ग्लोबल वार्मिंग क्या है? | ग्लोबल वार्मिंग के कारण और इससे बचने के उपाय

|| ग्लोबल वार्मिंग क्या है? | Global warming kya hai | Global warming in Hindi | ग्लोबल वार्मिंग के कारण | Global warming ke karan | ग्लोबल वार्मिंग से बचने के उपाय | global warming se bachne ke upay ||

Global warming kya hai :- मनुष्य आज के समय में इस पृथ्वी का जो नाश कर रहा है, वैसा इतिहास में आज तक कभी नहीं हुआ। हालाँकि अमेरिका ने वर्ष 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के दो शहरों हिरोशिमा व नागासाकी पर परमाणु बम गिराकर असहनीय विनाश किया था और वह आज तक के इतिहास में हुई सबसे भीषमतम और कृत घटनाओं में से एक थी। किन्तु आज हम सभी मनुष्य, सभी देशों की सरकारें, व्यवस्था इत्यादि बर्बादी की ओर बढ़ रहे हैं लेकिन हमें इसका आभास तक नहीं (Global warming in Hindi) है।

उस बर्बादी का नाम है ग्लोबल वार्मिंग जो एक दिन हम सभी को लील जाएगी। हालाँकि पिछले कुछ वर्षों से इसके प्रभाव हम सभी को ही देखने को मिल रहे हैं और बहुत देशों और क्षेत्रों ने तो इसका क्रूरतम रूप भी देख लिया है। उदाहरण के तौर पर जगह जगह आती प्राकृतिक आपदाएं, सुनामी, यूरोप में तेजी से बढ़ती गर्मी इत्यादि। ऐसे में यह ग्लोबल वार्मिंग है क्या, इसके क्या कुछ कारण हैं और यह क्यों हो रही है इत्यादि का जानना आपके लिए बहुत ही जरुरी (Global warming kya hota hai) है।

आज के इस लेख में हम इसी ग्लोबल वार्मिंग के बारे में ही विस्तार से चर्चा करने वाले हैं। यहाँ ना केवल आपको ग्लोबल वार्मिंग के कारण और प्रभाव जानने को मिलेंगे बल्कि आप और हम इससे बचने के लिए अपनी ओर से क्या पहल कर सकते हैं या हम सभी मिलकर क्या सकारात्मक उपाय कर सकते हैं, इसके बारें में भी जानने को मिलेगा। तो आइये सबसे पहले ग्लोबल वार्मिंग के बारे में जानकारी ले लेते (Global warming full information in Hindi) हैं।

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ग्लोबल वार्मिंग क्या है? (Global warming kya hai) 

ग्लोबल वार्मिंग को हिंदी में वैश्विक तापमान का बढ़ना या वैश्विक तपन कहा जा सकता है। इसका सीधा सा अर्थ हुआ कि हमारी पृथ्वी का तापमान हर दिन के साथ बढ़ता ही जा रहा है। इसे हम सरल शब्दों में समझाने का प्रयास करते हैं। हमारे सौरमंडल में कुल 9 ग्रह है जिसमें से हमारा ग्रह तीसरा ग्रह है। ऐसे में पहले के दोनों ग्रह सूर्य के पास होने से अत्यधिक गर्म है जबकि हमारे बाद वाला मंगल ग्रह अत्यधिक ठंडा है। हमारी पृथ्वी इसमें तीसरे स्थान पर आती है और वह सूर्य से बिल्कुल उचित दूरी पर स्थित (Global warming meaning in Hindi) है।

ग्लोबल वार्मिंग क्या है

इसी उचित दूरी के कारण ही हमारी पृथ्वी पर जल, वायु, पेड़ पौधे, वनस्पतियाँ इत्यादि है। इन सभी के कारण ही मनुष्य व अन्य जीव जंतु यहाँ जीवनयापन कर पा रहे हैं। ऐसे में पृथ्वी का तापमान सही होने के कारण ही यह संभव हो पा रहा है। लेकिन हर दिन के साथ हम मनुष्य लोग ऐसे कर्म करते जा रहे हैं जिस कारण इस पृथ्वी का तापमान हर दिन के साथ बढ़ता ही जा रहा है। इसके लिए कई कारण जिम्मेदार है जिनके बारे में हम आपको नीचे (Global warming gases in Hindi) बताएँगे।

