FII किसे कहते हैं? | FII फुल फॉर्म और यह क्यों जरूरी है? | FII kise kahte hai

|| FII किसे कहते हैं? | FII kise kahte hai | FII ke bare mein jankari | FDI क्या है? (FDI kya hai | FII व FPI में अंतर | FII क्यों जरुरी है? (FII kyo jaruri hai | FDI kya hota hai | FII फुल फॉर्म ||

कई बार हम ऐसे शब्द सुनते हैं जो हमें पता नहीं होते हैं लेकिन इनका संबंध हमसे होता है। अब वह संबंध चाहे प्रत्यक्ष रूप से हो या अप्रत्यक्ष रूप से लेकिन होता जरुर है। अब इसी में एक शब्द है FII का जिसका सम्बन्ध हमारे से और हमारे देश की अर्थव्यवस्था दोनों से ही (FII ke bare mein jankari) है। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे और आखिरकार यह FII है क्या चीज़!! तो आज का यह लेख इसी विषय के ऊपर ही है।

आज के इस लेख को पढ़ कर आपको FII क्या है और इसका क्या मतलब होता है, इसके बारे में संपूर्ण जानकारी मिलने वाली है। एक तरह से कहा जाए तो इस लेख को अंत तक पढ़ कर आप यह जान पाने में सक्षम होंगे कि यह FII है क्या चीज़ और किस तरह से यह हमारे देश की अर्थव्यवस्था को सुचारू रूप से चलाये रख पाने में सक्षम होती है या सहायता करती (FII kya hai in Hindi) है। आइए जाने FII किसे कहते हैं और क्यों इसकी महत्ता इतनी अधिक है।

FII किसे कहते हैं? (FII kise kahte hai)

अब जब आप FII के बारे में जानने आये ही हैं तो उससे पहले आपका FDI के बारे में जानना जरुरी हो जाता है। यह इसलिए क्योंकि FII का संबंध इसी FDI से ही होता है। अब हमें यह पक्का यकीन है कि आपने अवश्य ही इस FDI के बारे में पहले से ही सुन रखा होगा क्योंकि इसका नाम न्यूज में बहुत आता है और जगह जगह इसको लेकर बहस देखने को मिल जाती (FII kise kahte hai in Hindi) है। कोई इसे देश के लिए अच्छा बताता है तो कोई खराब तो कोई कुछ और कहता है।

FII किसे कहते हैं FII फुल फॉर्म और यह क्यों जरूरी है FII kise kahte hai

ऐसे में FII के बारे में अच्छे से समझने के लिए आपका पहले FDI के बारे में जानना और समझना जरुरी हो जाता है क्योंकि बिना FDI को समझे आप FII को समझ ही नहीं सकते हैं। तो आइए पहले FDI के बारे में जानकारी एकत्रित कर लेते हैं और उसके बाद हम FII के बारे में चर्चा करेंगे।

FDI क्या है? (FDI kya hai)

जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि FII को अच्छे से समझने के लिए आपका FDI के बारे में जानना बहुत ही ज्यादा जरुरी हो जाता है। तो चलिए पहले जान लेते हैं कि आखिरकार यह FDI है क्या चीज़ और किस तरह से इसका हमसे या हमारे देश से संबंध है। अब आप यह तो देखते ही होंगे कि विदेश के लोगों, संस्थाओं या कंपनियों के माध्यम से हमारे देश में भी अलग अलग क्षेत्रों में निवेश किया जाता है तो यह सब निवेश इसी FDI के अंतर्गत ही आता (FDI kya hota hai) है।

FDI की फुल फॉर्म फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट अर्थात प्रत्यक्ष विदेशी निवेश होती है। अब इसके नाम से ही पता चलता है कि FDI के जरिये किस तरह का काम होता है। सीधे शब्दों में कहा जाये तो विदेश की कोई भी कंपनी, उद्योगपति, व्यक्ति, संस्था, बैंक, सरकार इत्यादि हमारे देश में किसी भी क्षेत्र में निवेश करती है, फिर चाहे वह खुद की नयी कंपनी खड़ी करनी हो या कंपनी को विस्तार देना हो या भारत की किसी कंपनी में हिस्सेदारी लेनी हो या ऐसा ही कुछ तो उसे FDI कहा जाता है।

