फाइनेंस मैनेजर कैसे बने? | योग्यता, पात्रता, कार्य व सैलरी | Finance manager kaise bane

Finance manager kaise bane :- क्या आप फाइनेंस मैनेजर बनने को इच्छुक हैं और इसके बारे में अधिक जानना चाहते हैं? समय के साथ साथ देशभर में कई तरह के काम उभर कर सामने आये हैं और अब तो उनमें से कुछ काम बहुत ही ज्यादा महत्व वाले बन गए हैं। इसी में एक है फाइनेंस मैनेजर का काम जिसकी जरुरत आज के समय में लगभग हर कंपनी और उद्योग को होती है। वह इसलिए क्योंकि इनका जुड़ाव सीधे तौर पर पैसों से होता है। ऐसे में पैसों का प्रबंधन करने का दायित्व भी इन्हीं के कंधों पर ही होता (How to become a finance manager in Hindi) है।

फाइनेंस मैनेजर की भूमिका हरेक क्षेत्र में महत्वपूर्ण होती है। कंपनी में एक फाइनेंस मैनेजर का काम वहां के सभी वित्तीय लेनदेन को देखना, अपना परामर्श देना, वित्त से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय लेना इत्यादि होता है। अन्य सभी वित्त अधिकारी उसके अंतर्गत आते हैं। ऐसे में कंपनी के लिए फाइनेंस मैनेजर का पद बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है। कंपनी के डायरेक्टर, बड़े अधिकारी इत्यादि सभी फाइनेंस मैनेजर के ही संपर्क में बने रहते हैं और उससे अपडेट लेते रहते (Finance manager kaise bane in Hindi) हैं।

ऐसे में यदि आपको भी फाइनेंस मैनेजर बनना है तो आज हम आपके साथ इसी विषय के बारे में ही बात करने वाले हैं। इस लेख में आपको फाइनेंस मैनेजर बनने के ऊपर शुरू से लेकर अंत तक का पूरा प्रोसेस चरण दर चरण समझाया जाएगा। आइये जाने किस तरह से आप भी एक सफल फाइनेंस मैनेजर बन सकते (Finance manager banne ke liye kya kare) हैं।

Contents show

फाइनेंस मैनेजर कैसे बने? (Finance manager kaise bane)

फाइनेंस मैनेजर बनना कोई इतना सरल कार्य नहीं होता है और इसके लिए बहुत परिश्रम किये जाने की आवश्यकता होती है। यदि आप सच में फाइनेंस मैनेजर बनने का सपना देख रहे हैं तो उसके लिए आपको अभी से ही तैयारी शुरू कर देनी चाहिए ताकि आगे चलकर किसी तरह की दिक्कत ना हो। हालाँकि आज के समय में तो तरह तरह की डिग्री किये हुए लोग भी फाइनेंस डिपार्टमेंट में जा रहे हैं लेकिन यदि आपको इतने बड़े पद तक पहुंचना है तो आपकी शुरुआत सही होनी (Finance manager banne ke liye kya karna padta hai) चाहिए।

Finance manager kaise bane

ऐसे में यदि आप किसी अन्य विषय में अपनी बारहवीं या ग्रेजुएशन की पढ़ाई करके और फिर बाद में फाइनेंस में मास्टर्स कर लेते हैं या कोई छोटा मोटा कोर्स कर लेते हैं और फिर सोचते हैं कि आप जल्द से जल्द फाइनेंस मैनेजर बन जाएंगे तो आप गलत हैं। इसके लिए आपको शुरू से ही अपनी तैयारी पक्की करनी होगी ताकि आप फाइनेंस मैनेजर बनने की दिशा में तेजी के साथ आगे बढ़ सकें। आइये जाने इसके बारे में।

