्तिकरण की जरुरत क्यों है या फिर सरकारों व सामाजिक संस्थाओं के द्वारा इस पर क्यों इतना जोर दिया जा रहा (Mahila sashaktikaran kyon aavashyak hai) है। तो महिला सशक्तिकरण की भावना को बल देने के कई कारण होते हैं जिनमें से कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:

नौकरियों की भिन्नता

पहले के समय में कार्य को लेकर बहुत ही स्पष्टता थी। घर के बाहर का शारीरिक श्रम पुरुष करते थे जबकि घर के अंदर का शारीरिक श्रम महिलाएं करती थी। हालाँकि समय के साथ साथ काम करने के क्षेत्र में बहुत भिन्नता आ गयी है और अब तकनीक ने इसमें अपना स्थान बना लिया है। तो तकनीक तो किसी एक की देन नहीं है और इस पर महिला भी बहुत अच्छे से काम कर सकती हैं और कर भी रही हैं। ऐसे में वर्तमान में उत्पन्न हुई नौकरियों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए महिला सशक्तिकरण की बहुत ज्यादा आवश्यकता है।

महिलाओं की प्रबंधन शक्ति

बहुत बार यह देखा गया है और कई शोध में भी यह बात सामने आ चुकी है कि महिलाओं को ईश्वर के द्वारा एक अनमोल उपहार दिया गया है। वह है प्रबंधन शक्ति अर्थात मैनेज करने की क्षमता। पुरुष की तुलना में महिलाएं चीज़ों और कार्यों का बेहतर प्रबन्धन कर सकती हैं। ऐसे में जो कार्य पुरुष कठिनाई से करते हैं या उन्हें यह करने में देरी होती है, वह कार्य महिलाएं बहुत ही सरलता से कर पाती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि महिलाएं घर में एक साथ कई तरह के कार्य संभालने में माहिर होती हैं।

हिंसा में कमी

पुरुष की प्रवृत्ति हिंसात्मक होती है जबकि महिलाएं नरम दिल वाली होती हैं। वे किसी भी घटना पर उत्तेजित होकर लड़ने की बजाये रोना या निराश होना ज्यादा पसंद करती हैं लेकिन हिंसा बहुत ही कम करती हैं। इसी कारण पहले के समय में पुरुष प्रधानता के कारण युद्ध इतने बड़े स्तर पर होते थे लेकिन धीरे धीरे महिलाओं की बढ़ती भागीदारी ने इस पर अंकुश लगाने का काम किया है। ऐसे में महिलाओं को बराबर लाकर विश्व में हिंसा में भी कमी लायी जा सकती है।

सामाजिक उत्थान

पुरुष के पास शारीरिक शक्ति होती है जबकि महिलाएं मानसिक शक्ति लिए होती है। दोनों ही इसका अपनी अपनी तरह से उपयोग व दुरुपयोग करते हैं। जहाँ एक ओर शारीरिक शक्ति उस समय के लिए कारगर होती है तो वहीं मानसिक शक्ति लंबे समय के लिए कारगर सिद्ध होती है। हालाँकि शारीरिक शक्ति के दम पर पुरुष ही आगे रहते हैं और महिलाएं इसमें पिछड़ जाती हैं। ऐसे में महिलाओं के समाजिक उत्थान के लिए भी महिला सशक्तिकरण की बहुत जरुरत होती है।

आर्थिक मजबूती

आज के समय में पूरी दुनिया में तरह तरह का घर का काम करने के लिए कई तरह की मशीन आ चुकी है और साथ ही हम अपने घर पर वह काम करने के लिए कामवाली भी रखते हैं। तो ऐसे में महिलाएं खाली समय यूँ ही बिताने की बजाये कुछ काम कर अपने परिवार की आर्थिक सहायता कर सकती है। साथ ही महिलाओं के काम करने से देश ज्यादा तेज गति से उन्नति करता है और आगे बढ़ता है। इस कारण भी महिला सशक्तिकरण पर इतना जोर दिया जा रहा है।

महिला सशक्तिकरण के लिए क्या करना होगा? (Mahila sashaktikaran ke upay)

अब आपने यह तो जान लिया है कि महिला सशक्तिकरण क्यों जरुरी है लेकिन इसी के साथ यह जानना भी जरुरी हो जाता है कि उसके लिए हमारी ओर से क्या कुछ प्रयास किये जा सकते हैं और क्या कुछ प्रयास अभी किये भी जा रहे हैं। तो आज हम आपके सामने महिला सशक्तिकरण के लिए किये जा सकने वाले प्रयासों के बारे में जानकारी रखने जा रहे हैं।

