फिक्स डिपॉजिट क्या है? | फिक्स्ड डिपॉजिट के फ़ायदे | FD meaning in Hindi

|| फिक्स डिपॉजिट क्या है? | FD meaning in Hindi | FD kya hota hai | Fixed deposit kya hota hai | Fixed deposit benefits in Hindi | फिक्स डिपॉजिट क्या है? | फिक्स्ड डिपॉजिट के फ़ायदे ||

Fixed deposit benefits in Hindi :- दोस्तों आपने अक्सर लोगों को एफडी करवाने के बारे में बातें करते सुना होगा और इसी के साथ आपके घर पर किसी ने एफडी करवाई ही होगी। अपने सपनों को उड़ान देने के लिए हो या दैनिक जीवन को सुखनुमा बनाने का सवाल हो, आज के समय में पैसे की जरूरत तो हर काम में पड़ती ही है। ऐसे में हर कोई किसी ना किसी तरीके से बचत तो करता ही (FD ke fayde) है। इसी तरह बचत का एक तरीका है एफडी। गारंटीड रिटर्न के साथ साथ मुसीबत के समय काम आने वाला साधन।

सवाल आता है कि क्या एफडी का सिर्फ यही फायदा है कि इस पर मिलने वाली रिटर्न में किसी तरह का कोई जोखिम नहीं होता। नहीं दोस्तों इसके अतिरिक्त भी एफडी के बहुत से फायदे हैं, जिसके बारे में आपको पता होना जरूरी है। आजकल तो लोग म्यूचुअल फंड या शेयर बाजार में पैसे लगाना पसंद करते (Fixed deposit meaning in hindi) हैं। परंतु अगर आप बड़ों से बचत और जमा के लिए पूछोगे तो वो आपको एफडी की ही राय देंगे। इसका साफ साफ मतलब ये है कि एफडी के पीछे कुछ तो ऐसे फायदे छुपे हैं जो इसको इतना आकर्षक बनाते हैं। इस लेख के जरिए हम एफडी से जुड़े उन्हीं फायदों को जानेंगे।

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फिक्स डिपॉजिट क्या है? (FD meaning in Hindi)

एफडी के फायदे क्या क्या है ये जानने से पहले हम ये जान लेते हैं कि आखिर पूरी तरह से एफडी होता क्या है। एफडी का अंग्रेजी में पूरा नाम फिक्स्ड डिपॉजिट होता है। हिंदी में एफडी को सावधि जमा खाता भी कहा जाता है। इसके तहत बैंक या अन्य वित्तीय संस्था जैसे कि डाकघर आपको अपनी बचत को जमा करने की सुविधा देता (FD kya hota hai) है। इस पर बैंक के द्वारा आपको एक तय दर से रिटर्न भी दी जाती है और तय समय के बाद आपको अपना पैसा वापसी मिल जाता है।

ग्राहक की सुविधा और जरूरत के अनुसार एफडी कम से कम 7 दिन के लिए और आमतौर पर अधिकतम 10 साल के लिए की जाती है। अलग अलग बैंक में उनके नियम के हिसाब से अलग अलग समय सीमा की एफडी हो सकती है। इस पर बैंक आपको एक तय रेट से ब्याज देता है। ग्राहक एफडी के समय के पूरा होने पर उसे वापसी ले सकता है और उसके अंदर उसके जमा किए हुए पैसे और ब्याज की राशि वापसी मिल जाती है।

एफडी पर मिलने वाले ब्याज पर किसी भी तरह के बाजार के उतार चढ़ाव का फर्क नहीं पड़ता (Fixed deposit kya hota hai) है। एक बार बैंक और ग्राहक के बीच में जो रेट डिसाइड हो जाता है उसी रेट पर ग्राहक को रिटर्न दी जाती है। इसके साथ ही एफडी के अलग अलग प्रकार होते हैं। ग्राहक अपनी सुविधा और एफडी पर मिलने वाली रिटर्न के आधार पर अपना चुनाव कर सकता है।

फिक्स्ड डिपॉजिट के फ़ायदे (Fixed deposit benefits in Hindi)

फिक्स्ड डिपॉजिट में पैसे जमा करने के अपने बहुत से फायदे हैं। वैसे तो आजकल पैसे की बचत कर पाना बहुत मुश्किल हो गया है। फिर भी लोग फिक्स्ड डिपॉजिट में पैसे जमा कराना सही मानते हैं। हालांकि आज के समय में अधिक रिटर्न के चक्कर में म्यूचुअल फंड में पैसे लगाने वाले भी बहुत लोग है, परंतु साथ ही अभी भी फिक्स्ड डिपॉजिट में जमा होने वाली राशि कम नहीं हैं। कुल मिलाकर भारत में अभी भी 6 लाख करोड़ से अधिक की फिक्स्ड डिपॉज़िट मौजूद है।

