कंपार्टमेंट के लिए आवेदन कैसे करें? परीक्षा में कम अंक आने या फेल होने पर कंपार्टमेंट एंव अन्य विकल्प

|| कंपार्टमेंट के लिए आवेदन कैसे करें? | Apply for compartment? , Apply for compartment | Fail in Hindi will not get compartment facility ||

उत्तर प्रदेश यानी यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा का नतीजा आ चुका है। यह ढेरों छात्रों के लिए खुशी की खबर लाया है। लेकिन इनमें ढेरों छात्र छात्राएं ऐसे भी हैं, जो फेल हो गए हैं। दोस्तों, यदि आप भी ऐसे ही छात्र या छात्रा हैं तो आपको निराश होने की कतई आवश्यकता नहीं है। क्योंकि फेल छात्र छात्राओं को उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद ने एक और मौका देने का फैसला किया है।  इसके लिए यूपी बोर्ड इस बार 12वीं के लिए भी कंपार्टमेंट परीक्षा कराने की व्यवस्था कर रहा है। वहीं, स्क्रूटनी की सुविधा 10वीं और 12वीं दोनों कक्षाओं के छात्र छात्राओं के लिए उपलब्ध हैं।

यदि आप इसमें से कुछ नहीं भी करते हैं तो आपके पास फेल होने के बाद एनआईओएस से पढ़ने की भी सुविधा है। आपने सुना ही होगा कि प्रतिभा अंक पत्र में निहित नहीं होती। तो दोस्तों, आज इस पोस्ट के जरिये हम आपको बताएंगे कि एग्जाम में फेल होने या कम नंबर आने पर क्या करें। आइए, शुरू करते हैं-

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कंपार्टमेंट के लिए आवेदन करें – Apply for compartment

यूपी बोर्ड के नए नियम के मुताबिक जो छात्र कक्षा 12 में हिंदी को छोड़कर किन्हीं दो विषयों में फेल हैं, तो वह कंपार्टमेंट परीक्षा के लिए आवेदन कर सकते हैं। छात्रों को इस परीक्षा की तैयारी अभी से शुरू कर देनी चाहिए। हालांकि बोर्ड ने अभी कंपार्टमेंट परीक्षा के लिए आवेदन की तिथि अभी घोषित नहीं की है। संभावना यह जताई जा रही है कि यूपी बोर्ड जल्द ही इसकी तिथि घोषित करेगा।

हिंदी में फेल को कंपार्टमेंट सुविधा नहीं मिलेगी – Fail in Hindi will not get compartment facility

आपको पहले ही यह साफ बता दें कि यदि हिंदी में फेल हुए हैं तो इस तरह के छात्रों को इस परीक्षा के लिए आवेदन करने की इजाजत नहीं होगी। वह फाइनल रूप से फेल माने जाएंगे। और आपको बता दें कि ऐसे परीक्षार्थियों की संख्या भी कम नहीं, जो कि हिंदी में फेल हो गए हैं।

कंपार्टमेंट के लिए आवेदन कैसे करें? परीक्षा में कम अंक आने या फेल होने पर कंपार्टमेंट एंव अन्य विकल्प

हिंदी में फेल होना अक्षम्य इसलिए माना जाता है, क्योंकि यह हमारे देश भारत की राजभाषा है। फेल होने वाले ज्यादातर छात्र ऐसे होते हैं, जो हिंदी को अपनी भाषा ज्ञान इसे सरल विषय समझते हैं और परीक्षा के लिए इसकी ठीक से तैयारी नहीं करते। उनका सारा फोकस गणित, विज्ञान जैसे विषयों पर केंद्रित रहता है, जो बोर्ड परीक्षा के नतीजे के वक्त उनके लिए नुकसानदायक साबित होता है।

स्क्रूटनी का उठा सकते हैं लाभ

साथियों, इसके अलावा जिन छात्रों के अंक कम आए हैं, या यह कह लीजिए कि यदि वह स्वयं को मिले अंकों से संतुष्ट नहीं हैं तो वे स्क्रूटनी के जरिये अपने अंकों का कैलकुलेशन यानी गणना करा सकते हैं। इसके लिए भी बोर्ड ने अभी आवेदन जारी नहीं किया है। यूपी बोर्ड जल्द ही स्क्रूटनी का फार्म जारी करेगा। यह फार्म भरने के लिए परीक्षार्थी को फीस भी चुकानी होगी। और आपको यह जानकारी भी दे दें कि बोर्ड ने यह फीस सौ रुपये रखी है। यह बेहद मामूली सी फीस है। इसे आसानी से चुकाया जा सकता है।

