फ्लॉपी डिस्क क्या है? | फ्लॉपी डिस्क के प्रकार, फीचर व संरचना | Floppy disk kya hai

|| फ्लॉपी डिस्क क्या है? | Floppy disk kya hai | Capacity of floppy disk in Hindi | फ्लॉपी डिस्क का उपयोग क्या है? | फ्लॉपी डिस्क की सरंचना कैसी थी? | फ्लॉपी डिस्क के फायदे | फ्लॉपी डिस्क का उपयोग आजकल क्यों नहीं किया जाता है? | Floppy disk disadvantage in Hindi ||

Floppy disk kya hai :- तकनीक इतनी तेजी के साथ बदल रही है कि कब कौन सी चीज़ हमारी आँखों के सामने से गायब हो जाती है कि पूछिए मत। उदाहरण के रूप में आप सीडी या डीवीडी को ही ले लीजिये। यह सब हम में से बहुत जनों के सामने ही लॉन्च हुए थे या बाज़ार में उपलब्ध होने लगे थे और हमारे सामने ही यह गायब से हो गए हैं। उसी तरह से एक चीज़ और थी जो शायद अधिक उम्र के लोगों को पता होगी या वे लोग जो 70 या 80 के दशक के आसपास पैदा हुए थे। वह चीज़ थी फ्लॉपी (Capacity of floppy disk in Hindi) डिस्क।

आज के समय में शायद ही फ्लॉपी डिस्क किसी को याद होगी क्योंकि यह बाजार से या हमारी आँखों के सामने से बहुत पहले ही गायब हो गयी थी। जिस प्रकार पेनड्राइव ने सीडी या डीवीडी को बाजार से गायब कर दिया था, ठीक उसी तरह किसी समय सीडी ने फ्लॉपी डिस्क को बाजार से गायब कर दिया था। अब जरा आप ही सोचिये कि जिस चीज़ ने फ्लॉपी डिस्क को बाजार से गायब कर दिया था, वह आज खुद ही गायब हो चुकी है तो फ्लॉपी डिस्क कितनी पुरानी (Floppy disk kya hota hai) होगी।

जी हां, फ्लॉपी डिस्क बाजार से लगभग 2000 के दशक में ही गायब सी होने लगी थी लेकिन आज हम उसी फ्लॉपी डिस्क के बारे में ही बात करने वाले हैं। आज हम यह जानेंगे कि आखिरकार यह फ्लॉपी डिस्क क्या थी और किस तरह से काम में आती थी। इस लेख में आपको फ्लॉपी डिस्क के बारे में वह हरेक जानकारी जानने को मिलेगी जो आपके लिए जाननी जरुरी है। तो आइये जाने यह फ्लॉपी डिस्क क्या होती (Floppy disk kya hai in Hindi) है।

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फ्लॉपी डिस्क क्या है? (Floppy disk kya hai)

फ्लॉपी डिस्क एक तरह की सीडी या पेनड्राइव की तरह ही एक स्टोरेज डिवाइस थी जिसे एक जगह से दूसरी जगह आसानी से ले जाया जा सकता था। पहले के समय में जब कंप्यूटर आये थे तब डाटा को या किसी अन्य सामान को एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरित करना या लेकर जाना बहुत ही बड़ा काम होता था। तो उस समय इस फ्लॉपी डिस्क की रचना की गयी थी जो डाटा ट्रांसफर करने के लिए पोर्टेबल डिवाइस का रूप (What is floppy disk in Hindi) थी।

फ्लॉपी डिस्क क्या है फ्लॉपी डिस्क के प्रकार, फीचर व संरचना

फ्लॉपी डिस्क का मुख्य कार्य अपने अंदर डाटा को स्टोर करना और फिर उसे दूसरी जगह ट्रांसफर करना होता था। कुछ उसी तरह जो कार्य सीडी या डीवीडी किया करती है। तो इस तरह से डाटा को ट्रांसफर करने वाली डिवाइस को ही फ्लॉपी डिस्क के नाम से जाना जाता था। यह एक तरह से मैग्नेटिक टेप हुआ करती थी जो इसे अलग सरंचना देती थी। इसके अंदर कई तरह के उपकरण लगे होते थे या यूँ कहें कि फ्लॉपी डिस्क के भाग हुआ करते (Floppy disk in Hindi) थे।

