Finance kya hota hai :- आज के समय में एक शब्द बहुत ज्यादा प्रचलन में है जिसे हम सभी फाइनेंस के नाम से जानते हैं। तो आप भी इस फाइनेंस शब्द को बार बार सुनते होगे या इसके बारे में बात करते होगे। बहुत से लोग फाइनेंस को निवेश से जोड़ देते हैं जो सही भी है और गलत भी क्योंकि निवेश या इन्वेस्टमेंट फाइनेंस का एक हिस्सा है जबकि फाइनेंस उससे बहुत बड़ा है। ऐसे में अब यह प्रश्न उठता है कि आखिरकार यह फाइनेंस होता क्या है और इसका क्या कुछ मतलब (What is finance in Hindi) है।
तो आज हम आपको इस फाइनेंस शब्द के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं और आपको बताने वाले हैं कि यह फाइनेंस होता क्या है। इसी के साथ ही फाइनेंस के क्या कुछ प्रकार होते हैं और ये सभी प्रकार एक दूसरे से किस रूप में भिन्न होते हैं। आखिर में फाइनेंस से क्या कुछ फायदे देखने को मिलते हैं और उनका उपयोग हम किस रूप में कर पाते हैं, इसके बारे में जानकारी ली जानी जरुरी हो जाती है। आइये जाने फाइनेंस क्या होता (Meaning of finance in Hindi) है।
फाइनेंस क्या होता है? (Finance kya hota hai)
सबसे पहले हम फाइनेंस शब्द के बारे में जान लेते हैं और इसका अर्थ जानने का प्रयास करते हैं। तो फाइनेंस अंग्रेजी भाषा का शब्द है जिसको हिंदी में वित्त कहा जाता है। वित्त का संबंध धन से होता है जिसका सही तरह से प्रबंधन करने को ही वित्त या वित्तीय प्रबंधन कहा जाता है। एक तरह से फाइनेंस धन का सदुपयोग किस रूप में किया जाए और कहाँ कहाँ उसका उपयोग कर उसमे बढ़ोत्तरी या उपार्जन किया जाए ताकि हमारा और हमारे साथ बाकियों का भला हो सके, उसे ही कहा जाता (Finance meaning in Hindi) है।
यदि अभी भी आप नहीं समझें तो इस विश्व में सभी क्या कर रहे हैं। आप कहेंगे कि या तो लोग कमाई कर रहे हैं और कमाई करने के लिए परिश्रम कर रहे हैं। किन्तु लोग केवल धन कमाने के लिए परिश्रम ही नहीं कर रहे हैं बल्कि उसी के साथ ही उन पैसों का सही क्षेत्र में निवेश भी कर रहे हैं। अब यह निवेश किसी भी रूप में हो सकता है जैसे कि भूमि खरीद लेना या स्वर्ण या अन्य धातुएं खरीद लेना या कुछ और कार्य (Finance definition in Hindi) करना।
मूल रूप में यदि आप फाइनेंस को समझना चाहते हैं तो इसे हम तीन भागों में तोड़ कर समझ सकते हैं जिन्हें हम परिश्रम, धन संचय व निवेश के रूप में समझ सकते हैं। यह एक साइकिल या गोलाकार के रूप में आपस में जुड़े भी हुए हैं और तीनो मिलकर ही फाइनेंस का रूप धारण करते (Define finance in Hindi) हैं। आइये एक एक करके हम आपको इन तीनों के बारे में समझा देते हैं ताकि आपको फाइनेंस का वाकई में क्या कुछ अर्थ होता है, इसके बारे में जानकारी हो जाए।
परिश्रम
फाइनेंस में जिस चीज़ को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है या जो इसकी मूल भावना है वह परिश्रम होता है। यदि मनुष्य के द्वारा परिश्रम ही नहीं किया जाएगा तो कार्य कैसे होगा और कार्य नहीं होगा तो फिर तो जो जैसा है, वैसा का वैसा ही पड़ा रहेगा। कहने का अर्थ यह हुआ कि फाइनेंस के जो दो अन्य हिस्से हैं जिन्हें हम नीचे धन संचय और निवेश के अंतर्गत पढ़ेंगे, वह तब तक नहीं हो पाएंगे जब तक हम परिश्रम ना (Definition of finance in Hindi) करें।