भ्रूण हत्या पर रोक

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने पहले कार्यकाल में ही बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा दिया था तो वह यूँ ही नहीं दिया था। अब जब बेटियां ही नहीं बचेगी तो महिला सशक्तिकरण का काम करेगा ही कौन और होगा ही किसलिये। पहले के समय में बेटियों को बोझ समझा जाता था और बहुत जगह तो उन्हें कोख में ही या फिर पैदा होते ही मार दिया जाता था। यह एक घातक सोच ही थी किन्तु आज के समय में यह सोच बहुत ही बदल चुकी है।

अब यह सोच चाहे कानून के डर से बदली हो या समय के साथ साथ इसमें परिवर्तन आया हो लेकिन बदली जरुर है। आज के समय में बेटियों को बोझ नहीं समझा जाता है और उन्हें भी बेटों की तुलना में वही समान अधिकार दिए जाते हैं। ऐसे में भारत सरकार के द्वारा कन्या भ्रूण हत्या पर बनाया गया कठोर नियम भी अहम भूमिका निभाता है।

शिक्षा का समान अधिकार

महिला सशक्तिकरण में सबसे बड़ा रोल शिक्षा निभाती है। पहले के समय में महिलाओं का शोषण इसलिए भी हो जाया करता था क्योंकि उन्हें शिक्षा के अधिकार से वंचित रखा जाता था। ऐसे में जब महिला शिक्षित ही नहीं होगी तो किस मुहं से अपने अधिकारों को लेकर बात करेगी। ऐसे में भारत सरकार, राज्य सरकार तथा विभिन्न संस्थाओं के द्वारा महिलाओं को शिक्षा का समान अधिकार दिया जा रहा है।

अब महिला केवल स्कूल स्तर की ही शिक्षा नहीं ले रही है बल्कि कॉलेज व यूनिवर्सिटी में भी पढ़ रही है। उनके द्वारा बड़े बड़े कॉलेज से अच्छी शिक्षा लेकर बड़ी बड़ी नौकरियां की जा रही है और अपने परिवार का नाम रोशन किया जा रहा है।

महिलाओं के लिए कानूनों का निर्माण

भारत सहित पूरी दुनिया में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई तरह के कानूनों का निर्माण किया गया है। अब यह कानून अलग अलग प्रारूप में बने होते हैं और इनसे महिलाओं को पहले की तुलना में और अधिक मजबूत बनाने का ही काम किया गया है। उदाहरण के रूप में दहेज़ प्रथा पर रोक लगाने का कानून, सती प्रथा पर रोकथाम वाला कानून, पिता की संपत्ति में महिलाओं को अधिकार और अभी हाल ही में आया नारी शक्ति वन्धन अधिनियम जिसके तहत लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत का आरक्षण दिया गया है।

तो ऐसे ही कई तरह के कानून या तो बनाये जा चुके हैं या उन पर काम किया जा रहा है और वे जल्द ही मूर्त रूप लेने लगे हैं। ऐसे में तरह तरह के कानूनों की सहायता से महिलाओं को सशक्त करने का प्रयास किया जा रहा है।

सामाजिक संस्थाओं का सहयोग

वो कहते हैं ना सरकार केवल कानून बना सकती है और उसका पालन करवा सकती है लेकिन किसी घर में क्या हो रहा है और क्या नहीं, यह नहीं देख सकती है। ऐसे में तरह तरह की सामाजिक संस्थाएं खोली गयी है जो महिलाओं की सहायता करती है। इसी के साथ ही इनके द्वारा समाज के लोगों को जागरूक करने का काम किया जा रहा है और उन्हें आगे बढ़ाया जा रहा है।

उनके द्वारा ऐसी महिलाओं को भी शिक्षित किया जा रहा है जो कभी पढ़ी ही नहीं या जिन्हें अपने अधिकार पता ही नहीं है। तो महिला सशक्तिकरण में इन सामाजिक संस्थाओं का योगदान भी सराहनीय है।

महिलाओं की समस्या का समाधान

समाज, सरकार तथा पुरुषों के द्वारा महिलाओं की समस्या पर ध्यान दिया जा रहा है और उनका समाधान किया जा रहा है। आज से एक दशक पहले तक भारत में करोड़ों महिलाएं खुले में शौच जाया करती थी और इसके लिए उन्हें सुबह जल्दी उठकर अँधेरे में शौच जाना पड़ता था। ऐसे में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने लालकिला से अपने पहले भाषण में ही महिलाओं के लिए देशव्यापी स्तर पर शौचालय बनाने का आह्वान किया था।

देखते ही देखते पूरे भारत वर्ष में करोड़ो शौचालयों का निर्माण हो चुका है। आज के समय में यह समस्या लगभग समाप्त हो चुकी है। तो इसी तरह की बहुत सी ऐसी समस्याएं जो महिलाओं के द्वारा झेली जाती थी, उनका समाधान हो रहा है या उस पर प्रयास किये जा रहे हैं।