बारहवीं कॉमर्स स्ट्रीम से करें

फाइनेंस मैनेजर बनने के लिए सबसे पहले तो आपको अपनी दसवीं कक्षा में अच्छे अंक लाने होंगे क्योंकि उसी के आधार पर ही आप अपनी 11 वीं कक्षा में स्ट्रीम को चुन पाएंगे। इसके लिए आपको कम से कम 50 प्रतिशत अंक तो अपनी दसवीं में लाने होंगे। अब इसी के आधार पर ही आपको 11 वीं कक्षा में कॉमर्स स्ट्रीम का चयन करना होगा और साथ ही किसी अच्छे स्कूल में एडमिशन लेना होगा।

फिर आपको अगले दो वर्ष के लिए कॉमर्स में रहकर फाइनेंस की अच्छे से पढ़ाई करनी होगी। कॉमर्स में ही फाइनेंस का सब्जेक्ट पढ़ाया जाता है। हालाँकि आप आर्ट्स में भी फाइनेंस का चुनाव कर सकते हैं लेकिन यदि आप नॉन मेडिकल या अन्य किसी स्ट्रीम का चुनाव करते हैं तो यह गलत होगा। इसके लिए सबसे बेहतर स्ट्रीम कॉमर्स ही मानी जाएगी। साथ ही बारहवीं में आपको न्यूनतम 60 प्रतिशत अंक लाने होंगे ताकि आप अच्छे कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर सकें।

फाइनेंस में ग्रेजुएशन करें

अब जब आपने अपनी बारहवीं की पढ़ाई को अच्छे से कर लिया है और न्यूनतम 60 प्रतिशत अंक ले आये हैं तो आपको भारत के टॉप मोस्ट कॉलेज में बीकॉम की डिग्री लेने के लिए आवेदन करना होगा। इसके लिए कई कॉलेज के नाम चलते हैं जैसे कि दिल्ली का श्रीराम कॉलेज हो या अन्य कॉलेज। वहां के लिए अलग से एग्जाम लिए जाते हैं और उसमें चयनित होने वाले छात्र ही वहां पर बीकॉम की पढ़ाई कर पाते हैं।

अब यह जरुरी नहीं है कि आपका वहां ही चयन हो। आप चाहें तो अन्य किसी अच्छे कॉलेज से भी बीकॉम की पढ़ाई कर सकते हैं या फिर एक वर्ष का ड्रॉप भी ले सकते हैं। बीकॉम के अलावा आप फाइनेंस में बीएससी या बीए की पढ़ाई भी कर सकते हैं। इसके अलावा बीबीए की पढ़ाई भी की जा सकती है जो बीकॉम के जैसी ही होती है। इन सभी के अलावा आपको किसी अन्य क्षेत्र से ग्रेजुएशन या स्नातक की पढ़ाई नहीं करनी है।

फाइनेंस में मास्टर्स करें

अब जब आपने अच्छे कॉलेज से फाइनेंस में ग्रेजुएशन की डिग्री ले ली है तो केवल यही पर्याप्त नहीं होती है। फाइनेंस मैनेजर एक बहुत बड़ा पद होता है और इसके लिए व्यक्ति का मास्टर्स किया होना भी बहुत जरुरी होता है जिसे हम पोस्ट ग्रेजुएशन या उच्च स्नातक की डिग्री भी कहते हैं। सामान्य तौर पर इसके लिए फाइनेंस के अंदर MBA की डिग्री ली जाती है और यही सबसे ज्यादा मायने भी रखती है। ऐसे में आपका जोर भी कैट का एग्जाम पास कर किसी अच्छे कॉलेज में MBA इन फाइनेंस करने पर होना चाहिए।

कैट का एग्जाम देकर आपको देश के टॉप मोस्ट कॉलेज जैसे कि आईआईएम में प्रवेश मिल जाएगा। जो भी व्यक्ति यहाँ से फाइनेंस में पढ़ता है उसे पहली नौकरी ही बड़ी कंपनी में और अच्छे वेतन के साथ मिलती है। इसके अलावा आप फाइनेंस के अंतर्गत एमए या एमएससी की डिग्री भी ले सकते हैं। अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप अपनी मास्टर्स किसमें करना चाहते हैं लेकिन करें यह फाइनेंस में ही।