अब यह परिश्रम शारीरिक या मानसिक किसी भी रूप में हो सकता है। कोई यदि मजदूरी कर रहा है तो वह भी परिश्रम है और कोई कोडिंग कर रहा है तो वो भी परिश्रम है। कोई अपना व्यापार चला रहा है तो वो भी परिश्रम है और कोई यदि सरकार चला रहा है तो वह भी परिश्रम है। यह परिश्रम किसी भी रूप में कार्य करने को कहा जाएगा ताकि बाकि कार्य सुचारू रूप में चलते रहें।
धन संचय
अब इसी परिश्रम के बदौलत ही धन संचय का कार्य संपन्न हो पाता है। जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि यदि आप परिश्रम नहीं करते हैं तो फिर बाकि के दो हिस्सों का कोई महत्व नहीं रह जाता है। ऐसे में यदि व्यक्ति के द्वारा परिश्रम किया जाता है तो उसका मूल उद्देश्य धन संचय करना होता है। कोई व्यक्ति व्यापार में परिश्रम इसलिए करता है ताकि वह अपने उपलब्ध धन को बढ़ा सके। वहीं कोई कोडिंग कर किसी की नौकरी इसलिए कर रहा है ताकि वह अपने धन को बढ़ा (Finance kya hai in Hindi) सके।
एक तरह से यही धन ही फाइनेंस का पेड़ कहा जाएगा जो हमें दिखता है। जहाँ परिश्रम उस फाइनेंस की नींव या बीज होती है जो हम उसे सींचकर कर रहे होते हैं। तो वह बीज और उस पेड़ को उगाने में किया गया कार्य ही परिश्रम है और उसके फलस्वरूप जो पेड़ उग रहा है, वह धन संचय का रूप कहा जाता है। हम जिस बीज का उपयोग कर जिस तरह का परिश्रम करते हैं, वह पेड़ या धन संचय उसी रूप में ही हो पाता है। अब आप यह धन संचय एक पेड़ से भी कर सकते हैं तो वहीं साथ में दो से तीन छोटे पौधों पर भी परिश्रम कर सकते हैं।
निवेश
धन संचय के रूप में वह पेड़ तो उग गया लेकिन अब वह पेड़ किसलिये उगाया गया है, यह भी तो मायने रखता है। तो आपका उत्तर होगा कि उस पेड़ पर जो फल आये हैं, वह हम खाने में उपयोग में ला सकते हैं। किन्तु अब आप यह भी तो ध्यान रखें कि उस धन संचय ने या पेड़ ने आपका पेट तो भर दिया लेकिन क्या वह पेड़ आपको आवश्यकता से अधिक भी दे रहा है? अब किसी का पेड़ उसको उतना ही दे पा रहा है जितना वह अपना पेट भर सके तो वह व्यक्ति फाइनेंस में नहीं आता है लेकिन वह ज्यादा दे रहा है तो वह फाइनेंस के रूप को पूरा कर लेता (Finance kya hai) है।
अभी भी आप नहीं समझें तो आइये हम आपको सरल भाषा में समझा देते हैं। मान लीजिये कि आप और आपका परिवार एक दिन में 5 किलो फल खाकर पेट भरते हैं और वह पेड़ आपको 5 किलो ही फल दे रहा है तो आप फाइनेंस के अंतर्गत नहीं आयेंगे। किन्तु अब वही पेड़ आपको दिन का 10 किलो फल दे रहा है तो आपके और आपके परिवार की जरुरत तो प्रतिदिन 5 किलो फल की ही है। ऐसे में आप बाकि के 5 किलो फल को यूँ ही पड़े रहने देंगे तो वे सड़ जाएंगे।
ऐसे में आप उन बचे हुए 5 किलो फल को कहीं बेच देंगे और उनसे अधिक पैसा कमाएंगे। कुछ उसी तरह फाइनेंस के इस निवेश में होता है। अब आपने एक महीने का 50 हज़ार कमाया और आपका एक महीने का खर्च 30 हज़ार है तो आप बाकि के 20 हज़ार को किसी में निवेश करेंगे तो यह आपके लिए फलदायी सिद्ध होगा। अब कोई व्यक्ति किसी में निवेश करता है तो कोई किसी में और यह उस व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है। इस तरह से इन तीनो को मिलाकर ही फाइनेंस कहा जाता (Finance kya hota hai in Hindi) है।
फाइनेंस के प्रकार (Finance ke prakar)
हमें आशा है कि आपको अभी तक का लेख पढ़कर यह तो समझ में आ गया होगा कि फाइनेंस क्या होता है या फाइनेंस का क्या मतलब है लेकिन इसी के साथ साथ आपके लिए यह समझना भी बहुत जरुरी हो जाता है कि फाइनेंस के प्रकार क्या कुछ होते हैं। इसे जानकर ही आप समझ पाएंगे कि फाइनेंस को किन किन रूपों में बांटा जा सकता है और इसे कौन किस रूप में देखता (Types of finance in Hindi) है।