तो हमारे कर्मों के कारण ही पृथ्वी पर ऐसी गैस की संख्या या मात्रा बढ़ती जा रही है जो ग्लोबल वार्मिंग के लिए उत्तरदायी मानी जाती है। इन गैस में कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, फ्लोरोकार्बन, सल्फर हेक्साफ्लोराइड और क्लोरोफ्लोरोकार्बन प्रमुख है। तो वातावरण में इन गैस के बढ़ने के कारण ही पृथ्वी का तापमान हर दिन के साथ और बढ़ता जा रहा है जिसे हम ग्लोबल वार्मिंग के नाम से जानते (Global warming kya hai in Hindi) हैं।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण (Global warming ke karan)

पृथ्वी के तापमान में निरंतर हो रही वृद्धि को ही ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं और उसका कारण वातावरण में बढ़ती जहरीली गैस है। तो ऐसे में यह गैस किस कारण से बढ़ रही है या इसके क्या कुछ कारण हैं जो हमें जानने (Global warming ke karan kya hai) चाहिए। तो अब हम ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने के कारण को आपके साथ सांझा करने जा रहे हैं। हालाँकि इसके एक नहीं बल्कि सैकड़ों कारण हैं जो अलग अलग क्षेत्र, सीमाओं और मनुष्य की आदतों के कारण भिन्न भिन्न हो सकते हैं लेकिन हम उनमे से कुछ प्रमुख कारणों को आपके सामने रखने जा रहे हैं।

जनसँख्या में वृद्धि

हम यहाँ एक बात आपको पहले ही बता दें कि ग्लोबल वार्मिंग या विश्व में जितनी भी चुनौतियाँ इस समय है, उनका मूल कारण लगातार और बेतहाशा बढ़ती जनसँख्या ही है। ग्लोबल वार्मिंग के कारणों में हमने नीचे भी कई कारण बताये है, लेकिन उन सभी का मूल भी यही बढ़ती जनसँख्या ही है। लगभग 100 वर्ष पहले विश्व की जनसँख्या 100 करोड़ के पास थी लेकिन पिछले सौ वर्षों में ही मनुष्य ने अपनी जनसँख्या 800 करोड़ के पार पहुंचा दी है। तो इससे इस विश्व में असंतुलन नहीं आएगा तो और क्या ही होगा।

पेड़ पौधों की कटाई

बीते कुछ वर्षों या दशकों में हमने देखा कि मनुष्य ने जिस गति के साथ पेड़ पौधों की कटाई की है, वैसी आज तक कभी नहीं हुई। पहले के समय में तो भोजन भी लकड़ी को जलाकर ही बनाया जाता था लेकिन आज तो वह भी गैस से बनाया जाता है। फिर भी बढ़ती जनसँख्या में मनुष्यों की जरूरतों को पूरा करने के लिए अंधाधुंध रूप से पेड़ पौधों की कटाई हो रही है। अब लोग बस अपने घर पर छोटे छोटे पौधों को लगाकर ही खुश हैं लेकिन उन्होनें अपने आसपास के पेड़ों को काट कर खत्म कर दिया है। 

जंगल का क्षेत्र कम होना

अब जैसे जैसे जनसँख्या बढ़ेगी तो वैसे वैसे ही मनुष्य को रहने के लिए जगह भी चाहिए होगी। इसी कारण विश्व में जंगल का क्षेत्रफल कम होता जा रहा है। पहले के समय में पृथ्वी का अधिकांश भूभाग जंगल ही था और उसके बीच में मनुष्य ने अपने रहने के लिए ग्राम, शहर इत्यादि बसा रखे थे। किन्तु अब परिस्थिति बदल चुकी है। अब मनुष्य इतने अधिक हो गए हैं कि हर जगह शहर व गांव और उनके बीच में छोटे छोटे जंगल।

