What is GNP in Hindi : भारत में इन दिनों GDP की बहुत चर्चा है। पिछले कुछ सालों से भारत की जीडीपी लगातार गिर रही है। जिसकी वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े होने लगे हैं।
आज भारत का हर पढ़े लिखे नौजवान के लिये GNP Kya Hai? GDP क्या है? एक बड़ा और रहस्यमयी प्रश्न है। हर कोई इसके बारे में जानकारी करना और समझना चाहता है।
पर Economics की इस कड़ी को आसानी से समझ नहीं पाता है। ज्यादातर लोग टीवी डिबेट के जरिये ही थोड़ी बहुत जानकारी जुटाने में कामयाब हो पाते हैं।
लेकिन आप चिंता न करें। आज की इस पोस्ट में हम आपको What is GDP तथा GDP Kaise Calculate Kare? के बारे में विस्तार से और बहुत ही आसान शब्दों में बताने जा रहे हैं।
GNP क्या है? जीएनपी क्या होता है?
GNP का अर्थ सरल शब्दों में मुख्य रूप से 1 वर्ष की अवधि के दौरान देश में उत्पादित होने वाली वस्तुओं तथा उससे जुड़ी सेवाओं के आखिरी मौद्रिक मूल्य को ही GNP कहते हैं।
GNP में देश के समस्त निवासियों तथा उद्धोगों के द्धारा निर्मित किये गये सभी Products के मूल्य की गणना की जाती है।
GNP Full Form क्या है?
तो चलिये अब आप GNP Full Form भी जान लीजिये। जीएनपी का फुल फार्म Gross National Product होता है।
GNP का हिंदी में अर्थ क्या होता है?
GNP Meaning in Hindi : जीनपी का हिंदी में अर्थ सकल राष्ट्रीय उत्पाद होता है। इसकी गणना GDP से अलग तरीके से की जाती है।
GDP क्या है?
What is GDP in Hindi : GDP के जरिये किसी भी देश की आर्थिक स्थिति की जांच पड़ताल की जाती है। इसे हिंदी में सकल घरेलू उत्पाद के नाम से जाना जाता है।
भारत में GDP और GNP की गणना कब की जाती है?
भारत में जीडीपी को Calculate करने की एक निश्चित अवधि है। हमारे देश मे इसे हर 3 महीने में Calculate में किया जाता है।
वहीं दूसरी ओर GNP की भी देश की आर्थिक एजेंसियों के द्धारा एक निश्चित और पूर्व निर्धारित समय पर गणना की जाती है।
GDP Full Form क्या है?
GDP Full Form in Hindi : जीडीपी का फुल फार्म Gross Domestic Product होता है। जिसे हिंदी में सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं।
GNP को Calculate कैसे करें ?
GNP को प्रप्त करने के लिये जरूरी है कि आप GDP यानि सकल घरेलू उत्पाद में से उस Income को घटा दें, जो देश को प्राप्त होने वाली है।
लेकिन यदि हम इसमें विदेशों में अर्जित आय को जोड़ दें तो हमें GNP प्राप्त होती है।
GDP Aur GNP Me Kya Antar Hai | जीएनपी और जीडीपी में क्या Difference है?
GNP यानि कुल राष्ट्रीय उत्पाद में आयात तथा निर्यात की अपेक्षा शुद्ध विदेश अर्जित आय शामिल की जाती है। इसमें शुद्ध विदेशी निवेश आय सम्मिलित होती है, जबकि जीडीपी में नहीं।
GNP के अंदर 1 राष्ट्र के द्धारा उत्पन्न किये गये आउटपुट के मान की गणना की जाती है। जबकि GDP में सभी घरेलू उत्पादन की गणना की जाती है। फिर वह किसी अन्य देश की राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व क्यों न करता हो।
GNP के जरिये किसी देश अथवा उसमें रहने वाले व्यक्तियों तथा निगमों के उत्पादन के स्तर की गणना की जाती है। जबकि GDP में संपूर्णं सकल घरेलू उत्पाद की गणना होती है।
GDP को कैसे Calculate करते हैं?
