जीआई टैग की फुल फॉर्म क्या है? | GI tag full form in Hindi

|| जीआई टैग की फुल फॉर्म क्या है? | GI tag full form in Hindi | जीआई टैग का हिंदी में मतलब | GI tag ka Hindi mein matlab | GI tag ke bare mein bataye | GI tag kyo jaruri hota hai | GI tag kyo banta hai | GI tag limit in Hindi ||

GI tag full form in Hindi :- भारत देश एक बहुत ही विशाल देश है और यहाँ पर हर राज्य के अलग अलग क्षेत्रों की कुछ अलग पहचान होती है। किसी का कोई उत्पाद प्रसिद्ध होता है तो किसी का (GI tag in Hindi) कुछ। उदाहरण के तौर पर दार्जिलिंग की चाय को ले लीजिए या मैसूर के सिल्क के व्यापार को ले लीजिए या कुछ और। तो इन उत्पादों का सरंक्षण किया जाना और इन्हें एक अलग पहचान दिया जाना जरुरी हो जाता है। तो यही पहचान इन्हें जीआई टैग से मिल पाती है।

तो अब आपका प्रश्न यह होगा कि आखिरकार यह जीआई टैग होता क्या है और किस तरह से यह उत्पादों को एक अलग पहचान देता है? इसकी फुल फॉर्म क्या है और क्यों यह दिया जाना जरुरी होता है। साथ ही भारत में किन किन उत्पादों को जीआई टैग मिला हुआ है और उनकी संख्या कितनी (GI tag ke bare mein bataye) है। तो ऐसे ही सभी प्रश्नों के उत्तर आपको इस लेख के माध्यम से मिलने वाले हैं जिसमे हम आपके हर एक प्रश्न का विस्तार से उत्तर देंगे। आइए जाने यह जीआई टैग क्या होता है और इसकी फुल फॉर्म क्या है।

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जीआई टैग की फुल फॉर्म क्या है? (GI tag full form in Hindi)

सबसे पहले बात करते हैं कि इस जीआई टैग की फुल फॉर्म क्या होती है। तो जीआई टैग की फुल फॉर्म को जिओग्राफिकल इंडिकेशन (Geographical Indications) टैग के नाम से जाना जाता है। अब इसे यही नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि यह किसी व्यक्ति विशेष से जुड़ा हुआ उत्पाद ना होकर किसी जगह का प्रसिद्ध उत्पाद होता है। उदाहरण के तौर पर बनारस की साड़ियाँ पूरे देश में प्रसिद्ध है तो ऐसे में वह वहां के किसी व्यक्ति या संस्था को नहीं दिया जाता है बल्कि बनारस में जो साड़ियाँ वहां के उत्पाद के द्वारा बन रही है, उसे ही यह जीआई टैग दिया जाता है।

जीआई टैग की फुल फॉर्म क्या है GI tag full form in Hindi

यहाँ जीआई टैग की फुल फॉर्म जिओग्राफिकल इंडिकेशन टैग का मतलब ही यही होता है कि उस जगह की किसी प्रसिद्ध वस्तु को वह टैग या पहचान दिया (GI tag ki full form kya hai) जाना। यह इसलिए भी जरुरी हो जाता है कि ताकि किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा उस नाम का गलत इस्तेमाल ना किया जाए या उस नाम से अपने उत्पाद ना बेचे जाए। इसलिए ही जीआई टैग की फुल फॉर्म को जिओग्राफिकल इंडिकेशन टैग रखा गया है अर्थात किसी एक जगह से जुड़ी हुई पहचान।

जीआई टैग का हिंदी में मतलब (GI tag ka Hindi mein matlab)

अब आपने जीआई टैग का अंग्रेजी नाम तो जान लिया जिसे जिओग्राफिकल इंडिकेशन टैग कह दिया जाता है लेकिन इसे हिंदी में क्या कहा जाएगा, यह जानना भी तो आपके लिए जरुरी हो जाता (GI tag ko Hindi mein kya kahte hai) है। तो यदि अब हम जीआई टैग के हिंदी नाम की बात करें तो उसे भौगोलिक संकेतक कहा जाता है अर्थात् किसी क्षेत्र विशेष या भूगोल से जुड़ी हुई एक पहचान या संकेत। इसमें जिओग्राफिकल को भौगोलिक कहा जाता है जबकि इंडिकेशन को संकेतक के नाम से जाना जाता है।

जीआई टैग का मतलब क्या है? (GI tag ka matlab kya hai)