स्क्रूटनी का मतलब कापियों की री चेकिंग नहीं

मित्रों, आपको यह भी बता दें कि स्क्रूटनी के माध्यम से केवल अंकों को फिर से जोड़ा जाएगा। इसके तहत यदि आप कॉपियों की री चेकिंग चाहते हैं तो वह नहीं होगी। अब उसे बंद कर दिया गया है। इससे पहले कापियों की री चेकिंग की सुविधा बोर्ड की ओर से दी गई थी। इसका परीक्षार्थी बड़े पैमाने पर फायदा उठाते भी थे।

एनओआईएस से पढ़ाई का भी विकल्प

यदि आपके एग्जाम में मार्क्स कए आए हैं या आप फेल हो गए हैं और आगे कॉलेज से रेगुलर मोड में नहीं पढ़ना चाहते हैं तो आपके पास एनआईओएस यानी कि ओपन स्कूल से पढ़ाई का विकल्प भी खुला है। ढेरों ऐसे लोग हैं जो फेल होने के बाद या नंबर काम आने के बाद रेगुलर पढ़ाई जारी नहीं रखना चाहते, वह कुछ काम करते हैं और इसमें अपना इनरोलमेंट करा लेते हैं। इससे उनकी पढ़ाई बाधित नहीं होती।

आईटीआई, पालिटेक्निक भी विकल्प

यदि अंक कम आने कुछ वजह से छात्र 10वीं से आगे पढ़ने की इच्छा नहीं रखते तो आईटीआई से किसी ट्रेड में ट्रेनिंग कर सकते हैं। इसे आठवीं के बाद भी किया जा सकता है। इसके जरिए सरकारी नौकरी भी मिल सकती है और अपने रोजगार का भी विकल्प खुला है। 12वीं की इच्छा न रखने वाले छात्र पालिटेक्निक में दाखिला ले सकते हैं। दसवीं पास छात्रों के लिए इसमें इंजीनियरिंग डिप्लोमा को कई कोर्स के विकल्प हैं। जैसे-मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रिकल, आटोमोबाइल, कंप्यूटर इंजीनियरिंग आदि। वह इनमें से अपने पसंदीदा कोर्स चुन सकते हैं।

माता पिता भी दें बच्चे का साथ, उसे कोसें नहीं, उसकी मदद करें

साथियों, ढेरों ऐसे माता पिता हैं, जो बच्चे के परीक्षा में फेल हो जाने पर उसे दिन रात कोसना शुरू कर देते हैं। यदि आप भी ऐसे ही मां बाप हैं तो कृपया ऐसा न करें। बच्चे के प्रति नरमी बरतें। बच्चों के अंक कम आने या फेल होने की स्थिति में विशेषज्ञ कुछ सलाह देते हैं, जो कि इस प्रकार से हैं-

  • मां बाप को अपने बच्चों के मनोबल को ऊपर उठाने का प्रयास करना चाहिए, उसे गिराने का प्रयास नहीं करना चाहिए।
  • अभिभावकों को याद रखना चाहिए कि ढेरों ऐसे लोग हैं, जो फेल होने पर भी आगे जाकर अपनी फील्ड में बहुत सफल साबित होते हैं। बच्चा भी ऐसा कुछ कर सकता है।
  • बच्चे को फेल होने पर कोसे नहीं। उससे उसके मनपसंद विषय पूछे और उसी में उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें।
  • बच्चों से पूछें कि उनको विषय में किस तरह का डर लगता है और यदि संभव हो तो उसके लिए विशेष कोचिंग की व्यवस्था कर दें।
  • यदि वे देख रहे हैं कि बच्चा नहीं पढ़ना चाहता है तो उसे फोर्स ना करें। उसे कोई उसकी पसंद का वोकेशनल कोर्स करा दें या कोई ट्रेनिंग करा दें और उसे उसके मनपसंद क्षेत्र में आगे जाने की आजादी दें।

जो बहुत पढ़ें लिखे नहीं, ऐसे सफल लोगों की कहानी याद करें

जब भी अपने बच्चे के कम अंक पाएं या बच्चे फेल हो जाएं तो हमेशा उन सफल लोगों की कहानी याद करें, जो कम पढ़े लिखे हैं। लेकिन आज अपने जीवन में बहुत ऊंचाई पर हैं। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को ही ले लें। जो दसवीं पास भी नहीं हैं, लेकिन अपने पसंदीदा क्षेत्र क्रिकेट में वह शीर्ष पर रहे। उनके बनाए रिकार्ड अभी तक कोई नहीं तोड़ पाया है। इसके अलावा मार्क जुकरबर्ग को देख सकते हैं, जिनकी शैक्षिक योग्यता कम है, इसके बावजूद जिनके फेसबुक पर सारी दुनिया रीझी हुई है।

जरूरत इस बात की है कि आपके बच्चे के अंदर जो विशेष योग्यता छिपी है आप उस को पहचानें और उसी को तराश कर उसे जीवन में आगे बढ़ने की सलाह दें। आप मान लीजिए कि मार्कशीट में कुछ नहीं रखा है। असल बात आपके बच्चे की रूचि है जिसका बेहतर चुनाव ही उसे आगे ले जा सकता है।

