गंगा हरीतिमा योजना, उत्तर प्रदेश गंगा हरीतिमा योजना उद्देश्य, रूपरेखा, Ganga Hariteema Yojana in Hindi, Ganga Hariteema Yojana. पेड़ों के लगातार कटान और अनियोजित एवं असंतुलित विकास की वजह से देश में पर्यावरण के हालात अच्छे नहीं कहे जा सकते। अब धीरे-धीरे पर्यावरण सुरक्षा और संरक्षण के उपाय किए जा रहे हैं। पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए, हरीतिमा को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने एक योजना शुरू की है। इसका नाम है उत्तर प्रदेश गंगा हरीतिमा योजना। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि इसके तहत गंगा किनारे हरीतिमा को बढ़ाने के प्रयास होंगे। दोस्तों, आज इस पोस्ट (post) के माध्यम से हम आपको इसी योजना के विषय में विस्तार से जानकारी देंगे। आइए शुरू करते हैं-
उत्तर प्रदेश गंगा हरीतिमा योजना क्या है?
दोस्तों, आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश गंगा हरीतिमा योजना का शुभारंभ 26 दिसंबर, 2020 को उत्तर प्रदेश (UP) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया। पहले चरण में प्रदेश के 27 जिलों में इस योजना के तहत गंगा नदी के किनारे एक हजार किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में पौधे रोपे जाएंगे। जैसा कि हम पहले भी बता चुके हैं-योजना का उद्देश्य नदी के किनारे हरीतिमा में वृद्धि करना और भूमिक्षरण को रोकना है।
उत्तर प्रदेश गंगा हरीतिमा योजना का उद्देश्य क्या है?
मित्रों, हमने आपको बताया कि उत्तर प्रदेश गंगा हरीतिमा योजना का उद्देश्य नदी के किनारे एक हजार किलोमीटर के दायरे में एक हजार से अधिक गांवों में पौधे रोपने की तैयारी है। इनमें व्यावसायिक पौधों के साथ ही फलदार पौधे भी लगाए जाएंगे। इनमें आंवला, जामुन, नीम और औषधीय पौधे भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त सागौन, बांस, नीलगिरी और मिश्रित प्रजाति के पौधों को रोपा जाएगा। यह पौधे बेहतर आय प्रदान करने वाले हैं। इससे यह बात साफ है कि वन विभाग के राजस्व में भी इजाफा होगा।
इसके साथ ही लोगों को विभिन्न प्रकार के फल और औषधियां भी प्राप्त हो सकेंगी। यानी आम के आम और गुठलियों के दाम। सरकार एक ओर पर्यावरण रक्षा का सपना साकार कर सकेगी। और दूसरी ओर उसे व्यासायिक लाभ भी प्राप्त हो सकेगा। दोस्तों आपको बता दें कि इसी प्रकार की एक योजना महाराष्ट्र में भी चल रही है, जिसमें कन्या के जन्म पर दस पौधे रोपे जाते हैं। इससे जहां पर्यावरण को स्वच्छ रखने में मदद मिलती है, वहीं कन्या के बड़े होने पर उसके विवाह में होने वाले खर्च से निपटने में इन वृक्षों से होने वाली आय सहायक होती है।
उत्तर प्रदेश गंगा हरीतिमा योजना के तहत दिया है एक व्यक्ति एक वृक्ष का नारा
उत्तर प्रदेश गंगा हरीतिमा योजना के अंतर्गत ‘एक व्यक्ति एक वृक्ष’ का नारा रखा गया है। यानी एक व्यक्ति एक वृक्ष लगाएगा। इस पूरे अभियान पर नजर रखने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का भी गठन किया गया है। इसके अलावा योजना के संचालन, मार्गदर्शन, क्रियान्वयन, अनुश्रवण और मूल्यांकन के लिए विभिन्न समितियां भी गठित की गई हैं। सात विभागों को इस कार्य में शामिल किया गया है। चूंकि पौधे को रोपे जाने और पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा मामला वन विभाग से संबंधित है। इसलिए वन विभाग को नोडल विभाग (nodal department) नामित किया गया है।
लोगों को पौधरोपण के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए गंगा महोत्सव होगा
मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि गंगा हरीतिमा योजना का एक हिस्सा है गंगा महोत्सव। उत्तर प्रदेश राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित उत्तर प्रदेश गंगा समिति के जरिये गंगा महोत्सव आयोजित किया जाएगा। इसका एक बड़ा उद्देश्य लोगों में पौधरोपण को प्रोत्साहन देना भी है। आपको यह भी बता दें कि एक जिले में 31 लाख से अधिक पौधे रोपने का लक्ष्य रखा गया है। वन विभाग की ओर से 760 हेक्टेयर में सात लाख 55 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। लाखों की संख्या में रोपे जाने वाले ये पौधे एक दिन बड़े वृक्ष बनेंगे और प्रदेश की आर्थिकी का आधार भी सुदृढ़ बनाएंगे, यह मानकर चला जा सकता है।
नदी किनारे रहने वालों के लिए भी मददगार होगा योजना के तहत पौधरोपण
नदी किनारे रहने वालों के लिए भी योजना के तहत पौधरोपण बेहद मददगार होगा। दरअसल, नदियों के किनारे पेड़ न होने से भूकटाव की दर बहुत ज्यादा होती है। पेड़ मिट्टी को अच्छी तरह से जकड़कर रखते हैं, जिससे वह अधिक क्षरित नहीं होती। लिहाजा, नुकसान का खतरा भी बेहद कम रहता है। अन्यथा बरसात के मौसम में भूक्षरण की वजह से बहुत अधिक हानि देखने को मिलती है। खास तौर पर नदी किनारे रहने वाले लोगों के लिए तो मुसीबत ही हो जाती है। घरों और खेतों में भूकटाव की वजह से पानी भर जाता है।
आपको बता दें कि नदी किनारे रहने वालों के लिए प्रशासन इन दिनों में विशेष तौर पर प्रबंध करता है। नदी किनारे क्षेत्रों में विशेष बाढ़ चौकियां होती हैं, जो जल स्तर में बढ़त की पल पल की सूचना रखती हैं और थोड़ा सा भी खतरा देख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर चले जाने के लिए आगाह करती हैं। इन्हीं की सूचना के आधार पर स्थान विशेष का प्रशासन आवश्यक कदम उठाता है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी का हाल प्रदूषण के मामले में बदतर
साथियों, आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का हाल प्रदूषण (Pollution) के मामले में बदतर है। उसका स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। दिसंबर, 2020 में आई एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) की रिपोर्ट में लखनऊ में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 420 पहुंच गया था, जो खतरनाक श्रेणी में माना जाता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक लखनऊ उत्तर प्रदेश का तीसरा सबसे अधिक प्रदूषित शहर है। वहां 420 AQI रिकॉर्ड किया गया। जबकि कानपुर (kanpur) प्रदूषण के मामले में सबसे ऊपर है। वहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 431 था।
वहीं, दूसरे स्थान पर मुजफ्फरनगर (muzaffarnagar) शुमार था। तीसरे स्थान पर लखनऊ (Lucknow) का नाम था। इसके अलावा प्रदेश के अन्य शहरों में जो हाल रहा, उसके मुताबिक गाजियाबाद (ghaziyabad) का एक्यूआई 377, नोएडा (Noida) का 360 और दिल्ली (Delhi) का 341 दर्ज किया गया। प्रदूषण के बढ़ते स्तर की वजह से यूपी के अस्पतालों में सांस की परेशानियों से संबंधित मरीजों की संख्या में भी इजाफा हुआ है।
साथियों, अब आपके मन में इस रेटिंग को लेकर सवाल खड़े हो रहे होंगे। आपको बता दें कि 0 और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बेहद खराब’, जबकि 401 से 500 के बीच एक्यूआई को ‘गंभीर’ माना जाता है। उत्तर प्रदेश में हवा की खराब गुणवत्ता का स्तर बताता है कि यहां हरीतिमा जैसी योजना की किस कदर आवश्यकता है। इस योजना से निश्चित रूप से हवा की क्वालिटी (air quality) में भी सुधार आएगा, इसमें कोई दोराय नहीं है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने लाकडाउन को देखते हुए पर्यावरणीय नियमों में ढील दी थी