साथ ही यह तीन तरह के फॉर्मेट में आती थी जो उसके अलग अलग प्रकारों को दर्शाते थे और उसी के अनुसार ही इनमे डाटा स्टोर करने की क्षमता होती थी। एक तरह से कहा जाए तो यह किसी भी कंप्यूटर के लिए सेकेंडरी मेमोरी का काम करती थी जो डाटा के ट्रांसफर में सहयोग करती थी। अब आपको फ्लॉपी डिस्क के फीचर, प्रकार और उसके साइज़ के बारे में भी जान लेना चाहिए ताकि आपको इसके बारे में अच्छे से पता चल (Floppy disk drives kya hai) जाए।

फ्लॉपी डिस्क की सरंचना कैसी थी? (Structure of floppy disk in Hindi)

अब हम बात करते हैं यह फ्लॉपी डिस्क बनी कैसी होती थी। तो यह प्लास्टिक की प्लेट में डिजाईन की गयी एक डिस्क ड्राइव होती थी। हर फ्लॉपी डिस्क के अंदर एक ड्राइव होती थी जो डाटा को स्टोर करने का काम करती थी। यह ड्राइव ही मैग्नेटिक टेप की बनी होती थी जिस कारण इसे FDD या फ्लॉपी डिस्क ड्राइव के नाम से भी जाना जाता था। जिस प्रकार हम आज के समय में हार्ड डिस्क ड्राइव कहते हैं ठीक उसी तरह यह उस समय में फ्लॉपी डिस्क ड्राइव के नाम से प्रसिद्ध थी।

इसके अंदर कई अन्य तरह के पार्ट्स या हिस्से भी हुआ करते थे जिन्हें अलग अलग नाम से जाना जाता था और उनका इस्तेमाल भी अलग अलग कामो के लिए हुआ करता था। तो इन हिस्सों में इंडेक्स होल, शटर, जैकेटविंडो, नौच व रिंग आती है। यह सभी पार्ट्स मिलकर ही फ्लॉपी डिस्क का निर्माण करते थे और उसके बाद ही इसे इस्तेमाल में लाया जा सकता था।

फ्लॉपी डिस्क के प्रकार (Floppy disk ke prakar)

अब हमने आपको बताया कि बाजार में अपने साइज़ के आधार पर फ्लॉपी डिस्क के कई तरह के प्रकार हुआ करते थे। तो यह प्रकार कुल तीन तरह के (Floppy disk types in Hindi) थे। इस तरह से बाजार में फ्लॉपी डिस्क तीन तरह के साइज में उपलब्ध हुआ करती थी। आइये जाने उन तीनों प्रकारों के बारे में।

8 इंच की फ्लॉपी डिस्क (8 inch floppy disk storage capacity in Hindi)

सबसे पहले इस 8 इंच वाली फ्लॉपी डिस्क की रचना की गयी थी जिसे प्रसिद्ध सॉफ्टवेयर कंपनी IBM ने वर्ष 1970 के आसपास डिजाईन किया था। यह आकार में बहुत बड़ी थी और इसमें बहुत ही कम डाटा स्टोर किया जा सकता था जिसे हम 400 KB का डाटा कह सकते हैं। एक तरह से इसकी स्टोरेज क्षमता megabites में थी।

5.25 इंच की फ्लॉपी डिस्क (5.2 inch floppy disk storage capacity in Hindi)

इसके बाद बाजार में 1980 के दशक में 5.25 इंच वाली फ्लॉपी डिस्क आयी और यह साइज़ में उससे बहुत छोटी थी। यह आप इसके आकार में आये अंतर से ही देख सकते हैं। इसकी स्टोरेज क्षमता 1 एमबी तक की थी जो उस समय के अनुसार बहुत ही अधिक थी।

3.5 इंच की फ्लॉपी डिस्क (3.5 inch floppy disk storage capacity in Hindi)

इसके बाद सबसे लेटेस्ट फ्लॉपी डिस्क 3.5 इंच के आकार में ही आ पायी थी जिसकी स्टोरेज क्षमता 1.5 एमबी तक की ही थी। इसके बाद 2000 के दशक में तो सीडी ही आ गयी थी और फ्लॉपी डिस्क का चलन समाप्त हो गया था।

फ्लॉपी डिस्क की स्टोरेज कैपेसिटी कितनी थी? (Floppy disk storage capacity in Hindi)

