वैट क्या है? वैट की फुल फॉर्म व रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया | Full form of VAT in Hindi

|| वैट की फुल फॉर्म क्या है? | Full form of VAT in Hindi | VAT kya hai | वैट का उदाहरण | Vat in India in Hindi | वैट की कमियां | VAT और GST में क्या अंतर है? (VAT and GST difference in Hindi | VAT tax meaning in Hindi | वैट रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी दस्तावेज ||

VAT tax in Hindi :– आज के समय में किसी भी सरकार के लिए आय का प्रमुख स्त्रोत कर ही है। देश के हर नागरिक को अपने कर का भुगतान करना चाहिए। कर का भुगतान करना हर किसी के लिए अनिवार्य है और यह समाज के कल्याण के लिए जरूरी भी है। सरकार जनता से कर लेकर विभन्न विकास कार्यों में लगाती (VAT kya hai) है। जैसे कि सड़क, परिवहन, शिक्षा इत्यादि।

भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और गरीब अमीर के बीच के अंतर को कम करने के लिए आय के अनुसार कर निर्धारित किया जाता है। कर दो प्रकार से लिया जाता है एक प्रत्यक्ष रूप से दूसरा अप्रत्यक्ष रूप से। प्रत्यक्ष कर वो होता है जो डायरेक्ट जनता से सरकार के पास जमा होता है और अप्रत्यक्ष कर वह होता है जो जनता से इनडायरेक्ट सरकार के पास पहुंचता है। इन्हीं अप्रत्यक्ष करों में एक कर वैट टैक्स है जो जनता से अप्रत्यक्ष रूप से सरकार के पास पहुंचता (VAT tax in Hindi) है।

आप भी इस लेख में वैट टैक्स के बारे में जानने आए होंगे, तो आपको इस लेख के माध्यम से हम वैट टैक्स के बारे में शुरू से लेकर अंत तक संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं। वैट टैक्स क्या है यह कैसे लिया जाता है वैट टैक्स की जगह किस टैक्स ने ली है सब चीजों की जानकारी आपको इसी लेख में मिलने वाली है। इसीलिए इस लेख को अंत तक ध्यान से (Value added tax kya hai) पढ़ें।

वैट की फुल फॉर्म क्या है? (Full form of VAT in Hindi)

बहुत लोगों के मन में यह प्रश्न होगा कि आखिरकार इस वैट शब्द की फुल फॉर्म क्या है? तो यहां हम आपको बता दें कि वैट की फुल फॉर्म वैल्यू एडेड टैक्स होती है जिसे हम अंग्रेजी भाषा में value added tax करके लिखते (VAT ki full form kya hai) हैं। इसका हिंदी में नाम मूल्य वर्धित कर है।

Full form of VAT in Hindi

इसके नाम से ही आप जान गए होंगे कि आखिरकार वैट किस प्रकार का कर होता है और किस तरह से कार्य करता होगा। लेकिन फिर भी हम आपको इसके बारे में विस्तार से बता देते हैं। ताकि आपके मन में कोई भी शंका शेष ना रहे। आइए हम वैट के बारे में पूरी जानकारी विस्तार (VAT tax meaning in Hindi) से ले।

वैट क्या है? (What is VAT in Hindi)

सबसे पहले हम बात करते हैं कि आखिरकार वैट क्या है और यह कब से लागू हुआ है। वैट टैक्स भारत में 1 अप्रैल 2005 में लागू हुआ था। वैट एक अप्रत्यक्ष कर है जो वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाता है। वस्तु और सेवा के उत्पादन की हर स्टेज पर मूल्य की वृद्धि होती है इसीलिए वस्तु के उत्पाद से लेकर बिक्री तक हर स्टेज पर वैट टैक्स लगाया जाता (VAT ke bare mein jankari) है। साधारण शब्दों में समझाना चाहें तो आप जब भी किसी वस्तु की खरीदारी या बिक्री करते हैं तब आपको अपने लाभ का कुछ प्रतिशत सरकार को देना पड़ता है।

