|| What is difference between FDI and FII in Hindi | एफआईआई और एफपीआई में अंतर | FII vs FPI in Hindi | भारत में एफआईआई के लिए रूल्स? | FII rules in India in Hindi | FII meaning in share market in Hindi | Types of Investors in stock market in Hindi ||
FII kya hai :- किसी देश की अर्थव्यवस्था में हिस्सा लेने के बहुत से तरीके होते हैं। एफआईआई भी किसी देश में निवेश करने के तरीकों में से ही एक है। जब किसी देश के निवेशक के द्वारा किसी अन्य देश की अर्थव्यवस्था में निवेश किया जाता है, तो उसे विदेशी निवेशक कहा जाता (FII meaning in Hindi) है। विदेशी निवेशक का अर्थ हो जाता है फॉरेन इन्वेस्टर्स। इसी तरह जब एक देश में स्थित कोई संस्था किसी अन्य देश में निवेश करती है, उसी को विदेशी संस्थागत निवेशक कहा जाता है। जिसका इंग्लिश में अर्थ फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर (FII full form in Hindi) होता है।
जब भी हम बाजार से संबंधित समाचार सुनते हैं तो शेयर बाजार के बंद होने के समय में उस दिन बाजार में हुई हलचल के बारे में अवश्य ही बताया जाता है। इसी के साथ ही बाजार के बंद होने के समय हम अक्सर सुनते हैं कि आज के दिन एफआईआई के द्वारा शेयर बाजार में कितनी खरीदारी और बिक्री की गई। इसके साथ ही उनके द्वारा की खरीद बिक्री के आधार पर बाजार का रुझान भी बताया जाता है। तब हमें अक्सर जानने का मन करता है कि आखिर ये एफआईआई होते कौन है और हमारा शेयर बाजार इनसे इतना प्रभावित क्यों होता है। इन सभी सवालों के जवाब इस लेख (FII meaning in share market in Hindi) को अंत तक ध्यान से पढ़ कर ले सकते हैं।
निवेशकों के कितने प्रकार है? (How many types of investors are there in Hindi)
किसी भी देश को चलाने के लिए निवेश की आवश्यकता होती है। निवेश के रूप में शेयर और अन्य साधनों की खरीद और बेच के लिए शेयर बाजार होता है। शेयर बाजार सुविधा प्रदान करता है कि कोई वर्तमान निवेशक अपनी निवेश को किसी और व्यक्ति को आसानी से बेच सके। हम अपने आम जीवन में शेयर बाजार में होने वाली हलचल के बारे में बहुत सुनते हैं। जिसमे हमे सुनने को मिलता है कि शेयर बाजार में पैसे लगाने वाले निवेशक तरह तरह के होते हैं। इसके साथ ही जब किसी कंपनी का आईपीओ आता है तब भी हमे तरह तरह के निवेशकों (Types of Investors in stock market in Hindi) के बारे में पता चलता है।
विभिन्न आधारों पर जैसे कि पैसे लगाने की क्षमता, जोखिम उठाने की क्षमता, निवेश करने का समय और निवेश का साइज, बहुत तरीके से निवेशकों को अलग अलग भागों में बांटा जा सकता है। इसके बाद अलग अलग भागों में भी निवेशकों को आगे किसी और आधार पर अन्य भागों में बांटा जा सकता है। इसलिए आसानी के लिए जब हम एफआईआई के बारे में जानने को इच्छुक हैं, तो इसलिए हम पैसे लगाने की क्षमता के आधार पर निवेशकों के प्रकार के बारे में जानने की कोशिश करते हैं।