FII क्या है? (FII kya hai)

अब जब आपने FDI के बारे में समूची जानकारी ले ली है तो इसके तहत आने वाले निवेश को ही हम FII के माध्यम से देखते हैं लेकिन केवल FII के माध्यम से ही इसे नहीं देखा जाता है। यहाँ हम यह कहना चाह रहे हैं कि विदेश की किस चीज़ से भारत में निवेश आ रहा है, उसके तहत ही FDI को अलग अलग भागो में बांटा गया है जिसमे से एक FII भी (FII kya hota hai) है।

अब FDI के जरिये तो विदेश की कोई भी चीज़ भारतीय बाजार में निवेश कर सकती है लेकिन उनमे से हर किसी को FII में नहीं रखा जाता है। तो FII में केवल वही निवेशक आते हैं जो एक संस्था का रूप लिए होते हैं। अब इसमें तरह तरह के बैंक, सरकारी कंपनी से लेकर बड़ी प्राइवेट निजी कंपनियां, पेंशन की कंपनियां इत्यादि आती है। अब यदि इन संस्थाओं के द्वारा भारतीय बाजार या कंपनियों में निवेश किया जा रहा है तो उसे FII की श्रेणी के तहत रखा जाता (What is FII in Hindi) है।

FII की फुल फॉर्म (FII full form in Hindi)

बहुत लोग FII की फुल फॉर्म जानने को भी इच्छुक होंगे क्योंकि यह एक शोर्ट फॉर्म है। तो अब हम FII की फुल फॉर्म भी आपको बता देते हैं। FII की फुल फॉर्म फॉरेन इंस्टीटूशनल इन्वेस्टर (Foreign institutional investor) होती है। अब आप इसके नाम से ही समझ गए होंगे कि क्यों इसमें संस्थाओं को रखा गया है। अब FII के नाम में ही Institution शब्द जुड़ा हुआ है तो इसका सीधा सा मतलब यही होता है की विदेश की जो संस्थाएं भारत में निवेश करना चाहती (FII ki full form kya hai) है वह सब FII के अंतर्गत काम करने वाली मानी जाती है।

वहीं यदि हम FII के हिंदी नाम की बात करें तो उसे हिंदी में विदेशी संस्थागत निवेशक कहा जा सकता है। अब जो निवेशक संस्था के रूप में भारतीय बाजार में निवेश कर रहा है और वह विदेशी है तो उसे हम FII के श्रेणी में ही रखने वाले हैं। इस तरह से आपने FII की फुल फॉर्म अंग्रेजी व हिंदी दोनों ही भाषाओं में जान ली है।

FII व FPI में अंतर (FII or FPI differences in Hindi)

बहुत से लोग FII व FPI के बीच के अंतर को समझ नहीं पाते हैं और अक्सर इसे लेकर झंझट की स्थिति में रहते हैं। अब आपने इस लेख में FII की फुल फॉर्म तो जान ली है तो हम आपको FPI की भी फुल फॉर्म बता देते हैं। FPI की फुल फॉर्म फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर होती है और आपको इसके नाम से ही इसका अर्थ समझ में आ गया होगा। दरअसल FPI के तहत किसी व्यक्ति या छोटी कंपनी के द्वारा किया गया निवेश आता (FII or FPI me kya difference hai) है।

अब यदि विदेश का कोई व्यक्ति या उद्योगपति किसी संस्था के अंतर्गत भारतीय बाजार में निवेश ना करके, केवल अपने नाम से या अपने बलबूते पर ही निवेश करता है तो उसे हम FII के तहत ना लेकर FPI के तहत लेते हैं। इस तरह से FII के अंतर्गत तो संस्थाओं के द्वारा किया गया निवेश आता है जबकि FPI में व्यक्तिगत निवेश शामिल किया जा सकता है।