उदाहरण के लिए यदि आप 1000 रुपए का कोई सामान खरीदते हैं और आप उसे 1150 में बेचते हैं तो आपने उसमें अपनी तरफ से 150 रुपए ऐड किए हैं तो ऐसे में आपको अपने 150 रुपए के लाभ पर कुछ प्रतिशत भारत सरकार को देना पड़ता है। यहां आपको कितना प्रतिशत सरकार को देना है इसके लिए वैट अधिनियम के नियमों में अलग अलग उत्पाद और सेवाओं के लिए अलग अलग रेट दिए गए (VAT kya hai) हैं।

वैट का उदाहरण (Example of VAT in Hindi)

हमने जाना की हमे अपने लाभ का एक हिस्सा सरकार को जमा करना होता है। ऐसा किस तरह से होगा ये जानने के लिए हम विस्तार से उदाहरण लेते हैं। जब आप कोई सामान जिस पर मान लो 10% का वैट लागू होता है 1000 रुपए में खरीदते हैं, तो उस पर आपको 100 रुपए वैट के भी देने होंगे। अब जब आप इसे अपने लाभ के बाद 1150 में बेचोगे तो आपको अपने खरीदार से 115 रुपए वैट के भी वसूल करने (VAT ka example) होंगे।

अब आपको सरकार को 115 रुपए वैट के जमा करने है जिसमे से आप आपके विक्रेता को पहले दिए हुए 100 रुपए का इनपुट ले सकते हो और शेष 15 रुपए जो रह गए हैं वो आपको अपने पास से सरकार को भुगतान करना है। इस प्रकार आप खरीदार से कुल 1265 रुपए लोगे जो कि आपकी विक्रय राशि 1150 और इस पर 10% वैट लगा कर आती है। जिसमे से 1000 आपकी लागत 150 आपका मुनाफा और 115 सरकार का वैट होगा।

भारत में वैट (Vat in India in Hindi)

भारत में वैट मुख्यतः 2005 में लागू हुआ। परंतु ऐसा नहीं है कि पूरे भारत में ही वैट 1 अप्रैल 2005 को लागू किया गया हो। वैट को सबसे पहले तो फ्रांस में लागू किया गया था। उसके बाद बहुत से देशों ने वैट को अपने अपने देश में लागू किया। भारत भी उन्ही देशों में शामिल है। हालांकि भारत ने काफी पीछे जा कर वैट को लागू किया था। इसके पीछे एक कारण यह भी रहा की महाराष्ट्र और अन्य कुछ राज्य उस समय वैट को ले कर सहमत नहीं थे।

उसके पश्चात अलग अलग समय पर भारत के अलग अलग राज्य में वैट लागू किया गया। उदाहरण के तौर पर हरियाणा सरकार ने वैट के लिए हरियाणा में कानून 2003 में पारित किया था। इसी एक्ट के साथ कुछ नियम भी निकाले गए। सभी राज्यों में लगने वाले वैट के एक्ट और नियम अलग अलग है। इसी लिए एक ही तरह के उत्पाद और सेवा के लिए अलग अलग राज्य में वैट के रेट अलग है। इन्हीं एक्ट के अनुसार व्यापरियो को अपने राज्य में वैट की रिटर्न भी दाखिल करनी होती है।

वैट क्यों लाया गया था? (VAT kyo lagu hua)

अब हम जानते हैं कि आखिरकार वैट को क्यों लाया गया था या फिर वैट को लाने के पीछे क्या ही उद्देश्य था। वैट को भारत में लागू करने के पीछे बहुत से कारण रहे। अन्य देशों को मिलने वाले वैट से फायदों को देखते हुए वैट को भारत में लाया गया। वैट को बिक्री कर की जगह लाया गया था। इसका उद्देश्य यह था कि कर को उत्पादन की हर स्टेज पर लगाया जाए, जिससे की कर की प्रिक्रिया आसान और पारदर्शी हो सके। कर की चोरी को कम करने के लिए भी वैट को लाया गया था।

इससे पहले भी भारत में अलग अलग तरह के कर हुआ करते थे, जो उत्पाद और सेवा पर अलग अलग लगते थे। अब सरकार को उनको एक भी करना था और अपनी आय के स्त्रोत को भी बढ़ाना जरूरी था। इसी लिए वैट लागू किया गया, जिससे उत्पादन से उपभोग तक के पूरे साइकिल पर वैट लगाने से किसी पर भारी प्रभाव भी नहीं पड़ा, प्रकिया सुगम भी हो गई और सरकार की आय में वृद्धि भी हो गई।