तो मूल रूप से फाइनेंस को तीन भागों में या प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है। यह तीन भाग छोटे से बड़े स्तर के होते हैं। इसमें पहला भाग निजी तौर पर जुड़ा हुआ है तो दूसरा बड़ी कंपनी और तीसरा सरकार के तौर पर जुड़ा हुआ होता है। आइये इन तीनो के बारे में समझ लेते (Finance ke bare me jankari) हैं।
व्यक्तिगत वित्त या पर्सनल फाइनेंस (Personal finance meaning in Hindi)
फाइनेंस में जिसका नाम सबसे पहले आता है वह व्यक्ति विशेष से जुड़ा हुआ है अर्थात यदि व्यक्ति के द्वारा अपने स्तर पर या अपने परिवार के स्तर पर फाइनेंस का काम किया जाता है तो उसे हम पर्सनल फाइनेंस या व्यक्तिगत वित्त कह सकते हैं। हम इसे फाइनेंस के तीन हिस्सों का उदाहरण देकर आपको समझा देते हैं। तो मान लीजिये कि एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है जो किसी कंपनी में 9 घंटे कार्य करता है। तो वह उस कंपनी में काम करने के लिए प्रतिदिन 9 घंटे का परिश्रम कर रहा (Personal finance in Hindi) है।
उसके द्वारा प्रतिदिन या सप्ताह में 5 दिन के लिए जो 9 घंटे का कार्य उस कंपनी के लिए किया जा रहा है, कंपनी उसके लिए उसे महीने के अंत में 50 हज़ार रुपये का वेतन देती है। तो यह 50 हज़ार रुपये उस इंजीनियर के द्वारा धन संचय का हिस्सा हो गया। अब उस इंजीनियर की अपनी और अपने ऊपर निर्भर परिवार के सदस्यों की जरुरत पर खर्च करके 20 हज़ार रुपये बच जाते हैं।
तो वह इन 20 हज़ार को शेयर बाजार में या अन्य कहीं निवेश कर देता है तो यह फाइनेंस का आखिरी भाग हो गया। तो इस रूप को ही हम पर्सनल फाइनेंस के नाम से जानते हैं। इस तरह से पर्सनल फाइनेंस में यह पहले परिश्रम, फिर धन संचय और आखिर में निवेश के ऊपर आता है और इसी तरह से यह साईकल चलता रहता है।
निगम वित्त या कॉर्पोरेट फाइनेंस (Corporate finance in Hindi)
अब इसी में अगला रूप कॉर्पोरेट फाइनेंस होता है जिसे हम निगम फाइनेंस या निगम वित्त भी कह सकते हैं। इसमें फाइनेंस का कार्य व्यक्तिगत स्तर पर ना होकर निगम स्तर पर किया जाता है जिसे हम कॉर्पोरेट कह सकते हैं। इसे आप कुछ यूँ समझें कि एक व्यक्ति के द्वारा कोई कंपनी खोली जाती है जो लोगों को सुविधा देने का कार्य करती है किन्तु उस कंपनी में पैसा केवल उसने ही नहीं लगाया है। उस व्यक्ति के द्वारा कई तरह के निवेश ढूंढे जाते हैं जो उस कंपनी में पैसा लगा रहे (Corporate finance meaning in Hindi) हैं।
अब वह व्यक्ति उस कंपनी को चलाने के लिए पहले निवेश करवाने का कार्य करता है, फिर परिश्रम करता है और उसके बाद आखिर में धन संचय का कार्य होता है। एक तरह से जो फाइनेंस के तीन हिस्से हैं, वह फाइनेंस के तीन प्रकारों में ऊपर नीचे हो जाते हैं। अभी हमने आपको इसे एक साईकल या गोलाकार के रूप में कहा था जो किसी भी रूप में शुरू हो सकता है। तो कॉर्पोरेट फाइनेंस में यह पहले निवेश, फिर परिश्रम और आखिर में धन संचय के रूप में सामने आता है।
सार्वजनिक वित्त या पब्लिक फाइनेंस (Public finance in Hindi)