FII में कौन निवेश कर सकता है? (FII me kaun nivesh karta hai)

आपको यह भी जानना होगा कि आखिरकार विदेश की कौन कौन सी संस्थाएं FII के तहत निवेश कर सकती है और उन्हें इसकी अनुमति दी जा सकती है। वैसे तो इसमें विदेश की कोई भी बड़ी संस्था या सरकार के द्वारा मान्यता प्राप्त संस्था निवेश कर सकती है लेकिन फिर भी इसमें कुछ प्रमुख क्षेत्र या संस्थाएं रखी गयी है जिनका FII में बहुत बड़ा योगदान माना जाता है। सीधे हब्दो में कहा जाए तो इन संस्थाओं का ही FII में मुख्य रूप से योगदान रहता है।

इसलिए यदि आप FII के तहत आने वाली संस्थाओं के बारे में जानना चाहते हैं तो उसमे बैंक, बीमा कंपनियां, पेंशन की कंपनियां, सरकारी संथाएं, अंतरराष्ट्रीय कंपनियां, म्यूच्यूअल फंड्स की कंपनियां इत्यादि शामिल है। हालाँकि इनके अलावा भी कुछ अन्य कंपनियां आ सकती है लेकिन इन्हें ही FII के तहत प्रमुख संस्थाएं माना जाता है।

FII क्यों जरुरी है? (FII kyo jaruri hai)

इस लेख के माध्यम से आप यह भी जान ले कि आखिरकार क्यों FII हमारे लिए इतना जरुरी हो जाता है और इससे क्या ही अंतर पड़ जाता है। ऐसे में यहाँ हम एक बात स्पष्ट करते हुए आपको बता दे कि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए उस देश में विदेशों के द्वारा निवेश किया जाना जरुरी होता है अन्यथा वह देश अलग थलग पड़ जाता है। अब इसके लिए भारत देश में भी विदेशी निवेश होना जरुरी होता है तो वहीं भारत के द्वारा भी विदेशों में निवेश किया जाना जरुरी होता है।

अब FDI व FII के माध्यम से भारत देश के अंतर्गत कई तरह की कंपनियां व संस्थाएं भारी निवेश करती है। इसी निवेश के कारण ही भारत देश की प्रगति होती है, इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा होता है, लोगों को रोजगार मिलता है तथा वस्तुओं के दाम कम होते हैं। साथ ही FII के माध्यम से प्रतिस्पर्धा की भावना विकसित होती है और भारतीय कंपनियों को विदेश की कंपनियों से लोहा लेना पड़ता है। इस कारण ग्राहकों तक अच्छा सामान पहुँच पाता है और उन्हें लाभ मिलता है।

FII किसे कहते हैं – Related FAQs

प्रश्न: एफडीआई का मतलब क्या है?

उतर: एफडीआई का मतलब फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट है जिसे हिंदी में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कहा जाता है।

प्रश्न: एफआईआई कैसे काम करता है?

उतर: एफआईआई में किसी संस्था के द्वारा भारत में निवेश किया जाता है।

प्रश्न: एफडीआई और एफआईआई में क्या अंतर है?

उतर: एफडीआई का ही एक भाग है एफआईआई। बाकि आपको विस्तार से इसके बारे में हमारे ऊपर लिखे गए लेख में जानने को मिलेगा।

प्रश्न: भारत में FIIS क्या हैं?

उतर: भारत में FIIS का मतलब विदेशी संस्थागत निवेश है। जिसमें विदेश की कोई संस्था अपने देश में निवेश करती है।

तो इस तरह से आपने FII के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर ली है कि FII क्या है FDI और FII में क्या डिफरेंस है FII और FPI में क्या डिफरेंस है। FII में निवेश कौन कर सकता है और यह क्यों जरूरी है। आशा है कि जो जानकारी लेने आप इस लेख में आए थे वह आपको मिल गई होगी।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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