First lok sabha election of India in Hindi: भारत देश एक लोकतांत्रिक देश है जहाँ देश के नागरिक हर पांच वर्ष में अपने यहाँ से एक प्रत्याशी का चुनाव करते हैं। फिर उस प्रत्याशी के द्वारा लोकसभा का गठन किया जाता है और सभी प्रत्याशी मिलकर प्रधान मंत्री व लोकसभा का गठन करते हैं। अब तो यह बात आप सभी के लिए आम हो गयी है लेकिन तब का माहौल सोचिये, जब देश के नागरिकों ने पहली बार अपने मताधिकार का उपयोग किया (Bharat mein pratham aam chunav kab hua tha) था।
उससे पहले तक देश में राजतंत्र हुआ करता था। एक समय पहले तक देश पर अपने ही नागरिकों का शासन हुआ करता था लेकिन फिर 12वीं सदी में देश ने पराधीनता का मुहं देखा। इसके बाद लगभग 800 वर्षों तक भारत देश कभी अफगान तो कभी मुगलों तो कभी अंग्रेजों की गुलामी करता रहा। अन्तंतः 15 अगस्त 1947 को देश स्वतंत्र हो गया। हालाँकि देश के स्वतंत्र होते ही चुनाव नहीं हुआ था और अंग्रेजों ने देश की सत्ता कांग्रेस व जवाहर लाल नेहरु को सौंप दी (First lok sabha elections in Hindi) थी।
बहुत लोग सोचते होंगे कि देश का पहला लोकसभा चुनाव स्वतंत्रता मिलने के कुछ दिन बाद ही हो गया होगा लेकिन ऐसा नहीं है। यह देश के स्वतंत्र होने के लगभग 4 वर्षों के पश्चात हुआ था। यह चुनावी प्रक्रिया लगभग 4 महीनो तक चली थी और कुल 68 चरण में यह मतदान हुआ था। ऐसे में आइये देश के पहले लोकसभा चुनावों के बारे में सभी जानकारी ले लेते (First general elections in India in Hindi) हैं।
हम हर 5 वर्ष में अपने यहाँ से सांसदों का चुनाव करते हैं जो देश की सरकार चलाने का काम करते हैं। हालाँकि यह प्रक्रिया पिछले लगभग 7 से 8 दशक से चल रही है, उससे पहले हमारे देश में या तो राजतंत्र हुआ करता था या फिर आक्रांताओं का शासन था। ऐसे में वर्ष 1947 में देश को स्वतंत्रता मिली थी और उसके बाद पहली बार वर्ष 1951 में देश में चुनाव करवाए गए (India’s first general elections in Hindi) थे।
यह पल भारत देश व उसके नागरिकों के लिए ऐतिहासिक था क्योंकि इतिहास में पहली बार भारत देश के नागरिक अपने द्वारा अपने लिए एक सरकार को चुन रहे थे जो उन पर शासन करने वाला था। इसी को ही देश में लोकतंत्र की स्थापना के रूप में स्थापित किया गया था। ऐसे में उस समय का उत्साह और जोश तो किसी से छुपाया नहीं जा सकता है और ना ही शब्दों में व्यक्त किया जा सकता है।
तो देश का पहला लोकसभा चुनाव कब हुआ था, उस समय क्या परिस्थिति थी, किन दलों को कितनी सीट मिली थी, पहला प्रधानमंत्री कौन बना था, कितने लोगों ने मत दिया था, इत्यादि सभी के बारे में आपको इस लेख के माध्यम से जानने को मिलेगा। आइये देश के पहले लोकसभा चुनाव के बारे में हरेक महत्वपूर्ण जानकारी ले लेते हैं।
अंग्रेजों के जाने के बाद उन्होंने भारत देश की सत्ता का हस्तांतरण कांग्रेस पार्टी को कर दिया था। उस समय कांग्रेस पार्टी व अंग्रेजों ने मिलकर ही भारत देश के मजहब के नाम पर तीन टुकड़े कर दिए थे जिसमें से मुख्य भारत भूमि और अन्य दो टुकड़े पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान पाकिस्तान) व पश्चिमी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) थे। अंग्रेज भारत देश की सत्ता को जवाहर लाल नेहरु के हाथ में सौंप कर चले गए थे और नेहरु को भारत देश का प्रधानमंत्री घोषित कर दिया गया था।