पैसे लगाने की क्षमता के हिसाब से निवेशकों को दो भागों में बांटा जा सकता है, एक तो वो लोग जो बिना किसी साथ के अपने आप पैसे लगाते हैं जिन्हें व्यक्तिगत निवेशक कहेंगे और दूसरे होते हैं संस्थागत निवेशक। इसके बाद संथागत निवेशक भी दो तरह के होते हैं, घरेलू संस्थागत निवेशक और विदेशी संस्थागत निवेशक। विदेशी संस्थागत निवेशक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक का एक भाग होते हैं। इसी तरह व्यक्तिगत निवेशक भी घरेलू और विदेशी दोनों प्रकार के होते हैं।
एफआईआई क्या है? (FII kya hai)
जैसा कि हमने जाना किसी देश को चलाने के लिए निवेश की आवश्यकता होती है। इस निवेश की पूर्ति सिर्फ घरेलू निवेशकों से नहीं हो पाती। इसलिए सरकार के द्वारा विदेशी निवेशकों के द्वारा अपने देश में पैसे लगाने के तरीके बनाए जाते हैं। इसी के अंर्तगत जब किसी एक देश की पेंशन फंड, बीमा कंपनी, म्यूचुअल फंड तथा अन्य संस्थाएं किसी और देश में पैसे लगाती है तो (FII meaning in stock market in Hindi) उन्हें विदेशी संस्थागत निवेशक कहते हैं।
एफआईआई के द्वारा किसी देश में स्थित कंपनी के बॉन्ड, शेयर या अन्य सिक्योरिटीज में पैसे लगाए जाते हैं। एक देश में रहने वाले कुछ लोगों के द्वारा एक समूह के रूप में इस तरह की संस्था को बनाया जाता है। फिर ये संस्था उन बड़े बड़े लोगों और अन्य लोगों से पैसे इकट्ठे करके अन्य देश के कम्पनी में लगाती है। मुख्य रूप से ये शॉर्ट समय के लिए पैसे निवेश करते हैं और उसके बाद सही समय और रिटर्न को देख के अपने पैसे निकाल लेते हैं। इनके द्वारा लघु अवधि के लिए पैसे लगाना बहुत कम देखा जाता है।
अक्सर विकसित देश के लोग ही इस तरह से अपने पैसों को निवेश करते हैं। उन्हें पता होता है कि उनके देश में वृद्धि के मौके नहीं है। इसलिए इस तरह से समूह को बनाकर वो उन देशों की अर्थव्यवस्था में पैसे लगाते हैं जो विकसित हो रहे होते हैं। उनके इस कदम से उनको भी रिटर्न के रूप में फायदा होता है और जिस देश में वो पैसे लगाते है उसको निवेश के माध्यम से सहायता हो जाती है।
भारत में एफआईआई के लिए रूल्स? (FII rules in India in Hindi)
भारत भी एक विकासशील देश होने के कारण अपने विकास के लिए अन्य देश से पूंजी की जरूरत को समझता है। इसी लिए 1991 में देश की अर्थव्यवस्था को पूरे वर्ल्ड के लिए खोल दिया गया था। इसी के साथ भारत में 1993 में एफआईआई का निवेश प्राप्त हुआ था। एफआईआई का अपने देश के और साथ ही स्टॉक मार्केट के विकास में बहुत योगदान है। इसलिए एफआईआई का निवेश भारत में बनाए रखने के लिए और उन्हें नियंत्रित करने के लिए सरकार के द्वारा एफआईआई संबंधी रूल्स बनाए गए हैं।
भारत में आरबीआई के द्वारा एफआईआई के माध्यम से होने वाले निवेश को नियंत्रित किया जाता है। इसके लिए किसी देश के निवेशक को भारत में एफआईआई के माध्यम से निवेश करने से पहले आरबीआई के साथ पंजीकृत होना पड़ता है। इसी के साथ आरबीआई के द्वारा उनके निवेश पर निम्न सीमाएं लगाई गई है:
- विदेशी कंपनी निवेशक भारत की किसी कंपनी की भुगतान पूंजी (Paid up capital) के 24 प्रतिशत तक ही उनके शेयर या बांड्स में निवेश कर सकते हैं।
- कम्पनी के शेयर धारकों से स्पेशल अनुमति लेने के बाद इस 24% की सीमा को बढ़ाया जा सकता है जो कि उस कम्पनी की क्षेत्रीय सीमा/ वैधानिक सीमा तक जा सकती है।