महिला सशक्तिकरण का दुष्प्रभाव (Mahila sashaktikaran dushprabhav)

अंत में आपको महिला सशक्तिकरण के दुष्प्रभाव या दुरुपयोग के बारे में भी जान लेना चाहिए। अब महिला सशक्तिकरण का अर्थ होता है महिलाओं को पुरुष के बराबर लाया जाना। ऐसे में इसका दुरुपयोग इसे महिलाओं को पुरुष के बराबर नहीं बल्कि उन्हें उनसे ऊपर ले जाने के लिए किया जा रहा है। अब महिलाओं को महिला सशक्तिकरण के नाम पर पुरुष के बराबर सभी तरह के अधिकार तो चाहिए लेकिन जब कर्तव्य निर्वहन की बात आती है तो वह नहीं चाहिए।

उदाहरण के तौर पर महिला सशक्तिकरण की वकालत करने वाले को मेट्रो, बस इत्यादि में महिलाओं के लिए सीट आरक्षित चाहिए जो सरासर गलत है। हालाँकि यदि वह सीट गर्भवती, बुजुर्ग, विकलांग या अन्य जरूरतमंद के लिए आरक्षित की जाती है तो यह उचित है क्योंकि एक सामान्य महिला और पुरुष में क्या अंतर हो गया। अभी भी नहीं समझे तो जरा ऐसे समझिये। एक मेट्रो है और वहां महिला के लिए सीट आरक्षित है। अब वहां सभी सीट भरी हुई है और वही एक सीट खाली है। ऐसे में अगले स्टॉप पर एक बुजुर्ग पुरुष चढ़ता है और एक युवा महिला। तो कानून के अनुसार वहां उस युवा महिला को बैठने का अधिकार होगा, ना कि उस बुजुर्ग पुरुष को।

इसी के साथ ही बहुत सी महिलाएं महिला सशक्तिकरण के नाम पर अपने को मिले अधिकारों या कानूनों का दुरुपयोग करने से भी नहीं हिचकिचाती हैं। इसी कारण आज के समय में बहुत से झूठे बलात्कार के मामले दर्ज करवाए जा रहे हैं। ऐसा करके वे महिलाएं ना केवल सही पुरुष का जीवन बर्बाद करती हैं बल्कि उन महिलाओं पर भी अत्याचार करती हैं जिनके साथ असलियत में बलात्कार हुआ है क्योंकि समाज सभी को संदेह की दृष्टि से देखता है। इस तरह के बहुत से उदाहरण आपको मिल जाएंगे जहाँ हजारों महिलाएं महिला सशक्तिकरण के नाम पर बने कानूनों और अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए देखी जा सकती हैं।

महिला सशक्तिकरण पर निबंध – Related FAQs 

प्रश्न: महिला सशक्तिकरण क्या है संक्षिप्त नोट लिखें?

उत्तर: महिला सशक्तिकरण पर नोट हमने ऊपर के लेख में लिखा है जो आपको पढ़ना चाहिए।

प्रश्न: नारी सशक्तिकरण पर निबंध कैसे लिखें?

उत्तर: नारी सशक्तिकरण पर निबंध हमने ऊपर के लेख में लिखा है जिसे आप पढ़ सकते हो।

प्रश्न: महिला सशक्तिकरण क्यों महत्वपूर्ण है?

उत्तर: महिला सशक्तिकरण महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने के लिए महत्वपूर्ण है।

प्रश्न: महिला सशक्तिकरण के लिए क्या उपाय करेंगे?

उत्तर: महिला सशक्तिकरण के लिए जो उपाय किए जा सकते हैं उसके बारे में विस्तार से जानकारी हमने इस लेख में दी है जो आपको पढ़ना चाहिए।

प्रश्न: महिला सशक्तिकरण के लिए शिक्षा की भूमिका क्या है?

उत्तर: महिला सशक्तिकरण में शिक्षा की भूमिका बहुत अहम है क्योंकि महिलाएं शिक्षित होंगी तभी तो वह अपने अधिकार समझ पाएंगी।

निष्कर्ष

तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने महिला सशक्तिकरण पर निबंध हासिल कर लिया है। हमने इस निबंध में आपको महिला सशक्तिकरण की परिभाषा, महिला सशक्तिकरण के लिए क्या करना होगा, महिला सशक्तिकरण की जरूरत क्यों है और महिला सशक्तिकरण का दुष्प्रभाव क्या है इत्यादि जानकारी दी है। आशा है कि आपको हमारे द्वारा लिखा हुआ है निबंध पसंद आया होगा। यदि ऐसा है तो नीचे कॉमेंट करके अवश्य बताइएगा।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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