फाइनेंस में इंटर्नशिप करें

जब आप अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे होंगे तभी आपको फाइनेंस के अंतर्गत इंटर्नशिप करने का भी ऑफर आएगा। ऐसे में आपको इस पर बहुत ध्यान देना है क्योंकि आगे चलकर जब आप फाइनेंस मैनेजर बनने के लिए नौकरियां देख रहे होंगे तो वे आपकी इंटर्नशिप को अवश्य देखेंगे। उनके द्वारा यह देखा जाएगा कि आपने अपनी इंटर्नशिप कहाँ से की है, कितने समय के लिए की है, वहां आपका काम कैसा था और आपने वहां से क्या कुछ सीखा।

इंटर्नशिप वह होती है जहाँ आप नौकरी लगने से पहले उसके बारे में सीखते हैं और फाइनेंस मैनेजर के अंतर्गत काम करते हैं। इसमें आपको फाइनेंस मैनेजर के जटिल दांव पेंच इत्यादि को समझने में सहायता होती है जो आपका सफल करियर बनाने में सहायता करती है। इसलिए किसी सही जगह से इंटर्नशिप किया जाना बहुत ही जरुरी हो जाता है।

रिज्यूमे बनाएं और नौकरी के लिए आवेदन करें

अब जब आपने फाइनेंस में अपनी ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और इंटर्नशिप सब पूरा कर लिया है तो बारी आती है नौकरी में आवेदन दिए जाने की। यहाँ आप यह समझ लें कि लगभग हर कंपनी चाहे वह छोटी हो या बड़ी, वहां फाइनेंस डिपार्टमेंट स्थापित करती है। अब यदि वहां फाइनेंस डिपार्टमेंट है तो अवश्य ही वहां कई तरह के फाइनेंस अधिकारी व कर्मचारी काम कर रहे होंगे।

तो इसके लिए सबसे पहले तो आपको अपना रिज्यूमे बनाना होगा और वह ऐसा होना चाहिए जिसे देखकर सामने वाला व्यक्ति प्रभावित हो जाए। रिज्यूमे बनाने के बाद आपको ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही माध्यम से फाइनेंस डिपार्टमेंट में नौकरी के लिए आवेदन करना शुरू कर देना चाहिए। हालाँकि इस बात का ध्यान रखें कि आपको शुरुआत में ही फाइनेंस मैनेजर की नौकरी नहीं मिलेगी बल्कि फाइनेंस डिपार्टमेंट में कोई अन्य पद पर नौकरी मिलेगी।

फाइनेंस एडवाइजर बने और अनुभव लें

जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि आपको कोई भी कंपनी शुरू में ही फाइनेंस मैनेजर के पद पर नियुक्त नहीं करने वाली है क्योंकि यह बहुत ही जिम्मेदारी वाला पद होता है। ऐसे में आपको पहले फाइनेंस एडवाइजर के तौर पर नियुक्त किया जाएगा जो फाइनेंस मैनेजर के अंतर्गत रहकर काम करता है। उसका कार्य धन व अन्य वित्त से जुड़े मामलों में फाइनेंस मैनेजर को सलाह देना, उसका मार्गदर्शन करना, रिपोर्ट तैयार करके देना इत्यादि होता है।

इसलिए आपको पहले तो फाइनेंस एडवाइजर बनना होगा और कंपनी में कुछ वर्षों तक इस पद पर बने रहकर काम करना होगा। यदि आपका काम अच्छा है तो अवश्य ही आपको प्रमोट किया जाएगा। हालाँकि इस दौरान यदि आपको नौकरी बदलने की जरुरत महसूस होती है तो वह भी आप कर सकते हैं। आपको अपना काम बहुत ही प्रभावी ढंग से करना होगा ताकि आप तेजी के साथ आगे बढ़ सकें।