जीडीपी की गणना में Consumption (उपभोग), Gross Investment (कुल निवेश), Government Spending (सरकारी खर्च), Imports (आयात) तथा Exports (निर्यात) को शामिल किया जाता है।
अब आप इस तरह GDP Calculate कर सकते हैं :
- GDP (कुल घरेलू उत्पाद) = उपभोग (Consumption) + कुल निवेश
- (Gross Investment) + सरकारी खर्च (Government Spending) + (निर्यात (Exports) – आयात (Imports)
- GDP = C + I + G + (X − M)
GDP of India in 2019 | जीएनपी व जीडीपी 2019 में कितनी है?
भारत के केंद्रीय सांख्यिकी विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से जून 2019 की तिमाही के जो आंकड़े प्रस्तुत किये हैं। उससे देश भर में निराशा का माहौल व्याप्त है।
नये आंकड़ो के हिसाब से भारत की 2019 में जीडीपी महज 5 फीसदी पर आकर सिमट गयी है। आपकी जानकारी के लिये यह बताना जरूरी है कि भारत में यह अब तक की सबसे कम Growth Rate है।
पिछली मनमोहन सिंह सरकार के समय भारत की GDP Growth बहुत शानदार थी। लेकिन पिछले 6 साल के दौरान यह लगातार घटती जा रही है।
जिसकी वजह से रेल से माल की ढुलाई, ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी, आयात जैसे क्षेत्रों में अत्याधिक सुस्ती दिखाई पड़ने लगी है।
हालांकि वर्तमान मोदी सरकार हालात को बेहतर बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। लेकिन उसके प्रभाव अब तक दिखना शुरू नहीं हुये हैं।
जैसे जैसे जीडीपी की ग्रोथ रेट गिर रही है, वैसे वैसे GNP में भी स्वाभाविक गिरावट दिखनी शुरू हो गयी है।
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जीडीपी और जीएनपी का महत्व क्या है?
एक निगेटिव GDP और GNP ग्रोथ रेट हमारी अर्थव्यवस्था में बुरे दौर के संकेतों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती है। इसलिये समय समय पर इसकी गणना और मूल्यांकन होते रहना बहुत जरूरी है।
किसी भी देश के अर्थशास्ती जीडीपी की गणना सिर्फ इसीलिये करते हैं। ताकि यह पता चल सके कि अमुक देश की अर्थव्यवस्था बेहतर है अथवा मंदी की शिकार हो गयी है।
जीडीपी तथा जीएनपी की गणना से उत्पन्न परिणाम विदेशी निवेशकों को अपनी निवेश रणनीति बनाने में बेहतर ढंग से मदत करते हैं।
जब किसी देश में इसकी गणना की जाती है, तो जिस प्रकार के संकेत दिखाई पड़ते हैं, तब वहां की सरकार के द्धारा सभी जरूरी उपाय देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर बनाये रखने के लिये किये जाते हैं।
GDP Growth तथा GNP Growth के लाभ क्या हैं?
- जब किसी देश की जीडीपी तथा जीएनपी ग्रोथ रेट अच्छी होती है। तब उस देश में सकारात्मक विकास की बयार बहती है।
- अच्छी ग्रोथ रेट वाले देश में कंपनियों के द्धारा अधिक रोजगार पैदा किये जाते हैं। जिससे बेरोजगारी का स्तर घटता है।
- जीडीपी की अच्छी ग्रोथ रेट की बदौलत गरीबी का स्तर घटता है और लोग अच्छा जीवन व्यतीत करने लगते हैं।
- जिस राष्ट्र की GDP Growth अच्छी होती है। उस देश का Tax कलेक्शन शानदार होता है। सरकार के पास पैसा भरपूर होने के कारण विकास योजनाओं पर अधिक पैसा खर्च होने लगता है।
- अधिक ग्रोथ रेट वाले देश शिक्षा तथा हाइवों के निर्मांण पर ज्यादा पैसा खर्च कर पाते हैं।
- तेज ग्रोथ रेट वाले देशों में कंपनियों के मुनाफे में भारी वृद्धि होती है। जिसकी वजह से उन्हें अपनी रिसर्च पर अधिक पैसा खर्च करने का बेहतरीन मौका हासिल होता है।
GDP – GNP को मापने के International मानक क्या हैं?