औद्योगिकीकरण

मनुष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए जगह जगह कारखाने, फैक्ट्री इत्यादि खुल चुकी है, खनन का कार्य बहुत तेजी के साथ हो रहा है, प्राकृतिक संसाधनों का दोहन बढ़ गया है। यह सब इसलिए क्योंकि मनुष्य की बढ़ती जरूरतों को पूरा किया जा सके। इसी प्रक्रिया को ही औद्योगिकीकरण कहा जाता है जिसका अर्थ हुआ जगह जगह उद्योग स्थापित किया जाना। तो यह भी ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने का प्रमुख कारण है।

कृषि भूमि कम होना

हम केवल जंगल की भूमि ही नहीं खत्म कर रहे हैं बल्कि कृषि की भूमि को भी खत्म करते जा रहे हैं। इसका उदाहरण आप अपने आसपास की भूमि को ही देखकर ले लीजिये। एक समय पहले जब आपके माता पिता या दादा दादी वहां आकर बसे थे, तो उनसे पूछिए कि आपके घर के आसपास कितनी भूमि खाली या खेत की भूमि थी। इसके अलावा आप अपने शहर के आसपास जाकर देखिये और वहां देखिये कि किस तरह से खेत की भूमि पर कॉलोनी काटी जा रही है, भवन खड़े हो रहे हैं और खेत सिमटते जा रहे हैं।

वाहनों की संख्या

पहले के समय में लोग एक जगह से दूसरी जगह पैदल या पशुओं की सहायता से यात्रा करते थे। इससे वे स्वस्थ भी रहते थे और यह तरीका कामगार भी था। इसी के साथ ही पहले के समय में लोगों को ज्यादा दूर तक काम ही नहीं होता था और लोग अपने शहर या गाँव में ही खुश थे। किन्तु आज के समय में सभी सड़कें तरह तरह के वाहनों से भरी पड़ी है। चलो वह तो आज के समय की जरुरत है लेकिन फिर भी मनुष्य इतना क्रूर हो चला है कि वह सार्वजनिक वाहनों का कम इस्तेमाल कर निजी वाहनों का ज्यादा इस्तेमाल करने लगा है।

आधुनिकीकरण

अब ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने का एक कारण तेजी से होता आधुनिकीकरण भी है। हम जिस विकास को अपने लिए सहायक समझ रहे हैं वह हमारे अभी के जीवन के लिए तो अच्छा है या फिर यूँ कहें कि प्रत्यक्ष रूप से अच्छा है लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से यह हमें बीमार कर रहा है। इसमें आपके द्वारा अपने दैनिक जीवन में एसी, फ्रिज, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण इत्यादि किसी का भी इस्तेमाल करना शामिल किया जा सकता है जो आधुनिकीकरण का रूप है। तो यह भी ग्लोबल वार्मिंग का एक बहुत बड़ा कारक है।

ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव (Global warming ke prabhav)

अब तक हमने बात कर ली कि ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने के या होने के क्या कारण उत्तरदायी हो सकते हैं लेकिन अब हमें यह भी जानना है कि इससे हमें क्या क्या असर देखने को मिल सकता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि ग्लोबल वार्मिंग के होने से हमारे जीवन पर किस तरह का प्रभाव हो रहा है और इस पृथ्वी को क्या कुछ नुकसान देखने को मिल रहा (Global warming ke prabhav kya hai) है। तो ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम बहुत ही भीषण है जो आज के समय में हम सभी देख रहे हैं। आइये उनके बारे में भी जान लेते हैं।

अत्यधिक गर्मी होना

ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ पृथ्वी का तापमान बढ़ जाना है और यह हम अपने दैनिक जीवन में होते हुए देख भी रहे हैं। अब हम अपने घरों में एसी तो लगवा लेते हैं और गर्मी के मौसम में भी ठण्ड का अहसास ले लेते हैं लेकिन पहले के समय में लोग गर्मी में भी अपने घरों की छत पर ठंडी हवा में सोने का आनंद उठा लेते थे जो आज संभव नहीं है। आज के समय में गर्मी इतनी अधिक बढ़ गयी है कि एसी को अगर दो मिनट के लिए बंद कर दिया जाए तो फिर वैसी की वैसी गर्मी हो जाती है। ऐसे में गर्मी के दिनों में वृद्धि हो जाना और उस समय तेज गर्मी पड़ना ग्लोबल वार्मिंग का ही एक परिणाम है।