फाइनेंस मैनेजर बने

अब जब आप फाइनेंस एडवाइजर के तौर पर काम कर रहे हैं और आपको अच्छा खासा अनुभव हो चुका है जो सामान्य तौर पर 3 से 5 वर्ष का होता है तो उसके बाद आप फाइनेंस मैनेजर बन सकते हैं। हालाँकि यह इस पर निर्भर करता है कि आपने इस दौरान किस तरह का काम किया है, कहाँ काम किया है, कितना लाभ दिलवाया है और स्थिति को किस तरह से संभाला है। एक तरह से आपका पूरी तरह से आंकलन किया जाएगा और उसी के आधार पर ही आपको आगे प्रमोट किया जाएगा।

तो कंपनी को लगता है कि अब आप फाइनेंस मैनेजर बन सकते हैं तो अवश्य ही आपको प्रमोट कर यह पद दे दिया जाएगा। इस तरह से आप अन्तंतः फाइनेंस मैनेजर की भूमिका में आ जाएंगे जो बहुत ही जिम्मेदारी वाला पद होगा। इस पद पर रहते हुए आपको कंपनी के वित्त से जुड़े हर महत्वपूर्ण निर्णय लेने होंगे और अपना परामर्श देना होगा।

तो इस तरह से आप फाइनेंस मैनेजर के पद पर नियुक्त हो सकते हैं और अपना काम कर सकते हैं। हालाँकि फाइनेंस मैनेजर बनने की अलग अलग लाइन भी होती है क्योंकि कई लोग इसके लिए बीकॉम ना करके अन्य डिग्री करते हैं या कर चुके होते हैं। उदाहरण के तौर पर व्यक्ति के द्वारा अपनी ग्रेजुएशन इंजीनियरिंग में की जाती है और उसके बाद वह फाइनेंस में MBA करता है और आगे बढ़ता है। तो अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप किस तरह से आगे बढ़ना चाहते हैं।

फाइनेंस मैनेजर बनने के लिए जरुरी योग्यता (Finance manager eligibility in Hindi)

अब हम बात करते हैं फाइनेंस मैनेजर बनने के लिए जरुरी स्किल्स या योग्यता के बारे में। तो इसके लिए तरह तरह की योग्यता का आपके अंदर होना आवश्यक होता है अन्यथा आप जल्द से जल्द या सही फाइनेंस मैनेजर नहीं बन पाएंगे। वहीं यदि आप स्वतंत्र रूप से फाइनेंस में काम करना चाहते हैं या अपनी फर्म खोलना चाहते हैं तो उसमें भी यही स्किल्स आपके बहुत काम आने वाली है।