जीडीपी को मापने के अंतर्राष्ट्रीय मानक और पैमानें पूरी तरह विकसित हैं। इन मानक के ऊपर सिस्टम ऑफ नेशनल एकाउंटस नामक पुस्तक में दर्ज हैं।
यह पुस्तक सन 1993 में प्रकाशित हो चुकी है। इस पुस्तक में दर्ज अंतर्राष्ट्रीय मानकों की खोज एवं विकास आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन, IMF, वर्ल्ड बैंक, संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) तथा यूरोपीय संघ के द्धारा नियुक्त प्रतिनिधियों तथा अर्थशस्त्रीयों ने किया है।
सन 1993 से पहले जीडीपी तथा जीएनपी मानकों से संबंधित एक और संस्करण 1968 में जारी हो चुका है। इस संस्करण को SNA68 कहा जाता है।
अन्य देशों की जीडीपी की अपने देश से तुलना कैसे की जाती है?
जब हम किसी अन्य देश के साथ अपनी GDP की तुलना करते हैं। तब हमें 2 तरीकों के बारे में विचार करना चाहिए।
वर्तमान मुद्रा विनियम दर : अन्य देशों के साथ तुलना करने के लिये जरूरी होता है, कि हम सकल घरेलू उत्पाद की गणना करते समय IMF की प्रचलित विनिमय दरों के साथ गणना करें।
क्रय शक्ति क्षमता विनिमय दर : एक अन्य तरीका यह है कि हम जीडीपी की गणना करते समय चयनित मानक अथवा दुनिया के सबसे ताकतवर और मजबूत देश (जोकि आज अमेरिका है) की मुद्रा विनिमय दर को अपना आधार बनायें।
जीडीपी तथा जीएनपी के विकल्प कौन कौन से हैं?
ऐसा नहीं है कि पूरी दुनिया सिर्फ और सिर्फ जीडीपी पर ही आंख मूंद कर विश्वास करती है। पूरी दुनिया में अनेक ऐसे नियम और पद्धतियां खोजी गयी हैं।
जो भविष्य में GDP, GNP का विकल्प बन सकती हैं। ऐसे ही कुछ अन्य विकल्पों के बारे में हम आपको नीचे बताने जा रहे हैं। कृप्या इनका अध्ययन ध्यान पूर्वक करें।
1 : धन अनुमान
दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय संस्थाओं में से एक विश्व बैंक ने संस्थान, मानव पूंजी तथा पर्यावरण पूंजी को एक साथ संयोजित करने वाली तकनीक एवं पद्धति का विकास किया है।
2 : किसी निजी उत्पाद का अवशेष
अमेरिकाज द ग्रेट डिप्रेशन में ऑस्ट्रेयाई अर्थशास्त्रियों तथा मुर्रे न्यूटन रोथबर्ड ने अपना यह विचार प्रस्तुत किया है, कि पीपीआर को अनुमानित करते समय Tax से सरकारी अधिशेष को हटा देना ही उचित है।
इन अर्थशास्त्रियों के अनुसार सरकारी खर्च को उत्पादक सेक्टरों से लिया जाता है। अत: इससे ऐसे माल की उत्पत्ति होती है, जो ग्राहक की पसंद का नहीं होता है। यह एक प्रकार का बोझ है। इसलिये इसे हटा देना चाहिए।
मानव विकास सूचकांक में गणना के 1 हिस्से में जीवन प्रत्याशा और शिक्षा के स्तर को महत्वपूर्णं कारक के रूप में इस्तेमाल करता है।
लेकिन इसमे GDP को भी एक भाग के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस पूरी प्रणाली में स्वयंसेवी तथा समाजसेवा जैसे कार्यों को जोड़ा जाता है तथा अपराध और प्रदूषण को घटाया जाता है।
इस प्रणाली का पहला लिखित वर्जन सन 2005 में प्रकाशित हुआ था। जिसके जरिये यूरोपीय यूनियन के देशों में यह जीवन की संतुष्टि पर कराये सर्वेक्षण के बाद अनुमान लगाये गये थे।
इस प्रणाली के तहत लोगों से कई प्रकार के प्रश्न पूछे गये थे। जिनके आधार पर प्यार का होना और पाया जाना तथा समय की कमी आदि तथ्यों को Find किया गया था।
5 : गिनी गणना प्रणाली
इसे भी जीडीपी के एक अच्छे विकल्प के रूप में जाना जाता है। इसमें किसी 1 देश के अंदर की Income में पायी जाने वाली असमानता पर गंभीरता पूर्वक विचार किया जाता है।
6 : Happy Planet Index क्या है?