- एफआईआई के द्वारा किसी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में अधिकतम 20% तक निवेश किया जा सकता है।
- किसी एफआईआई के द्वारा उसकी कुल पूंजी का अधिकतम 10% ही एक कंपनी में लगाया जा सकता है।
इसके अलावा भी अलग अलग तरह की सीमाएं आरबीआई के द्वारा निर्धारित की गई है। इसके साथ ही हर सीमा से 2% कम पर एक ट्रिगर प्वाइंट भी रखा गया है, जिस तक निवेश पहुंचने के बाद आरबीआई के द्वारा बैंक को 10% सीमा की स्थिति में उस एफआईआई के माध्यम से या अन्य स्थिति में उस कंपनी में किसी भी एफआईआई के माध्यम से निवेश पर रोक लगाने को कहा जाता है और इसके बाद आरबीआई की अनुमति (Limit of FII investment in India in Hindi) के बाद ही अन्य कोई निवेश किया जा सकता है।
भारत में एफआईआई कौन हो सकते हैं? (Who are FII in India in Hindi)
हमे पता है कि एफआईआई किसी देश के लोगों का समूह होता है जो दूसरे देश में निवेश करते हैं। इनके द्वारा किसी कंपनी के शेयर, बॉन्ड, डेब्ट फंड, इंफ्रास्ट्रक्चर फंड, म्यूचुअल फंड में पैसे लगाए जाते हैं। भारत में निवेश करने के लिए किसी देश के लोग अलग अलग तरह की संस्था बना सकते हैं। इसी वजह से भारत में बहुत तरह के एफआईआई (Type of FII in India in Hindi) चलन में है, जिनमे से मुख्य रूप से निम्न तरीके की संस्थाओं के द्वारा भारत में निवेश किया जाता है:
- पेंशन फंड
- म्यूचुअल फंड
- बैंक
- बीमा कंपनी
- एसेट मैनेजमेंट कम्पनी
- किसी देश की सरकार
- निवेश ट्रस्ट
- किसी तरह का फाउंडेशन
- चैरिटेबल ट्रस्ट
- सरकारी एजेंसी
- एंडोमेंट फंड्स
- किसी देश का केंद्रीय बैंक
- सोवरेन वेल्थ फंड
- सार्वभौमिक संपति फंड
एफआईआई और एफपीआई में अंतर (FII vs FPI in Hindi)
जैसा कि हमने एफआईआई के बारे में जान लिया है तो हम एफआईआई और एफपीआई के बीच में अगर कोई अंतर है तो उसे भी जान लेते हैं। किसी देश में निवेश करने के दो ही तरीके होते हैं या तो एफपीआई और या एफडीआई। अगर देश में प्रत्यक्ष निवेश करना है तो एफडीआई के माध्यम से होगा और शेयर, बॉन्ड या अन्य सिक्योरिटी के माध्यम से किया जाए तो एफपीआई होगा। जिसमे से एफपीआई के अंदर एफआईआई और क्यूएफआई दोनों शामिल होते हैं।
FPI = QFI + FII
इसलिए हम देख सकते हैं कि एफआईआई तो एफपीआई का ही एक भाग है। इसके अलावा जो लोग खुद से बिना किसी समूह के अन्य देश में निवेश करते है वो भी एफपीआई में आते हैं। इसलिए एफपीआई एक व्यापक दायरे में आ जाता है। परंतु फिर भी एफपीआई और एफआईआई के बीच किसी तरीके का अंतर (What is difference between FPI and FII in Hindi) नहीं कह सकते क्योंकि दोनों ही किसी देश में शेयर आदि के माध्यम से निवेश करने के माध्यम ही हैं।
एफआईआई और डीआईआई में अंतर (FII vs DII in Hindi)
अक्सर हम देखते हैं कि स्टॉक मार्केट एफआईआई और डीआईआई दोनों के द्वारा ही की गई लेन देन की वजह से हिल जाता है। दोनों ही बड़े निवेशक है और मुख्य रूप से शॉर्ट समय के लिए निवेश करते हैं। फिर भी दोनो में निम्न अंतर (What is difference between FII and DII in Hindi) देखने को मिलते हैं:
- एफआईआई तो जहां जिस देश में निवेश किया जाता है उसके अलावा किसी देश की संस्था होती है, परंतु डीआईआई उसी देश की संस्था होती है जहां निवेश किया जाता है।
- एफआईआई के द्वारा किए जाने वाले निवेश पर अक्सर सीमा लगी होती है जबकि डीआईआई के स्थिति में ऐसा आमतौर पर नहीं देखा जाता।
- एफआईआई मुख्य रूप से शॉर्ट से मीडियम समय के लिए निवेश करते हैं जबकि डीआईआई मीडियम से दीर्घ समय के लिए निवेश करते हैं।
- एफआईआई जैसे कि किसी और देश में निवेश करते हैं तो उनके पास निवेश के लिए बेहतरीन रिसर्च टीम भी होती है जो उन्हें विदेशी बाजार का मुआयना करके देती हैं, जबकि डीआईआई की स्थिति में ऐसा करने की ज्यादा जरूरत नहीं होती है।
- एफआईआई का उद्देश्य प्रॉफिट पाने का होता है और वहीं डीआईआई मुख्य रूप से रिटर्न उदेश्य रखते हैं।
एफआईआई और एफडीआई में अंतर (FII vs FDI in Hindi)
जिस प्रकार एफआईआई के माध्यम से किसी देश की अर्थव्यवस्था में हिस्सा लिया जा सकता है, उसी प्रकार से एफडीआई भी किसी देश को दिए जाने वाले निवेश का एक प्रकार है। दोनों ही तरह के निवेश में विकसित देश के लोगों के द्वारा विकासशील देश में पैसा लगाया जाता है। दोनों ही निवेशक अपने निवेश पर फायदा पाने की चाहत रखते हैं। परंतु फिर भी दोनों में बहुत तरह के अंतर (What is difference between FDI and FII in Hindi) है।
एफआईआई और एफडीआई के बीच नीचे दिए गए अंतर है:
- एफआईआई के द्वारा किसी देश में पहले से स्थित कंपनी या फंड में पैसे लगाए जाते हैं, जबकि एफडीआई के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किसी बिजनेस की संपत्तियों में पैसे लगाए जाते हैं या यूं कहें नया बिजनेस बनाया जाता है।
- एफडीआई के द्वारा लगाया जाने वाला निवेश लंबे समय के लिए होता है, जो कि आमतौर पर 1 साल से कई साल तक होता है। जबकि एफआईआई के द्वारा किया जाने वाला निवेश इसके मुकाबले बहुत कम समय के लिए होता है।
- एफडीआई के द्वारा दिए निवेश से अर्थव्यस्था और देश को प्रत्यक्ष रूप से फायदा होता है, जबकि एफआईआई के द्वारा किए निवेश से स्टॉक मार्केट पर ही ज्यादा प्रभाव पड़ता है।
- एफडीआई के निवेश में तरलता नहीं होती इसलिए ये जल्दी से एक से दूसरे हाथ में नहीं जाता, जबकि एफआईआई का निवेश तो बहुत ही तरल होता है।
- एफआईआई जब निवेश करता है तो उसे आमतौर पर कंपनी के ऊपर नियंत्रण नहीं मिलता, परंतु एफडीआई के द्वारा कंपनी को नियंत्रित किया जाता है।
FII kya hai – Related FAQs
प्रश्न: एफआईआई और एफपीआई में क्या फर्क है?
उत्तर: एफपीआई का ही एक भाग एफआईआई होता है।
प्रश्न: भारत में एफआईआई का निवेश कब शुरू हुआ?
उत्तर: पहली बार 1993 में एफआईआई के माध्यम से निवेश किया गया।
प्रश्न: क्या छोटे इन्वेस्टर भी एफआईआई के माध्यम से निवेश कर सकते हैं?
उत्तर: हां छोटे इन्वेस्टर अपने आपको एफआईआई के साथ जोड़कर ऐसा कर सकते हैं।
प्रश्न: एफआईआई और डीआईआई में क्या अंतर है?
उत्तर: एफआईआई भारत से बाहर का निवेशक होता है जबकि डीआईआई भारत का ही होता है।