दोस्तों, आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए लगाए गए लाकडाउन (lockdown) के दौरान सभी औद्योगिक इकाइयों को जल और वायु कानून के तहत ली जाने वाली कानूनी सहमति में राहत दी थी। उत्तर प्रदेश प्रदूषण निययंत्रण बोर्ड (UPPCB) ने अपने में कहा था है कि ऐसी औद्योगिक इकाइयां जिनकी जल और वायु कानून संबंधी सहमतियों की वैधता (validity) लॉकडाउन के दौरान खत्म हो गई है वे ऑनलाइन माध्यम से नया आवेदन कर सकते हैं।
लेकिन वैधता समाप्त होने और आवेदन करने के दरम्यान उन्हें जल और वायु प्रदूषण का जिम्मेदार नहीं माना जाएगा। आपको बता दें कि जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 और वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के अंतर्गत औद्योगिक इकाइयों (industrial units) को संचालन के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जल और वायु सहमति प्राप्त करना अनिवार्य है। इससे पहले 10 अप्रैल, 2020 को उत्तर प्रदेश सरकार ने ऑक्सीजन सिलेंडर, जीवन रक्षक मेडिकल उपकरणों और अन्य सप्लाई (पीपीई किट, मास्क आदि) के वृहद पैमाने पर उत्पादन के लिए नियम में छूट का प्रावधान किया था।
पर्यावरण नियमों में दी जा रही ढील स औद्योगिक प्रदूषण में आई कमी के फिर से बढ़ने की आशंका जताई जा रही थी। उधर, लॉकडाउन का दूसरा चरण खत्म होने से पहले ही उत्तर प्रदेश में ईंट-भट्ठों को पूर्व पर्यावरण मंजूरी (EC) हासिल किए बिना ही मैनुअल तरीके से दो मीटर तक खनन करने की भी इजाजत दी गई। उत्तर प्रदेश सरकार ने 1 मई, 2020 को इस संबंध में अधिसूचना जारी की थी।
लाकडाउन के दौरान पर्यावरण में बड़ा बदलाव देखने को मिला
दोस्तों, आपको बता दें कि लॉकडाउन का पर्यावरण पर बहुत बेहतर असर पड़ा। नदियों का पानी स्वच्छ हो गया। हवा बेहतर हो गई। पहाड़ों के वह दृश्य दिखाई देने लगे, जो गर्द और गुबार में ढक गए थे। जंगली जानवर जंगलों से निकलकर सड़कों पर आने लगे। और गंगा में वह जीव दिखाई देने लगे, जिनके लुप्त होने की बात की जा रही थी। पर्यावरण की स्वच्छता को देखकर हर कोई हैरान था।
और ज्यादातर लोग मानने लगे थे कि साल में कुछ समय ऐसा लॉकडाउन बेहतर है, जिससे पर्यावरण (environment) की ओवरहालिंग (overhauling) हो सके। लेकिन कोविड-19 अनलाक के साथ साथ इंसान की जिंदगी फिर पटरी पर लौटने लगी और वातावरण पर प्रदूषण ने फिर से पंजा कसना शुरू कर दिया। आज उत्तर प्रदेश के तमाम शहरों के जो हालात हैं, वे प्रदूषण में एक दूसरे को मात देते नजर आते हैं।
अंतिम शब्द –
गंगा के किनारे हरियाली लाने का यह आइडिया कोई नया विचार नहीं है। यह प्रयास कई गैर सरकारी संस्थाएं (NGO) भी कर रही हैं। उत्तराखंड के गंगा किनारे के जिले हरिद्वार में ऐसे कई संगठन हैं, जो गंगा के किनारों पर पौधे रोपने का काम कर रहे हैं। कई जागरुक नागरिक भी ऐसी कोशिश कर रहे हैं। लेकिन सरकारी मदद ना होने से ऐसे प्रयास सीमित होकर रह जाते हैं। उत्तर प्रदेश गंगा हरीतिमा योजना क्योंकि एक सरकारी योजना है। इस वजह से इस योजना की कामयाबी के प्रतिशत बढ़ जाते हैं। ऐसे में यह साफ है कि यदि इस योजना को कारगर तरीके से लागू करने का प्रयास किया गया तो इसमें कोई दो राय नहीं है कि यह पर्यावरण सुरक्षा और सुधार की यह उत्तर प्रदेश गंगा हरीतिमा योजना एक बेहतरीन योजना साबित होगी।
दोस्तों, यह थी यूपी गंगा हरीतिमा योजना क्या है? उद्देश्य, रूपरेखा | Ganga Hariteema Yojana in Hindi के संबंध में जानकारी। उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यदि आप किसी अन्य योजना के संबंध में हमसे जानकारी चाहते हैं तो हमें नीचे दिए गए कमेंट बाक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके बता सकते हैं। सदैव की तरह आपकी प्रतिक्रियाओं और सुझावों का हमें शिद्दत से इंतजार है। ।।धन्यवाद।।