अब हम बात करेंगे कि इस जीआई टैग का मतलब क्या होता है और यह क्यों जारी किया जाता है। तो यहाँ हम आपको बता दें कि यह किसी उत्पाद का पेटेंट या पंजीकरण ना होकर एक क्षेत्र विशेष के किसी विशेष चीज़ का पंजीकरण होता (GI ka matlab kya hai) है। उदाहरण के रूप में आपको समझाने का प्रयास करते हैं ताकि आपको सरल भाषा में यह समझ में आ सके।

तो मान लीजिए, आप एक कंपनी की शुरुआत करने जा रहे हैं जिसका नाम केसरी साड़ियाँ है। तो अब यदि आप इसके तहत साड़ियों का निर्माण करने जा रहे हैं तो पहले आपको वाणिज्य विभाग में जाकर इस नाम का पेटेंट करवाना (GI tag ke bare mein jankari) होगा। वहां आप इसके लिए आवेदन करेंगे और फिर वह आपके नाम पर इस केसरी साड़ियाँ नाम का पेटेंट कर देंगे। इस तरह से पूरे भारतवर्ष में कोई भी अन्य व्यक्ति केसरी साड़ियाँ नाम से व्यपार नहीं कर पाएगा या इस नाम से कोई उत्पाद नहीं निकाल पाएगा।

तो यह एक कंपनी बन जाती है जिस पर उस कंपनी के मालिक या बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर का ही मालिकाना हक़ होता है। हालाँकि इस कंपनी को सार्वजनिक भी किया जा सकता है और उसे लोगों के द्वारा शेयर के रूप में बेच कर उनकी हिस्सेदारी भी तय की जा सकती (GI tag kaise le) है। किंतु फिर भी इसका जीआई टैग से कुछ भी लेना देना नहीं होता है और इस पर कंपनी का ही ठप्पा रहता है।

वहीं यदि हम जीआई टैग की बात करें तो यह किसी कंपनी या व्यक्ति को नहीं मिलता है बल्कि यह उस क्षेत्र विशेष के लोगों के द्वारा बनाए जा रहे विशेष उत्पादों को दिया जाता है। अब ऊपर हमने आपको बनारसी साड़ियों का उदाहरण दिया तो इसके तहत बनारसी साड़ियों पर किसी एक व्यक्ति विशेष का अधिकार नहीं है। बल्कि यह तो पूरे बनारस का ही अधिकार है और वहां बनने वाली साड़ियों को ही बनारसी साड़ियाँ कहा जाता (GI tag kise milta hai) है। ऐसे में उस उत्पाद को जीआई टैग दिया जाता है ताकि कोई अन्य क्षेत्र का व्यक्ति इस नाम का इस्तेमाल ना कर सके।

जीआई टैग क्यों जरुरी होता है? (GI tag kyo jaruri hota hai)

साथ के साथ आपको यह भी जान लेना चाहिए कि आखिरकार क्यों यह जीआई टैग जरुरी होता है या फिर इसके मिलने से क्या ही अंतर पड़ जाता (GI tag kyo banta hai) है। तो यहाँ हम आपको यह स्पष्ट कर दें कि किसी भी क्षेत्र विशेष के उस विशेष उत्पाद को राष्ट्रीय तो क्या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने और उसके नाम का दुरूपयोग रोकने के उद्देश्य से ही यह जीआई टैग दिया जाता है।

अब यदि कोई उत्पाद किसी क्षेत्र विशेष का बहुत बढ़िया है या इसी से ही उसकी पहचान है तो ऐसी स्थिति में कोई अन्य उसका इस्तेमाल ना कर पाए या उस पर अपना अधिकार ना जता पाए, तो इसी के लिए ही जीआई टैग दिया जाना जरुरी हो जाता (GI tag kyo chahiye hota hai) है। इसी के साथ साथ जब तक किसी उत्पाद को जीआई टैग नहीं मिलता है तब तक वह बिना किसी नाम के या बिना किसी राष्ट्रीय पहचान के ही हर जगह बिकता रहता है और इससे उसको नुकसान झेलना पड़ता है।

तो यदि किसी क्षेत्र विशेष के लोगों को अपने यहाँ बनने वाले उत्पाद को राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलानी है तो उसके लिए उसका जीआई टैग बनाना जरुरी हो जाता है। उदाहरण के रुप में आप बनारस की साड़ियों को ही ले (GI tag kyo le) लीजिए। यदि उसे जीआई टैग नहीं मिला होता तो कोई व्यक्ति पंजाब के जलंधर शहर में एक कंपनी खोल लेता और वहां पर बनारसी साड़ियों के नाम से उत्पाद बनाने लग जाता तो कोई क्या ही कर लेता। किंतु अब जब बनारसी साड़ियों को जीआई टैग मिला हुआ है तो भारत में कोई भी व्यक्ति बनारस के अलावा कहीं भी बनारसी साड़ियों के नाम से उत्पाद को नहीं बना सकता है।