अब यदि आपको फ्लॉपी डिस्क की स्टोरेज कैपेसिटी के बारे में जानना है तो यह 400 KB से लेकर 1.5 MB तक की ही थी। आज के समय में तो 1.5 एमबी का तो कोई गाना भी डाउनलोड नहीं होता है और मूवीज का साइज़ तो जीबी में होता है। तो आज के समय में इसकी कोई महत्ता नहीं है लेकिन उस समय इसकी बहुत ज्यादा महत्ता थी क्योंकि डाटा का साइज़ इतना बड़ा नहीं होता था और उसे ट्रांसफर करना अपने आप में ही एक उपलब्धि से कम नहीं (Floppy disk ki storage capacity) था।

तभी समय के साथ साथ फ्लॉपी डिस्क का महत्व कम होता चला गया क्योंकि बाजार में नयी तरह की तकनीक लॉन्च हो चुकी थी और फ्लॉपी डिस्क बहुत ही पुरानी तकनीक हो चुकी थी जिसका कोई औचित्य नहीं रह गया था। इसी कारण आज के समय में हमें फ्लॉपी डिस्क का इस्तेमाल होते कहीं नहीं दिखेगा।

फ्लॉपी डिस्क के फीचर (Floppy disk ke features)

अब यदि हम फ्लॉपी डिस्क के फीचर या विशेषताओं के बारे में बात करें तो उसे आप आज के संदर्भ में तोलकर बिल्कुल मत देखिएगा क्योंकि आज के समय में इसका कोई औचित्य नहीं (Floppy disk features in Hindi) है। ऐसे में हम जो भी फीचर आपके सामने रखने जा रहे हैं या जो भी फ्लॉपी डिस्क की विशेषता है वह उसी समय व ज़माने के संदर्भ में रख कर बता रहे हैं।

  • उस समय फ्लॉपी डिस्क की सहायता से डाटा को या किसी आवश्यक फाइल को एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाना बहुत ही सरल कार्य हो गया था।
  • इसके लिए अपने कंप्यूटर को या कंप्यूटर की हार्ड डिस्क को निकाले जाने की आवश्यकता नहीं थी और डाटा को फ्लॉपी डिस्क की सहायता से आसानी से पोर्ट किया जा सकता था।
  • उस समय फ्लॉपी डिस्क में डाटा स्टोर करने की जो क्षमता थी वह उस समय के अनुसार बहुत सही थी और उसमें ही सारा काम बन जाया करता था।
  • फ्लॉपी डिस्क के अंदर डाटा को रीड करने और write करने दोनों तरह की क्षमता थी अर्थात इसे rewrite किया जा सकता था जिस कारण यह एक बार इस्तेमाल में लाने एक बाद ख़राब नहीं हुआ करती थी और बार बार उपयोग में आती थी।
  • इसकी सहायता से बहुत सा डाटा का बैकअप बनाया गया था जो भविष्य में सहायक सिद्ध हो सकता था।

फ्लॉपी डिस्क के फायदे (Floppy disk ke fayde)

अब हम आपको उस समय की फ्लॉपी डिस्क से मिलने वाले फायदों के बारे में भी जानकारी दे देते हैं। एक तरह से यह हर कंप्यूटर या हार्डवेयर की दुकान पर मिल जाया करती (Floppy disk benefits in Hindi) थी और जो भी व्यक्ति कंप्यूटर का काम करता था या इसका उपयोग कर रहा होता था, वह अवश्य ही फ्लॉपी डिस्क का भी उपयोग करता था। क्योंकि इसके बिना बहुत सा काम होता ही नहीं था या बहुत ही देरी के साथ होता था।

  • जैसे ही यह फ्लॉपी डिस्क बाजार में लॉन्च हुई तो ऑनलाइन जो भी कंप्यूटर पर काम होता था, उसे फिर से करने की प्रथा का अंत हो गया और यह डिजिटल रूप में उसे कॉपी पेस्ट करने लगी।
  • अब इसे आप इस तरह से समझ लीजिये कि जब दुनिया में फोटोकॉपी की मशीन नहीं आयी थी तब एक जैसा डॉक्यूमेंट बनाने के लिए उसे फिर से लिखने की जरुरत होती थी।
  • तो वैसा ही कार्य डिजिटल रूप में अर्थात कंप्यूटर पर भी हुआ करता था, जहाँ सारा का सारा डाटा फिर से लिखने की जरुरत पड़ती थी लेकिन फ्लॉपी डिस्क ने इसे बदल कर रख दिया और उसे rewrite करने की बजाये फ्लॉपी डिस्क से कॉपी किया जाने लगा।
  • इसी के साथ ही यह ना ज्यादा महँगी थी और ना ही सस्ती थी लेकिन जिस तरह का यह कार्य करती थी, उससे यह व्यक्ति का बहुत सारा समय और परिश्रम बचा लेती थी।
  • इसका इस्तेमाल पाठ्यक्रमों को ट्रांसफर करने में बहुत ज्यादा किया गया और शिक्षा को एक नया रूप दिया गया।
  • इसे कंप्यूटर के साथ आसानी से जोड़ा जा सकता था और फिर निकाला भी जा सकता था जिस कारण इसने सभी के लिए सुगम उपयोग बना दिया।
  • इसे बिजली जाने के बाद भी उपयोग में लाया जा सकता था। एक तरह से इसमें डाटा अपने आप डिलीट नहीं हुआ करता था।
  • यह आम नागरिक के लिए भी आसानी से उपलब्ध थी और सभी इसका बेधड़क उपयोग कर रहे थे।