इसके बाद देश का खुद का संविधान बनाने का काम शुरू हो गया था और उसका दायित्व भीमराव अंबेडकर को दिया गया था। अन्तंतः देश का संविधान बन गया और पूरे देश में 26 जनवरी 1950 को लागू कर दिया गया। इसके बाद देश में चुनावों को करवाए जाने की घोषणा की जानी थी लेकिन उसके लिए एक चुनाव आयोग का गठन होना जरुरी था ताकि निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से चुनाव करवाएं जा सके।
इसलिए भारत सरकार ने संविधान के अनुरूप एक चुनाव आयोग का गठन किया जो न्याय पालिका, विधायिका, कार्य पालिका इत्यादि से मुक्त एक संस्था थी। इसका मुख्य कार्य देश में चुनाव करवाना हुआ करता था जिस पर भारत सरकार का कोई अंकुश नहीं था। ना ही न्याय पालिका इस पर अपना आदेश चला सकती थी और चुनावों के समय संपूर्ण कार्य पालिका इसके अंतर्गत आ जाती थी और विधायिका ध्वस्त हो जाती थी।
चुनाव आयोग के मुखिया के तौर पर भी किसी को नियुक्त किया जाना था। हालाँकि चुनाव आयोग के अधिकारी व कर्मचारी कार्य पालिका के अधिकारी व कर्मचारी ही होते थे जिन्हें हम अपने देश में आईएएस, आईपीएस इत्यादि कहते हैं। फिर भी कुछ लोगों को मुख्य तौर पर चुनाव अधिकारी व कर्मचारी बनाया गया।
उस समय देश के प्रथम मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन थे, अवश्य ही आपने भी इतिहास की पुस्तकों में इनका नाम सुना और पढ़ा होगा। तो सुकुमार सेन के ऊपर ही देश में पहली बार लोकसभा चुनाव निष्पक्ष व स्वतंत्र रूप से करवाने का दायित्व था जिसे उन्होंने भलीभांति निभाया भी।
मतदान करने की न्यूनतम आयु
आज के समय कोई भी चुनाव हो, चाहे वह विधान सभा का चुनाव हो या लोकसभा का या नगर पालिका या पंचायत का, उसके लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष रखी गयी है लेकिन पहले लोकसभा चुनावों के समय ऐसा नहीं था। उस समय मतदान करने के लिए न्यूनतम आयु 21 वर्ष थी जो महिला व पुरुष दोनों के लिए ही समान थी।
हालाँकि मतदान करने के लिए अधिकतम आयु की कोई समय सीमा नहीं होती है। तब से लेकर आज तक मतदान प्रक्रिया में कई तरह के बदलाव किये गए हैं जिसमें न्यूनतम आयु को घटाकर 21 वर्ष से 18 वर्ष करना भी शामिल है।
प्रचार के माध्यम
आज के ऑनलाइन समय में तो कई तरह से प्रचार किया जाता है। हम सोशल मीडिया खोल लें या ऑनलाइन कुछ और देख लें, राजनीतिक पार्टियाँ तरह तरह के प्रचार माध्यम अपनाती है और यह सही भी है। हालाँकि उस समय प्रचार के माध्यम बहुत ही सीमित हुआ करते थे। ऐसे में राजनीतिक पार्टियों के पास भी सीमित ही विकल्प उपलब्ध थे।
प्रदेश के पहले लोकसभा चुनावों के प्रचार के लिए राजनीतिक पार्टियाँ व राजनेता मुख्य तौर पर अपने भाषणों, रैली, सभाओं, जन संवाद इत्यादि पर ही निर्भर हुआ करते थे। साथ ही जगह जगह नुक्कड़ नाटक, त्यौहार, आम सभा, सार्वजनिक कार्यक्रम इत्यादि के जरिये भी प्रचार किया जाता था। इन सभी के अलावा समाचार पत्रों व रेडियो के माध्यम से भी प्रचार करने का विकल्प था।
मतदान की प्रणाली
आज के समय में मतदान को EVM मशीन से करवाया जाता है लेकिन उस समय यह सुविधा उपलब्ध नहीं थी। अब तो आधुनिक तकनीक आ गयी है और कई देश हमसे भी बहुत आगे बढ़ चुके हैं। हालाँकि देश के पहले लोकसभा चुनावों के समय मतदान की प्रक्रिया बैलेट पेपर से हुआ करती थी जो बहुत ही पेचीदा और खर्चीला था। इससे पर्यावरण को भी बहुत नुकसान हो रहा था क्योंकि बहुत सारा कागज इस्तेमाल में आता था जिसके लिए अंधाधुंध पेड़ों की कटाई की जा रही थी।