जीआई टैग कब बना था? (GI tag kab bana tha)

अब आपका यह प्रश्न भी होगा कि इस जीआई टैग को कब अस्तित्व में लाया गया था या यह भारत देश में कब लागू हुआ था। तो इसे वर्ष 1999 में तत्कालीन भारतीय सरकार जिसका नेतृत्व स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी कर रहे थे, उनके द्वारा लागू करवाया गया था। जीआई टैग को जिस कानून के तहत लाया गया था उसका नाम उत्पाद भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण व सरंक्षण) अधिनियम, 1999 रखा गया था। यह अंग्रेजी भाषा में जिओग्राफिकल इंडिकेशन टैग Of Goods (Registration and Protection) Act, 1999 है।

जीआई टैग के अंतर्गत आने वाली उत्पादों की श्रेणी (GI tag product list in Hindi)

यह भी जानना बहुत जरूरी होता है कि आखिरकार किन किन उत्पादों की श्रेणियों को जीआई टैग के तहत वर्गीकृत करने का काम किया जाता है। तो इसमें मुख्य तौर पर कृषि से जुड़े उत्पाद आते हैं जिनका उत्पादन उस क्षेत्र विशेष में किया जाता है। इसी के साथ साथ इसमें हेंडीक्राफ्ट अर्थात हस्त निर्मित वस्तुओं का भी बहुत बड़ा योगदान है। कुल मिलाकर जीआई टैग जिन जिन भी उत्पादों को मिला हुआ है उसमे से अधिकतम कृषि या हस्त निर्मित उत्पादों से जुड़ी हुई चीज़ें ही हैं।

इनके अलावा कुछ कुछ क्षेत्रों में खाने की चीज़ों को जीआई टैग दिया गया है तो किसी किसी में खाने में इस्तेमाल होने वाली चीज़ों को जैसे कि चाय। किसी किसी चीज़ में प्राकृतिक उत्पादों को भी जीआई टैग दिया गया है जैसे कि राजस्थान के मकराना का सफेद संगमरमर या मार्बल। ऐसे ही बहुत सारी चीज़ों को इसमें रखा गया है लेकिन इसमें प्रमुख तौर पर कृषि तथा हस्त निर्मित उत्पाद ही आते हैं।

जीआई टैग वाले उत्पादों की सूची (GI tag product list in India in Hindi)

ऊपर आपने जीआई टैग को पाने वाली उत्पादों की श्रेणी के बारे में जाना लेकिन उसे पढ़ कर अवश्य ही आपके मन में यह जानने की जिज्ञासा उठ रही होगी कि आखिरकार किन किन उत्पादों को जीआई टैग का दर्जा मिला हुआ है। तो यहाँ हम आपको बता दें कि वर्तमान समय में कुल 350 के आसपास उत्पादों को देशभर में जीआई टैग का दर्जा मिला हुआ है। इसमें कोई किसी क्षेत्र से संबंधित है तो कोई किसी क्षेत्र से, साथ ही किसी किसी चीज़ में तो एक ही क्षेत्र की दो से तीन चीज़ों को जीआई टैग मिला हुआ है।

अब इसमें सभी उत्पादों का नाम बताया जाना तो संभव नहीं है लेकिन फिर भी हम उनमें से कुछ प्रमुख उत्पादों के नाम बता देते हैं, जिन्हें जीआई टैग का दर्जा मिला हुआ है। वे उत्पाद हैं:

  • बनारसी साड़ियाँ
  • मकराना का मार्बल
  • दार्जिलिंग चाय
  • मैसूर सिल्क
  • कुल्लू शाल
  • राजस्थान की कठपुतलियां
  • चंबा रुमाल
  • नागालैंड की मिर्ची
  • कश्मीर पश्मीना
  • नीलगिरी
  • तिरुपति बालाजी के लड्डू
  • नासिक वाइन
  • बीकानेरी भुजिया
  • बासमती
  • कश्मीरी केसर
  • कोटा डोरिया
  • मगही पान
  • मिर्ज़ापुर दरी इत्यादि।

इसी तरह यह सूची बहुत ही लंबी है और वर्तमान समय में भी बहुत से क्षेत्र विशेष के लोग अपने यहाँ की चीज़ को जीआई टैग दिलवाने के प्रयास कर रहे हैं। तो यह सूची और भी लंबी जा सकती है।