फिक्स डिपॉजिट क्या है फिक्स्ड डिपॉजिट के फ़ायदे FD meaning in Hindi

इसका मतलब है कि फिक्स डिपॉजिट में ऐसा कुछ तो होगा जो अन्य जमा के साधनों में नहीं है। इसके लिए ही हम फिक्स्ड डिपॉजिट से जुड़े कुछ बड़े फायदों के बारे में आपसे बात करते हैं। ऐसा भी हो सकता है कि सीधा देखने पर आपको फिक्स्ड डिपॉजिट में पैसे लगाना फायदेमंद ना लगे। परंतु इससे जुड़े सभी फायदे जानने के बाद आपका मन बदल सकता है। इसलिए हम आपसे एक एक करके विस्तार से एफडी से जुड़े 10 बड़े फायदे साझा करेंगे।

अलग अलग तरीके की एफडी (Many options of FD)

अन्य जमा और निवेश के साधनों के मुकाबले एफडी में कई तरह के विकल्प मौजूद होते हैं। सबसे पहले अलग अलग बैंक में विकल्प होता है। एक बार बैंक चुन लेने के बाद उसमे बहुत से तरह के एफडी जैसे स्टैंडर्ड, टैक्स सेविंग, रिकरिंग, सीनियर सिटीजन और कॉरपोरेट एफडी। इसके साथ ही एक तरह की एफडी चुन लेने के बाद उसमे भी अलग अलग समय के हिसाब से एफडी चुन सकते हैं। आपको जिस समय पैसे की वापसी की जरूरत हो उसी के हिसाब से आप 7 दिन से 10 साल तक की एफडी करा सकते हैं।

इस तरह से एक ही तरह के निवेश में अलग अलग ऑप्शन देने वाला निवेश का तरीका और कोई नहीं है। इसलिए आप एफडी में अपनी सुविधा के अनुसार चयन कर सकते हैं और जब आपको पैसे की जरूरत हो तब तक के लिए ब्याज की कमाई का फायदा ले सकते हैं।

एफडी पर मिलने वाला फिक्स्ड रिटर्न (Fixed return on FD)

एफडी से मिलने वाले फायदों की बात हो और फिक्स्ड रिटर्न की बात ना हो ऐसा तो कैसे हो सकता है। एफडी करते समय बैंक से जो ब्याज की दर तय की जाती है उसी दर से ब्याज की रिटर्न मिलती है। एफडी पर मिलने वाला ब्याज अन्य जमा के साधनों से भले ही कम हो पर यह किसी भी तरह से कम या ज्यादा नहीं होता। एक बार जो ब्याज डिसाइड हो जाता है वह मिलना तो तय ही होता है।

अन्य जमा के साधनों पर बाजार में आने वाले उतार चढ़ाव का पूरा पूरा फर्क पड़ता है। परंतु एफडी में ऐसा नहीं होता। बाजार में आरबीआई के द्वारा रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में होने वाले बदलाव के चलते ब्याज के दरों में जो बदलाव आता है, एफडी पर उस बदलाव का भी कोई असर नहीं होता। एक बार जो ब्याज की दर तय हो जाती है वह तो मिलना निश्चित ही होता है।

बचत खाते से अधिक ब्याज (More interest than saving account)

किसी तरह की बचत हो सबसे पहले बैंक खाते में तो उसे जमा करवाया ही जाता है। ऐसे में बैंक में जमा करवाने के लिए बचत खाते का सहारा लेते हैं। किसी भी बैंक में सेविंग बैंक खाते पर मिलने वाले ब्याज की राशि बहुत ही कम होती है। इसलिए जब कि वो पैसे अभी इस्तेमाल में आने ही नहीं है और किसी और जगह निवेश करने में जोखिम हो तो एफडी ही एकमात्र सही साधन है। एफडी पर मिलने वाला ब्याज सेविंग खाते से 1-2% अधिक ही होता है। अलग अलग बैंक में ये रेट अलग भी हो सकता है।

बिना जोखिम की उपज (Risk free return on FD)

किसी भी तरह के निवेश के साधन में पैसे लगाने में परेशानी सिर्फ इतनी ही होती है कि उसमें लगाए हुए पैसे पर रिटर्न आना तो दूर कहीं उल्टा पैसे डूब तो नहीं जायेंगे। परंतु एफडी की स्थिति में ये खतरा बिलकुल भी नहीं होता। एफडी पर जब एक ब्याज का रेट तय हो जाता है तो वो ब्याज की कमाई मिलना निश्चित ही होता है। किसी भी तरह से एफडी पर मिलने वाला पैसा नेगेटिव नहीं हो सकता।