वैट रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी दस्तावेज (Documents required for VAT registration in Hindi)

किसी भी व्यापारी को वैट का कलेक्शन करने के लिए वैट के अंदर रजिस्टर होना जरूरी है। वैट में रजिस्ट्रेशन के लिए योग्यता टर्नओवर जिसे हिंदी में बिक्री कहते हैं के आधार पर निर्धारित होती है। भारत में अगर आपकी उत्पाद और सेवा की बिक्री 5 लाख से अधिक है तो आपको वैट के अंदर रजिस्टर होने की जरूरत होती है। इसी के साथ आप वैट को कलेक्ट करने के योग्य भी हो जाते हैं। अगर आप भी जानना चाहते हैं कि वैट में रजिस्टर होने के लिए किस तरह के दस्तावेज चाहिए तो हम आपको बता देते हैं।

किसी व्यापारी को जब वैट में रजिस्ट्रेशन करवाना होता है तो उन्हें प्रॉपर मैनर में दिए गए दस्तावेज जमा करवाने होते हैं। इसके लिए आपको अपने पैन कार्ड और आपके बिजनेस जिसके लिए वैट लेना है के एड्रेस के लिए सबूत, उस बिजनेस के सभी मालिको की पहचान के लिए सबूत और कुछ सिक्योरिटी भी जमा करवानी होती है। ये सब जमा करने के 15-20 दिन बाद आपको एक 11 नंबर का यूनिक रजिस्ट्रेशन नंबर मिल जाता है। ये समय सीमा अलग अलग राज्य में अलग हो सकती है।

वैट की कमियां (VAT disadvantage in Hindi)

अब हम जानते हैं कि वैट में क्या क्या कमियां सामने आई। वैट में हम कर के ऊपर कर दे रहे होते हैं। जिसको हम कैस्केड प्रभाव कहते हैं। जो कि दोहरे कराधान को बढ़ावा देता है। हर राज्य में वैट की दर अलग अलग होती है। और हर राज्य के अनुसार वैट के नियम में भी बदलाव देखने को मिलता है। जिसकी वजह से वैट की कार्यप्रणाली जटिल हो जाती है। इसके अलावा भी वैट में अलग अलग कमियां देखी जा सकती है, जो इस प्रकार है:

  • जब किसी वस्तु या सेवा पर वैट या अन्य टैक्स बहुत अधिक रेट से लगाया जाता है तो इससे व्यापारी के मन में ये धारणा भी उत्पन होने लगती है कि मैं अपनी कमाई में से सरकार को क्यों दूं, इससे अच्छा तो मैं कमाता ही नहीं और इससे अर्थशास्त्र पर प्रभाव पड़ता है।
  • वैट एक इस तरह का टैक्स है जो खर्च पर लगता है। आयकर की भांति ज्यादा कमाई पर ज्यादा टैक्स की धारणा वैट में नहीं है। जिससे गरीब व्यक्ति जिनकी आय का अधिकतर हिस्सा बचत में नहीं बल्कि खर्च होता है, उन्हें टैक्स की भारी मार पड़ती है।
  • वैट एक ऐसा टैक्स था या है जिसको अलग अलग राज्यों की सरकार अपने हिसाब से लागू करती है, जिससे किसी तरह की समानता ना होने के कारण व्यापारी अक्सर धोखाधड़ी भी करते हैं।

VAT और GST में क्या अंतर है? (VAT and GST difference in Hindi)

अब हम जानते हैं कि वैट और जीएसटी में क्या अंतर है और वैट की जगह GST को क्यों लाया गया। जैसा कि आप जानते ही होंगे कि जीएसटी की फुल फॉर्म गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स है। वैट को भारत में 2005 में लाया गया था, जबकि जीएसटी को 1 जुलाई 2017 से भारत में लागू किया गया। वैट और जीएसटी में बहुत से अंतर आपको देखने को मिलेंगे। जिसमें से सबसे बड़ा अंतर है कि वैट को अलग अलग राज्य सरकारों के द्वारा अलग अलग तरीके से लागू किया जाता था। परंतु जीएसटी केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा मिल कर लागू किया जाता है।