  • इसके लिए आपकी एनालिटिक्स स्किल्स का बेहतर होना बहुत जरुरी होता है। आपको चीज़ों का एनालिसिस करना अर्थात उनका आंकलन करना आना चाहिए।
  • फाइनेंस मैनेजर को डाटा के साथ खेलना होता है अर्थात उसके पास तरह तरह का डाटा आता है और उसे उन्हें बेहतर ढंग से समझ कर उस पर अपनी राय रखनी होती है या निर्णय लेना होता है। ऐसे में आपको डाटा की अच्छी समझ होनी चाहिए।
  • आपको एक्सेल या गूगल स्प्रेड शीट की अच्छी तरह से जानकारी होनी चाहिए क्योंकि इसी पर तरह तरह के फॉर्मूला और एल्गोर्थिम लगाये जाएंगे और कोई निर्णय लिया जाएगा।
  • आको बात करने की महारत भी हासिल होनी चाहिए क्योंकि इसी के बलबूते ही आप अपने क्लाइंट्स से बेहतर संपर्क स्थापित कर पाएंगे। सीधे तौर पर आपकी कम्युनिकेशन स्किल्स का अच्छा होना जरुरी हो जाता है।
  • प्रॉब्लम सोल्विंग का गुण भी आपके अंदर होना चाहिए क्योंकि फाइनेंस मैनेजर की नौकरी एक ऐसी नौकरी होती है जिसमें समय समय पर कई तरह की चुनौतियाँ और समस्याएं आती है। ऐसे में आप इन समस्या को किस तरह से जल्दी और प्रभावी रूप में सुलझा पाते हैं, यह बहुत ही मायने रखता है।
  • एक साथ कई तरह के काम करने की कला भी आपके अंदर होनी चाहिये क्योंकि इसमें आपको एक साथ कई तरह की चीज़ों पर अपना ध्यान लगाना होगा। अब यदि आपका घ्यान भटका तो बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है।
  • आपको जल्दी निर्णय लेने की क्षमता का भी विकास करना होगा क्योंकि फाइनेंस मैनेजर के तौर पर आपको अपने क्लाइंट्स या कंपनी का पैसा निवेश करना होगा। अब इसमें देरी होती है तो यह आपके लिए और आपकी कंपनी दोनों के लिए ही अच्छा नहीं होता है।

इस तरह से फाइनेंस मैनेजर बनने के लिए आपके अंदर ऊपर बताई गयी सभी तरह की स्किल्स का होना बहुत ही जरुरी हो जाता है। बिना इनके आप फाइनेंस मैनेजर नहीं बन सकते हैं और बन भी गए तो आप सही ढंग से काम नहीं कर पाएंगे। इनके अलावा भी कुछ स्किल्स चाहिए होती है जो आपको फाइनेंस की पढ़ाई करते हुए पता चल जाएगी।

फाइनेंस मैनेजर के कार्य (Finance manager ke karya)

अब बात करते हैं फाइनेंस मैनेजर के द्वारा किस किस तरह के कार्य किये जाते हैं या उसे किन किन चीज़ों को देखना होता है। तो एक फाइनेंस मैनेजर वह होता है जो अपनी कंपनी के वित्त से जुड़े हर तरह के निर्णय लेता है, उस पर अपनी राय रखता है और आगे की रणनीति बनाता है। फिर भी हम कुछ मुख्य कार्यों के बारे में आपको नीचे बता देते हैं।

  • पिछले वित्तीय वर्ष में कंपनी का काम कैसा रहा था और उसने किस तरह की प्रगति की, इसके बारे में एनालिसिस करना और रिपोर्ट बनाने का काम फाइनेंस मैनेजर का ही होता है।
  • कंपनी आने वाले वित्त वर्ष में किस तरह से आगे बढ़ने वाली है, उसके लिए पैसों का आवंटन किस तरह से होगा, इसके बारे में निर्णय लेना भी फाइनेंस मैनेजर का ही काम होगा।
  • कंपनी को किन किन स्रोतों से आय होने वाली है और उसके लिए क्या कुछ किया जाना जरुरी होगा, यह फाइनेंस मैनेजर के द्वारा ही देखा जाता है।
  • कंपनी एक समय अंतराल में कहाँ और किस चीज़ पर कितना खर्च कर रही है और उसकी कास्टिंग का पूरा हिसाब किताब रखना भी फाइनेंस मैनेजर के हाथों में ही होता है।
  • फाइनेंस डिपार्टमेंट में जो भी अन्य लोग काम कर रहे हैं, उनके काम को देखना, उनका मूल्यांकन करना और उन्हें आवश्यक दिशा निर्देश देना भी फाइनेंस मैनेजर का ही काम कहा जाएगा।
  • कंपनी के सभी बहीखातों का प्रबंधन करना, उन्हें समय समय पर अपडेट करते रहना, उसमें सुधार करना इत्यादि भी फाइनेंस मैनेजर के द्वारा ही देखा जाता है।
  • कंपनी के बॉस और अन्य उच्च अधिकारियों को फाइनेंस से जुड़ी रिपोर्ट देना और पैसों के मामलों में उन्हें अपनी राय देना भी फाइनेंस मैनेजर का ही काम कहा जाएगा।