इसी जगह अगर म्यूचुअल फंड में पैसे लगाए जाएं तो हो सकता है कि उस पर मिलने वाली रिटर्न अधिक हो, परंतु साथ ही ये भी होता है कि म्यूचुअल फंड में पैसे लगाने के बाद वो पैसे माइनस में भी जा सकते हैं। इसका मतलब है म्यूचुअल फंड में लगने वाले खर्चों और बाजार के उतार चढ़ाव के चलते हो सकता है कि आपको मूल राशि से भी कम राशि मिले।

एफडी पर मिलने वाली गारंटी (Guarantee of amount in FD)

किसी भी तरह के बैंक या अन्य निवेश के साधन की स्थिति में एक खतरा बना रहता है कि जिस संस्था में पैसे लगाए जा रहे हैं, अगर वह संस्था ही दिवालिया हो जाए या भाग जाए तो क्या होगा। परंतु बैंक में एफडी में लगाए हुए पैसे के लिए डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) के द्वारा 5 लाख तक की गारंटी दी जाती है। इसके तहत किसी स्थिति में अगर आपके बैंक की स्थिति अच्छी ना हो और वो दिवालिया हो जाए तो इस कॉरपोरेशन के द्वारा मूल राशि और ब्याज को मिला के 5 लाख तक का भुगतान आपको किया ही जायेगा।

एफडी भी दो तरह की हो सकती है बैंक एफडी और कॉरपोरेट एफडी। किसी कंपनी या कॉरपोरेट में की गई एफडी की स्थिति में ऐसा कोई इंश्योरेंस नहीं होता है। इसी के साथ एक बैंक से एक व्यक्ति को 5 लाख तक का भुगतान होता है। इसलिए अपनी राशि को सुरक्षित रखने के लिए आप अलग अलग बैंक में 5 5 लाख की एफडी करवा सकते हैं। जिससे आपकी पूरी की पूरी अकाउंट ही सुरक्षित रहेगी।

इमरजेंसी में पैसे निकाल भी सकते हैं (Withdrawal in case of emergency)

भले ही एफडी का मतलब स्थाई समय के लिए डिपॉजिट होता है। परंतु इसका मतलब ये नहीं है कि आपको उतने समय के बीच पैसे की जरूरत पड़े तो आपको पैसे मिलेंगे ही नहीं। आपने अक्सर लोगों को एफडी तुड़वाने के बारे में सुना होगा, वह यही सुविधा होती है। इसके अंदर आप अगर एफडी के अवधि के दौरान पैसे निकलवाना चाहते हैं तो थोड़े से चार्ज का भुगतान करने के बाद आप बड़ी आसानी से अपने पैसे निकाल सकते हैं।

इस लिए एफडी में लगने वाला पैसा लंबे समय के लिए जमा भी हो जाता है, उस पर आपको बचत खाते के ब्याज से अधिक ब्याज भी मिलता है और साथ ही जरूरत पड़ने पर आप उसमे से पैसे निकाल भी सकते हैं। निवेश के किसी भी तरह के और साधन में ऐसी सुविधा नहीं मिल पाती है। इसलिए एफडी में पैसे लगाना फायदेमंद है।

एफडी पर लोन की सुविधा (Loan or overdraft against FD)

किसी भी तरह की एफडी को सुरक्षा के रूप में रख के जरूरत के समय लोन भी लिया जा सकता है। म्यूचुअल फंड जैसे निवेश में ऐसी सुविधा का मिल पाना तो बहुत मुश्किल है। अगर किसी समय पर आपको पैसे की जरूरत हो और एफडी को तुड़वाने का मन ना हो तो आप एफडी पर ही लोन की सुविधा या ओवरड्राफ्ट की सुविधा भी ले सकते हैं। इससे ना ही तो आपको अपनी एफडी को तुड़वा के एफडी तुड़वाने के खर्चे देने होंगे और साथ ही आपकी जरूरत के लिए पैसे भी मिल जायेंगे।

एफडी के बदले में मिलने वाले लोन की अवधि एफडी के पूरा होने की अवधि तक ही होती है। इसका मतलब अगर एफडी 2 साल में मेच्योर होने वाली हो तो लोन भी 2 साल का ही मिल सकता है। एफडी की अमाउंट के 90 फीसदी तक लोन की राशि मिल जाती है। एफडी पर मिलने वाले लोन का इंटरेस्ट रेट एफडी के ब्याज के रेट से 1-1.5% अधिक होता है।

एफडी के साथ ही इंश्योरेंस कवर (Insurance Cover with FD)

कई बैंक अपने उन ग्राहकों जो की उनके पास एफडी करवाते हैं एफडी के साथ साथ इंश्योरेंस की सुविधा भी देता है। वैसे तो बैंक ऐसा अपने खुद के फायदे के लिए करवाता है कि उसे एफडी के साथ इंश्योरेंस के लिए भी ग्राहक मिल जाए। परंतु हमे भी एक ही बार में दो तरह के फायदे हो जाते हैं। एफडी पर ब्याज तो मिलता ही है और साथ ही इसी पर इंश्योरेंस पॉलिसी भी मिल जाती है।