हालाँकि पिछले कुछ चुनावों से देश में EVM मशीन का उपयोग किया जा रहा है जो बैलेट पेपर की तुलना में बहुत ही सही है। वहीं दुनिया के कुछ विकसित देशों में तो ऑनलाइन चुनाव भी होने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है जहाँ लोग अपने घर से ही मतदान में भाग ले सकते हैं।
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देश के हरेक राज्य के हरेक शहर और गाँव में लोगों के हिसाब से मतदान केंद्र बनाये गए थे। उन मतदान केंद्रों को संभालने का काम चुनाव अधिकारी व कर्मचारियों पर होता था। उसकी सुरक्षा का दायित्व वहां की पुलिस और देश की सेनाओं को दिया गया था। इसके लिए लोगों को मतदान केंद्र जाना होता था और अपने मताधिकार का उपयोग करना होता था।
वहां पर बैठा चुनाव अधिकारी व्यक्ति का पहचान पत्र देखता और उसे मत देने के लिए अनुमति देता था। उसके बाद उसे एक कागज दिया जाता था जिस पर सभी प्रत्याशी के नाम, पार्टी का नाम, उसका चिन्ह इत्यादि महत्वपूर्ण जानकारी अंकित होती थी। उसे जिस भी व्यक्ति या पार्टी को वोट देना होता था, वह उसके नाम के सामने ठप्पा लगाकर मत पत्र को मतदान पेटी में डाल देता था। इस तरह से यह मतदान प्रक्रिया संपन्न हुई थी।
अब बात करते हैं कि देश का पहला लोकसभा चुनाव कितने दिनों तक चला था या फिर इसकी शुरूआती तिथि और अंतिम तिथि क्या थी। तो यह एक ऐसा लोकसभा चुनाव था जो देश में सबसे लंबे समय के लिए चला था जिसकी समय अवधि 4 महीने के आसपास थी। अब इतना लम्बा समय इसलिए लगा था क्योंकि देश के नागरिक पहली बार अपने मताधिकार का उपयोग कर रहे थे और देश में पहली बार इतने बड़े स्तर पर चुनावों की प्रक्रिया संपन्न हो रही थी।
ऐसे में देश के लोकसभा चुनाव 25 अक्टूबर 1951 से शुरू हो गए थे और 4 महीने तक चले थे जिनका समापन 21 फरवरी 1952 को हो गया था। यह सर्दियों का मौसम था और इस दौरान लोगों को मत देने में भी कोई समस्या नहीं हुई थी। हालाँकि हिमाचल के कुछ जिलों में मतदान अक्टूबर से पहले ही हो गया था क्योंकि सर्दियों में यह इलाके बाकी दुनिया से कट जाते थे।
अब आप यह भी जान लें कि जो देश का पहला लोकसभा चुनाव था, उसमें कुल कितने चरण थे। आज के समय में तो 5 से 7 चरणों में मतदान हो जाता है लेकिन पहला लोकसभा चुनाव सबसे अद्भुत व अलग था। यह 4 महीनो तक तो चला ही था और साथ ही इसमें 68 चरण में मतदान करवाया गया था।
कहने का तात्पर्य यह हुआ कि पहले लोकसभा चुनावों के लिए 2 महीने से ज्यादा समय तक तो मतदान ही हुआ था। इस तरह से इन 4 महीनो में हर दूसरे दिन कहीं ना कहीं मतदान की प्रक्रिया होती थी।
अब बात करते हैं देश के पहले लोकसभा चुनावों के दौरान देश के अधिकृत मतदाताओं में से कितने प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था। तो यह प्रतिशत पहली बार के अनुसार बहुत ही सही था क्योंकि बहुत से लोग विभाजन का दर्द भी झेल रहे थे। वहीं बहुत लोग ऐसे भी थे जो देश की सरकार से नाराज़ थे क्योंकि उन्हें अपने घरों से निकाल दिया गया था।
ऐसे में उस समय देश के कुल मताधिकारों में से लगभग 70 प्रतिशत के आसपास लोगों ने अपने मताधिकार का सदुपयोग किया था। अधिकृत रूप से यह प्रतिशत 69.4 था। इस तरह से लगभग 30 प्रतिशत लोगों ने मतदान नहीं किया था।
कुल कितने राजनीतिक दल थे?