जलवायु परिवर्तन

हम सभी पिछले कुछ वर्षों से जलवायु में होता परिवर्तन भी देख रहे हैं। अब बारिश के मौसम में बारिश नहीं हो रही है, सर्दियाँ अक्टूबर नवंबर से खिसककर दिसंबर या जनवरी तक बढ़ गयी है और गर्मियां भी मार्च अप्रैल में ना शुरू होकर मई जून में शुरू हो रही है। तो यह केवल और केवल ग्लोबल वार्मिंग के कारण ही हो रहा है जिस कारण मौसम में परिवर्तन देखने को मिल रहा है। बेमौसम बारिश हो रही है, बेमौसम सर्दी व गर्मी पड़ रही है या शुरू हो रही है इत्यादि।

समुंद्र का स्तर बढ़ना

अब जैसे जैसे विश्व का तापमान बढ़ता चला जाएगा तो वैसे वैसे ही समुंद्र का जलस्तर भी बढ़ता चला जाएगा। वह इसलिए क्योंकि समुंद्र के अंदर या आसपास बहुत बड़े बड़े ग्लेशियर हैं जो वर्षों वर्ष तक ऐसे ही जमे हुए हैं। यह लगभग करोड़ो वर्षों से यूँ ही जमे हुए हैं लेकिन बढ़ते तापमान के कारण यह तेजी से पिघल रहे हैं। इससे समुंद्र का स्तर तेजी के साथ बढ़ रहा है। इसी कारण ही तटीय क्षेत्रों में सुनामी का खतरा बढ़ गया है। वर्ष 2004 में आयी भयानक सुनामी इसी का ही एक परिणाम था और आगे भी ऐसी ही सुनामियां देखने को मिल सकती है।

प्राकृतिक आपदाएं

केवल सुनामी ही क्यों, बल्कि हम अपने आसपास तेजी से बढ़ती प्राकृतिक आपदाएं देख रहे हैं, वह भी इसी ग्लोबल वार्मिंग का ही परिणाम है। अब जगह जगह बाढ़ का आना या सूखा पड़ जाना भी इसी ग्लोबल वार्मिंग का ही नतीजा है। बढ़ते तापमान के कारण एक क्षेत्र में जल्दी से पानी सूख जाता है और वहां सूखा हो जाता है और फिर बढ़े हुए बादलों की वजह से दूसरे क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा हो जाती है जिस कारण वहां बाढ़ आ जाती है। इसी के साथ ही भूकंप, ज्वालामुखी का फटना इत्यादि प्राकृतिक आपदाएं भी इसी ग्लोबल वार्मिंग का ही परिणाम है।

कृषि की उर्वकता घटना

जलवायु में हो रहे परिवर्तन, बेमौसम बारिश होना या ना होना, कृषि में लगातार बढ़ता कीटनाशकों व अन्य चीजों का प्रयोग, कृषि की उर्वकता को कम करता जा रहा है। आज के समय में हम जो भोजन खा रहे हैं, वह सब दूषित हो चुका है। कोई भी सब्जी या फल शुद्ध नहीं बचा है और ना ही पीने के लिए पानी शुद्ध आ रहा है। कृषि भूमि घटने व लालच के बढ़ने से मनुष्य कम भूमि पर ज्यादा फसल उगाने के हथकंडे अपना रहा है।

जीव जंतुओं के प्रजनन में अंतर

ग्लोबल वार्मिंग के कारण जीव जंतुओं के प्रजनन में भी असंतुलन बढ़ता जा रहा है। अब इस पृथ्वी पर केवल हम मनुष्य ही थोड़ी ना रहते हैं बल्कि हमारे साथ लाखों तरह की अन्य प्रजातियाँ भी रहती है जिनमें पेड़, पौधे, जीव, जंतु, पक्षी, कीट इत्यादि आते हैं। तो पृथ्वी में बढ़ते असंतुलन के कारण इनकी प्रजनन क्षमता भी प्रभावित हो रही है जिस कारण हर जगह नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है।