रिकार्ड समय में हुई यूपी बोर्ड परीक्षा, वेब-कास्टिंग से निगरानी

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद ने इस साल रिकार्ड समय में परीक्षा आयोजित कराई। 10वीं की परीक्षा 18 फरवरी से तीन मार्च तक कराई थी। यानी कुल 12 दिन में। वहीं, 12वीं की परीक्षा 18 फरवरी से छह मार्च तक चली थीं। यानी इन परीक्षाओं का आयोजन 15 दिन के भीतर करा दिया गया। इनके लिए 7784 केंद्र बनाए गए थे। नकल रोकने के लिए वेबकास्टिंग की तकनीक अपनाई गई।

कोरोना संक्रमण और लाकडाउन से रुका मूल्यांकन

यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा की कापियों का मूल्यांकन कार्य 16 मार्च से शुरू हुआ था। लेकिन इसके बाद कोरोना वायरस का संक्रमण फैल गया और कॉपियों के मूल्यांकन का कार्य रोक दिया गया। लॉकडाउन खुलने पर प्रदेश में ग्रीन जोन वाले 20 जिलों में पांच मई, ऑरेंज जोन वाले जिलों में 12 मई और रेड जोन के 19 जिलों में 19 मई से काम शुरू हुआ।

देरी से घोषित हुए नतीजे

दोस्तों, जैसा हमने आपको अभी बताया कि इस बार कोरोना वायरस संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन की वजह से यूपी बोर्ड की 10वीं और 12वीं का मूल्यांकन कार्य देरी से शुरू हुआ, ऐसे में 10वीं और 12वीं की परीक्षा के नतीजे देरी से घोषित किए गए। कॉपी जांचने के काम में भी देरी हुई। विपरीत हालातों के बावजूद काफी कम समय में मूल्यांकन कार्य पूरा कर लिया गया। यूपी बोर्ड के इतिहास को देखते हुए इसे वाकई एक सराहनीय कदम करार दिया जा सकता है।

56 लाख परीक्षार्थी शामिल हुए थे 10वीं, 12वीं की परीक्षा में

साथियों, यूपी बोर्ड ने 27 जून को दोपहर को परीक्षा का नतीजा घोषित कर दिया था। 10वीं और 12वीं दोनों परीक्षाओं में कुल मिलाकर 56 लाख परीक्षार्थी बैठे थे। इनमें 10वीं परीक्षा में 30.24 लाख परीक्षार्थी शामिल हुए थे। आपको यह भी बता दें कि देरी से आए इन नतीजों की घोषणा उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री और शिक्षा विभाग का जिम्मा उठा रहे डॉ. दिनेश शर्मा ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में की। इस घोषणा के अनुसार इस बार 12वीं की पीरक्षा में कुल 74.63 प्रतिशत छात्र पास हुए। वहीं, हाईस्कूल का नतीजा इससे बेहतर रहा। इसमें 83.31 फीसदी छात्रों ने कामयाबी का परचम लहराया।

यह रहे यूपी बोर्ड के 10वीं और 12वीं के टॉपर

आइए, दोस्तों, अब आपको बताएं कि इन परीक्षाओं में टॉपर कौन रहे। सबसे पहले 10वीं की बात। दोस्तों, 10वीं में श्रीराम एसएस इंटर कॉलेज, बड़ौत (बागपत) की छात्रा रिया जैन कुल 96.67 प्रतिशत अंकों के साथ टॉप पर रहीं। आपको यह जानकार हैरत होगी कि 12वीं की परीक्षा में भी इसी कॉलेज यानी श्रीराम एसएस इंटर कॉलेज, बड़ौत (बागपत) के अनुराग मलिक ने टॉप किया है। उन्हें कुल 97 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए हैं। उनकी इस कामयाबी पर पूरे परिजन खुशी में झूमते रहे।

नतीजों को आनलाइन तैयार किया गया

बोर्ड ने नया काम यह किया है कि एक पोर्टल के जरिये नंबर जोड़ने और नतीजे को एरर फ्री बनाने का काम किया। इससे बोर्ड कर्मचारियों पर नतीजों को तैयार करने का दबाव थोड़ा कम रहा। नतीजों को ऑनलाइन तैयार किया गया।

दोस्तों, इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको बताया कि आप एग्जाम में कम अंक आने या फेल होने पर क्या करें। यदि आपको अपने किसी मनपसंद विषय कोई जानकारी चाहिए तो इसके लिए आप हमें लिख भेज सकते हैं। इसके लिए आपको नीचे दिए गए कमेंट बाक्स में कमेंट करना होगा। आप इस पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देंगे तो बेहतर होगा। आपके सुझावों का भी विनम्रता के साथ स्वागत है। ।।धन्यवाद।।

प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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