फ्लॉपी डिस्क के नुकसान (Floppy disk disadvantage in Hindi)

अब आज के समय को देखते हुए फ्लॉपी डिस्क के क्या कुछ नुकसान थे, यह बताने की जरुरत नहीं है। एक तरह से हम इन्हें फ्लॉपी डिस्क से होने वाले नुकसान नहीं कह सकते हैं बल्कि समय के साथ साथ बढ़ती तकनीक के कारण फ्लॉपी डिस्क की कम होती प्रासंगिकता से देख सकते हैं। यहाँ हम आपको यह समझाना चाह रहे हैं कि धीरे धीरे तकनीक इतनी ज्यादा बढ़ गयी कि फ्लॉपी डिस्क की महत्ता अपने आप ही खत्म होती चली गयी।

अब जैसे ही बाजार में सीडी आयी तो फ्लॉपी डिस्क का चलन एकदम से कम हो गया। वह इसलिए क्योंकि सीडी में ज्यादा स्टोर करने की क्षमता थी और वह फ्लॉपी डिस्क की तुलना में एकदम पतली और हल्की हुआ करती थी। इसी के साथ ही इसका मूल्य भी बहुत कम था और उसकी गति भी बहुत ज्यादा थी। फिर बाजार में पेनड्राइव भी आ गयी और उसने तो फ्लॉपी डिस्क को पूरी तरह से बाजार से बाहर ही कर दिया। यहाँ तक कि उसने तो धीरे धीरे सीडी को भी बाजार से निकाल बाहर कर दिया।

फ्लॉपी डिस्क क्या है – Related FAQs 

प्रश्न: फ्लॉपी डिस्क क्या है और यह क्या करती है?

उत्तर: डाटा को ट्रांसफर करने वाली डिवाइस को ही फ्लॉपी डिस्क के नाम से जाना जाता था।

प्रश्न: फ्लॉपी डिस्क का उपयोग क्या है?

उत्तर: फ्लॉपी डिस्क का मुख्य कार्य अपने अंदर डाटा को स्टोर करना और फिर उसे दूसरी जगह ट्रांसफर करना होता था

प्रश्न: फ्लॉपी डिस्क कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर: फ्लॉपी डिस्क के तीन प्रकार हैं जिनके बारे में हमने ऊपर के लेख के माध्यम से बताने का प्रयास किया है।

प्रश्न: फ्लॉपी डिस्क की क्षमता कितनी होती है?

उत्तर: फ्लॉपी डिस्क की स्टोरेज क्षमता 1.5 mb ही होती है।

प्रश्न: फ्लॉपी डिस्क कब पुरानी हो गई?

उत्तर: फ्लॉपी डिस्क 90 के दशक के अंत तक पुरानी हो गई।

प्रश्न: फ्लॉपी डिस्क का उपयोग आजकल क्यों नहीं किया जाता है?

उत्तर: फ्लॉपी डिस्क का उपयोग इसीलिए नही किया जाता क्योंकि अब फ्लॉपी डिस्क की जगह कई अन्य डिवाइस ने ले ली है जो इससे बेहतर है।

प्रश्न: फ्लॉपी डिस्क का मुख्य नुकसान क्या है?

उत्तर: फ्लॉपी डिस्क का मुख्य नुकसान यह है कि इसकी स्टोरेज क्षमता कम है।

तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने फ्लॉपी डिस्क के बारे में जानकारी हासिल कर ली है। आपने जाना कि फ्लॉपी डिस्क क्या है फ्लॉपी डिस्क के प्रकार, फायदे, नुकसान, और फीचर क्या हैं इत्यादि। आशा है कि आपको फ्लॉपी डिस्क के बारे में संपूर्ण जानकारी इस लेख के माध्यम से मिल गई है। यदि कोई शंका आपके मन में शेष है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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