जीएसटी का कलेक्शन एक साथ ही किया जाता है और फिर केंद्र और राज्य सरकारों में बांटा जाता है। वैट को कलेक्ट करने की जिम्मेदारी विक्रेता राज्य के पास होती थी, परंतु जीएसटी को कलेक्ट करने की जिम्मेदारी खरीदार राज्य के पास है। जीएसटी पूरे भारत में एक उत्पाद पर एक ही रेट से लागू होता है। जीएसटी के रेट पहले से निर्धारित है जो की 0, 5, 12, 18, 28 है। वैट में रेट इस तरह से निर्धारित नहीं थे। वैट में उत्पाद के मूवमेंट को ट्रैक करने का कोई तरीका नहीं था, जो कि इवे बिल के माध्यम से जीएसटी में है।

वैट और जीएसटी के बीच होने वाले अंतर में सबसे बड़ा अंतर ये भी है कि वैट के समय में एक राज्य में दिए गए वैट का श्रेय दूसरे राज्य में नहीं मिलता था, जिससे वो खरीदार की लागत में जुड़ जाता था। इसके बाद वो व्यापारी इसी राशि में अपना मुनाफा जोड़ कर उस पर वैट लगा देता था, इससे टैक्स पर टैक्स लग जाता था, इसे ही कैस्केडिंग इफेक्ट कहते है। जीएसटी के अंदर एक राज्य में दिए टैक्स का श्रेय अन्य राज्य में आईजीएसटी के माध्यम से मिल जाने से ये नही होता। जिससे हम टैक्स पर टैक्स देने से बच जाते हैं।

क्या जीएसटी ने वैट को पूरी तरह से खत्म किया है? (Is VAT applicable after GST in Hindi)

हमें इस बात का तो भली भांति ज्ञान है कि वैट और अन्य कई टैक्स की जगह अब जीएसटी आ गया है। लेकिन अब हम यह जानते हैं कि क्या जीएसटी ने वैट को पूरी से तरह से बदल दिया है। नहीं, जीएसटी ने वैट को पूरी तरह से खत्म नहीं किया है। अभी भी भारत में काफी चीजों पर वैट लगता है जैसे कि पेट्रोल, डीजल, शराब आदि। बाकि सभी वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी ही लागू होता है।

इसमें भी आपको बता दें कि शराब केवल पीने वाली शराब पर ही वैट लागू है अन्य जगह इस्तेमाल होने वाली एल्कोहल पर जीएसटी ही लगता है। इसके अलावा प्राकृतिक गैस, एयर टरबाइन फ्यूल, कच्चे पेट्रोल और हाई स्पीड डीजल पर वैट ही लागू होता है। ऐसा इस लिए है क्योंकि राज्य सरकारों को इन उत्पादों पर मिलने वाले वैट से बहुत कमाई होती है। जल्द ही इन उत्पादों को भी जीएसटी में ले आया जायेगा।

इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने वैट के बारे में पूरी जानकारी ले ली है। आपने जाना कि अखिरकार वैट क्या है और वैट की जगह क्यों जीएसटी को लाया गया और वैट और जीएसटी में क्या अंतर है। अभी भी यदि आपके मन में कोई शंका शेष रह गई है तो आप नीचे हमसे कमेंट करके पूछ सकते हैं।

वैट क्या है – Related FAQs

प्रश्न: वैट कौन चार्ज कर सकता है?

उतर: आप वैट तभी लगा सकते हैं जब आपका व्यवसाय वैट के लिए पंजीकृत हो।

प्रश्न: वैट कब लगता है?

उतर: वैट उत्पादन से ले कर उपभोग तक की हर स्टेज पर लगता है।

प्रश्न: वैट क्या है उदाहरण सहित?

उतर: वैट क्या है और वैट का उदाहरण हम ने आपको इस लेख में दिया है जिसे आपको पढ़ना चाहिए।

प्रश्न: वैट और जीएसटी में क्या अंतर है?

उतर: वैट और जीएसटी में कार्यप्रणाली और रेट का ही मुख्य अंतर है जिसे इस लेख में विस्तार से बताया गया है।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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