आज के समय में तो हमारे देश में कई राष्ट्रीय पार्टियाँ हैं और राज्य के अनुसार कई राज्य की पार्टियाँ भी हैं। वहीं कुछ छोटे मोटे या क्षेत्रीय दल भी हैं जो चुनावों में कुछ सीट पर अपने प्रत्याशी खड़े करते हैं। ऐसे में जब देश का पहला लोकसभा का चुनाव लड़ा गया था तो उस समय तक देश में कितनी राजनीतिक पार्टियाँ बन चुकी थी, यह जानना भी तो जरुरी है।
तो उस समय देश में राष्ट्रीय से लेकर क्षेत्रीय पार्टियों की संख्या 53 थी। इसमें से 14 राष्ट्रीय दल थे तो वहीं 39 क्षेत्रीय दल थे। हालाँकि सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस, जनता संघ व कम्युनिस्ट पार्टी ही थी। आज के समय में देश में दो सबसे बड़ी पार्टी है जिनके नाम भाजपा व कांग्रेस है।
कितने लोगों ने वोट दिया था?
आपने यह तो जान लिया कि पहले आम चुनाव में देश में कितने प्रतिशत वोट पड़े थे लेकिन आपको यह भी जानना चाहिए कि कुल मतदाताओं में से कितने लोगों ने इसमें भाग लिया था और कितनों ने नहीं। साथ ही उस समय देश की कुल जनसँख्या क्या थी इत्यादि। तो जब भारत का पहला लोकसभा चुनाव हो रहा था तो उस समय देश की अनुमानित जनसँख्या 36 करोड़ थी।
इसमें से कुल 17.32 करोड़ लोगों को मतदाता बनाया गया था जिनकी आयु 21 वर्ष से अधिक थी। तो इसमें से लगभग 10.59 करोड़ मतदाता ही वोट देने पहुंचे थे और बाकि के लोग किसी कारणवश वोट देने नहीं आये थे। इस तरह से पहले लोकसभा को चुनने का काम हमारे देश के 10.59 करोड़ लोगों ने किया था।
कितने प्रत्याशी खड़े हुए थे?
भारत में कुल कितने दलों ने देश का पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था, यह तो आपने जान लिया लेकिन उसके लिए सभी सीट पर कुल कितने प्रत्याशी मैदान में थे, इसके बारे में भी तो जान लेना चाहिए। तो उस समय हमारे देश के कुल 1874 लोग चुनाव मैदान में प्रत्याशी के तौर पर खड़े हुए थे।
इसमें से कुछ राष्ट्रीय पार्टी से थे तो कुछ क्षेत्रीय दलों से तो कुछ निर्दलीय खड़े हुए थे। ऐसे में किसे कितनी सीट मिली थी और किस पार्टी की संख्या कितनी थी, यह भी हम आपको नीचे बताने जा रहे हैं।
पहले लोकसभा चुनाव में किस पार्टी या दल को कुल कितनी सीट मिली थी, उसको जानने से पहले आप यह तो जान लें कि देश में पहला लोकसभा चुनाव कुल कितनी लोकसभा सीट के लिए लड़ा गया था। आज के समय में तो लोकसभा की सीट की संख्या 543 है जिनकी संख्या आने वाले वर्षों में बढ़ जाएगी।
हालाँकि जब देश का पहला लोकसभा चुनाव हुआ था तब देश के कुल 411 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए 489 लोकसभा सीट की संख्या निर्धारित की गयी थी। इस तरह देश से कुल 489 सांसद चुनकर लोकसभा पहुंचे थे जिन्होंने भारत सरकार का गठन किया था।
भारत के पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की थी। उसे बहुमत से बहुत ज्यादा सीट मिली थी और फिर से देश के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु बने थे। इसके बाद जवाहर लाल नेहरु ने दो बार और लोकसभा का चुनाव जीता और फिर से देश के प्रधानमंत्री बने। इसके बाद किसी गुप्त रोग की वजह से उनका निधन हो गया। हालाँकि इसके बाद भी देश ने लगभग 80 प्रतिशत समय तक नेहरु की पीढ़ी का ही शासन देखा है।