इस तरह के इंश्योरेंस के लिए बैंक एफडी की अमाउंट के साथ ही इंश्योरेंस का प्रीमियम भी ले लेता है। इससे ना तो हमे इंश्योरेंस का अलग से बोझ उठाना पड़ता है और साथ ही किसी तरह की घटना होने पर इंश्योरेंस का फायदा हो जाता है। इसके साथ ही एफडी में लगाई हुई राशि तो वापसी मिलती ही है और ब्याज भी मिलता है। इस तरह का इंश्योरेंस आमतौर पर एफडी की अवधि तक का होता है।

टैक्स से जुड़े फायदे (Tax benefits of FD)

एफडी पर सिर्फ ब्याज का फायदा ही नहीं होता है। इसके साथ ही एफडी में किए गए निवेश का फायदा टैक्स में छूट दिलाने में भी होता है। आयकर अधिनियम की धारा 80C के अंदर एफडी में लगाए हुए पैसे की 1.5 लाख की छूट मिल जाती है। इससे होता ये है कि अगर आपकी आय 5 लाख से अधिक है तो आप अपनी आय पर 1.5 लाख तक एफडी में जमा करवा के फायदा उठा सकते हैं। इससे होगा ये कि आपकी आय 1.5 लाख से घट कर जो होगी उस पर ही आपको टैक्स देना होगा।

एफडी पर टैक्स के बेनिफिट के लिए एफडी की अवधि 5 वर्ष से अधिक की होनी चाहिए। इसके साथ ही एफडी पर मिलने वाले ब्याज पर तो टैक्स लगता ही है। इसके बदले में अगर आप अधिक टैक्स रेट के दायरे में आते हैं तो आप एफडी करवा के अच्छा खासा टैक्स बचा सकते हैं। इस तरीके से आप 30% तक टैक्स को बचा सकते हैं या बिल्कुल ही टैक्स देने से बच सकते हैं।

बचत की आदत बनना (Building habit of saving)

एफडी से अपने निवेश को मैनेज करने से बचत की आदत भी बनती है। आज के समय में होने वाले तरह तरह के खर्चों के चलते पैसे बचाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। ऐसे में पहले छोटी छोटी अमाउंट की एफडी करवा लेने से बचत की आदत लगती है। इसके बाद जब पहली एफडी मेच्योर हो जाती है तो उसे अन्य अवधि के लिए फिर से एफडी में लगा सकते हैं। इससे होता ये है कि एफडी में होने वाले ब्याज के फायदे से आकर्षण होता है और बचत करने का मन बनता है। इसी के साथ सेफ होने के कारण एफडी से बचत करने से जुड़े होने वाले रिस्क भी कम हो जाते हैं।

Fixed deposit benefits in Hindi – Related FAQs

प्रश्न: क्या एफडी के फिक्स्ड ब्याज के अलावा भी कोई फायदे हैं?

उत्तर: इसके अलावा भी एफडी पर 10 तरह के और फायदे हमने आपको इस लेख के माध्यम से बताए है।

प्रश्न: क्या एफडी पर टैक्स का बेनिफिट होता है?

उत्तर: हां, एफडी करने से टैक्स में 1.5 लाख तक का फायदा होता है।

प्रश्न: एफडी कितने समय के लिए कर सकते हैं?

उत्तर: आमतौर पर एफडी कम से कम 7 दिन और अधिकतम 10 साल के लिए होती है।

प्रश्न: एफडी पर कितना ब्याज मिलता है?

उत्तर: अलग अलग बैंक के हिसाब से ब्याज का रेट बदल जाता है। एसबीआई के द्वारा 5 साल से ऊपर की एफडी पर 7.25% का रेट है।

दोस्तों इस लेख के माध्यम से हमने एफडी से जुड़े बेहतरीन फायदे जान लिए है। इस लेख को पढ़ने के बाद जो लोग एफडी के पीछे सिर्फ सुरक्षित ब्याज के लिए भागते हैं, उनकी आंखें एफडी के अन्य फायदों को भी देख सकेगी। इसी के साथ हम इस लेख के माध्यम से किसी तरह के निवेश की राय नहीं देते हैं। हमने सिर्फ आपको एफडी से जुड़े हुए जनरल फायदे बताए हैं। इसके बाद निवेश का चुनाव आपका खुद का ही रहेगा। ये लेख आपको अच्छा और इनफोर्मेटिव लगा हो तो अवश्य ही इसे अपने दोस्तों के साथ साझा करें।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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