इस प्रणाली के तहत इंसान तथा पर्यावरण का एक Index बनाया गया है। यह मानव तथा पर्यावरण की दक्षता का मापन करके अपने आंकड़े प्रस्तुत करता है।
हैप्पी प्लेनेट इंडेक्स की उत्पत्ति सन 2006 में न्यू इकोनॉमिक्स फाउंडेशन के द्धारा की गयी थी।
7 : सकल राष्ट्रीय खुशी सूचकांक
इस सूचकांक का प्रयोग कई देशों में भी किया जाता है। इससे वह अपने देश में लोगों की खुशी का स्तर मापते हैं।
इस इंडेक्स के द्धारा की गयी एक गणना तथा उससे प्राप्त आंकड़ों के अनुसार भूटान दुनिया का एक मात्र ऐसा राष्ट्र है। जहां के लोग सबसे ज्यादा खुश रहते हैं।
इस सूचकांक का प्रयोग किसी राष्ट्र में सर्वव्याप्त खुशी अथवा खुशी की दिशा में होने वाली हर प्रगति के आंकड़ों को प्रस्तुत करता है।
सन 2019 में किन देशों की GDP तथा GNP सबसे अधिक है?
जिन देशों में सन 2019 में सबसे अधिक जीडीपी ग्रोथ रेट रहने का अनुमान हैं। वह इस प्रकार हैं –
अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी, ब्रिटेन, भारत, फ्रांस, इटली, ब्राजील तथा कनाडा हैं। सन 2019 में यह सभी देश World’s Top 10 Largest Economies के रूप में जानें जाएंगें।
What is the Economies Top 4 Countries?
दुनिया की सबसे बड़ी 4 अर्थवयवस्थाओं वाले देशों की इकोनॉमी का विवरण नीचे दिया जा रहा है।
- European Union – 16.63 Trillion
- United States – $ 15.68 Trillion
- China – $ 8.36 Trillion
- Japan – $ 5.96 Trillion
जीडीपी अथवा GNP का किसी देश के नागरिकों के ऊपर असर पड़ता है अथवा नहीं?
कहने को तो GDP तथा GNP महज कुछ आंकड़े हैं। जिन्हें किसी देश के राष्ट्रीय परिदृश्य में देखा और समझा जाता है।
कुछ लोग कहते हैं कि जीडीपी के गिरने अथवा कम होने से किसी देश के नागरिकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
लेकिन यह एक अर्धसत्य से ज्यादा कुछ नहीं है। असल में सांख्यिकीय आंकड़ें बहुत कुछ बोलते हैं और अपने अंदाज में चेतावनी भी देते हैं। जिन्हें न तो आम नागरिक और न ही किसी भी देश की केंद्रीय सरकार अनदेखा कर सकती है।
For Example जीडीपी में कमी आने की खबरें पिछले कुछ समय से आ रही थीं। लेकिन अब उसका प्रभाव भारत में ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी, कई कंपनियों में अचानक उत्पादन कम होना।
माल की खपत न होने के चलते कई कंपनियों के द्धारा अपने औद्धोगिक संयंत्रों को सप्ताह में 2 से 3 दिन के लिये बंद रखना शुरू कर दिया है।
इसके अलावा पार्ले, जोमेटो जैसी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों की छंटनी करनी शुरू कर दी है। जिससे साफ तौर पर पता चलता है कि जीडीपी में कमी का प्रभाव उस देश के अंतिम नागरिक पर अनिवार्य रूप से पड़ता है।