जीआई टैग लेने के लिए कैसे आवेदन करें? (GI tag ke liye apply kare kare)

इसके लिए आपको अपने स्तर पर या अपने क्षेत्र विशेष के लोगों के स्तर पर जीआई टैग के कार्यालय में आवेदन करना होता है। हालाँकि इसका मुख्यालय तमिलनाडु के चेन्नई शहर में स्थित है और वहीं पर इसका आवेदन भेजा जाता (GI tag ke liye apply kare) है। फिर वहां की संस्था के द्वारा इसके आवेदन का रिव्यु किया जाता है और उसी के अनुसार ही जीआई टैग को दिया जाता है।

तो इसके लिए आप व्यक्तिगत स्तर पर भी आवेदन दे सकते हैं या अपने साथ क्षेत्र विशेष के लोगों को जोड़कर सामूहिक स्तर पर आवेदन दे सकते हैं या फिर यह आवेदन सरकारी स्तर पर भी दिया जा सकता है जिसके लिए वहां के अधिकारी या नेता आपका सहयोग करते हैं। तो इस तरह से आप किसी उत्पाद के लिए जीआई टैग का आवेदन कर सकते हैं और उसके लिए आगे के प्रयास कर सकते हैं।

जीआई टैग कैसे मिलता है? (GI tag kaise milta hai)

अब बात करते हैं कि आखिरकार यह जीआई टैग मिलता कैसे है अर्थात इसके लिए आप जीआई टैग की संस्था में आवेदन तो कर देंगे लेकिन उसके बाद आपको क्या कुछ करना होगा, जिसकी वजह से आपको उसके लिए जीआई टैग मिल सके। तो इसके लिए सबसे पहले जरुरी है उस उत्पाद के प्रमाण को दिखाना और वो भी सब तरह के साक्ष्यों के (GI tag kaise milega) साथ। कहने का अर्थ यह हुआ कि यदि आपको जीआई टैग चाहिए तो इसके लिए केवल उत्पाद के बारे में बता देना ही काफी नहीं होता है बल्कि वह उत्पाद उस क्षेत्र विशेष से किस तरह से जुड़ा हुआ है, इसके बारे में भी बताया जाना जरुरी होता है।

इसी के साथ साथ आपको यह भी साबित करना होता है कि उसी तरह का उत्पाद कहीं और नहीं बनाया जा रहा है या फिर उनके बीच किसी तरह की समानता ना हो। अर्थात जिस भी उत्पाद के लिए आप जीआई टैग लेने जा रहे हैं वह वहां का यूनिक उत्पाद होना चाहिए। तो यह सब सिद्ध कर देने के पश्चात ही आपको उस क्षेत्र के लिए उस उत्पाद के ऊपर जीआई टैग का दर्जा मिल सकेगा।

जीआई टैग कितने साल के लिए वैध होता है? (GI tag kitne saal ke liye banta hai)

अब हम बात करते हैं कि आखिरकार यह जीआई टैग कितने वर्ष के लिए वैध होता है या फिर यह मिलने के बाद कितने सालों के लिए मान्य रहता (GI tag limit in Hindi) है। तो एक बार जिस भी उत्पाद को जीआई टैग मिल जाता है तो उसके बाद उसकी अवधि 10 वर्ष के लिए होती है। तो इस तरह से 10 वर्ष के बाद इस जीआई टैग का फिर से नवीनीकरण करवाए जाने की जरुरत होती है।

जीआई टैग क्या है – Related FAQs

प्रश्न: जीआई टैग कितने वर्षों के लिए होता है?

उत्तर: जीआई टैग 10 वर्षों के लिए होता है।

प्रश्न: जीआई टैग का लाभ क्या है?

उत्तर: जीआई टैग का लाभ यही होता है कि उस क्षेत्र विशेष से जो उत्पाद बन रहा है, उसके नाम से कोई और क्षेत्र वही उत्पाद नहीं निकाल सकता है।

प्रश्न: जीआई टैग की शुरुआत कब हुई?

उत्तर: जीआई टैग की शुरुआत वर्ष 1999 में हुई थी।

प्रश्न: जीआई टैग का अर्थ क्या है?

उत्तर: जीआई टैग का अर्थ जिओग्राफिकल इंडिकेशन टैग होता है।

इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने जीआई टैग के बारे में जानकारी प्राप्त कर ली है। आज के इस लेख में आपने जाना कि यह जीआई टैग होता क्या है, यह किस काम आता है, यह क्यों जारी किया जाता है और इसे कौन और कैसे जारी करता है इत्यादि।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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