मनुष्य का स्वास्थ्य बिगड़ना

इन सभी कारणों के कारण हमारा स्वास्थ्य भी लगातार गिरता जा रहा है। हम सोच रहे हैं कि आज के समय में हमें पहले जैसा परिश्रम नहीं करना पड़ता है और जीवन बहुत ही सरल हो गया है किन्तु वास्तविकता में बिल्कुल इसके उलट हो रहा है। हम शारीरिक व मानसिक रूप से बीमार होते जा रहे हैं और इसी कारण हमारी आयु भी घट गयी है। इसी कारण ही हमें छोटी उम्र में ही बड़ी बड़ी बीमारियाँ होने लगी है। इसी कारण ही हमें गंभीर बीमारियाँ जैसे कि कैंसर, अस्थमा, सुगर इत्यादि होने लगी है।

ग्लोबल वार्मिंग से बचने के उपाय (global warming se bachne ke upay)

अब यदि आप दुनिया को बर्बादी की ओर बढ़ने से बचाना चाहते हैं तो इसके लिए हरेक व्यक्ति को प्रयास करना होगा। यदि हम सभी मिलकर प्रयास करेंगे तो अवश्य ही ग्लोबल वार्मिंग को कम किया जा सकता है और पृथ्वी को फिर से रहने लायक बनाया जा सकता है। तो आइये जाने ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के क्या कुछ उपाय किये जा सकते हैं।

जागरूकता लाना

ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए सबसे पहले तो जागरूकता को लाना बहुत ही जरुरी हो जाता है। अब ज्यादा से ज्यादा लोग इसको लेकर जागरूक होंगे तभी तो ग्लोबल वार्मिंग को रोकने में सहायता मिलेगी। इसके लिए विद्यालय में अलग से पढ़ाया जाना चाहिए, माता पिता को भी अपने बच्चों को यह शिक्षा देनी चाहिए। आने वाली पीढ़ी इसके लिए पहले से ही सचेत रहेगी तो बहुत कुछ बदला जा सकता है। इसी के साथ ही आसपास के लोगों को इसके बारे में बताना और दुनिया में एक नयी क्रांति लाना ही इसको रोक सकता है।

पेड़ पौधों को लगाना

आपने ऊपर पढ़ा कि ग्लोबल वार्मिंग का एक मुख्य कारण वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ती मात्रा है तो इसकी काट ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाना है। अब ऑक्सीजन देने के सबसे बड़े कारक पेड़ पौधे ही होते हैं। तो आपको भी अपने घर, उद्यान और आसपास के क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधों को लगाना चाहिए। उन्हें केवल लगाकर यूँ ही नहीं छोड़ देना चाहिए बल्कि उनकी सेवा करनी चाहिए। जितने ज्यादा पेड़ पौधे होंगे उतनी ही ग्लोबल वार्मिंग घटती चली जाएगी।

ऊर्जा की बचत करना

हम आज के समय में बहुत ज्यादा लापरवाह हो गए हैं। अब घर में अनावश्यक रूप से पंखे, लाइट इत्यादि जलती रहती है और हमें इसकी कोई चिंता ही नहीं रहती है। ऐसे में ऊर्जा की खपत बढ़ जाती है। इसी के साथ ही लोग एक साथ बैठने की बजाये अलग अलग कमरों में बैठते हैं और एसी का इस्तेमाल करते हैं। तो इस पर भी ध्यान दिए जाने की जरुरत है। इसी के साथ ही ज्यादा से ज्यादा सोलर पैनल का भी इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

प्लास्टिक को ना कहना

प्लास्टिक इस पर्यावरण के लिए बहुत ही बुरा है और यह हमारे जीवन को नष्ट कर देगा। ऐसा इसलिए क्योंकि प्लास्टिक को रिसाइकल नहीं किया जा सकता है और ना ही यह नष्ट होता है। यह वर्षों वर्ष तक यूँ ही पड़ा रहता है और पर्यावरण को घातक नुकसान पहुंचाता है। समय समय पर सरकारों के द्वारा भी इसकी रोकथाम के लिए प्रयास किये जाते हैं लेकिन आज तक कोई प्रयास सफल नहीं हो पाया है। ऐसे में हमें ही अपनी ओर से कदम बढ़ाने होंगे और प्लास्टिक को पूरी तरह से ना कहना होगा।