पहले लोकसभा चुनाव में मुख्य तौर पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सहित कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, सोशलिस्ट पार्टी इत्यादि ने चुनाव लड़ा था। आइये उन सभी की सीट के बारे में जान लेते हैं।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस: 364 सीटें व 44.99 प्रतिशत वोट
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया: 16 सीटें व 3.29 प्रतिशत वोट
सोशलिस्ट पार्टी: 12 सीटें व 10.59 प्रतिशत वोट
किसान मजदूर प्रजा पार्टी: 9 सीटें व 5.79 प्रतिशत वोट
हिंदू मजदूर सभा: 4 सीटें व 0.59 प्रतिशत वोट
अन्य: 84 सीटें व 34.75 प्रतिशत वोट
इस तरह स्वतंत्र भारत के पहले निर्वाचित प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु बने थे और उनकी पार्टी कांग्रेस थी। बहुमत के लिए केवल 245 सांसदों का ही समर्थन चाहिए था जबकि कांग्रेस के अकेले ही 364 सांसद चुनकर पहुँच गए थे।
कितना खर्च आया था? (First lok sabha election kharcha)
आज के समय में लोकसभा के चुनावों में लाखों करोड़ों रुपयों का खर्च होता है। हालाँकि पहले लोकसभा चुनावों में जितना खर्च हुआ था, उससे ज्यादा तो आज के समय में राज्य की विधान सभा में ही खर्च हो जाता है। इस तरह से देश के पहले लोकसभा चुनावों में कुल 10.5 करोड़ रुपये का खर्च आया था।
हालाँकि उस समय के अनुसार एक करोड़ का मूल्य भी बहुत ज्यादा हुआ करता था जो आज के समय के लगभग 200 करोड़ के बराबर कहा जा सकता है। उस समय तो भारत के एक रुपये का मूल्य भी अमेरिका के एक डॉलर के बराबर हुआ करता था जो आज 80 रुपये व एक डॉलर है।
भारत में कब हुआ था पहला लोकसभा चुनाव – Related FAQs
उत्तर: भारत देश का पहला लोकसभा चुनाव वर्ष 1951 में शुरू हुआ था जिसकी अवधि 4 महीने के आसपास की थी। ऐसे में यह अगले वर्ष 1952 में संपन्न हुआ था।
प्रश्न: भारत की पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष कौन है?
उत्तर: भारत देश की पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष के रूप में श्रीमती मीरा कुमारी जी को चुना गया था। उन्हें वर्ष 2009 में इस पद पर आसीन किया गया था।
प्रश्न: 17वीं लोकसभा का गठन कब हुआ?
उत्तर: 17वीं लोकसभा का गठन 23 मई 2019 को हुआ था। जब भारत देश के प्रधानमंत्री के रूप में श्री नरेंद्र मोदी जी ने शपथ ली थी।
उत्तर: 16वीं लोकसभा के चुनाव देश में 7 अप्रैल 2014 को शुरू हुए थे और उसके बाद 9 चरणों में होते हुए 12 मई 2014 को समाप्त हो गए थे।
तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने जाना कि भारत में पहले लोकसभा चुनाव कब हुए थे। साथ ही आपने जाना कि पहले लोकसभा चुनाव के समय कितने राजनीतिक दल थे कितने प्रत्याशी खड़े हुए थे कितनी सीट थी और चुनाव का परिणाम क्या रहा था इत्यादि। आशा है कि जो जानकारी लेने के लिए आप इस लेख पर आए थे वह आपको मिल गई होगी। फिर भी यदि कोई शंका आपके मन में शेष है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।