इस तरह से किसी भी कंपनी में फाइनेंस मैनेजर का काम बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि वह उस कंपनी का संपूर्ण वित्त अर्थात पैसा संभाल रहा होता है। यदि उससे कोई गलती होती है तो इसका नुकसान पूरी कंपनी को ही उठाना पड़ता है। इसलिए उसे बहुत ही संभल कर कार्य करना पड़ता है।

फाइनेंस मैनेजर की सैलरी (Finance manager salary in Hindi)

अब हम बात करते हैं फाइनेंस मैनेजर को मिलने वाली सैलरी के बारे में। सामान्य तौर पर यदि कोई व्यक्ति फाइनेंस में डिग्री लेकर पहली बार नौकरी लगता है तो उसे फाइनेंस मैनेजर के तौर पर 50 से 60 हज़ार की सैलरी मिलती है। वहीं यदि वह किसी अच्छे या टॉप कॉलेज से पढ़कर फाइनेंस मैनेजर के पद पर नियुक्त होता है तो यही सैलरी 1 से 3 लाख के बीच में भी हो सकती है। अब यह निर्भर करता है कि वह व्यक्ति कहाँ से पढ़ा है, उसका अनुभव कैसा है और उसका काम करने का तरीका किस तरह का है।

आज के समय में फाइनेंस मैनेजर की बहुत ज्यादा माँग है और अच्छे फाइनेंस मैनेजर को कंपनियां मुहं मांगी सैलरी देने को तैयार रहती है। वह इसलिए क्योंकि यदि फाइनेंस मैनेजर अच्छा होता है, तो वह अपने को मिल रही सैलरी से 10 गुणा ज्यादा लाभ कंपनी को लाकर देता है। यही एक अच्छे फाइनेंस मैनेजर की पहचान होती है।

फाइनेंस मैनेजर कैसे बने – Related FAQs

प्रश्न: फाइनेंस मैनेजर बनने के लिए कौन सा कोर्स करें?

उत्तर: फाइनेंस मैनेजर बनने के लिए आप बीकॉम और फिर फाइनेंस में एमबीए कर सकते हो।

प्रश्न: फाइनेंस मैनेजर की सैलरी कितनी है?

उत्तर: फाइनेंस मैनेजर की शुरआती सैलरी 60 हजार के आस पास होती है।

प्रश्न: मैं भारत में 12वीं के बाद फाइनेंस मैनेजर कैसे बन सकता हूं?

उत्तर: आपको पहले बीकॉम करनी होगी और फिर एमबीए इन फाइनेंस और फिर आप फाइनेंस डिपार्टमेंट में काम करके कुछ साल बाद फाइनेंस मैनेजर बन सकोगे।

प्रश्न: फाइनेंस मैनेजर का मतलब क्या होता है?

उत्तर: फाइनेंस मैनेजर किसी भी कंपनी के वित्त संबंधी निर्णयों को लेता है और उस कंपनी के वित्त को संभालता है।

तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने फाइनेंस मैनेजर बनने के ऊपर जानकारी हासिल कर ली है। साथ ही आपने जाना कि फाइनेंस मैनेजर बनने के लिए क्या योग्यता चाहिए होती है फाइनेंस मैनेजर के क्या कार्य होते हैं और फाइनेंस मैनेजर की सैलरी कितनी होती है इत्यादि। आशा है कि जो जानकारी लेने के लिए आप इस लेख पर आए थे वह आपको मिल गई होगी। फिर भी यदि कोई शंका आपके मन में शेष है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
[fluentform id="3"]

Leave a Comment