जनसँख्या में कमी लाना

जनसँख्या का बढ़ना ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण है क्योंकि जितने ज्यादा मनुष्य होंगे, उतनी ही अधिक प्राकृतिक संसाधनों की खपत होगी। ऐसे में हमें अपनी जनसँख्या पर नियंत्रण लाने की जरुरत है। सभी दंपत्ति को दो से ज्यादा बच्चे नहीं करने चाहिए और भारत सरकार भी इसके लिए जल्द ही अधिनियम लाने वाली है। हालाँकि यह कुछ मूर्ख लोगों के विरोध के चलते नहीं हो पाया है लेकिन यह देश और पृथ्वी के लिए बहुत ही ज्यादा आवश्यक है।

जल का उचित उपयोग

ऊर्जा के साथ साथ जल की बचत की जानी भी बहुत ही ज्यादा जरुरी है। इस पृथ्वी का 70 प्रतिशत हिस्सा समुन्द्रों से घिरा हुआ है लेकिन समुंद्र का जल पीने लायक नहीं होता है। ऐसे में नदियाँ, नहरे ही पीने योग्य जल देती है और उसके अलावा जो वर्षा के रूप में जल प्राप्त होता है, वह पीने योग्य होता है। ऐसे में हमें जल का अपव्यय होने से रोकना होगा और वर्षा के जल के संचयन के लिए उपाय करने होंगे।

आधुनिकता सीमित रखें

ग्लोबल वार्मिंग को कम करना है तो हमें अपनी एशोआराम की ज़िन्दगी को भी कम करना होगा और परिश्रम करना सीखना होगा। जो चीज़ आवश्यक ना हो, उसको ना लें। एक चीज़ का जितना अधिक समय तक उपयोग किया जा सकता है, वह करें। इसके बारे में सबसे सही शिक्षा पुरानी पीढ़ी के लोग दे सकते हैं क्योंकि उन्हें वस्तुओं का मोल पता है। तो आप भी अपने अंदर वह गुण लेकर आएं।

ग्लोबल वार्मिंग क्या है – Related FAQs

प्रश्न: ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ क्या है?

उत्तर: ग्लोबल वार्मिंग को हिंदी में वैश्विक तापमान का बढ़ना या वैश्विक तपन कहा जा सकता है।

प्रश्न: ग्लोबल वार्मिंग क्या है इसके कारण और प्रभाव?

उत्तर: ग्लोबल वार्मिंग को हिंदी में वैश्विक तापमान का बढ़ना कहा जा सकता है मतलब हमारी पृथ्वी का तापमान हर दिन के साथ बढ़ता ही जा रहा है। बाकि ग्लोबल वार्मिंग के कारण और प्रभाव आप ऊपर के लेख में विस्तार से पढ़ सकते हो।

प्रश्न: ग्लोबल वार्मिंग के लिए कौन जिम्मेदार है?

उत्तर: ग्लोबल वार्मिंग के लिए कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, फ्लोरोकार्बन, सल्फर हेक्साफ्लोराइड और क्लोरोफ्लोरोकार्बन मुख्य रूप से जिम्मेदार है जो हमारी वजह से बढ़ती जा रही है।

प्रश्न: ग्लोबल वार्मिंग के लिए सबसे हानिकारक गैस कौन सी है?

उत्तर: ग्लोबल वार्मिंग के लिए सबसे हानिकारक गैस मिथेन गैस है।

प्रश्न: ग्लोबल वार्मिंग के 3 मुख्य कारण क्या हैं?

उत्तर: ग्लोबल वार्मिंग के मुख्य कारण आप ऊपर का लेख पढ़ कर जान सकते हो।

तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने ग्लोबल वार्मिंग के बारे में जानकारी हासिल कर ली है। आपने जाना कि ग्लोबल वार्मिंग क्या है ग्लोबल वार्मिंग के कारण, प्रभाव और इसको रोकने के उपाय क्या हैं। आशा है कि आप ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए अपना कदम आगे बढ़ाएंगे और इस पृथ्वी को ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से बचाने में सरकार की सहायता करेंगे।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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