यह फाइनेंस का सबसे बड़ा रूप हो जाता है जिसे हम सरकार भी कह सकते हैं क्योंकि इसका संबंध सार्वजनिक क्षेत्र से हो जाता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि सरकारों के द्वारा जो भी कार्य किया जाता है, वह पब्लिक फाइनेंस या सार्वजनिक वित्त का कार्य हो जाता है, फिर चाहे वह राज्य की सरकार हो या केंद्र सरकार या कोई राजा का शासन। इसमें पहले धन संचय फिर निवेश और आखिर में परिश्रम होता है। आइये इसे भी समझ लेते हैं।
तो किसी भी सरकार का सबसे पहला कार्य क्या होता है!! तो वह कार्य है नागरिकों से कर या टैक्स के रूप में धन संचय करना क्योंकि इसी एकत्रित हुए धन से ही तो वह कार्य कर पायेगी। तो पहले वह धन संचय कर लेती है। इसके पश्चात वह तरह तरह की योजनाएं या विभिन्न क्षेत्रों में इस धन को निवेश करने का कार्य करती है जिसे हर वर्ष वित्त वर्ष की शुरुआत में वित्तीय बजट के रूप में रखा जाता (Public finance meaning in Hindi) है। तो यह निवेश का रूप हो जाता है जिसे वित्त मंत्री के द्वारा बताया जाता है।
अब आखिर में उस निवेश किये गए पैसों से परिश्रम करने का कार्य किया जाता है। जैसे कि अब उस वित्तीय वर्ष में एक हज़ार किलोमीटर सड़क बनाने के लिए एक लाख करोड़ का निवेश किया गया है तो आखिरी चरण परिश्रम का होता है जहाँ उस धन से सड़क निर्माण का कार्य किया जाता है। तो पब्लिक फाइनेंस में पहले धन संचय, फिर निवेश और आखिर में परिश्रम होता है और इसी कारण सरकारें निठल्ली साबित होती है क्योंकि इसमें परिश्रम आखिर में आ जाता है।
फाइनेंस के फायदे (Finance benefits in Hindi)
अब जब आपको फाइनेंस के बारे में इतनी सब जानकारी हो गयी है तो अवश्य ही आपको यह भी ज्ञान हो गया होगा कि फाइनेंस के फायदे क्या कुछ होते हैं या इससे आपको क्या कुछ लाभ देखने को मिलते हैं। एक तरह से यह जीवन की आधारशिला है जिस पर प्रत्येक व्यक्ति को चलना होता है। हम फाइनेंस को केवल एक प्रक्रिया ना समझ कर यह समझ लें कि इसी फाइनेंस के द्वारा ही हर व्यक्ति क्रियाशील बना रहता (Finance ke fayde) है।
अब चाहे वह व्यक्ति विशेष की बात हो जाए या किसी बड़ी कंपनी की या फिर सरकार की, हर कोई इसी फाइनेंस की बदौलत या इसकी प्रक्रिया के तहत ही कार्य कर रहा होता है। हर किसी के द्वारा मनुष्य जीवन को चलाने के लिए परिश्रम किया जाता है, धन का संचय किया जाता है और उन पैसों को निवेश भी किया जाता है। इसी से ही हमारे जीवन की पटरी चलती रहती है और आगे भी चलती रहेगी।
फाइनेंस क्या होता है – Related FAQs
प्रश्न: फाइनेंस का मतलब क्या होता है?
उत्तर: फाइनेंस को हिंदी में वित्त कहा जाता है।
प्रश्न: फाइनेंस का काम क्या होता है?
उत्तर: फाइनेंस के बारे में संपूर्ण जानकारी आपको ऊपर के लेख के माध्यम से जानने को मिलेगी जो आपको पढ़ना चाहिए।
प्रश्न: फाइनेंस कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर: फाइनेंस 3 प्रकार के हैं जिनके बारे में जानकारी हमने ऊपर के लेख में विस्तार से दी है।
प्रश्न: फाइनेंस अकाउंट को हिंदी में क्या कहते हैं?
उत्तर: फाइनेंस अकाउंट को हिंदी में वित्तीय लेखांकन कहा जाता है।
तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने फाइनेंस के बारे में जानकारी हासिल कर ली है। आपने जाना कि फाइनेंस क्या है फाइनेंस के प्रकार कितने हैं और फाइनेंस के फायदे क्या हैं इत्यादि। आशा है कि जो जानकारी आपको फाइनेंस से संबंधित चाहिए थी वह आपको मिल गई होगी। फिर भी यदि कोई शंका या प्रश्न आपके मन में फाइनेंस को लेकर शेष है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।